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The Kapil Sharma Show: इस दिन से ऑनएयर होगा कपिल शर्मा शो, देखें Video

कॉमेडियन कपिल शर्मा के शो का फैंस को बेसब्री से इंतजार है. तो दर्शकों के लिए खुशखबरी है कि जल्द ही कपिल शर्मा शो की टीवी पर वापसी हो रही है. जी हां, सही सुना आपने… चैनल पर ‘द कपिल शर्मा’ का ऑफिशियल प्रोमो वीडियो रिलीज हो गया है. इसके साथ ही ‘द कपिल शर्मा’ कब और कैसे देखें ये सभी डिटेल भी सामने आ चुकी है

‘द कपिल शर्मा’  में इस बार सृष्टि रोड़े भी नजर आएंगी. शो के मेकर्स ने लेटेस्ट प्रोमो शेयर करते हुए बताया कि कपिल शर्मा का नया शो 10 सितंबर से टीवी पर शुरू होने जा रहा है. फैंस हर शनिवार रविवार को ‘द कपिल शर्मा’ को टीवी पर एन्जॉय कर पाएंगे. इस बार फिर सोनी चैनल पर ही कपिल शर्मा का शो प्रसारित होगा.

 

वीडियो में आप देख सकते हैं कि कपिल अस्पताल में भर्ती होते हैं. जैसे ही वह होश में आते हैं तो सभी उनके पास खड़े होते हैं. वह अपने ससुर जी को पहचानते हैं जिसका किरदार इश्तियाक खान निभा रहे हैं. कीकू शारदा गुड़िया के रूप में और चंदन प्रभाकर बतौर चंदू नजर आते हैं. हालांकि कपिल, सुमोना को देखकर कहते हैं ये बहनजी कौन है. इसके बाद सब कहते हैं कि ये तुम्हारी पत्नी है. कपिल इस बात को एक्सेप्ट नहीं करता.

 

शो के पिछले सीजन आपने देखा था कि मंजू बनकर सुमोना चक्रवर्ती ने दर्शकों को खूब हंसाया था. वह कप्पू शर्मा की पड़ोसी बनी थीं. लेकिन इस सीजन में वह उनकी पत्नी बनकर दर्शकों को हंसाने वाली है. इस प्रोमो के जरिए कन्फर्म हो गया है कि इस बार शो में कौन-कौन है. इसके साथ ही पुराने कॉमेडियन भी नए अवतार में नजर आए हैं.

 

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Best Hindi Story : एक गलत सोच – जब बहू चुनने में हुई सरला से गलती

Best Hindi Story : किचन में खड़ा हो कर खाना बनातेबनाते सरला की कमर दुखने लगी पर वे क्या करें, इतने मेहमान जो आ रहे हैं. बहू की पहली दीवाली है. कल तक उसे उपहार ले कर मायके जाना था पर अचानक बहू की मां का फोन आ गया कि अमेरिका से उन का छोटा भाई और भाभी आए हुए हैं. वे शादी पर नहीं आ सके थे इसलिए वे आप सब से मिलना चाहते हैं. उन्हीं के साथ बहू के तीनों भाई व भाभियां भी अपने बच्चों के साथ आ रहे हैं.

कुकर की सीटी बजते ही सरला ने गैस बंद कर दी और ड्राइंगरूम में आ गईं. बहू आराम से बैठ कर गिफ्ट पैक कर रही थी.

‘‘अरे, मम्मी देखो न, मैं अपने भाईभाभियों के लिए गिफ्ट लाई हूं. बस, पैक कर रही हूं…आप को दिखाना चाहती थी पर जल्दी है, वे लोग आने वाले हैं इसलिए पैक कर दिए,’’ बहू ने कुछ पैक किए गिफ्ट की तरफ इशारा करते हुए कहा. तभी सरलाजी का बेटा घर में दाखिल हुआ और अपनी पत्नी से बोला, ‘‘सिमी, एक कप चाय बना लाओ. आज आफिस में काफी थक गया हूं.’’

‘‘अरे, आप देख नहीं रहे हैं कि मैं गिफ्ट पैक कर रही हूं. मां, आप ही बना दीजिए न चाय. मुझे अभी तैयार भी होना है. मेरी छोटी भाभी बहुत फैशनेबल हैं. मुझे उन की टक्कर का तैयार होना है,’’ इतना कह कर सिमी अपने गिफ्ट पैक करने में लग गई.

शाम को सरलाजी के ड्राइंगरूम में करीब 10-12 लोग बैठे हुए थे. उन में बहू के तीनों भाई, उन की बीवियां, बहू के मम्मीपापा, भाई के बच्चे और उन सब के बीच मेहमानों की तरह उन की बहू सिमी बैठी थी. सरला ने इशारे से बहू को बुलाया और रसोईघर में ले जा कर कहा, ‘‘सिमी, सब के लिए चाय बना दे तब तक मैं पकौड़े तल लेती हूं.’’

‘‘क्या मम्मी, मायके से परिवार के सारे लोग आए हैं और आप कह रही हैं कि मैं उन के साथ न बैठ कर यहां रसोई में काम करूं? मैं तो कब से कह रही हूं कि आप एक नौकर रख लो पर आप हैं कि बस…अब मुझ से कुछ मत करने को कहिए. मेरे घर वाले मुझ से मिलने आए हैं, अगर मैं यहां किचन में लगी रहूंगी तो उन के आने का क्या फायदा,’’ इतना कह कर सिमी किचन से बाहर निकल गई और सरला किचन में अकेली रह गईं. उन्होंने शांत रह कर काम करना ही उचित समझा.

सरलाजी ने जैसेतैसे चाय और पकौड़े बना कर बाहर रख दिए और वापस रसोई में खाना गरम करने चली गईं. बाहर से ठहाकों की आवाजें जबजब उन के कानों में पड़तीं उन का मन जल जाता. सरला के पति एकदो बार किचन में आए सिर्फ यह कहने के लिए कि कुछ रोटियों पर घी मत लगाना, सिमी की भाभी नहीं खाती और खिलाने में जल्दी करो, बच्चों को भूख लगी है.

सरलाजी का खून तब और जल गया जब जातेजाते सिमी की मम्मी ने उन से यह कहा, ‘‘क्या बहनजी, आप तो हमारे साथ जरा भी नहीं बैठीं. कोई नाराजगी है क्या?’’

सब के जाने के बाद सिमी तो तुरंत सोने चली गई और वे रसोई संभालने में लग गईं.

अगले दिन सरलाजी का मन हुआ कि वे पति और बेटे से बीती शाम की स्थिति पर चर्चा करें पर दोनों ही जल्दी आफिस चले गए. 2 दिन बाद फिर सिमी की एक भाभी घर आ गई और उस को अपने साथ शौपिंग पर ले गई. शादी के बाद से यह सिलसिला अनवरत चल रहा था. कभी किसी का जन्मदिन, कभी किसी की शादी की सालगिरह, कभी कुछ तो कभी कुछ…सिमी के घर वालों का काफी आनाजाना था, जिस से वे तंग आ चुकी थीं.

एक दिन मौका पा कर उन्होंने अपने पति से इस बारे में बात की, ‘‘सुनो जी, सिमी न तो अपने घर की जिम्मेदारी संभालती है और न ही समीर का खयाल रखती है. मैं चाहती हूं कि उस का अपने मायके आनाजाना कुछ कम हो. शादी को साल होने जा रहा है और बहू आज भी महीने में 7 दिन अपने मायके में रहती है और बाकी के दिन उस के घर का कोई न कोई यहां आ जाता है. सारासारा दिन फोन पर कभी अपनी मम्मी से, कभी भाभी तो कभी किसी सहेली से बात करती रहती है.’’

‘‘देखो सरला, तुम को ही शौक था कि तुम्हारी बहू भरेपूरे परिवार की हो, दिखने में ऐश्वर्या राय हो. तुम ने खुद ही तो सिमी को पसंद किया था. कितनी लड़कियां नापसंद करने के बाद अब तुम घर के मामले में हम मर्दों को न ही डालो तो अच्छा है.’’

सरलाजी सोचने लगीं कि इन की बात भी सही है, मैं ने कम से कम 25 लड़कियों को देखने के बाद अपने बेटे के लिए सिमी को चुना था. तभी पति की बातों से सरला की तंद्रा टूटी. वे कह रहे थे, ‘‘सरला, तुम कितने दिनों से कहीं बाहर नहीं गई. ऐसा करो, तुम अपनी बहन के घर हो आओ. तुम्हारा मन अच्छा हो जाएगा.’’

