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इस शुक्रवार चलेगा जूही और शबाना का ‘चॉक एंड डस्टर’

लंबा इंतजार हुआ खत्‍म और 15 जनवरी को रिलीज होने के लिए बिल्‍कुल तैयार है फिल्‍म 'चॉक एंड डस्‍टर'. फिल्‍म को निर्देशित कर रहे हैं निर्देशक जयंत गिलटर. वहीं फिल्‍म में नजर आएंगे बड़े जाने-माने चेहरे. जूही चावला, शबाना आजमी, जैकी श्रॉफ, अनुपम खेर, समीर सोनी, गिरीश कर्नाड भी प्रमुख भूमिका में और साथ में निगेटिव रोल में दिव्‍या दत्‍ता और आर्य बब्‍बर भी नजर आएंगे. फिल्‍म को प्रोड्यूस किया है अमिन सूरानी ने.

फिल्‍म में विद्या और ज्‍योति नाम की दो टीचर्स अहम भूमिका में नजर आती हैं. दोनों ही मुंबई के एक हाईस्‍कूल में टीचर्स हैं. अपने स्‍टूडेंट्स से इनका खासा लगाव दिखाया गया है. फिल्‍म की कहानी में टर्न उस समय आता है जब स्‍कूल में एक नई प्रिंसिपल आ जाती है. इस प्रिंसिपल का नाम है कामिनी गुप्‍ता. ये आते ही स्‍कूल के सारे मापदंडों को बदलकर रख देती हैं. इसके बाद शुरू होती है किरदारों के बीच की असली जद्दोजहद.

फिल्‍म के रिलीज होने से पहले ये खबरें सुनने को मिली थीं कि फिल्‍म में को-एक्‍ट्रेस शबाना आजमी के साथ काम करने को लेकर जूही चावला बेहद एक्‍साइटेड थीं. हों भी क्‍यों न, शबाना आजमी सरीखे प्रतीभाशाली कलाकारों संग काम करने का मौका कम ही मिलता है. इसको लेकर जूही ने ये तक कह दिया कि जब उनके सामने फिल्‍म की स्‍क्रिप्‍ट आई तो उसका मतलब सिर्फ शबाना आजमी था.

उधर, शबाना आजमी ने भी 'चॉक एंड डस्‍टर' में शामिल होने का श्रेय फिल्‍म में अपनी को-एक्‍ट्रेस जूही चावला को दिया. उन्‍होंने कहा कि फिल्‍म में काम करने को लेकर उनके मन में दुविधा थी, फिल्‍म के प्रति जूही के उत्‍साह को देखकर वह भी इसके लिए तैयार हो गईं. आगे उन्‍होंने बताया कि फिल्‍म की स्‍क्रिप्‍ट उनको पसंद आई थी, लेकिन फिल्‍म के निर्माता और निर्देशक को वह नहीं जानती थीं, इसलिए वह इससे जुड़ने में झिझक रहीं थीं. वहीं काम करने के बाद शबाना आजमी का अनुभव काफी अच्‍छा रहा.

अक्षय कुमार निभाएंगे ‘रोबोट 2’ में विलेन का किरदार

बॉलीवुड में अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाले अक्षय कुमार अब दक्षिण भारतीय फिल्मों में अपना जलवा बिखरने को तैयार हैं. रजनीकांत की फिल्म 'रोबोट 2' में खिलाड़ी अक्षय कुमार विलेन के किरदार में नजर आएंगे. ये पहला मौका है, जब बॉलीवुड का कोई एक्टर दक्षिण की तमिल फिल्म में काम करने जा रहा है.

रजनीकांत की फिल्म 'रोबोट 2' में काम करने को लेकर अक्षय कुमार ने कहा,' मुझे खुशी है कि मैं तमिल फिल्म में काम करने वाला पहला बॉलीवुड एक्टर हूं. मैं रजनीकांत का आभारी हूं, जिन्होंने इस फिल्म में मुझे काम करने का मौका दिया है. इस तरह की भूमिका मिलना मुश्किल है.'

आपको बता दें कि फिलहाल अक्षय कुमार को 22 जनवरी को रिलीज होने वाली अपनी फिल्म 'एयरलिफ्ट' का इंतजार है. राजा मेनन निर्देशित इस फिल्म में अक्षय कुमार के अपोजिट 'द लंचबॉक्स' की एक्ट्रेस निम्रत कौर नजर आएंगी. यह फिल्म इराक-कुवैत के बीच हुए युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित है.

