71st National Film Awards : फिल्म जगत से जुड़ा 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा हुई. इस घोषणा के साथ ही देशभर में दबी अस्वीकृति देखने को मिली है, फिर चाहे वह ‘जवान’ के लिए शाहरुख़ खान को मिला पुरस्कार हो या केरला स्टोरी जैसी एजेंडेधारी भड़काऊ फिल्म हो.
‘अंधा बांटे रेवड़िया, अपनोंअपनों को दे’. 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की सूची देखने पर यही कहावत याद आती है. यूं तो देश की सरकारें बदलती रही हैं, मगर हर बार फिल्म पुरस्कार घोषित होने पर विवाद जरुर उठते रहे हैं. अब देश के हालात व सरकार के हालात भी बदले हुए हैं, जिस के चलते 90 प्रतिशत लोगों के मुंह पर ताले पड़ गए हैं. सभी को डर सता रहा है कि कहीं उन्हें देशद्रोही न करार दिया जाए. इसलिए सोशल मीडिया पर भी खामोशी छाई हुई है.
अगर शशि थरुर को नजरंदाज कर दिया जाए तो दक्षिण भारत वह भी केरला राज्य से जरुर विरोध के स्वर उठ रहे हैं, जिन पर इस बार की ज्यूरी के अध्यक्ष आशुतोष गोवारीकर ने भी चुप्पी साध रखी है. उन की तरफ से अब तक कोई सफाईनामा पेश नहीं किया गया. यानी कि नक्कार खाने में कोई आवाज सुनाई नहीं देती. शशि थरुर ने जरुर अभिनेता शाहरुख खान को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार पाने पर बधाई दी है, जबकि उन्हीं के राज्य केरला से तमाम विरोध के स्वर उठ रहे हैं.
हम ने पहले ही कहा कि देश में चाहे जिस दल की सरकार रही हो, पर राष्ट्रीय पुरस्कार निष्पक्ष कभी नहीं रहे. हम आगे बढ़ें उस से पहले एक कटु सत्य की तरफ ध्यान आकर्षित करा देना चाहिए.
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