Download App

नशा : बाई की बातें नीरा को हजम क्यों नहीं हो रही थीं?

आगंतुकों के स्वागत सत्कार के चक्कर में बैठक से मुख्य दरवाजे तक नीरा के लगभग 10 चक्कर लग चुके थे, लेकिन थकने के बजाय वे स्फूर्ति ही महसूस कर रही थीं, क्योंकि आगंतुकों द्वारा उन की प्रशंसा में पुल बांधे जा रहे थे. हुआ यह था कि नीरा की बहू पूर्वी का परीक्षा परिणाम आ गया था. उस ने एम.बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी. लेकिन तारीफों के पुल बांधे जा रहे थे नीरा के. पूर्वी तो बेचारी रसोई और बैठक के बीच ही चक्करघिन्नी बनी हुई थी. बीचबीच में कोई बधाई का जुमला उस तक पहुंचता तो वह मुसकराहट सहित धन्यवाद कह देती. आगंतुकों में ज्यादातर उस की महिला क्लब की सदस्याएं ही थीं, तो कुछ थे उस के परिवार के लोग और रिश्तेदार. नीरा को याद आ रहा था इस खूबसूरत पल से जुड़ा अपना सफर.

जब महिला क्लब अध्यक्षा के चुनाव में अप्रत्याशित रूप से उन का नाम घोषित हुआ था, तो वे चौंक उठी थीं. और जब धन्यवाद देने के लिए उन्हें माइक थमा दिया गया था, तो साथी महिलाओं को आभार प्रकट करती वे अनायास ही भावुक हो उठी थीं, ‘‘आप लोगों ने मुझ पर जो विश्वास जताया है उस के लिए मैं आप सभी की आभारी हूं. मैं प्रयास करूंगी कि अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए आप लोगों की अपेक्षाओं पर खरी उतरूं.’’

लेकिन इस तरह का वादा कर लेने के बाद भी नीरा का पेट नहीं भरा था. वे चाहती थीं कुछ ऐसा कर दिखाएं कि सभी सहेलियां वाहवाह कर उठें और उन्हें अपने चयन पर गर्व हो कि अध्यक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण पद के लिए उन्होंने सर्वथा उपयुक्त पात्र चुना है. बहुत सोचविचार के बाद नीरा को आखिर एक युक्ति सूझ ही गई. बहू पूर्वी को एम.बी.ए. में प्रवेश दिलवाना उन्हें अपनी प्रगतिशील सोच के प्रचार का सर्वाधिक सुलभ हथियार लगा. शादी के 4 साल बाद और 1 बच्चे की मां बन जाने के बाद फिर से पढ़ाई में जुट जाने का सास का प्रस्ताव पूर्वी को बड़ा अजीब लगा. वह तो नौकरी भी नहीं कर रही थी.

उस ने दबे शब्दों में प्रतिरोध करना चाहा तो नीरा ने मीठी डांट पिलाते हुए उस का मुंह बंद कर दिया, ‘‘अरे देर कैसी? जब जागो तभी सवेरा. अभी तुम्हारी उम्र ही क्या हुई है? मेरे दिमाग में तो तुम्हें आगे पढ़ाने की बात शुरू से ही थी. शुरू में 1-2 साल तो मैं ने सोचा मौजमस्ती कर लेने दो फिर देखा जाएगा. पर तब तक गोलू आ गया और तुम उस में व्यस्त हो गईं. अब वह भी ढाई साल का हो गया है. थोड़े दिनों में नर्सरी में जाने लगेगा. घर तो मैं संभाल लूंगी और ज्यादा जरूरत हुई तो खाना बनाने वाली रख लेंगे.’’

‘‘लेकिन एम.बी.ए. कर के मैं करूंगी क्या? नौकरी? मैं ने तो कभी की नहीं,’’ पूर्वी कुछ समझ नहीं पा रही थी कि सास के मन में क्या है?

‘‘पढ़ाई सिर्फ नौकरी के लिए ही नहीं की जाती. वह करो न करो तुम्हारी मरजी. पर इस से ज्ञान तो बढ़ता है और हाथ में डिगरी आती है, जो कभी भी काम आ सकती है. समझ रही हो न?’’

‘‘जी.’’

‘‘मैं ने 2-3 कालेजों से ब्रोशर मंगवाए हैं. उन्हें पढ़ कर तय करते हैं कि तुम्हें किस कालेज में प्रवेश लेना है.’’

‘‘मुझे अब फिर से कालेज जाना होगा? घर बैठे पत्राचार से…’’

‘‘नहींनहीं. उस से किसी को कैसे पता चलेगा कि तुम आगे पढ़ रही हो?’’

‘‘पता चलेगा? किसे पता करवाना है?’’ सासूमां के इरादों से सर्वथा अनजान पूर्वी कुछ भी समझ नहीं पा रह थी.

‘‘मेरा मतलब था कि पत्राचार से इसलिए नहीं क्योंकि उस की प्रतिष्ठा और मान्यता पर मुझे थोड़ा संदेह है. नियमित कालेज विद्यार्थी की तरह पढ़ाई कर के डिगरी लेना ही उपयुक्त होगा.’’

पूर्वी के चेहरे पर अभी भी हिचकिचाहट देख कर नीरा ने तुरंत बात समेटना ही उचित समझा. कहीं तर्कवितर्क का यह सिलसिला लंबा खिंच कर उस के मंसूबों पर पानी न फेर दे.

‘‘एक बार कालेज जाना आरंभ करोगी तो खुदबखुद सारी रुकावटें दूर होती चली जाएंगी और तुम्हें अच्छा लगने लगेगा.’’

वाकई फिर ऐसा हुआ भी. पूर्वी ने कालेज जाना फिर से आरंभ किया और आज उसे डिगरी मिल गई थी. उसी की बधाई देने नातेरिश्तेदारों, पड़ोसियों, पूर्वी  की सहेलियों और नीरा के महिला क्लब की सदस्याओं का तांता सा बंध गया था. पूर्वी से ज्यादा नीरा की तारीफों के सुर सुनाई पड़ रहे थे.

‘‘भई, सास हो तो नीरा जैसी. इन्होंने तो एक मिसाल कायम कर दी है. लोग तो अपनी बहुओं की शादी के बाद पढ़ाई, नौकरी आदि छुड़वा कर घरों में बैठा लेते हैं. सास उन पर गृहस्थी का बोझ लाद कर तानाशाही हुक्म चलाती है. और नीरा को देखो, गृहस्थी, बच्चे सब की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले कर बहू को आजाद कर दिया. ऐसा कर के उन्होंने एक आदर्श सास की भूमिका अदा की है. हम सभी को उन का अनुसरण करना चाहिए.’’

‘‘अरे नहीं, आप लोग तो बस ऐसे ही…’’ प्रशंसा से अभिभूत और स्नेह से गद्गद नीरा ने प्रतिक्रिया में खींसे निपोर दी थीं.

‘‘नीरा ने आज एक और बात सिद्ध कर दी है,’’ अपने चिरपरिचित रहस्यात्मक अंदाज में सुरभि बोली.

‘‘क्या? क्या?’’ कई उत्सुक निगाहें उस की ओर उठ गईं.

‘‘यही कि अपने क्लब की अध्यक्षा के रूप में उन का चयन कर के हम ने कोई गलती नहीं की. ये वास्तव में इस पद के लिए सही पात्र थीं. अपने इस प्रगतिशील कदम से उन्होंने अध्यक्षा पद की गरिमा में चार चांद लगा दिए हैं. हम सभी को उन पर बेहद गर्व है.’’ सभी महिलाओं ने ताली बजा कर अपनी सहमति दर्ज कराई. ये ही वे पल थे जिन से रूबरू होने के लिए नीरा ने इतनी तपस्या की थी. गर्व से उन की गरदन तन गई.

