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बेमिसाल सिंगापुर

कहा जाता है कि 14वीं शताब्दी में सुमात्रा द्वीप का एक हिंदू राजकुमार जब शिकार हेतु सिंगापुर द्वीप पर गया तो वहां जंगल में सिंहों को देख कर उस ने उक्त द्वीप का नाम सिंगापुरा रख दिया. दक्षिणपूर्व एशिया में निकोबार द्वीप समूह से लगभग 1,500 किलोमीटर दूर एक छोटा, सुंदर व विकसित देश सिंगापुर पिछले 20 वर्षों से पर्यटन व व्यापार के प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा है. आधुनिक सिंगापुर की स्थापना 1819 में सर स्टेमफोर्ड रेफल्स ने की जिन्हें ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी के रूप में दिल्ली स्थित तत्कालीन वायसराय द्वारा कंपनी का व्यापार बढ़ाने हेतु सिंगापुर भेजा गया था. आज भी सिंगापुर के डौलर व सेंट के सिक्कों पर आधुनिक नाम सिंगापुर व पुराना नाम सिंगापुरा अंकित रहता है. 1965 में मलयेशिया से अलग हो कर नए सिंगापुर राष्ट्र का उदय हुआ.
वहां पानी मलयेशिया से, दूध, फल व सब्जियां न्यूजीलैंड व आस्ट्रेलिया से, दाल, चावल व अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुएं थाईलैंड व इंडोनेशिया आदि से आयात की जाती हैं.
पर्यटन व सिंगापुर
पर्यटन सिंगापुर की अर्थव्यवस्था का एक मुख्य आधार है. अपराध की दर बहुत कम है. वहां का औरचैड रोड क्षेत्र, जहां मल्टीस्टोरी शौपिंग सैंटर तथा होटल हैं, पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है. वहां पर्यटकों को शौपिंग की सारी चीजें एक ही स्थान पर आसानी से मिल जाती हैं.
दर्शनीय स्थल
सिंगापुर का ‘जू’ हर पर्यटक में उत्कंठा तथा रोमांच पैदा करता है. वहां पर घूमते जानवर पर्यटकों के साथ रूबरू होते हैं, उन्हें बंद सलाखों में नहीं रखा गया है. इसी प्रकार ‘जूरोंग बर्ड पार्क’ एशिया प्रशांत क्षेत्र का सब से बड़ा पक्षी पार्क है. वहां पक्षियों की 8 हजार से ज्यादा प्रजातियां हैं. पर्यटक इन पक्षियों तथा इतनी सारी प्रजातियों को देख कर हर्षित और आकर्षित होते हैं.
जू में दक्षिणी ध्रुव का कृत्रिम वातावरण बना कर ‘पेंग्विन पक्षी’ रखे गए हैं, जिन्हें देख कर बच्चे रोमांचित होते हैं. वहां 30 मीटर ऊंचा मानव निर्मित जलप्रपात भी है. वहां का ‘बर्ड शो’ विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जहां पक्षी टैलीफोन पर बात करते हैं, जो सभी पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है.
रोमांच से भरपूर पार्क : सिंगापुर का ‘रैप्टाइल पार्क’ पर्यटकों में रोमांच पैदा करता है. वहां 10 फुट लंबे जिंदा मगरमच्छ के मुंह में प्रशिक्षक द्वारा अपना मुंह डालना अपनेआप में रोमांचकारी प्रदर्शन है. कोबरा सांप का चुंबन लेना भी पर्यटकों में रोमांच पैदा करता है.
प्रमुख संग्रहालय एवं म्यूजियम : सिंगापुर में प्रमुख रूप से 3 संग्रहालय हैं जो वहां की संस्कृति से भरपूर है. सिंगापुर म्यूजियम में सिंगापुर की आजादी की कहानी ‘थ्री डी’ वीडियो शो द्वारा बताई जाती है. इस आजादी की लड़ाई में भारतीयों का भी महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है. वीडियो शो को देख कर हर भारतीय गर्व महसूस करता है. कल्चरल म्यूजियम में विभिन्न जातियों के त्योहारों को प्रदर्शित किया गया है जिन में दशहरा, दीवाली आदि पर्वों का महत्त्व बताया गया है.
जूलौजिकल गार्डन में एनिमल फीडिंग शो तथा लौयन डांस शो हर दर्शक का मन मोह लेते हैं. ‘सिलोसा फोर्ट’ ऐतिहासिक म्यूजियम है. इसे द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापानियों के विरुद्ध युद्ध में अपने को सुरक्षित करने के लिए बनाया गया था. द्वितीय विश्व युद्ध की बंदूकें वहां पर देखी जा सकती हैं. वहां पर ‘टाइगर स्काई टावर’ भी बनाया गया है जहां से पर्यटक पूरे ‘सन्टोसा’ का दृश्य देख सकते हैं. इस के अलावा मेरलौयन भी आकर्षक जगह है.
सिंगापुर में खरीदारी : सिंगापुर में खरीदारी की अनेक जगहें हैं, जैसे ‘मैरीना बे’, ‘बुगीस स्ट्रीट’, ‘चाइना टाउन’, ‘गेलौग सराय’, ‘कैंपपौंग जिलम’, ‘अरब स्ट्रीट’, ‘लिटिल इंडिया’, ‘नौर्थ ब्रिज रोड’, ‘औरचैड रोड’ तथा ‘द सुबर्ब’ आदि. वहां पर पर्यटक अपनी रुचि के अनुसार खरीदारी कर सकते हैं. लिटिल इंडिया मार्केट में सभी भारतीय चीजें उपलब्ध हैं, जैसे कपड़े, मसाले, मूर्तियां आदि. इसी प्रकार ‘चाइना टाउन’ में सारा सामान ‘चाइना’ द्वारा बनाया हुआ मिलता है. वैसे ‘औरचैड रोड’ पर अनेक मल्टीस्टोरी शौपिंग मौल हैं जहां पर हर देश के पर्यटक को अपनी रुचि के अनुसार सामान मिल जाता है. इसी क्षेत्र में कई होटल भी हैं जहां पर्यटक रहना पसंद करते हैं.
वर्ष 2007 में सिंगापुर टूरिज्म बोर्ड ने ‘लेट नाइट शौपिंग’ की शुरुआत की. पर्यटक औरचैड रोड के शौपिंग मौल्स में 11 बजे तक शौपिंग कर सकते हैं, साथ ही हर शनिवार को कई चीजों का प्रमोशन होता है, तब पर्यटक कई आकर्षक वस्तुएं सस्ती खरीद सकते हैं.
इस के अतिरिक्त सिंगापुर टूरिज्म बोर्ड ‘वार्षिक सेल’ कर के भी बाजार लगाता है. कई संस्थाएं भी इस में अपने सामान को बेचती हैं. इस सेल में बारगेन कर के अच्छी व सस्ती वस्तुएं प्राप्त की जा सकती हैं.
2006 में यहां ‘वीवोसिटी’ के नाम से सब से बड़ा शौपिंग सैंटर खुला है. यह भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है.
पानी के भीतरी आकर्षण तथा समुद्री किनारा : सिंगापुर में विश्व का सब से बड़ा पानी के अंदर एक्यूवेरियम है, जिस में अनगिनत तथा तरह की मछलियां व अनेक समुद्री जीवजंतु अपने आकर्षक रंगों के साथ दिखाई पड़ते हैं. पानी के अंदर शीशे से बनी नाव द्वारा पूरे समुद्र के अंदर इस दृश्य को देख कर हृदय रोमांचित हो उठता है साथ ही, एक अनोखे आनंद का अनुभव होता है.
सिंगापुर में रात्रिजीवन : सिंगापुर ‘रात्रि जीवन’ के लिए प्रसिद्ध विश्व के 5 देशों में एक है.
बोट द्वारा सिंगापुर की सैर का अलग ही मजा है. ये बोट सिंगापुर नदी के आरंभ स्थल पर उपलब्ध रहती हैं. ये बोट पूरी तरह से ढकी हुई बंद होती हैं. इन बोटों में पब्स, रैस्टोरैंट तथा ‘बार’ भी हैं. खाना खाने के बाद पर्यटक यहां गानों की धुन पर नृत्य का आनंद उठाते हैं.
वार्षिक आकर्षण : सिंगापुर पर्यटक बोर्ड ने कई तरह के कार्यक्रमों का प्रोग्राम वर्षभर रखा है. इन में ‘सिंगापुर आर्ट फैस्टिवल’ तथा ‘सिंगापुर गार्डन फैस्टिवल’ प्रमुख हैं. प्रत्येक वर्ष जुलाई में ‘फूड फैस्टिवल’ का आयोजन किया जाता है. इस के अतिरिक्त ‘सिंगापुर सन फैस्टिवल’ तथा ‘क्रिसमस लाइटअप’ तथा ‘सिंगापुर ज्वैल फैस्टिवल’ आदि भी वार्षिक फैस्टिवल हैं जिन को 2008 से सिंगापुर में आरंभ किया गया है.
क्लार्क क्यूय सैर : क्लार्क क्यूय सैर नदी किनारे की ऐतिहासिक सैर है. इन बड़ी बोटों में रैस्टोरैंट तथा कई एंटीक दुकानें हैं. कई चाइनीज जंक्स भी हैं.
सिंगापुर कैसे जाएं : सिंगापुर का वीजा सिंगापुर दूतावास से प्राप्त किया जा सकता है या फिर किसी भी ट्रैवल एजेंसी से 2,500 से 3 हजार रुपए दे कर 10 सालों का वीजा प्राप्त किया जा सकता है.
कुछ विमान कोलकाता से जाते हैं जिन का किराया कम है, अपनी सुविधानुसार ‘मेक माई ट्रिप’ या अन्य विमानों में भी समय से बुकिंग कराने पर सस्ते टिकट उपलब्ध हो जाते हैं. यदि ट्रैवल एजेंट से टिकट लें तो वही वीजा भी उपलब्ध करा देता है.
 

