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विजय सिंह ने पुलिस अधिकारी के पैर पकड़ लिये कि उस खत में क्या लिखा है कृपया उन्हें बताया जाए. उनकी इकलौती बेटी की जिन्दगी का सवाल है. तब तक नीलू और उसकी मां भी कमरे में पहुंच गयी थीं. नीलू रोती हुई अपने पिता के सीने से चिपक गयी. डर के मारे उसका पूरा बदन कांप रहा था. विजय सिंह ने पुलिस अधिकारी से विनती की, ‘साहब, हमें शरद के बारे में कुछ भी नहीं मालूम. वह ढाई साल पहले यहां किराये पर रहने आया था. उसने बताया था कि उसके आगे-पीछे कोई नहीं है. मां-बाप मर चुके हैं. यहां इन्श्योरेंस कम्पनी में काम करता है. भला लड़का है साहब, मेरी बेटी उससे प्यार करती है, आज दोनों की शादी है. हम पर रहम करिये. बताइये कि इस खत में उसने क्या लिखा है...’

विजय सिंह का रोना-गिड़गिड़ाना देखकर अधिकारी ने अपने हाथ में पकड़ा पत्र उनके आगे बढ़ा दिया. नीलू और विजय सिंह ने पत्र पढ़ा. उनके पैरों के नीचे से जैसे जमीन ही खिसक गयी. पत्र में लिखा था....

‘मेरी प्यारी नीलू,

आज तुमसे हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं, हो सके तो मुझे माफ कर देना. मैं तुम्हारे साथ प्यार की दुनिया बसा सकूं यह भगवान को मंजूर नहीं है. तुम लोगों के बीच पनाह पाकर मैं भी सपने देखने लगा था और भूल गया था कि मेरी असलियत क्या है. मेरा काला अतीत रहा है. जिससे मैं लगातार भाग रहा हूं. शहर-दर-शहर भागता फिर रहा हूं. अतीत के काले साये ने मेरा पीछा यहां भी नहीं छोड़ा है. वह तेजी से मेरी ओर बढ़ रहा है और अपने इस भयानक अतीत से मुझे जिन्दगी भर भागते रहना है. लेकिन नीलू, मैं सच्चे दिल से तुम्हें प्यार करता हूं. मेरे प्यार को कभी झूठ मत समझना. रत्ती भर भी संदेह मत करना. मैं तुम्हें धोखा नहीं देना चाहता, मगर आज मैं बहुत मजबूर हूं. मुझे आज जाना ही होगा. तुम्हारा प्यार, तुम्हारी यादें अपने साथ लिए जा रहा हूं. मां और बाबूजी से हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं. उनकी माफी के लायक तो नहीं हूं, मगर उम्मीद करता हूं कि वे मुझे माफ कर देंगे.

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