आयशा ने मौत को गले लगाने से पहले बनाए गए अपने वीडियो से यह जताना चाहा कि उन्होंने अपनी शादी को बचाने की पूरी कोशिश की पर वे नाकाम रहीं, और अब यही आखिरी रास्ता बचा है सब को खुश करने का. पर यह वीडियो सोशल मीडिया पर एक नया ट्रैंड छोड़ गया. यह भविष्य में बड़ा खतरनाक हो सकता है. कहते हैं कि जब कोई टूटा हुआ इंसान मुसकराता है तो और ज्यादा दर्द दे जाता है. 26 फरवरी, 2021 को एक ऐसी ही मुसकराहट किसी ने वीडियो में कैद की और उसे जिसजिस ने भी देखा उस का कलेजा मुंह को आ गया. काले लिबास में सिमटी आयशा नाम की उस महिला ने न चाहते हुए या कहिए अपने पति को अपनी मौत का कंफर्मेशन वीडियो इसलिए भेजा ताकि उसे तसल्ली हो जाए कि पत्नी की खुदकुशी ने उसे इस रिश्ते से आजाद कर दिया है.

आयशा ने वीडियो में कहा, ‘‘अगर वह मुझ से आजादी चाहता है तो उसे आजादी मिलनी चाहिए. मेरी जिंदगी यहीं तक है. मैं खुश हूं कि मैं अल्लाह से मिलूंगी. मैं उन से पूछूंगी कि मैं कहां गलत थी? मुझे अच्छे मांबाप मिले. अच्छे दोस्त मिले. हो सकता है कि मेरे साथ या मेरी नियति में कुछ गलत रहा हो. मैं खुश हूं. मैं संतुष्टि के साथ गुडबौय कह रही हूं. मैं अल्लाह से दुआ करूंगी कि मुझे फिर कभी इंसानों की शक्ल नहीं देखनी पड़े.’’ मूल रूप से राजस्थान की रहने वाली आयशा गुजरात के अहमदाबाद शहर के वातवा इलाके में रह रही थी. साबरमती रिवरफ्रंट (वैस्ट) के पुलिस इंस्पैक्टर वी एम देसाई ने कहा, ‘‘हमें आयशा का फोन मिला है. फोन पर पति के साथ 25 फरवरी को हुई 70 मिनट की बातचीत रिकौर्डेड थी. इस बातचीत के दौरान उस के पति ने कहा था, ‘‘मैं तुम्हें लेने नहीं आऊंगा. तुम्हें अवश्य मर जाना चाहिए. उस समय का वीडियो बना कर मुझे भेजना. उस वीडियो को देखने के बाद ही मुझे तुम्हारे मरने का यकीन होगा.’’ ‘‘इस लड़की ने लंबे समय से पति के साथ चल रहे झगड़े के चलते खुदकुशी की है.’’

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इस के बाद गुजरात पुलिस ने आयशा के पति आरिफ खान को राजस्थान के पाली से गिरफ्तार कर लिया. उस के खिलाफ धारा 306 के तहत खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया. इस पूरे मामले में यह सामने आया कि आयशा की शादीशुदा जिंदगी में सबकुछ ठीक नहीं था. उस के मातापिता का आरोप है कि पति और उस के परिवार वालों की हिंसा के चलते आयशा के बच्चे की पेट में ही मौत हो गई थी. आयशा तो अब इस दुनिया से चली गई है. चूंकि वह अपनी शादीशुदा जिंदगी में बहुत ज्यादा परेशान थी, इसलिए उस ने मर जाना ही बेहतर समझा. पति पुलिस हिरासत में है. पर सवाल उठता है कि आयशा ने मरने से पहले अपना ऐसा मार्मिक वीडियो बना कर समाज को क्या संदेश देने की कोशिश की है? क्या पारिवारिक समस्याओं को निबटाने का यही एक रास्ता बचा है?

आयशा के वीडियो के बारे में ध्यान से देखेंगे तो उस ने जो भी बोला, उस में सब्र रखने की कोशिश की गई. यह जताया गया कि वह बहुत शांत है और उसे मरने से बिलकुल भी डर नहीं लगता है. पर क्या वाकई ऐसा ही था? बिलकुल नहीं. आयशा किसी तरह से मजबूत दिल की नहीं थी. पर चूंकि उस के पति ने मरने का सुबूत मांग लिया था, तो उस ने सोचा कि अब यही सही. इसी तरह अपने पति की मुराद पूरी कर दी जाए. सच कहें तो आयशा के हर कथन से यही झलक रहा था कि वह हिम्मत हार चुकी थी. पति ने उसे भले ही कोई मानसम्मान न दिया हो, दहेज के लिए ताने दिए हों, मारपीट की हो, पर उस के हर तथाकथित जुल्म का यह जवाब किसी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता है.