दिल जीत लेगा लास वेगास

यों तो अमेरिका के कई मशहूर शहर जैसे न्यूयार्क, अलाबामा, सैनफ्रांसिस्को, वाश्ंिगटन व   कैलीफोर्निया पर्यटन स्थल के रूप में विश्वविख्यात हैं लेकिन जो आकर्षण नवादा राज्य में स्थित लास वेगास का है उस का कोई मुकाबला नहीं.
अमेरिका हमेशा से अपनेआप में चुंबकीय आकर्षण रखने वाले देश के रूप में जाना जाता रहा है. विदेश भ्रमण के शौकीन लोगों के लिए अमेरिका ठीक उसी तरह महत्त्वपूर्ण है जिस तरह फैशन जगत से जुड़े लोगों के लिए फैशन का मक्का कहा जाने वाला फ्रांस का नायाब शहर पैरिस.
लास वेगास अमेरिका का एक ऐसा शहर है जो बेशुमार दौलत का गढ़ होने के साथसाथ दुनिया का सब से बड़ा जुआघर होने की वजह से खासा बदनाम भी है. यह एक ऐसा शहर है जहां विश्वभर से आ कर बसे लोगों की इंद्रधनुषी संस्कृति देखने को मिलती है. यहां सिर्फ जुआघर यानी कैसीनो ही नहीं बल्कि कई तरह के मनोरंजन, स्पोर्ट्स, व्यापार और पर्यटन रुचि के ऐसे स्थल मौजूद हैं जिन्हें एक बार देख लेने के बाद पर्यटक बारबार यहां आना चाहता है. बेशक यह शहर बहुत महंगा है लेकिन इस का आकर्षण ‘मुंह को लगी हुई शराब’ से कम नहीं है. अपनी खूबसूरती का दीवाना बना देने वाला नवादा राज्य का यह खूबसूरत शहर लास वेगास अपने स्थापत्य इतिहास के कारण भी विश्व भर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है.
शहर की साजसज्जा अत्याधुनिक वास्तु के अनुरूप की गई है. खूबसूरत, बड़ेबड़े शोरूम बेशकीमती वस्तुओं से अटे पड़े हैं. चूंकि शहर पर्यटकों के लिए महत्त्वपूर्ण आकर्षण का केंद्र है, इसलिए ग्राहकों की यहां कभी कमी नहीं देखी गई. पर्यटक चाहे अमीर व्यक्ति हो या मध्यम दरजे का, जो भी अमेरिका आता है लास वेगास देखे बिना नहीं रह सकता. अपनी रुचि की कोई न कोई वस्तु हर व्यक्ति को मिल ही जाती है. बहुसंस्कृति, बहुभाषी और बहुधर्मी लोगों का आवास होने के कारण यहां हर समय चहलपहल रहती है लेकिन शहर का असली जीवन शाम ढलने के बाद ही देखा जा सकता है.
लास वेगास अमेरिका का 31वां सर्वाधिक जनसंख्या वाला शहर है जो अपनी धनाढ्यता, रात की रंगीनियों, जुआघरों, गोल्फ कोर्स और व्यापार के लिए विश्वप्रसिद्ध है. यह अमेरिका के शीर्ष 3 व्यापारिक केंद्रों में से एक है.
1931 में यहां पहला कैसीनो ‘नौर्दन क्लब’ के नाम से खुला था जो अब ‘लौ बेयू’ के नाम से जाना जाता है. यहां कैसीनो अपनी भव्यता के 
लिए जाने जाते हैं. एक अन्य कैसीनो ‘बिनियन्स हौर्स शू’ 
है जिसे अब ‘बिनियन्स वाम्बलिंग हौल’ कहा जाता है. लेकिन यहां का सब से बड़ा और भव्य कैसीनो है ‘गोल्डन गेट’. यह अपने नाम को पूरी तरह चरितार्थ करता है. गोल्डन गेट में प्रवेश करते ही आप को एहसास होने लगता है कि आप किसी दूसरी दुनिया में आ गए हैं. अन्य ख्यातिप्राप्त कैसीनो 
में लोकप्रिय हैं-अल कोतरेज द डी, फोर क्वीन्स, गोल्ड स्पाइक और लास वेगास क्लब.
जिस उत्सुकता और आकर्षण को मन में संजोए मैं लास वेगास देखने गया था वह सपना उस समय टूट कर बिखर गया जब भोजन के नाम पर हर तरफ सिर्फ चाइनीज और कौंटिनैंटल फूड के बोर्ड लगे पाए. राजमाचावल, चावलछोले, परांठेदही खाने की इच्छा मन में ही रह गई. मजबूरन मुझे प्रौन, झींगा मछली, फिश, चिकन और सी फूड पर अपना दिन गुजारना पड़ा. दूसरे देशों की तरह यहां भारतीय भोजन उपलब्ध कराने वाला एक भी होटल नहीं मिला. हालांकि मुझे न्यूयार्क, वाश्ंिगटन जैसे बड़े अमेरिकी शहरों में भारतीय रैस्टोरैंट काफी संख्या में मिले. ऐसा नहीं कि मैं मांसाहारी भोजन नहीं करता लेकिन यहां मुझे मजबूरन कौंटिनैंटल फूड पर ही दिन गुजारने पड़े. सो, अगर आप लास वेगास की सैर पर जाने का कार्यक्रम बना रहे हैं तो एक बात का ध्यान रखें, यदि आप शुद्ध शाकाहारी हैं तो आप को समस्या आने वाली है. हां, अगर ‘फुल नौनवेज’ या थोड़ाबहुत ‘नौनवेज’ खा लेते हैं तो काम चल जाएगा. 
1829 में यहां आने वाला सब से पहला व्यक्ति एक मैक्सिकन स्काउट रफैल रिवैरो था. सिनसिटी से बदल कर इस का नाम लास वेगास रखने वाले लोग मैक्सिको निवासी ही थे. वर्षा क्षेत्र होने के कारण यहां बड़ेबड़े जलाशय हुआ करते थे जिन के कारण यहां बेहद विस्तृत और घने चरागाह बन गए थे. चरागाहों को स्पैनिश भाषा में ‘वेगास’ कहा जाता है. अत: इस जगह को नया नाम दिया गया ‘लास वेगास.’
लास वेगास की जीवनधारा है यहां की नाइट लाइफ. यहां दिन ढलते ही एक नई दुनिया जन्म लेती है. दौलतमंद, खुशमिजाज, रंगीनमिजाज, जुए की लत के शौकीन और मस्तमौला लोगों की दुनिया. यदि आप लास वेगास की जीवन शैली का आनंद उठाना चाहते हैं तो दिन ढलने के बाद से प्रात: सूर्योदय तक कैसीनो की सैर करें.
ऐसा सुनने में आया है कि लास वेगास का पुलिस नैटवर्क बहुत तेजतर्रार और अनुभवी है. चूंकि लास वेगास में बड़े पैमाने पर जुआ खेला जाता है और बहुत बड़ीबड़ी राशियों का लेनदेन होता है, सो आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों का सक्रिय होना भी स्वाभाविक बात है. इसलिए पुलिस विभाग का सक्षम और सशक्त होना अनिवार्य हो जाता है.   –
दिन ढलते ही रोशनी में नहाए इस शहर के होटलों की फिजा देखते ही बनती है.
 
