केटीएम ड्यूक भारत में 2012 में लॉन्‍च हुई थी. बजाज ऑटो केटीएम में 40 फीसदी की शेयरहोल्‍डर है और वही केटीएम को भारत में निर्माण, बिक्री और सर्विसिंग आदि में मदद करती है.

फिलहाल ड्यूक के दो वैरिएंट बाजार में हैं - केटीएम 200 केटीएम 390 ये दोनों ही लॉन्चिंग के बाद से बाजार में छाई हुई हैं.

आज हम आपको बता रहे हैं केटीएम बाइक्स को अमूमन लोग निगेटिव बाइक के तौर पर क्‍यों लेते हैं.

शोर करती है ये बाइक

Duke 200 and 390 स्‍पीडर बाइक्‍स हैं और शोर भी करती हैं इसलिए ज्‍यादातर पैरेंट अपने बच्‍चों को ये बाइक लेने से मना करते हैं. वे अपने बच्‍चे की सुरक्षा को लेकर कोई भी रिस्‍क नहीं लेते.

पार्ट और सर्विस है महंगी

ड्यूक 200 सीसी बाइक Rs. 1,43,000 की है जबकि 390 सीसी बाइक Rs. 1,96,000 के आसपास की एक्‍स शोरूम के साथ मिलती है. इनकी सर्विसिंग में तकरीबन Rs. 3000 - 4000 का खर्च आ जाता है जो कि भारतीय नजरिए से महंगा है. ऐसे में यह भी इन बाइक्‍स के लिए निगेटिव पॉइंट है.

तेज स्‍पीड बाइक्‍स

बाइक को चलाने का तरीका ये बाइक्‍स जिस तरह से चलाई जाती हैं, उससे लोगों के मन में इनके लिए निगेटिव इमेज बन जाती है. तेज स्‍पीड बाइक्‍स होने की वजह से कई बार इन्‍हें चलाने वालों की अन्य ड्राइवर्स से नोंकझोंक भी हो जाती है. लेकिन फिर भी इसकी दमदार परफॉर्मेंस के चलते यह लोगों की पसंद बनी हुई है.

सबसे ज्‍यदा एक्सिडेंट

इसका कोई परफेक्‍ट आंकड़ा नहीं है कि ड्यूक बाइक्‍स से कितने एक्सिडेंट होते हैं. लेकिन फिर भी इन बाइक्‍स से काफी एक्सिडेंट देखे गए हैं. अन्‍य मोटरसाइकिल के मुकाबले इससे ज्‍यादा एक्सिडेंट होना भी इसके लिए एक निगेटिव पॉइंट है.

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