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कैसे ये दिल के रिश्ते: क्या वाकई तन्वी के मन में धवल के प्रति सच्चा प्रेम था?

कैसे ये दिल के रिश्ते- भाग 1: क्या वाकई तन्वी के मन में धवल के प्रति सच्चा प्रेम था?

रात के सन्नाटे में घड़ी की हलकी सी टिकटिक हथौड़े की चोट सी प्रतीत हो रही थी. मैं अंधेरे में बहुत देर से इधरउधर ताक रही थी. रोज का क्रम बन गया है अब यह. धवल इस दुनिया से क्या गया हमारी दुनिया ही वीरान हो गई. मैं ने प्रणव की ओर देखा, वह गहरी नींद सोए हुए थे.

प्रणव को जवान बेटे की मौत का गम न हो, ऐसी बात नहीं है. वे भी मेरी तरह भीतर से पूरी तरह टूट चुके हैं पर उन्हें अनिद्रा के रोग ने नहीं सताया है. वे रात को ठीक से सो लेते हैं, पर मुझे न दिन में चैन है न रात में. रहरह कर धवल की स्मृतियां विह्वल कर जाती हैं. बूढ़े मांबाप के लिए जवान बेटे की मौत से बढ़ कर दारुण दुख शायद ही कोई दूसरा हो.

एक साल पूरा हो चुका है धवल को गुजरे, पर अब तक हम सदमे से उबर नहीं सके हैं. पलंग के पास ही हमारी अटैचियां रखी हैं. सुबह हमें मुंबई चले जाना है हमेशा के लिए. वहां हमारा बड़ा बेटा वत्सल नौकरी करता है. वही हमें अपने साथ लिए जा रहा है.

अपना शहर छूटने के खयाल से जी न जाने कैसा होने लगा है. नया शहर, नए लोग, न जाने हम मुंबई के माहौल में ढल पाएंगे या नहीं. मुंबई ही क्या, वत्सल हमें किसी भी शहर में ले जाए, धवल की यादें हमारा पीछा नहीं छोड़ेंगी.

बेटे की असामयिक मौत ने तो हमें तोड़ा ही, उस की मौत से भी अधिक दुखदायी थीं वे घटनाएं जिन के कारण हमें इस बुढ़ापे में खासी बदनामी और थूथू झेलनी पड़ी. बेटे का प्रेमविवाह इतना महंगा पड़ेगा, हम नहीं जानते थे. हम ही क्या, स्वयं धवल भी नहीं जानता होगा कि उस का प्यार हमें किन मुसीबतों में डालने वाला है.

धवल की आंखें मींचते ही तन्वी अपना यह रूप दिखाएगी, किस ने सोचा था. ?प्यार के इस घृणित रूप को देख कर हम व्यथित हैं. प्यार में बेवफाई और धोखाधड़ी के किस्से तो कई सुने थे पर जबरन गले पड़ी बेटे की प्रेमिका हमें इस तरह सताएगी, यह कल्पना नहीं कर सके.

तन्वी हमें शुरू से ही पसंद नहीं थी. सुंदर तो खैर वह बहुत थी पर उस के चेहरे पर कुंआरियों का सा भोलापन और लुनाई नहीं थी. चेहरा पकापका सा लगता था. यद्यपि मैं ने उस के बारे में ऐसीवैसी कोई बात नहीं सुनी थी पर मेरी अनुभवी निगाहें पहली मुलाकात में ही ताड़ गई थीं कि यह बहता पानी है.

धवल को समझाने में हमें खास मेहनत नहीं करनी पड़ी थी. तन्वी विजातीय थी. आर्थिक दृष्टि से भी उस का परिवार हमारे समकक्ष नहीं था. तन्वी के पिता मामूली से वकील थे. हम ने धवल को ऊंचनीच समझाई तो वह सरलता से मान गया और उस ने तन्वी से संबंध सीमित कर लिए थे.

उस समय तक मामला ज्यादा बढ़ा भी नहीं था. कालेज में ही पढ़ रहे थे वे दोनों. हम ने चैन की सांस ली थी कि चलो, बला टली, मगर बला इतनी आसानी से कहां टलनी थी.

तृप्त मन- भाग 2: राजन ने कैसे बचाया बहन का घर

सास की बात सुन कर वह चौंक गई. उस ने मना करना चाहा लेकिन फिर कल रात परिवार में हुई अनबन को याद कर बात को और आगे न बढ़ाने के लिए वह पंडितजी से कुछ दूरी बना कर उन के पास बैठ गई. पंडितजी ने मुसकरा कर उस की तरफ देखा और उसे अपना सीधा हाथ आगे बढ़ाने को कहा. उस ने झिझकते हुए अपने सीधे हाथ की हथेली उन के आगे कर दी. पंडितजी ने उस की हथेली को छूते हुए उस पर हलका सा दबाव डाला. उस ने अपनी हथेली पीछे करनी चाही पर उस के ऐसा करने से पहले ही पंडित उस की हथेली पर अपनी उंगलिया फेरते हुए उस की सास से पूछने लगे, “तो यह आप की बहू है?”

“जी पंडितजी,” उस की सास हां में सिर हिलाते हुए जवाब दिया तो पंडितजी आगे बोले, “समय की बहुत बलवान है आप की बहू. इस के हाथ की रेखाएं बता रही हैं कि इसे अपने पिता की संपत्ति से बहुत बड़ी धनराशि प्राप्त हुई है और उसी धनराशि से आप सब के समय संवरने वाले हैं.”

उस ने पंडित पर एक नजर डाली. पंडितजी बड़े ही ध्यान से उस की हथेली की रेखाओं को देख कर उस का वर्तमान बता रहे थे.

