उत्तर प्रदेश सरकार जिस समय अपराध रोकने के आंकड़े जारी कर रही थी. ठीक उसी समय राजधानी लखनऊ से 40 किलोमीटर दूर लखनऊ-रायबरेली की सीमा पर स्थित दखिना शेषपुर टोल प्लाजा पर दिन दहाड़े नकाब पोश लोगों ने रायबरेली की विधायक अदिति सिंह की गाड़ी पर हमला किया.

जिला पंचायत सदस्य का अपहरण कर उसको अधमरा करके हरचंदपुर बाजार के पास फेंक दिया. इस घटना का सबसे बदनुमा पक्ष यह था कि पुलिस प्रशासन ने पूरी घटना को पहले एक दुर्घटना साबित करने की कोशिश की. टोल प्लाजा के सीसीटीवी फुटेज के सामने आने के बाद पुलिस के आला अफसर तेजी में आयेराय बरेली की घटना और कांग्रेस विधायक पर हमले के मामले में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के निंदा की. रायबरेली की विधायक अदिति सिंह ने कहा कि यह मेरे उपर हमला था.

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पूरा मामला रायबरेली जिला पंचायत अध्यक्ष पद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव से जुड़ा था. जिला पंचायत सदस्य जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में वोट ना दे सकें. इसके कारण यह हमला हुआ. भाजपा बंगाल में चुनावी हिंसा को लेकर तमाम तरह के आरोप लगा रही है.

रायबरेली की घटना बताती है कि चुनाव की हर हिंसा सत्ता के द्वारा ही पोशित होती है. केवल जगह के हिसाब से किरदार बदल जाते हैं. योगी सरकार ने अपनी सरकार के द्वारा अपराध रोकने के प्रयासों को बताते हुये आंकड़े जारी किये. जिनको देखकर हर कोई यह कह सकता है कि बदमाशों में सत्ता का खौफ है.

सड़क पर इस तरह के हमले बताते हैं कि बहुत सारे प्रयासों के बाद भी बदमाश बेखौफ हैं. योगी सरकार के आंकड़े बताते हैं कि 73 अपराधी मारे गये, 3599 एनकांउटर हुये, एनकांउटर में 8251 अपराधी पकड़े गये, 1059 पुलिस वाले इन घटनाओ में घायल हुये, 4 पुलिस कर्मी शहीद हुये, 13866 अपराधी जमानत कैंसिल कराकर जेल गये, 1 लाख के 3 इनामी मारे गये, 50 हजार के 29 इनामी मारे गये, 6010 पर एंटी रोमियो काररवाई, 13602 पर गैंगस्टर, 67 करोड की संपत्ति जब्त, 1391 के खिलाफ गैंगस्टर और 15629 के खिलाफ गुंडा एक्ट के खिलाफ कररवाई हुई. आंकड़े अपनी जगह है और अपराध की सच्चाई अपनी जगह. हर सरकार अपने समय ऐसे आंकडे जारी करती हैं. आंकडों में कभी भी किसी सरकार को नाकाम होते नहीं दिखाया जाता है. इसके बाद भी जनता सच को समझती है. आज हत्या, बलात्कार, लूट, चोरी, धोखाधडी, जमीनों पर कब्जे की घटनायें जनता को परेशान कर रही है. दूसरी ओर राजनीति से प्रेरित रायबरेली जैसी घटनायें भी घट रही है. इससे साफ है कि आंकडे बाजी और एनकाउंटर से अपराध रूकने वाले नहीं है.

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