 
 
रात की रंगीनियों से सजे लास वेगास के कैसीनो दौलतमंद, खुशमिजाज और रंगीनमिजाज लोगों के  पसंदीदा ठिकाने हैं.  

गगनचुंबी इमारतों का शहर न्यूयार्क

संदीप, स्मिति, वंदना तीनों बच्चे सपरिवार पिछले 24 वर्षों से अमेरिका के अलगअलग राज्यों में रहते आ रहे हैं. तीनों ने वहीं की नागरिकता ले ली है. हम दोनों पतिपत्नी यहां चंडीगढ़ में रहते हैं. 2-3 साल में बच्चों के पास अमेरिका चले जाते हैं. वे भी चंडीगढ़ आते रहते हैं. उन के साथ अमेरिका के कई सुंदर, प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थानों को देखने का अवसर प्राप्त होता रहता है.
संदीप काम के सिलसिले में कुछ वर्ष के लिए सपरिवार न्यूयार्क में था. हम उस के पास न्यूयार्क गए थे. मिशिगन, इलिनाय, फ्लोरिडा, कैलिफोर्निया के मनोहारी स्थलों के भ्रमण करने के बाद न्यूयार्क शहर ने चुंबक की भांति हमें अपने मोहपाश में बांध लिया. गगनचुंबी इमारतों की ऊपरी मंजिल से नीचे देखने पर दौड़तीभागती कारों, इंसानों की भीड़ ऐसे दिखती थी मानो चींटियां द्रुत गति से भागी जा रही हों. फिल्मों में, चित्रों में, पत्रपत्रिकाओं में न्यूयार्क के बारे में देख रखा था, पढ़ रखा था परंतु प्रत्यक्ष देखने पर मंत्रमुग्ध से रह गए.
न्यूयार्क संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रथम राजधानी था. यहीं 30 अप्रैल, 1789 को प्रथम राष्ट्रपति जौर्ज वाश्ंिगटन ने शपथ ग्रहण की थी. 
न्यूयार्क में 4 अन्य नगर हैं: बु्रकलीन, क्वीन्स, स्टेटन द्वीप तथा ब्रौंक्स. ये चारों नगर मुख्य रूप से आवासीय हैं. पर इन का अपना अलग ही आकर्षण है. पढ़ने, सुनने तथा देखने के बाद प्रस्तुत है न्यूयार्क के विशिष्ट दर्शनीय स्थलों की एक झलक :
मैनहटन द्वीप के 3 प्रमुख भाग हैं. मिडटाउन, डाउनटाउन और अपटाउन.मिडटाउन में हैं अनेक महंगे व सस्ते होटल व आवासीय स्थान. पैदल चलने के लिए हैं चौड़ी, पक्की साफसुथरी पगडंडियां. पानी पर बसा न्यूयार्क शहर 65 पुलों से आपस में जुड़ा है. 14 पुल मैनहटन द्वीप को दूसरे स्थानों से जोड़ते हैं. ब्रुकलीन ब्रिज से रात्रि के समय बिजली के प्रकाश से शहर का मुग्धकारी दृश्य दिखाई देता है. हडसन नदी पर निर्मित 1067 मीटर लंबा जौर्ज वाश्ंिगटन ब्रिज मैनहटन को न्यूजर्सी से जोड़ता है. 1298 मीटर लंबा वरजेनो नैरोस ब्रिज बु्रकलीन से स्टेटन द्वीप तक जाता है.
न्यूयार्क शहर ‘गगनचुंबी इमारतों के शहर’ के नाम से भी विश्वप्रसिद्ध है. कुछ विशिष्ट उल्लेखनीय इमारतें ये हैं :
एंपायर स्टेट बिल्डिंग
11 सितंबर, 2001 को आतंकी हमले में वर्ल्ड टे्रड सैंटर के युगल टावर्स ध्वस्त हो जाने के बाद ‘एंपायर स्टेट बिल्ंिडग’ न्यूयार्क की सर्वोच्च बिल्ंिडग बन गई. यह 10 लाख क्यूबिक मीटर क्षेत्र में फैली है. ऊपर औब्जर्वेशन डेक पर जाने के लिए बेसमैंट में टिकट मिलते हैं. लिफ्ट पलक झपकते ही
1 मिनट में 80वीं मंजिल पर पहुंचा देती है. 86वीं मंजिल पर खड़े हो कर सागर में तैरते जहाजों का मनमोहक दृश्य देखा जा सकता है. नीचे 34वीं मंजिल में है विशाल मौल. वहां स्टोर्स में सभी लोकप्रिय, प्रसिद्ध ब्रैंड्स का सामान मिलता है.
रौकफेलर सैंटर
5वें और छठे एवेन्यू में 48वीं स्ट्रीट से 51वीं स्ट्रीट तक फैला रौकफेलर सैंटर न्यूयार्क शहर का सर्वोत्कृष्ट आकर्षण है. इंडियाना पत्थरों से निर्मित यहां की इमारतें समृद्धि, सद्भावना की प्रतीक हैं.
संयुक्त राष्ट्र संघ
प्रथम एवेन्यू में 42वीं से 48वीं स्ट्रीट पर संयुक्त राष्ट्र संघ का कार्यालय स्थित है. जौन डी रौकफेलर ने संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्यों से न्यूयार्क में मुख्यालय स्थापित करने का आग्रह किया था. इस के लिए 18 एकड़ भूमि प्रदान की गई. अमेरिकी वास्तुकार वैलेस के हैरीसन तथा फ्रैंच वास्तुशिल्पी ली-कार्बूजिए की अध्यक्षता में अंतर्राष्ट्रीय वास्तुशिल्पियों ने वर्ष 1950 में मुख्यालय का निर्माणकार्य पूरा करवाया. इस में 4 प्रमुख भवन हैं. 39 मंजिली यूएन सैक्रेटेरियट बिल्ंिडग, द जनरल असैंबली, द सिक्योरिटी काउंसिल और डौग हैमरशोल्ड लाइबे्ररी. लौबी में स्थित सूचना स्थल से अधिवेशन काल में जनरल असैंबली की कार्यवाही देखने व यूएन परिसर के भ्रमण के लिए टिकट लेने पड़ते हैं.
स्टैच्यू औफ लिबर्टी
पूरे विश्व में न्यूयार्क की विशिष्ट पहचान है ‘स्टैच्यू औफ लिबर्टी’. सागर के मध्यद्वीप पर खड़ी मानवजाति को आशा का संदेश सुना रही है यह प्रतिमा. आधारशिला से ऊपर मशाल की नोक तक यह 305 फुट ऊंची है. फ्रैंच मूर्तिकार आगस्ट बार्थोलदी तथा इंजीनियर गुस्ताव एफेल ने प्रतिमा की परिकल्पना एवं निर्माण किया. 4 जुलाई, 1884 को फ्रांस की जनता ने इसे उपहारस्वरूप अमेरिका को दिया. वर्ष 1886 में प्रतिमा को न्यूयार्क के द्वीप में स्थापित किया गया. प्रतिमा के निर्माण में 2 लाख 50 हजार डौलर खर्च हुए. यह धनराशि निजी व संयुक्त प्रयासों से एकत्रित की गई. फ्रांस की जनता ने प्रतिमा का जबकि अमेरिकी जनता ने आधारशिला का व्यय वहन किया था.
बैटरी पार्क से नौका में प्रतिमा तक पहुंचने में 15 मिनट लगते हैं. ऊपर जाने के लिए लिफ्ट तथा सीढि़यां बनी हैं. प्रतिमा के ताज पर पहुंचने पर जो रोमांचक अनुभूति होती है वह शब्दातीत है.
वाल स्ट्रीट
मैनहटन के दक्षिणी छोर पर एकदूसरे से सटी ऊंची इमारतें वैश्विक वित्त व्यवस्था की धुरी हैं. 24 डौलर में खरीदे गए मैनहटन द्वीप पर कहीं दोबारा आदिवासी कब्जा 
न कर लें, इस डर से अमेरिकियों ने द्वीप की लकड़ी से घेराबंदी कर दी थी. वित्तीय व्यवस्था की धुरी वाल स्ट्रीट पर न्यूयार्क स्टौक एक्सचेंज की बिल्ंिडग बनने के साथ यह अमेरिका के दिल की वित्तीय धड़कन बन गई. दर्शक 20 ब्रौड स्ट्रीट से इस के भीतर दर्शकदीर्घा में प्रवेश करते हैं. वहां शोरशराबे, हंगामे के बीच स्टौक शेयर की टे्रडिंग व लेनदेन की प्रक्रिया देख सकते हैं. वाल स्ट्रीट का इतिहास तथा न्यूयार्क स्टौक एक्सचेंज की कार्यपद्धति को दिखाने के लिए वृत्तचित्र व प्रदर्शनी की भी व्यवस्था है. 
