राष्ट्रपति का चुनाव अब सन्निकट है एक तरफ भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी की मंशा अनुरूप कथित रूप से मास्टर स्ट्रोक चलते हुए द्रोपदी मुर्मू को अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया है तो दूसरी तरफ 15 विपक्षी पार्टियों ने देश के एक बड़े चेहरे यशवंत सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया है.

सबसे बड़ा सवाल देश की फिजाओं में यह गूंज रहा है कि उड़ीसा की पूर्व राज्यपाल एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बना करके क्या नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने मास्टर स्ट्रोक चला है या फिर देश को एक रबर स्टैंप राष्ट्रपति देने के लिए शतरंज पर बिसात बिछाई गई है .

दरअसल,हमारे देश का यह एक बड़ा दुर्भाग्य रहा है कि अनेकानेक संवैधानिक पद जिन पर निर्भीक निष्पक्ष और ईमानदार लोगों को बैठाना चाहिए वहां आमतौर पर ऐसे लोग पदासीन हैं जो पूरी तरीके से जी हुजूरी में लगे रहते हैं अर्थात रबर स्टांप होते हैं.

इससे पार्टी विशेष व्यक्ति विशेष को तो लाभ मिलता है मगर देश का कितना नुकसान हो जाता है इसका आज तक आकलन नहीं हुआ है. आज फिर एक ऐसा समय है जब राष्ट्रपति पद का चुनाव होने जा रहा है और जो द्रोपदी मुर्मू बनाम यशवंत सिन्हा  का सामना होने जा रहा है इस मुद्दे पर भी खुलकर चर्चा होनी चाहिए जोकि निश्चित रूप से देश हित में होगी .

वस्तुत:आजकल सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाहें फैलाना बड़ा आसान हो गया है ऐसे में यह कहना कि द्रोपदी मुर्मू एक आदिवासी महिला है और राष्ट्रपति बनना एक बड़ा महत्व का काम होगा, यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मास्टर स्ट्रोक है इससे आदिवासी सांसद प्रभावित होंगे यह सब थोथी बातें सिर्फ बातें ही हैं सबसे बड़ा सबूत यह है कि राष्ट्रपति पद के नामांकन के बाद द्रोपदी मुर्मू के गांव में बिजली आई यह समाचार सुर्खियां बटोरता  दिखाई दिया. क्या देश की जनता के लिए सोचने का विषय नहीं है क्या लोकतंत्र के लिए है शर्म की बात नहीं है कि द्रोपति मुर्मू जो पड़े पड़े पदों में रह चुकी हैं कि गांव में बिजली नहीं थी तो फिर देश का क्या हो रहा है? यह समझने वाली बात है.

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