‘‘आप लोग तो एक छोटी सी बात को इतना बढ़ाचढ़ा कर प्रस्तुत कर रहे हैं. सच कहती हूं, यह कदम उठाने से पहले मेरे दिल में इस तरह की तारीफ पाने जैसी कोई मंशा ही नहीं थी. बस अनायास ही दिल जो कहता गया मैं करती चली गई. अब आप लोगों को इतना अच्छा लगेगा यह तो मैं ने कभी सोचा भी नहीं था. खैर छोडि़ए अब उस बात को…कुछ खानेपीने का लुत्फ उठाइए. अरे सुरभि, तुम ने तो कुछ लिया ही नहीं,’’ कहते हुए नीरा ने जबरदस्ती उस की प्लेट में एक रसगुल्ला डाल दिया. शायद यह उस के द्वारा की गई प्रशंसा का पुरस्कार था, जिस का नशा नीरा के सिर चढ़ कर बोलने लगा था.

‘‘मैं आप लोगों के लिए गरमगरम चाय बना कर लाती हूं,’’ नीरा ने उठने का उपक्रम किया.

‘‘अरे नहीं, आप बैठो न. चाय घर जा कर पी लेंगे. आप से बात करने का तो मौका ही कम मिलता है. आप हर वक्त घरगृहस्थी में जो लगी रहती हो.’’

‘‘आप बैठिए मम्मीजी, चाय मैं बना लाती हूं,’’ पूर्वी बोली.

‘‘अरे नहीं, तू बैठ न. मैं बना दूंगी,’’ नीरा ने फिर हलका सा उठने का उपक्रम करना चाहा पर तब तक पूर्वी को रसोई की ओर जाता देख वे फिर से आराम से बैठ गईं और बोली, ‘‘यह सुबह से मुझे कुछ करने ही नहीं दे रही. कहती है कि हमेशा तो आप ही संभालती हैं. कभी तो मुझे भी मौका दीजिए.’’

पूर्वी का दबा व्यक्तित्व आज और भी दब्बू हो उठा था. सासूमां के नाम के आगे जुड़ती प्रगतिशील, ममतामयी, उदारमना जैसी एक के बाद एक पदवियां उसे हीन बनाए जा रही थीं. उसे लग रहा था उसे तो एक ही डिगरी मिली है पर उस की एक डिगरी की वजह से सासूमां को न जाने कितनी डिगरियां मिल गई हैं. कहीं सच में उसे कालेज भेजने के पीछे सासूमां का कोई सुनियोजित मंतव्य तो नहीं था?…नहींनहीं उसे ऐसा नहीं सोचना चाहिए.

‘‘पूर्वी बेटी, मैं कुछ मदद करूं?’’ बैठक से आवाज आई तो पूर्वी ने दिमाग को झटका दे कर तेजी से ट्रे में कप जमाने आरंभ कर दिए, ‘‘नहीं मम्मीजी, चाय बन गई है. मैं ला रही हूं,’’ फिर चाय की ट्रे हाथों में थामे पूर्वी बैठक में पहुंच कर सब को चाय सर्व करने लगी. विदा लेते वक्त मम्मीजी की सहेलियों ने उसे एक बार फिर बधाई दी.

‘‘यह बधाई डिगरी के लिए भी है और नीरा जैसी सास पाने के लिए भी, सुरभि ने जाते वक्त पूर्वी से हंस कर कहा.’’

‘‘जी शुक्रिया.’’

अंदर लौटते ही नीरा दीवान पर पसर गईं और बुदबुदाईं, ‘‘उफ, एक के बाद एक…हुजूम थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. थक गई मैं तो आवभगत करतेकरते.’’ जूठे कपप्लेट उठाती पूर्वी के हाथ एक पल को ठिठके पर फिर इन बातों के अभ्यस्त कानों ने आगे बढ़ने का इशारा किया तो वह फिर से सामान्य हो कर कपप्लेट समेटने लगी.

‘‘मीनाबाई आई नहीं क्या अभी तक?’’ नीरा को एकाएक खयाल आया.

‘‘नहीं.’’

‘‘ओह, फिर तो रसोई में बरतनों का ढेर लग गया होगा. इन बाइयों के मारे तो नाक में दम है. लो फिर घंटी बजी…तुम चलो रसोई में, मैं देखती हूं.’’

फिर इठलाती नीरा ने दरवाजा खोला, तो सामने पूर्वी के मातापिता को देख कर बोल उठीं, ‘‘आइएआइए, बहुतबहुत बधाई हो आप को बेटी के रिजल्ट की.’’

‘‘अरे, बधाई की असली हकदार तो आप हैं. आप उसे सहयोग नहीं करतीं तो उस के बूते का थोड़े ही था यह सब.’’

‘‘अरे आप तो मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं. मैं ने तो बस अपना फर्ज निभाया है. आइए, बैठिए. मैं पूर्वी को भेजती हूं,’’ फिर पूर्वी को आवाज दी, ‘‘पूर्वी बेटा. तुम्हारे मम्मीपापा आए हैं. अब तुम इन के पास बैठो. इन्हें मिठाई खिलाओ, बातें करो. अंदर रसोई आदि की चिंता मुझ पर छोड़ दो. मैं संभाल लूंगी.’’

नीरा ने दिखाने को यह कह तो दिया था. पर अंदर रसोई में आ कर जो बरतनों का पहाड़ देखा तो सिर पकड़ लिया. मन ही मन बाई को सौ गालियां देते हुए उन्होंने बैठक में नाश्ता भिजवाया ही था कि देवदूत की तरह पिछले दरवाजे से मीनाबाई प्रकट हुई.

‘‘कहां अटक गई थीं बाईजी आप? घर में मेहमानों का मेला सा उमड़ आया है और आप का कहीं अतापता ही नहीं है. अब पहले अपने लिए चाय चढ़ा दो. हां साथ में मेहमानों के लिए भी 2 कप बना देना. मैं तो अब थक गई हूं. वैसे आप रुक कहां गई थीं?’’

‘‘कहीं नहीं. बहू को साथ ले कर वर्माजी के यहां गई थी इसलिए देर हो गई.’’

‘‘अच्छा, काम में मदद के लिए,’’ नीरा को याद आया कि अभी कुछ समय पूर्व ही मीनाबाई के बेटे की शादी हुई थी.

‘‘नहींनहीं, उसे इस काम में नहीं लगाऊंगी. 12वीं पास है वह. उसे तो आगे पढ़ाऊंगी. वर्माजी के यहां इसलिए ले गई थी कि वे इस की आगे की पढ़ाई के लिए कुछ बता सकें. उन्होंने पत्राचार से आगे पढ़ाई जारी रखने की कही है. फौर्म वे ला देंगे. कह रहे थे इस से पढ़ना सस्ता रहेगा. मेरा बेटा तो 7 तक ही पढ़ सका. ठेला चलाता है. बहुत इच्छा थी उसे आगे पढ़ाने की पर नालायक तैयार ही नहीं हुआ. मैं ने तभी सोच लिया था कि बहू आएगी और उसे पढ़ने में जरा भी रुचि होगी तो उसे जरूर पढ़ाऊंगी.’’

‘‘पर 12वीं पास लड़की तुम्हारे बेटे से शादी करने को राजी कैसे हो गई?’’ बात अभी भी नीरा को हजम नहीं हो रही थी. 4 पैसे कमाने वाली बाई उसे कड़ी चु़नौती देती प्रतीत हो रही थी.

‘‘अनाथ है बेचारी. रिश्तेदारों ने किसी तरह हाथ पीले कर बोझ से मुक्ति पा ली. पर मैं उसे कभी बोझ नहीं समझूंगी. उसे खूब पढ़ाऊंगीलिखाऊंगी. इज्जत की जिंदगी जीना सिखाऊंगी.’’

‘‘और घर बाहर के कामों में अकेली ही पिसती रहोगी?’’

