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दहेज उत्पीड़न: हम सब अपराधी

25 वर्षीय रितु यादव ने अपने घर में खुद को फांसी लगा ली, पर क्यों? भई, यह तो तभी जाना जा सकता है जब धर्म और नफरत में डूबी जनता अपने आसपास क्या घट रहा है, कम से कम इस के लिए ही सही अपनी आंख खोल ले.

मामला दहेज उत्पीड़न का है. अब कई लोग तो इस मुद्दे पर इसलिए सुनतेबोलते कम हैं क्योंकि वे या तो दहेज़ देने वाले होते हैं या लेने वाले. हर घर की यही कहानी है. बेटी के समय दहेज़ गया तो बेटे के समय कैसे दुगना रिकवर हो, इसी की उधेड़बुन घरपरिवार में चल रही होती है. लेकिन इस के परिणाम कितने खतरनाक हैं, यह रितु यादव के मामले से समझा जा सकता है.

एक पढ़ीलिखी बीकौम, एमबीए ग्रेजुएट लड़की, महज 25 साल की. रिश्ता सरकारी लड़के का आया तो घर वालों की भी बांछें खिल गईं, बेटी सरकारी बाबू के साथ हंसीखुशी रहे तो धूमधाम से अरेंज मैरिज करा दी. 18 लाख की टाटा सफारी, गोल्ड सिल्वर की ज्वैलरी, सोफा-फर्नीचर, इलैक्ट्रौनिक आइटम्स, कपड़ेलत्ते, कुल मिला कर 70 लाख रुपए का दहेज खुशीखुशी दे दिया, क्यों, क्योंकि लड़का सरकारी नौकरी वाला है, बेटी को खुश रखेगा.

पर लड़के की दिलचस्पी तो रितु से ज्यादा दहेज़ पर थी. 70 लाख तक का अच्छाख़ासा दहेज़ शादी के दौरान पहले ही ससुरालिए हड़प चुके थे. शादी के महज 3 महीने बाद और दहेज़ लाने का दबाव वे रितु पर बनाने लगे. तंग आ कर रितु अपने मायके आ गई. ससुरालियों का दबाव इतना था कि अपने घर में आत्महत्या करने पर मजबूर हो गई. साथ में एक सुसाइड नोट और अपनी हथेली पर उस दर्द को बयां कर इस दुनिया को छोड़ गई जिस में ससुरालियों की कारस्तानी थी.

जिस में उस ने लिखा, ‘“मेरे पति ने मुझ से सिर्फ दहेज़ के लिए शादी की, मुझे घर की नौकरानी बना दिया. मैं काम करना चाहती थी, मैं ने इस के लिए रिक्वैस्ट भी की, लेकिन वह नहीं माना. तलाक लेना चाहती थी जिस पर वह एग्री नहीं हुआ.’”

अब असल माजरा समझो, सरकारी नौकरी वाला आप की बेटी को खुश रखना ही चाहता तो उस के पास सबकुछ होने के बाद भी आप से दहेज़ लेता क्या? इतना दहेज़ लेने वाले परिवार के मन में ही लालच भरा पड़ा है. शादी के बाद भी यह परिवार क्या चैन से बैठता?

अव्वल, समझा जाता है कि संपन्न और पढ़ेलिखे घरों के लोग तो समझदार हैं, ये दहेज़ नहीं लेते होंगे, पर असल यह कि दहेज़ के लिए सब से ज्यादा मारामारी इन्हीं परिवारों में होती है. संपन्न लड़के या उस के परिवार की चाहत रहती है कि बेटे पर हुए बचपन में पढ़ाई, कपड़ेलत्ते इत्यादि से ले कर जवानी तक के तमाम खर्चों की उगाही लड़की वालों से एक बार में हो जाए. संपन्न परिवारों में ही दहेज़ का टंटा ज्यादा होता है, गरीबों को तो वैसे ही कोई अपनी बेटी ब्याहना नहीं चाहता.

यह बात लड़की वालों को भी समझनी चाहिए थी. एक होनहार लड़की, जिस के आगे उस का अपार कैरियर पड़ा था, जो अपने जीवन में बहुत अच्छा कर सकती थी, की अरेंज मैरिज इसलिए करा देना कि लड़का अच्छाखासा सैटल है, बात जमती नहीं है. इस से बढ़िया तो होता कि लड़की को ही सैटल होने का मौका दिया जाता, जितना खर्चा दहेज़ में लगा उस का आधा लड़की के जीवन पर कर दिया होता.

साथ ही, लड़की का ऐसे लम्पट ससुरालियों के चक्कर में जान देने से बढ़िया अपने जीने के लिए कोई बेहतर विकल्प खोजना था. उस के आगे पूरा जीवन था, और जान देने से बेहतर कई विकल्प थे. खैर, आत्महत्या के ऐसे मामले से यह तो दिखता है कि हम दोगले ही नहीं, मर भी चुके हैं, जिन्हें अब इन तरह के मुद्दों से रत्तीभर फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि टीवी के आगे चौबीसों घंटे धर्म की बहस में घुसे रहने से हमारे दिमाग में जंग लग गया है.

जीने की राह: उदास और हताश सोनू के जीवन की कहानी

क्या शराब न पीने से सेक्स के प्रति उत्तेजना कम हो जाती है?

सवाल

मेरी उम्र 42 वर्ष है. मुझे शराब पीने की आदत हद से ज्यादा थी. नशा मुक्ति केंद्र जा कर मेरी शराब पीने की आदत छूटी. घरवालों और पत्नी के पूरेपूरे सहयोग से मैं शराब से अब दूर ही रहता हूं लेकिन मुझे ऐसा महसूस होने लगा कि शराब न पीने से मेरी सैक्स के प्रति उत्तेजना कम होने लगी है. क्या वाकई शराब न पीने से ऐसा महसूस कर रहा हूं या यह मेरे दिमाग का फितूर है?

जवाब

कम मात्रा में शराब का सेवन दिमाग को रिलैक्स करता है और व्यक्ति स्ट्रैसफ्री हो जाता है और ऐसे माहौल में इंसान पूरे आत्मविश्वास के साथ सैक्स कर सकता है. वहीं, शराब का अत्यधिक सेवन व्यक्ति की उत्तेजना को कम कर देता है.

आप शराब के आदी थे और बहुत ज्यादा शराब पीते थे तो हो सकता है इस का आप के नर्वस सिस्टम पर बुरा असर पड़ा हो जिस से व्यक्ति में नामर्दानगी आ सकती है.