सैंट्रल पार्क
न्यूयार्कवासियों, पर्यटकों को प्राणवायु प्रदान करता है सैंट्रल पार्क. भीड़भाड़, दमघोंटू वातावरण से निकल कर नगरवासी यहां पर स्वच्छ, निर्मल वायु का सेवन कर नूतन ऊर्जा प्राप्त करते हैं.  मनोरम पार्क 1 किलोमीटर चौड़ा तथा 4 किलोमीटर लंबा है.
पार्क में 1 लाख से अधिक वृक्ष हैं. उन पर पक्षियों व  गिलहरियों के घोंसले हैं. पक्षियों की मधुर चहचहाहट से गूंजता यह पार्क पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है. पार्क में सैर करना, खेलना, पिकनिक मनाना सुरक्षित व सुखद है.
गरमियों में पार्क में नगरवासियों तथा पर्यटकों की चहलपहल रहती है. युवा खेल खेलते हैं. साइकिल चलाते हैं तथा जौगिंग करते हैं. सर्दियों में बर्फबारी व ठिठुरने वाली ठंड में यह संभव नहीं. तब पार्क टैनिस कोर्ट, आइस स्केटिंग रिंक तथा बच्चों के खेल के मैदान में बदल जाता है.
निचला पूर्वी क्षेत्र
सबवे से कैनाल स्ट्रीट स्टेशन पर उतरने के साथ रोमन तथा चीनी लिपि में बोर्ड दिखाई देते हैं. यह है न्यूयार्क का चाइना टाउन. यहां पर 1 लाख से अधिक चीनी प्रवासी रहते हैं. टैलीफोन बूथों की छतें पैगोडा की तरह हैं. दुकानों में चीनी हस्तशिल्प का सामान, जेड के आभूषण तथा चीन की विशिष्ट खाद्य वस्तुएं मिलती हैं. समग्र इतिहास, सभ्यता, संस्कृति की जानकारी के लिए 70 मलबरी स्ट्रीट पर ‘म्यूजियम औफ चाइनीज इन द अमेरिका’ है. सुपर मार्केट में मिलती है चीन की स्वादिष्ठ सुगंधित चाय व शानदार चीनी बरतन. 64 मोट स्ट्रीट पर बौद्ध मंदिर है.
चाइना टाउन के उत्तरपूर्व में यहूदी इलाका है. यहां पर पौलैंड, गैलिसिया और यूके्रन के विशिष्ट ब्रैंडेड कपड़े और आभूषण मिलते हैं.
प्रवासी भारतीय भी न्यूयार्क में बड़ी संख्या में हैं. कुछ उच्च पदों पर आसीन हैं तो कुछ व्यापार, व्यवसाय में हैं. इंडियन स्टोर स्थानस्थान पर हैं. इन में आवश्यकता के सभी भारतीय खाद्य पदार्थ व अन्य सामान मिलते हैं.
म्यूजियम
वैश्विक सभ्यता, कला व संस्कृति के अद्वितीय संरक्षक हैं न्यूयार्क शहर के 120 म्यूजियम. ये विश्व की पुरातन एवं आधुनिक कला व संस्कृति के संवाहक हैं. इन्हें देखने के लिए चाहिए असीमित समय. उल्लेखनीय म्यूजियम हैं : ‘मैट्रोपोलिटन म्यूजियम औफ आर्ट’, ‘म्यूजियम औफ मौडर्न आर्ट’, ‘अमेरिकन म्यूजियम औफ नैचुरल हिस्ट्री’, ‘म्यूजियम औफ द सिटी औफ न्यूयार्क’, ‘इंटरोपिड सी-एअर-स्पेस म्यूजियम’ आदि.
नियाग्रा जलप्रपात
न्यूयार्क शहर जाएं और प्रकृति के अनुपम सौंदर्य नियाग्रा जलप्रपात को न देखा तो क्या देखा. 200 फुट की ऊंचाई से दूध जैसे सफेद जल को नीचे गिरता देख कर पर्यटक स्तब्ध रह जाते हैं. उस रोमांचक सौंदर्य की केवल अनुभूति की जा सकती है, शब्दों में बांध पाना कठिन है. प्रौस्पैक्ट पौइंट से मिनी ट्राम गोट द्वीप 
तक जाती है. द्वीप नियाग्रा जलप्रपात के जल को 2 भागों में विभक्त कर देता है. पूर्व में 182 फुट ऊंचा व 1076 फुट चौड़ा अमेरिकी जलप्रपात तथा पश्चिम में 176 फुट ऊंचा और 2100 फुट चौड़ा ‘हौर्सशू’ कैनेडियन जलप्रपात है. गोट द्वीप पर हैलिकौप्टर उपलब्ध रहते हैं. इस में बैठ कर पूरे जलप्रपात की विहंगम दृश्यावली का आनंद लिया जा सकता है. लिफ्ट से दूधिया जल की धारा को नीचे नदी में गिरते देख सकते हैं. यहां के मनोरम दृश्य को देखने के लिए अनेक औब्जर्वेशन टावर बने हैं.
रात्रि के समय हौर्सशू (कैनेडियन) जलप्रपात से उत्पन्न 4 हजार मिलियन यूनिट मोमबत्तियों के बहुरंगी प्रकाश से पूरा क्षेत्र जगमगा उठता है.
अमेरिका तथा कनाडा संयुक्त रूप से नियाग्रा जलप्रपातों की अपार ऊर्जा शक्ति का दोहन कर रहे हैं. समीप ही 6.5 किलोमीटर उत्तर में है नियाग्रा पावर प्रोजैक्ट. यहां जलप्रपात से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के संसाधन हैं.
न्यूयार्क शहर में अनगिनत दर्शनीय स्थल हैं. उन को सीमाबद्ध कर पाना दुष्कर कार्य है. अनेक धर्मों, संप्रदायों, भाषाओं, भिन्न जीवनशैलियों के होते हुए भी न्यूयार्कवासी सुअवसरों, संकटों के बीच इस शहर में धैर्यपूर्वक, सौहार्द्रभाव से रहते हैं. गरमीसर्दी, यहां का राजनीतिक प्रदूषण तथा आपराधिक गतिविधियों का सामना सभी साहसपूर्वक करते हैं. धैर्य और जीवंतता न्यूयार्क शहर को विश्व का महानतम शहर बनाते हैं. वास्तव में न्यूयार्क शहर को देखे बिना अमेरिका की यात्रा अधूरी ही कहलाएगी.
कैसे जाएं : जे एफ कैनेडी अंतर्राष्ट्रीय एअरपोर्ट पर विश्व की सभी प्रमुख विमान सेवाएं आती हैं. यह शांत, स्वच्छ, सुव्यवस्थित एअरपोर्ट है. एअरपोर्ट से बाहर निकलने पर लिमोजिन कारें (टैक्सी), मिनी बस उपलब्ध हैं. शहर में घूमनेफिरने के लिए टैक्सी, बस व ‘सबवे’ आदि सुविधाजनक साधन हैं.
कब जाएं : मई से अगस्त सर्वोत्तम समय है. सितंबर में हलकीहलकी ठंड शुरू हो जाती है.
आवास : रहने के लिए न्यूयार्क में महंगेसस्ते सभी प्रकार के 400 से अधिक होटल हैं. इंटरनैट पर बुकिंग करवाई जा सकती है. भोजन : चाइनीज, मैक्सिकन, इटैलियन, थाई के साथसाथ अनेक भारतीय रैस्टोरैंट भी हैं.
शौपिंग : न्यूयार्क में विशाल शौपिंग मौल्स तथा स्टोर्स हैं. आम आदमी की सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए वाल मार्ट, के मार्ट तथा मैसी, हैराड, ब्लूमिंग डेल जैसे स्टोर हैं. इन में विश्व के सभी प्रतिष्ठित ब्रैंड्स का सामान मिलता है. कुछ स्टोर्स रात को 12 बजे तक खुले रहते हैं.  उचित होगा कि वापसी से कुछ दिन पहले ही शौपिंग की जाए वरना जेब पहले ही खाली हो जाएगी.

