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स्मार्ट सेल्सगर्ल बनने के ये हैं कुछ आसान टिप्स

फैशन और ग्लैमर से जुड़े क्षेत्र ऐसे हैं जहां लड़की का रूप व आकर्षण उस की शैक्षणिक योग्यता से अधिक माने रखता है. किंतु सांवले या गोरे रंग के आधार पर वहां किसी लड़की के सौंदर्य को नहीं आंका जाता.

व्यापारिक प्रतिष्ठानों की कामयाबी का पूरा दारोमदार उन के सेल्स पर्सन्स पर ही निर्भर करता है. ये सेल्सपर्सन्स या कहें कि सेल्सगर्ल्स उपभोक्ताओं के समक्ष अपनी कंपनी का प्रतिनिधित्व करती हैं. अत: स्पष्ट है कि एक बेहतरीन सेल्सगर्ल न केवल अपनी कंपनी की छवि को बना सकती है, बल्कि बिगाड़ भी सकती है.

यह सही है कि हर व्यक्ति अच्छा सेल्सपर्सन नहीं बन सकता. इस क्षेत्र के एक गुट का मानना है कि कुछ व्यक्तियों में बेचने की कला जन्मजात होती है, जबकि दूसरे गुट का मानना है कि कुछ विशेष प्रबंधन के नियमों व सिद्धांतों को सीख कर कोई भी व्यक्ति इस कला में माहिर हो सकता है.

एक अच्छी सेल्सगर्ल बनने के गुण जन्मजात नहीं अपितु बाजारवाद के कुछ मूलभूत नियमों जैसेकि अपने किए गए वादों पर खरा उतरने की कला और बेचने की कला में पूर्ण व्यावसायिकता के सिद्धांतों के पालन पर निर्धारित होते हैं.

‘सेल्स ऐंड डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमैंट’ नामक पुस्तक में लेखक तपन पांडा तथा सुनील सहदेव बताते हैं कि एक अच्छे सेल्सपर्सन में अपनी बात दूसरों तक पहुंचाने की कला, दूसरे की बात को ध्यानपूर्वक सुनने की कला, वादविवाद को हल करने की प्रतिभा, समस्याओं का हल ढूंढ़ने की कला, कंपनी के लिए अधिक से अधिक बिजनैस लाने की कला और ग्राहकों के साथ तोलमोल की कला आदि गुण होने चाहिए.

आप चाहे गोरी हों या सांवली आप का व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली होना चाहिए कि वह ग्राहक पर सकारात्मक प्रभाव डाले. आप के एक भी शब्द बोले बिना ही वह आप का कायल हो जाए. यही कारण है कि किसी भी सेल्सगर्ल को ग्राहक से मिलते समय पहनावे आदि का खास ध्यान रखना चाहिए. कोई भी ग्राहक पहली ही नजर में आप के कपड़ों, बाल बनाने के ढंग, आप के आचारव्यवहार से आप की योग्यता और व्यावसायिकता के विषय में एक राय बना लेता है.

यही वह मुख्य घटक है, जो किसी सेल्सगर्ल के रंगरूप व सौंदर्य को ले कर सारी धारणाओं का जन्मदाता बनता है. यहीं से सारी गलतफहमियों की शुरुआत होती है. ध्यान रहे, कोई भी कंपनी अयोग्य और अनुभवहीन गोरी और स्मार्ट लड़कियों को मात्र इसलिए नौकरी नहीं दे देती कि वे पहली ही नजर में ग्राहक को लुभा कर कंपनी के लिए अधिक मुनाफा कमाने वाली साबित होंगी, क्योंकि काठ की हांड़ी बारबार नहीं चढ़ती है. दीर्घकालीन व्यापारिक संबंधों के लिए कोई भी ग्राहक किसी सेल्सगर्ल में कुछ खास गुणों को परखता है और वे हैं अनुभव और ज्ञान.

उदाहरण के तौर पर यदि आप एक डायरी बेच रही हैं, तो जानें कि ग्राहक के लिए डायरी क्या महत्त्व रखती है. उसे किस प्रकार की डायरी की जरूरत है, बजट क्या है और वह साल भर में कितनी डायरियां खरीदता है. पहले से ही एकत्र कर ली गई इस प्रकार की जानकारी ग्राहक पर बहुत अच्छा प्रभाव डालती है.