“जी पंडितजी. आप तो ज्ञानी हैं. गांव में इस के पिता की कई एकड़ जमीन बुलेट ट्रेन के प्रोजैक्ट में सरकार ने ले ली है. इस का कोई भाई या बहन तो है नहीं, तो उसी के पैसे से इस के पिता ने इस के नाम 20 लाख रुपए की एफडी कर दी है,” उस की सास ने पंडितजी की बात का जवाब दिया तो उस ने अपनी सास की तरफ देखा. उसे अपनी सास का पंडितजी के सामने इस तरह अपनी निजी बातें शेयर करना पसंद नहीं आया लेकिन वह उन की उम्र का लिहाज कर कुछ भी न बोल पाई.

तभी पंडितजी ने कहा, “यह अपने पिता की इकलौती संतान है, इसी से इस के हाथ की रेखाएं बता रही हैं कि भविष्य में इसे अपने पिता से और भी बड़ी रकम मिलने की उम्मीद है.”

पंडितजी की बात सुन कर उस की सास के चेहरे पर मुसकान तैर गई और वह खुश होते हुए बोली, “यह तो बड़ी अच्छी बात बताई पंडितजी आप ने, लेकिन अब मैं ने जो समस्या आप से कही थी उस का समाधान भी तो बताइए.”

“समाधान तो एक ही है. उन पैसों को मिला कर जो घर आप का बेटा ले रहा है वह आप के बेटे की राशि और ग्रहों को देखते हुए आप के नाम ही होना चाहिए. अगर वह घर आप के बेटे के नाम हुआ तो उसे भविष्य में बहुत ज्यादा ही आर्थिक नुकसान होगा. यह सब साफसाफ मैं आप की बहू के हाथ की लकीरों में देख पा रहा हूं.”

पंडितजी की कही यह बात उस के लिए असहनीय थी. वह नहीं चाहती थी कि घर के निजी मामलों में बाहर का कोई भी इंसान दखलंदाजी करे. उस ने पंडितजी की बात सुन कर एक झटके से अपनी हथेली उन की पकड़ से छुड़ाई और गुस्से से बोली, “यह हमारे घर का निजी मामला है और इस में आप को कोई भी सलाहसूचन करने का कोई अधिकार नहीं है. मैं बिलकुल भी नहीं विश्वास करती हाथ की लकीरों पर.”

अपनी बहू का यह रवैया देख कर सास गुस्से से लाल हो गई और उस ने उसे डांटते हुए कहा, “बहू, माफी मांग पंडितजी से. मेरे कहने पर राकेश ने ही इन को घर आने का निमंत्रण दिया था.”

“मैं माफी चाहती हूं पंडितजी आप से. आप से मुझे कोई शिकायत नहीं है लेकिन मेरे पिता से मिली संपत्ति पर सिर्फ मेरा अधिकार है और उस के बारे में कोई भी फैसला लेने का हक़ सिर्फ मेरा ही है. आप तो क्या, घर के किसी भी सदस्य को इस बारे में बहस करने का कोई अधिकार नहीं है,” उस ने बड़े ही तीखे मिजाज से पंडितजी की तरफ देखते हुए कहा और फिर गुस्से से अंदर रसोई में आ कर वापस अपना काम करने लग गई.

उस की सास को अपनी बहू का इस तरह पंडितजी का अपमान करना और उन्हें पंडितजी की निगाहों में नीचा दिखाना बिलकुल भी पसंद न आया. पंडितजी के सामने तो वह उसे कुछ न बोल पाई लेकिन कुछ देर पंडितजी से बातें कर उन्हें तगड़ी फीस दे कर विदा करने के बाद वह खुद रसोई में आ गई.

“यह तूने ठीक नहीं किया बहू. पैसों की गरमी से अपनी धाक जमाना बंद कर दे, वरना बहुत पछताना पड़ेगा.”

अपनी सास की धमकीभरी आवाज सुन कर उस ने अपनी आंखों से बह रहे आंसुओं को पोंछते हुए जवाब दिया, “अपने हक की बात ही तो कर रही हूं. क्या बुरा कह दिया मैं ने जो नया मकान अपने नाम पर करवाने की बात कह दी तो? पैसा भी तो मेरा ही ज्यादा लग रहा है उसे खरीदने में. राकेश तो केवल 10 लाख ही दे रहे है और वह भी लोन ले कर.”

“हमारे खानदान में जमीनजायदाद पति के जीतेजी औरत के नाम नहीं की जाती है. जिस पैसे की तू बात कर रही है उस पर तेरा पति होने के नाते राकेश का भी बराबर का हक है तो एक तरह से वह पैसा भी राकेश का ही हुआ,” सास ने सख्ताई से जवाब देते हुए उस से कहा.

“यह तो किसी कानून में नहीं लिखा है कि पत्नी की संपत्ति पर पति का हक बिना कोई कानूनी कार्यवाही के होता है. पर फिर भी मैं ऐसा नहीं कह रही हूं कि मेरे पापा के दिए पैसों पर राकेश का कोई हक नहीं है. मैं, बस, नया मकान अपने नाम करवाना चाहती हूं क्योंकि इस में ज्यादा पैसा मेरा लग रहा है. शादी से पहले नौकरी का जो पैसा जमा किया था वह भी तो राकेश ने निकलवा कर नया मकान लेने में डलवा दिया. इस तरह तो मेरे नाम कोई आर्थिक संबल रहेगा ही नहीं,” उस ने अपनी बातों से सास को समझाने का यत्न किया.

