दाद देनी होगी न्यूज चैनल्स और विभिन्न एजेंसियों की जिन्होंने इतनी शिद्दत से नमक हलाली निभाईं कि नमक हलाल फिल्म के अमिताभ बच्चन और सुरेश ओबराय भी शर्मा जाएं. जो सर्वे दिखाये गए वें भाजपा और एनडीए समर्थकों के कलेजे को ठंडक पहुंचाने वाले हैं, पौराणिक भाषा में कहें तो हृदय और मस्तिष्क को शीतलता देने वाले हैं जिन्होंने जोड़-तोड़ और तोड़-मरोड़ कर साबित कर दिया हैं कि ऐसे मानो, चाहे वैसे मानो आएंगे तो मोदी ही. अच्छा तो यह रहा कि किसी ने यह नहीं कहा कि उसके आंकड़े वोटरों से की गई बातचीत पर आधारित न होकर सीधे वैकुंठ से आए हैं इसलिए इन पर शक शुबहा नहीं किया जाना चाहिए यह अधर्म और पाप होगा.
इन पोलों में कई पोल हैं जिन्हें देख मीडिया के कारोबारियों पर तरस और हंसी दोनों आते हैं . एक चैनल ने धमाका सा किया कि भाजपा उत्तर प्रदेश में केवल 22 सीटें ले जा पा रही हैं लेकिन उसके बगल वाले चैनल का एंकर नुमा पत्रकार या पत्रकार नुमा एंकर स्पीकर फटने की हद तक चिल्ला रहा थे कि भाजपा वहां 50 से भी ज्यादा सीटें ले जा रही है. अब देखने वाला बेचारा फंस गया कि किसे सच और किसे गप्प माने. एक राज्य में एक पार्टी को मिल रही सीटों में 5-10 का अंतर आए तो बात हजम होती है पर यहां तो अंतर मानव कल्पना से भी परे आ रहा है. एक चैनल की निगाह में भाजपा बंगाल में 8-10 सीटें ही ले जा पा रही है तो दूसरे की निष्ठा उसे 20 पार करा रही है.