सफर अनजाना

मैं नई दिल्ली से आंध्र प्रदेश ऐक्सप्रैस टे्रन से इटारसी आ रहा था. रास्ते में पता चला कि यह टे्रन अब इटारसी में नहीं रुकती. भोपाल से सीधे नागपुर जा कर रुकती है. इसीलिए मैं रात में 3 बजे उठ कर तैयार हो गया. टीटीई से पूछा, ‘‘भोपाल कब तक आ जाएगा?’’ उस ने बताया, ‘‘गाड़ी आधा घंटा देरी से चल रही है. 4 बजे के आसपास आ जाएगा.’’
मुझे झपकी आ गई. झपकी टूटी तो मैं फिर टीटीई के पास गया. पूछा, ‘‘भोपाल कब तक आ जाएगा?’’ 
वह बोला, ‘‘भोपाल तो गया. अब तो आधे घंटे बाद इटारसी आने वाला है. इटारसी तो टे्रन रुकती नहीं है, सीधे नागपुर स्टौपेज है. इटारसी आउटर पर टे्रन रुक जाए तो उतर जाना.’’
मैं सामान ले कर गेट के पास खड़ा हो गया. अचानक इटारसी आउटर पर गाड़ी धीमी हुई, फिर रुक गई. मैं आउटर पर उतर गया. कई दूसरे यात्री भी उतरे. इंजन से हमारा डब्बा चौथा था. हम पत्थरों पर चल कर जैसेतैसे इंजन तक पहुंचे. ड्राइवर से मिले. उस से रिक्वैस्ट की, ‘‘क्या आप इटारसी स्टेशन पर गाड़ी रोक देंगे?’’ जवाब में ड्राइवर ने कहा, ‘‘यदि रेड सिग्नल मिला तो रोक देंगे वरना नहीं. रिस्क है, वैसे तो रुक कर ही आगे जाती है.’’
कुछ लोग पैदल चलते रहे और कुछ इंजन से लगे बे्रक वाले डब्बे में बैठ गए. मैं भी बैठ गया. गार्ड डब्बे में नहीं था. टे्रन तुरंत चल पड़ी. इटारसी स्टेशन पर ड्राइवर ने गाड़ी नहीं रोकी. सभी इटारसी उतरने वाले यात्री घबरा गए. किसी ने कहा, चेन खींच कर गाड़ी रोक दो पर वहां चेन थी ही नहीं. इतनी भीड़ में एक रेलकर्मचारी भी था जो ड्यूटी पर इटारसी जा रहा था. उस ने हिम्मत दिखाई. उस ने बे्रक में लगे एअरप्रैशर को दोचार बार दबादबा कर ड्राइवर को गाड़ी रोकने का सिग्नल दिया.
ड्राइवर लगातार हौर्न बजाने लगा. गाड़ी धीमेधीमे रुक गई. 40-50 यात्री इटारसी स्टेशन से 2-3 किलोमीटर दूर उतर गए. सुबह के 6 बजने वाले थे. सर्द हवाएं चल रही थीं. रेलपटरी के आसपास बिछे पत्थरों पर सर्दी में चलते हुए सभी स्टेशन की ओर बढ़ रहे थे. 
तभी वहां एक पुलिस वाला आ गया. उसे देख यात्री इधरउधर से निकल भागने लगे. वह पूछता रहा, ‘‘चेन किस ने खींची?’’ जब चेन खींची ही नहीं गई थी तो कोई क्या बताता. कुछ कमजोर लोगों को पकड़ कर, धमका कर पुलिस वाला 1 हजार रुपए ऐंठ कर चलता बना. जैसेतैसे हम इटारसी स्टेशन पहुंचे.
सबक मिला कि सफर के दौरान सतर्क, सचेत व सावधान रहना चाहिए. नींद व झपकी का आना स्वाभाविक है. अपनेआप को होश में रखें. एअरप्रैशर का प्रयोग कर गाड़ी रोकना, चेन खींचना गुनाह है. सतर्कता हटी, दुर्घटना घटी. सफर सुहाना वही होता है जो सुरक्षित हो.
मुकेश बत्रा, भुसावल (महा.) 