‘‘उस के आने से पहले भी तो मैं सब कुछ अकेले ही कर रही थी. आगे भी करती रहूंगी. मुझे कोई परेशानी नहीं है, बल्कि जीने का एक उद्देश्य मिल जाने से हाथों में गति आ गई है. लो देखो, बातोंबातों में चाय तैयार भी हो गई. अभी जा कर दे आती हूं. मैं ने कड़क चाय बनाई है. आधा कप आप भी ले लो. आप की थकान उतर जाएगी,’’ कहते हुए मीनाबाई ट्रे उठा कर चल दी. नीरा को अपना नशा उतरता सा प्रतीत हो रहा था.

ठीक हो गए समीकरण

‘प्रैक्टिकल होने का क्या फायदा? लौजिक बेकार की बात है. प्रिंसिपल जीवन में क्या दे पाते हैं? सिद्धांत केवल खोखले लोगों की डिक्शनरी के शब्द होते हैं, जो हमेशा डरडर कर जीवन जीते हैं. सचाई, ईमानदारी सब किताबी बातें हैं. आखिर इन का पालन कर के तुम ने कौन से झंडे गाड़ लिए,’’ सुकांत लगातार बोले जा रहा था और उसे लगा जैसे वह किसी कठघरे में खड़ी है. उस के जीवन यहां तक कि उस के वजूद की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. सारे समीकरण गलत व बेमानी साबित करने की कोशिश की जा रही है.

‘‘जो तुम कमिटमैंट की बात करती हो वह किस चिडि़या का नाम है… आज के जमाने में कमिटमैंट मात्र एक खोखले शब्द से ज्यादा और कुछ नहीं है. कौन टिकता है अपनी बात पर? अपने हित की न सोचो तो अपने सगे भी धोखा देते हैं और तुम हो कि सारी जिंदगी यही राग अलापती रहीं कि जो कहो, उसे पूरा करो.’’

‘‘तुम कहना चाहते हो कि झूठ और बेईमान ही केवल सफल होते हैं,’’ सुकांत की

इतनी कड़वी बातें सुनने के बावजूद वह उस की संकीर्ण मानसिकता के आगे झुकने को तैयार नहीं थी. आखिर कैसे वह उस की जिंदगी के सारे फलसफे को झुठला सकता है? जिस आदमी को उस ने अपनी जिंदगी के 25 साल दिए हैं, वही आज उस का मजाक उड़ा रहा है, उस की मेहनत, उस के काम और कबिलीयत सब को इस तरह से जोड़घटा रहा है मानो इन सब चीजों का आकलन कैलकुलेटर पर किया जाता हो. हालांकि जिस तरह से सुकांत की कनविंस व मैनीपुलेट करने की क्षमता है, उस के सामने कुछ पल के लिए तो उस ने भी स्वयं को एक फेल्योर के दर्जे में ला खड़ा किया था.

‘‘अगर तुम ने यह ईमानदारी और मेहनत का जामा पहनने के बजाय चापलूसी और डिप्लोमैसी से काम लिया होता तो आज अपने कैरियर की बुलंदियों को छू रही होती. सोचो तो उम्र के इस पड़ाव पर तुम कहां हो और तुम से जूनियर कहां निकल गए हैं. अचार डालोगी अपनी काबिलीयत का जब कोई पूछने वाला ही नहीं होगा,’’ सुकांत के चेहरे पर एक बीभत्सता छा गई थी. लग रहा था कि आज वह उस का अपमान करने को पूरी तरह से तैयार था. अपनी हीनता को छिपाने का इस से अच्छा तरीका और हो भी क्या सकता था उस के लिए कि वह उस के सम्मान के चीथड़े कर दे.

‘‘फिर तो तुम्हारे हिसाब से मैं ने जो ईमानदारी और पूर्ण समर्पण के साथ तुम्हारे साथ अपना रिश्ता निभाया, वह भी बेमानी है. मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था,’’ उस ने थोड़ी तलखी से कहा.

‘‘मैं रिश्ते की बात नहीं कर रहा. दोनों चीजों को साथ न जोड़ो. मैं तुम्हारे कैरियर के बारे में बात कर रहा हूं,’’ सुकांत जैसे हर तरह से मोरचा संभाले था.

‘‘क्यों, यह बात तो हर चीज पर लागू होनी चाहिए. तुम अपने हिसाब से जब चाहो मानदंड तय नहीं कर सकते… और जहां तक मेरी बात है तो मैं अपने से संतुष्ट हूं खासकर अपने कैरियर से. तुम ने कभी न तो मुझे मान दिया है और न ही दे सकते हो, क्योंकि तुम्हारी मानसिकता में ऐसा करना है ही नहीं. किसे बरदाश्त कर सकते हो तुम,’’ न जाने कब का दबा आक्रोश मानो उस समय फूट पड़ा था. वह खुद हैरान थी कि आखिर उस में इतनी हिम्मत आ कहां से गई.

‘‘ज्यादा बकवास मत करो नीला, कहीं मेरा धैर्य न चुक जाए,’’ बौखला गया था सुकांत. इतना सीधा प्रहार इस से पहले नीला ने उस पर कभी नहीं किया था.

‘‘तुम्हारा धैर्य तो हमेशा बुलबुलों की तरह धधकता रहा है… मारोगे? गालियां दोगे? इस के सिवा तुम कर भी क्या सकते हो? अच्छा यही होगा हम इस बारे में और बात न करें,’’ नीला बात को आगे नहीं बढ़ाना चाहती थी. फायदा भी कुछ नहीं था. सुकांत जब पिछले 24 सालों में नहीं बदला तो अब क्या बदलेगा. जो अपनी पत्नी की इज्जत करना न जानता हो, उस से बहस करने से कुछ हासिल नहीं होने वाला था.

 

नीला को बस इसी बात का अफसोस था कि वह अपने बेटे को सुकांत के इन्फलुएंस से बचा नहीं पाई थी. पता नहीं क्यों नीरव को हमेशा लगता था कि पापा ही ठीक हैं. संस्कारों की जो पोटली उस ने बचपन में नीरव को सौंपी थी वह उस ने बड़े होने के साथ ही कहीं दुछती पर पटक दी थी. उस के बाद उसे कभी खोलने की कोशिश नहीं की. वह बहुत समझाती कि नीरव खुद अपनी आंखों से दुनिया देखो, पापा के चश्मे से नहीं. पर वह भी उस की बेइज्जती कर देता. उस की बात अनसुनी कर पापा के खेमे में शामिल हो जाता. वह मनमसोस कर रह जाती. स्कूलकालेज और उस के बाद अब नौकरी में भी वह पापा के बताए रास्ते पर ही चल रहा है.

अपने बेटे को गलत रास्ते पर जाते देखने के बावजूद वह कुछ नहीं कर पा रही थी.

उस पीड़ा को वह दिनरात सह रही थी और नीरव की जिंदगी को ले कर ही वह उस समय सुकांत से लड़ पड़ी थी. विडंबना तो यह थी कि नीरव की बात करने के बजाय सुकांत उस की जिंदगी के पन्नों को ही उलटनेपलटने लगा था. यह सच था कि वह डिप्लोमैसी से सदा दूर रही और सिर्फ काम पर ही उस ने ध्यान दिया और इस वजह से वह बहुत तेजी से उन लोगों की तुलना में कामयाबी की सीढि़यां नहीं चढ़ पाई जो खुशामद और चालाकी की फास्ट स्पीड ट्रेन में बैठ आगे निकल गए थे. लेकिन उसे अफसोस नहीं था, क्योंकि उस की ईमानदारी ने उसे सम्मान दिलाया था.

कई बार सुकांत के रवैए को देख कर उस का भी विश्वास डगमगा जाता था पर वह संभल जाती थी या शायद उस की प्रवृत्ति में ही नहीं था किसी को धोखा देना.

