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तो मिनरल वॉटर से कम होती पेट्रोल-डीजल की कीमत

वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की गिरती कीमतें और रुपये-डॉलर विनिमय दर में ठहराव – इन दोनों का भारत पर इस तरह असर पड़ा है कि अब देश में तेल की कीमत एक मिनरल वॉटर की बोतल से भी कम हो गई है. हालांकि पेट्रोल और डीज़ल की घरेलू कीमतों में गिरावट वैश्विक दरों के साथ कदम नहीं मिला पा रही है, क्योंकि सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए लगातार पेट्रोल और डीज़ल पर उत्पाद शुल्क में इज़ाफा कर रही है. मौजूदा वित्त वर्ष में तीसरी बार इस महीने की शुरुआत में एक बार फिर उत्पाद शुल्क को बढ़ाया गया.

वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमत गिरने से भारतीय ग्राहकों को कुछ खास फायदा नहीं पहुंचा है, क्योंकि वैश्विक कीमतों में जहां 70 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई है, वहीं भारत में पेट्रोल कीमतों में सिर्फ 20 प्रतिशत ही कमी लाई गई है. वित्त वर्ष 2015-16 में पेट्रोल पर बेसिक उत्पाद शुल्क 7.72 रुपये प्रति लीटर तक पहुंचा है, वहीं डीज़ल में यह 7.83 रुपये प्रति लीटर है. सरकार ने नवंबर, 2014 से जनवरी, 2015 के बीच पेट्रोल और डीज़ल पर उत्पाद शुल्क को चार कड़ियों में बढ़ाया है.

अगर सरकार इस शुल्क को नहीं बढ़ाती तो पेट्रोल में 10.02 रुपये प्रति लीटर और डीज़ल में 9.97 रुपये प्रति लीटर तक की गिरावट हो सकती थी. फिलहाल दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 59.35 रुपये प्रति लीटर है, वहीं डीजल 45 रुपये प्रति लीटर बेचा जा रहा है.

37 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ रोहित ने ‘पर्थ’ में रचा इतिहास

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच मैचों की सीरिज के पहले वनडे मैच में रोहित शर्मा ने कंगारुओं के छक्के छुड़ा दिए. रोहित शर्मा ने 122 गेदों में सेंचुरी लगाई. शर्मा अपने सेंचुरी के साथ ही पर्थ के मैदान में सेंचुरी लगाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बन गए हैं. गौरतलब है कि इससे पहले कोई भी इंडियन क्रिकेटर अंतरराष्ट्रीय वनडे मैच में पर्थ में सेंचुरी नहीं लगा पाया है.

इस तरह रोहित शर्मा पर्थ के मैदान में सेंचुरी लगाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बन गए हैं. सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा के नाबाद 171 रन की मदद से भारत ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला के पहले मैच में तीन विकेट पर 309 रन बनाए.

मुंबई के इस बल्लेबाज ने अपने नौवें एकदिवसीय अर्धशतक के दौरान कई रिकार्ड बनाए जिसमें आस्ट्रेलिया के खिलाफ उसकी सरजमीं पर किसी बल्लेबाजी का सर्वोच्च स्कोर भी शामिल है. रोहित ने वेस्टइंडीज के सर विवियन रिचर्डस का 153 रन का 37 साल पुराना रिकार्ड तोड़ा. रोहित ने 163 गेंद की अपनी पारी के दौरान 13 चौके और सात छक्के जड़े. 

पत्रकारों पर भड़के सहवाग, दिया चौंकाने वाला जवाब

मास्टर चैंपियंस लीग में खेलने को तैयार पूर्व भारतीय बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग से जब भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे के बारे में सवाल किए गए तो वो कुछ भड़क से गए. सहवाग ने कुछ ऐसा कह डाला जो आपको भी हैरत में डाल देगा.

सहवाग से जब भारत-ऑस्ट्रेलिया वनडे और टी-20 सीरीज के बारे में बार-बार सवाल किया गया तो उन्होंने झल्लाहट भरा जवाब देते हुए कहा, 'अगर सहवाग ने कह दिया नहीं मतलब नहीं. इसके बाद राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी मुझे बोलने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं. मैं यहां सिर्फ मास्टर चैंपियंस लीग और जेमिनी अरेबियन्स के बारे में बात करने के लिए हूं.'

सहवाग को फ्रेंचाइजी टीम जेमिनी अरेबियन्स ने अपनी टीम का कप्तान और डायरेक्टर चुना है. टीम की संरक्षक मेधा अहलुवालिया ने सोमवार को सहवाग को टीम का कप्तान बनाने की घोषणा करते हुए कहा था, 'सहवाग को टीम का कप्तान और टीम डायरेक्टर बनाने की घोषणा करते हुए हमें काफी खुशी है. वह एक शानदार क्रिकेटर हैं और हमें विश्वास है उनका अनुभव और खेल के प्रति उनकी समझ हमें जीत दिलाएगी. सोशल मीडिया पर सहवाग को कप्तान बनाए जाने को लेकर काफी मांग की गई थी और हमने अपने फैन्स की बात सुनते हुए उन्हें कप्तान बनाने का फैसला किया है.'