ऐश्वर्या की खूबसूरती के कायल हैं सिंगर जॉन लीजेंड

अंतर्राष्ट्रीय गायक जॉन लीजेंड पूर्व मिस वर्ल्ड ऐश्वर्या राय बच्चन की खूबसूरती देखकर मंत्रमुग्ध हो गए हैं. उन्होंने कहा है कि वह ऐश्वर्या की सुंदरता और प्रतिभा से काफी प्रभावित हैं.

जॉन ने ऐश्वर्या और अमेरिकी एक्ट्रेस इवा लोंगोरिया की मौजूदगी वाले एक विज्ञापन में अपनी आवाज दी है. यह विज्ञापन जल्द भारत में रिलीज होगा. दोनों ही एक्ट्रेस लोरियाल पेरिस की ब्रांड एंबेसडर हैं और इस विज्ञापन में साथ दिखाई देंगी. इस विज्ञापन का वीडियो जॉन के प्रसिद्ध गाने पर आधारित है.

इस विज्ञापन के अनुभव के बारे में जॉन ने कहा, 'दुनिया की सबसे खूबसूरत और प्रतिभाशाली महिला के लिए गीत गाना मेरी दिली ख्वाहिश थी. वह सौंदर्य और मोहब्बत का मूर्त रूप हैं.' ऐश्वर्य पिछले साल फिल्म 'जज्बा' में नजर आईं थीं. अब वह जल्द 'सरबजीत' और 'ऐ दिल है मुश्किल' फिल्म से दर्शकों से दोबारा रू-ब-रू होंगी.

‘जिसकी बातों में है दम-खम, जिसका चेहरा नूरानी है’

तारीफ और खूबसूरती का गुणगान कई बार खुद पर भारी पड जाता है. जिससे तारीफ करने वाले और जिसकी तारीफ की जा रही है, दोनों की स्थिति बहुत असहज हो जाती है. बिहार की सड़को की तुलना हेमा मालिनी से करने की बात बिहार के नेता लालू प्रसाद यादव को भारी पडी थी. उत्तर प्रदेश के एक नेता ने महिला डीएम की सुदंरता की तारीफ की, तो आलोचना का शिकार हो गये.

इस कडी में ताजा नाम लखनऊ के बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति पद्मश्री प्रोफेसर आरसी सोबती का जुड गयाहै. विश्वविद्यालय के 20वें स्थापना दिवस समारोह में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लेने लखनऊ आई थीं. केंद्रीय मंत्री की तारीफ में कुलपति प्रोफेसर आरसी सोबती ने एक कविता पढी. इस कविता में तुकबंदी करते हुये कुलपति साहब ने ‘महारानी’, ‘दीवानी’, ‘बलिदानी’ और ‘नूरानी’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया था. कविता की आखिरी लाइन ‘जिसकी बातों में है दम-खम, जिसका चेहरा नूरानी है’ थी.

केन्द्रीय मंत्री की तारीफ में मंच पर ‘दीवानी’ और ‘नूरानी’ जैसे शब्दों का प्रयोग विवाद का विषय बन गये. ऐसे शब्दों को अनुचित ठहराया जा रहा है. केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने खुद तो किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी, पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस मामले को संज्ञान में लिया है. जानकार लोग कहते है कि मंत्रालय इस मामलें को लेकर कडा रूख अपना सकता है. मीडिया में इस तरह की खबरों के आने के बाद खुद प्रोफेसर आरसी सोबती किसी तरह की बातचीत से बचते नजर आ रहे है. महिलासंगठनों ने कुलपति के ऐसे शब्दों को महिला विरोधी माना है. उत्तर प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष जरीना उस्मानी कहती है ‘केन्द्रीय मंत्री को खुद इन शब्दों को संज्ञान में लेकर आपत्ति जतानी चाहिये थी. इस तरह की तारीफ करना किसी भी तरह से सम्मानजनक नहीं लगता है.’

तो इस वजह से ऑस्ट्रेलिया से हारी टीम इंडिया…!