डिलिवरी के बाद माल खराब निकलने या कमज्यादा होने अथवा कोई और समस्या होने पर उसे सुलझाने में सेल्सगर्ल समर्थ है या नहीं, यह भी ग्राहक देखता है. अत: किसी भी सेल्सगर्ल का आत्मविश्वास व योग्यता ही उस समय काम आती है न कि उस का रंगरूप.

एक सफल सेल्सगर्ल को अपने प्रैजेंटेशन की पूरी तैयारी पहले से ही कर लेनी चाहिए. ‘हाई ट्रस्ट सैलिंग’ नामक पुस्तक में लेखक टाड डंकन कहते हैं कि ग्राहक के सम्मुख सेल्सगर्ल की परफौर्मैंस स्टेज पर किए जाने वाले नाटक जैसी होती है. उस में फिल्मों की तरह रीटेक का समय नहीं होता. सेल्स एक लाइव परफौर्मैंस है. अत: आप की छोटी सी गलती भी पकड़ में आ जाती है. एक गलत कदम सारी मेहनत पर पानी फेर सकता है, इसलिए अपने उत्पाद से जुड़ी हर बात का विस्तृत ब्योरा सेल्सगर्ल के पास होना जरूरी है.

एक अच्छी व सफल सेल्सगर्ल बनने के लिए निम्न बातों पर ध्यान दें:

– क्या आप को ग्राहक से बातचीत करने में कठिनाई होती है?

– क्या आप ग्राहक की जिज्ञासा तथा सवालों के जवाब देने के लिए हमेशा मानसिक तौर पर तैयार रहती हैं तथा पूछी या मांगी गई कोई भी जानकारी देने के लिए सदा तैयार रहती हैं?

– फोन पर सुचारु एवं प्रभावशाली ढंग से मीटिंग का समय निर्धारित करने में क्या आप को कठिनाई होती है?

– क्या आप को निर्धारित की गई मीटिंगों को समय से निबटाने में कठिनाई होती है?

– जब आप किसी ग्राहक से व्यापारिक समझौता कर रही होती हैं, तो आप के दिमाग में क्या चलता है- उस सौदे से मिलने वाले कमीशन या ग्राहक के साथ अच्छे व दीर्घकालीन संबंध?

– क्या आप को पता रहता है कि प्रैजेंटेशन देते समय आप को कितना व क्या बोलना है?

– जब आप को कोई नकारात्मक टिप्पणी सुनने को मिलती है, तो आप की प्रतिक्रिया क्या और कैसी होगी?

– क्या आप को ग्राहक की न को हां में बदलने की कला आती है?

–  क्या आप के भीतर पर्याप्त आत्मविश्वास है कि आप एक अच्छी सेल्सगर्ल बन सकती हैं?

अपने भीतर इन प्रश्नों को टटोलें, कमियों को दूर करें तथा खूबियों को निखारें.

यह कोई मुश्किल काम नहीं है.

कोई भी बिजनैस गुरु या मार्केटिंग ऐक्सपर्ट एक अच्छी सेल्सगर्ल के गुणों को परिभाषित करते समय त्वचा के रंग की बात कदापि नहीं करता. इतना ही नहीं, समाज में त्वचा के रंग को ले कर भ्रांतियां फैलाने के विरुद्ध हाल ही में ऐडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड कौंसिल औफ इंडिया ने भी एक दिशानिर्देश जारी किया है.

भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने भी उस दिशानिर्देश को मान्यता देते हुए साफ आदेश जारी किया है कि सांवले रंग को अनाकर्षक, पराजय, दुख, निराशा आदि का कारण नहीं माना जा सकता. साथ ही यह भी कहा गया है कि टीवी पर प्रसारित होने वाले किसी भी विज्ञापन में शिक्षा, विवाह अथवा रोजगार के लिए गोरे रंग को उच्च व सांवले रंग को निम्न स्तरीय नहीं दिखाया जा सकता.