उस की बात सुन कर सास ने मुंह बिगाड़ते हुए कहा, “उस रमा सहाय ने जाने क्या पट्टी पढ़ा दी तुझे जो मुझे कानूनी धौंस देने चली है. तेरी वकील चाहे जो कुछ कहे पर नया मकान तो तेरे नाम न ही होगा बहू.”

“ठीक है, आप अपने मन की कीजिए. मुझे जो ठीक लगेगा मैं वही करूंगी,” उस ने जवाब दिया और ज्यादा बहस में न पड़ते हुए चुपचाप सब्जी काटने लगी.

शाम को राकेश के औफिस से आने तक सासबहू के बीच कोई भी बातचीत न हुई लेकिन उस ने अपनी वकील रमा सहाय से फोन पर बात कर इस मामले में कानूनी सलाह ले कर मन ही मन एक फैसला ले लिया था.

शाम को राकेश के आने पर चायनाश्ता करते हुए नया मकान अपने नाम लेने के मुद्दे पर फिर उन तीनों के बीच बहस शुरू हो गई.

“आखिर तुम्हें मकान मेरे नाम पर लेने में परेशानी क्या है राकेश?” उस ने झुंझलाते हुए चाय का खाली कप टेबल पर रखते हुए राकेश से पूछा.

“बात परेशानी की नहीं है नेहा. आज तक हमारे खानदान में कभी भी पुरुष के रहते औरत के नाम पर जमीनजायदाद नहीं हुई है. यह परंपरा रही है हमारे खानदान की. पति के रहते पत्नी के नाम जमीनजायदाद करना शुभ नहीं माना जाता,” राकेश ने साफ शब्दों में न कहते हुए उसे जवाब दिया.

आकाश में मचान- भाग 2: आखिर क्यों नहीं उसने दूसरी शादी की?

इन्हीं तनावों से घिरी होने के कारण आज मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था, क्योंकि कपड़े बदलते समय रुपयों का पुलिंदा वहीं कमरे में ही छूट गया था और जो छूट गया सो गया. बस, गलती यह  हुई कि चाय बनाने की जल्दी में वह रुपयों का पुलिंदा उठाना भूल गई. यद्यपि मुझे याद आया, मैं वह पुलिंदा लेने भागी, मेरे कपड़े तो वैसे ही पडे़ थे पर वह पुलिंदा नहीं था. मुझे काटो तो खून नहीं. मुझे ऐसा लगा जैसे मैं चक्कर खा कर गिर जाऊंगी. ये ड्राइंगरूम में बैठे टैलीविजन देख रहे थे, पर उस समय मैं ने इन से कुछ नहीं कहा.

टहलने के लिए जब बाहर निकले तो मुझे गुमसुम देख कर इन्होंने पूछा, ‘‘क्या बात है?’’ मैं चुप रही. कैसे कहूं. समझ में नहीं आ रहा था. मैं चक्कर खा कर गिरने ही वाली थी कि इन्होंने संभाल लिया और समझाने के लहजे से कहा, ‘‘देखो, तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है, घर में आराम करो, मैं घूमफिर कर आ जाऊंगा.’’

इस बात से इन्हें भी तो धक्का लगेगा, यह सोच कर मेरी आंखों में आंसू आ गए.

‘‘अरे, क्या हुआ, सचमुच तुम बहुत थक गई हो, मेरी देखभाल के साथ घर का सारा काम तुम्हें ही करना पड़

रहा है.’’

‘‘नहीं, यह बात नहीं है.’’

‘‘तो क्या बात है?’’

‘‘चलो, वहीं पार्क में बैठ कर बताती हूं.’’

फिर सारी बात मैं ने इन्हें बता दी. ये बोले, ‘‘चिंता मत करो, जो नहीं होना था वह हो गया. अब समस्या यह है कि आगे क्या करें और कैसे करें. भैया से उधार मांगने पर पूछेंगे कि तुम तैयारी से क्यों नहीं आए? यदि सही बात बताई तो बात का बतंगड़ बनेगा.’’

फिर ये चुप हो गए. गहरी चिंता की रेखाएं इन के चेहरे से साफ झलक रही थीं. मुझे धैर्य तो दिया पर स्वयं विचलित हो गए.

संतोषजी भी हर दिन की तरह चेहरे पर मुसकान लिए अपने समय पर आ गए. हम लोगों ने झिझकते हुए उन्हें अपनी समस्या बताई तथा मदद करने के लिए कहा.

वे कुछ देर खामोश सोचते रहे, फिर बोले, ‘‘मैं मदद करने को तैयार हूं, आप परदेसी हैं, इसलिए एकदम से भरोसा भी तो नहीं कर सकता. आप अपनी कोईर् चीज गिरवी रख दें. जब 3 माह बाद आप लोग यहां दोबारा दिखाने के लिए आएंगे, तब पैसे दे कर अपनी चीज ले जाना. हां, इन पैसों का मैं कोई ब्याज नहीं लूंगा.’’

मरता क्या न करता. हम लोग तैयार हो गए. मेरे गले में डेढ़ तोले की चेन थी, उसे दे कर रुपया उधार लेना तय हो गया.

संतोषजी अपने घर गए और 5 हजार रुपए ला कर इन की हथेली पर रख दिए. मैं ने उन का उपकार माना और सोने की चेन उन्हें दे दी.

इस घटना के बाद इन की आंखों में उदासीनता गहरा गई. मुझे भलाबुरा कहते, डांटते. मेरी इस लापरवाही के लिए आगबबूला होते तो शायद इन का मन हलका हो जाता, पर भाई के संरक्षण में यह धोखा इन्हें पच नहीं रहा था. संतोषजी दुनियादारी की बातें, रिश्तेनातों के खट्टेमीठे अनुभव सुनाते रहे, समझाते रहे पर इन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा.