शराब का अधिक सेवन लिवर को भी खराब करता है और इस से भी कामेच्छा और कामशक्ति पर बुरा असर पड़ सकता है. शराब के ज्यादा सेवन से सैक्स हार्मोन में भी कमी हो जाती है.

खैर, फिर भी दिमाग को स्ट्रैसफ्री रखें और खाने में प्रोटीन की मात्रा बढ़ा दें. डाक्टर से परामर्श ले कर शरीर की ताकत बढ़ाने वाले सप्लिमैंट और विटामिंस लेना शुरू करें. इन उपायों से हो सकता है आप को फायदा हो. शराब छोड़ दी है तो अब दोबारा शुरू करने के बारे में सोचिए भी मत.

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बेचारे: दिलफेंक पतियों की शामत- भाग 3

“इश्क का भूत इस बार ऐसा सिर से उतरेगा कि तोबा बोल जाएंगे दोनों,”

अपनी हंसी पर कंट्रोल करने के बाद मैं बाहर ड्राइंगरूम में पहुंची तो देखा कि पटेल और गुर्जर एकदूसरे को गुस्से से घूर रहे थे.

किसी के कुछ कहने से पहले ही शालिनी की उलटी करने की आवाज हम तक पहुंची, तो उन दोनों का गुस्सा छूमंतर हुआ और रंग फिर से पीला पड़ गया.

मैं मुड़ कर खड़ी हुई. अपनी हंसी उन की आंखों से छिपाने के लिए वैसा करना जरूरी था.

उधर पटेलजी गुर्जर साहब को लताड़ रहे थे, “अबे, मैं तो हलका सा हंसीमजाक उस से करता था, पर मेरे दिल में पाप नहीं था. तुम ने उस से प्यार का गहरा चक्कर चला कर गुनाह किया है.”

“बेकार की बात मत करो,” गुर्जर ने गुस्से से भर कर जवाब दिया, “तुम ने शालीनता की सीमा हमेशा तोड़ी है. आतेजाते तुम उसे टक्कर मारते थे. मेज के नीचे पैर से पैर टकराते थे. सोने के बुंदे उसे कौन खरीद कर देना चाहता था?”

पटेलजी कुछ कहते, इस से पहले ही अरुण बैडरूम से बाहर आ कर फोन की तरफ बढ़ा.

रवि ने फौरन उसे टोका, “नहीं यार, पुलिस को फोन मत करो. शांति से बातें करने से सब समस्याएं हल हो जाती हैं.”

पुलिस का नाम आते ही गुर्जर और पटेल आपस में झगड़ना भूल कर अरुण की तरफ लपके.

“तुम पूछ लेना शालिनी से, वह मुझे गुनाहगार नहीं बताएगी,” पटेल ने भावुक लहजे में अपने लिए सफाई दी.

“हंसीमजाक की बात और है, पर शालिनी को मैं ने हमेशा इज्जत की नजर से देखा है,” गुर्जर साहब ने दोस्ताना अंदाज में अपनी सफाई दी.

अरुण फर्श को फाड़ खाने वाले अंदाज में घूरता खामोश खड़ा रहा.

“हम दिल के बुरे नहीं हैं अरुण.”

“हमारे व्यवहार से तुम्हें भविष्य में कोई शिकायत नहीं होगी.”

“गुस्सा थूक दो, नहीं तो हमारी बड़ी बदनामी होगी,” कहते हुए पटेलजी रोंआसे हो उठे.

“पुलिस वाले बड़ी कुत्ताघसीट करेंगे हमारी यार,” गुर्जर ने हाथ ही जोड़ दिए अरुण के सामने.

अरुण ने अचानक अपने गले से अजीबअजीब सी आवाज निकालनी शुरू की. फिर उस ने उन दोनों को जोर से धक्का दिया और भागते हुए बैडरूम में घुस गया.

मैं उस के पीछे भागी. फिर उन दोनों को हक्काबक्का सा छोड़ रवि भी हमारे पीछे बैडरूम में घुस आया.

हम तीनों अपनी हंसी उन दोनों से छिपाने में बड़ी मुश्किल से ही सफल हो पाए थे. मैं ने बैडरूम का दरवाजा बंद न किया होता तो वे दोनों अंदर घुस आते और हमारा सारा बनाबनाया खेल बिगड़ जाता.

हम अपनी जिंदगी में कभी इतना नहीं हंसे थे. बारबार पटेल और गुर्जर की शक्लें हमें ध्यान आती और हंसी का फव्वारा अंदर से फिर फूट पड़ता.

जब हंसी का तूफान कुछ थमा तो सविता ने अचानक मुझ से पूछा, “वंदना, यह तो बता कि हमारी योजना में शालिनी और अरुण को कैसे और कब शामिल किया?”

“शुरू से ही,” मैं ने मुसकरा कर जवाब दिया, “तुम दोनों को यह जान कर खुशी होगी कि शालिनी और मैं पुरानी कालेज की सहेलियां हैं और मैं ने सारा प्लान आरंभ में इन्हीं दोनों के साथ बैठ कर बताया था.

“और क्या शानदार प्लान रहा हमारा,” मैं ने अपनी पीठ खुद ही थपथपाई, ‘‘रवि, तुम ही उन दोनों को जा कर संभालो. कह देना कि शालिनी की तबीयत सुधर रही है, पर उन्हें डरानाधमकाना चालू रखना. उन दोनों की मजबूरी का आज जनाजा निकल ही जाना चाहिए.”

“मैं जाता हूं,” रवि ने गंभीर सा चेहरा बनाया और दरवाजा खोल कर बाहर निकल गए.

सचमुच उन दोनों बेचारों की हम ने डर के मारे जान निकाल दी थी. वे सही रास्ते पर आ गए थे, इस का एहसास हमें उसी शाम को ही हो गया.

वे दोनों सपत्नियां हमारे घर में बैठे थे, शालिनी और अरुण भी वहीं आ पहुंचे.

“शालिनी बहनजी, अब कैसी तबीयत है आप की?” पटेल के स्वर में हालचाल पूछते हुए सहानुभूति टपक पड़ रही थी.

“मुझे एक जरूरी फोन करना है,” कह कर गुर्जर साहब झटके से उठे और अपने घर की तरफ भागते से चले गए.

हम 6 के 6 लोगों के लिए अपनी हंसी रोकना कितना मुश्किल रहा होगा, इस का अंदाजा अब शायद कभी नहीं लगा सकेंगे.