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच वनडे मैचों की सीरीज का आगाज टीम इंडिया के लिए बेहद खराब रहा. पर्थ वनडे में ऑस्ट्रेलिया के हाथों टीम इंडिया को पांच विकेट से करारी हार मिली. 309 रन बनाने के बाद टीम इंडिया अपने बड़े लक्ष्य का बचाव नहीं कर पाई. टीम इंडिया की हार की सबसे बड़ी वजह बनी अंपायर का एक गलत फैसला.

सरन ने ऑस्ट्रेलिया के दोनों ओपनर को पवेलियन भेज कर टीम इंडिया को शानदार शुरुआत दिलाई लेकिन अगली ही गेंद पर जॉर्ज बेली को अंपायर ने जीवनदान दे दिया. रिप्ले में साफ दिखा रहा था कि गेंद बेली के गलब्स पर लगी थी.

बेली को जब अंपायर ने नॉट आउट दिया तब वो शून्य पर थे इसके बाद बेली ने 112 रन की पारी खेली. अंपायर के गलत फैसले के बावजूद अगर मैच में भारत ने DRS लिया होता तो ये बेली आउट हो सकते थे.

DRS (DECISION REVIEW SYSTEM) जहां रिप्ले और TECH की मदद से थर्ड अंपायर गलत फैसलों को सुधार सकता है. भारत हमेशा से DRS के खिलाफ रहा है. पर्थ में भी भारत को DRS के साथ ना खेलने का खामियाजा भुगतना पड़ा. अब भी धोनी का यही कहना है कि वो DRS से पूरी तरह सहमत नहीं हैं. यानी जो पर्थ में हुआ वो फिर टीम इंडिया पर भारी पड़ सकता है.

ऑस्ट्रेलिया के एक पत्रकार ने जब धोनी से पूछा कि क्या 50-50 वाले फैसलों को लेकर अंपायर भारत को सजा दे रहे हैं तो धोनी ने कहा, ‘‘मैं आपसे सहमत हो सकता हूं. ’’ उन्होंने कहा कि यदि तब तीसरा विकेट निकल गया होता तो मैच की स्थिति बदल सकती थी लेकिन इसके साथ ही उन्होंने साफ किया कि वह चाहते हैं कि अंपायर अधिक से अधिक सही फैसले दें.

धोनी ने कहा, ‘‘मैच का परिणाम बदल सकता था लेकिन इसके साथ ही हम चाहते हैं कि अंपायर अधिक से अधिक से सही फैसले करें. आपको देखना होगा कि कितने 50-50 फैसले हमारे पक्ष में नहीं गए. हमेशा इस पर गौर किया जाता है लेकिन मैं अब भी डीआरएस को लेकर आश्वस्त नहीं हूं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘डीआरएस को निर्णय करने वाली प्रणाली होनी चाहिए थी लेकिन इसमें कुछ कमियां हैं और इसको बनाने वाले भी इससे सहमत हैं. और क्रिकेट में प्रत्येक इंच मायने रखता है और केवल इंच ही नहीं यहां तक मिलीमीटर भी मायने रखता है.’’

इमोशनल होकर की थी किडनी बेचने की बात: रवि दीक्षित

रविवार को सोशल मीडिया पर अपनी किडनी की नीलामी करने की घोषणा करने वाले स्कवॉश खिलाड़ी रवि ने अब साफ किया कि ये टिप्पणी उन्होंने इमोशनल होकर की थी. उन्होंने बताया कि अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए उनका इरादा गुर्दा बेचने का नहीं है.

रवि ने कहा कि उन्हें अपने किडनी बेचने वाले बयान पर खेद है. उन्हें विश्वास नहीं हो रहा कि फेसबुक पर की गई उनकी टिप्पणी इतने लोगों का ध्यान आकर्षित कर सकती है. उन्हें टिप्पणी करने से पहले यह भरोसा नहीं था कि लोग उन्हें इतनी गंभीरता से लेंगे.

दीक्षित अगले महीने होने वाले दक्षिण एशियाई खेलों में भारत की टीम से खेलेंगे. उन्होंने भारतीय स्कवॉश संघ के अध्यक्ष को हाथ से चिट्ठी लिखकर कहा है कि वह खेलना जारी रखेंगे. दीक्षित ने कहा कि स्कवॉश उनकी जिंदगी है और वे इसे जारी रखना चाहते हैं. वे आगे भी प्रायोजकों को ढूंढते रहेंगे.