अपनी बहन से मिल कर अपना दिल हलका करने की सोच से ही सरला खुश हो गईं. अगले दिन ही वे तैयार हो कर अपनी बहन से मिलने चली गईं, जो पास में ही रहती थीं. पर बहन के घर पर ताला लगा देख कर उन का मन बुझ गया. तभी बहन की एक पड़ोसिन ने उन्हें पहचान लिया और बोलीं, ‘‘अरे, आप सरलाजी हैं न विभाजी की बहन.’’

‘‘जी हां, आप को पता है विभा कहां गई है?’’

‘‘विभाजी पास के बाजार तक गई हैं. आप आइए न.’’

‘‘नहींनहीं, मैं यहीं बैठ कर इंतजार कर लेती हूं,’’ सरला ने संकोच से कहा.

‘‘अरे, नहीं, सरलाजी आप अंदर आ कर इंतजार कर लीजिए. वे आती ही होंगी,’’ उन के बहुत आग्रह पर सरलाजी उन के घर चली गईं.

‘‘आप की तसवीर मैं ने विभाजी के घर पर देखी थी…आइए न, शिखा जरा पानी ले आना,’’ उन्होंने आवाज लगाई.

अंदर से एक बहुत ही प्यारी सी लड़की बाहर आई.

‘‘बेटा, देखो, यह सरलाजी हैं, विभाजी की बहन,’’ इतना सुनते ही उस लड़की ने उन के पैर छू लिए.

सरला ने उसे मन से आशीर्वाद दिया तो विभा की पड़ोसिन बोलीं, ‘‘यह मेरी बहू है, सरलाजी.’’

‘‘बहुत प्यारी बच्ची है.’’

‘‘मम्मीजी, मैं चाय रखती हूं,’’ इतना कह कर वह अंदर चली गई. सरला ने एक नजर घुमाई. इतने सलीके से हर चीज रखी हुई थी कि देख कर उन का मन खुश हो गया. कितनी संस्कारी बहू है इन की और एक सिमी है.

‘‘बहनजी, विभा दीदी आप की बहुत तारीफ करती हैं,’’ मेरा ध्यान विभा की पड़ोसिन पर चला गया. इतने में उन की बहू चायबिस्कुट के साथ पकौड़े भी बना कर ले आई और बोली, ‘‘लीजिए आंटीजी.’’

‘‘हां, बेटा…’’ तभी फोन की घंटी बज गई. पड़ोसिन की बहू ने फोन उठाया और बात करने के बाद अपनी सास से बोली, ‘‘मम्मी, पूनम दीदी का फोन था. शाम को हम सब को खाने पर बुलाया है पर मैं ने कह दिया कि आप सब यहां बहुत दिनों से नहीं आए हैं, आप और जीजाजी आज शाम खाने पर आ जाओ. ठीक कहा न.’’

‘‘हां, बेटा, बिलकुल ठीक कहा,’’ बहू किचन में चली गई तो विभा की पड़ोसिन मुझ से बोलीं, ‘‘पूनम मेरी बेटी है. शिखा और उस में बहुत प्यार है.’’

‘‘अच्छा है बहनजी, नहीं तो आजकल की लड़कियां बस, अपने रिश्तेदारों को ही पूछती हैं,’’ सरला ने यह कह कर अपने मन को थोड़ा सा हलका करना चाहा.

‘‘बिलकुल ठीक कहा बहनजी, पर मेरी बहू अपने मातापिता की अकेली संतान है. एकदम सरल और समझदार. इस ने यहां के ही रिश्तों को अपना बना लिया है. अभी शादी को 5 महीने ही हुए हैं पर पूरा घर संभाल लिया है,’’ वे गर्व से बोलीं.

‘‘बहुत अच्छा है बहनजी,’’ सरला ने थोड़ा सहज हो कर कहा, ‘‘अकेली लड़की है तो अपने मातापिता के घर भी बहुत जाती होगी. वे अकेले जो हैं.’’

‘‘नहीं जी, बहू तो शादी के बाद सिर्फ एक बार ही मायके गई है. वह भी कुछ घंटे के लिए.’’

हम बात कर ही रहे थे कि बाहर से विभा की आवाज आई, ‘‘शिखा…बेटा, घर की चाबी दे देना.’’

विभा की आवाज सुन कर शिखा किचन से निकली और उन को अंदर ले आई. शिखा ने खाने के लिए रुकने की बहुत जिद की पर दोनों बहनें रुकी नहीं. अगले ही पल सरलाजी बहन के घर आ गईं. विभा के दोनों बच्चे अमेरिका में रहते थे. वह और उस के पति अकेले ही रहते थे.

‘‘दीदी, आज मेरी याद कैसे आ गई?’’ विभा ने मेज पर सामान रखते हुए कहा.

‘‘बस, यों ही. तू बता कैसी है?’’

‘‘मैं तो ठीक हूं दीदी पर आप को क्या हुआ कि कमजोर होती जा रही हो,’’ विभा ने कहा. शायद सरला की परेशानियां उस के चेहरे पर भी झलकने लगी थीं.

‘‘आंटीजी, आज मैं ने राजमा बनाया है. आप को राजमा बहुत पसंद है न. आप तो खाने के लिए रुकी नहीं इसलिए मैं ले आई और इन्हें किचन में रख रही हूं,’’ अचानक शिखा दरवाजे से अंदर आई, किचन में राजमा रख कर मुसकराते हुए चली गई.

‘‘बहुत प्यारी लड़की है,’’ सरला के मुंह से अचानक निकल गया.

‘‘अरे, दीदी, यही वह लड़की है जिस की बात मैं ने समीर के लिए चलाई थी. याद है न आप को इन के आफिस के एक साथी की बेटी…दीदी आप को याद नहीं आया क्या…’’ विभा ने सरला की याददाश्त पर जोर डालने को कहा.

‘‘अरे, दीदी, जिस की फोटो भी मैं ने मंगवा ली थी, पर इस का कोई भाई नहीं था, अकेली बेटी थी इसलिए आप ने फोटो तक नहीं देखी थी.’’

विभा की बात से सरला को ध्यान आया कि विभा ने उन से इस लड़की के बारे में कहा था पर उन्होंने कहा था कि जिस घर में बेटा नहीं उस घर की लड़की नहीं आएगी मेरे घर में, क्योंकि मातापिता कब तक रहेंगे, भाइयों से ही तो मायका होता है. तीजत्योहार पर भाई ही तो आता है. यही कह कर उन्होंने फोटो तक नहीं देखी थी.

‘‘दीदी, इस लड़की की फोटो हमारे घर पर पड़ी थी. श्रीमती वर्मा ने देखी तो उन को लड़की पसंद आ गई और आज वह उन की बहू है. बहुत गुणी है शिखा. अपने घर के साथसाथ हम पतिपत्नी का भी खूब ध्यान रखती है. आओ, चलो दीदी, हम खाना खा लेते हैं.’’

राजमा के स्वाद में शिखा का एक और गुण झलक रहा था. घर वापस आते समय सरलाजी को अपनी गलती का एहसास हो रहा था कि लड़की के गुणों को अनदेखा कर के उन्होंने भाई न होने के दकियानूसी विचार को आधार बना कर शिखा की फोटो तक देखना पसंद नहीं किया. इस एक चूक की सजा अब उन्हें ताउम्र भुगतनी होगी.

मैं अपने मौसी के लड़के से प्रेम करती हूं, क्या करूं?

सवाल

मैं 22 साल की युवती हूं और इस समय ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही हूं. 5 महीने पहले मेरा अपने होमटाउन जाना हुआ. वहां मेरे बड़े भाई की शादी थी. परिवार के सभी रिश्तेदार आए थे. वहां मेरी मुलाकात मौसी के लड़के से हुई. हम एकदूसरे से पहली बार मिले थे. उस से पहले मुझे उस के बारे में पता नहीं था. शादी की हंसीमजाक, मस्ती में हम दोनों एकदूसरे के करीब आने लगे. मुझे नहीं पता यह कैसे हुआ पर एकदूसरे से लगाव या कह लें प्यार हो गया, यह जानते हुए भी कि रिश्ते में हम दोनों भाईबहन लगते हैं और यह रिश्ता कभी सफल नहीं हो सकता. अभी हम एकदूसरे को रोज मैसेज और फोन कर रहे हैं. हमारे बीच इंटिमेट बातें भी हो जाती हैं. मुझे समझ नहीं आ रहा खुद को कैसे रोकूं और यह सब जो हो रहा है उसे कैसे खत्म करूं?

