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राजेश ने आश्चर्य से चंद्रमा की इस कुछकुछ अंतराल पर गड्ढों से भरी सतह को देखा और मंजिशी से अनायास ही पूछा, “यह जगह क्यों चुनी है हम ने उतरने के लिए?”

मंजिशी ने अपने स्पेस हेलमेट के भीतर से ही जवाब दिया, “यहीं से एक किलोमीटर की दूरी पर, विक्रम लैंडर, हुडप्रभा और त्रिजोनी संघात गड्ढों के नजदीक उतरने वाला था. लेकिन, मंजिशी ने अपने पैरों के नीचे की जमीन की तरफ इशारा कर के कहा, “यहां पर आ गिरा. इसे ‘शक्तिपीठ’ कहते हैं. यहां पर विक्रम लैंडर के अनेकानेक टुकड़े गिरे पड़े हैं.”

विक्रम लैंडर, चंद्रमा पर भारत के चंद्रयान-2 मिशन का हिस्सा था, जिसे जुलाई 2019 में लौंच किया गया था. यदि चंद्रयान-2 सहीसलामत चंद्रमा की सतह पर पहुंच गया होता, तो भारत चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडर लगाने वाला चौथा देश होता. लेकिन सतह से 3 किलोमीटर से भी कम ऊंचाई पर, विक्रम, नियोजित अवरोही पथ से भटक गया और रेडियो संपर्क से बाहर हो गया. चंद्रमा की सतह पर, जहां उसे लैंड करना चाहिए था, वहां से एक किलोमीटर की दूरी पर गिर कर उस के टुकड़ेटुकड़े हो गए और सतह पर बिखर गए.

भगवान शंकर की पत्नी, और दक्ष की पुत्री, सती, पिता दक्ष द्वारा न बुलाए जाने पर और भोलेनाथ शंकर के रोकने पर भी अपने पिता के द्वारा किए जा रहे ‘बृहस्पति सर्व’ नामक यज्ञ में भाग लेने चली गई थीं.यज्ञस्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष से अपने पति को न आमंत्रित करने का कारण पूछा और उन का विरोध किया.

इस पर सती के पिता ने महादेव को अपशब्द कहे. इस अपमान से पीड़ित हो कर सती ने यज्ञ के अग्निकुंड में कूद कर अपनी प्राणाहुति दे दी थी. तत्पश्चात, संपूर्ण विश्व को शिवजी के क्रोध से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को कई टुकड़ों में काट दिया. वे टुकड़े जिन जगहों पर गिरे, वे स्थान 'शक्तिपीठ' कहलाए.

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