भारत के टॉप स्कवॉश खिलाड़ी सौरव घोषाल ने भी रवि दीक्षित के किडनी बेचने वाले बयान पर हैरानी जताई थी. उन्होंने कहा था कि उन्हें कभी नहीं लगा था कि स्थिति इतनी बिगड़ जाएगी. उन्होंने कहा कि अगर रवि ऐसा सोचते हैं तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है. अपना करियर संवारने के लिए पैसे जुटाने के और भी बेहतर तरीके हैं.

 

अफरीदी की जेब से नहीं निकले पैसे, फैन ने चुकाया बिल

पाकिस्तान टी-20 क्रिकेट टीम के कप्तान शाहिद अफरीदी न्यूजीलैंड के हवाई अड्डे पर भारी परेशानी में पड़ गए, परन्तु क्रिकेट के एक प्रशंसक ने उन्हें इससे उबार लिया. दरअसल अफरीदी ने ऑकलैंड के एक रेस्टोरेंट में भर पेट खाना खाया और जब पैसा चुकाने गए तो पता लगा कि उनके पास लोकल करंसी में पैसे नहीं है. ऐसे में एक खेल प्रेमी ने खाने का पैसा चुकाकर उनकी सहायता की है.

अफरीदी और अहमद शहजाद ऑकलैंड हवाई अड्डे पर मैकडोनाल्ड रेस्टोरेंट पर खाना खाने के लिए गए हुए थे, खिलाड़ियों के पास अमेरिकी डॉलर थे, जबकि रेस्टोरेंट को स्थानीय मुद्रा की जरूरत थी, इसलिए खाने का पैसा एक क्रिकेट प्रेमी वकास नवीद ने चुकाया जो पहले से उनको जानता भी नहीं था.

अफरीदी ने पाकिस्तानी मीडिया को स्पष्ट किया कि उनके पास अमेरिकी डॉलर थे लेकिन उनको वे हवाई जहाज से उतरने के बाद स्थानीय मुद्रा में बदलवाना भूल गए थे. अफरीदी ने कहा कि वह इस बात से निराश हैं कि इस पूरी घटना को किसी ने रिकॉर्ड कर लिया और उसको मीडिया में लगातार दिखाया जा रहा है.

गौरतलब है कि न्यूजीलैंड के लिए रवाना होने से पूर्व भी अफरीदी की मीडिया से पंगा हो गया था. पाकिस्तान की क्रिकेट टीम न्यूजीलैंड के दौरे पर गई है जो 15 जनवरी से शुरू होने जा रहा है.

अफसरशाही, राजनेता और जनता

सत्ता में आने के बाद आमतौर पर हर कोई अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए जनता को पहुंचाए फायदों को गिनाना शुरू कर देता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार भ्रष्टाचार मुक्त भारत का नारा दे कर जीती पर डेढ़ साल में उस ने एक भी ऐसा कदम उठाया हो जिस से जनता के अधिकार बढ़े हों, शासकों के कम हुए हों, ऐसा लगता नहीं है. उलटे डिजिटलाइजेशन के नाम पर मात्र साधारण लोगों को ऐसे लोगों के सामने अपना रहस्य खोलना पड़ रहा है जो कंप्यूटर चलाना जानते हैं. इस सरकार ने धड़ाधड़ औनलाइन फाइलिंग शुरू की है और सरल के बजाय स्थूल पर विश्वास किया है.

ऐसे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दावा कि वे तो आईएएस के खिलाफ हैं, सुखद है. भारतीय प्रशासनिक सेवा अपने को देश का स्टीलफ्रेम कहती है, उसे यह विश्वास है कि उसी की विशेषता के कारण देश आज एक है और नेताओं को तानाशाही करने का मौका नहीं मिल रहा.

असल में देश को कोई गरीब और गुलाम बनाए रख रहा है तो वह नेतागीरी नहीं, अफसरगीरी है जो हर कोने पर जहरीले सांप की तरह कुंडली मारे बैठी है. नेताओं ने तो कब की हार मान ली कि वे उस का कुछ बिगाड़ नहीं सकते और उन के हित में है कि वे उस के साथ काम करें, उस के खिलाफ नहीं.

