फिल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण धर्म के निशाने पर है. सोशल मीडिया पर उनकी रीलिज होने वाली फिल्म ‘छपाक’ के बायकौट की मुहिम चलने लगी. दीपिका को ‘स्वर्ण कलश भरा जहर’ कहा जाने लगा. जेएनयू जाने पर दीपिका को घेरने के लिये फिल्म ‘छपाक’ के किरदार के नाम को लेकर बहस तेज हो गई है. इस बात पर बहस तेज हो गई है कि तेजाब कांड करने वाला नदीम है या राजेश. दीपिका के जेएनयू जाने का विरोध करने वाला खेमा मानता है कि फिल्म में किरदार के नाम बदल दिये गये है. फिल्म में सारा विवाद अब ‘राजेश और नदीम’ के नाम को लेकर हो गया है. इस तरह दीपिका के जेएनयू जाने को धर्म से जोड़ दिया गया है. धर्म और जेएनयू के एक साथ आने से दीपिका का विरोध तेजी से बढ़ गया है.

धर्म का विरोध करने वालों के खिलाफ काम करने वाली ’ट्रोल सेना’ सोशल मीडिया पर तेजी से सक्रिय हो गई. असल में धर्म के नाम पर विरोध करने वालों को घेरना सबसे सरल काम हो गया है. धर्म के आधार पर ही लोगों को ‘राष्ट्र विरोधी’, ’देशद्रोही’ साबित करना ’ट्रोल सेना’ के लिये सरल हो जाता है. यह ’ट्रोल सेना’ का कमाल है कि जेएनयू और जामिया जैसे कालेजों में पढने वाले देश द्रोही समझे जाने लगे है. दीपिका ने जेएनयू जाकर केवल पीड़ित छात्रों से मुलाकात की. दीपिका को यह पता था कि जेएनयू जाते ही एक विवाद खड़ा हो जायेगा. जो उनकी फिल्म के लिये एंटी पब्लिसिटी भी हो सकती है.

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धर्म का विरोध कई कलाकारों पर पहले भी भारी पड़ चुका है. क्रिकेटर और नेता नवजोत सिंह सिदधू ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मिलने गये तो सोशल मीडिया पर एंटी पब्लिसिटी का शिकार हो गये. हालात यहां तक खराब हुये कि ‘कपिल शर्मा के कामेडी शो से उनको बाहर कर दिया गया. आमिर खान और शाहरूख खान जैसे तमाम कलाकारों को ‘इंटौलरेंस’ के संदर्भ में दिये गये बयानों के कारण सोशल मीडिया पर ’ट्रोल सेना’  शिकार हो जाना पड़ा. धर्म के विरोध पर दूसरों का विरोध करने वाली ’ट्रोल सेना’ अब पाकिस्तान, राष्ट्रवाद, जेएनयू, और टुकड़े टुकड़े गैंग के नाम पर भी ट्रोल करने लगी है.

दीपिका को यह पता था. इसके बाद भी वह जेएनयू गई. यह उनके साहस का कमाल था. जेएनयू में जाने के बाद दीपिका भले ही कुछ बोली नहीं उनका जाना है ’ट्रोल सेना’ के लिये एक जरीया बन गया. ’ट्रोल सेना’ के पीछे खडे लोगों ने दिल्ली के चुनाव में इस मुददे का लाभ लेने के लिये मामलें को धर्म से जोड़ दिया और दीपिका को लेकर बुरा भला कहने लगे. दीपिका को ’ट्रोल’ करते समय यह भूल गये कि वह यही दीपिका है जिसको कभी वह लोग हीरोइन मानते थे. उसके अभिनय की तारीफ करते थे. कई तरह के छोटे बड़े पुरस्कार भी उसको मिल चुके है.

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जेएनयू जाने के बाद दीपिका ही नहीं ‘एसिड विक्टिम्स’ पर भी सवाल खड़े हो रहे है. दीपिका का विरोध करने वाले यह सवाल उठा रहे है कि फिल्म चलाने के लिये तेजाब से पीडित चेहरों का सहारा लिया जा रहा है. ‘छपाक’ फिल्म के जिस विषय की संवेदनशीलता पर चर्चा होनी चाहिये वह चर्चा अब ‘राजेश और नदीम’ पर होने लगी है. चर्चा इस बात की भी हो रही है कि दीपिका को टुकड़े टुकड़े गैंग से जोड़कर देखा जा रहा है. हीरोइन दीपिका अब विलेन नजर आने लगी है.

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