जीने की राह- भाग 1: उदास और हताश सोनू के जीवन की कहानी

एक हफ्ते बाद कल पत्नी नीता व बेटी रिया घर लौट आएंगी, यह सोच कर मन बेहद उत्साहित था, दोनों के बिना घर काटने को दौड़ता था. नित्य की भांति मैं ने न्यूज देखने के लिए टीवी औन कर लिया था. जिस ट्रेन से दोनों लौट रही थीं वह बुरी तरह दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. टीवी पर बहुत भयानक दृश्य दिखाया जा रहा था. ट्रेन के कुछ डब्बे पानी में गिर गए थे, कुछ पुल से लटके हुए थे और कुछ उलटपलट कर दूर गिर गए थे. मैं टीवी के सामने जड़वत बैठा हुआ था, मानो दिलोदिमाग ने काम करना बंद कर दिया हो. मेरा निकटतम पड़ोसी उत्तम हांफता हुआ मेरे पास पहुंचा. उस ने भी टीवी पर यह भयंकर दृश्य देख लिया था, उसे भी नीता और रिया के लौटने की खबर थी.

वह हांफता हुआ बोला, ‘‘मन, यह कैसी खबर है?’’

उस की बात सुन कर मैं दहाड़ मार कर रो पड़ा. वह मुझे संभालते हुए बोला, ‘‘नहीं मन, खुद को संभाल, हम यह क्यों सोचें कि नीता और रिया सुरक्षित नहीं होंगे. अरे, सब थोड़े ही हताहत हुए होंगे. तू विश्वास रख, नीता और रिया एकदम ठीक होंगी. हम जल्दी से जल्दी वहां पहुंचते हैं और उन्हें अपने साथ लिवा लाते हैं. मेरे दोस्त हिम्मत रख, सब ठीक रहेगा.’’ मैं ने कहा, ‘‘अच्छा हो कि तेरी बात सही निकले, वे दोनों सहीसलामत हों. किंतु मैं अकेला ही जाऊंगा, तू भाभीजी की देखभाल कर, कल ही तो उन का बुखार उतरा है, अभी वे काफी कमजोर हैं.’’ थोड़ी नानुकुर के बाद उत्तम मान गया. मैं अकेला ही घटनास्थल पर पहुंचा. भयानक एवं वीभत्स दृश्य था. चंद लोगों के अलावा सब खत्म हो चुके थे. चंद जीवित लोगों में नीता और रिया नहीं मिलीं. उन्हें लाशों में से तलाशना बेहद मुश्किल काम था. दो कदम आगे बढ़ चार कदम पीछे हट जाता, मन चीत्कार कर कहता, ‘नहीं होगा यह कार्य मुझ से,’ किंतु उन्हें बिना देखे भी तो वापस नहीं जा सकता था. पागलों की तरह मैं अपनों की लाशें ढूंढ़ रहा था.

विचित्र दृश्य था, अजीब तरह की अफरातफरी मची हुई थी, कई समाज सेवी संस्थाएं व स्थानीय जनता तो सहयोग कर ही रही थी, सरकारी तंत्र भी सहयोग में लगा हुआ था. मेरी नजर अचानक रिया पर पड़ी. वहीं बगल में नीता भी थी. बिलकुल क्षतिविक्षत हालत में. मेरी आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा किंतु अपनेआप को संभाला. मैं अपनी नीता एवं रिया की लाशें समेटे खड़ा था, वहीं निकट एक युवती, मेरी रिया की हमउम्र

2 लाशों के मध्य बैठी रोए जा रही थी. मेरा दिल रोरो कर गुहार लगा रहा है, इन निर्दोषों ने ऐसा क्या अपराध किया था जो जान गंवा बैठे या हम ने ऐसा क्या कर दिया जो अपनों को गंवा बैठे. थोड़ी देर में सार्वजनिक रूप से दाहसंस्कार किया जाने वाला था. कई लोग उस में शामिल हो रहे थे, कुछ लोग अपनों की लाशें अपने साथ लिए जा रहे थे, कुछ लाशें अपनों का इंतजार कर रही थीं, कुछ ऐसे भी थे जिन्हें अपनों की लाशें भी नसीब नहीं हुई थीं, वे पागलों की तरह उन्हें खोज रहे थे, रो रहे थे, चिल्ला रहे थे. इंसान कभी कल्पना भी नहीं करता है कि जीवन में उसे ऐसे दर्दनाक दौर का सामना करना पड़ जाएगा. भयानक दृश्य था, एकसाथ इतनी लाशें जल रही थीं, इतनी भारी संख्या में लोग विलाप कर रहे थे. ऐसे अवसर पर मानवीय चेतना विशेष जागृत हो उठती है तथा मनमस्तिष्क में सवालों की झड़ी लग जाती है, ‘हमारे साथ ही ऐसा क्यों हुआ, किस गलती की सजा मिली है, ऐसी तो कोई गलती की हो, याद ही नहीं आता. हम अपनों से बिछड़ कर जीने के लिए क्यों अभिशप्त हुए वगैरवगैरा.’ दाहसंस्कार के बाद मैं नीता और रिया के सामान को समेट कर इधरउधर घूम रहा था. काफी भिखारी भी पहुंच गए थे, काफी कुछ तो उन्हें दे दिया यह सोच कर कि जिन का सामान है वे तो चले गए, चलो किसी के तो काम आएगा, किंतु इस सोच के बाद भी सब न दिया जा सका. कुछ सामान समेट कर अपने साथ रख लिया, मानो इस बहाने नीता और रिया मेरे साथ हों.

मैं नीता और रिया की यादों के समुद्र में गोते लगा रहा था, दुख का दर्द असहनीय था. लगता था मानो वह कलेजे को चीर कर निकल जाएगा. पटना वापस लौटना था, मन होता कहीं भाग जाऊं, क्या करूंगा पत्नी और बेटी के बिना घर में, उन के बिना जीने की कल्पना से ही कलेजा मुंह को आता था, फिर भी लौटना तो था ही. अचानक उस युवती पर नजर ठहर गई. वह भी अपने मातापिता का दाहसंस्कार कर सामान समेटे एक बैंच पर गुमसुम बैठी थी. मैं ने उस के समीप पहुंच, उस से पूछा, ‘‘तुम कहां से हो?’’

‘‘जी पटना से,’’ उस ने उदास नजरों से देखते हुए संक्षिप्त सा उत्तर दिया.

मैं ने पूछा, ‘‘रात की पटना जाने वाली ट्रेन से जाने वाली हो?’’

