पति से अलग होने के बाद साक्षी ने यह सोच कर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया, ताकि भाईभाभी और मां के सामने उसे हाथ न फैलाना पड़े और अपनी अधूरी पढ़ाई अपने बल पर पूरी कर सके. अब बस जितनी जल्दी हो सके, नरेश से उसे तलाक मिल जाए, तो वह अपने आगे के लिए कुछ सोच पाएगी. जानती है दोनों भाभियों को वह जरा भी नहीं सुहाती. और मां भी बहुओं को कुछ कहने के बजाय उसे ही ज्ञान देती रहती है. लेकिन वह भी क्या करे. बेचारी की मजबूरी है. दरअसल, मां सुषमा गठिया की मरीज थी, उस से घरबाहर का कोई भी काम नहीं हो पाता है. इसलिए वह अपनी दोनों बहुओं की चापलूसी करती रहती है और बेटी को झिड़कती रहती है, ताकि बेटेबहू खुश रहें.
खैर, जो भी हो, पर साक्षी इस बात से उत्साहित थी कि अब बस कुछ ही दिन बचे हैं और नरेश हमेशा के लिए उस की जिंदगी से आउट हो जाएगा.तलाक के बाद जहां साक्षी के परिवार में मातम पसरा था, वहीं उस का मन हो रहा था कि वह झूमे, नाचे और गाए, ‘मेरे सैयांजी से आज मैं ने ब्रेकप कर लिया...’ अपनी सहेली रेणु की मदद से उस की एक स्कूल में टीचर की नौकरी लग गई. रेणु भी उसी स्कूल में चार साल से पढ़ा रही थी तो उस की काफी जानपहचान बन गई थी और साक्षी ने बीएड तो कर ही लिया था. सो, उसे नौकरी मिलने में ज्यादा मुश्किल नहीं आई.
इसी ‘आदर्श शिक्षा निकेतन’ स्कूल में विपुल सर मैथ के टीचर थे. साक्षी से उन की अच्छ बनती थी. उन की उम्र यही कोई 46-47 होगी. विपुल सर का सरल स्वभाव साक्षी को बहुत अच्छा लगता था और उस से भी अच्छा उन का किसी भी बात पर खुल कर हंस देना लगता है. उन्हें देख कर तो लगता है, जैसे उन के जीवन में कोई टेंशनफिक्र ही नहीं है.
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