इस लीग के लिए दुनिया भर से खिलाड़ी और मैनेजमेंट से जुड़े अधिकारी यहां एकत्रित हुए. जेमिनी अरेबियन्स ने इस मौके पर अपनी टीम का लोगो और जर्सी लॉन्च की. एमसीएल में वही खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं जो क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं. टूर्नामेंट में छह टीमें हिस्सा ले रही हैं. और इसका आयोजन दुबई और शारजाह में 28 जनवरी से 13 फरवरी तक किया जाएगा.

मेसी ने लगातार 5वीं बार जीता ‘बालोन डी ओर’ खिताब

अर्जेंटीना के फुटबॉल स्टार लियोनेल मेसी ने पांचवीं बार फीफा का प्रतिष्ठित 'बालोन डी ओर' खिताब अपने नाम कर लिया है. स्पेनिश क्लब बार्सिलोना के दिग्गज खिलाड़ी मेसी के साथ इस दौड़ में रियल मेड्रिड के स्ट्राइकर क्रिस्टियानो रोनाल्डो और बार्सिलोना के उनके साथी खिलाड़ी नेमार का नाम भी शामिल था.

ज्यूरिख में आयोजित वार्षिक फीफा 'बालोन डी ओर' समारोह में मेसी को इस खिताब से नवाजा गया. इस समारोह में लाखों फुटबॉल प्रशंसक शामिल हुए. 'बालोन डी ओर' खिताब के विजेता का चयन राष्ट्रीय टीमों के कप्तानों, कोच और इंटरनेशनल मीडिया प्रतिनिधियों द्वारा किया गया.

इस दौड़ में मेसी को जहां 41 प्रतिशत वोट मिले, वहीं रोनाल्डो को 27.76 प्रतिशत और नेमार को 7.86 फीसदी वोट मिले. बार्सिलोना के 28 वर्षीय खिलाड़ी ने पिछले साल खेले गए मुकाबलों में कुल 48 गोल दागे और वह ला लीग में सबसे ज्यादा गोल दागने वाले खिलाड़ियों की लिस्ट में दूसरे स्थान पर थे और 2014-2015 में वह टॉप पर भी रहे.

इस बीच, बार्सिलोना के कोच लुइस एनरिक को फीफा के 'मेन्स फुटबॉल कोच ऑफ द इयर' के पुरस्कार से नवाजा गया. महिला फुटबॉल टीम में महिला वर्ल्ड कप 2015 की विजेता अमेरिका की राष्ट्रीय टीम ने दो खिताबों पर अपना कब्जा जमाया.

आखिर किस रिश्‍ते से ऐश्वर्या ने रेखा को कह दिया ‘मां’

रेखा को देख बच्चन परिवार की बहू ऐश्वर्या राय के मुंह से निकला 'मां', जी हां सही सुना आपने. मौका था 'स्टारडस्ट अवार्ड्स' का जब ऐश्वर्या को मंच पर फिल्म 'जज्बा' के लिए पावर पैक परफॉर्मर अवार्ड रिसिव करने के लिए आमंत्रित किया गया. ऐश्वर्या जब स्टेज पर पहुंचीं तो उनके सामने कोई और नहीं बल्कि सदाबहार अभिनेत्री रेखा खड़ी थीं.

ऐश्वर्या ने रेखा को सम्मान देते हुए उनके पैर छुए और रेखा ने उन्हें अवार्ड दिया. अवार्ड रिसीव करने के बाद ऐश्वर्या ने कहा, ‘मां के हाथों अवॉर्ड लेना बहुत सम्मान की बात है.’ अब ऐसे में ऐश्वर्या के जुबान से रेखा के लिए 'मां' शब्द क्या निकला, अवार्ड फंक्शन में बैठे सभी के कान खड़े हो गए.

सबके जेहन में ये सवाल घूमने लगा कि आखिर किस रिश्ते से ऐश्वर्या ने रेखा को 'मां' बोल दिया. दिलचस्प बात तो ये रही की जब उन्होंने रेखा को मां कहा तो उस वक्त हाल में पहली ही पंक्ति में अमिताभ बच्चन बैठे हुए थे. रेखा ने भी ऐश्वर्या के दिए इस सम्मान पर प्रतिक्रिया में कहा, 'मैं चाहूंगी कि सालों साल मैं ही तुम्हे अवार्ड देती रहूं.' आपको बता दें कि मुंबई में बीते शुक्रवार को स्टार स्क्रीन अवॉर्ड्स में भी रेखा को जया बच्चन के साथ गलबहियां करते देखा गया था. इस मौके पर भी अमिताभ बच्चन उनके सामने ही खड़े थे. इन नजदीकियों को देखकर बालीवुड गलियारे में अटकले तेज हो गई हैं कि क्या सालों पुराने रिश्तों में जो दूरियां आ गईं थीं, वो कम होने लगी हैं.

