उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के लिये ‘युवा महोत्सव’ का महत्व ‘लखनऊ महोत्सव‘ से अधिक है. इस कारण युवा महोत्सव के लिये 45 साल पुराने लखनऊ महोत्सव को स्थगित कर दिया गया है. योगी सरकार के लिये युवा महोत्सव का प्रभाव इसलिये अधिक है क्योकि यह स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन 12 जनवरी से 16 जनवरी के आयोजित हो रहा है. योगी सरकार के लिये यह हिन्दुत्व और वोटबैंक से जुड़ा मुद्दा है.

केवल कला और संस्कृति का मंच नहीं

‘लखनऊ महोत्सव‘ केवल कला और संस्कृति का मंच नहीं था इसमें लगने वाले स्टाल लोगों के रोजगार का साधन भी थे. पर्यटन विभाग के आंकडे बताते है कि लखनऊ घूमने आने वाले पर्यटको की संख्या सबसे अधिक इस दौरान ही होती रही है. उत्तर प्रदेश की ‘योगी सरकार’ ने 45 साल पुराने ‘लखनऊ महोत्सव‘ को महत्व नहीं दिया. उसके आयोजन के समय में बदलाव किया.

दिसंबर में भी स्थगित हुआ था ‘लखनऊ महोत्सव’

2019 का ‘लखनऊ महोत्सव‘ स्थगित कर दिया गया. पहले यह महोत्सव 25 नवम्बर से 5 दिसंबर के बीच आयोजित होना था. अयोध्या मुकदमें के फैसले के मददेनजर इसके आयोजन के समय को बदल कर जनवरी 2020 कर दिया गया. सारी तैयारी पूरी होने के बाद अचानक 06 जनवरी को ‘लखनऊ महोत्सव‘ के आयोजन को स्थगित कर दिया गया. ‘लखनऊ महोत्सव‘ के स्थगित होने का कारण 12 जनवरी स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस से आयोजित होने वाला ‘युवा महोत्सव’ है. योगी सरकार युवा महोत्सव को पूरे धूमधाम से आयोजित करना चाहती है. युवा महोत्सव की तैयारी में कोई चूक ना हो जाये इस कारण ‘लखनऊ महोत्सव‘ को स्थगित कर दिया गया.

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लखनऊ की पहचान है ‘लखनऊ महोत्सव

‘लखनऊ महोत्सव‘ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की पहचान रहा है. लखनऊ महोत्सव का आयोजन हर साल 25 नवंबर से 5 दिसम्बर के बीच किया जाता है. 10 दिन का यह महोत्सव का आयोजन यूपी पर्यटन विभाग और लखनऊ जिला प्रशासन संयुक्त रूप से करते रहे है. इसमें उत्तर प्रदेश की कला और संस्कृति को प्रर्दशित किया जाता था.

साल 1975 में हुई थी शुरुआत

लखनऊ महोत्सव की शुरुआत सन् 1975-76 में हुई थी. जब दक्षिण एशियाई पर्यटन वर्ष मनाया गया था. लखनऊ में पर्यटन का सबसे अच्छा समय नवम्बर से फरवरी तक होता है. इसको विंटर टूरिज्म से जोड कर देखा जाता है. इस महोत्सव के बहाने देश-विदेश के पर्यटक लखनऊ की कला, संस्कृति और पर्यटन से रूबरू होते रहे है.

पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया शुरू

पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘लखनऊ महोत्सव’ को वार्षिक महोत्सव के रूप में आयोजित करने का निर्णय लिया गया था. जिसके बाद से ही हर साल लखनऊ महोत्सव का आयोजन बड़ी धूमधाम के साथ किया जाता है. नवाबों का शहर लखनऊ अपनी वेशभूषा के साथ-साथ अपनी अदब वाली बोली और विभिन्न प्रकार के खान-पान के लिए भी प्रसिद्ध है. लखनवी कबाब और शाही पान का एक अलग ही स्वाद रहा है. लखनऊ को नवाबी शहर भी कहा जाता है.

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कला संस्कृति ही नहीं रोजगार का भी साधन

लखनऊ की इसी झलक को दिखाने के लिए हर साल लखनऊ महोत्सव का आयोजन किया जाता है. लखनऊ महोत्सव में ना केवल लखनऊ की झलक मिलती है बल्कि, पूरे भारत की संस्कृति यहां दिखती है. इस महोत्सव में कई रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं. यहां लखनवी व्यंजनों, प्रर्दशनियों के साथ एक्का दौड़, पतंग उड़ाने की प्रतियोगिता, मुर्गा लड़ाई और अन्य पारंपरिक ग्रामीण खेलों से दर्शकों को रोमांचित किया जाता है. इनके जरिए लखनऊ में नवाबी रंग फिर से घोला जाता है ताकि लोग यहां की संस्कृति, सभ्यताओं से जुड़े रहें.

‘लखनऊ महोत्सव’ के बहाने केवल कला संस्कृति ही नहीं तमाम तरह के स्टाल लगाकर लोगों को रोजगार के लिये मौका दिया जाता था. जनवरी 2020 में आयोजित होने वाले लखनऊ महोत्सव में स्टाल की संख्या बढ़कर 8 सौ कर दी गई थी. इसमें चिकनकारी के साथ ही साथ उत्तर प्रदेश की मशहूर चीजें यहां मिलती रही है. ‘लखनऊ महोत्सव’ देश-विदेश में काफी प्रसिद्ध है. ‘लखनऊ महोत्सव’ से यहां का पर्यटन बढ़ता रहा है.

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