‘‘और जो तुम नीरव को ले कर मुझे हमेशा ताना मारती रहती हो न, देखना एक दिन वह बहुत तरक्की करेगा. सही राह पर चल रहा है वह. बिलकुल वैसे ही जैसे आज के जमाने की जरूरत है. लोगों को धक्का न दो तो वे आप को धकेल कर आगे निकल जाते हैं.’’

नीला का मन कर रहा था कि वह जोरजोर से रोए और उस से कहे कि वह नीरव को मुहरा न बनाए. नीला को परास्त करने का मुहरा. सुकांत उसे देख रहा था मानो उस का उपहास उड़ा रहा हो.

कितनी देर हो गई है, नीरव क्यों नहीं आया अब तक. परेशान सी नीला बरामदे के चक्कर लगाने लगी. रात के 10 बज रहे थे. मोबाइल भी कनैक्ट नहीं हो रहा था उस का. मन में अनगिनत बुरे विचार चक्कर काटने लगे. कहीं कुछ हो तो नहीं गया… औफिस में भी कोई फोन नहीं उठा रहा था. सुकांत को तो शराब पीने के बाद होश ही नहीं रहता था. वह सो चुका था.

अचानक नीला का मोबाइल बजा. कोई अंजान नंबर था. फोन रिसीव करते हुए उस के हाथ थरथराए.

‘‘नीरव के घर से बोल रहे हैं?’’

नीला के मन की बुरी आशंकाएं फिर से सिर उठाने लगीं, ‘‘क्या हुआ उसे, वह ठीक तो है न? आप कौन बोल रहे हैं?’’ उस का स्वर कांप रहा था.

‘‘वैसे तो वे ठीक हैं, पर फिलहाल जेल में हैं, उन्हें अरैस्ट किया गया है. अपनी कंपनी में कोई घोटाला किया है उन्होंने. कंपनी के मालिक के कहने पर उन्हें हिरासत में ले लिया गया है.’’

तभी लाइन पर नीरव के दोस्त समर की आवाज सुनाई दी, ‘‘आंटी मैं हूं नीरव के साथ. बस आप अंकल को भेज दीजिए. उस की जमानत हो जाएगी.’’

पूरी रात जेल में बीती उन तीनों की. नीला को नीरव को सलाखों के पीछे खड़ा देख लग रहा था कि वह सचमुच एक फेल्योर है. हैरानी की बात थी कि सुकांत एकदम चुप थे. न नीरव से, न ही नीला से कुछ कहा, बस उस की जमानत कराने की कोशिश में लगे रहे.

नीला को लगा नीरव को कुछ भलाबुरा कहना ठीक नहीं होगा. उस के चेहरे पर पछतावा और शर्मिंदगी साफ झलक रही थी. शायद मां ने उसे जो ईमानदारी का पाठ बचपन में सिखाया था, उसे ही वह आज मन ही मन दोहरा रहा था.

शाम हो गई थी उन्हें लौटतेलौटते. अपने को घसीटते हुए, अपनी सोच के दायरों में

चक्कर काटते हुए तीनों ही इतने थक चुके थे कि उन के शब्द भी मौन हो गए थे या शायद कभीकभी चुप्पी ही सब से बड़ा मरहम बन जाती है.

‘‘मुझे माफ कर दो मां,’’ नीरव उस की गोद में सिर रख कर सुबक उठा.

‘‘तू क्यों माफी मांग रहा है? गलती तो मेरी है. मैं ने ही तेरे मन में बेईमानी के बीज बोए, तुझे तरक्की करने के गलत रास्ते पर डाला. आज जो भी कुछ हुआ उस का जिम्मेदार मैं ही हूं और नीला मैं तुम्हारा भी गुनहगार हूं. सारी उम्र तुम्हें तिरस्कृत करता रहा, तुम्हारा उपहास उड़ाता रहा. सारे समीकरण गलत साबित कर दिए थे मैं ने. प्रिंसिपल ही जीवन में सब कुछ होते हैं, सिद्धांत खोखले लोगों की डिक्शनरी के शब्द नहीं वरन जीवन जीने का तरीका है. सचाई, ईमानदारी किताबी बातें नहीं हैं,’’ सुकांत लगातार बोले जा रहा था और नीला की आंखों से आंसू बहते जा रहे थे.

नीरव को जब उस ने सीने से लगाया तो लगा सच में आज उस की ममता जीत गई है. उस का खोया बेटा उसे मिल गया है. सारे समीकरण ठीक हो गए थे उस की जिंदगी के.

विचित्र मांग- संजीव ने अमिता के सामने क्या शर्त रखी थी ?

“अमिता, एक बात मेरे मन में है, कहूं?” संजीव ने अमिता के होठों पर चुंबन अंकित करते हुए कहा.

“तुम तो मना करते हो इन क्षणों में कुछ बात करने को. इन क्षणों में सिर्फ और सिर्फ ऐसी ही बातें करने के लिए कहते हो,” अमिता ने शोखी से संजीव के पीठ पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए कहा.

“इन क्षणों में जो बातें करने के लिए कहता हूं वही बात है,” संजीव ने कहा.

“कहो,” अमिता ने संजीव को चूमते हुए कहा.

“हम दो के अलावा कोई तीसरा हो तो कैसा रहे…? काफी मजा आएगा. मेरी दिली ख्वाइश है इस की.”

“छीः, कैसी बातें कर रहे हो? मुझे तो शादी के पहले यह सब करना ही उचित नहीं लगता. सिर्फ तुम्हारे कहने से मैं तैयार हो जाती हूं,” अमिता ने कहा.

“तीसरे के जगह पर कोई तीसरी भी हो तो चलेगा. तुम्हारी कोई फ्रेंड हो तो उस से बातें कर सकती हो,” संजीव ने कहा.

अमिता संजीव की बातों से विस्मित हो गई. उसे इस तरह की बात की जरा भी आशा नहीं थी.

वह संजीव के साथ लगभग दो वर्षों से रिलेशनशिप में रह रही थी. वह संजीव से प्यार करती थी और संजीव भी उस से बेइंतिहा प्यार करता था. दोनों शादी करने का विचार रखते थे. शादी के बारे में उन दोनों ने प्लानिंग भी कर रखी थी.
शायद अति उत्साह में आ कर संजीव ने ऐसी बात कह दी थी. यह सोच कर अमिता ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया था.

पर, दूसरे दिन उस ने फिर उस से पूछा, “अमिता वो तीन वाली बात पर तुम ने कुछ विचार किया? कहो तो मैं अपने मित्र जीवन से बात करूं.”

“नहीं संजीव. मुझे यह बिलकुल भी पसंद नहीं है. यह मेरे मूल्यों के खिलाफ है,” अमिता ने कहा.

“कम औन अमिता. क्या तुम भी दकियानूसी बातें कर रही हो…? हम आधुनिक समाज में रह रहे हैं. सैक्स भी एक मनोरंजन है. इस का आनंद उठाने में क्या हर्ज है. तुम चाहो तो सपना से बात कर लो. वह तुम्हारे साथ काफी घुलीमिली भी है. मुझे थ्रीसम का कांसेप्ट बहुत भाता है. यह मेरे वर्षों की तमन्ना है. प्लीज अमिता,”
संजीव ने अमिता को समझाने की कोशिश की.

“बिलकुल नहीं,” अमिता ने कहा.

अमिता काफी उलझन में पड़ गई. संजीव से वह प्यार करती थी. उस से शादी करना चाहती थी. उस के कहने पर वह कभीकभार उस के साथ शारीरिक संबंध भी बना लिया करती थी. पर उस की नई मांग अजब थी. यह अमिता के नैतिक मूल्यों के खिलाफ था. उस के नैतिक मूल्यों के खिलाफ तो शादी के पहले शारीरिक संबंध बनाना भी था. पर सुरक्षात्मक उपाय अपना कर ऐसा वह सिर्फ अपने प्रेमी संजीव के साथ कर सकती थी. और संजीव अब किसी और को भी इस में शामिल करना चाहता था. यहां तक कि कोई लड़की भी हो तो उसे स्वीकार्य था. पहले उसे लगा कि उत्तेजना में उस ने ऐसा कह दिया है. परंतु पिछले कई महीनों से वह इस बात पर जोर दे रहा था. खासकर अंतरंग क्षणों में वह जरूर इस मुद्दे को उठा देता था.