आकर्षक व्यक्तित्व पाने के लिए चेहरे पर झलकता आत्मविश्वास ही सब से बड़ा मेकओवर है. उस के बाद आप का ढंग से तैयार होना, व्यवस्थित ढंग से बाल बनाना, व्यावसायिक ड्रैस कोड का महत्त्व समझना, चेहरे के हावभाव, मुसकराहट, बोलचाल, उठनेबैठने का ढंग इत्यादि बातों पर ध्यान देना अतिआवश्यक है.

स्वस्थ त्वचा है खूबसूरती का राज

अगर आप की त्वचा कांतिहीन है, तो आप के नैननक्श व रंगरूप चाहे जैसा भी हो आप हरगिज खूबसूरत नहीं कहला सकतीं. साफ, स्वस्थ दमकती त्वचा चेहरे की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है. इस के लिए खूब पानी पीएं, ताजे फलों और सब्जियों का नियमित सेवन करें. त्वचा के प्रकार के हिसाब से मेकअप करें. आईब्रोज को उचित आकार दें. हाथों व पैरों की त्वचा को भी नजरअंदाज न करें. नाखून लंबे हों या छोटे, सदा साफ व हलके रंग से पेंट किए हों. सनस्क्रीन क्रीम तथा रात को सोते समय नाइट क्रीम का प्रयोग करें.

बाल बनाना भी एक कला है: बालों का स्वस्थ व चमकदार होना भी सौंदर्य के लिए उतना ही आवश्यक है जितना कि त्वचा का स्वस्थ होना. अपने बालों की समुचित देखभाल करें. चेहरे के हिसाब से बालों को टौप नौट, फ्रैंचरोल, पोनीटेल या सादे जूड़े में बांधें. कटे तथा छोटे बालों को पिनअप करें तथा सुंदर हेयरस्टाइल बनाएं.

मेकअप है मेकओवर की जान

मेकअप का प्रयोग बेहद सावधानी से करें. आप को मीटिंग में जाना है शादी या पार्टी में नहीं. अत: मेकअप के लिए हलके रंगों का प्रयोग करें. कंसीलर युक्त फाउंडेशन का सीमित प्रयोग करें. लिपस्टिक त्वचा से मेल खाती हो, भड़काऊ नहीं. आईलाइनर या काजल का सलीके से किया गया प्रयोग आंखों के सौंदर्य को उभारेगा.

ड्रैस कोड

ऐसे कपड़े पहनें जो आप के प्रोफैशनल लुक को उभारें. तीखे रंगों व तड़कभड़क वाले कपड़े न पहनें. कपड़े मौसम और आप की कदकाठी के हिसाब से हों. वे फैशनेबल नहीं ट्रैंडी हों. उन का कट शालीन व उचित नाप का हो. बहुत अधिक डीप नैक या बैकलैस ड्रैस हरगिज न पहनें.

बौडी लैंग्वेज

आप की बौडी लैंग्वेज बिना बोले ही दूसरों पर आप के व्यक्तित्व के आधे से ज्यादा राज खोल देती है. आप के चलनेफिरने का ढंग आप का आत्मविश्वास दिखाता है. आप कमरे में कैसे प्रवेश करती हैं, कैसे हाथ मिलाती हैं, यह सब आप के भीतर का डर दिखा जाता है. आंखों व चेहरे की भंगिमाएं बहुत कुछ कह जाती हैं. अत: इन सब बातों का ज्ञान एक सफल सेल्सगर्ल के लिए जरूरी है.

मुसकान व दांत

एक सौम्य मुसकराता चेहरा सभी को आकर्षक लगता है. मधुर मुसकान पाने के लिए शीशे के सामने खड़ी हो कर अभ्यास करें. दांत भले मोतियों जैसे सुंदर न हों पर पीले कदापि न हों. चमकदार दांत मुसकान को और आकर्षक बना देते हैं. मुंह से आती दुर्गंध पर विशेष ध्यान दें.

इन सब बातों पर अमल करने पर आप को एक स्मार्ट, अपटूडेट, इंटैलिजैंट, प्रोफैशनल सेल्ससगर्ल बनने से कोई नहीं रोक सकता. 