अमरीश पुरी: खलनायकी को दी एक नई पहचान

कड़क आवाज, रौबदार भाव-भंगिमाओं और दमदार अभिनय के बल पर खलनायकी को लगभग चार दशक तक अपने दमदार अभिनय से खास पहचान देने वाले अमरीश पुरी 12 जनवरी 2005 को इस दुनिया से अलविदा कह गए.

रंगमंच से फिल्मों के रूपहले पर्दे तक पहुंचे अमरीश पुरी ने करीब तीन दशक में लगभग 250 फिल्मों में अभिनय का जौहर दिखाया. 'मोगैम्बो' जैसे किरदार को हमेशा के लिए जिंदा कर देने वाले अमरीश पुरी के निभाए और भी दमदार किरदारों पर एक नजर..

– 1987 में अपनी पिछली फिल्म 'मासूम' की सफलता से उत्साहित शेखर कपूर बच्चों पर केन्द्रित एक और फिल्म बनाना चाहते थे जो 'इनविजबल मैन' पर आधारित थी. इस फिल्म मे नायक के रूप मे अनिल कपूर का चयन हो चुका था जबकि कहानी की मांग को देखते हुए खलनायक के रूप मे ऐसे कलाकार की मांग थी जो फिल्मी पर्दे पर बहुत ही बुरा लगे.

इस किरदार के लिये निर्देशक ने अमरीश पुरी का चुनाव किया  जो फिल्म की सफलता के बाद सही साबित हुआ. इस फिल्म मे अमरीश पुरी द्वारा निभाये गये किरदार का नाम था 'मोगैम्बो' और यही नाम इस फिल्म  के बाद उनकी पहचान बन गया.        

– अमरीश पुरी ने अपने जीवन के 40वे वसंत से अपने फिल्मी जीवन की शुरूआत की थी. वर्ष 1971 मे बतौर खलनायक उन्होंने फिल्म 'रेशमा' और 'शेरा' से अपने करियर की शुरुआत की लेकिन इस फिल्म से दर्शको के बीच वह अपनी पहचान नहीं बना सके लेकिन उनके उस जमाने के मशहूर बैनर बाम्बे टाकिज में कदम रखने बाद उन्हें बडें बड़े बैनर की फिल्में मिलनी शुरू हो गई.

– अमरीश पुरी ने खलनायकी को ही अपने करियर का आधार बनाया. इन फिल्मों में 'निशात', 'मंथन',  'भूमिका', 'कलयुग' और 'मंडी' जैसी सुपरहिट फिल्में भी शामिल  है.

– इस दौरान यदि अमरीश पुरी की पसंद के किरदार की बात करें तो उन्होनें सबसे पहले अपना मनपसंद और न कभी नहीं भुलाया जा सकने वाला किरदार गोविन्द निहलानी की वर्ष 1983 मे प्रदर्शित कलात्मक फिल्म 'अर्द्धसत्य' में निभाया. इस फिल्म मे उनके सामने कला फिल्मों के अजेय योद्धा ओमपुरी थे .

– इसी बीच हरमेश मल्होत्रा की वर्ष 1986 मे प्रर्दशित सुपरहिट फिल्म 'नगीना' में उन्होंने एक सपेरे की भूमिका निभाया जो लोगो को बहुत भाई. इच्छाधारी नाग को केन्द्र में रख कर बनी इस फिल्म में श्रीदेवी और उनका टकराव देखने लायक था.

– अमरीश पुरी ने स्टीफन स्पीलबर्ग की मशहूर फिल्म 'इंडिना जोंस एंड द टेंपल आफ डूम' में खलनायक के रूप में काली के भक्त का किरदार निभाया. इसके लिये उन्हें अंतराष्ट्रीय ख्याति भी प्राप्त हुई.

अमरीश पुरी थे चलते फिरते अभिनय प्रशिक्षण संस्थान

पंजाब के नौशेरां गांव में 22 जून 1932 में जन्में अमरीश पुरी ने अपने करियर की शुरूआत श्रम मंत्रालय में नौकरी से की और उसके साथ साथ सत्यदेव दुबे के नाटकों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया.बाद में वह पृथ्वी राज कपूर के 'पृथ्वी थियेटर' में बतौर कलाकार अपनी पहचान बनाने में सफल हुए. पचास के दशक में अमरीश पुरी ने हिमाचल प्रदेश के शिमला से बीए पास करने के बाद मुंबई का रूख किया. उस समय उनके बड़े भाई मदनपुरी हिन्दी फिल्म मे बतौर खलनायक अपनी पहचान बना चुके थे.

गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड: लियोनार्डो चुने गए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता

रविवार रात 73वें गोल्डन ग्लोब पुरस्कार समारोह के नाम रही. गोल्डन ग्लोब्स के आयोजन के साथ ही हॉलीवुड पुरस्कारों के मौसम की शुरूआत हो चुकी है, जिसका समापन 28 फरवरी को ऑस्कर पुरस्कार के समारोह के साथ होना है.

हॉलीवुड एक्टर लियोनार्डो डी केप्रियो को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला और अगले माह आयोजित होने वाले ऑस्कर में उनकी दावेदारी मजबूत हो गई है. Sएक्ट्रेंस-सिंगरलेडी गागा को एक्टिंग करियर का पहला अवॉर्ड मिला. गागा इस अवॉर्ड पाकर काफी भावुक हो गईं. गागा को सीरियल 'अमेरिकन हॉरर स्टोरी: होटल' में निभाए गए उनके किरदार के लिए बेस्ट एक्ट्रेस के अवॉर्ड से नवाजा गया.

गागा इस मौके पर काले रंग की ड्रेस में शानदार नजर आईं. लेडी गागा ने इंस्टाग्राम पर अवॉर्ड को पाकर तस्वीर भी शेयर की है.

खतरनाक परिस्थितियों में खुद को बचाने की कहानी 'द रेवेनैंट' और 'स्पेस थ्रिलर द मार्शियन' 73वें गोल्डन ग्लोब पुरस्कारों में पांच शीर्ष पुरस्कार अपने नाम करवाने में कामयाब रहीं.

फिल्म 'द रेवेनैंट' इस अवसर पर खिताबों की हैट्रिक लगाने में सफल रही. इसे सर्वश्रेष्ठ ड्रामा, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और फिल्म के निर्देशक अलेजेंद्रो गोंजालेज इनारित्तू को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार मिला है. ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इनारित्तू पिछले साल की 'द बर्ड मैन' के बाद एक बार फिर पुरस्कारों के इस मौसम में अपना दबदबा बनाए रखने के लिए तैयार हैं.

फिल्म की शूटिंग कनाडा और अमेरिका समेत कई स्थानों पर शून्य से कम तापमान वाले इलाकों में हुई थी. इनारित्तू ने मुश्किल परिस्थितियों में शूटिंग का हवाला देते हुए कहा, मैं बता नहीं सकता कि इस फिल्म को लेकर मैं कितना हैरान और गौरवांवित महसूस कर रहा हूं. दर्द अस्थायी है, फिर चिरस्थायी है़ तो फिर परवाह किसे है. इस फिल्म की स्पर्धा कैरल, मैड मैक्स फ्यूरी रोड, रूम और स्पॉटलाइट से थी.

ग्लोब्स में मिली यह जीत डिकेप्रियो के लिए ऑस्कर में जीत की संभावनाएं मजबूत कर सकती है. हर साल कई-कई नामांकनों के बावजूद लंबे समय से डिकेप्रियो को ऑस्कर हासिल नहीं हो सका है. अभिनेता ने इस फिल्म में फर उतारने वाले हयूग ग्लास की भूमिका निभाई थी, जिसे उसके सहकर्मी एक भालू के हमले के बाद मरने के लिए अकेला छोड़ जाते हैं.

अपने साथ नामित हुए लोगों, अपने निर्देशक और सहकलाकार टॉम हार्डी का नाम लेते हुए 41 वर्षीय केप्रियो ने कहा कि यह जीत एक अतुलनीय सम्मान है. फिल्म की शूटिंग के दौरान रहे बेहद खराब मौसम का जिक्र करते हुए डिक्रेप्रियो ने कहा, यह फिल्म विश्वास के बारे में थी और हमारे विश्वास का पात्र हमारे निर्देशक से बेहतर कोई नहीं था. वह और पूरा क्रू इस फिल्म को बनाने के लिए जिस गहराई तक चले गए, वह अतुलनीय था.

अपने संबोधन के अंत में उन्होंने स्वदेशी अधिकारों के प्रति समर्थन जताया. उन्होंने कहा, मैं दुनिया के सभी स्वदेशी लोगों का शुक्रिया करना चाहता हूं. यह समय है कि हम हमारी धरती की सुरक्षा करें और आपकी आवाज सुनें.

रिडले स्कॉट के निर्देशन वाली 'स्पेस ड्रामा द मार्शियन' को म्यूजिकल एंड कॉमेडी कैटेगरी में विजेता घोषित किया गया. इसके साथ ही फिल्म के स्टार मैट डेमन को इस वर्ग में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला. अभिनेता ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि दर्शकों को यह फिल्म पसंद आई.