घर जा कर मैं ने रात में इन को समझाया, ‘‘समझ लो चेन कहीं गिर गई या रुपयों का पुलिंदा ही कहीं बाहर गिर गया. इस तरह मन उदास करोगे तो इलाज ठीक से नहीं हो पाएगा. तनाव मत लो, बेकार अपनेआप को परेशान कर रहे हो. अब यह गलती मुझ से हुई है, मुझे ही भुगतना पड़ेगा.’’

कुछ दिन और बीत गए. संतोषजी उसी तरह मिलते, बातें करते, हंसतेहंसाते रहे. बातोंबातों में मैं ने उन्हें बताया कि कल डाक्टर ने एक्सरे लेने को कहा है. रिपोर्ट ठीक रही तो 5वें दिन छुट्टी कर देंगे. संतोषजी को अचानक जैसे कुछ याद आ गया, बोले, ‘‘आज से 5वें दिन तो मेरा जन्मदिन

है. जन्मदिन, भाभी, जन्मदिन.’’ उन

का इस तरह चहकना मुझे बहुत

अच्छा लगा.

‘‘उस दिन 16 तारीख है न, आप लोगों को मेरे घर भोजन करना पड़ेगा,’’ फिर गंभीरता से इन का हाथ अपने हाथ में ले कर बोले, ‘‘पत्नी की मृत्यु के बाद पहली बार मेरे मुंह से जन्मदिन की तारीख निकली है.’’

16 तारीख, यह जान कर मैं भी चौंक पड़ी, ‘‘अरे, उस दिन तो हमारी शादी की सालगिरह है.’’

‘‘अरे वाह, कितना अच्छा संयोग है. संतोषजी, उस दिन यदि रिपोर्ट अच्छी रही तो आप और आप की बेटी हमारे साथ बाहर किसी अच्छे रैस्टोरैंट में खाना खाएंगे,’’ हंसते हुए इन्होंने कहा.

‘‘मेरा मन कहता है कि आप की रिपोर्ट अच्छी ही आएगी, पर भोजन तो आप लोगों को मेरे घर पर ही करना पड़ेगा. इसी बहाने आप लोग हमारे घर तो आएंगे.’’

मैं ने इन की ओर देखा, तो ये बोले, ‘‘ठीक है’’, फिर बात तय हो गई. संतोषजी खिल उठे. अब तक की मुलाकातों से उन के प्रति एक अपनापन जाग उठा था. अच्छा संबंध बने तो मनुष्य अपने दुख भूलने लगता है. हम लोग भी खुश थे.

समय बीता. एक्सरे की रिपोर्ट के अनुसार हड्डी में पहले जितना झुकाव था, उस से अब कम था. डाक्टर का कहना था कि ऐसी ही प्रगति रही तो औपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी. नियमित व्यायाम और संतुलित भोजन जरूरी है. इन्हीं 2 उपायों से अपनेआप को ठीक से दुरुस्त करना होगा. मुझे अंदर ही अंदर बड़ी खुशी हुई. औपरेशन का बड़ा संकट जो टला था. डाक्टर ने दवाइयां लिख दी थीं, 3 माह बाद एक्सरे द्वारा जांच करानी पड़ेगी. डाक्टर का कहना था, हड्डी को झुकने से बचाना है. मैं ने बिल चुकाया और डाक्टर को धन्यवाद दिया.

कुछ दवाइयां खरीदीं और फिर वहीं एक नजदीकी दुकान से संतोषजी को जन्मदिन का उपहार देने के लिए कुरतापाजामा और मिठाई का डब्बा खरीदा. फिर हमेशा की तरह सब्जी वगैरह ले कर हम घर आ गए.

मेरा होने वाला पति बेरोजगार है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 23 साल की कुंआरी लड़की हूं. मेरे परिवार में दूर के रिश्ते का एक लड़का मुझसे शादी करना चाहता है, पर वह अभी बेरोजगार है और मुझे नहीं लगता कि उस का काम करने का कोई इरादा है. हालांकि इस सब के बावजूद मैं उसे पसंद करती हूं, पर उसे नौकरी या कोई कामधंधा करने के लिए मना नहीं पा रही हूं. मैं बड़ी अजीब सी समस्या से जूझ रही हूं. क्या करूं?

जवाब

यह चूंकि जिंदगीभर का सवाल है, इसलिए अक्ल और सब्र से काम लें. अगर उस लड़के का कोई कामधंधा या नौकरी करने का इरादा नहीं है, तो शादी के बाद आप को काफी परेशानियां उठानी पड़ेंगी.
अगर आप उसे वाकई इतना चाहती हैं कि उस के बगैर रहना मुमकिन न लग रहा हो, तो खुद कोई नौकरी या कामधंधा शुरू करिए, जिस से अपने जानू और बाबू का पेट भर सकें.

दूर की रिश्तेदारी शादी में कोई अड़ंगा नहीं है, पर यह भी सोचें कि आशिक प्यार में क्याकुछ नहीं करगुजर जाते हैं और यह बंदा तो अपनी माशूका की जरा सी ख्वाहिश ही पूरी नहीं कर पा रहा है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem

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Monsoon Special: बारिश के मौसम में भी खूबसूरती बरकरार रखेंगे ये टिप्स

बरसात में त्वचा संबंधी कई समस्याएं पैदा हो जाती हैं. आर्द्रता के चलते त्वचा पर कई तरह के बैक्टीरिया, फंगस तथा अन्य संक्रमण पनपते हैं. साथ ही बरसात की पहली फुहारों में अम्ल की भी बहुत ज्यादा मात्रा होती है, जिस से त्वचा और बालों को बहुत ज्यादा नुकसान होता है. ऐसे में इस मौसम में कुछ बातों का ध्यान रख कर त्वचा और बालों की समस्याओं से बचा जा सकता है.