दिल में बस जाए न्यूजीलैंड

जून महीने में भारत में तेज गरमी पड़ती है और इस गरमी से आप नजात पाना चाहते हैं तो न्यूजीलैंड चले जाइए. वहां रोटोरुआ शहर एक ऐसा शहर है जहां हरियाली, स्वच्छता और शांति का वातावरण है. वहां दिन का सामान्य तापमान 8 से 10 डिगरी के आसपास होता है और रात्रि का तापमान शून्य या उस से भी नीचे चला जाता है. वहां की दुकानें शाम 5 बजे ही बंद हो जाती हैं क्योंकि जून के महीने में वहां तेज सर्दी पड़ती है. आप भी जून के महीने में वहां जाएं तो ओवरकोट, स्वेटर व हैट ले जाना हरगिज न भूलें. वहां पर अनेक भारतीय रैस्टोरैंट हैं जो अकसर भारतीय परिवारों द्वारा चलाए जाते हैं. ये रैस्टोरैंट शाम को 3 से 4 बजे के बीच खुलते हैं और रात्रि 8 बजे बंद हो जाते हैं. वहां लंच की कोई व्यवस्था नहीं है. यदि ग्रुप में लंच या बे्रकफास्ट का और्डर हो तभी वे सुबह या दोपहर को खुलते हैं.

रैस्टोरैंट को चलाने वाले परिवारों के बच्चे सुबह से दोपहर तक अपने स्कूल या कालेज जाते हैं, फिर दोपहर बाद अपने रैस्टोरैंट में भोजन बनाने, परोसने आदि की ड्यूटी करते हैं. धनी परिवार भी स्वयं अपने रैस्टोरैंट इसी प्रकार चलाते हैं. पूरा परिवार वहां हर प्रकार का इंतजाम करता है.
 
जैट बोट राइड
रोटोरुआ में ही एक बहुत बड़ी झील है जहां पर्यटकों के लिए अनेक आकर्षण हैं. जेट बोट राइड भी इन में से एक है. वास्तव में यह अत्यंत मजेदार और रोमांचक राइड होती है जिस में कमजोर दिल वाले आनंद नहीं ले सकते.
15 से 20 पर्यटकों को बिठाने की इस में जगह रहती है. पर्यटक विशेष रूप से बने कपड़ों को पहन कर शरीर को पूरी तरह ढक कर इस बोट का आनंद लेते हैं. विशेषकर, जब यहां सर्दी का मौसम हो तो कोई भी अंग खुला रह जाने पर बर्फ जैसा जमा हुआ प्रतीत होता है. ऐसे में जैट बोटिंग का मजा और भी अधिक रोमांचक बन जाता है क्योंकि सर्दी के मारे हाथपैर जमने को होते हैं. जैट बोटिंग के लिए पूरे शरीर पर प्लास्टिक जैसे मोटे वस्त्र पहने जाते हैं. हाथपैर, सिर सबकुछ भली प्रकार ढक लिया जाता है. यह पूरी ड्रैस वहीं दी जाती है.
पानी पर चलती हुई तेज जैट बोट पर्यटकों को खुशी भी देती है और रोमांच भी. जब अचानक जैट बोट का पायलट 100 किलोमीटर की गति पर दौड़ातेदौड़ाते बोट को यू टर्न देता है तो पूरी नाव इतनी गति से पलटती है कि पानी की बौछार के साथ पर्यटक रोमांचित हो उठते हैं. लगभग 30 मिनट की यह राइड मजेदार भी है और यादगार भी.
 
उड़ान भरते जहाज
यदि आप न्यूजीलैंड की सैर पर जाएं तो मजेदार फ्लोटप्लेन की सैर का आनंद जरूर लें. न्यूजीलैंड के रोटोरुआ नामक शहर में फ्लोटप्लेन विशेष रूप से टूरिस्टों के लिए आकर्षण. जिस प्रकार हवाई जहाज सीमेंट के बने पक्के रनवे पर तेज दौड़ लगाने के बाद हवा में उड़ान भरते हैं उसी प्रकार फ्लोटप्लेन पानी पर पानी के जहाज की भांति पहले धीमी गति से तैरते हुए फिर गति को बढ़ाते हुए सरपट दौड़ लगाने लगते हैं और कुछ ही मिनटों में पानी में दौड़ लगाने के बाद ये फ्लोटप्लेन हवा में उड़ जाते हैं.
ये फ्लोटप्लेन टूरिस्टों के लिए बहुत बड़ा आकर्षण हैं. हवा में उड़ने के बाद ये पर्यटकों को शहर का हवाई नजारा दिखाते हैं. ये काफी महंगे होते हैं. इन की 8 मिनट की राइड 60 से 80 न्यूजीलैंड डौलर की होती है. इस राइड में छोटे फ्लोटप्लेन में 4 लोग बैठते हैं. पायलट सभी पर्यटकों को हेड फोन दे देता है ताकि वह जिस भी जगह के बारे में बताए, पर्यटक आसानी से सुन सकें वरना इस प्लेन में शोर के कारण आपसी बातचीत संभव नहीं हो पाती. दूसरी राइड 15 मिनट की होती है जिस का प्लेन बड़ा होता है और जिस में 8 लोग बैठ सकते हैं. इस में पानी के ऊपर काफी देर सैर कराने के पश्चात फ्लोटप्लेन हवा में उड़ जाता है और शहर में अधिक दूर तक सैर करता है. यह प्लेन कई बार हवा में ही कम ऊंचाई तक नीचे आ कर भी शहर के दर्शन कराता है. इस राइड की कीमत है 125 न्यूजीलैंड डौलर. इस मजेदार और रोमांचक राइड को आप भूल नहीं पाएंगे.
 
अनोखा डस्टबिन
वहां का डस्टबिन यानी कूड़ेदान भी कम आकर्षक नहीं. यह देखने में बहुत सुंदर है. पर उस में एक न दिखने वाली आंख लगी रहती है. उस में कूड़ा, कागज डालने के लिए ज्यों ही आप हाथ बढ़ाएंगे, वह स्वयं खुल जाएगा और जैसे ही आप हाथ पीछे करेंगे, वह स्वयं ही बंद हो जाएगा. यानी यह एक ऐसा साफसुथरा मजेदार डस्टबिन है जिस में हाथ लगाए बिना आप दूर से कूड़ा फेंक सकते हैं.
कब जाएं : मई से जून तक का समय ही न्यूजीलैंड घूमने के लिए उपयुक्त समझा जाता है. क्योंकि उस वक्त वहां लगभग 8 से 10 डिगरी सैल्सियस तापमान रहता है. कुछ शहरों में तापमान 0 से 3 डिगरी के बीच रहता है. यदि आप सर्दियों में यानी दिसंबर या जनवरी के दिनों में वहां घूमने का कार्यक्रम बनाते हैं तो वहां के अनुसार तो गरमी होगी और तापमान 20 से 30 डिगरी के बीच होगा. परंतु भारतीय मनोस्थिति के अनुसार वह बहुत सुहावना मौसम होगा.
कैसे पहुंचें : भारत के सभी प्रमुख शहरों से न्यूजीलैंड के लिए वायुसेवा उपलब्ध है, जिन से न्यूजीलैंड के नजदीकी हवाई अड्डे औकलैंड एअरपोर्ट या क्राइस्टचर्च एअरपोर्ट पहुंचा जा सकता है.
करैंसी : न्यूजीलैंड की करैंसी को डौलर कहते हैं परंतु यह विश्वव्यापी डौलर नहीं, न्यूजीलैंड डौलर है, जिस की कीमत भारतीय रुपए के अनुसार लगभग 40 रुपए है. यह कीमत घटतीबढ़ती रहती है.      