जवाब

आकर्षण ऐसी चीज है जो विपरीत चीजों को एकदूसरे के करीब खींचता है. आप दोनों आकर्षण का शिकार हुए हैं. शादी में कई लोग मिलते हैं. बहुत बार ऐसे करीबी रिश्तेदार मिलते हैं जिन से कभी जिंदगी में मिले भी नहीं होते. ऐसे में वे हमारे लिए पूरी तरह अनजान ही होते हैं. जिस रिश्ते के लिए दिमाग तैयार नहीं होता वहां आकर्षण अपना काम कर रहा होता है.

आप बता रही हैं जिस से आप इन कुछ दिनों में क्लोज आई हैं, वह रिश्ते में आप का भाई लगता है, यानी आप की मम्मी की बहन का बेटा. मेरी मानिए तो इस रिश्ते को जितनी जल्दी खत्म कर लें उतना ठीक, अभी शुरुआत ही है, वरना इस से आप दोनों को आगे चल कर परेशानी उठानी पड़ सकती है.

भारतीय कल्चर, खासकर हिंदुओं, में इस तरह से क्लोज रिश्ते में शादी करना गलत माना जाता है. आगे जा कर अगर किसी को आप दोनों के बारे में जरा सी भी भनक लगी तो बड़ा विवाद खड़ा हो सकता है. आप की मम्मी और मौसी के बीच रिश्ते बिगड़ सकते हैं. इस का खमियाजा आप को भी भुगतना पड़ सकता है. आप22 साल की हैं, पढ़ाई और कैरियर के लिए मन में कई सपने होंगे, उन सपनों पर इस का प्रभाव पड़ सकता है.

मेरी मानिए तो ऐसे रिश्तों से दूरी बना लें. अपने कैरियर पर फोकस करें. जिस से आप बात कर रही हैं उसे भी समझा दें, इस से कुछ दिन खराब लगेगा पर जल्दी आप अपनीअपनी पटरी पर लौट आएंगे.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

धर्म की जकड़न में कोर्ट

अमेरिका में चर्च का दबाव उसी तरह बढ़ रहा है जैसे भारत में भगवा गैंग का बढ़ रहा है. चर्च का बिजनैस तभी चलता है जब चर्च किसी न किसी मामले को ले कर अपने शिष्यों को लगातार भड़काऊ हालत में रख सकें. औरतों के गर्भपात के हक पर चर्च ने खूब हल्ला मचाया है और अपने शिष्यों को कुछ भी करने की छूट दे कर अपना धंधा बढ़ाया है. नतीजा यह है कि 1973 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने जिस गर्भपात के अधिकार को संवैधानिक माना था, चर्च जाने वाले कट्टरपंथी सुप्रीम कोर्ट के जजों ने जून 2022 में उस फैसले को उलट दिया

और गर्भपात का अधिकार अब मौलिक अधिकार नहीं रह गया.

राज्यों को अधिकार है कि वे चाहें तो गर्भपात को अवैध कर दें. गर्भपात पर बहस चर्च में शुरू होती है जहां धार्मिक कट्टर हर सप्ताह संडे को जमा होते हैं और बाइबिल के चुने हुए अंशों को ईश्वरवाणी मान कर प्रवचन देते पादरी के आगे नतमस्तक हो कर हां में हां मिलाते हैं. राज्यों के अधिकांश राजनीतिबाज भारत की तरह चर्च में मत्था टेके बिना जीत नहीं सकते क्योंकि धर्म के धंधे की खासीयत यह है कि इस में इकट्ठा होने की एक जगह बनवा दी जाती है और बचपन से ही धर्म का पाठ घोटघोट कर पढ़ा दिया जाता है.

चर्च की बातों में आए पोलिटीशियनों की यह हिम्मत नहीं होती कि वे काल्पनिक, अतार्किक व भ्रमित बातों, जो धर्मग्रंथों में लिखी हैं, का विरोध कर सकें. बाइबिल में सैकड़ों कहानियां ऐसी हैं जिन्हें किसी भी युग में सत्य नहीं माना जा सकता था, फिर भी उन्हें सुनने वाले मस्त हो जाते थे और उन का इस्तेमाल घर की औरतों, बच्चों, पड़ोसियों व दोस्तों के साथसाथ दुश्मनों पर भी करते रहे हैं.

इन्हीं लोगों की सेना आज चर्च का एजेंडा चला रही है और अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला इसी का नतीजा है. जज भी बेहद धार्मिक होते हैं क्योंकि धर्म की चाशनी में डूबे राजनीतिबाज उन्हें पहले छोटा जज बनवाते हैं, फिर सुप्रीम कोर्ट तक ले जाते हैं. हमारे यहां भी ऐसे सुप्रीम कोर्ट जज रहे हैं और अभी हैं जो सत्ता में बैठे लोगों को लगभग ईश्वर सा सम्मान देते रहे हैं क्योंकि उन्होंने ही उन्हें यह पद दिलाया.

गर्भपात का हक औरत का और सिर्फ औरत का है और यह फैसला कि गर्भपात होना चाहिए या नहीं, डाक्टर और पेशेंट के बीच का है, इस में न चर्च बीच में आता है न कोई धर्म. पर अगर बच्चे नहीं हुए तो दान कौन देगा, कौन धर्म के नाम पर दूसरों की जान लेगा, अपनी जान देगा.

बच्चे औरतों को घर की गुलाम बनाने में भी बड़ा योगदान देते हैं. बच्चों की खातिर औरतें पतियों की गुलामी करती हैं, पिटती हैं, रातदिन खटती हैं और बेसमय बूढ़ी हो जाती हैं. उन्हें भी लगने लगता है कि उन को कहीं सुकून मिलेगा तो ईश्वर की दुकान पर जहां धर्म का दुकानदार, जो चिकनीचुपड़ी बातें कहने का एक्सपर्ट है, उन्हें पति या पिता के अधीन रहने का आदेश देता है और क्षणिक सुख के लिए अपने साथ सुला भी लेता है. अगर बच्चों का जबरन बो झ न हो तो औरतें स्वतंत्र रह कर अपना कैरियर बना सकती हैं, ऊंचाइयों पर जा सकती हैं.

बच्चों की चाहत हर औरत में प्राकृतिक है. वह गर्भपात तब कराती है जब उसे होने वाला बच्चा बो झ लगने लगे. जिंदा बच्चे को वह मार नहीं सकती पर जो अभी पैदा ही नहीं हुआ उस पर उस का पूरा हक है और होना चाहिए. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उलटा फैसला दे कर अमेरिका को पश्चिमी एशिया के इराक, ईरान, सऊदी अरब और अफगानिस्तान जैसे मुसलिम कट्टरपंथी देशों की कतार में ला खड़ा कर दिया है.

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट अब लोगों को शांति व हक के साथ जीने की छत नहीं दे रहा, वह तो एकएक कर के पिछले 200-300 सालों में मिले मौलिक अधिकारों को छीन कर चर्च या चर्च समर्थक नेताओं के हाथों में दे रहा है. ‘रो बनाम वेड’ के फैसले को उलटना वैसा ही है जैसे भारत में आपातकाल को सही ठहराने या राममंदिर को बनाने की जगह देने के फैसले थे. ये ऐसे खंजर हैं जो पूरे समाज को गहरा घाव देते हैं, दिखते नहीं, खून नहीं बहता पर शरीर अधमरा हो जाता है.

अमेरिका अब लोकतांत्रिक मूल्यों के रक्षक होने का दावा नहीं कर सकता. वह रूस व चीन की तरह कट्टरपंथी देश है जो फिलहाल आर्थिक तौर पर उन्नत है पर उस का पतन निश्चित है.

न्यूमैटिक प्लांटर: बोआई की आधुनिक मशीन

इस मशीन की खूबी यह है कि एक ही बार में एक से ज्यादा फसलों के बीज की बोआई कर सकती है. यह मशीन सामान्य सीड ड्रिल यंत्र से उन्नत यंत्र है. इस यंत्र से किसान सभी प्रकार के बीजों की बोआई आसानी से कर सकते हैं. अलगअलग फसलों के अनुसार बीजों का जमीन में गिरने का अंतर रखने के लिए भी सुविधा दी गई है.

इस मशीन में एक ब्लोअर लगा होता है. यह ब्लोअर हवा के दबाव से बीज को उठा कर बीज बोने की प्रकिया पूरी करता है. बीज की दर आप अपनी मनचाही मात्रा के अनुसार तय कर सकते हैं. इस न्यूमैटिक प्लांटर को ट्रैक्टर के पीछे जोड़ कर चलाया जाता है. इस मशीन को कुछ खास निर्माता ही बनाते हैं.

न्यूमैटिक प्लांटर की विशेषताएं

* एक ही समय में एक ही जगह तय दूरी पर एक ही बीज गिरता है. बीज छूटने या डबल बीज गिरने की गुंजाइश न के बराबर होती है.