मौनसून में त्वचा की देखभाल

सफाई या क्लिंजिंग: बरसात के पानी में ढेर सारे रसायन होते हैं, इसलिए मौनसून में त्वचा की सही तरीके से सफाई बहुत जरूरी है. मेकअप हटाने के लिए मिल्क क्लींजर या मेकअप रिमूवर का उपयोग किया जाना चाहिए. त्वचा से अशुद्धताओं को धो देने से त्वचा के रोम खुल जाते हैं. साबुन के प्रयोग के बजाय फेशियल, फेश वाश, फोम आदि ज्यादा कारगर माने जाते हैं.

टोनिंग: क्लिंजिंग के बाद इस का प्रयोग करना चाहिए. मौनसून के दौरान बहुत सारे वायुजनित तथा जलजनित माइक्रोब्स पैदा हो जाते हैं. इसलिए स्किन इन्फैक्शन होने तथा त्वचा फटने से बचाने के लिए ऐंटी बैक्टीरियल टोनर ज्यादा उपयोगी होता है. कौटन बड का प्रयोग कर त्वचा पर धीरे से टोनर लगा लें. यदि त्वचा ज्यादा शुष्क हो तो टोनर का प्रयोग नहीं करना चाहिए. हां, बहुत सौम्य टोनर का प्रयोग किया जा सकता है. यह तैलीय तथा मुंहांसों वाली त्वचा पर अच्छा काम करता है.

मौइश्चराइजर: गरमी की तरह बरसात में भी मौइश्चराइजिंग जरूरी है. मौनसून के कारण सूखी त्वचा पर डिमौइश्चराइजिंग प्रभाव पड़ सकता है तथा तैलीय त्वचा पर इस का ओवर हाइड्रेटिंग प्रभाव पड़ता है. बरसात में हवा में आर्द्रता के बावजूद त्वचा पूरी तरह से डिहाइड्रेटेड हो सकती है. परिणामस्वरूप त्वचा बेजान हो कर अपनी चमक खो देती है.

सभी तरह की त्वचा के लिए रोजाना रात को मौइश्चराइज करना बहुत जरूरी है. यदि ऐसा न किया जाए तो त्वचा में खुजली होने लगती है. यदि आप बारबार भीग जाती हैं तो नौनवाटर बेस्ड मौइश्चराइजर का प्रयोग करें. याद रखें यदि आप की त्वचा तैलीय हो तो भी आप को रात में त्वचा पर वाटर आधारित लोशन की पतली फिल्म का प्रयोग करना चाहिए.

सनस्क्रीन: सनस्क्रीन का प्रयोग किए बिना घर से न निकलें. जब तक धूप होगी आप की त्वचा को यूवीए तथा यूवीबी किरणों से बचाव की जरूरत होगी. घर से बाहर निकलने से 20 मिनट पहले त्वचा पर कम से कम 25 एसपीएफ वाला सनस्क्रीन लगाएं. और हर 3-4 घंटों में इसे लगाती रहें. आमतौर पर यह गलत धारणा बन जाती है कि सनस्क्रीन का उपयोग केवल तब किया जाना चाहिए जब धूप निकली हो. बादलों/बरसात के दिनों में वातावरण में मौजूद अल्ट्रावायलेट किरणों को कम न आंकें.

सूखी रहें: बरसात में भीगने के बाद शरीर को सूखा रखने की कोशिश करें. शरीर पर नम तथा आर्द्रता वाले मौसम में कई तरह के कीटाणु पनपने लगते हैं. यदि आप बरसात के पानी में भीग गई हों तो साफ पानी से स्नान करें. जब बाहर जाएं तो बरसात के पानी को पोंछने के लिए अपने साथ कुछ टिशूज/छोटा टौवेल रखें. बौडी फोल्ड्स पर डस्टिंग पाउडर का प्रयोग भी एक अच्छा विकल्प है.

रखरखाव: चमकती तथा दागरहित त्वचा के लिए त्वचारोग विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार स्किन ट्रीटमैंट अपनाती रहें. पील्स तथा लेजर्स ट्रीटमैंट के लिए मौनसून का मौसम बहुत अच्छा होता है, क्योंकि अधिकांश समय सूर्य की किरणें न होने से उपचार के बाद की देखभाल करने की बहुत कम जरूरत पड़ती है.

मौनसून में बालों की देखभाल

– यदि बरसात में बाल भीग जाएं तो जितनी जल्दी हो सके उन्हें माइल्ड शैंपू से धो लें. बालों को ज्यादा देर बरसात के पानी से गीला न रखें, क्योंकि इस में रसायनों की मात्रा ज्यादा होती है, जो उन्हें नुकसान पहुंचा सकती है.

– सिर की सूखी मालिश करें ताकि रक्तसंचालन ठीक हो जाए. कुनकुने तेल से सप्ताह में 1 बार सिर की मालिश करना अच्छा रहता है. लेकिन बालों में तेल ज्यादा देर तक न रहने दें यानी कुछ घंटों के बाद उन्हें धो लें.

– हर दूसरे दिन बालों को धोएं. यदि बाल छोटे हैं, तो रोजाना धो सकती हैं. उन्हें धोने के लिए अल्ट्राजैंटल/बेबी शैंपू का प्रयोग करना अच्छा रहता है. हेयर शौफ्ट्स पर कंडीशनर लगाने से बाल मजबूत होंगे.