हर नेता के घर के आगे सुबह से जो भीड़ लगती है उस में से 90 प्रतिशत लोग नेता से पैसा, नौकरी या सुविधा मांगने नहीं आते. वे नेताओं से अफसरों को सिर्फ यह कहलवाना चाहते हैं कि उन का कानूनी काम कर दिया जाए. नौकरशाही गैरकानूनी तो छोडि़ए, कानूनी काम भी तब तक नहीं करती जब तक उस की कीमत न मिल जाए, और यह कानून किस चिडि़या का नाम है. देश में बने कानूनों में से 90 प्रतिशत बेकार के हैं. वे सिर्फ सरकार का हक बढ़ाते हैं. मैगी इस का एक उदाहरण है, 2-3 अफसरों ने कैसे करोड़ों रुपयों का धंधा बंद करवा दिया जबकि यह मामला ग्राहक और उत्पादक के बीच का था.

अरविंद केजरीवाल ने यह कहते हुए साहस दिखाया है कि पैदा होने (यानी वयस्क होने) से ले कर मरने तक सत्ता में रहने वाले अफसर मनमानी करते हैं. वे निडर होते हैं क्योंकि जानते हैं वे सब मिल कर पुणे के ब्राह्मणों की तरह हैं जो साहूजी महाराज और पेशवा तक को सबक सिखा सकते हैं. उस की सोच के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल जैसे कई आए और चले गए. असल में स्टीलफ्रेम इतना विस्तृत है कि वह अपनी रक्षा आसानी से कर सकता है. उसे देश की जनता, विकास, न्याय, सामाजिक सुधारों आदि की चिंता तो करनी नहीं है. उसे अपनी कुरसी, अपने अधिकारों की फिक्र है और इस के लिए उस की नजर में अरविंद केजरीवाल महज एक नौटंकीबाज हैं.

 

फतेहपुर सीकरी: अकबर ने देखा था जिसका सपना

आगरा से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण फतेहपुर सीकरी का निर्माण मुगल बादशाह अकबर ने करवाया था. अकबर का यह वह सपना है जिसे उस ने अपने शासन के चरम काल में देखा था. दरअसल, अकबर ने सीकरी को अपनी राजधानी बनाने का निश्चय किया और इसी उद्देश्य से यहां उस ने भव्य किले का निर्माण भी कराया और 1573 में यहीं से उस ने गुजरात को फतह करने के लिए कूच किया था. गुजरात पर विजय पा कर लौटते समय उस ने सीकरी का नाम ‘फतहपुर’ (विजय नगरी) रख दिया. तब से यह स्थान फतेहपुर सीकरी कहलाता है.

दर्शनीय स्थल

बुलंद दरवाजा : बादशाह अकबर के शासन की बुलंदियों का प्रतीक यह दरवाजा एक दर्शनीय स्थल है, जिस का निर्माण बादशाह ने गुजरात विजय के उपलक्ष में करवाया था. यह 176 फुट ऊंचा दरवाजा एशिया का सब से ऊंचा दरवाजा है.

दीवान-ए-खास : यहां पर मुगल सम्राट अकबर अकसर अपने नवरत्नों से मंत्रणा किया करता था. यह इमारत बाहर से देखने में एक- मंजिला प्रतीत होती है मगर अंदर से दोमंजिला है. इस महल के बीचोंबीच एक नक्काशीदार खंभा है जिसे देख कर सैलानी अचंभित रह जाते हैं पर इस का राज उन्हें तब पता चलता है जब वे ऊपर की मंजिल पर जाते हैं.

दीवान-ए-आम : यह लाल पत्थर से बना एक विशाल अहाता है जहां बैठ कर अकबर जनता की परेशानियां, शिकायतें और झगड़े सुन कर उन की फरियाद पर न्याय करता था.

ख्वाब महल : यह कभी सम्राट अकबर का शयनागार था. इस महल में शाम को नृत्य व संगीत की महफिलें लगती थीं. महल में एक खूबसूरत मंच भी है. कहा जाता है कि इसी मंच पर ‘तानसेन’ और ‘बैजू बावरा’ के बीच संगीत कार्यक्रम का जोरदार मुकाबला हुआ करता था.