ब्री लार्सन ने फिल्म 'रूम' में एक बंद स्थान पर अपने पांच साल के बेटे के साथ वर्षों तक बंद रहने वाली महिला की दमदार भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री ड्रामा कैटेगरी का खिताब जीता. नवोदित अभिनेत्री लार्सन ने यह पुरस्कार केट ब्लैंचेट, रूनी मारा, साओसे रोनन और एलिशिया विकंडेर जैसी अभिनेत्रियों को पीछे छोड़ते हुए जीता.

26 वर्षीय लार्सन ने लेखिका एमा डोनोग, निर्देशक लेनी अब्राहमसन और सह कलाकार जैकब ट्रेंबले का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि उनके लिए 'रूम' बेहद खास है. इसके साथ ही उन्होंने कहा, जिसका नाम लेना भी मैं भूल गई हूं, मैं आपको एक थैंक्यू कार्ड लिखकर भेजूंगी.

अभिनेत्री जेनिफर लॉरेंस बायोपिक 'जॉय' के लिए अपना चौथा गोल्डन ग्लोब पुरस्कार जीतकर ले गईं. जॉय का नामांकन म्यूजिकल या कॉमेडी केटेगरी में हुआ था. इस अवसर पर रिकी गेरवियाज चौथी बार प्रस्तोता के रूप में लौटे.

25 वर्षीय जेनिफर ने अपने निर्देशक डेविड ओ रसेल का शुक्रिया अदा किया. रसेल जेनिफर को ऑस्कर दिलाने वाली 'सिल्वर लाइनिंग्स प्लेबुक' का भी निर्देशन कर चुके हैं. मजाकिया अंदाज में उन्होंने कहा कि वह निर्देशक के पास दफनाया जाना पसंद करेंगी.

सिल्वेस्टर स्टैलन जब रॉकी सीरिज की फिल्म 'क्रीड' में अपनी भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार लेने के लिए मंच पर चढ़े तो मंच के नीचे बैठे सभी सितारों ने खड़े होकर उनके लिए तालियां बजाईं. भावुक हो उठे स्टैलन ने इस मशहूर भूमिका के बारे में बोलते हुए कहा, मैं अपने काल्पनिक दोस्त रॉकी बालबोआ का धन्यवाद करना चाहता हूं कि वह मेरे अब तक के सबसे अच्छे दोस्त रहे.

केट विंसलेट को बायोपिक 'स्टीव जॉब्स' में मार्केटिंग एग्जिक्यूटिव जोआना हॉफमैन की भूमिका निभाने के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार मिला तो वह खुद भी हैरत में पड़ गईं. 'स्टीव जॉब्स' को दूसरी ट्रॉफी सर्वश्रेष्ठ पटकथा श्रेणी के लिए मिली. यह पुरस्कार एरोन सोरकिन के नाम रहा.

उन्होंने कहा, मैं सच कहती हूं, मैं हैरान हूं. मैं अब भी यहां खड़ी होकर यही सोच रही हूं कि शायद यह सच नहीं है. मैं ईमानदारी और सच्चाई के साथ कहती हूं कि मैंने इसकी बिल्कुल उम्मीद नहीं की थी और मैं बहुत खुश हूं.

केट और डिकेप्रियो दोनों को ही पुरस्कार मिलना उनके प्रशंसकों के लिए एक यादगार लम्हा रहा. 'टाइटेनिक' के इन दोनों सितारों के एक दूसरे से गर्मजोशी के साथ मिलने पर सभी की नजरें लगी रहीं.

सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा ट्रॉफी हंगरी के ड्रामा 'सन ऑफ सॉल' को मिली. यह दूसरे विश्वयुद्ध पर आधारित है और फिल्म एक शवदाहगह में काम करने वाले एक कैदी की भयावह कहानी है, जिसमें एक बच्चों के सही ढंग से अंतिम संस्कार करने के उसके संघर्ष को दिखाया गया है.

ग्रैमी विजेता गायक सैम स्मिथ को स्पेक्टर में जेम्स बॉण्ड के थीम सॉन्ग 'राइटिंग्स ऑन द वॉल' के लिए सर्वश्रेष्ठ मूल गीत का पुरस्कार मिला. वहीं बेस्ट स्कोर द हेटफुल एट के लिए एनियो मोरिकोन को पुरस्कार मिला.

सर्वश्रेष्ठ एनिमेशन मूवी 'ट्रॉफी इनसाइड आउट' को मिली. यह एनिमेशन मूवी एक युवा लड़की के दिमाग में घूमती रहने वाली विभिन्न भावनाओं के बारे में है.

जैसी दिखती हूं, वैसी हूं नहीं: सनी लियोनी

मशहूर ब्रिटिश मॉडल और लोकप्रिय कनाडियन पॉर्न स्टार सनी लियोनी इन दिनों बालीवुड में सक्रिय हैं. बॉलीवुड में वह ज्यादातर एडल्ट फिल्मों में ही अभिनय कर रही हैं. फिलहाल वह एडल्ट कॉमेडी फिल्म ‘‘मस्तीजादे’’ को लेकर चर्चा में है, जिसे छह माह तक ‘‘भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’’ यानी कि फिल्म सेंसर बोर्ड से सेंसर प्रमाण पत्र पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा.