– मौनसून में हेयर स्प्रे या जैल का प्रयोग न करें क्योंकि ये स्कैल्प पर चिपक जाएंगे जिस से रूसी हो सकती है. ब्लो ड्रायर के प्रयोग से भी बचें. यदि बाल रात में गीले हैं तो उन में कंडीशनर लगाएं और ब्लोअर की ठंडी हवा से सुखा लें.

– पतले, लहरदार तथा घुंघराले बालों में नमी ज्यादा अवशोषित होती है. इस का सब से अच्छा उपाय यह है कि स्टाइलिंग से पहले ह्यूमिडिटी प्रोटैक्टिव जैल का प्रयोग करें.

– अपने बालों की किस्म के आधार पर हेयर केयर उत्पादों का चयन करें. आमतौर पर उलझे, सूखे तथा रफ बालों के लिए हेयर क्रीम आदि का प्रयोग कर उन्हें सीधा किया जाता है.

– अधिक आर्द्रता तथा नम हवा के कारण मौनसून में रूसी एक आम समस्या है. इसलिए सप्ताह में 1 बार अच्छे ऐंटीडैंड्रफ शैंपू का प्रयोग करें.

– मौनसून के दौरान पानी में मौजूद क्लोरीन के अंश भी बहुत ज्यादा होते हैं, जो बालों को ब्लीच कर खराब कर सकते हैं. इसलिए यदि संभव हो तो बालों को बरसात के पानी के संपर्क में आने से बचाने के लिए कैप या कैप/हुड वाले रेनकोट का प्रयोग करें.

– बालों में जूंएं पनपने के लिए भी बरसात का मौसम अनुकूल समय है. यदि सिर में जूंएं हैं तो परमाइट लोशन का प्रयोग करें. 1 घंटे सिर में लगाए रखने के बाद धो लें. 3-4 सप्ताह तक दोहराएं.

मौनसून में अपने हैंडबैग में इन्हें जरूर रखें

– सब से पहले तो लैदर के बैग का प्रयोग करने से बचें. वाटर रिजिस्टैंट स्टफ का प्रयोग करें.

– वाटर रिजिस्टैंट मेकअप स्टफ खासकर लूज पाउडर, ट्रांसफर रिजिस्टैंट लिपस्टिक तथा आइलाइनर.

– 20 एसपीएफ वाली वाटर रिजिस्टैंट सनस्क्रीन.

– एक छोटा दर्पण तथा हेयरब्रश.

– पौकेट हेयर ड्रायर.

– त्वचा को साफ करने के लिए गीले वाइप्स.

– ऐंटीफंगल डस्टिंग पाउडर.

– एक फोल्डेड प्लास्टिक बैग.

– परफ्यूम/डियोड्रैंट.

– ऐंटी फ्रिंज हेयर स्प्रे.

– हैंड टौवेल.

Monsoon Special: बारिश के मौसम में बेसन से बनाएं ये 2 मजेदार डिश

बेसन लगभग हर किसी के किचन में मौजूद होता है, ऐसे में आप चाहे तो बेसन से कई तरह की डिश बना सकती हैं. तो आइए जानते हैं बेसन से बरसात में क्या स्पेशल बना सकते हैं.

  1. मसाला बेसनी रोटी

सामग्री :

1 कप फौर्च्यून बेसन, 1/4 कप आटा, 1 छोटा प्याज, 1/4 कप पुदीने के पत्ते, 1 छोटा चम्मच अदरक व हरीमिर्च का पेस्ट, 1/2 छोटा चम्मच नमक, चुटकीभर हींग पाउडर और रोटी पर लगाने के लिए थोड़ा सा देसी घी या मक्खन.

विधि :

फौर्च्यून बेसन और आटे को छान लें. प्याज व पुदीने के पत्तों को बारीक काट लें.

आटे में उपरोक्त लिखी सभी चीजें मिक्स करें और मुलायम आटा गूंध लें.

आधा घंटा ढक कर रखें और फिर छोटीछोटी रोटी बना लें.

यह रोटी सेहत के लिए बहुत अच्छी रहती है. आलू की सब्जी के साथ सर्व करें.

2. बेसन की सब्जी

सामग्री :

1 कप फौर्च्यून बेसन, 1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर, 2 छोटा चम्मच अदरक व हरीमिर्च का पेस्ट, 1 छोटा चम्मच जीरा, चुटकीभर हींग पाउडर, 1/2 छोटा चम्मच नमक और 1 बड़ा चम्मच सरसों का तेल.

मसाले के लिए :

1/4  कप प्याज का पेस्ट, 1 छोटा चम्मच अदरकलहसुन पेस्ट, 1 बड़ा चम्मच मोटा कुटा धनिया, जीरा, सौंफ पाउडर, 1/2 छोेटा चम्मच हलदी पाउडर, 1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर, 1/2 छोटा चम्मच पिसी लालमिर्च, 1/2 छोटा चम्मच गरम मसाला, स्वादानुसार नमक और 2 बड़े चम्मच सरसों का तेल.

विधि :

फौर्च्यून बेसन में 3 कप पानी डाल कर मिक्स करें और 10 मिनट ढक कर रखें.

एक नौनस्टिक कड़ाही में तेल गरम कर के हींग व जीरे का तड़का लगाएं,

फिर हलदी पाउडर डाल कर बेसन का घोल डाल दें.

इस में अदरक व हरीमिर्च का पेस्ट और नमक भी डालें. मध्यम आंच पर बराबर चलाती रहें.

जब बेसन का मिश्रण एक गोले के आकार की तरह हो जाए तब कटोरी के पीछे वाली तली से एक थाली में डाल कर फैलाएं.

