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Writer- रेणु गुप्ता

"आंटी,  बात तो आप सही कह रही हैं. मुझे अपने सिंगल रहने के फैसले से कोई गिला नहीं. अब तो कंपनी के लिए अमायरा  भी है. बस, अब मेरा शरीर साथ नहीं देता. मेरा ब्लडप्रैशर दवाई लेने के बावजूद हमेशा बहुत हाई रहता है. तबीयत  हर समय गिरीगिरी रहती है."

"इनाया बेटा, तेरा  यह हाई ब्लडप्रैशर भी तेरे इस अकेलेपन की वजह से है. बेटा, जिंदगी के सफ़र में कोई सुखदुख बांटने वाला हो, तो जिंदगी की मुश्किलें आसान हो जाती हैं. लेकिन तुम लोगों को यह बात समझ में आए, तब तो. मुझे तो अब तपन की चिंता खाए  जाती है.  कैसे अकेले  ज़िंदगी काटेगा. अभी तो, खैर, हम दोनों हैं, ये दोनों बेटे हैं, तो उस का समय ठीकठाक कट जाता है.  कल को जब हम दोनों नहीं होंगे, दोनों बेटे पढ़लिख कर नौकरी पर चले जाएंगे, तब उस का क्या हाल बनेगा?"

"अरे आंटी, कल की चिंता  आज क्यों करनी? सब अच्छा ही होगा. आप की तो दोदो बहुएं आएंगी. सेवा करेंगी.  मैं तो अमायरा की शादी के बाद अकेली रह जाऊंगी.”

"अरी बिट्टो रानी, तभी कहती हूं, अभी भी वक्त है. कोई अच्छा सा समझदार लड़का देख कर शादी कर ले.  तेरा ब्लडप्रैशर जड़ से छूमंतर न हो जाए, तो मुझ से कहना."

"अरे आंटी, अब इन बच्चों के सामने आप भी कैसी बातें कर रही हैं. अब तो इन बच्चों की शादी का समय आएगा. अमायरा 22 साल की तो हो ही गई. और पांचछह साल की बात है."

"मैं अपनी प्यारी मम्मा को छोड़ कर नहीं जाने वाली. आप निश्चिंत रहो. मैं कभी शादी नहीं करूंगी,"  अमायरा ने अपनी मां के गले में अपनी बांहें डालते हुए और उन्हें एक झप्पी देते हुए उस से कहा.

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