क्या करे उस की समझ में नहीं आ रहा था. वैसे, हर बार उस की इस मांग पर उस ने अपनी असहमति जताई थी. कई बार वह उस के स्थान पर खुद को रख कर उस की मांग के औचित्य को समझने की कोशिश करती थी. उसे यह आइडिया बिलकुल भी पसंद नहीं था. फिर यदि ऐसा करने के लिए वह राजी हो जाती है तो जो तीसरा या तीसरी होगा या होगी, उस के साथ कैसा रिश्ता बनेगा. संजीव हमेशा उसे ओपेन माइंडेड होने की सलाह देता था. पर ओपेन माइंडेड होने का यह मतलब तो नहीं कि नैतिक मूल्यों को ताक पर रख दिया जाए. जो लोग ऐसे कृत्य में खुद को सहज पाते हैं, वे भले ही ऐसा करें. पर वह इस के लिए सहज नहीं हो पा रही थी.

एक दिन वह बैठी अखबार के पन्ने पलट रही थी कि एक स्तंभ पर उस की निगाह गई. इस में पाठक अपनी प्रेम से संबंधित समस्याओं की सलाह विशेषज्ञ से लेते थे. एक बड़ी ही विचित्र समस्या इस में उस ने पढ़ी. इस में एक लड़की ने अपने प्रेमी की कम आय होने के कारण आत्महीनता की भावना से ग्रसित होने के कारण सलाह मांगी थी. विशेषज्ञ ने बड़ा ही व्यावहारिक सुझाव दिया था. उसे उस का सुझाव बहुत ही अच्छा लगा था. उस ने देखा, स्तंभ के नीचे एक ईमेल पता दिया हुआ था और स्पष्ट आमंत्रण था पाठकों से शारीरिक और प्रेम से संबंधित समस्या का हल पाने के लिए.

उस ने ईमेल पता नोट किया और अपनी समस्या को विस्तार से लिख कर ईमेल कर दिया. अखबार औनलाइन उपलब्ध था. दूसरे दिन से ही प्रतिदिन वह अखबार को औनलाइन खोलती और उस कौलम को पढ़ने लगी. इस क्रम में अन्य कई लोगों की समस्याओं से वह रूबरू हुई. उसे आश्चर्य हुआ कि लोगों के पास अलगअलग तरह की समस्याएं हैं, कुछ तो बिलकुल ही विचित्र.

एक सप्ताह के बाद उस ने अपनी समस्या का समाधान अखबार में छपा पाया. समाधान कुछ इस प्रकार था-
“आप का बौयफ्रेंड आप से बहुतकुछ चाह सकता है. लेकिन आप को देखना है कि आप किस बात में सहज हैं. सही रिलेशनशिप वही है, जिस में दोनों पक्ष एकदूसरे का सम्मान करें. आप के बौयफ्रेंड को उस सीमा को मानना चाहिए, जो आप ने अपने लिए और उस के साथ अपने भविष्य के लिए तय कर रखा है. आप स्पष्ट रूप से उस से बात करें. उसे स्पष्ट रूप से बताएं कि आप उस की बात को क्यों नहीं मान सकतीं. ओपेन माइंडेड होने का मतलब यही है कि किसी भी मुद्दे के पक्ष और विपक्ष को समझा जाए और फिर उस पर सोचविचार कर सही निर्णय लिया जाए.”

अमिता को यह सुझाव पसंद आया. पहले उस ने विचार किया कि क्यों उसे उस का तिकड़ी वाला प्रस्ताव स्वीकार नहीं है. सब से पहले तो उस के मन में खयाल आया कि सैक्स सिर्फ दो पार्टनर के बीच होना चाहिए. तीसरा कोई भी बीच में नहीं आना चाहिए. यही कारण है कि सैक्स बिलकुल एकांत में किया जाता है. फिर यदि तीसरा या तीसरी को शामिल किया जाए तो आपसी संबंधों में दरार आ सकती है. हो सकता है कि उस के और संजीव में से कोई तीसरे की ओर आकर्षित हो जाए और फिर पूरा समीकरण बिगड़ जाए. पर ज्यादा महत्वपूर्ण उसे नैतिक आधार ही लगा.

अगली बार जब संजीव ने इस बारे में चर्चा की, तो उस ने स्पष्ट रूप से उसे अपना विचार बता दिया. साथ ही, यह भी बता दिया कि यदि उसे यह आइडिया आजमाना है, तो वह उस का साथ नहीं दे सकती. उसे डर था कि शायद संजीव नाराज हो कर उस का साथ छोड़ देगा. परंतु संजीव समझदार निकला. उस ने उस के तर्क को सुना और बात उस की समझ में आई. उस ने अपनी विचित्र मांग को तज कर अपनी प्रेमिका के साथ जीवन बिताने का निर्णय लिया.

Raksha Bandhan : मुंहबोली बहनें- रोहन ने क्यों दी रिश्ता खत्म करने की धमकी?

story in hindi

Anupamaa Spoiler: अधिक ने खुद को दी ये बड़ी सजा, अनुज-अनुपमा हुए परेशान

Anupamaa Spoiler alert : सीरियल “अनुपमा” में इस वक्त जबरदस्त ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां एक तरफ सभी को पता चल चुका है कि पाखी घरेलू हिंसा का शिकार हो रही है और उसका पति अधिक कई बार उस पर हाथ भी उठा चुका है. तो वहीं दूसरी तरफ अधिक खुद को सजा देने का नाटक करता है.

हालांकि सभी अधिक (Anupamaa Spoiler) को सबक सिखाना चाहते हैं और उसे जेल भेजना चाहता हैं लेकिन पाखी अधिक के प्यार में पूरी तरह से अंधी हो चुकी है. दूसरी तरफ अधिक को जेल जाने का डर सता रहा है, जिसके चलते वह पाखी से प्यार का और माफी मांगने का ड्रामा करता है.

अधिक की बातों में फस जाएगी पाखी

आज के एपिसोड (Anupamaa Spoiler) में दिखाया जाएगा कि पाखी, अधिक से बार बार माफी मांगती है और उससे कहेगी कि वह उससे बहुत प्यार करती है. हालांकि इसके बाद भी अधिक की हरकतें बंद नहीं होती है. वह पाखी को इतनी जोर से गले लगाता है जिससे उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगती हैं. फिर अधिक पाखी से कहता है, अनुज-अनुपमा की गुड बुक्स में रहने के लिए तुम यह सब कर रही हो. इससे पहले पाखी कुछ कह पाती, अधिक पागलों जैसा ड्रामा करने लगता है और पाखी फिर से अधिक की बातों में आ जाती है.

अधिक करेगा नाटक

इसके आगे अधिक (Anupamaa Spoiler) कहता है, “मैं काम करना चाहता हूं पर कोई भी मुझे काम नहीं करने देगा, इससे तो अच्छा है कि मैं मर जाता हूं. फिर वो खुद को बेल्ट से मारने का नाटक करता है. लेकिन पाखी उसे रोक लेती है और कहती है ‘तुम जैसा चाहते हो वैसा ही होगा. वहीं दूसरी तरफ अधिक-पाखी के बिगड़ते रिश्ते को देखकर शाह हाउस से लेकर अनुज-अनुपमा सब परेशान हैं.

इसके आगे दिखाया जाएगा कि, रोमिल गिटार बजाता है और अनुज-अनुपमा उसकी तारीफ करते हैं. हालांकि यह तो आने वाले एपिसोड में ही पता चलेगा कि अधिक की हरकतें कम होती हैं या पाखी उसकी गलतियों को नजरअंदाज कर अपनी जिंदगी से समझौता कर लेगी.