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वीडियो बनाने की गलती आयशा की खुदकुशी से पहले के वीडियो ने एक नई तरह की बहस को जन्म दे दिया है. सोशल मीडिया पर इस तरह के ट्रैंड जंगल की आग की तरह बड़ी तेजी से फैलते हैं. हो सकता है कि भविष्य में लोग अब अपनी खुदकुशी वाले वीडियो पोस्ट करने लगेंगे. अपनी मौत का मजा लेने का तरीका समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. एकदम फिल्मी मौत की तरह कि अगर तुम 5 मिनट में मुझे बचाने नहीं आए तो मैं अपनी जान दे दूंगा या दे दूंगी. खुदकुशी करने के मामले अभी कौन से कम हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लूएचओ के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल तकरीबन 8 लाख लोग खुदकुशी करते हैं. नैशनल क्राइम रिकौर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में खुदकुशी के मामलों में 3.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018 में कुल 1,34,516 लोगों ने खुदकुशी की जो साल 2017 के 1,29,887 खुदकुशी के मामलों के मुकाबले 3.6 फीसदी ज्यादा रही.

साल 2019 में कुल 1,39,123 लोगों ने खुदकुशी की थी. साल 2020 में कोरोना महामारी के बाद लगे लौकडाउन के दौरान लोग घरों में रहे. इस से उन के कामधंधे प्रभावित हुए, जिस से लोगों में डिप्रैशन बढ़ा. जो लोग इस तनाव को झेल नहीं पाए, उन्हें इस से छुटकारा पाने के लिए अपनी जिंदगी से ज्यादा मौत आसान लगी. पर वे भी आयशा की तरह गलत थे. मनोविज्ञानी डाक्टर पुलकित शर्मा ने इस सिलसिले में बताया, ‘‘आयशा ने अपनी खुदकुशी से पहले जो वीडियो बनाया उसे किसी भी नजरिए से सही नहीं ठहराया जा सकता. जिंदगी का अंत समस्याओं का अंत नहीं है, बल्कि इस से तो उन लोगों की समस्याएं बढ़ जाती हैं जो किसी न किसी तरह खुदकुशी करने वाले से जुड़े होते हैं. ‘‘अगर आयशा की मनोस्थिति की बात करें तो बहुत से लोग जो सारी उम्र दुनियाभर के लिए अनजान होते हैं, उन के मन के किसी कोने में यह भाव दबा रहता है कि मरने के बाद ही लोग हमदर्दी जताने के बहाने उन्हें याद रखें.

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अब चूंकि मोबाइल फोन हाथ में रहता है तो वीडियो बना कर अपने साथ हुई ज्यादतियों को लोगों के सामने रखने से उन से हमदर्दी मिलने की ज्यादा उम्मीद रहती है बजाय सुसाइड नोट लिखने के. नोट में आप की भावनाएं तो जाहिर हो जाती हैं पर आप दिखने में कैसे हैं, किस पीड़ा से गुजर रहे हैं, आप के हावभाव कैसे हैं, यह वीडियो से ज्यादा हाईलाइट होता है. ‘‘मेरा मानना है कि यह ट्रैंड समाज के लिए खतरनाक है. आयशा की समस्याएं बहुत बड़ी रही होंगी, पर डिप्रैशन का यह दौर उस की जिंदगी में हमेशा रहेगा और मौत ही इस का हल है, उस की यह सोच सही नहीं थी, क्योंकि जिस तरह एक मौसम के बाद दूसरा मौसम बदलता है, वैसे ही डिप्रैशन का फेज भी हमेशा नहीं रहता. हर किसी की जिंदगी में बुरा दौर आता है, पर थोड़ी सी हिम्मत के साथ उस का सामना करने से वह समय भी टल जाता है.

‘‘आयशा को उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए थी, क्योंकि बहुत से लोग अब उस के किए को जायज ठहराएंगे और अगर कोई उसी की राह पर चलेगा तो यह समाज के लिए कतई सही नहीं होगा. अगर किसी के मन में अपनी जान देने का खयाल आता है तो वह अपनी पिछली जिंदगी के उन अच्छे पलों को जरूर याद करे जब उस के लिए यह दुनिया और अपने ही सबकुछ थे. इस से उसे अपनी मौत के खयाल से पीछे हटने में मदद मिलेगी.’’ लेकिन जिंदगी खत्म करने का यह तरीका एकदम गलत है. अगर आप की जिंदगी में कुछ भी सही नहीं चल रहा है या कोई है जो आप से हद तक नफरत करता है तो क्या उस के लिए अपनी जिंदगी को खत्म कर लेना चाहिए? नहीं, क्योंकि मौत किसी भी समस्या का हल नहीं हो सकती. जिंदगी का मतलब ही उतारचढ़ाव है, फिर गिरने पर कैसा घबराना. तनाव और हताशा में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए.

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