* बोआई के समय बीज को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है.

* बोआई के दौरान बीजों के बीच सही दूरी होने से फसल अच्छी तरीके से होती है. नतीजतन, अच्छी पैदावार मिलती है.

* बीज की सही गहराई पर बोआई करने से फसल की बढ़वार एकसमान होती है.

* डैप्थ ह्वील व प्रैस ह्वील से बीज की गहराई को नियंत्रित किया जा सकता है.

* इस मशीन का इस्तेमाल करने से मजदूरी में कमी आती है और बोआई में होने वाला खर्च कम होता है. साथ ही, समय की बचत भी होती है.

* इस मशीन से आप 2, 4 या 6 लाइनों में अपनी सुविधा के मुताबिक बोआई कर

सकते हैं.

* इस के इस्तेमाल से कीमती बीजों की बचत होती है.

अधिक जानकारी के लिए नेशनल एग्रो इंडस्ट्रीज की वैबसाइट या उन के द्वारा दिए गए फोन नंबरों  91-161-2222041, 5087853, 4641299 और उन के मोबाइल नंबर

91-8146101101 पर संपर्क कर सकते हैं. ठ्ठ

Manohar Kahaniya: तांत्रिक की सेक्स पूजा

सौजन्य: मनोहर कहानियां

मृत्युदोष और भूत का भय दिखा कर ठगी करने वाला तथाकथित तांत्रिक अय्याश भी था. रेप करना उस की तंत्र पूजा में शामिल था. यहां तक कि इस कुकर्म में उस का बेटा अभिषेक सिरसवाल प्रचारक था.  बदहवास युवती अजमेर के थाना आदर्श नगर थानाप्रभारी सुगन सिंह के सामने जमीन पर घबराई हुई आ

कर बैठ गई. उस ने उन के पांव पकड़ लिए और गिड़गिड़ाने लगी, ‘‘साहबजी, मुझे बचा लीजिए, वह आज फिर मेरी इज्जत लूटेगा.’’

‘‘कौन इज्जत लूटेगा? मेरा पैर छोड़ो पहले. ऊपर कुरसी पर सामने बैठ कर बताओ कि क्या कहना चाहती हो?’’ सुगन सिंह बोले और एक महिला सिपाही को पानी का गिलास लाने के लिए कहा.

‘‘महिला सिपाही एक गिलास पानी ले आई. तब तक करीब 22-23 साल की दिखने वाली युवती थानाप्रभारी के सामने की कुरसी पर बैठ गई. झट से पानी का गिलास ले कर पानी तेजी से पी गई.

‘‘अब शांति से बताओ कि तुम्हारा नाम क्या है? कहां से आई हो? क्या बात है? तुम क्यों घबराई हुई हो?’’ थानाप्रभारी सुगन सिंह ने एक साथ कई सवाल

कर दिए.

‘‘मेरा नाम ललिता है साहब. मुझे बचा लो साहब, मैं अब घर नहीं जाऊंगी. क्योंकि वह फिर मेरे साथ रेप करेगा. बहुत तकलीफ होती है साहब. बुरीबुरी हरकत करता है वो,’’ युवती एक सांस में बोली.

‘‘कौन है वह? पूरी बात साफसाफ बताओ. पहले इस पन्ने पर अपना नाम और पूरा पता लिखो,’’ थानाप्रभारी ने उस की ओर सादा पन्ना लगा राइटिंग पैड और कलम बढ़ा दिया. युवती पन्ने पर अपना नामपता लिखने के बाद बताने लगी—

‘‘साहब, मैं यहीं आदर्श नगर क्षेत्र में ही रहती हूं. मैं 22 फरवरी को अपने मातापिता के साथ एक रिश्तेदार की शादी में दिल्ली गई थी. वहीं एक तथाकथित तांत्रिक राजेंद्र कुमार ने मेरे मातापिता को बताया कि उन का पूरा परिवार मृत्युदोष से ग्रसित है.

‘‘उस ने कहा कि परिवार में पहले छोटी बेटी, फिर पिता उस के बाद बड़ी बेटी की मृत्यु होने वाली है. हवन और पूजापाठ से इस बला से मुक्ति मिल सकती है.

उस ने खुद को पहुंचा हुआ तांत्रिक

बताया था.

‘‘मेरे पिता उस की बातों में आ गए और उसे अपने घर आने को कह दिया. उस के बाद  27 फरवरी, 2022 को वह तांत्रिक हमारे घर आ गया और पूजापाठ की तैयारी करने के साथ ही कहा कि विशेष पूजा सिर्फ घर की बड़ी बेटी के साथ होगी.

‘‘परिवार वाले तांत्रिक के हर आदेश को मानते हुए बड़ी बेटी के नाते मुझे घर में छत पर बने एक कमरे में तांत्रिक के साथ बंद कर दिया. तांत्रिक पूजा करने के लिए मंत्रजाप करने लगा. उस ने मुझे मंत्रपूरित पानी पीने के लिए दिया.

‘‘पानी पीते ही मेरी आंखें मुंदने लगीं. अर्द्धबेहोशी की हालत में उस ने मेरे कपड़े उतार दिए और मेरे साथ जबरदस्ती की. मैं ने उस का विरोध किया तब उस ने मेरी पिटाई कर दी. मुझे यह कह कर डरा दिया कि उस की आज्ञा का पालन नहीं किया तो मांबाप की मौत हो जाएगी.

‘‘मैं डर गई. उस ने मेरे साथ रेप किया और पिता से एक लाख रुपए भी लिए. एक सप्ताह बाद वह फिर आया और मेरे साथ एक मंदिर में पूजा करने के बहाने से वह मुझे मुरैना ले गया. वहां मुझे एक धर्मशाला में ठहराया और मेरे साथ जोरजबरदस्ती की.

‘‘उस के बाद होली से पहले घर आया और पूजापाठ के बहाने से रेप किया. फिर वही बाबा आज घर आ गया है और पूजा करने की योजना बना रहा है. वह फिर मेरी इज्जत लूटेगा. मेरे साथ जोरजबरदस्ती करेगा… मुझे बचा लीजिए साहब.’’

यह बात 19 मार्च, 2022 की है. ललिता की शिकायत पर थानाप्रभारी सुगन सिंह ने ललिता को विश्वास दिलाया कि अब तुम्हारे साथ कुछ नहीं होगा और उस तांत्रिक के खिलाफ कानूनी काररवाई की जाएगी.

मामला काफी गंभीर था, इसलिए थानाप्रभारी ने उसी वक्त यह जानकारी उच्चाधिकारियों को भी दे दी. तब अजमेर के एसपी ने एक एसआईटी का गठन किया. इस टीम में एएसपी (सिटी) विकास सांगवान, सीओ (दक्षिण) राजेंद्र बुरडक, थानाप्रभारी सुगन सिंह, एएसआई विजय कुमार, हैडकांस्टेबल संतोष कुमार, कांस्टेबल रमेश, करतार सिंह, पीयूष आदि को शामिल किया.

ललिता को साथ ले कर पुलिस टीम आदर्श नगर स्थित उस के घर पहुंच गई. उस समय घर पर वह तांत्रिक ललिता के घर वालों के साथ बातें करने में मशगूल था. ललिता के साथ पुलिस को देख कर उस के घर वाले ही नहीं, बल्कि तांत्रिक राजेंद्र भी चौंक गया.

ललिता के इशारे पर पुलिस ने तांत्रिक राजेंद्र को हिरासत में ले लिया. लेकिन उस का सहयोगी पवन वहां से भाग गया.

पुलिस ने तांत्रिक को गिरफ्तार करने की वजह ललिता के मातापिता को बताई तो उन के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई. उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि जिस तांत्रिक के कहने पर वह सब कुछ कर रहे थे, वह उन के घर की इज्जत से खिलवाड़ कर रहा है. घर वालों से पूछताछ करने के बाद पुलिस तांत्रिक राजेंद्र को थाने ले आई.

पूछताछ में पता चला कि उस तथाकथित तांत्रिक का नाम राजेंद्र कुमार वाल्मिकी है और वह दिल्ली के गुलाबी बाग क्षेत्र स्थित प्रताप नगर में रहता है. राजस्थान के रहने वाले ललिता के पिता की तांत्रिक के संपर्क में आने की एक अलग घटना है.

दरअसल, ललिता के पिता कोरोना काल के दौरान वायरस संक्रमण का शिकार हो गए थे. स्वस्थ होने के बाद वह अपने कामधंधे में जुट गए थे, लेकिन जब भी कुछ अनहोनी होती तो वह डर जाते थे.

