मशहूर गायिका सुनिधि चौहान इन दिनों संगीत आधारित गायकों को खोजते रिएलिटी शो में बतौर जज नजर आ रही हैं. वैसे इन दिनों ऐसे कार्यक्रमों की भरमार है. हर कोई शहरशहर जा कर औडिशन की दुकान खोल कर गलीगली की आवाज को देश का सब से बड़ा गायक बनाने का दम भरता है जबकि हकीकत यह है कि 10 साल पहले से अब तक इंडियन आइडल, जी सारेगामा समेत दर्जनभर रिएलिटी शो के विजेता बने तथाकथित देश के नंबर वन सिंगर न जाने असफलता की किस अंधेरी गली में गुम हो गए हैं. सुनिधि सरीखे कई स्थापित गायक व संगीतकार ऐसे कार्यक्रमों के जज बन कर दावे तो खूब करते हैं लेकिन सिर्फ जेबें भर कर निकल जाते हैं जबकि प्रतियोगी गायक स्टारडम के आधेअधूरे सपने को लिए तनावग्रस्त हो जाते हैं. सब से पहले बने इंडियन आइडल अभिजीत सावंत कहां हैं? शायद ही किसी को याद हो. बहरहाल सुनिधि चौहान अपनी कोच की भूमिका निभा कर बेहद खुश हैं.
4 वर्ष की आयु से गायन के क्षेत्र में कदम रखने वाली सुनिधि चौहान ने हिंदी गानों के अलावा मराठी, कन्नड़, तमिल, तेलुगू, बांग्ला, असमिया और गुजराती फिल्मों में 2 हजार से अधिक गीत गाए हैं. बौलीवुड में सुनिधि को प्रसिद्धि फिल्म ‘मस्त’ के गाने ‘रुकी रुकी थी जिंदगी…’ से मिली. इस के बाद उन के सिंगिंग कैरियर ने इतनी रफ्तार पकड़ी कि आज तक उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. लता मंगेशकर को आदर्श मानने वाली सुनिधि ने हर बड़े संगीतकार के साथ गाया है. स्टेज हो या स्टूडियो, सुनिधि हर जगह अपनी छाप छोड़ती हैं. उन के गानों की विविधता उन की कामयाबी का राज है.
जब इस प्रतिनिधि ने हालिया शो से जुड़ने की वजह जाननी चाही तो उन का कहना है, ‘‘आवाज पर आधारित कोई भी शो मुझे आकर्षित करता है. इस शो में जो भी अच्छी आवाज आएगी, उन्हें पौलिश करना मेरा काम है. कई बार ऐसा होता है कि आवाज तो अच्छी होती है पर गाने वाले में आत्मविश्वास की कमी होती है. ऐसे में अगर कोई प्रशिक्षित करे तो आवाज में निखार आता है. देश में प्रतिभाएं बहुत हैं लेकिन उन्हें सही राह दिखा कर आगे ले जाने वालों की आवश्यकता हमेशा रहती है. इस शो के जरिए सभी को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा. हालांकि आगे बढ़ते कोई दिखता नहीं है.
संगीत के क्षेत्र में किस प्रकार की कमी है? इस पर सुनिधि बताती हैं, ‘‘समाज में सोच अभी खुली नहीं है. किसी का परिवार उसे इस क्षेत्र में आने नहीं देता. पति है तो पत्नी को भाग नहीं लेने देता. कुछ स्थानों पर लड़कियां हैं तो उन्हें गाने नहीं दिया जाता. कई घरों में अगर लड़के गाना गाएं तो लोग सोचते हैं कि क्या यह कोई काम है. ऐसे में मैं उन लोगों की तारीफ करती हूं जो इन सब समस्याओं से जूझ कर औडिशन देते हैं और आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं. इस क्षेत्र में आने की प्रेरणा को ले कर उन का कहना है, ‘‘मेरे घर में सभी संगीत सुनना पसंद करते हैं. मेरे पापा थिएटर करते थे. 12 वर्ष तक उन्होंने रामलीला में राम की भूमिका निभाई है. उन की बुलंद आवाज सब को पसंद थी. अच्छे गाने सुनना मुझे बहुत पसंद है. गाने सुनतेसुनते स्वाभाविक तौर पर गाना गाने की प्रेरणा मिली.
‘‘हालांकि मैं ने बहुत संघर्ष किया पर मुझ से अधिक मेरे पिता को करना पड़ा. वे मेरे लिए अपना कैरियर छोड़ कर मुंबई चल पड़े. उन्हें लगा कि मुझ में वह बात है कि मैं इस क्षेत्र में कुछ कर पाऊंगी. मैं उस समय 12 साल की थी. संघर्ष क्या है पता नहीं था. मुश्किलें तो पिताजी ने झेलीं, मैं तो आराम से उन की छत्रछाया में थी. पहले तकनीक इतनी विकसित नहीं थी. अब तो अच्छा यह हो गया है कि औडिशन के लिए आप को कहीं जाने की भी आवश्यकता नहीं है. आप औनलाइन भी अपनी आवाज भेज सकते हैं. यह प्रक्रिया बहुत अच्छी है. अगर अच्छी आवाज है तो दुनिया के किसी भी क्षेत्र में वह दूर नहीं रह पाएगा.’’
वैसे आजकल सभी गा रहे हैं, संगीतकार भी और गायक भी. ऐसे में प्लेबैक सिंगर की भूमिका कितनी रह जाती है? इस पर वे कहती हैं, ‘‘तकनीक अधिक होने के बावजूद अगर प्रतिभा नहीं है तो आप टिक नहीं पाते. बदलाव है तो उसे भी देखने और सुनने की आवश्यकता है. आज नौन सिंगर भी सिंगर बन जाते हैं, यह बात सही है. लेकिन जब वह व्यक्ति ‘लाइव’ गाता है तो पता चल जाता है. मैं 19 साल से इस क्षेत्र में हूं. मुझे अपनेआप को सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं होती. मेरी कोशिश यह रहती है कि मैं अपने प्रशंसकों को हमेशा कुछ नया दूं. इस के अलावा आज लोग भी स्मार्ट हो चुके हैं, उन्हें कुछ चीज अच्छी नहीं लगती तो जल्द ही वे उस से मुंह फेर लेते हैं.’’ बतौर गायिका सुनिधि की ‘तनु वैड्स मनु रिटर्न्स’, ‘पीकू’ व ‘दिल धड़कने दो’ फिल्में रिलीज हो चुकी हैं. कई और फिल्में आने वाली हैं जिन में उन्होंने गीत गाए हैं. आखिर में सवाल फिर वहीं खड़ा है कि जब एक रिएलिटी शो बनता है तो सीरियल निर्माता से ले कर तकनीशियन, सेलिब्रिटी जज, एंकर तमाम लोगों के नाम, शोहरत व कमाई में इजाफा होता है. लेकिन जिन नई प्रतिभाओं के लिए यह शोबाजी होती है, उन्हें बाद में कोई नहीं पूछता.