उस ने सहमति में सिर हिला दिया. अभी ट्रेन के लिए लगभग 3 घंटे शेष थे. मैं ने कहा, ‘‘चलो, स्टेशन ही चलते हैं.’’ वह आज्ञाकारी बच्चों की तरह साथ चल दी. मैं महसूस कर रहा था कि अत्यधिक उदासीनता के बावजूद इस युवती से जुड़ता जा रहा हूं. एक अजीब सा अपनापन महसूस करने लगा हूं इस अजनबी युवती से कुछ ही घंटों की बातचीत में ऐसा लग रहा था जैसे मैं उसे वर्षों से जानता हूं. फिर हम दोनों ट्रेन पकड़ने के लिए चल दिए. हम दोनों ट्रेन में पहुंच चुके थे. दिनभर के थकेहारे थे, सो अपनीअपनी बर्थ पर चले गए. सुबहसुबह मेरी नींद खुली. मैं ने पाया, वह भी जाग चुकी है. पटना स्टेशन आने में अभी लगभग 1 घंटा शेष था. हम दोनों की विदा होने की घड़ी नजदीक आ पहुंची थी. मैं ने उस से कहा, ‘‘मेरा नाम मानव है, वैसे नजदीकी लोग मुझे ‘मन’ पुकारते हैं. क्या मैं तुम्हारा नाम जान सकता हूं?’’

उस ने कहा, ‘‘मेरा नाम सुनयना है. मुझे मेरे नजदीकी ‘सोनू’ कहते हैं.’ कठिन समय में हम दोनों की आत्मीयता, जीवन संजीवनी का काम कर रही थी. मैं ने कहा कि मैं तुम्हें अपना मोबाइल नंबर दे देता हूं. हम मोबाइल के माध्यम से संपर्क बनाए रख सकते हैं. हम दोनों ने एकदूसरे से अपने नंबर शेयर कर लिए. हम फिर अपनों की याद में खोए गुमसुम से बैठ गए. मैं ने ही चुप्पी तोड़ते हुए कहा, ‘‘सोनू, मैं कृष्णपुरी कालोनी में शांतिपार्क अपार्टमैंट में रहता हूं. मुझे तो पटना में रहते हुए 32 साल हो गए हैं.’’ ‘‘मुझे पटना में रहते हुए मात्र 15 दिन ही हुए हैं. मैं ने यहां गर्ल्स हाई स्कूल जौइन किया है. मेरे मम्मीपापा  बहुत उत्साहित थे, विशाखापट्टनम से वे मेरी ही व्यवस्था देखने आ रहे थे. मेरा ही कुसूर है. न ही मैं यहां जौइन करती और न ही वे लोग यहां आने की सोचते और न ही इस दुर्घटना में फंसते. उन लोगों की मौत की जिम्मेदार मैं ही हूं,’’ वह भावविह्वल हो रो पड़ी.

मैं ने समझाते हुए कहा, ‘‘स्वयं को दोषी नहीं समझो. यहां प्रत्येक के आने और जाने की तिथि तय है. इस में तुम्हारा कोई दोष नहीं है. जिस को जितना मिलना है उतना ही मिलता है. हमें सदैव सकारात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिए.’’ मेरी बातों का सोनू पर कुछ असर हुआ. उस ने स्वयं को संभाल लिया. कुछ पल शांत रहने के बाद वह बोली, ‘‘मनजी, आप कृष्णपुरी में रहते हैं न, मेरा स्कूल भी तो वहीं है.’’ मैं ने याद करते हुए कहा, ‘‘हांहां, हमारी कालोनी के सामने एक गर्ल्स स्कूल है तो, वैसे उस की 3-4 शाखाएं हैं पटना में.’’

सोनू ने कहा, ‘‘हां, शाखाएं तो हैं, किंतु मेरा अपौइंटमैंट कृष्णपुरी शाखा में हुआ है. मैं ने जौइन भी कर लिया है. अभी मैं अपनी एक फ्रैंड के साथ रहती हूं. वहां से स्कूल काफी दूर है. मैं स्कूल के आसपास ही रहने की व्यवस्था करना चाहती हूं.’’ मैं ने कहा, ‘‘हमारी कालोनी में तो काफी फ्लैट्स हैं. तुम्हें अवश्य पसंद का फ्लैट मिल जाएगा. मैं तुम्हें जल्दी से जल्दी पता कर बताता हूं.’’

मेरी बीवी की कई लड़कों से दोस्ती है, मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल

मेरी शादी को 6 महीने हो चुके हैं. मेरी बीवी मायके में रह कर अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहती है. उस की कई लड़कों से दोस्ती है. मुझे लगता है कि कहीं वह किसी लड़के से प्यार न करने लगे. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

शादी की बुनियाद यकीन पर टिकी होती है. आप को अपनी बीवी पर भरोसा करना चाहिए. उसे किसी से प्यार करना होता, तो शादी से पहले ही कर लेती. वैसे, आप उसे अपने पास रख कर भी पढ़ाई पूरी करा सकते हैं, पर वजह प्यार होनी चाहिए न कि शक.

ये भी पढ़ें- पति पत्नी के रिश्ते में हैवान बनता शक…….

शक एक ऐसी लाइलाज बीमारी होती है जिसका कोई इलाज नहीं, अगर एक बार यह किसी को खास कर पतिपत्नी में से किसी को अपनी चपेट में ले ले तो  वह इंसान को हैवान बना सकती है. हाल ही में कुछ ऐसी ही घटना हैदराबाद में देखने को मिली जहां अवैध संबंधों के शक पर एक महिला ने अपने पति को ऐसी सजा दी जिसका दर्द शायद वह अपनी जिन्दगी में कभी नही भुला पाएगा. आप यह जानकर दंग रह जाएंगे की ३० साल की इस आरोपी महिला ने पति से विवाद होने पर चाकू से उसका प्राइवेट पार्ट काटने की कोशिश की जिसके चलते उसके पति को काफी गंभीर चोटें आईं.

ऐसा ही एक अन्य मामला दिल्ली के निहाल विहार इलाके में भी सामने आया जहाँ  पति ने ही अपनी पत्नी का मर्डर कर दिया. पकड़े जाने पर पति ने सारी बातें पुलिस के सामने खोल दीं. उसने साफ किया कि उसे अपनी पत्नी के चरित्र पर उसे शक था.आपको जानकार हैरानी होगी कि दोनों ने लव मैरिज की थी, लेकिन पति को लगता था कि उसकी पत्नी की दोस्ती कई लड़कों से है. इस बात को लेकर अक्सर दोनों में झगड़ा होता था.

