Writer- रेणु गुप्ता
"मेल क्यों नहीं दादी? उन दोनों का ही तो मेल परफैक्ट है. दादी, क्या आप ने गौर किया है, पापा और आंटी में कितनी गहरी दोस्ती है? मम्मा के बाद अगर पापा किसी से खुले हुए हैं तो वह इनाया आंटी ही हैं. अभी जब इनाया आंटी यहां थीं, मम्मा के जाने के बाद पापा पहली बार इतने खुश लगे मुझे. प्लीज दादूदादी, आप दोनों इस शादी के लिए मान जाइए. बाकी हम संभाल लेंगे."
"पर बेटा, वह मुसलमान है, दूसरे धर्म की है."
"दादी, आप ही तो कहती हैं, इंसान का सब से बड़ा धर्म उस का स्वभाव, उस की इंसानियत होता है. इनाया आंटी इस कसौटी पर तो खरी उतरती हैं न. कितने मीठे स्वाभाव की, जैंटल और हंसमुख हैं. उन के आने से घर जैसे चहक उठता है. फिर पापा के साथ उन की कंपैटिबिलिटी गजब की है. क्या आप चाहती हैं कि पापा एक फ्रस्ट्रेटेड जिंदगी जिएं और ताउम्र घुटते रहें. मुझे तो डर है वे कहीं डिप्रैशन में न चले जाएं. मम्मा की डेथ के बाद कितने इमोशनल हो गए हैं वे. बातबात पर तो उन के आंसू निकल पड़ते हैं."
यह सुन कर दादू बीच में बोल पड़े, "रिदान बेटा, मेरे लिए तपन की खुशी से बढ़ कर कुछ नहीं. अगर तपन को इस रिश्ते से कोई एतराज नहीं, तो इस रिश्ते के लिए हमारी हां है. दादी की चिंता तुम बिलकुल मत करो, मैं उन्हें समझा दूंगा."
दादू की तरफ से इस रिश्ते के लिए ग्रीन सिग्नल मिलते ही रिदान खुशी से झूम उठा और बहुत सोचसमझ कर उस ने अमायरा को इस मुद्दे पर बात करने के लिए अपने घर बुलाया.