उत्तर प्रदेश की विधानसभा की दीवार पर चढ़ कर किसान आन्दोलन का समर्थन कर रहे समाजवादी पार्टी के विधायकों को देखकर लग रहा था जैसे पंजाब के निकाय चुनाव में उनकी पार्टी जीती हो. इस बात का जवाब देते विधायक अम्बरीश सिंह ‘पुष्कर’ कहते है ‘पंजाब में भाजपा की हार ने यह बता दिया है कि उसे हराया जा सकता है. इससे विपक्ष की लडाई को बल मिलता है. पूरे प्रदेश के किसान भाजपा को सबक सिखाने के लिये अवसर की तलाश में है.’ अम्बरीश सिंह ‘पुष्कर’ ऐसे विधायक है जो 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के खिलाफ माहौल के बाद भी जीतने में सफल रहे थे.

पंजाब के निकाय चुनाव के फैसले ने राजनीतिक दलों को नई ताकत दी है. उनके अंदर आत्मविश्वास भर दिया है. यह माना जा रहा था कि किसान आन्दोलन के साथ राजनीतिक दलों के जुड़ने से किसानो की ताकत कमजोर होगी. केन्द्र सरकार को किसान आन्दोलन को खत्म करना सरल हो जायेगा. ऐसे में किसानों ने अपने आन्दोलन में राजनीतिक दलों को जुडने नहीं दिया. मंच के नीचे बैठे राजनीतिक दल भी नहीं समझ पा रहे थे कि किसान आन्दोलन में वह कैसे जुडे ? किसान आन्दोलन के बीच पूरे हुये पंजाब के निकाय चुनावों के फैसलों ने बता दिया कि किसान आन्दोलन का राजनीतिक प्रभाव पड़ेगा. किसान आंदोलन में सबसे मुखर रही कांग्रेस को पंजाब में सबसे अधिक लाभ मिला.

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आने वाले एक साल में 5 राज्यों पंजाब, उत्तर प्रदेश,  पश्चिम बंगाल, असम और पाडूंचेरी में विधानसभा चुनाव होने जा रहे है. इनमें से पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और असम में किसान आन्दोलन का प्रभाव पड़ने का आंकलन किया जा रहा है. पश्चिम बंगाल और असम में भाजपा वोट के धार्मिक धुव्रीकरण का प्रयास कर रही है. जिससे किसानों का प्रभाव कम से कम पड़ सके. पंजाब और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में किसान आन्दोलन का प्रभाव सबसे अधिक पड़ेगा. उनमें भी उत्तर प्रदेश के अगर जाट लैंड में भाजपा को सबसे अधिक खतरा दिख रहा है. किसानों की एकजुटता परेशानी का सबसे बडडा सबब बन रही है.

मंहगाई और किसान आन्दोलन बना मुददा:

पंजाब के परिणाम कांग्रेस को उर्जा दे गये उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को भी यह समझ गया कि किसानों के साथ खड़े होने से उत्तर प्रदेश में अपनी खोई जमीन को फिर से हासिल किया जा सकता है. समाजवादी पार्टी विधायकों की संख्या और जनाधार के आधार पर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस से बेहतर है. समाजवादी पार्टी के विधायक अम्बरीश सिंह ‘पुष्कर’ कहते है ‘हमने गांवों में किसानों के साथ संपर्क बनाये रखा है. पंजाब में जिस तरह से भाजपा को हार का सामना करना पडा उससे साफ हो गया कि किसान गुस्से में है. वह भाजपा को सबक सिखाने के मूड में है. यह भी तय हो गया कि किसानों को राममंदिर और धर्म के सहारे भाजपा जोड़ कर नहीं रख सकती. पेट्रोल डीजल के बढ़ते दाम, मंहगाई को बढ़ा रहे है. बेरोजगारी चरम पर है. सबसे अधिक किसानों का जिस तरह से अपमान हुआ वह भूलने वाली बातें नहीं है. केन्द्र सरकार ने किसानों को सड़क पर घेरने के लिये जो कीलें गाड़ी वह किसानों के दिल पर गड़ी है.’

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18 फरवरी को उत्तर प्रदेश में विधानसभा का सत्र शुरू हुआ. विधानसभा पर सपा-कांग्रेस के विधायक हंगामा और धरना प्रदर्शन ना कर सके इसके लिये योगी सरकार ने विधानसभा को छावनी में बदल दिया. पूरे विधानसभा भवन को पुलिस के द्वारा घेर दिया गया. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोबिन्द चौधरी ने कहा बताया कि ‘योगी सरकार अपने जनविरोधी कार्यो पर पर्दा डालने के लिये मीडिया को भी विधानसभा की प्रेस गैलरी में बैठने की अनुमति नहीं दी. यह लोकतंत्र के चौथ स्तंभ पर हमला है.’ सपा और कांग्रेस के विधायक टैक्टरों पर गन्ना लेकर विधानसभा के अंदर जाना चाहते थे पर पुलिस ने विधानसभा के बाहर ही गेट नम्बर -1 पर रोक दिया. यहां पर सपा विधायको ने विधानसभा की बाउंड्री चढ़ कर नारे लगाने का काम किया. प्ले कार्ड लहराया. पुलिस विधायको पर भले ही हमला करने से डर गई पर टैक्टर चालको की पिटाई कर दी. टैक्टरों का चालान भी कर दिया.