KBC 15 : अमिताभ बच्चन के खौफ के कारण बच्चों को पिलाया जाता था पोलियो ड्रॉप, खुद किया खुलासा

Kaun Banega Crorepati 15 : सोनी टीवी के सबसे पॉपुलर क्विज शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ का नया सीजन शुरू हो चुका हैं. शो के होस्ट अभिनेता अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) कंटेस्टेंट्स से सवाल पूछने के दौरान उनसे काफी मजाक-मस्ती भी करते दिखाई देते हैं. बीते एपिसोड (Kaun Banega Crorepati 15) में भी महानायक ने एक मजेदार किस्सा सुनाया. उन्होंने बताया कि उनके ‘एंग्री यंग मैन’ की इमेज के कारण लोगों को पोलियो दूर करने में मदद मिली है.

दरअसल अमिताभ बच्चन को उस वक्त पोलियो कैंपेन के लिए हायर किया गया था जब लोग इसकी वैक्सीन लेने से डरते थे. लेकिन जब बिग बी इस कैंपेन से जुड़े और उन्होंने लोगों को जागरूक किया तो इससे लोगों ने अपने बच्चों को पोलियो ड्रॉप देनी शुरू कर दी.

बिग बी ने खुद किया इस किस्से का खुलासा

आपको बता दें कि बीते एपिसोड में गेम खेलने के दौरान पोलियो का जिक्र छिड़ गया था, जिसके बाद अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने पोलियो कैंपेन से जुड़ा अपना किस्सा सुनाया. उन्होंने बताया कि, ‘मेरे लिए यह बहुत सम्मान की बात थी. हमने करीब 8 सालों तक मेहनत के साथ काम किया था. जब ये पोलियो कैंपेन शुरू हुआ था तो हमें सफलता नहीं मिली थी क्योंकि ड्रॉप को लेकर लोगों के दिमाग में अलग-अलग तरह की धारणाएं बनी हुई थी.’

इसके आगे बिग बी (Kaun Banega Crorepati 15) ने बताया कि, ‘उनसे उनके पोलियो कैंपेन के क्रिएटिव डायरेक्टर पीयूष पांडे ने कहा कि अब आप लोगों से रिक्वेस्ट करने के बजाय उन्हें डांट दीजिए.’

एक्टर के गुस्से ने किया कमाल

इसके आगे एक्टर अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने बताया कि, ”जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिप्रेजेंटेटिव भारत आई थी, तो तब यूनाइटेड नेशंस में मुझे सम्मानित करने के लिए बुलाया गया था. जहां रिप्रेजेंटेटिव ने उन्हें बताया कि वह एक गांव में गई थी. जहां उनकी मुलाकात एक महिला से हुई. उस महिला ने उन्हें बताया कि इस बार उन्होंने अपने बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिला दिया है क्योंकि अमिताभ बच्चन बहुत गुस्सा कर रहे थे.”

दर्द और सूजन में ठंडी सिंकाई करें या गरम सिंकाई

कई बार हमारे शरीर के किसी हिस्से में दर्द, सूजन या मसल्स में खिंचाव की समस्या होने लगती है, जिस के  लिए हम डाक्टर से दवाइयां भी लें आते हैं लेकिन कुछ समय बाद जब पैन किलर का असर खत्म होता है तो दर्द ज्यों का त्यों बना रहता है. ऐसी स्थिति में कई बार सिंकाई काफी फायदेमंद साबित होती है. मगर सिंकाई करते समय यह ध्यान रखें कि आप को किस परेशानी में कौन सी सिंकाई करनी है.

आइए, जानते हैं कि कौन से दर्द में गरम सिंकाई फायदा पहुंचाती है और किस में ठंडी :

किस समस्या में है लाभकारी

गरम सिंकाई पुराने दर्द, जोड़ों के दर्द और जकड़न में बहुत आराम देती है लेकिन यदि गहरी चोट है तो गरम सिंकाई से हमें बचना चाहिए क्योंकि गरम सिंकाई या गरम पानी में नहाने से रक्तसंचार तेज होने लगता है जिस से हमारे टिश्यू प्रभावित होने लगते हैं. इसलिए सिंकाई का सही तरीका जानना बेहद जरूरी है.

इन परेशानियों में देती है आराम

  • कमर दर्द होने पर गरम पानी की सिंकाई की मदद ले सकते हैं.
  • शरीर के किसी भी हिस्से में यदि मोच की परेशानी है तो यह सिंकाई आराम दिला सकती है.
  • पीरियड्स के दिनों में यदि असहनीय पीड़ा से गुजरना पड़ता है तो इस से आप को दर्द के साथ मसल्स की ऐंठन और पीरियड के फ्लो में भी आराम मिलगा.
  • आर्थ्राइटिस के मरीज के लिए गरम पानी से सिंकाई करने पर जोड़ों में होने वाले दर्द के साथ मसल्स की ऐंठन में भी राहत मिलती है.

कैसे करें

  • हीट थेरैपी का इस्तेमाल लंबे समय तक किया जा सकता है. लेकिन गहरी चोट पर गरम सिंकाई न करें.गरम सिंकाई ड्राई व मोइस्ट थेरैपी द्वारा की जाती है.
  • ड्राई हीट थेरैपी यानि इस में इलैक्ट्रिकल हीटिंग पैड, गरम पानी की बोटल जैसे प्रोडक्ट्स का प्रयोग किया जाता है. इन चीजों का प्रयोग आप 8 घंटे तक कर सकते हैं। इस तरह से सिंकाई करना सभी के लिए आसान है.
  • मोइस्ट थेरैपी बहुत जल्दी दर्द में राहत देती है. गरम पानी से नहाना या गरम पानी में भीगा तौलिया, नम हीटिंग पैक के जरिए कर सकते हैं.

ठंडी सिंकाई कब और कैसे है लाभकारी

  • यदि चोट लगने पर 48 घंटे के अंदर उस पर बर्फ की सिंकाई करते हैं तो  बर्फ क्षतिग्रस्‍त रक्‍तवाह‍ियों का विस्‍तार तुरंत रोक देता है. ऐसा करने से चोट के आसपास में आई लालिमा व सूजन में भी कमी आती है व दर्द से भी राहत मिलती है.
  • चोट लगने पर यदि खून बह रहा है तो बर्फ को तौलिए या पौलीथिन में रख कर सिंकाई करने से खून बहना तुरंत बंद हो जाता है. कभी भी बर्फ से सिंकाई 15-20 मिनट से ज्यादा न करें व बर्फ को सीधे चोट पर नहीं लगाना चाहिए क्योंकि यह तंत्रिका, त्वचा और ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकती है.

बर्फ से सिंकाई इन परेशानियों में दिलाती ही राहत

  • यदि मसल्स में खिंचाव है या जोड़ों में दर्द है तो दिन में 2 बार बर्फ की सिंकाई जरूर करें.
  • सिर दर्द या माइग्रेन में भी बर्फ की सिंकाई आराम देती है.
  • गठिया के दर्द में बर्फ से सिंकाई राहत दिलाती है.
  • ताजा गुम चोट या खून वाली चोट पर बर्फ की सिंकाई करने से तुरंत आराम मिलता है.
  • बर्फ की सिंकाई स्ट्रैचिंग के दौरान मांसपेशियों की ऐंठन को कम करती है.

कैसे करें

बाजार में आइसपैक, आइस बोटल्स, कूलैंट स्प्रे उपलब्ध हैं जिन्हें फ्रीजर में रख सकते हैं और इन से सिंकाई कर सकते हैं. बर्फ को तौलिए या पौलीथिन में अच्छे से लपेट कर उस से भी सिंकाई कर सकते हैं.

