सुबह तो कोमल को इतना समय नहीं मिला था, वह कुछ जल्दी ही औफिस के लिए निकलती थी. थोड़ी देर पहले जानबूझ कर औफिस पहुंचती कि कुछ समय जुबैर के साथ बिता सके.
जुबैर, उस की मोहब्बत, एक नेक, सभ्य इनसान… ऐसा लड़का, जिसे औफिस की हर लड़की पसंद करती थी, पर उस का दिल तो कोमल में अटका था. एक साल से दोनों एकदूसरे के इश्क में गुम से थे.
जब भी जुबैर अपने और कोमल के रिश्ते पर उस की फैमिली की चिंता करता, कोमल बहुत विश्वास से कहती, ‘‘मेरे पापा इतने एजुकेटेड हैं, धर्म तो हमारे बीच में आ ही नहीं सकता.‘‘
और अब ये वीडियो देख कर उस का सिर शर्म से झुकता चला गया था.रात होने लगी थी. वह पता नहीं कितनी देर ठाणे की घोरबंदर रोड के किनारे रुकी रही थी. अपने घर वर्तक नगर पहुंची, तो उसे अपनी मम्मी सीमा की गुस्से भरी आवाज सुनाई दी, ‘‘शर्मिंदा कर के रख दिया है आज आप ने. मेरी कितनी मुसलिम फ्रैंड्स हैं, मैं उन्हें कैसे अपना चेहरा दिखाऊंगी…? यह कौन सा धर्म है आप का, जो एक बच्चे के हाथ से चाय पीने पर जान से मारने के लिए तैयार हो जाता है, यह तो किसी धर्म में नहीं लिखा.
‘‘मैं आज तक आप की हर हरकत सहती रही, पर आज बरदाश्त नहीं हो रहा है, पूरा वीडियो तो देख ही नहीं पा रही थी, कितना रोई हूं आज, यह आप ने क्या किया?
‘‘मेरी प्रिंसिपल सायमा, जो हमारी फैमिली फ्रैंड भी बन गई हैं, उन्होंने मुझे आज अजीब नजरों से देखा, वह मैं समझा भी नहीं पाऊंगी. अनिल, यह आप ने आज बहुत बुरा काम किया है. आज तो शर्म आ रही है कि मैं आप की पत्नी हूं.‘’
अनिल रूम के एक कोने में बने बार में ड्रिंक कर रहे थे, झूमते हुए उठ कर खड़े हो गए और बड़ी ही बेशर्मी से बोले, ‘‘शोर तो ऐसे मचा रही हो, जैसी किसी लड़की का रेप कर के आया हूं.‘‘
यह सुनते ही कोमल चिल्ला पड़ी, ‘‘पापा होश में रह कर बात कीजिए, मम्मी ठीक कह रही हैं. हम सब का एक सोशल सर्किल है और आज आप ने हम सब को शर्मिंदा होने पर मजबूर कर दिया है.‘’
सीमा ने भर्राए गले से कहा, ‘‘अनिल, बच्चे तो बच्चे होते हैं, तुम कैसे मार पाए एक छोटे बच्चे को? क्या मिल गया तुम्हें? मेरी आंखों से तो आंसू ही निकलते रहे देखते हुए, यकीन ही नहीं हो रहा था कि ये तुम हो.‘‘
अनिल नशे में झूमते हुए बोला, ‘’तुम लोग रोते रहो, तुम लोगों को आता ही क्या है. मैं चला सोने.‘‘ अनिल सचमुच जा कर सो गया. सीमा और कोमल हैरान, दुखी सोफे पर बैठ गए. आज दिन का अपनाअपना अनुभव बताती रहीं, सीमा ने जिद कर के कोमल को थोड़ाबहुत खाना खिलाया, कुछ खुद भी खाया और सोने लेट गए.
आज दोनों ने एक बड़ा सा दिन सिर्फ तनाव में बिताया था. अनिल अपने एरिया की किसी धार्मिक समिति का एक सदस्य था, हर छुट्टी में ये लोग कहीं भी मिलते, एकदूसरे को धर्म की अफीम खिलाते, खुद भी खाते, धर्म का नशा इन लोगों के दिमाग पर पूरा असर डाल चुका था. ये लोग इस बात के तर्क का जवाब नहीं दे सकते थे कि कौन सा धर्म सिखाता है कि छोटे बच्चे को चाय पिलाने पर मारा जाए, धर्म की इस दलदल में डूबे लोगों के पास आजकल तर्क का जवाब नहीं होता और यह दलदल जब एक बार इनसान को अपनी गिरफ्त में ले ले तो इनसान की अक्ल भी साथ छोड़ जाती है.
ये लोग जब साथ बैठते, गहन चिंतन होता कि उन का धर्म खतरे में है, कैसे अपने धर्म की रक्षा की जाए, ये सब व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के पढ़े हुए इनसान थे, जिन्हें न कोई इतिहास की जानकारी थी, न कोई तर्कसंगत बात करते, मुगलों के इतिहास की अधकचरा जानकारी पर अपने आसपास नफरतों को फैलाने में आजकल अपना योगदान बढ़चढ़ कर देते.
सोशल मीडिया का एक फायदा तो हुआ कि कुछ लोगों ने इस वीडियो को देख कर जब बच्चे को सपोर्ट करने के लिए अपनी आवाज उठाई, तो प्रशासन और कई समाजसेवी संस्थाएं इस मामले में सामने डट कर खड़ी हो गईं. बच्चे को ढूंढ़ कर उस के इंटरव्यू लिए जा रहे थे, सिर पर पट्टियों और कई चोटों से घायल बच्चा भोलेपन के साथ बता रहा था कि कैसे उसे चाय पिलाने पर मारा गया, जिन में इनसानियत है, उन का दिल इस वीडियो को देख भीगभीग गया और जो अनिल जैसे लोग हैं, वे अनिल को इस कुकृत्य के लिए शाबाशी दे रहे थे.
कोमल आज रोज की तरह जुबैर से सोने से पहले चैट नहीं कर पाई. बस ‘सौरी’ टाइप कर के एक छोटा सा मैसेज उसे भेज दिया. वह भी शायद बेचैन था, उस का मैसेज तुरंत आया, ‘डोंट बी सैड, आई लव यू.‘