पंचमहल : यह पांचमंजिली भव्य इमारत है. इस महल का प्रयोग बादशाह द्वारा शाम को हवाखोरी करने एवं चांदनी रात का लुत्फ उठाने में होता था. इस महल की खूबी यह है कि इस में कुल 176 खंभे हैं जिन के सहारे यह इमारत खड़ी है. प्रत्येक खंभे पर अलगअलग कलाकृति को दर्शाती पच्चीकारी देखने को मिलती है.

हिरन मीनार इमारत : इस इमारत पर एक अलग प्रकार की कलाकृति देखने को मिलती है. यहां हिरन के सींगों की भांति उभरे हुए पत्थर देखने में बहुत ही रोमांचकारी लगते हैं.

शेख सलीम चिश्ती की दरगाह : बुलंद दरवाजे से प्रवेश करने पर सामने ही सम्राट अकबर के गुरु शेख सलीम चिश्ती की दरगाह है. सफेद पत्थरों से निर्मित दरगाह पर आज भी सभी धर्मों के लोग दूरदूर से आते हैं और यहां की खूबसूरत जालियों को निहारते हैं.

जोधाबाई का महल : इस महल में अकबर की हिंदू रानियों का निवास था. इस में हिंदुओं के स्तंभकार और मुसलिमों के गुंबजाकार शिल्पकला का सुंदर संयोजन देखते ही बनता है. यह महल अंदर से दोमंजिला है. चूंकि आगरा और फतेहपुर के मध्य अधिक दूरी नहीं है, अत: आगरा पर्यटन के दौरान फतेहपुर सीकरी का भी एकदिवसीय कार्यक्रम बनाया जा सकता है.

महिलाएं इस तरह से करें अपनी सुरक्षा

आजकल समाचारपत्र और पत्रिकाएं महिलाओं के साथ बलात्कार, हत्या, छेड़खानी, यौन उत्पीड़न आदि घटनाओं की खबरों से भरी रहती हैं. विशेषरूप से नवयुवतियों, किशोरियों के लिए राह चलना मुश्किल हो गया है. कानून की पहुंच हर जगह सुलभ नहीं हो पाती और न ही उस की मदद समय से मिल पाती है. फिर ऐसी घटनाएं सामने होते हुए भी लोग तमाशबीन बने रहते हैं. ऐसे में युवतियों को अपनी सुरक्षा व संकट की स्थिति से निबटने के लिए खुद को तैयार रखना बहुत जरूरी हो गया है.

यहां कुछ ऐसी सावधानियों और सुरक्षा के उपायों के बारे में बताया जा रहा है, जिन के उपयोग से महिलाएं, युवतियां ऐसी अप्रिय स्थितियों का शिकार होने से बच सकती हैं:

लड़के व लड़कियों में मित्रता

शिक्षा के अवसर बढ़ने तथा सामाजिक परिवर्तनों के कारण आजकल युवकयुवतियों में मित्रता आम बात हो गई है. आजकल आधुनिक परिवार इस दोस्ती को बुरा भी नहीं मानते. पर ध्यान रखें कि जहां लड़कियों में मित्रता का भाव एक साथी, मददगार और निस्स्वार्थ दोस्त पाने का होता है, वहीं औसतन लड़कों का भाव सैक्स से प्रभावित होता है. ऐसी स्थिति में युवतियों के लिए युवकों से दोस्ती करने के दौरान निम्न बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है:

– शुरू में ही बहुत अधिक खुल जाना या अपने परिवार के बारे में सारी जानकारी देना उचित नहीं है. धीरेधीरे व सोचसमझ कर, परख कर आगे बढ़ना चाहिए.

– शुरू में ही अपनी दोस्ती की सीमा साफ कर देनी चाहिए.

– बहुत अच्छा होगा यदि अपने दोस्त को अपने पेरैंट्स से एक बार मिलवा दें.

– अपने मित्र के साथ कभी एकांत जगह पर जाने का जोखिम न लें. और यदि जाना ही पड़े तो अपने मोबाइल से पेरैंट्स को सूचना अवश्य दे दें कि आप अमुक स्थान पर जा रही हैं और इतना समय लगेगा. फोन बौयफ्रैंड के सामने करें ताकि वह भी सुन सके. यदि आप के फोन के बाद वह गंतव्य स्थान बदलता है, तो आप को सावधान हो जाना चाहिए. कोई बहाना कर बदले स्थान पर जाना टाल दें.