टूटते परिवार बिखरते रिश्ते

शक न जाने कितने हँसते खेलते परिवारों को तबाह कर देता है. दांपत्य जीवन जो विश्वास की बुनियाद पर टिका होता है. उसमे शक की आहट जहर घोल देती है हाल के दिनों में अवैध संबंधों के शक में लाइफ पार्टनर पर हमले और हत्या करने की घटनाएं बढ़ रही हैं. मनोवैज्ञानिक इसके पीछे संयुक्त परिवारों के बिखरने को एक बड़ा कारण मानते हैं.

दरअसल, संयुक्त परिवारों में जब पति पत्नी के बीच कोई भी मन मुटाव होता था तो घर के बड़े उसे आपसी बातचीत से सुलझा देते थे, या बड़ों की उपस्थिति में पतिपत्नी का झगडा बड़ा रूप नहीं ले पाता था जबकि आज की स्थिति में जहाँ पति पत्नी अकेले रहते है आपसी झगड़ों में वे एक दूसरे पर हावी होने की कोशिश करते हैं वहां उनके आपसी सम्बन्धों  में शक की दीवार को हटाने वाला कोई नहीं होता. ऐसे में शक गहराने के कारण पति-पत्नी के रिश्ते दम तोड़ने लगते हैं वर्तमान लाइफस्टाइल जहाँ जहाँ पति पत्नी दोनों कामकाजी हैं और दिन के आधे  से ज्यादा समय वे घर से बाहर रहते हैं घर से बाहर  उनका विपरीत  सेक्स के साथ उठाना बैठना होता है. ज्यादा समय साथ रहने से उनके बीच आकर्षण जन्म लेता है और ऐसे में वे बाहरी सम्बन्ध दोनों के बीच शक का आधार बनते हैं. ऐसे में पति पत्नी दोनों को एक दूसरे पर विश्वास रखना  होगा और सामने वाले को उस विश्वास को कायम रखना होगा.

बिजी लाइफ स्टाइल

शादी के बाद जहां वैवाहिक रिश्ते को बनाए रखने में पति और पत्नी दोनों की जिम्मेदारी होती है वहीं  इसके खत्म करने में भी दोनों का हाथ होता है. शादी के कुछ वर्षों बाद जब दोनों अपनी रूटीन लाइफ से बोर होकर और जिम्मेदारियों से बचने के लिए किसी तीसरे की तरफ आकर्षित होने लगते हैं, यानी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर रखते हैं, तो वैवाहिक रिश्ते का अंत शक से शुरू हो कर एक दूसरे को शारीरिक नुकसान पहुंचाने और हत्या तक पहुंच जाता है.

कई बार परिवार की जिम्मेदारियों के बीच फंसे होने के कारण  जब पति पत्नी  जिंदगी की उलझनों को  सुलझा नहीं पाते तो उनके बीच अनबन होने लगती है और उस के लिए वे बाहरी संबंधों को जिम्मेदार ठहराने लगते हैं. उनके दिमाग में  शक  घर करने लगता है. धीरे-धीरे शक गहराता है और झगड़े बढ़ जाते हैं. यदि कोई उन्हें समझाए तो शक और सारी समस्याएं खत्म हो सकती हैं, लेकिन, एकल परिवार में उन्हें समझाने वाला कोई नहीं होता. इस कारण हालात मारपीट, हमले और हत्या तक पहुंच जाते हैं.

तुम सिर्फ मेरे हो वाली सोच

लाइफ पार्टनर के प्रति अधिक  पजेसिव होना भी शक का बडा कारण  बनता है. आज के माहौल में जहां महिलाएं और पुरुष ऑफिस में साथ में बड़ी बड़ी जिम्मेदारियां संभालते हैं ऐसे में उनका आपसी मेलजोल होना स्वाभाविक है . ऐसे में पति या पत्नी में से जब भी कोई एक दुसरे को किसी बाहरी व्यक्ति से मेलजोल बढ़ाते देखता है तो उस पर शक करने लगता है और उसे  यह बर्दाश्त नहीं होता कि उसका लाइफ पार्टनर जिसे वह प्यार करता है वह किसी और के साथ मिले जुले या बात भी करे क्योंकि वह उस पर सिर्फ अपना अधिकार समझता है. इस  तरह की मानसिकता संबंधों में कडवाहट भर देती है. पति या पत्नी जब फ़ोन पर किसी अन्य महिला  या पुरुष का मेसेज या कॉल देखते हैं तो एक दुसरे पर शक करने लगते हैं. भले ही वास्तविकता कुछ और ही हो लेकिन शक का बीज दोनों के सम्बन्ध में दरार डाल देता है जिसका अंत मारपीट और हत्या जैसी घटनाओं से होता है.

जासूसी का जरिया बनते एप्स

पति पत्नी के रिश्ते में दूरियां लाने में स्मार्टफ़ोन भी कम जिम्मेदार नहीं हैं. जहां सोशल मीडिया ने वैवाहिक जोड़ों को शादी के बंधन से अलग किसी और के  साथ प्यार की पींगें बढ़ने का मौका दिया है, वहीं स्मार्ट फ़ोन में ऐसे एप्स आ गए हैं, जो पति पत्नी को एक दूसरे की जासूसी करने  का पूरा अवसर देते हैं. इन एप्स द्वारा पति या पत्नी जान सकते हैं कि उनका लाइफ पार्टनर उनके अतिरिक्त किस से फोन पर सबसे ज्यादा बातें करता है यानी किस से आजकल उसकी नजदीकियां बढ़ रही  हैं , उनके बीच क्या बातें होती है , वे कौन सी इमेजेज या वीडियोज शेयर करते हैं, यानी लाइफ पार्टनर के फ़ोन पर कंट्रोल करने का पूरा इन्तजाम है. ये एप्स लाइफ पार्टनर की हर एक्टिविटी पर नजर रखने का पूरा मौका देते हैं. इन एप्स की मदद से आपके लाइफ पार्टनर का फोन पूरी तरह आपका हो सकता है.

ये भी पढ़ें-मेरी उम्र 28 वर्ष है और पति की उम्र 32 साल है, मैं अभी बच्चा प्लान नहीं कर सकती क्या करें?

अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप तकनीक का सदुपयोग आपसी रिश्तों में नज़दीकी लाने में करें या इन्हें रिश्तों में दूरियां बनाने का कारण बनायें? फैसला आपका है.