यूपी चुनाव से पहले संगठन सुधारने में जुटी भाजपा

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अभी समय है. विधानसभा के चुनाव 2017 में होने वाले है. भाजपा के लिये यह चुनाव जियो और मरो वाले होगे. उत्तर प्रदेश के विधनसभा चुनाव ही 2019 के लोकसभा चुनावों का भविष्य तय करेगे. 2014 के लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश से भाजपा गठबंधन को 73 सांसद मिले थे. इस प्रदर्शन की उम्मीद 2019 में नहीं की जा रही है.

भाजपा चाहती है कि अगर 2017 के विधानसभा में उत्तर प्रदेश की सत्ता उसके हाथ आ जाये तो 2019 में केन्द्र सरकार बनाने का रास्ता सरल हो जायेगा. भाजपा ने इसके लिये जाति और धर्म दोनो का सहारा लेने की योजना बनाई है.

2016 में भाजपा राम मंदिर के एजेंडें पर आगे बढेगी. जातीय संतुलन में भाजपा पिछडे वर्ग को आगे लानाचाहती है.भाजपा नेता और राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के जन्मदिन पर उमडी भीड को देखकर यह लगता था कि कल्याण सिंह को उत्तर प्रदेश में बडी जिम्मेदारी मिल सकती है.अयोध्या मसले से जुडी उनकी पहचान और जाति से पिछडा होने का पफैक्टर काम दे सकता है.

जातीय संतुलन साधने के लिये भाजपा ने संगठन में पिछडों को आगे करने का काम शुरू किया है. भाजपा ने शुरूआत में 51 जिलों में जिलाअध्यक्ष के नामों की घोषणा की तो उसमें 22 अध्यक्ष पिछडी जाति के रखे. इनमें केवल यादव और कुर्मी ही नहीं है, बल्कि लोहार, कुशवाहा, मौर्या, कहार और नाई जाति के लोगों को भी मौका दिया जा रहा है. राजधनी लखनउ में भाजपा ने मुकेश वर्मा को अपना जिला अध्यक्ष बनाया है. मुकेश वर्मा पार्टी के लोगों के लिये पूरी तरह से नया चेहरा है. बिहार में हार के बाद भाजपा अपने जातीय समीकरण को खूब मजबूत करना चाह रही है.

पिछडों को पार्टी से जोडने की एक प्रमुख वजह यह भी है कि यह लोग तेजी के साथ पैसे वाले हुये है. यह धर्म और पूजापाठ के नाम पर ज्यादा ही कर्मकांड करने लगे हैं. अगडी जातियों से मुकाबला करने के लिये पिछडे अब बिना कुछ सोंचे समझे भाजपा और पूजापाठ को अपनाने लगे है. भाजपाइसे अपने पक्ष में देखकर पिछडो को अपने जनाधर से जोडने में लग गई है.भाजपा को लगता है कि दलितों के जोडने में कठिनाई है ऐसे में पिछडो को जोडना सरल है. उत्तर प्रदेश में अभी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद पर ब्राहमण जाति के डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपेई हैं.

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी इस बात के संकेत दे चुके है कि पार्टी पिछडे नेताओं आगे बढाने का काम करेगी. उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हो चुका है. नये सिरे से चुनाव होने है. प्रदेश अध्यक्ष पद के लिये पिछडे वर्ग के नेताओं का नाम ज्यादा चल रहा है. भाजपा इस सोंच में है कि प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद पर क्या जातीय समीकरण बनाया जाये. प्रदेश अध्यक्ष के लिये जो नाम दौड में सबसे आगे हैं उनमें केन्द्रीय मंत्री रामशंकर कठेरिया, स्वतंत्रा देव सिंह, डाक्टर दिनेश शर्मा, धर्मपालसिंह और मनोज सिन्हा का नाम सबसे आगे है.

भाजपा बारबार इस बात को भी जताने की कोशिश कर रही है कि उसने ही पहली बार नरेन्द्र मोदी के रूप में पिछडी जाति का प्रधनमंत्री दिया. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव भाजपा के लिये बहुत खास है. ऐसे में वह कोई भी कोरकसर छोडने वालीनहीं है. 2016 का साल इस लिहाज से बहुत अहम होने वाला है.