ऐसा भी होता है

एक बार मैं अपनी फैमिली के साथ  अपने दादाजी के यहां छुट्टियां मनाने जा रही थी. हम लोग निजी कार से झारखंड से बिहार जा रहे थे.
रास्ते में हमें एक स्कूटर वाले ने रोका और कहा कि अपना ड्राइविंग लाइसैंस और गाड़ी के कागजात दिखाइए. हमारे पास ड्राइविंग लाइसैंस तो था लेकिन गाड़ी के कागज नहीं थे. वह आदमी अपनेआप को पुलिस विभाग का कर्मचारी बता रहा था.
गाड़ी के कागज नहीं होने के कारण उस ने 2 हजार रुपए जुर्माने के नाम पर ले लिए और कहा कि गाड़ी आगे पार्क करें, तलाशी लेनी है. जब हम ने गाड़ी साइड की तो पाया कि वह आदमी रफूचक्कर हो चुका है.
सुरुचि प्रिया, रांची (झारखंड)
 
जाड़े की कुनकुनी धूप में एक दिन मैं अपने पति और बच्चों के साथ पार्क गई. पति पार्क के दूसरे छोर पर बच्चों को झूला झुला रहे थे. इधर, बैंच पर मैं अकेली बैठी थी, तभी 70-75 साल के बुजुर्ग अंकल आए और कहने लगे कि पार्क की सभी बैंचें भरी हुई हैं. अगर आप को आपत्ति न हो तो मैं बैठ जाऊं.
मैं किनारे खिसक गई. मुश्किल से 2 सैकंड बाद ही ‘बुजुर्गवार’ ने मुझ से मेरा नाम पूछा, फिर मैं कहां की रहने वाली हूं, पूछने लगे. फिर अचानक मेरी तरफ सरक कर बढ़ने लगे. मैं उन की मंशा समझ कर अपने पति को आगे बढ़ कर आवाज देने लगी तो पीछे से वे तेजी से खिसक लिए. जब बुजुर्ग ही ओछेपन की हरकत करने लगें तो आज की युवा पीढ़ी को वे क्या सिखाएंगे.
शालिनी बाजपेयी, चंडीगढ़ (पंजाब)
 
मैं जयपुर से दिल्ली ट्रेन से लौट रहा था. जिस डब्बे में मैं बैठा था वह काफी खाली था इसलिए मैं जूता उतार कर बर्थ पर लेट गया. शीघ्र ही मुझे नींद आ गई. जब मेरी नींद टूटी तो मैं उठ कर बैठ गया.
डब्बे में काफी लोग आ गए थे. मैं ने अपने जूते जो उतार कर बर्थ के नीचे रखे थे, पहनने चाहे तो वे जूते गायब थे. तभी मेरी सामने वाली सीट पर एक नौजवान लड़के के पैरों पर नजर गई तो मैं ने क्या देखा कि मेरे जूते उस के पांव में थे. मैं यह सोच कर हैरान था कि मेरे जूते उस के पांव में कैसे पहुंचे. वह लड़का भी निश्ंिचत हो कर मेरे जूते पहने सामने वाली सीट पर बैठा हुआ था.
मैं गुस्से में चिल्ला कर बोला, ‘‘मेरे जूते उतारो. तुम ने मेरे जूते क्यों पहन रखे हैं?’’ उस लड़के ने अपने पांव से जूते उतार कर मुझे दे दिए. मैं ने तुरंत पहन लिए. मैं समझ गया कि मेरे जूते उस ने चोरी करने के इरादे से पहन लिए थे और वह वहां से खिसकने की तैयारी में था.
मेठाराम धर्मानी, राजौरी गार्डन (न.दि.) 
  

एटीएम की सुरक्षा पर माथापच्ची

रिजर्व बैंक के आदेश पर एटीएम की सुरक्षा को ले कर इंडियन बैंक एसोसिएशन यानी आईबीए का पसीना छूट रहा है. कई दौर की वार्त्ता हो चुकी है लेकिन असहमति का ताला तोड़ना कठिन हो गया है. रिजर्व बैंक के कहने पर बैंकों का यह संगठन एटीएम में पैसा पहुंचाने के लिए आउटसोर्सिंग का तरीका निकाल चुका है और कामयाब भी है.

हालांकि आउटसोर्सिंग सेवा के बाद एटीएम में नकली नोटों की बाढ़ आई है, लेकिन इस की शिकायत करने पर इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है मगर बेंगलुरु के एटीएम में एक महिला पर हमले की घटना की पुनरावृत्ति न हो, इस मुद्दे पर संगठन के शीर्ष अधिकारियों के बीच फिलहाल किसी विकल्प पर सहमति बनती नजर नहीं आ रही है. इस मुद्दे पर माथापच्ची कर रहे बैंक अधिकारियों का कहना है कि बैठक में किसी ठोस विकल्प पर पहुंचना बहुत कठिन हो रहा है. सब से आसान तरीका था कि हर एटीएम पर बंदूकधारी तैनात कर के सीसीटीवी कैमरे लगें लेकिन इस पर एकराय नहीं बन सकी.

एक अधिकारी का कहना है कि देश में इस समय करीब सवा लाख एटीएम हैं जिन की संख्या अगले साल तक ढाई लाख से अधिक हो जाएगी. इस तरह से देश में सार्वजनिक स्थल पर बंदूकधारियों की संख्या बढ़ जाएगी. हथियारों की संख्या में इस तरह से इजाफा आपराधिक घटनाओं को बढ़ाएगा. फिर सुझाव आया कि शाखा पर आधारित एटीएम रखे जाएं लेकिन इस से आम आदमी को मिल रही सुविधा घट जाएगी, बैंक के नियमित काम पर दबाव बढ़ेगा. दूरस्थ क्षेत्रों के लिए सुझाव था कि 2 हजार की आबादी वाले गांव में माइक्रो एटीएम लगाए जाएं. इस तरह से कई और भी सुझाव आ रहे हैं लेकिन किसी भी सुझाव पर फिलहाल सहमति बनती नजर नहीं आ रही है.    

अब मोबाइल फोन नंबर अमिट हो जाएगा

मोबाइल फोन का प्रचलन हमारे यहां जिस कदर बढ़ रहा है वह किसी क्रांति से कम नहीं है. हर हाथ पर मोबाइल है और हर नई तकनीक को अपनाने के लिए उपभोक्ता लालायित हैं. मोबाइल फोन उपकरण निर्माता कंपनियां भी तेजी से उभर रही हैं और भारी कंपीटिशन के बीच नईनई कंपनियां अत्याधुनिक तकनीक अपना कर स्थापित उपकरण निर्माता कंपनियों को चुनौती दे कर उन्हें पछाड़ रही हैं. बाजार में मोबाइल फोन निर्माता कंपनियों और सेवा प्रदाता कंपनियों, दोनों की भीड़ है और उपभोक्ता के समक्ष हर दिन नए विकल्प पेश किए जा रहे हैं. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानी ट्राई भी उपभोक्ताओं के हितों के लिए अच्छा काम कर रहा है. वह मुनाफा कमाने वाली कंपनियों के शोषण से उन्हें बचाने के लिए प्रयासरत है. मोबाइल कौल की कीमतें नियंत्रण में हैं. ट्राई की सख्ती के बावजूद कंपनियां ग्राहक को चंगुल में लेने से बाज नहीं आती हैं.