ध्यान दें

यदि कोई पहले से ही किसी बीमारी से ग्रस्त है तो किसी भी सिंकाई से पहले डाक्टर से परामर्श अवश्य लें.

धुंध : दो बहनों के बीच छाया रिश्तों का कुहासा

story in hindi

साइबर अपराध का बढ़ता दायरा

इंटरनैट आजकल हमारी आदत व जरूरत दोनों बन चुका है. औनलाइन शौपिंग, औनलाइन फूड, औनलाइन फ्रैंडशिप, सोशल मीडिया आदि सब बहुत तेजी से आम लोगों की आदतों में शामिल हो चुके हैं. यहां तक कि अब ज्यादातर लोग बैंकिंग भी औनलाइन ही करना पसंद करते हैं. लोगों को अपनी दिनचर्या में इतना ज्यादा व्यस्त हो जाना इंटरनैट के अधिक इस्तेमाल का एक मूल कारण है.

अपनी जीविका कमाने के लिए भागदौड़ करने वाला एक परिवार अपने बच्चों को भी औनलाइन ट्यूशन पर ही जोड़ देता है. ऐसे में जब आप पूरी तरह से इंटरनैट पर निर्भर रहते हैं तो आप बहुत सी ऐसी गलतियां भी कर जाते हैं जिन से आप का फोन, आप का बैंक अकाउंट, आप का कंप्यूटर, आप का डाटा सुरक्षित नहीं रहता है. आइए सम?ों कि किस तरह से कुछ छिपे चेहरे हमारे कंप्यूटर के जरिए हमारी निजी जिंदगी में  झांक रहे हैं.

लगातार साइबर क्राइम की शिकायतें पिछले कुछ सालों में बढ़ती जा रही हैं. साइबर से जुड़े क्राइम में कई देशों की सरकारों तक पर भी आरोप लगे हैं. भारत की मौजूदा मोदी सरकार पर भी आरोप लगे कि उस ने अपने विरोधियों के फोन पर पेगासस नाम का सौफ्टवेयर प्लांट किया, जिस तकनीक को उन्होंने इजराइल से खरीदा था, जिस से वह विरोधियों की हर गतिविधि पर नजर रख सके. आम तो आम खास लोग भी आज टैक्नोलौजी की दुनिया में खुद की गतिविधियों को हैक होने से नहीं बचा पा रहे हैं.

आज साइबर अपराध के मामले बढ़ते जा रहे हैं. अपराधी आप के साथ ठगी कर के निकल भी जाता है और आप को उस की भनक भी नहीं लगती. आइए पहले सम?ाते हैं कि किसकिस तरह से ये ठग बिना अपना चेहरा दिखाए आम जनता को ठगते हैं.

हैकिंग : ‘हैलो मैम, आप हमारी

10 लकी कस्टमर में से हैं. हमारी कंपनी की तरफ से आप को एक सरप्राइज गिफ्ट मिलेगा. आप को बस, हमारे द्वारा भेजे हुए लिंक पर क्लिक कर के एक फौर्म फिल करना है और उस के बाद आप के फोन पर एक ओटीपी आएगा. वह हम से शेयर करना है. आप का सरप्राइस गिफ्ट आप के घर पर डिलीवर हो जाएगा’.

इस तरह के फोन कर के आप को  लिंक मेल कर के आप के कंप्यूटर पर आए मेल और आप के फोन पर आए ओटीपी के माध्यम से हैकर्स आप के फोन को हैक कर देते हैं. हैकिंग ऐसी प्रक्रिया है जिस में कोई व्यक्ति गैरकानूनी रूप से किसी व्यक्ति की निजी जानकारियों में बिना अनुमति के घुस जाता है. उन के जरिए वे उन की वैबसाइट की सिक्योरिटी को तोड़ देते हैं और पूरी तरह से हैक कर सकते हैं. इस के अलावा, वे उन के सोशल मीडिया एक्सेस को भी हैक कर के उन की पहचान को इस्तेमाल कर सकते हैं.

इस क्राइम की सब से बड़ी बात तो यह है कि उस कंप्यूटर या फोन औनर को भी इस बात का पता नहीं चलता है कि कोई हैकर उस के कंप्यूटर या फोन में मौजूद सभी प्रकार की जानकारी इस्तेमाल कर रहा है और उस के ही नाम से चला रहा है. यहां तक कि औनलाइन बैंकिंग की भी सारी जानकारी हैकर्स के पास है और वह जब चाहे आप के बैंक को खाली कर सकता है.

फिशिंग : फिशिंग के जाल में फंसने वाले राहुल, जो कि दिल्ली से हैं, कहते हैं, ‘‘मु?ो एक बड़ी कंपनी से जौब का औफर आया था. उस के साथ एक एप्लीकेशन फौर्म था जिस को पूरा भर कर अपने महत्त्वपूर्ण कागज लगा कर मैं ने उसी ईमेल पर मेल किए थे पर कुछ दिनों बाद ही मु?ो सम?ा आ गया कि जरूर कुछ दिक्कत है. मु?ो मेरे फोन नंबर पर ओटीपी आने लगे. मु?ो सम?ा नहीं आ रहा था.

‘‘मेरा फोन नंबर आधार कार्ड से लिंक था. मैं ने एक जानकार से पूछा इन ओटीपी के बारे में तो सम?ा आया मेरा आधार कार्ड सामान एक्सपोर्ट होने के लिए इस्तेमाल हो रहा है और मेरा फोन हैक है तो ओटीपी भी आसानी से हैकर को मिल रहे हैं. मैं ने तुरंत 1930 (नैशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल हैल्पलाइन नंबर) पर शिकायत की.’’

अगर आप भी अपने ईमेल बौक्स को चैक करते हैं तो आप भी अकसर वहां स्पैम ईमेल देखते होंगे. दरअसल फिशिंग का प्रमुख कारण स्पैम ईमेल का उपयोग है. फिशिंग के तहत साइबर क्रिमिनल द्वारा यूजर को स्पैम ईमेल भेजी जाती है जहां लिंक पर या अटैचमैंट पर क्लिक कर के आप के सिस्टम को हैक किया जा सकता है. साथ ही, यहां आप को स्पैम वैबसाइट का लिंक भी दिया जा सकता है जिस पर आप को अपनी जानकारियां भरने को कहा जाता है. अपनी निजी एवं बैंकिंग संबंधित जानकारियां भरने पर आप फिशिंग  का शिकार हो सकते हैं.

साइबर बुलिंग : 10वीं क्लास के एक स्टूडैंट ने अपने साथ पढ़ने वाली एक छात्रा को कार्ड गिफ्ट किया. उस छात्रा ने उस कार्ड को ठुकरा दिया. यह बात उस स्टूडैंट ने अपने कैमरे में रिकौर्ड कर पूरे स्कूल में फैला दी. इस से वह छात्रा आहत हुई और उस ने अपने घर पर फिनायल पी कर जान देने की कोशिश की. अब इस में गलती किस की है?

यह एक साधारण सा दिखने वाला साइबर अपराध है पर इस का अंजाम बुरा हो सकता था. इंटरनैट, सोशल मीडिया के माध्यम से किसी को धमकाना, किसी व्यक्ति को गैरकानूनी कार्य करने के लिए कहना, किसी व्यक्ति का मजाक बनाना जिस से उस की भावनाओं पर ठेस पहुंचे आदि सब को साइबर बुलिंग कहते हैं.

इस के लिए सब से ज्यादा जरूरी है अपने निजी पलों को निजी रखें. बहुत सारे ऐसे लोग, जिन्हें साइबर क्राइम के बारे में पता नहीं होता है, साइबर बुलिंग के शिकार हो जाते हैं.