इसी बीच फरवरी, 2022 में उन का दिल्ली जाना हुआ. वहां उन के एक रिश्तेदार के यहां शादी थी. उसी दौरान उन्होंने अपने रिश्तेदार से अपनी समस्या बताई. रिश्तेदार ने इस का उपाय करने के लिए एक तांत्रिक से मिलवाया.

वह तांत्रिक कोई और नहीं राजेंद्र कुमार वाल्मिकी था. तांत्रिक ने देखते ही बताया कि उस पर भूत का साया है और वह मृत्युदोष का शिकार है. उस ने छूटते ही कहा कि उस पर एक बार मृत्यु आ कर वापस लौट चुकी है, लेकिन अबकी बार आएगी तब बारीबारी से परिवार के 3 सदस्यों को अपने साथ ले जाएगी.

ललिता के पिता यह सुन कर डर गए. उन का 4 लोगों का परिवार था. पतिपत्नी और 2 बेटियां. वह चिंतित हो गए कि पता नहीं परिवार के किस सदस्य को मौत गले लगा ले. उन्होंने बाबा से तुरंत उपाय पूछा.

बाबा ने कहा कि घर में 5 दिनों का अनुष्ठान करना होगा और अनुष्ठान में घर की कुंवारी कन्या को शामिल करना जरूरी होगा. इस के साथ ही उस ने कुछ शर्तें भी रखीं, जो उस ने कान में कही थीं. इस में मोटी रकम खर्च की भी बात थी.

ललिता के पिता ने बाबा की सभी शर्तों को मान कर तांत्रिक राजेंद्र को फरवरी, 2022 महीने में अपने घर बुला लिया और तांत्रिक पूजा के लिए घर की छत का एक कमरा दे दिया. पूजा में शामिल होने के लिए उन्होंने बड़ी बेटी को सौंप दिया.

उस के बाद बाबा ने तंत्र पूजा के बहाने से वासना का खेल खेला. रेपलीला की. परिवार के बाकी सदस्यों ने बाबा की खूब आवभगत की थी.

शिक्षित ललिता समझ गई कि उस के पिता ढोंगी तांत्रिक के जाल में फंस चुके हैं. उस ने हिम्मत दिखाई और थाने जा कर उस तांत्रिक के खिलाफ रिपोर्ट लिखवा दी.

पुलिस ने ढोंगी तांत्रिक के मोबाइल फोन की जांच की तो उस से कई राज खुले. जांच में सामने आया कि राजेंद्र कुमार वाल्मिकी खुद को भगवान बताता था. कहता था, वह भूत को बोतल में बंद कर रखता है. फिर मृत्यु दोष और भूत के साए के नाम पर लोगों को डराधमका कर उन की बहूबेटियों से रेप करता था.

तांत्रिक धंधे में जुड़ने से पहले राजेंद्र कुमार दिल्ली में आटोरिक्शा चलाता था. वह सट्टा व जुआ भी लगाता था. नौकरी का झांसा दे कर धोखाधड़ी करता था. इतना ही नहीं, वह खुद 5वीं फेल है, लेकिन बीमारियों का शर्तिया इलाज करने का झांसा दे कर लोगों से रुपए ऐंठता था. वह जिस परिवार को निशाना बनाता, उस के बारे में दूर के रिश्तेदारों से पहले ही सारी जानकारियां जुटा लेता था.

परिवार की समस्या को दूर करने के लिए तांत्रिक राजेंद्र उस के घर में आसन जमा लेता. रात के समय लोगों को उन से जुड़ी पुरानी बुरी घटनाओं को बता कर स्वयं को भगवान का अवतार बताता.

परिजनों से कहता कि आप के घर में भयानक भूत ने अड्डा जमा रखा है. भविष्य में सब से पहले आप की सब से छोटी संतान को मारेगा और उस के बाद सब की बारी आएगी.

मंत्रों से भूत को बोतल में बंद करने के लिए परिवार की सब से बड़ी बेटी को कमरे में अकेले साथ भेजने के लिए कहता. एकांत में तांत्रिक क्रिया करने का नाटक करता. डरेसहमे परिजन ढोंगी की बातों में आ कर बहूबेटियों को उस के कमरे में भेज देते थे.

वह परिजनों को दरवाजे के बाहर बैठा देता और जोरजोर से कुल देवता का मंत्र जाप करने के लिए कहता. इस दौरान तांत्रिक क्रिया के बहाने वह महिलाओं से रेप करता था.

बोतल में काले डोरे, रंग आदि लगा कर लाता और परिजनों से कहता कि तंत्रमंत्र कर भूत को बोतल में बंद कर दिया है. अब इस बोतल को दूर जंगल में फेंक आओ.

एक पीडि़त परिवार से किसी दूसरे पीडि़त परिवार के बारे में जानकारी जुटाता और फिर इस प्रकार एक चेन सिस्टम बना कर लोगों को फंसाता था.

तांत्रिक के मोबाइल फोन में औनलाइन सट्टे पर दांव लगाने के सबूत भी पुलिस को मिले. पुलिस की शुरुआती पड़ताल में सामने आया कि दिल्ली निवासी विजय सोनकर ने ढोंगी बाबा को अपने तीनों बेटों की सरकारी नौकरी लगवाने के लिए 10 लाख रुपए दिए थे.

मामले में पीडि़त विजय द्वारा दिल्ली के सराय रोहिल्ला थाने में मुकदमा दर्ज कराया था. साथ ही ढोंगी बाबा से कई लोगों का इलाज करने के बहाने रुपए ऐंठने की वाट्सऐप चैटिंग और पेमेंट के स्क्रीनशौट मिले.

अजमेर पुलिस ने इस ढोंगी तांत्रिक राजेंद्र को गिरफ्तार कर उस के काले कारनामों से परदा उठा दिया. बताते हैं कि यह 300 से 400 परिवारों को अपना शिकार बना चुका है.

इतना ही नहीं, जब आरोपी बाबा को गिरफ्तार किया गया, तब उस ने पुलिस पर अपने तंत्रमंत्र का भय दिखाया, लेकिन पुलिस की सख्ती के आगे ज्यादा देर नहीं टिक पाया.

पुलिस गिरफ्त में आने के बाद तांत्रिक राजेंद्र का कानून के चंगुल से बचना मुश्किल हो गया. उस पर अंधविश्वास, ठगी से ले कर रेप तक की धाराएं लगा कर पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

इस मामले में ढोंगी बाबा राजेंद्र वाल्मिकी (49) के बेटे अभिषेक सिरसवाल उर्फ बुक्की (25 साल) को भी पुलिस ने दिल्ली की सराय रोहिल्ला मलकागंज रेलवे कालोनी से गिरफ्तार कर लिया.

वह अपने पिता की तंत्र विद्या का प्रचार करता था. लोगों को उन के चमत्कारी उपाय के बारे में बताता था. भूतप्रेत भगाने के नाम पर वसूली जाने वाली रकम को वह ही लेता था.

फरार हो चुके तांत्रिक के सहयोगी पवन कुमार को पुलिस संभावित स्थानों पर तलाश रही थी, लेकिन वह कथा संकलन तक गिरफ्तार नहीं हो सका था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में ललिता परिवर्तित नाम है.

तीज 2022: ट्राई करें ये आसान मेहंदी डिजाइन

सदियों से ही सजने-संवरने के लिए लड़कियां व महिलाएं  मेहंदी  का इस्तेमाल करती आ रही हैं. मगर आजकल वक्त और फैशन की लहर के संग मेहंदी  में भी तरह-तरह के एक्सपैरीमैंट्स हो रहे हैं और वो सभी को भा भी रहे हैं. कैसा है रूप मेहंदी  के इन नए बदलावों का. आइए जानते हैं फाउंडर औफ A.L.P.S ब्यूटी ग्रुप की डा. भारती तनेजा से…  और आप इस तीज पर इन मेहंदी डिजाइन्स को  जरूर ट्राई करें.

हरी मेहंदी – पारंपरिक हरी मेहंदी  के डिजाइनों का आकर्षण तो सदाबहार है. हरी मेहंदी  सिर्फ श्रृंगार ही नहीं बल्कि जीवन में प्यार व खुशियों का उपहार मानी जाती है. शुभता का प्रतीक होने के साथ-साथ ये ठंडक का एहसास भी देती है. हरी मेहंदी  का रंग गहरा चढ़े, इसके लिए पेस्ट बनाते समय मेहंदी  में कुछ बूंदें नींबू का रस, आठ-दस बूंदें मेहंदी का तेल और चुटकी भर कत्था भी मिला सकती हैं. फिर देखिए मेहंदी  कैसे खिलकर खिलकर आती है.