बहरहाल, ट्राई की बदौलत करीब 2 साल पहले उपभोक्ताओं को मनचाहे सेवा प्रदाता का चयन करने की छूट नंबर बदले बिना मिली है और इस पोर्टेबिलिटी सुविधा का लाभ अब तक लाखों उपभोक्ता बिना नंबर बदले उठा रहे हैं. अब सरकार की योजना आप का मोबाइल नंबर स्थायी रखने की है. मतलब कि आप देश में कहीं भी जाएं, मोबाइल नंबर बदलने की जरूरत नहीं रहेगी. शायद नए वित्त वर्ष से सरकार की यह योजना शुरू हो जाएगी. दूसरा फायदा उन सभी लोगों को होगा जो नौकरीपेशा हैं जिन के और दूसरे राज्यों में ट्रांसफर होते रहते हैं.

मतलब यह हुआ कि उपभोक्ता ने जो मोबाइल नंबर एक बार ले लिया है वह उस के लिए अमिट बन जाएगा और उसे जीवन में मोबाइल नंबर बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह अच्छा प्रयास है और उस का सभी को स्वागत करना चाहिए, अच्छी बात यह है कि नंबर पर राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी निर्धारित सीमा के भीतर करनी पड़ेगी.

राजनीतिक दलों की आय के स्रोत पर नकेल

राजनीतिक दलों के लिए कंपनियों से चंदा जुटाने की राह पर कंपनी मामलों के मंत्रालय ने लगाम कसी है. मंत्रालय ने यह कदम आम चुनाव की घोषणा होने से महज चंद दिन पहले उठाया है. राजनीतिक दल अब तक कंपनियों से सामाजिक दायित्व के तहत यानी कौर्पोरेट सोशल रिस्पौंसिबिलिटी यानी सीएसआर के तहत दी जाने वाली रकम का फायदा चुनाव खर्च के लिए उठाते थे. इस व्यवस्था के तहत कंपनियों को अपने शुद्ध लाभ का 2 फीसदी सामाजिक कार्यों में खर्च करना होता है जिस पर उन्हें कर में छूट मिलती है.

दरअसल, कंपनियां इस पैसे का इस्तेमाल सामाजिक कार्यों के बजाय राजनीतिक दलों को चंदा देने पर करती थीं और बदले में कर में छूट लेती थीं और सामाजिक लाभ उसे बोनस में मिलते थे. इधर आम चुनाव को देखते हुए इस पैसे की फुजूलखर्ची को रोकने के लिए कंपनी मामलों के मंत्रालय ने 27 फरवरी को एक अधिसूचना जारी की जिस में व्यवस्था है कि राजनीतिक दलों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्षरूप से दिया गया पैसा सीएसआर के दायरे में नहीं आएगा. मतलब कि जो भी खर्च सीएसआर के तहत होगा वह शुद्ध सामाजिक कार्यों के लिए ही होगा. राजनीतिक दलों को समाज सेवा के नाम पर दिया गया चंदा सीएसआर खर्च नहीं माना जाएगा.

राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए कौर्पोरेट को विकल्प दिया गया है कि कंपनियां चाहें तो इलैक्ट्रोल ट्रस्ट बनाएं और राजनीतिक दलों का चंदा उस में डाल दें. कंपनियों से कहा गया है कि उन की कोई शाखा यदि देश से बाहर काम कर रही है तो उस से हुई कमाई का लाभ भारत में हुई कमाई से नहीं जोड़ा जाएगा. इस का मतलब यह कि कंपनियों ने भारत में जो लाभ कमाया है उस के 2 फीसदी हिस्से को भारत के सामाजिक सरोकारों पर ही खर्च करना पड़ेगा.

नए नियम में पेंच यह फंसा कि नए सीएसआर नियम को 1 अप्रैल से लागू करने की व्यवस्था की गई और आम चुनाव की तारीखों का ऐलान 7 मार्च को ही हो गया. राजनीतिक दल कंपनियों से मिल कर 1 अप्रैल से पहले हेराफेरी कर सकते थे लेकिन मंत्रालय की सलाह पर सेबी यानी भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड ने राजनीतिक दलों को कंपनियों से मिलने वाले पैसे पर कड़ी निगरानी रखनी शुरू कर दी.

सेबी ने एक और खुलासा किया है कि फर्जी निवेश के जरिए कुछ कंपनियां पैसा जुटा रही हैं और राजनीतिक दलों को लाभ दे रही हैं. सेबी ने करीब 500 ऐसी कंपनियों की पहचान भी की है. इस से साफ होता है कि राजनीतिक दलों और कंपनियों के बीच कितनी गहरी सांठगांठ है.

मजबूती की ओर शेयर बाजार

शेयर बाजार लगातार नई ऊंचाइयों की तरफ चढ़ रहा है. शेयर बाजार की रौनक से खरीदारों के चेहरे खिले हुए हैं. यूके्रन में तनाव के कारण बाजार में पहले दबाव का माहौल जरूर था लेकिन जैसे ही यूक्रेन संकट के धीमे पड़ने की खबर आई, बाजार को पंख लग गए. फरवरी के आखिरी सत्र में बाजार में खूब रौनक रही और बीएसई यानी बंबई शेयर बाजार का सूचकांक 21000 अंक के स्तर को पार कर गया. इस की वजह से रुपए में सुधार का रुख देखने को मिला है.

बाजार में तेजी के माहौल के बीच 4 मार्च को सूचकांक में भारी तेजी देखी गई और बीएसई का सूचकांक 263 अंक उछल कर 5 सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. अगले ही दिन आम चुनाव की तिथियां घोषित हुईं और कारोबार पर उस का असर देखने को मिला. संवेदी सूचकांक अपने रिकौर्ड स्तर 21,531 की ऊंचाई तक पहुंच गया और तेजी पर बंद हुआ. नैशनल स्टौक एक्सचेंज यानी निफ्टी में भी इसी तरह की तेजी देखने को मिली. निफ्टी भी 5 सप्ताह की ऊंचाई पर पहुंचा और उस का सूचकांक 6300 अंक पर पहुंचा. निफ्टी में 4 मार्च को 79 अंक की बढ़ोतरी रही जो इस साल 15 जनवरी के बाद पहली बार इस स्तर पर पहुंचा है.मजबूती की ओर शेयर बाजार

शेयर बाजार लगातार नई ऊंचाइयों की तरफ चढ़ रहा है. शेयर बाजार की रौनक से खरीदारों के चेहरे खिले हुए हैं. यूके्रन में तनाव के कारण बाजार में पहले दबाव का माहौल जरूर था लेकिन जैसे ही यूक्रेन संकट के धीमे पड़ने की खबर आई, बाजार को पंख लग गए. फरवरी के आखिरी सत्र में बाजार में खूब रौनक रही और बीएसई यानी बंबई शेयर बाजार का सूचकांक 21000 अंक के स्तर को पार कर गया. इस की वजह से रुपए में सुधार का रुख देखने को मिला है.

बाजार में तेजी के माहौल के बीच 4 मार्च को सूचकांक में भारी तेजी देखी गई और बीएसई का सूचकांक 263 अंक उछल कर 5 सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. अगले ही दिन आम चुनाव की तिथियां घोषित हुईं और कारोबार पर उस का असर देखने को मिला. संवेदी सूचकांक अपने रिकौर्ड स्तर 21,531 की ऊंचाई तक पहुंच गया और तेजी पर बंद हुआ. नैशनल स्टौक एक्सचेंज यानी निफ्टी में भी इसी तरह की तेजी देखने को मिली. निफ्टी भी 5 सप्ताह की ऊंचाई पर पहुंचा और उस का सूचकांक 6300 अंक पर पहुंचा. निफ्टी में 4 मार्च को 79 अंक की बढ़ोतरी रही जो इस साल 15 जनवरी के बाद पहली बार इस स्तर पर पहुंचा है.

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