– अपने मोबाइल व पेरैंट्स के मोबाइल पर जीपीएस सिस्टम व रिकौर्डिंग सिस्टम अवश्य डाउनलोड करवा लें. बहुत से मोबाइलों में यह सुविधा पहले से उपलब्ध होती है.

डेटिंग पर जाते समय सावधानियां

– शुरू में ही साफ कर दें कि किस स्तर तक आप सहज महसूस करेंगी.

– ड्रिंक्स न लें. इस से आप की स्वयं की सुरक्षा की क्षमता पर फर्क पड़ता है. आप की सोचनेपरखने की क्षमता प्रभावित होती है.

– ब्लाइंड डेट न लें तो अच्छा है. यदि लेना ही है तो अपनी फ्रैंड्स से लड़के के बारे में पूछ लें. ब्लाइंड डेट पर पब्लिक प्लेस पर ही जाएं. अनजान, सुनसान जगह व लड़के के कथित दोस्त के घर न जाएं.

ड्रिंक्स लेने के बारे में सावधानियां

– पार्टी अथवा डेटिंग में कभी भी ऐसा ड्रिंक न लें जिसे कोई अनजान व्यक्ति दे या जो अलग से आप को दिया जाए. आजकल इस तरह की घटनाएं बहुत हो रही हैं, जिन में ड्रिंक्स में कोई नशीला पदार्थ मिला दिया जाता है. उस के नशे का लाभ उठा कर लोग मनमानी कर जाते हैं. ड्रिंक या तो वेटर की ट्रे से या फिर जहां सम्मिलित रखा हो वहां से लें.

– अपने ड्रिंक को अकेला न रखें. यदि थोड़ी देर के लिए कहीं रखना ही पड़े तो ऐसी जगह रखें कि आप की निगाह में रहे अथवा किसी मित्र अथवा परिचति व्यक्ति को दे कर जाएं.

वैसे ड्रिंक में ड्रग्स का स्वाद पहचाना नहीं जा सकता. पर इन के लक्षणों को जरूर जाना जा सकता है. मसलन:

– एक प्रकार के ड्रग के सामान्य लक्षण मांसपेशियों में कमजोरी, आवाज का लड़खड़ाना, हाथपांवों की गतिविधियों से नियंत्रण हटना यानी हाथ कहां जा रहा है, पैर किधर पड़ रहा है, इस पर से नियंत्रण खोना और सोचने की क्षमता का प्रभावित होना आदि होते हैं.

– दूसरे प्रकार के ड्रग से उनींदापन, सिर भारी होना, मितली सी आना, चक्कर आना, तेजी से नींद आने लगना आदि लक्षण प्रकट होते हैं.

– कभीकभी लोग कोल्डड्रिंक में ऐस्प्रिन या नींद लाने वाली गोलियां भी पीस कर मिला देते हैं. यह ड्रिंक बेहोशी की ओर ले जाता है.

ये लक्षण इसलिए बताए जा रहे हैं ताकि आप को जो ड्रिंक दिया जाए आप उस के हलके और थोड़ाथोड़ा रुक कर सिप लें. यदि आप को स्वाद में जरा सा भी चेंज महसूस हो या ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण महसूस करें तो तुरंत ड्रिंक छोड़ दें और किसी सुरक्षित स्थान जहां ज्यादा लोग हों जाएं. किसी शुभचिंतक को बता दें ताकि जरूरत होने पर वह आप को डाक्टर के पास ले जा सके. इस बीच आप पानी अधिक पिएं. यदि उलटियां आती हैं तो किसी के साथ बाथरूम जा कर करें. तालू में उंगली से मालिश करें.

सड़क पर चलते समय सावधानियां

– सदैव ऐसा रास्ता चुनें जिस पर हर समय लोगों की आवाजाही रहती हो, भले ही यह रास्ता थोड़ा लंबा क्यों न हो. शौर्टकट के चक्कर में सुनसान रास्ता न चुनें.

– नाइट पार्टी में ज्यादा देर तक न रुकें.

– यदि हो सके तो किसी रिश्तेदार, साथी, महिला को ले लें.

– यदि आप को कभी ऐसा लगे कि एकाएक आप के आसपास लोगों का घेरा तंग हो रहा है या कुछ लोग अनापेक्षित रूप से पास आते जा रहे हैं, तो आप का उस जगह से हटना उचित रहेगा.