फिल्म ‘‘मस्तीजादे’’ में सनी लियोनी ने दोहरी भूमिका निभायी है, जिसमें से एक किरदार उनकी अपनी ईमेज के अनुरूप ही अति बोल्ड है. जबकि दूसरा एक संस्कारी लड़की का है. सनी लियोनी का दावा है कि वह निजी जिंदगी में आध्यात्मिक और पंजाबी संस्कारों से युक्त हैं.

जी हां…! हाल ही में “सरिता टीम” से हुई बातचीत में उनसे धर्म व संस्कार की चर्चा चली, तो सनी लियोनी ने कहा- ‘‘मैं धार्मिक नहीं, मगर स्प्रिच्युअल/आध्यात्मिक हॅूं. मैं मूलतः भारतीय मूल की पंजाबी लड़की हूं, पर मेरी परवरिश अमेरिका में हुई है. मेरी शादी भी गुरूद्वारा में पंजाबी संस्कारों के साथ हुई है. मैं पंजाबी हॅूं, यह मैं कभी नहीं भूल सकती. मुझे मेरे परिवार ने जो संस्कार दिए हैं, उसे मैं भूल नहीं सकती. मैं अपनी विरासत को संभालकर व साथ लेकर चल रही हॅूं.’’

सीबीआई की सोच

हमारे धर्मग्रंथों में बारबार कथाएं आती हैं कि जब दैत्यों, दस्युओं का जोर पकड़ने लगता था, ऋषिमुनि तत्कालीन राजा के आगे जा कर गुहार लगाते थे और राजा बामन अवतार धारण कर या खंभे में छिप कर नरसिंह अवतार बन कर या मोहिनी अवतार बन कर छल, कपट, बेईमानी, झूठ, धोखे से देवताओं व ऋषियों का उद्धार करता था. राम, कृष्ण समेत इन सब अवतारों की गाथाएं पढ़ लें, आप को साफ दिखेगा कि उन्होंने छल से देवताओं का आर्य राज कैसे पुन: स्थापित किया.

यही आज हो रहा है. तब की कहानियां भी आज बच्चों को स्कूलों में पढ़ाई जा रही हैं, चित्रकथाएं बन रही हैं, टीवी धारावाहिक बन रहे हैं, नृत्यनाटिकाएं बन रही हैं, रामलीलाएं, कृष्णलीलाएं हो रही हैं, पुराणों का पाठ हो रहा है. देश की राजनीति में ऐसा 1947 से हो रहा है, आज कुछ ज्यादा ही हो रहा है.

केंद्रीय जांच ब्यूरो का दिल्ली सरकार के सचिवालय पर छापा कुछ ऐसा ही था. एक तरह से यह जताता है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो के अनुसार रिश्वत का पैसा, उस के दस्तावेज, कागज की सरकारी फाइलों में रखे जाते हैं और तभी बिना बताए उन्हें परखने का हक उस के पास है. मगर सीबीआई की सोच ऐसी है तो जनता के लिए बड़े राहत की बात है कि वह अब इस सरकारी कदम के आधार पर कह सकती है कि सरकार चोर, उचक्कों, डाकुओं, बेईमानों की तरह ही होती है और सरकारी दफ्तर डाकू मान सिंह के अड्डे की तरह हैं जिन पर छापा मारो तो बहुत कुछ मिलेगा. अगर दिल्ली सरकार के दफ्तर ऐसे हैं तो नौर्थ ब्लौक और साउथ ब्लौक व राजपथ के दोनों ओर बने विशाल भवन क्यों न ऐसे होंगे. आखिर उन सभी में भी तो वही आईएएस सेवा के ही अफसर तो हैं.

सीबीआई ने प्रमाण दे दिया है कि बेईमान उद्योगपतियों की तरह नौकरशाही भी बेईमान ही है और मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, शायद राष्ट्रपति भी, इसी गिनती में आएंगे. नेताओं को अब बेईमान उसी तरह कह सकते हैं जैसे धन्ना सेठों को कहा जाता है. सुब्रतो राय, जो 2 साल से जेल में है, और मंत्रियों व उन के अफसरों में कोई फर्क नहीं है. अरविंद केजरीवाल ने यह साबित करवा दिया कि आज की केंद्र सरकार और केंद्रीय जांच ब्यूरो यह मानते हैं कि कोई भी बेईमानी से ऊपर नहीं है और जनता को किसी पर भी भरोसा नहीं करना चाहिए. अब यह देखना बाकी रह गया है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो की जांच के लिए कौन सा ब्यूरो बनेगा.