जब ठंडा हो जाए तब छोटे चौकोर टुकड़े काट लें. फिर कड़ाही में तेल गरम कर के टुकड़ों को डाल कर हलका सुनहरा तल लें.

बचे तेल में प्याज, अदरक, लहसुन का पेस्ट भूनें. सभी सूखे मसाले भी डाल दें.

जब मसाला भुन जाए तब बेसन के टुकड़े डालें और साथ ही, 1 बड़ा चम्मच पानी.

जब मसाले में बेसन के टुकड़े अच्छी तरह लिपट जाएं तब हरा धनिया बुरक कर रोटीपंराठे के साथ या स्टार्टर की तरह सर्व करें.

Deepika Padukone ने आलिया की प्रेग्नेंसी पर दिया ये रिएक्शन

आलिया भट्ट अपनी प्रेग्नेंसी को लेकर सुर्खियों में छायी हुई है. फैंस से लेकर सेलिब्रिटी तक उन्हें बधाईयां एवं शुभकामनाएं दे रहे हैं. कपूर फैमिली में जल्द किलकारियां गूंजने वाली हैं. आलिया ने इस खुशखबरी को सोशल मीडिया पर शेयर किया. एक्ट्रेस की की प्रेग्नेंसी न्यूज सुनते ही अनुष्का शर्मा से लेकर प्रियंका चोपड़ा तक बॉलीवुड सेलेब्स ने एक्ट्रेस को बधाई देने शुरू कर दी. बता दें कि रणबीर कपूर की एक्स-गर्लफ्रेंड ने भी कपल के जल्द पेरेंट्स बनने की अनाउंसमेंट पर अपना रिएक्शन दिया है. आइए बताते हैं, क्या कहा है दीपिका पादुकोण ने…

दीपिका पादुकोण का आलिया भट्ट के साथ भी अच्छी बॉन्डिंग है. बल्कि रणबीर कपूर के साथ भी अच्छी बॉन्डिंग है. दीपिका पादुकोण ने इंस्टाग्राम पर कपल की तस्वीर शेयर कर बधाई दी है तो वहीं आलियी भट्ट के एक्स बॉयफ्रेंड सिद्धार्थ मल्होत्रा ने भी सोशल मीडिया पर फोटो शेयर कर कपल को बधाई दी है.

 

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शादी के लगभग 2 महीने बाद आलिया और रणबीर ने जल्द पेरेंट्स बनने की घोषणा की है. आलिया भट्ट ने एक फोटो शेयर करते हुए कैप्शन दिया था, ‘हमारा बच्चा जल्द आ रहा है.’

 

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वर्कफ्रंट की बात करें तो आलिया भट्ट और रणबीर कपूर दोनों ही जल्द अयान मुखर्जी की फिल्म ‘ब्रहमास्त्र’ में दिखाई देंगे. इस फिल्म में आलिया और रणबीर ऑनस्क्रीन रोमांस करते दिखाई देंगे.

 

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Anupamaa: बरखा से बदला लेगी बा, शाह हाउस में होगा खूब तमाशा

टीवी सीरियल अनुपमा (Anupamaa) में  लगातार हाईवोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है. जिससे दर्शकों का फुल एंटरटेनमेंट हो रहा है. शो के बिते एपिसोड में आपने देखा कि किंजल की गोदभराई की तैयारी धूमधाम से हो रही है. तो दूसरी तरफ वनराज और काव्या इस रस्म में नहीं शामिल होने वाले हैं. अनुपमा को ये डर सता रहा है कि कहीं किंजल की गोदभराई की रस्म बर्बाद ना हो जाए. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते है शो के नए एपिसोड के बारे में…

शो में आप देखेंगे कि बा ने कसम खाई है कि वह अनुपमा के ससुराल वालों से अपने अपमान का बदला लेकर रहेगी. तो दूसरी तरफ बरखा अंकुश से बहस करेगी कि उन्हें शाह हाउस नहीं जाना चाहिए. तभी सारा उसे खूब सुनाएगी. इस दौरान सारा और बरखा में तीखी बहस होगी.

 

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लेकिन बाद में बरखा समझ जाएगी कि उन्हें शाह हाउस जाना चाहिए.  क्योंकि ऐसा करके वह अनुज की नजरों  में अच्छा बनेंगे.

 

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अनुपमा के आने वाले एपिसोड में दिखाया जाएगा कि बा बरखा को खूब सुनाएगी और जमकर बेइज्जत करेगी. शो में आप देखेंगे कि कपाड़िया परिवार शाह हाउस पहुंचेगा तो अनुपमा उन्हें लेने बाहर जाएगी तभी बा अनुपमा को रोकेगी और बोलेगी कि कपाड़िया परिवार का स्वागत वह खुद करेगी.

 

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बा घर के चौखट के बाहर बरखा को अपनी सैंडल उतारने के लिए कहेगी. बरखा को इस बात से गुस्सा आएगा लेकिन वह चुपचाप बा की बात मान लेगी.

 

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शह हाउस में बरखा की मुलाकात राखी दवे से होगी. किंजल के गौदभराई के दौरान शाह हाउस में खूब तमाशा देखने को मिलेगा.

“राष्ट्रपति” क्या किसी का “खिलौना” बनेगा?

राष्ट्रपति का चुनाव अब सन्निकट है एक तरफ भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी की मंशा अनुरूप कथित रूप से मास्टर स्ट्रोक चलते हुए द्रोपदी मुर्मू को अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया है तो दूसरी तरफ 15 विपक्षी पार्टियों ने देश के एक बड़े चेहरे यशवंत सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया है.

