शायद आपको पता नहीं हो, मगर यह सच है कि जिस दिन से पांच राज्यों का चुनाव का आगाज हुआ है देश में पेट्रोल और डीजल के दामों में मानो ब्रेक लग गया है.

इसका सीधा सा मतलब यह है कि केंद्र सरकार यह जब कहती है कि पेट्रोल-डीजल के दाम हमारे हाथों में नहीं है यह तो कंपनियां तय करती है, तो वह सफेद झूठ कहती है.

हम आपको अभी से बताते चलें कि जैसे ही उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्य की विधानसभा चुनाव संपन्न होंगे पेट्रोल डीजल के दाम फिर बढ़ने लगेंगे.

इस घटनाक्रम से संपूर्ण सत्य का उद्घाटन हो जाता है और सबसे बड़ी बात यह है कि केंद्र सरकार हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी की भाजपा सरकार का एक ऐसा सच उद्घाटित होता है जिससे यह पता चलता है कि एक रणनीति के तहत सारा खेल चलता रहता है. और भोले भाले नागरिक, अंधभक्त किसी दूसरी दुनिया में विचरण करते रहते हैं.

हम अगर यह कहे कि महंगाई एक सच है तो फिर सरकार को  भी इसके लिए तैयार रहना चाहिए कि वह देश की आम जनता को यह समझा सके कि सच क्या है और राहत भी दे सकें. इसके लिए एक चुनी हुई सरकार को ईमानदार सरकार की भूमिका का निर्वहन करना होगा.

आम जनमानस को यह महसूस होना चाहिए कि चुने हुए प्रतिनिधि सच्चे अर्थों में हमारा प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, हमारे सुख दुख में भागीदार हैं. हमारे हित में निर्णय कर रहे हैं मगर आजादी के बाद धीरे-धीरे स्थिति बिगड़ती चली गई है और हमारे जनप्रतिनिधि 5 साल तक हमसे दूर दूर रहते हैं चुनाव आते ही हमारे सबसे बड़े वेलविशर हो जाते हैं.

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