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Writer- रेणु गुप्ता

इस बार दादी की बात पर इनाया सोचमग्न हो गई, कुछ नहीं बोली. अब रिदान  चिल्लाया, "तो दादी, अब पापा और इनाया आंटी की शादी पक्की. इस पर तीनों बच्चे खुशी से झूमते हुए चिल्लाए,  "थ्री चीयर्स टू मम्मा एंड पापा," और तीनों ने एकदूसरे को हग कर लिया.

दिन बीत रहे थे. लेकिन इनाया के मन में इस विवाह को ले कर जबरदस्त कशमकश चल रही थी.

उस ने कई बार इस  विवाह को ले कर अपनी आशंकाएं जाहिर करने की कोशिश की, लेकिन तीनों बच्चे और तपन के मातापिता उसे कुछ कह पाने का मौका ही न देते.

तपन के मन में भी इस शादी को ले कर बहुत  दुविधाएं थीं, लेकिन इस संबंध  के लिए मातापिता और दोनों बच्चों के बेशर्त समर्थन की वजह से वह  उन से मुक्त हो गया. अलबत्ता, इनाया के मन में इस रिश्ते  को ले कर आखिर तक हिचकिचाहट थी. वह अभी तक अपने मन को इस बंधन के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं कर पाई थी. उसे लग रहा था कि हिंदू समाज उसे अपने समाज में खुले दिल से नहीं अपनाएगा, जिस से उस की मानसिक शांति के साथसाथ उस की बेटी के मन की शांति भी भंग हो सकती है.

उस की यह उलझन भांप कर एक दिन तपन ने उस से एकांत में दोनों के विवाह की चर्चा छेड़ी.

"इनाया, क्या तुम मुझे हस्बैंड के तौर पर  अपनी ज़िंदगी में शामिल करने के लिए पूरे मन से तैयार हो? यह शादी तभी होगी अगर तुम्हें इसे ले कर कोई गंभीर औब्जेक्शन न होगा."

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