मुख्यमंत्री के महायज्ञ में आग: पाखंड की खुली पोल

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव द्वारा जनकल्याण के लिए  कराए जा रहे महायज्ञ में आग लगने से यज्ञ की पाखंड की पोल खुल गई. 27 दिसंबर को मुख्यमंत्री के मेढक जिले के इरावेल्ली स्थित फार्म हाउस में 7 करोड़ रुपए की लागत से विशाल, भव्य पंडाल तैयार किया गया था. मुख्यमंत्री द्वारा व्यापक प्रबंध किए गए थे. शांति, समृद्घि के लिए चल रहे यज्ञ में महान विद्वान पंडितों को आमंत्रित किया गया था.

इस महायज्ञ के लिए 5 राज्यों से 2 हजार विद्वान पंडित बुलाए गए थे. इन में मंत्रों से बारिश करवा देने का दावा करने वाले महापंडित विराजमान थे. हवन स्थल पर 108 हवन कुंड बनाए गए. 23 से 27 दिंसबर तक चलने वाले महायज्ञ में देश के बड़ेबड़े लोगों को आमंत्रित किया गया था. के चंद्रशेखर राव ने यज्ञ के पुण्य का फायदा कमाने के लिए करीब 4 हजार मेहमानों को न्यौता दिया था. इन में राजनीतिबाज, उद्योगपति, फिल्म इंडस्ट्री की सिलेब्रिटी समेत राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को भी आमंत्रित किया गया था. तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र के राज्यपाल, आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडु, केंद्र और राज्य के मंत्री, सांसद, सुप्रीम कोर्ट के दो जज शामिल थे.

120 करोड़ के फार्म हाउस में 5 दिवसीय ‘आयुथा चंडी महायज्ञम’ में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव स्वयं यजमान के रूप में उपस्थित थे. पहले दिन मुख्यमंत्री की पत्नी व परिवार से सदस्य, तेलंगाना के राज्यपाल, मंत्रिमंडल के सदस्य मौजूद थे. मुख्यमंत्री खुद पंडितों के साथ यज्ञ के वेश में थे. यज्ञ शुरू होने से पहले उन्होंने पंडितों के साथ परिवार सहित चंडी माता से विघ्न बाधाएं टालने की प्रार्थना की.

यज्ञ के दूसरे दिन केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडु और बंडारू दत्तात्रेय आ चुके थे तथा सुप्रीम कोर्ट के जज जे. चामलेश्वर तथा अन्य कई बड़े लोग यज्ञ में शामिल हो चुके थे. यज्ञ में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को 27 दिसंबर को पहुंचना था पर इस से पहले ही आग लग गई.

यज्ञ स्थल पर टनों देसी घी इकट्ठा किया गया. कहा जाता है कि यहां 4 हजार किलो गाय का देसी घी मंगाया गया था. 20 टन हवन की लकड़ी थी. महंगा सुगंधित चंदन, पलाश मंगवाया गया. 12 टन खीर बनाई जाती थी. मुफ्त का माल घी और तर पकवानों को देख कर पंडितों ने आग लगने की परवा नहीं की. मंत्रोच्चारण के साथसाथ घी हवन कुंडों में झोंकते रहे. जल्दीजल्दी ज्यादा मात्रा में घी डालने से पंडाल में आग लग गई. आग लगते ही कई भक्तगण आगआग चिल्लाने लगे तो पंडितों ने भक्तों पर गुस्सा करते हुए डांटना शुरू कर दिया. भक्तों को कहा गया कि तुम मूर्ख लोग ऐसे चिल्ला कर  अग्नि देवता का अपमान कर रहे हो. अब तक आग ने विकराल रूप धारण कर लिया था तभी किसी भक्त ने पंडितों को याद दिलाया कि महाराज जिन मंत्रों से बारिश कराई जाती है वे मंत्र बोलना शुरू करो ताकि आग बुझ जाए.

इस पर पंडित कहने लगे कि आग लगे बारिश के मंत्रों को, हमें जान बचाने दो. पंडाल में अफरातफरी मच गई. चारों ओर भगदड़ दिखने लगी. सब से पहले पंडित लोग जान बचाने के लिए पंडाल से बाहर भागे. भागदौड़ में आग की लपटों से कुछ पंडितों की धोतियां भी जल गईं. भक्तों को समझ नहीं आ रहा था कि सहसा साक्षात अग्नि देवता कैसे प्रकट हो गए. क्या कहीं शांति के मंत्रों की जगह पंडितों ने गलती से अग्नि देवता के आह्वान वाले मंत्र तो नहीं जपने शुरू कर दिए थे.