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मारवाड़ी मेहंदी – मारवाड़ी मेहंदी  भी हरी मेहंदी  का ही एक स्टाइल है. राजस्थानी व मारवाड़ी मेहंदी  भी फैशन में है. इस स्टाइल की मेहंदी  में बाजूओं पर भी कड़े के स्टाइल में डिजाइन बनाया जाता है. इसके अंतगर्त बेहद पतले कोन का इस्तेमाल किया जाता है और हाथों पर मेहंदी  के डिजाइन को बहुत ही खूबसूरती से उकेरा जाता है. इसके विभिन्न प्रकार के डिजाइंस में शहनाई, ढोलक, बैंडबाजे, मोर जैसी कलाकृतियां शामिल होती हैं. इस मेहंदी  की खासियत यह है कि ये दोनों हाथों में एक जैसी होती है जिस कारण इसे लगाना भी आसान नहीं होता.

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अरेबियन मेहंदी – अरेबियन मेहंदी  में ब्लैक केमिकल से ऑउटलाइन की जाती है और फिर पारंपरिक हरी मेहंदी  से शेडिंग कर दी जाती है या फिर उसे पूरा भर दिया जाता है. इससे डिजाइन तो उभर कर आता ही है साथ ही मेहंदी  भी खूब अच्छी तरह से रचती है. काले और सुर्ख लाल रंग लिए इस मेंहदी पर आप अपने कपड़ों के रंग व डिजाइन से मैच करते रंग-बिरंगे स्टोन्स और कुंदन भी लगवा सकती हैं.

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कलरफुल फैंटेसी मेहंदी – अब डिजाइनर मेहंदी  का ट्रैंड जोर पकड़ रहा है. ड्रेस और ज्वेलरी के रंग व डिजाइन के तालमेल वाले डिजाइन बनाने के साथ महिलाएं कलरफुल मेहंदी पसंद कर रही हैं. फैंटेसी मेकअप की तरह ही फैंटेसी मेहंदी   हाथों पर लगाई जा रही है, जो विभिन्न रंगों की शेड लिए होती है, जिन्हें बाद में कुंदन,  रंग-बिरंगे नगों से सजाया जाता है. आज के इस फैशन युग में ज्वैलरी, फुटवियर, एक्सेसरीज़ जब सब कुछ ड्रेस से मैच करके खरीदे जाते हैं तो ऐसे में मेहंदी  कैसे पीछे रह सकती है. कलरफुल फैंटेसी मेहंदी  के ज़रिए आप अपने हाथों पर ड्रेस से मैच करते रंगों से मेंहदी का डिजाइन बनवा सकती हैं. यह मेंहदी देखने में काफी खूबसूरत लगती है साथ ही पारंपरिक मेहंदी  से ज्यादा स्टाइलिश होती है.

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ज्वैल मेहंदी – ज्वैल मेहंदी  शब्द ज्वेलरी और मेहंदी  दो शब्दों को मिलाकर बना है जिसका अर्थ है मेहंदी  की ज्वेलरी. यह काफी कलात्मक और सृजनात्मक होता है. इसमें एक मेकअप आर्टिस्ट को अपनी कल्पनाशीलता में उतरकर मेहंदी  से इस प्रकार का लुक देना होता है जिसे देखकर ऐसा लगे कि आपने ज्वेलरी पहन रखी है. आप अगर बार-बार एक ही डिजाइन की ज्वैलरी पहन कर बोर हो गई हैं और कुछ ऐसा चाहती हैं कि आप भीड में सबसे अलग दिखें तो ज्वैल मेहंदी  को चुन सकती हैं. इसे बनाने के लिए मेहंदी  और विभिन्न रंगों के साथ-साथ सोने व चांदी के स्पार्कल डस्ट का भी प्रयोग किया जाता है. इसे बनवाते समय ध्यान देना चाहिए कि यह आपके ड्रेस व ज्वेलरी से मैचिंग हो.

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जरदोजी मेहंदी – किसी विशेष पार्टी, फेस्टिवल या शादी के मौके पर लड़कियां या महिलाएँ इस मेहंदी  को अपने हाथ, पैर, पीठ, बाजू और यहां तक कि नाभि पर भी बनवा सकती हैं. ये मेहंदी  सिल्वर या गोल्डन शेड लिए होती है. मेहंदी  रचे हाथों में सिल्वर या गोल्डन ग्लिटर से डिजाइन बनाया जाता है. इससे मेहंदी की सुंदरता कई गुना बढ़ जाती है साथ ही उसमें चमक भी आ जाती है. इस मेहंदी   पर स्टड, कुंदन, जर्कन, सितारे व मोती लगाकर उसे हैवी लुक दिया जाता है.

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टैटू मेंहदी- इन दिनों लड़कियों में मेहंदी टैटू का चलन ज्यादा हो गया है. इसके अंदर बाजुओं, पेट, पीठ व बॉडी के अन्य खुले भागों पर रंग-बिरंगी तितली, एंजिल या ड्रैगन आदि टैटू बनाए  जाते हैं. ये टैटू आपको खूबसूरत लुक तो देते हैं साथ ही आपको स्टाइलिश और फैशेनिस्ता की कैटेगरी में भी ला देते हैं.

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ऐसे बनाएं मेहंदी का पेस्ट

मेहंदी पाऊडर को मलमल के बारीक कपड़े से दो-तीन बार छानें. मेहंदी में कुछ बूंदें नींबू का रस, आठ-दस बूंदें नीलगिरी का तेल और जरूरत के हिसाब से पानी मिला कर गाढ़ा पेस्ट बना लें. मेहंदी गहरी रचाने के लिए कुछ बूंदें मेहंदी का तेल व चुटकी भर कत्था भी मिला सकती हैं. परफैक्ट टैक्सचर पाने के लिए कटी हुई भिंडी का पानी लें. उस पानी में मेहंदी को तकरीबन दो घंटे के लिए भिगो दें. इसे लगाएं. फिर देखिए मेहंदी कैसे खिलकर आती है. तो फिर है न इस राखी मेहंदी से अपने हाथों को खूबसूरत रंग  देने के लिए तैयार.

तुम्हारे अपनों के लिए: क्या रिश्तों का यह तानाबाना यों ही उलझा रहा

दिल्ली से भोपाल तक का सफर  बहुत लंबा नहीं है, लेकिन भैया से मिलने की चाह में श्रेया को वह रात काफी लंबी लगी थी. ज्यादा खुशी और दुख दोनों में ही आंखों से नींद उड़ जाती है. बस, वही हाल दिल्ली से भोपाल आते हुए श्रेया का होता है. नींद उस की आंखों से कोसों दूर भाग जाती है. रातभर अपनी बर्थ पर करवटें बदलते हुए वह हर स्टेशन पर झांक कर देखती है.

‘भोपाल आ तो नहीं गया?’

‘अभी कितनी दूर है?’

जैसेतैसे सफर खत्म हुआ और टे्रन भोपाल पहुंची. खिड़की से ही उसे भैया दिख गए. वे फोन पर बातें कर रहे थे. ट्रेन रुकते ही भैया लपक कर डब्बे में उस की बर्थ ढूंढ़ते हुए आ गए. श्रेया बड़े भैया से लिपट गई. उस की आंखें भीग गईं. उस के बड़े भाई श्रेयस की आंखें भी छोटी बहन को देखते ही छलक गईं.

दोनों स्टेशन से बाहर निकले और कार में बैठ कर घर की ओर चल दिए. श्रेया भाई से बातें करने के साथ ही एकएक सड़क और आसपास की हर एक घरदुकान को बड़े कुतूहल से देख रही थी. वह अकसर ही भाई के यहां आती रहती थी. जहां बचपन गुजरा हो उस जगह का मोह सब चीजों से ऊपर ही होता है. जल्दी ही कार उन के पुश्तैनी मकान के आगे रुकी. श्रेया ने नजरभर घर को देखा और भैया के साथ अंदर चली गई.

रसोई से श्रेया के पसंदीदा व्यंजनों की खुशबू आ रही थी. कार की आवाज सुनते ही उस की भाभी स्नेहा लपक कर बाहर आई.

‘‘भाभी, कैसी हो?’’ श्रेया भाभी स्नेह के गले में बांहें डाल कर झूल गई.

‘‘इतनी बड़ी हो गई पर अभी तक बचपना नहीं गया,’’ स्नेहा ने प्यार से उस का गाल थपथपाते हुए कहा.

‘‘मैं कितनी भी बड़ी हो जाऊं मगर तुम्हारी तो बेटी ही रहूंगी न भाभी,’’ श्रेया ने लाड़ से कहा.

