Religion : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत पर टैरिफ का बोझ लाद रहा है और सरकार मंदिर के कौरिडोर बनाने में अपना कीमती समय बरबाद कर रही है. पर उत्तर प्रदेश के वृंदावन में बने श्री बांके बिहारी मंदिर पर अलग ही विवाद खड़ा हो गया है. विवाद यह है कि क्या श्री बांके बिहारी मंदिर एक निजी धार्मिक संस्था है और सरकार बिना अनुमति इस के प्रबंधन में दखल दे रही है?

इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट ने श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन विवाद पर सुनवाई की. दरअसल, याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस नए कानून को चुनौती दी है, जो मंदिर का प्रबंधन एक ट्रस्ट को देने की बात करता है. वकील श्याम दीवान ने आरोप लगाया कि सरकार मंदिर की आय से जमीन खरीदने और निर्माण जैसे काम करना चाहती है, जो कि अनुचित है. यह हमारा निजी धन है, सरकार इसे जबरन ले रही है.

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि कोई भी देवता पूरी तरह निजी नहीं हो सकते. जब लाखों लोग दर्शन करने आते हैं, तो मंदिर को केवल निजी संस्था कैसे कहा जा सकता है?

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मंदिर की कमाई सिर्फ प्रबंधन के लिए नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं और मंदिर क्षेत्र के विकास के लिए भी होनी चाहिए. सरकार की ओर से वकील नवीन पाहवा ने बताया कि सरकार यमुना तट से मंदिर तक एक कौरिडोर बनाना चाहती है, ताकि दर्शन करने वालों को सुविधा मिले. उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर का पैसा केवल मंदिर से जुड़ी गतिविधियों पर ही खर्च किया जाएगा.

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि मंदिर फंड के उपयोग की निगरानी के लिए हाईकोर्ट के किसी रिटायर्ड जज को नियुक्त किया जा सकता है, जो एक न्यूट्रल समिति के अध्यक्ष होंगे.

इस मामले में जो भी अंतिम निर्णय होगा, वह तो भविष्य में पता चलेगा, पर सरकार द्वारा धार्मिक स्थलों को लोगों की भलाई के नाम पर पिकनिक स्पौट बनाना किसी लिहाज से सही नहीं है. उत्तराखंड में हाल ही में जो कुदरती कहर हुआ है, वह धार्मिक स्थलों के कौरिडोर बनाने के नाम पर ही हुआ है. पहाड़ों पर 4 लेन के हाईवे बनाने का क्या तुक है? पहाड़ों पर धमाके कर के निर्माण करना कुदरत को चुनौती देने जैसा है, जिसे वह स्वीकार कर लेती है और उत्तरकाशी के धराली जैसे गांव को लील जाती है.

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