सत्ता चाहे वह कोई भी हो, कभी किसी राजा, महाराजा की या फिर आज के भाजपा की चुनी हुई नरेंद्र दामोदरदास मोदी सरकार की. जिस पर कृपा हो जाए वह निहाल हो जाता है. मालामाल हो जाता है. और यही हुआ है कश्मीर फाइल्स  फिल्म के साथ.

विवेक अग्निहोत्री की मूवी "कश्मीर फाइल्स" 12 करोड़ में बनकर तैयार हुई और सत्ता के आशीर्वाद से रिकॉर्ड तोड़ कमाई की ओर आगे बढ़ती जा रही है.

मगर इसके साथ देश में मचे बवाल का सार यह है- जो यह मूवी नही देखेगा, वह देशभक्त नही है. ऐसा नैरेटिव भी बिल्ड किया जा रहा है. यह एक  संवेदनशील मुद्दा था और अपरिपक्व ऑडियंस के आगे इसे और ज्यादा अपरिपक्वता से परोसा गया. परिणामस्वरूप समाज में ध्रुवीकरण बढ़ेगा और बीच की दीवार और ज्यादा चौड़ी  होगी  अंततः इसका लाभ किसको होगा वोटों की फसल कौन काटेगा और सबसे बढ़कर संप्रदायिकता की आंच फैलाकर देश पे सत्ता संचलन की किस की मंशा है यह भी जगजाहिर है.

दरअसल, कश्मीर पंडितों की  कहानी इस मूवी में अति रंजना के साथ दिखाई गई है. और यही खेल आज हमारे देश में भाजपा खेल रही है- जहां ब्राह्मण, पिछड़ा वर्ग, मुस्लिम के साथ एक खेल करके अपनी कुर्सी बचाए रखने का खुला खेल.

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मजेदार बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार यह चाहती है कि यह फिल्म हर देशवासी को देखनी चाहिए इसे राज्य टैक्स फ्री कर दे, मगर इसके लिए खुद आगे नहीं आ रही है. यह भी दोहरा चरित्र ही तो है.

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