सोशल मीडिया से फोटो चुराना :  सोशल वर्कर गीतिका बताती हैं, ‘‘रात 10 बजे मु?ो अचानक मेरे एक जानकार का फोन आया कि मैं ने उस से 10,000 रुपए पेटीएम करने को कहा है. मैं थोड़ा हैरान हो गई और मैं ने उस से पूछा कि किस नंबर से मैसेज आ रहा है. उस ने बताया कि नंबर तो जानापहचाना नहीं है पर डीपी में फोटो आप की लगी है और ट्रूकौलर पर नाम भी आप का आ रहा है.

मुझे समझाते देर नहीं लगी कि यह किसी तरह का साइबर अपराध है. मैं ने तुरंत साइबर क्राइम पर फोन किया और शिकायत दर्ज करवाई.’’

यह तो हुई फोटो लगा कर पैसे मांगने की बात पर साइबर क्राइम के अंतर्गत कुछ लोग ऐसा भी करते हैं कि किसी लड़की के सोशल मीडिया अकाउंट से उस की पिक्चर्स चुरा लेते हैं और उन्हीं पिक्चर्स को ले कर वे उन लड़कियों को ब्लैकमेल करना शुरू कर देते हैं. इस के शिकार कई औरतें, लड़कियां और बच्चे होते हैं.

अगर सिक्के का दूसरा पहलू देखें तो यह अपराध बहुत बड़ा रूप ले चुका है. बड़ेबड़े सरकारी विभागों के कंप्यूटर में वायरस डाल कर सरकारी डाटा चोरी करने का प्रयास भी कई बार सामने आ चुका है. 30 नवंबर, 2022 को इंडियन काउंसिल औफ मैडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की वैबसाइट को 6,000 बार हैक करने की कोशिश की गई.

इस से बचने के लिए क्याक्या सावधानियां हम बरत सकते हैं, वह जानना बहुत जरूरी है. आजकल हैकर्स जितने चलाक और टैक्निकली मजबूत हो चुके हैं, हमें भी अपने फोन, कंप्यूटर और सोशल मीडिया को सिक्योर करना बहुत जरूरी है. कुछ सावधानियां बरत के हम इस तरह की हैकिंग से बच सकते हैं.

  • अनजान लिंक पर क्लिक न करें, चाहे वह कितना भी लुभावना नजर आ रहा हो.
  • अनजान वैबसाइट पर ध्यान न दें.
  • कोई भी सौफ्टवेयर या ऐप्स को फ्री में इस्तेमाल करने के चक्कर में ऐसी थर्ड पार्टी ऐप्स का इस्तेमाल न करें जो आगे जा कर नुकसान कर सकती है. थर्ड पार्टी ऐप्स वे ऐप्स होती हैं जो गूगल प्ले स्टोर पर नहीं होतीं क्योंकि ये एप्लीकेशन नियमों का उल्लंघन कर रही होती हैं.
  • निजी जानकारी को पर्सनल ही रखें. आधार कार्ड अपडेट, वोटर कार्ड अपडेट या लिंक या केवाईसी करवाने के नाम से आप से कोई औनलाइन फौर्म भरने को बोले तो पहले अच्छे से जांच लें कि कहीं आप की निजी जानकारी गलत हाथों में तो नहीं जा रही.
  • औनलाइन स्कीम्स जैसे- आप 10 लक्की कस्टमर में हैं, आप का नंबर कंपनी ने चुना है, फलाने मंदिर में यूपीआई से सीधे औनलाइन पैसा चढ़ाएं जैसी फोन कौल पर भरोसा न करें. आप को लक्की कस्टमर बता कर आप के बैंक अकाउंट खाली कर जाएंगे.
  • पब्लिक वाईफाई का उपयोग करने से बचें पर फिर भी इस्तेमाल करना पड़े तो वाईफाई इस्तेमाल कर के फोन से उस का आईडी पासवर्ड तुरंत हटा दें और फोन को बंद कर के फिर से चालू करें.
  • कई लोग अपने औनलाइन डिजिटल वौलेट या सोशल मीडिया अकाउंट का पासवर्ड बहुत ही आसान रखते हैं, जैसे उन का नाम, फोन नंबर, बच्चों का नाम. इस में हैकर्स बहुत आसानी से उन के अकाउंट को हैक कर लेते हैं. इसलिए, जरूरी है कि आप अपने सारे पासवर्ड थोड़े से मुश्किल रखें.

फिर भी आप अगर किसी तरह के साइबर अपराध का शिकार हो जाते हैं तो साइबर क्राइम की हैल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज जरूर करवाएं.

अपनी पत्नी के जलन वाले व्यवहार से तंग आ गया हूं, अब मैं क्या करूं?

सवाल

हमारी जौइंट फैमिली है. ऊपर के फ्लोर पर मैं, मेरी पत्नी और हमारा 5 साल का बेटा रहता है और ग्राउंड फ्लोर पर मेरा छोटा भाई और उस की बीवी रहते हैं. उन की शादी हुए 2 साल हुए हैं. पापामम्मी को गुजरे 3 साल हो गए हैं. मुझे दिक्कत अपनी पत्नी से है जो हर वक्त चिकचिक करती रहती है.

मेरा भाई और उस की पत्नी अच्छा कमाते हैं. अभी कोई बच्चा नहीं है, दोनों खूब घूमतेफिरते हैं, अच्छा पहनते खाते हैं. ऐसी बात नहीं है कि वे दोनों हमें पूछते नहीं है. हमें अपने साथ घूमने के लिए कहते हैं, हम से डिनर पर चलने के लिए कहते हैं. लेकिन पत्नी कोई न कोई बहाना बना कर मना कर देती है.

कहती है,‘दोनों हमें नीचा दिखाते हैं, अपने पैसों का रोब जमाते हैं.’ जबकि ऐसा कुछ नहीं है. मैं बहुत परेशान रहता हूं. बच्चा चाचाचाची के पास खेलने जाना चाहता है तो उसे भी नहीं जाने देती, जबकि वे दोनों हमारे बच्चे से बहुत प्यार करते हैं. अपनी बीवी के इस व्यवहार से मैं परेशान हो गया हूं. आप ही बताइए, मैं क्या करूं?

बात घूमफिर कर वही पैसे पर आती है. देवरदेवरानी के ठाट आप की पत्नी को बरदाश्त नहीं हैं. आप की सैलरी इतनी नहीं है कि फुजूलखर्ची की जाए. ऊपर से आप का एक बेटा भी है. उस की भी जिम्मेदारी है. सेविंग्स करना भी जरूरी है, वक्त का कुछ नहीं कह सकते, कब किस करवट बैठ जाए.

जवाब

पत्नी को प्यार से, शांत भाव से सम?ाने की कोशिश कीजिए कि अभी भाई की शादी हुए 2 साल हुए हैं. बच्चा अभी है नहीं तो अभी वे लोग फ्री हैं. जब मरजी होती है, अपने हिसाब से घूमनेफिरने निकल जाते हैं. बच्चा हो जाएगा तो ऐसा करना उन के लिए भी संभव न होगा.

वे लोग आप लोगों को घूमनेफिरने, डिनर या लंच का पूछते हैं तो उस के पीछे अपने पैसों का रोब जमाना नहीं, बल्कि उन का भाईभाभी के लिए प्यार है, अपनापन है. इस बहाने वे लोग आप लोगों के साथ टाइम स्पैंड करना चाहते हैं.

भतीजे को अपना बच्चा समझा कर प्यार करते हैं तो इस में बुराई क्या है. बच्चे सब देखतेसम?ाते हैं. बच्चे के दिल में गलत भावनाएं न भरें. अपनी पत्नी को यह सब समझाएं. ईर्ष्या में कुछ नहीं रखा. बुरे वक्त में सब से पहले भाई ही काम आएगा. रिश्ते बड़े अनमोल होते हैं. उन्हें सहेज कर रखा जाए तो जिंदगी का सफर आसान हो जाता है.

पत्नी को समझाने की कोशिश कीजिए. अब यह उस की समझदारी है कि वह कितना सम?ाती है. आप हिम्मत मत हारिए. स्थिति में सुधार जरूर आएगा.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें