Writer- प्रतिभा अग्निहोत्री

देश में आज भी ऐसे लोग हैं जो अजीबोगरीब अंधविश्वासों से घिरे हुए हैं. गरीब टोनाटोटका से घिरे रहते हैं तो पौश वास्तुदोष में फंसे रहते हैं. अधिक दिक्कत इन्हीं शिक्षित पौश लोगों से है जो पढ़लिख कर भी अंधविश्वासों को अपना रहे हैं.

2 वर्ष पहले मेरी सहेली नीमा ने बड़े अरमानों से अपनी सारी जमा पूंजी लगा कर अपने सपनों का आशियाना बनवाया. घर में एकएक चीज उस ने कई माह तक बाजार में घूमघूम कर, चुनचुन कर लगवाई. धूमधाम से गृहप्रवेश कर के खुशीखुशी परिवार सहित घर में रहने आ गई.

अभी एक माह ही हुआ था कि उसे चिकनगुनिया ने आ घेरा. वह अभी पूरी तरह ठीक भी नहीं हो पाई कि उस की सास के बाथरूम में फिसल कर गिर जाने से पैर में फ्रैक्चर हो गया. इसी प्रकार कुछ अन्य छोटीमोटी समस्याएं तकरीबन एक साल तक चलती ही रहीं.

एक दिन उस के पति के एक मित्र मिलने आए. वे बोले, ‘इस घर का नक्शा वास्तु के हिसाब से अनुचित है, इसीलिए इस घर में आने के बाद से ही आप लोग समस्याओं से घिरे हैं. बेहतर है कि आप इसे वास्तु के हिसाब से बनवा लीजिए, सारी समस्याओं का अंत हो जाएगा.’

सहेली के परिवार के मन में यह बात इतने गहरे तक घर कर गई कि 2 माह के अंदर ही उस ने घर खाली कर के किराए पर चढ़ा दिया और अपने पुराने घर में रहने चली गई.

रमेश ने अपनी समस्त जमा पूंजी से एक फ्लैट खरीदा. घर में वृद्ध मातापिता थे, सो हारीबीमारी लगी ही रहती. एक दिन उन के एक वास्तुशास्त्री मित्र आए और बोले, ‘यार, इस घर में वास्तुदोष है. परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए भोजन प्रदान करने वाला अन्नपूर्ण किचन गलत स्थान पर बना हुआ है. तू किचन को कमरा और कमरे को किचन में परिवर्तित करेगा तो वह दोष समाप्त हो जाएगा, वरना तेरे घर में कोई न कोई बीमार ही रहेगा और आर्थिक कष्ट भी रहेगा.’

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