रात्रि में वाहन का चुनाव

– प्राइवेट बस या जिस वाहन में बहुत कम यात्री बैठे हों उस में यात्रा न करें.

– बस ज्यादातर बसस्टैंड से ही पकड़ें. रास्ते में कोई वाहन वाला आप को बैठने के लिए रास्ते में कहे तो भूल कर भी न बैठें.

– यदि किसी टैक्सी या औटो में रात में बैठ रही हैं और अकेली हैं तो अपने मोबाइल से घर में फोन करें व वाहन का नंबर अवश्य बता दें और फोन पर जोरजोर से बोलें ताकि वाहन चालक भी सुन ले.

– बसअड्डा में प्रीपेड वाहन मिलते हैं. इन्हें लेते समय रिकौर्ड में यात्री का नामपता, मोबाइल नंबर व वाहन नंबर दर्ज कर लिया जाता है.

– इस के अतिरिक्त कैब सर्विस भी होती है, जो किलोमीटर के हिसाब से चार्ज करती हैं. कंपनी आप का नाम पता, फोन नंबर आदि सब नोट कर के आप को गाड़ी भेजती है और आप को गाड़ी का नंबर, ड्राइवर का नाम, मोबाइल नंबर आदि भी बताती है.

– नाइट पार्टी में जाने के लिए बेहतर तो यह होगा यदि आप का अपना वाहन हो.

चलती गाड़ी में खींचने की कोशिश

– ऐसा कुछ होने पर सब से पहले तो आप को यह ध्यान रखना है कि आप को अपना होशोहवास नहीं खोना है. आमतौर पर ऐसे लोग इसलिए कामयाब हो जाते हैं क्योंकि लड़कियां बहुत घबरा जाती हैं, अपना होशोहवास खो देती हैं. तब उन के हाथपांव काम नहीं करते. ऐसी स्थिति आने पर आप को 3 चीजें साथसाथ करनी चाहिए. पहली, मदद के लिए जितनी जोर से चिल्ला सकें चिल्लाएं, दूसरी, जितना प्रतिरोध हाथपांव, नाखूनों से कर सकें करें और तीसरी, अपने पैर को गाड़ी की बौडी से ऐसे अड़ा दें कि उन्हें आप को खींचने में कठिनाई हो.

– सब से जरूरी यह है कि आप को जो भी 2-3 लोग खींच रहे हों उन में सब से निकट वाले को आप घायल कर दें. पैर से उस के अंग पर प्रहार करें, नाखूनों से उस के चेहरे विशेषकर आंखों पर आक्रमण करें, सैंडल की हील को पैर पर मारें.

– आजकल युवतियों की सुरक्षा के लिए कई उपकरण भी उपलब्ध हैं, जिन से आप विकट स्थिति उत्पन्न होने पर अपने को सुरक्षित रख सकती हैं. इन में कुछ प्रमुख हैं:

डिस्टैंस अलार्म: आप के ऊपर खतरा आने पर अलार्म बहुत तेज आवाज में बजने लगता है. 100-200 गज के दायरे में इस की आवाज गूंजती है. इस से अपराधी दहशत में आ कर वहां से भागने की कोशिश करेगा क्योंकि अलार्म से बहुत लोगों को ध्यान आप की ओर आकर्षित होगा. लोग आप की सुरक्षा के लिए आप की ओर दौड़ना शुरू कर सकते हैं.

स्टेनगन: यह छोटी गन (पिस्टल टाइप) है, जिस से सामने वाला बिजली का तेज करंट खाता है तथा वह कुछ देर (15 मिनट से ले कर आधे घंटे के लिए) तक निष्क्रिय हो जाता है. इस से आप को उस जगह से सुरक्षित हट जाने का अवसर मिलता है.

स्प्रे: ये कई प्रकार के होते हैं. बटन दबाने पर निकलने वाला स्प्रे बदमाशी करने वाले को थोड़ी देर के लिए निष्क्रिय कर देता है. उस के हाथपांव सुन्न हो जाते हैं. दूसरे प्रकार का स्प्रे जिस पर डाला जाए उसे थोड़ी देर के लिए अंधा कर देता है. इस में कैमिकल स्प्रे भी है और पिपर (कालीमिर्च) जैसी स्प्रे भी.

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