‘‘वह तो है. जा अपने कमरे में जा कर फ्रैश हो जा, मैं नाश्ता लगाती हूं,’’ स्नेहा बोली. श्रेया अपने कमरे में चली आई.

2 साल हो गए उस की शादी को लेकिन उस का कमरा आज भी बिलकुल वैसा का वैसा ही है. समय पर कमरे की सफाई हो जाती है. शादी के पहले की उस की जो भी चीजें, किताबें, सामान था सब ज्यों का त्यों करीने से रखा था. श्रेया का मन अपनी भाभी के लिए आदर से भर उठा. भैया उस से पूरे 10 साल बड़े थे. वह 12वीं में ही थी कि मां चल बसी. जल्दी ही पिताजी भी चले गए. भैयाभाभी ने ही उसे मांबाप का प्यार दिया और शादी की.

श्रेया बाहर आई तो टेबल पर नाश्ता लग चुका था. सारी चीजें उस की पसंद की बनी थीं, सूजी का हलवा, पनीर के पकौड़े व फ्रूट क्रीम नाश्ता करने के बाद तीनों बैठ कर बातें करने लगे.

दोपहर को श्रेया के दोनों भतीजे 7 साल का अंकुर और 4 साल का अंशु स्कूल से लौटे, तो बूआ को देख कर वे खुशी से उछल गए. श्रेया दोनों को साथ ले कर अपने कमरे में चली गई और उन के लिए लाई चीजें उन्हें दिखाने लगी.

रात को दोनों भतीजे श्रेया के साथ ही सोते थे. स्नेहा जब अपने काम निबटा कर कमरे में आई तो उस ने देखा कि श्रेयस तकिये से पीठ टिकाए बैठे हैं.

‘‘क्या बात है, किस चिंता में डूबे हुए हैं इतना?’’ स्नेहा ने पास बैठते हुए पूछा.

‘‘कुछ नहीं, बस, श्रेया के लिए ही परेशान हूं. उस का बारबार इस तरह यहां चले आना, ऐसा बचपना ठीक नहीं है,’’ श्रेयस ने चिंता जाहिर की.

‘‘अभी छोटी है, समझ जाएगी,’’ स्नेहा ने दिलासा दिया.

‘‘स्नेहा, अब इतनी छोटी भी नहीं रही वह. सारंग भी आखिर कब तक सहन करेगा. तुम समझाओ न उसे. तुम्हारे तो बहुत नजदीक है वह.’’

‘‘हां, नजदीक तो है लेकिन उस के साथ जो समस्या है उस विषय पर मेरा उस के साथ बात करना ठीक नहीं रहेगा. कुछ रिश्ते बहुत नाजुक डोर से बंधे होते हैं. इस बारे में तो आप ही उस से बात करना,’’ स्नेहा ने श्रेयस को समझाते हुए कहा.

‘‘शायद तुम ठीक कहती हो, मैं ही मौका देख कर बात करता हूं उस से,’’ श्रेयस ने कहा.

आंख बंद कर के वह पलंग पर लेट गया, लेकिन नींद तो आंखों से कोसों दूर थी. 2 साल हो गए श्रेया और सारंग की शादी को. सारंग बहुत अच्छा और समझदार लड़का है. श्रेया को प्यार भी बहुत करता है. दोनों ही एकदूसरे के साथ बहुत खुश थे. परंतु अपने वैवाहिक जीवन में श्रेया ने खुद ही समस्या खड़ी कर ली.

सारंग दिल्ली में एक मल्टीनैशनल कंपनी में उच्चपद पर आसीन है. उस के मातापिता उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर में रहते हैं. सारंग पढ़ाई में बहुत तेज था. वह दिल्ली में रह कर पढ़ा और वहीं जौब भी लग गई. भले ही उस का उठनाबैठना दिल्ली के उच्चवर्ग के साथ है, मगर वह खुद जमीन से जुड़ा हुआ है.

श्रेया अपने जीवन में बस, सारंग का साथ चाहती है. उसे सारंग की फैमिली, मातापिता, बहनजीजा सब बैकवर्ड लगते हैं. वह न तो उन लोगों का अपने घर आनाजाना पसंद करती है और न ही सारंग का वहां जाना उसे पसंद है. दीवाली पर भी श्रेया खुद तो अपनी ससुराल जाती नहीं है और सारंग को भी जाने नहीं देती. हर त्योहार वह चाहती है कि सारंग भोपाल आ कर मनाए. राखी व भाईदूज पर भी सारंग सालभर से घर नहीं जा पाया है. इस वजह से वह अंदर ही अंदर घुटता रहता है.

अब तो उस के घर वालों को भी श्रेया का स्वभाव समझ आ गया है इसलिए वे भी खुद उस से कटेकटे रहने लगे हैं. लेकिन सारंग बेचारा तो 2 पाटों के बीच पिस रहा है. वह श्रेया से भी बहुत प्यार करता है और अपने घर वालों से भी. उस के घर वाले इतने भले लोग हैं कि उन्होंने सारंग से यही कहा कि उन की चिंता वह न करे, बस, श्रेया को खुश रखे.

लेकिन श्रेया है कि खुश नहीं है. तब भी उसे यही लगता है कि सारंग उस से ज्यादा अपने घर वालों की परवा करता है. श्रेया से तो उसे प्यार है ही नहीं. सारंग के प्रति श्रेया यही सोच पाले बैठी है. मगर उसे यह समझ नहीं आता कि घर वालों से अलग रह कर सारंग गुमसुम सा क्यों न रहेगा. बस, उसे यही शिकायत है कि वह तो सारंग के लिए सबकुछ करती है, तब भी सारंग खुश नहीं है और वह उस की जरा भी कद्र नहीं करता.

आजकल श्रेया इसी दुख में जबतब भोपाल आ जाती है. श्रेयस को बहन का घर आना बुरा नहीं लगता, लेकिन वह अपने घर को उपेक्षित कर के और सारंग के प्रति मन में गांठ बांध कर आती है, वह ठीक नहीं है.

सारंग के आगे श्रेयस खुद को अपराधी महसूस करता है, क्योंकि उस की बहन की वजह से वह अपने मांबाप से दूर हो रहा है.

दूसरे दिन औफिस से आ कर जब  श्रेयस चाय पी चुका तो स्नेहा ने  उसे इशारा किया कि दोनों बच्चों को पार्क में ले जाने के बहाने एकांत में बैठ कर वह श्रेया से बात करे. श्रेयस दोनों बच्चों और श्रेया के साथ पार्क में चला आया. दोनों बच्चे आते ही दूसरे बच्चों के साथ खेलने और झूला झूलने में मगन हो गए. श्रेयस और श्रेया पास ही एक बैंच पर बैठ कर दोनों को देखने लगे.

‘‘सारंग से कुछ बात हुई? कैसा है वह?’’ श्रेयस ने बात शुरू की.

‘‘नहीं, कोई बात नहीं, कोई फोन नहीं. उसे मेरी फिक्र होती तो मुझे बारबार यहां भाग कर आने का मन क्यों होता.’’ श्रेया उदास हो गई.

‘‘ये भी तुम्हारा ही घर है. जब चाहो, जितनी भी बार चाहो, आ जाओ. लेकिन सारंग को तुम्हारी फिक्र नहीं है, ऐसी गलतफहमी मन में मत पालो, श्रेया.’’

‘‘तो आप ही बताइए, मुझे यहां आए 2 दिन हो गए हैं, एक बार भी उस का फोन नहीं आया. उस ने यह तक नहीं पूछा कि मैं पहुंच गई या नहीं. अब मैं और क्या सोचूं.’’ श्रेया बोली.

‘‘तो क्या तुम ने भी उसे मैसेज डाला या फोन किया कि तुम पहुंच गई. तुम भी तो कर सकती थी. और यह मत सोचो कि उसे तुम्हारी फिक्र नहीं है. कल तुम्हारी ट्रेन पहुंचने से पहले से ही उस के फोन आ रहे थे कि मैं स्टेशन पहुंचा या नहीं, तुम ठीक से पहुंच गई कि नहीं,’’ श्रेयस ने बताया, ‘‘तुम ही उसे गलत समझ रही हो.’’

‘‘मैं गलत नहीं समझ रही भैया. आप भाभी से कितने अटैच्ड हो, उन का हर कहा मानते हो. मगर सारंग को तो वह मुझ से लगाव है नहीं,’’ श्रेया की आवाज में उदासी थी.

‘‘रिश्तों में प्यार एकतरफा नहीं होता श्रेया, पाने से पहले हमें खुद देना पड़ता है. तुम सिर्फ लेना चाह रही हो, देना नहीं.’’

