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‘माधुरी, ये सब बातें दिमाग से निकाल दो. तुम ने कम कष्ट सहे हैं क्या इस दिन के लिए. यह इस पूरी प्रक्रिया का सब से मार्मिक पहलू है. अब दिमाग से यह निकाल दो कि ये तुम्हारी कोख से नहीं जन्में हैं. आज से तुम ही इन की मां हो. दुनिया यशोदा को ही कान्हा की मैया कहती है. कान्हा का जन्म तो देवकी की कोख से हुआ था. जिस ने इन्हें जन्म दिया उस का तुम हमारे ऊपर छोड़ दो. सब की अपनीअपनी मजबूरियां होती हैं. आज पैसा बहुतों के पास है लेकिन सब को सरोगेट मदर नहीं मिलती है. और हां, आज के बाद मेरे सामने इस विषय पर दोबारा बात नहीं होनी चाहिए. इन बच्चों के साथ एक नए जीवन की शुरुआत करो,’ कहते हुए डा.

लतिका का चेहरा गंभीर और लहजा सख्त हो गया.

प्रभाष ने तुरंत कहा, ‘जी मैडम, आप का धन्यवाद हम कैसे करें. बस, यही कहूंगा कि हमारा रोमरोम आप का कर्जदार है.’

डा. लतिका से मिलने के बाद दोनों केबिन से बाहर आ गए. और डा. नटियाल के केबिन के बाहर बैठ कर अपनी बारी की प्रतीक्षा करने लगे. माधुरी ने किसी तरह दोनों हाथों में अलगअलग बच्चों को पकड़ा था. उस के हाथ कांप रहे थे और दिल जोरों से धड़क रहा था. उसे अब भी यकीन नहीं हो रहा था कि यह सब सच है. वह आंखें मूंदे सो रहे दोनों नवजन्में को डबडबाई आंखों से देख रही है. उसे इन्हें ठीक से पकड़ना भी नहीं आ रहा. एकएक कर के उस ने दोनों का माथा चूमा, पैर चूमे.

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