 

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आशिकी: तनु की गैरमौजूदगी में फ्लर्ट कर रहा था नमन

औफिस से आते समय गाना सुनते हुए कार चलाते नमन का मूड बहुत रोमांटिक हो गया. पत्नी तनु का खयाल आया, साथ ही अपनी फ्लोर पर एक फ्लैट शेयर कर के रहने वाली अंजलि, निया, रोली और काजल का भी खयाल आया तो घर जाने का उत्साह और भी बढ़ गया.

5 साल पहले नमन का विवाह तनु से हुआ था. दोनों ही लखनऊ में थे. यहां मुंबई में नमन जौब करता था. चारों लड़कियों से आतेजाते तनु की अच्छी जानपहचान हो गई थी. सब कामकाजी थीं पर छुट्टी के दिन जब भी कोई फ्री होती तो तनु के पास आनाजाना लगा रहता था. तनु कुछ स्पैशल बनाती तो इन के लिए भी रख लेती थी.

नमन और तनु की एक 3 वर्षीय बेटी भी थी सिया. तनु की गोद में प्यारी सी गुडि़या जैसी सिया से बोलते, हंसतेखेलते चारों लड़कियां तनु के भी करीब आती गई थीं. दिलफेंक, आशिकमिजाज नमन इन चारों लड़कियों में बड़ी रुचि लेने लगा था.

रोली एक दिन औफिस नहीं गई थी. नमन शाम को औफिस से आया तो वह तनु के साथ बैठ कर चाय पी रही थी. नमन उसे देखते ही खुश हो गया और उन दोनों के साथ ही बैठ कर चहकचहक कर बातें करने लगा.

रोली ने हंस कर कहा भी, ‘‘लग ही नहीं रहा है आप औफिस से आए हैं. इतने फ्रैश?’’

नमन ने मन ही मन सोचा कि फ्रैश तो तुम्हें देख कर हुआ हूं. नमन यही चाहता था कि इन चारों में से किसी न किसी से मिलनाजुलना होता रहे. चारों सुंदर, स्मार्ट थीं. तनु अकसर सिया के साथ व्यस्त होती. इन चारों में से कोई भी लड़की किसी काम से आ जाती और नमन घर पर होता तो वह आगे बढ़ कर खुद ही उन की आवभगत में लग जाता था. तनु सोचती कि वह सिया के साथ व्यस्त है तो नमन मेहमान की आवभगत कर उस की जिम्मेदारी में हाथ बंटाता है.

नमन का झुकाव इन लड़कियों की तरफ बढ़ता ही जा रहा था. घर में ही नहीं, औफिस में भी नमन का यही हाल था. साथ में काम करने वाली लड़कियों के साथ खूब फ्लर्ट करता था. कभी किसी लड़की को कौफी औफर करता, कभी किसी का घर रास्ते में न पड़ने पर भी उसे घर तक छोड़ देता. तनु अपने पति के इस स्वभाव को गंभीरता से न लेती. वह सोचती, नमन काफी सोशल है, क्या बुरा है इस में. हमारे कौन से रिश्तेदार हैं यहां. ये कुछ दोस्त ही तो हैं.

एक दिन सिया को ले कर तनु किसी बर्थडे पार्टी में गई हुई थी. नमन औफिस से आया. ताला लगा था. उस के पास चाबी तो रहती थी पर जब उस ने इन लड़कियों का फ्लैट खुला देखा तो मन में कुछ और ही सोच लिया. उन की डोरबैल बजा दी तो दरवाजा काजल ने खोला.

नमन ने भोली सूरत बना कर पूछा, ‘‘सिया और तनु यहां तो नहीं हैं?’’

‘‘नहीं तो?’’

‘‘ओह.’’

‘‘घर पर नहीं हैं क्या?’’

‘‘नहीं, मेरे पास चाबी रहती तो है पर आज घर पर ही छोड़ गया था, वह मोबाइल भी नहीं उठा रही है. खैर, आ जाएगी.’’

‘‘आप अंदर आ जाइए, वेट कर लीजिए.’’

नमन यही तो चाहता था. अंदर जा कर चारों तरफ नजर डाली. यहां पहली बार आया था.

काजल से पूछा, ‘‘आज आप औफिस नहीं गईं?’’

‘‘हाफ डे ले कर आ गई थी. तबीयत ठीक नहीं लग रही थी.’’

‘‘अरे, क्या हुआ? चलो, डाक्टर को दिखाते हैं पास ही है.’’

‘‘नहींनहीं, थैंक्स. दवा ले ली है. अभी ठीक हूं. आप के लिए कुछ बना दूं. चाय या कौफी?’’

नमन मन ही मन काजल के साथ समय बिताता हुआ बहुत खुश था. प्रत्यक्षत: गंभीरतापूर्वक बोला, ‘‘नहीं, रहने दें. आप आराम कीजिए.’’

उस के मना करने पर भी काजल कौफी बना ही लाई.

नमन खुश था, एक युवा, सुंदर लड़की की कंपनी में. उस के चेहरे की चमक बढ़ गई थी. कौफी की तारीफ कर काजल से उस के काम, परिवार के बारे में पूछता रहा. काजल सहजता से बात करती रही. नमन के हौसले और बुलंद हो गए. इतने में निया, अंजलि भी आ गईं. दोनों नमन से खुशमिजाजी से मिलीं. नमन इन लड़कियों की संगति में स्वयं को एक हीरो जैसा अनुभव कर रहा था.

फ्लोर पर सिया की आवाज सुन नमन ने कहा, ‘‘तनु आ गई. चलता हूं. आज आप लोगों के साथ टाइम का पता ही नहीं चला. थैंक्स,’’ कहता हुआ नमन उन के फ्लैट से निकल गया. उसे देखते ही तनु चौंकी, ‘‘अरे, तुम कब आए?’’

‘‘तुम कहां थीं?’’

‘‘ऊपर की फ्लोर पर ही एक बच्चे की बर्थडे पार्टी थी. सोचा था तुम्हारे आने तक आ जाऊंगी, पर तुम्हारे पास तो घर की एक चाबी है न?’’

नमन ने अंदर आते हुए कहा, ‘‘पता नहीं, मैं ने अपनी चाबी कहां रख दी. ऐसे ही बाहर खड़ा था तो ये लड़कियां जबरदस्ती अंदर ले गईं.’’

‘‘ठीक है, कोई बात नहीं, तुम्हारे लिए चाय बना दूं?’’