‘‘भैया, मैं क्या कमी करती हूं सारंग के लिए, उस के कपड़े धोना, उस का पसंदीदा खाना बनाना, उस का पूरा ध्यान रखती हूं और अब इस से ज्यादा क्या करूं?’’ श्रेया ने तुनक कर कहा.

‘‘शादी के बाद लड़की सिर्फ पति के साथ ही नहीं जुड़ती है, बल्कि उस के पूरे परिवार के साथ भी जुड़ती है. तुम्हारी समस्या यह है कि तुम परिवार के नाम पर सिर्फ और सिर्फ सारंग को ही चाहती हो, उस के घर वालों को अपनाना नहीं चाहती. तुम ने उस बेचारे को अनाथ बना कर रख दिया है. उसे उस के अपनों से अलगथलग कर दिया है. फिर तुम उम्मीद करती हो कि वह तुम से दिल से अटैच्ड रहे? तब भी वह अभी तक तो तुम से बहुत प्यार करता है श्रेया, लेकिन अगर तुम्हारा ऐसा ही रवैया रहा तो जल्दी ही वह तुम से दूर हो जाएगा,’’ श्रेयस ने उसे समझाते हुए कहा.

‘‘भैया, मैं ने सारंग से शादी की है, उस के बैकवर्ड घर वालों के साथ नहीं,’’ श्रेया की आवाज में अहं की झलक थी.

‘‘ऐसी मतलबी सोच रख कर चलने से रिश्ते नहीं निभाए जाते श्रेया,’’ श्रेयस की आवाज में बहन की सोच पर गहरा अफसोस छलक रहा था, ‘‘जीवनसाथी के दिल को जीतने के रास्ते बहुत सी राहों से गुजरते हैं, उन में सब से महत्त्वपूर्ण उस के अपने हैं. तुम सारंग के मन पर तभी राज कर सकती हो, जब उस के अपनों के मन को अपने प्यार से जीत लोगी.’’

‘‘मुझे किसी का मन जीतने की जरूरत नहीं है,’’ श्रेया रूखे स्वर में बोली.

‘‘फिर तो तुम बहुत जल्दी ही सारंग को खो दोगी और ताउम्र उस के प्यार के लिए तरसती रहोगी,’’ श्रेयस सख्ती से बोला, ‘‘अच्छा श्रेया, जैसा व्यवहार तुम सारंग के घर वालों के साथ करती हो, वैसे ही अवहेलना स्नेहा तुम्हारी करने लगे तो तब तुम्हें कैसा लगेगा?’’

‘‘भैया…’’ श्रेया अवाक हो कर उस का मुंह देखने लगी.

‘‘मैं सच बताऊं, मैं स्नेहा से क्यों इतना अटैच्ड हूं, क्यों उस पर इतना भरोसा करता हूं? क्योंकि वह तुम पर और मेरे बाकी अपनों पर जान छिड़कती है. मुझ से भी ज्यादा तुम सब से वह प्यार करती है. तुम जब भी आने वाली होती हो, वह अलार्म लगा कर सोती है ताकि तुम्हें स्टेशन लेने जाने में मुझे देरी न हो जाए. तुम्हारा कमरा भी पिछले 2 वर्षों से उसी की जिद से वैसा का वैसा रखा गया है ताकि तुम्हें कभी यह न लगे कि यहां किसी भी तरह से हम लोगों में या परिस्थितियों में फर्क आ गया है. तुम जब भी आओ, तुम्हें वही माहौल और घर मिले. उस की सोच भी तुम्हारी तरह होती तो क्या आज तुम बारबार यहां आ पाती, क्या मैं ही उस से इतना प्यार कर पाता?

‘‘जितना प्यार मैं स्नेहा से करता हूं श्रेया, बिना मांगे, बिना कहे उस ने उस से कहीं अधिक मुझे और मेरे अपनों को दिया है. तुम्हें तो फिर भी कुछ न दे कर बहुतकुछ मिल रहा है अब तक. अफसोस यह है कि तुम सिर्फ स्नेहा का प्राप्य देख रही हो पर अपनी छोटी सोच के चलते तुम यह देखना भूल गई कि उस ने इस घर में पैर रखते ही हम सब को कितना अधिक दिया है.

‘‘सारी जिम्मेदारियां उस ने कितनी कुशलता से निभाई हैं. औरत पति से पूरा लगाव, पूरी तवज्जुह चाहती है तो उसे भी पति के अपनों को पूरी तवज्जुह और प्यार देना आना चाहिए. स्नेहा ने यह बात समझी, तभी वह सब को साथ ले कर सब का प्यार, सम्मान और साथ पा रही है. मगर तुम ने…’’ एक गहरी सांस ले कर श्रेयस चुप हो गया.

अंधेरा घिरने लगा था. दोनों बच्चों को ले कर वे घर आ गए. दूसरे दिन चाय की ट्रे ले कर श्रेयस और स्नेहा गैलरी में आए तो देखा  श्रेया फोन पर बात कर रही थी. ‘‘न, न, अम्मा, कोई बहाना नहीं चलेगा. इस बार की दीवाली आप सब हमारे साथ ही मनाएंगे, बस.’’ अम्मा आगे कुछ बोलती उस से पहले श्रेया ने अम्मा की बात काटते हुए कहा, ‘‘इस बार मैं भैयाभाभी को भी अपने पास दिल्ली बुला लूंगी तो एकसाथ सब की भाईदूज एक ही जगह हो जाएगी और हां, गुड्डी से कहिए, लहंगा व पायल न खरीदे, मैं यहां ले कर रखूंगी.

‘‘और अम्मा, आते समय मेरे लिए मावे वाली गुझिया और अनरसे जरूर बना कर लाइएगा. मुझे आप के हाथ के बने बहुत पसंद हैं. अच्छा अम्मा रखती हूं, बाबूजी को प्रणाम कहिएगा. गुड्डी स्कूल से आ जाए, फिर शाम को उस से बात करती हूं.’’

स्नेहा और श्रेयस ने संतोषभरी मुसकान के साथ एकदूसरे की ओर देखा और दोनों की आंखें भीग गईं. अब श्रेया को सारंग से कभी कोई शिकायत नहीं होगी क्योंकि वह उस के अपनों का महत्त्व जान कर उन की कद्र करना सीख गईर् थी.

रणबीर ने मांगी फैंस से माफी, Pregnant आलिया की बॉडी शेमिंग पर हुए थे ट्रोल

आलिया भट्ट इन दिनों अपनी प्रेग्नेंसी को खूब इंजॉय कर रही है. वह अक्सर अपनी बेबीबंप की फोटोज सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती हैं. इसी बीच रणबीर कपूर आलिया भट्ट की प्रेग्नेंसी को लेकर दिए गए अपने बयान के बाद सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग के शिकार हुए. आइए बताते हैं, क्या है पूरा मामला…

दरअसल एक लाइव सेशन के दौरान रणबीर ने अपनी पत्नी आलिया के बेबी बंप की तरफ इशारा करते हुए उन्हें ‘फैलोड’ कह दिया था. लेकिन फैंस को रणबीर का यह बयान बिल्कुल भी पसंद नहीं आया. सोशल मीडिया पर यूजर्स ने एक्टर को आलिया की बॉडी शेमिंग करने के लिए खूब लताड़ लगाई.

 

हाल ही में रणबीर ने अपने बयान को लेकर फैंस से माफी मांगी है. एक रिपोर्ट के अनुसार, एक्टर अपनी अपमिंग फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ के प्रमोशन के दौरान फैंस से माफी मांगते हुए कहा है, सबसे पहले मैं ये कहना चाहता हूं कि मैं अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता हूं.  इसके बाद रणबीर ने आलिया को ‘फैलोड’ कहने पर कहा,  मुझे लगता है कि वह जोक था, जो लोगों को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया.

 

एक्टर ने आगे कहा कि अगर मेरे बयान से किसी को भी ठेस पहुंची है, उसके लिए मैं माफी मांगता हूं. मेरा ऐसा करने का कोई इरादा नहीं था, इसलिए मैं उन लोगों से माफी मांगना चाहता हूं, जो मेरे उस बयान से नाराज हो गए थे.

 

रणबीर ने ये भी बताया कि उन्होंने इस बारे में आलिया से बात की थी और वह इस मुद्दे को लेकर हंसने लगी थीं. उन्होंने कहाकि  आलिया को वह बात बिल्कुल भी बुरी नहीं लगी. लेकिन मेरा सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत खराब है और कभी-कभी मुझे ही इसका खामियाजा भुगतना पड़ जाता है. बता दें कि जल्द ही आलिया-रणबीर पेरेंट्स बनने वाले हैं.

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