वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की गिरती कीमतें और रुपये-डॉलर विनिमय दर में ठहराव - इन दोनों का भारत पर इस तरह असर पड़ा है कि अब देश में तेल की कीमत एक मिनरल वॉटर की बोतल से भी कम हो गई है. हालांकि पेट्रोल और डीज़ल की घरेलू कीमतों में गिरावट वैश्विक दरों के साथ कदम नहीं मिला पा रही है, क्योंकि सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए लगातार पेट्रोल और डीज़ल पर उत्पाद शुल्क में इज़ाफा कर रही है. मौजूदा वित्त वर्ष में तीसरी बार इस महीने की शुरुआत में एक बार फिर उत्पाद शुल्क को बढ़ाया गया.

वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमत गिरने से भारतीय ग्राहकों को कुछ खास फायदा नहीं पहुंचा है, क्योंकि वैश्विक कीमतों में जहां 70 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई है, वहीं भारत में पेट्रोल कीमतों में सिर्फ 20 प्रतिशत ही कमी लाई गई है. वित्त वर्ष 2015-16 में पेट्रोल पर बेसिक उत्पाद शुल्क 7.72 रुपये प्रति लीटर तक पहुंचा है, वहीं डीज़ल में यह 7.83 रुपये प्रति लीटर है. सरकार ने नवंबर, 2014 से जनवरी, 2015 के बीच पेट्रोल और डीज़ल पर उत्पाद शुल्क को चार कड़ियों में बढ़ाया है.

अगर सरकार इस शुल्क को नहीं बढ़ाती तो पेट्रोल में 10.02 रुपये प्रति लीटर और डीज़ल में 9.97 रुपये प्रति लीटर तक की गिरावट हो सकती थी. फिलहाल दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 59.35 रुपये प्रति लीटर है, वहीं डीजल 45 रुपये प्रति लीटर बेचा जा रहा है.

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