देखते ही देखते 7 करोड़ का पंडाल खाक में तब्दील हो गया. पल में करोड़ों रुपए स्वाहा हो गया. सहायता के लिए न इंद्र या वरुण देवता आए, न चंडीदेवी. यह तो मुख्यमंत्री के कहने पर फायर ब्रिगेड की गाडि़यों ने पहुंच कर आग को बुझाया. मुख्यमंत्री के 120 करोड़ के फार्म हाउस में यज्ञ स्थल पर 3 हजार पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे. चप्पेचप्पे पर क्लोज सर्किट कैमरे लगाए गए, विशाल स्क्रीन लगाए गए थे. अति विशिष्ट लोगों के आनेजाने के लिए 25 हैलीपैड बनाए गए, 2 हजार वाहनों की पार्किंग के लिए जगह तैयार की गई. प्रसाद वितरण की व्यवस्था की गई और प्रतिदिन 50 हजार लोगों को भोजन कराने का इंतजाम था.

इस महायज्ञ को ले कर विपक्षी भाजपा निजी कार्य के लिए मुख्यमंत्री पर सरकारी धन के दुरुपयोग कर आरोप लगा रही है. उधर मुख्यमंत्री कहते हैं कि यज्ञ का खर्च उन्होंने खुद वहन किया है. आरोप है सरकार द्वारा ठेकेदारों और व्यापारियों से चंदा वसूला गया था. भाजपा सोच रही है कि धर्म के तमाम पाखंडों का ठेका तो उस के पास है फिर कोई प्रादेशिक पार्टी कैसे उन का हक ले सकती है.

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के इस पाखंड से प्रदेश के किसान बहुत हतोत्साहित हुए हैं. यह समूचा क्षेत्र सूखा प्रभावित है. किसान सूखे की भयंकर मार से जूझ रहे हैं. यज्ञ स्थल से 10 किलोमीटर दूरी पर स्थित पिरलापल्ली गांव में हाल में किसान आत्महत्या कर चुका है. इलाके के किसान कर्जदारों का सामना नहीं कर पाते. किसानों की दो मौसमी फसल बर्बाद हो चुकी है. मुख्यमंत्री पीडि़त किसानों की कोई मदद करने के बजाय यज्ञ से उन्हें राहत पहुंचाना चाहते हैं. क्या यह किसी राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा जनता के बीच अंधविश्वास का प्रचार करना नहीं है? यह संविधान के खिलाफ नहीं है?

के चंद्रशेखर राव अलग तेलंगाना राज्य की मांग के लिए वर्षों तक संघर्षरत रहे. तेलंगाना को एक अलग राज्य बनाने को ले कर कई साल तक चले आंदोलन के बाद 2 जून 2014 को नया राज्य स्थापित हुआ था. आंध्र प्रदेश से अलग हो कर यह देश का 29 वां राज्य बना. हैदराबाद हो तेलंगाना और आंध्रप्रदेश की संयुक्त राजधानी बनाया गया. राज्य के पहले मुख्यमंत्री चाहते थे यज्ञ से इस नए प्रदेश में खुशहाली लाई जाए.

राजनीतिबाज आए दिन धर्म के नाम पर कोई न कोई ढोंग करते दिखाई देते हैं. वे सोचते हैं कि हवनयज्ञ करने मात्र से देशप्रदेश का विकास हो जाएगा, सुख,शांति कायम हो जाएगी. सरकारें विकास की कोई ठोस योजनाएं नहीं बनाती, न उन पर ठीक से अमल करतीं. ऐसे ढोंगढकोसलों की पोल आए दिन खुलती रहती है फिर भी राजनीतिबाज बाज नहीं आते.

ऐसी धार्मिक करतूतों से हमारे शासक क्या संदेश देना चाहते हैं? के चंद्रशेखर राव, डोनाल्ड ट्रंप, व्लादिमिर पुतिन जैसे राजनीतिबाज धर्म के प्रचारक बन कर दूसरे धर्मों से वैमनस्य ही बढा रहे हैं. धर्म के सहारे धार्मिक हिंसा, सांप्रदायिकता से लड़ सकते हैं? फिर इन में और आईएस, अलकायदा, जैश ए मोहम्मद, तालिबान में क्या फर्क है? ऐसे में ये आतंकवाद से मुकाबले की बात किस मुंह से कर सकते हैं.

इस अग्निकांड से करोड़ों के नुकसान का पंडितों को जरा भी दुख नहीं है, उन को दुख केवल इस बात का है कि जनता के सामने उन के झूठे दावों की पोल खुल गई कि  मंत्रों से बारिश होती है, सुख, शांति आती है.

असल में दुनिया भर में पंडों, पादरियों, मुल्लाओं ने शासकों की सोच पर कब्जा कर रखा है. उन्हें प्रदेश के विकास, सुख, समृद्घि का झूठा सपना धर्म के कर्मकांडों में दिखाते रहते हैं. इस से इन लोगों का तो धंधा चलता रहता है पर न नेताओं को फायदा हो पाता, न देश की जनता को. पंडों, पुरोहितों के चंगुल में फंसे नेता और जनता कब तक बेवकूफ बनती रहेगी.

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