सबसे बड़ा सवाल देश की फिजाओं में यह गूंज रहा है कि उड़ीसा की पूर्व राज्यपाल एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बना करके क्या नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने मास्टर स्ट्रोक चला है या फिर देश को एक रबर स्टैंप राष्ट्रपति देने के लिए शतरंज पर बिसात बिछाई गई है .

दरअसल,हमारे देश का यह एक बड़ा दुर्भाग्य रहा है कि अनेकानेक संवैधानिक पद जिन पर निर्भीक निष्पक्ष और ईमानदार लोगों को बैठाना चाहिए वहां आमतौर पर ऐसे लोग पदासीन हैं जो पूरी तरीके से जी हुजूरी में लगे रहते हैं अर्थात रबर स्टांप होते हैं.

इससे पार्टी विशेष व्यक्ति विशेष को तो लाभ मिलता है मगर देश का कितना नुकसान हो जाता है इसका आज तक आकलन नहीं हुआ है. आज फिर एक ऐसा समय है जब राष्ट्रपति पद का चुनाव होने जा रहा है और जो द्रोपदी मुर्मू बनाम यशवंत सिन्हा  का सामना होने जा रहा है इस मुद्दे पर भी खुलकर चर्चा होनी चाहिए जोकि निश्चित रूप से देश हित में होगी .

वस्तुत:आजकल सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाहें फैलाना बड़ा आसान हो गया है ऐसे में यह कहना कि द्रोपदी मुर्मू एक आदिवासी महिला है और राष्ट्रपति बनना एक बड़ा महत्व का काम होगा, यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मास्टर स्ट्रोक है इससे आदिवासी सांसद प्रभावित होंगे यह सब थोथी बातें सिर्फ बातें ही हैं सबसे बड़ा सबूत यह है कि राष्ट्रपति पद के नामांकन के बाद द्रोपदी मुर्मू के गांव में बिजली आई यह समाचार सुर्खियां बटोरता  दिखाई दिया. क्या देश की जनता के लिए सोचने का विषय नहीं है क्या लोकतंत्र के लिए है शर्म की बात नहीं है कि द्रोपति मुर्मू जो पड़े पड़े पदों में रह चुकी हैं कि गांव में बिजली नहीं थी तो फिर देश का क्या हो रहा है? यह समझने वाली बात है.

सार तथ्य यह है कि ऐसा ना हो कि पूर्व के अनेक राष्ट्रपतियों की तरह द्रोपदी मुर्मू भी राष्ट्रपति बनने के बाद सिर्फ एक रबर स्टैंप बन कर रह जाएं. अगर ऐसा होता है तो यह देश के लोकतंत्र के साथ धोखा ही होगा.

यहां चिंतन करने की बात है कि क्या देश के हर गांव के व्यक्ति विशेष को देश का राष्ट्रपति बनना होगा, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री बनना होगा, तभी उनके गांव का विकास होगा. अन्यथा आने वाले समय में भी उनके गांव, मोहल्ले, बस्तियां पानी बिजली और सड़क से महरूम बने रहेंगे.

रबर स्टांप या फिर स्वविवेक

भाजपा आज देश में सत्ता संभाल रही है ऐसे में  निसंदेह द्रोपदी मुर्मू एक सशक्त प्रत्याशी उभर कर सामने आ चुकी है.

मगर लोकतंत्र का सौंदर्य इसी में है कि विपक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं ऐसे में एक बार फिर विपक्ष एकजुट होकर यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के साथ देश के सामने उपस्थित है और कुल मिलाकर के यह संदेश देना चाहता है कि भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जो कर रहे हैं वह लोकतंत्र को एक खिलौना बनाने वाला है.

विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति चुनाव को दो अलग-अलग विचारधाराओं की लड़ाई बताया है. कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि एक तरफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नफरत है और दूसरी तरफ सभी विपक्षी दलों की भाईचारा की विचारधारा है. राहुल गांधी संसद भवन में विपक्षी दलों के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा के राष्ट्रपति चुनाव के नामांकन में शामिल हुए.

राहुल गांधी ने कहा – हम सभी मिलकर यशवंत सिन्हा का समर्थन कर रहे हैं. निश्चित तौर पर हम एक व्यक्ति का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन असल लड़ाई दो विचारधारा की है.एक ओर

गुस्सा, नफरत की विचारधारा है और दूसरी तरफ विपक्षी दलों की विचारधारा है जो भाईचारा वाली है। उनका यह भी कहना था कि समूचा विपक्ष सिन्हा के साथ खड़ा है.

तृणमूल कांग्रेस भी आखिरकार विपक्षी एकता में अपना वर्चस्व छोड़ कर के साथ दिखाई दी पार्टी के सौगत राय ने कहा कि यह दो व्यक्तियों के बीच का मुकाबला नहीं है, बल्कि यह विचारधारा की लड़ाई है. यह सांप्रदायिकता बनाम धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई है. मुझे लगता है कि यशवंत सिन्हा बेहतरीन उम्मीदवार हैं.

दरअसल,आज देश में यह चर्चा का विषय बन गया है कि राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रोपति मुर्मू बनाम यशवंत सिन्हा का यह सामना एक तरह से देश की संवैधानिक रक्षा, सुरक्षा और मर्यादा का प्रश्न  है.देश में कोई भी संवैधानिक पद किसी की बपौती नहीं होनी चाहिए खिलौना नहीं होना चाहिए.

भारत देश जैसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का राष्ट्रपति  किसी के हाथ का खिलौना होगा तो यह देश के साथ-साथ दुनिया के लिए भी अच्छा संकेत नहीं है.

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