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माधुरी चुपचाप वहीं बैठी रही. वह सोचे जा रही थी. उस के दिमाग में वे सारे ताने, वे सारी लांछनें घूम रही थीं. वह दिन कभी नहीं भूलता है उसे जब मिसेज खन्ना ने अपने बच्चे की छट्ठी में माधुरी को बच्चा गोद में नहीं लेने दिया. मिसेज खन्ना का मानना था कि शुभ काम में बांझ औरतों को दूर रखना चाहिए. सब ने बच्चे को गोद में लिया. जब माधुरी की बारी आई तो मिसेज खन्ना ने बच्चा उस की गोद में नहीं डाला और आगे बढ़ गई. माधुरी बिना कुछ कहे अपमान का घूंट पी कर वहां से वापस आ गई. कई लोगों ने मिसेज खन्ना को इस बरताव के लिए टोका पर वह वैसी ही रही.

घर आ कर माधुरी बहुत रोई. सारी रात रोती रही. प्रभाष ने बहुत समझाया पर वह सिसकती रही. प्रभाष ने खन्ना जी को फोन कर के एहतराज जताया. उन्होंने मिसेज खन्ना के बरताव के लिए माफी मांगी. ऐसी अनगिनत घटनाओं को सोच रही थी माधुरी.

काफी समय बीतने के बाद प्रभाष ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा, "वह टैस्ट का बता रही थीं तुम?"

"हां, प्रेगाकिट वाला पौजिटिव आया है. कल लैबटैस्ट कराती हूं."

"हां, करवा लो. वैसे, अंशुल-रोली तो हैं ही."

"पता नहीं क्यों मुझे डर लग रहा है?" माधुरी ने अपनी हालत बयां करते हुए कहा.

"इस में डरना क्या है. कितनी बार ये टैस्ट हो चुके हैं. आधी स्त्रीरोग विशेषज्ञ तो तुम खुद ही हो चुकी हो. चिंता मत करो, सब अच्छा होगा."

"मुझे लग रहा है इस बार मैं..." कहती हुई चुप हो गई माधुरी.

"ज्यादा सोचो मत. अभी लैबटैस्ट कराओ, फिर देखते हैं."

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