दरअसल,उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनाव परिणाम के पश्चात देश में जो हवाएं बह रही है उसके मुताबिक कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में तो कांग्रेस को खोने के लिए कुछ भी न था, मगर उत्तराखंड, पंजाब और गोवा की हालत कांग्रेस के ताबूत पर एक कील के रूप में देखी जा रही है. ऐसी स्थितियों में इस रिपोर्ट में हम उन महत्वपूर्ण तथ्यों पर नजर डाल रहे हैं जिससे आने वाले समय में कांग्रेस मजबूत होती है.
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों में कांग्रेस के सुपड़ा साफ होने के बाद राहुल और प्रियंका गांधी जैसे शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठ खड़े होने की संभावना है.
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कांग्रेस शासित पंजाब जिसे बड़े ही राजनीतिक सूझबूझ के साथ अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस की झोली में डाला था हाथ से निकल गया है. पंजाब की सबसे बड़ी ताकत अकाली दल उसके बाद भाजपा की जगह अगर अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी ने सत्ता पर कब्जा बनाया है तो सवाल खड़े हो जाते हैं कि कांग्रेस 5 साल आखिर क्या कर रही थी?
पंजाब में जिस तरीके से गुटबाजी अपने उफान पर थी नवजोत सिंह सिद्धू लगातार हाईकमान को आंखें दिखा रहे थे. मुख्यमंत्री को औकात दिखाने की कोशिश जारी थी और यह सब छुपी हुई बातें नहीं बल्कि देश की नजरों के सामने चल रही थी. इस नाटक को रोक पाने में राहुल और प्रियंका गांधी नाकाम रहे. यही हालात उत्तराखंड में भी चल रहे थे. परिणाम स्वरूप वही हुआ जिसकी आशंका थी पंजाब और उत्तराखंड दोनों ही महत्वपूर्ण राज्य कांग्रेस के हाथ से निकल गए हैं अब चिंतन का विषय यह है कि राहुल गांधी जो कांग्रेस से पहले ही एक तरह से हाशिए पर स्वयं चले गए हैं यानी कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ चुके हैं क्या कदम उठाते हैं.
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प्रियंका का राजनीतिक पाठ
उत्तर प्रदेश का अति महत्वपूर्ण चुनाव इस दफे पूरी तरीके से प्रियंका गांधी के हाथों में था. शुरुआत में उन्होंने उत्तर प्रदेश के साथ पूरे देश में यह संदेश दिया कि कांग्रेस बड़ी ताकत के साथ आगे आ रही है उनकी घोषणाओं वक्तव्यों को लोगों ने बड़ी गंभीरता से लिया जिसमें उन्होंने कहा था कि मैं लड़की हूं और लड़ सकती हूं.
जिस राजनीतिक परिपक्वता का परिचय प्रियंका गांधी को देना चाहिए था उसमें चूक हो गई. चुनाव के दरमियान जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा था कि क्या आप मुख्यमंत्री पद की दावेदार हैं तो प्रियंका ने इशारे इशारे में कहा था कि कौन दिखाई दे रहा है और कोई है क्या?
इस बात का उत्तर प्रदेश सहित संपूर्ण देश में एक सकारात्मक प्रभाव गया था. मगर चंद घंटों बाद ही उन्होंने यह बयान वापस ले लिया. सच तो यह है कि इसके बाद से ही उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पीछे पीछे और पीछे होती चली गई.
मुख्यमंत्री वाले बयान पर अगर प्रियंका गांधी कायम होती तो निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का चित्र बदल सकता था. कांग्रेस को चाहिए कि वह अनुभवी साथियों को तवज्जो दें और पार्टी संगठन को मजबूत बनाने का प्रयास करें.
अन्यथा आने वाले समय में कांग्रेस देश के राजनीतिक नक्शे से ही गायब न हो जाए.
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यहां गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के यूपी में पार्टी की कमान संभालने के बावजूद राज्य में कांग्रेस का मत फीसद आधा रह गया. इस बार पार्टी यूपी में तीन फीसद मत हासिल करने में यूपी नाकाम रही है.
उल्लेखनीय है कि पंजाब जहां कांग्रेस सत्ता में थी, वहां कांग्रेस का मत फीसद 2017 में 38.5 फीसद से गिर कर 2022 में 23.3 फीसद हो गया . इसके अतिरिक्त 2017 में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी कांग्रेस गोवा और मणिपुर में दूसरे पायदान पर खिसकने से पार्टी के मत फीसद में भी गिरावट आई है. मणिपुर में कांग्रेस का वोट मत फीसद 2017 में 35.1 फीसद था, 2022 में आधा होकर 17 फीसद रह गया .