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विधानसभा घेराव को रोकने के लिये विशेष पुलिस बल:

विधायको के प्रदर्शन से निपटने के लिये योगी सरकार ने एक नई पुलिस व्यवस्था को आनन फानन में तैयार कर लिया. इसका नाम यूपी एसएसएफ यानि उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल रखा गया है. इसको सीआईएसएफ की तर्ज पर बनाया गया है. इस दिशा में योगी सरकार पहले से तैयारी कर रही थी. इसकी एक साथ 5 बटालियन को बनाने की योजना थी. विधानसभा सत्र में विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुये केवल एक बटालियन का ही गठन कर लिया गया. अभी यूपी एसएसएफ की नियमावली भी नहीं बनी है और कैबिनेट ने इसको पास भी नहीं किया है. इसके लिये 100 करोड़ का बजट रखा गया है. इसका काम अति संवेदनशील स्थानों की रक्षा करने का है.

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पंजाब के फैसले से घबराया जाट लैंड:

पंजाब के 7 नगर निगम को कांग्रेस ने जीत कर अपना दबदबा साबित किया. यह मोगा, होशियारपुर, कपूरथला, बठिंडा, पठानकोट, बटाला और अबोहर शामिल है. यहां कांग्रेस की जीत को भी मीडिया में उतनी जगह नहीं मिली जितनी हैदराबाद नगर निगम को लेकर होहल्ला मचा था. सोशल मीडिया पर भाजपा की आईटी सेल ने निकाय चुनाव को नकार दिया. यह मैसेज वायरल किये गये कि पंजाब में भाजपा कभी नहीं मजबूत थी ऐसे में वह कमजोर हो गई यह थ्योरी गलत है. उपर से भाजपा में सब षंात था पर अंदरखाने भाजपा इन चुनाव परिणामों को लेकर बेहद गंभीर थी. शाह-नड्डा की जोडी ने पंजाब की जगह पष्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट नेताओं की क्लास लेनी शुरू कर दी.

भाजपा की चिंता का कारण यह है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश की जाट बेल्ट है. राजस्थान, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश की जाट बेल्ट में 40 लोकसभा की सीटे आती है. जिन पर किसान आन्दोलन का प्रभाव तय माना जा रहा है. गांवगांव खाप पंचायते और महापंचायतें एकजुट हो रही है. यह केन्द्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों से गुस्से में है. शाह-नड्डा की जोडी ने केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और उत्तर प्रदेश के कृषि राज्य मंत्री संजीव बालियान के साथा चर्चा करके अपनी चिंता व्यक्त की. पष्चिम उत्तर प्रदेष में 20 साल से पत्रकारिता कर रहे रवि सिंह ने बताया कि ‘भाजपा के स्थानीय नेताओं ने अपने हाई कमान को बताया है कि अगर राकेश टिकैत की अगुवाई वाला किसान आन्दोलन चलता रहा तो उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों पर इसका असर पडेगा. उत्तर प्रदेश में 2022 के फरवरी माह में विधानसभा के चुनाव है. चुनावी साल में किसान का हाल बेहाल होने से किसान भाजपा के पक्ष में नहीं होगा.’

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भीम आर्मी को नई पहचान:

भाजपा के लिये सबसे खतरे की बात यह है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में चैधरी अजीत सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल और चन्द्रशेखर रावण की भीम आर्मी का प्रभाव बढ़ता जा रहा. लोकदल नेता जयंत चैधरी की सभाओं में भीड़ बढ़ गई है. भीम आर्मी के नेता चन्द्रशेखर रावण को टाइम पत्रिका के 100 उभरते लोगों में जगह मिली है. उत्तर प्रदेश और केन्द्र में भाजपा की सरकार होने और पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसी भी भाजपा नेता को प्रभाव न बनने से पार्टी की पकड़ ढीली पड़ रही है. भाजपा ने कुछ सालों में जाट बिरादरी में जो जनाधार बढ़ाया था वह खत्म होता दिख रहा है. भाजपा में स्थानीय नेताओं की अपनी इमेज इस कारण भी नहीं बन रही क्योकि सभी शाह-मोदी और योगी के प्रभाव में दबाये जा रहे है. उनको अपने फैसले नहीं करने दिये जा रहे. भाजपा के लोकल नेता मानते है कि किसान आन्दोलन पश्चिम उत्तर प्रदेश पर अपना असर डालेगा.

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