‘‘नहीं, रहने दो. उन लड़कियों ने ही पिला दी,’’ कहता हुआ नमन अपनी अलमारी में झूठमूठ ही सामान इधरउधर करता हुआ बोला, ‘‘उफ, यहां रख दी थी मैं ने चाबी. बेकार ही उन के घर जाना पड़ा.’’

सुबह ही तनु के भाई का लखनऊ से फोन आ गया. उस की मम्मी की तबीयत खराब थी. तनु घबरा गई.

नमन ने कहा, ‘‘परेशान मत हो, जा कर देख आओ. फ्लाइट की टिकट बुक कर देता हूं,’’ कह नमन ने मन ही मन पता नहीं कितने प्लान बना डाले तनु के जाने के बाद लड़कियों के साथ जी भर कर टाइमपास करेगा. बहुत उत्साहपूर्वक वह सिया और तनु को एअरपोर्ट छोड़ आया.

फ्लोर पर 4 फ्लैट थे. एक फ्लैट में एक साउथइंडियन बुजुर्ग दंपती रहते थे जो किसी से मतलब नहीं रखते थे. चौथा फ्लैट बंद पड़ा था. नमन ने रात को 8 बजे लड़कियों के फ्लैट की डोरबैल बजाई.

दरवाजा निया ने खोला, ‘‘अरे, नमनजी, आप?’’

‘‘सौरी,पर थोड़ी कौफी है क्या?’’

‘‘क्या हुआ? तनु नहीं हैं?’’

‘‘उस की मम्मी बीमार हैं. उसे आज अचानक लखनऊ जाना पड़ा. मेरे सिर में बहुत दर्द है. सोचा कौफी बना लूं. देखा तो कौफी खत्म थी.’’

‘‘ओके,’’ कह निया अंदर जा 2 पाउच ले कर आई. फिर देते हुए बोली, ‘‘ये लीजिए.’’

जब निया ने अंदर आने के लिए नहीं कहा तो नमन झुंझलाता हुआ घर लौट आया. सोच रहा था, ‘यह तो पहला आइडिया ही फेल हो गया. बेवकूफ लड़की. अंदर ही नहीं बुलाया. कौफी ही औफर कर देती. पैकेट पकड़ा दिए, हुंह.’

अगली सुबह नमन बै्रड बटर खा कर औफिस के लिए निकला तो लिफ्ट में वह और रोली साथ ही घुसे. रोली ने तनु की मम्मी की तबीयत के बारे में पूछा. फिर ऐसे ही मुसकराते हुए पूछा, ‘‘और सब कैसा चल रहा है… अकेले मैनेज करते हैं?’’

नमन के दिल में आशा की एक किरण जगी. फौरन मुंह लटका लिया, ‘‘मुझे तो कुछ बनाना आता भी नहीं है. अभी औफिस की कैंटीन में जा कर नाश्ता करूंगा…’’

लिफ्ट से बाहर निकल कर ‘गुड’ कह मुसकराते हुए रोली यह जा, वह जा. नमन को बड़ा धक्का लगा कि कैसी हैं ये लड़कियां. इतने मैनर्स भी नहीं हैं.

दिन भर फिर मन ही मन सोच रहा था कि किसकिस बहाने से लड़कियों के करीब रहा जा सकता है. तनु पहली बार ही अकेली गई थी. अब तक वह भी साथ ही आताजाता था. अकेले रहने के इस मौके को वह ऐंजौय करना चाहता था.

औफिस में अनमैरिड कुलीग आयुषि से नमन ने लंचटाइम में कहा, ‘‘तनु बाहर गई है, आज टिफिन नहीं लाया हूं. चलो, आज बाहर लंच करते हैं.’’

आयुषि के आसपास वह जानबूझ कर रहा करता था.

हाजिरजवाब आयुषि ने हंस कर कहा, ‘‘नहीं भाई, मैरिड आदमी के साथ क्या लंच पर जाना.’’

नमन को उस पर बहुत गुस्सा आया पर कुछ कह नहीं पाया. मगर नमन ने हार नहीं मानी. वह जानता था कि आयुषि अकेली रहती है. उसे मूवी का भी शौक है. एक दिन फिर कहा, ‘‘आयुषि, मूवी देखने चलें?’’

‘‘तनु अभी नहीं आई?’’

‘‘नहीं, बोर हो रहा हूं, चलो न.’’

‘‘सौरी नमन. मूड नहीं है.’’

नमन ने काफी आग्रह किया पर आयुषि नहीं मानी.

तनु को गए 4 दिन हुए थे. कितनी ही बार उस ने घर पर बहानेबहाने से रोली और बाकी लड़कियों से बातें करने, आगे संपर्क बढ़ाने के बहाने ढूंढ़ें पर बुरी तरह असफल रहा. सब उसे देख कर कन्नी काट जातीं. किसी ने भी उसे प्रोत्साहन नहीं दिया.

अब वह हैरान था. अकेली रहती हैं, तनु से अच्छे संबंध हैं, सिया से आतेजाते खेलती हैं, उस से क्या परेशानी है इन्हें. जरा सा भी टाइम उस से बात करने के लिए जैसे होता ही नहीं. अब तो समझ आने लगा है कि उसे नजरअंदाज करती हैं. ‘कोई फालतू बात नहीं’ का संदेश देते हुए आगे बढ़ जाती हैं. कितनी चालाक हैं ये आजकल की लड़कियां… जैसे मेरे मन के भाव पढ़ लिए सब ने.

नमन अकेला बैठा बहुत बोर हो रहा था. आसपास की लड़कियों के साथ फ्लर्ट करने का सपना चकनाचूर हो गया था. सारी आशिकी हवा हो चुकी थी. अचानक तनु को फोन मिला दिया था, ‘‘अगर मम्मी ठीक हैं, तो जल्दी लौट आओ. तुम्हारे बिना मन नहीं लग रहा है.’’

Anupamaa: शो में अब होगा अनुपमा का मेकओवर? देखें Photos

रूपाली गांगुली और सुधांशु पांडे (Sudhanshu Pandey) स्टारर सीरियल अनुपमा (Anupama) की कहानी में लगातार नया ट्विस्ट देखने को मिल रहा है. शो में अब तक आपने देखा कि अनुज-अनुपमा हनीमून एंजॉय कर रहे हैं तो दूसरी तरफ समर और वनराज के बीच दूरियां कम हो रही है. समर वनराज को समझने की कोशिश कर रहा है. इसी बीच अनुपाम ने सोशल मीडिया पर ऐसी तस्वीरें शेयर की है. जिसे देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि अब अनुपमा का मेकओवर होने वाला है.

दरअसल रूपाली गांगुली ने इंस्टाग्राम पर तस्वीरें शेयर की है. सोशल मीडिया पर ये तस्वीरें जमकर वायरल हो रही है. इन तस्वीरों में वह लाल रंग की साड़ी में नजर आ रही हैं. साड़ी के साथ रूपाली ने गोल्डन कलर की ज्वेलरी भी कैरी की हुई है.

 

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अनुपमा ने अपनी दो तस्वीरों को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, ‘आज जाने की जिद ना करो.’ रूपाली गांगुली की इन तस्वीरों पर अब तक 74 हजार से भी ज्यादा लाइक्स आ चुके हैं.  बता दें कि अनुज और अनुपमा की शादी के बाद शो में नए किरदारों की एंट्री हो रही है, जिससे दर्शकों को एंटरटेनमेंट का डबल डोज मिलने वाला है.

 

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शो के लेटेस्ट एपिसोड में दिखाया गया कि अनुज अनुपमा अनाथायल में अनु को देखकर इमोशनल हो गये. वो दोनों अनु को लेकर बीच पर गये. अनु समंदर का किनारा देखकर बहुत खुश हो हुई.

 

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तो दूसरी तरफ पारितोष और किंजल अपने होने वाले बच्चे के लिए काफी एक्साइटेड हैं. शो में ये भी दिखाया गया कि किंजल का पैर फिसल गया और वह गिर पड़ी. पारितोष ने किंजल को संभाल लिया और आगे से उसे केयरफुल रहने के लिए कहा.

 

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शो के अपकमिंग एपिसोड में दिखाया जाएगा कि जैसे ही इस बात की भनक राखी दवे को लगेगी तो वह दौड़े-दौड़े शाह हाउस चली आएगी। इसके बाद वह वनराज शाह को खूब ताना मारेगी. अब देखना ये दिलचस्प है कि वनराज राखी दवे को कैसे शांत कराएगा?

‘बड़े अच्छे लगते हैं 2’ के लीड एक्टर हुए अस्पताल में भर्ती, पढ़ें खबर

टीवी सीरियल ‘बड़े अच्छे लगते हैं 2’ को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है, बताया जा रहा है कि शो में राम कपूर का किरदार निभाने वाले एक्टर नकुल मेहता (Nakuul Mehta) की तबियत ठीक नहीं चल रही है. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

इस खबर के आने के बाद फैंस एक्टर के लिए दुआ कर रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक ‘बड़े अच्छे लगते हैं 2’ फेम एक्टर नकुल मेहता बीमार पड़ गए हैं. बीते कुछ समय से नकुल मेहता की तबियत ठीक नहीं चल रही थी.

 

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खबरों के अनुसार, नकुल मेहता की सर्जरी हुई है.फिलहाल एक्टर रेस्ट पर है. फैंस एक्टर के ठीक होने के लिए दुआ कर रहे हैं. फैंस लगातार नकुल मेहता की सेहत जानने की कोशिश कर रहे हैं. गौरतलब है कि नकुल मेहता इन दिनों राम कपूर बनकर लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं.

 

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शो में नकुल मेहता यानी राम कपूर और दिशा परमार यानी प्रिया की जोड़ी फैंस को काफी पसंद आ रही है. हाल ही में नकुल मेहता ने पिता बनने के एहसास के बारे में बात की थी. उन्होंने बताया था कि पिता बनने के बाद किस तरह से उनकी जिंदगी बदल गई है.

 

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बता दें कि नकुल मेहता ने 2012 में  सीरियल ‘प्यार का दर्द है, मीठा-मीठा प्यारा-प्यारा’ से टेलीविजन डेब्यू किया था. वो टीवी में एक्टिंग के साथ-साथ मॉडलिंग और कई म्यूजिक वीडियो में भी नजर आ चुके हैं.

 

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मेरा बॉयफ्रेंड सेक्स करने के लिए फोर्स करता है, क्या करूं?

सवाल

मैं 24 वर्षीया युवती हूं. मेरा एक बौयफ्रैंड है. हम दोनों का रिलेशनशिप औफिस से शुरू हुआ. पिछले महीने जून में हमें 2 साल हो गए हैं. वह मुझे फिजिकल रिलेशन बनाने के लिए फोर्स कर रहा है. मैं अभी इस में कम्फर्ट नहीं हूं. उसे मना करती हूं तो वह गुस्सा हो जाता है. मुझसे बात नहीं करता. कहता है कि जब करीब नहीं आना था तो रिश्ता बनाया क्यों.

मु?ो उस से प्यार है पर सोचती हूं कहीं इस वजह से रिश्ते खराब न हो जाएं, कभीकभी तो लगता है कहीं वह मु?ो यूज न कर रहा हो. आप ही बताइए मैं क्या करूं?

जवाब

रिश्ता कभी जोरजबरदस्ती से नहीं बनाया जा सकता. आप बता रही हैं कि आप बौयफ्रैंड के साथ सैक्स के लिए तैयार नहीं हैं, फिर भी वह फोर्स कर रहा है और तो और जब आप मना करती हैं तो गुस्सा अलग होता है तो यह बेहद गलत बात है.

सैक्सुअल रिलेशन 2 लोगों के बीच मर्जी से ही बनना चाहिए. जब तक दोनों तैयार नहीं तब तक इस तरह के रिश्ते में जाना ठीक नहीं. जहां जोरजबरदस्ती है वहां प्यार की गुंजाइश नहीं. अगर वह आप से सच में प्यार करता है तो उसे यह जानते हुए फोर्स तो बिलकुल नहीं करना चाहिए.

आप उस से क्लीयर बात करें कि सैक्सुअल इंटीमेसी का मतलब उस के लिए क्या है और वह आप दोनों के रिलेशनशिप के बारे में क्या सोचता है. यह जानें कि वह जब भी आप से बात करता है तो उस की बातों में सैक्स का जिक्र या इसी से जुड़ी बातें कितनी रहती हैं. बात करने के तरीके को नोट करें. वह आप से मिलने के लिए अधिकतर किन जगहों का चुनाव करता है. इन सब का ध्यान रखें.

अगर वह अधिकतर समय आप से सैक्स को ले कर ही बात करता है तो आप का संदेह कहीं न कहीं ठीक बैठता है कि वह आप को यूज करना चाहता है. ऐसे रिश्ते से निकलना बेहतर है क्योंकि ऐसे लोग कमिटेड नहीं रहते.

इन सब बातों को नोट करेंगी तो आप अपने संदेहों को दूर कर पाएंगी.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem

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