तेलंगाना में सरकारी यज्ञ

तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने गारंटी दी है कि तेलंगाना अब फलेगा फूलेगा. अब वहां सोने की वर्षा होगी. सूखा, बाढ़, भूख, किसानों की आत्महत्याएं सब खत्म हो जाएंगी. स्वयं इंद्र, विष्णु, शिव, राम, कृष्ण राजपाट चलाएंगे और रामराज्य नहीं, स्वर्ग ही उतर आएगा. उन्होंने यह भी बता दिया है कि राज्य के हर घर में चमक के लिए काम करने की जरूरत नहीं है. किसान खेतों में न जाएं, मजदूर फावड़ा न उठाएं, कारीगर फैक्टरियों में न जाएं, औरतें रसोइयों में न जाएं. बस, यज्ञहवन कराएं.

उन्होंने चंडी देवी को खुश करने के लिए 22 दिसंबर को हैदराबाद में 1500 श्रेष्ठ पुजारियों को बुला कर महान यज्ञ कराया. के चंद्रशेखर राव ने भगवा कपड़े पहने, अपनी पत्नी शोभा को भी भगवा साड़ी पहनवाई, राज्य के राज्यपाल भी भगवा कपड़ों में आए, तेलंगाना राज्य समिति पार्टी पूरे सबल सहित भगवाई या पीले कपड़ों में मौजूद थी. वीआईपीयों को खास जगह दी गई. बाकी लोग बस या कार पार्क करने के बाद मील 2 मील पैदल नंगे पांव चल कर यज्ञपंडाल तक पहुंचे.

जो सही जगह पहुंचीं उन भक्तिनों को कुमकुम की डब्बी, साड़ी, लड्डू मिले. जो पैसे चढ़ाए उस से प्रसादम की गिनती करना तो महापाप होगा. भक्तों और भक्तिनों ने खूब दिल खोल कर तेलंगाना की प्रगति के लिए दान दिया.

आंध्र प्रदेश सूखे से पीडि़त है पर यह पक्का है कि इस यज्ञ के बाद जम कर बारिश होगी. चंडी देवी इंद्र से कहेंगी कि चंद्रशेखर राव पर प्रसन्न हों और उन्हें लंबी चीफमिनिस्ट्री दें, साथ ही राज्य की जनता का घर भर दें.

जो लाखों लोग वहां आए वे ही प्रसन्न नहीं हुए, सभी ऋषिमुनि, पंडे, पुजारी, स्वामी प्रसन्न थे. सब के लिए बढि़या व्यवस्था थी. आखिर वे तेलंगाना के लिए अपने भगवान की अर्चना कर धनधान्य की वर्षा कराने वाले थे. मुख्यमंत्री ने साफ संदेश दिया कि राज्य के हर घर को इस तरह के यज्ञ कराने चाहिए और नौकरी, मजदूरी, किसानी छोड़ देनी चाहिए. अगर चंडी देवी खुश तो सबकुछ बिना करेकराए मिल जाएगा. आखिर इन्हीं यज्ञों के कारण तो आंध्र प्रदेश का विभाजन हो सका और तेलंगाना राज्य बना जिस के चंद्रशेखर राव मुख्यमंत्री बने थे.

यह वही हैदराबाद है जिसे साइबराबाद कहा जा रहा था. पर बजाय कंप्यूटरों, विज्ञान, तकनीक के, यहां के मुख्यमंत्री तो मूर्खमंत्र पढ़वा रहे हैं जिस का उद्देश्य सदियों पुरानी पोंगापंथी को फिर से 21वीं सदी में थोपना है. सरकार की मशीनरी को इस प्रकार के नाटकों में लगाना गलत ही नहीं, अपराध है. जनता को यह संदेश देना कि प्रगति मेहनत और प्रतिभा से नहीं, मंत्र पढ़वाने और अधपढ़े रट्टूपीर पंडों के अनसुने से श्लोकों के माइकों पर चीखने से आती है, जनता के प्रति अपराध है.

आंध्र प्रदेश वह राज्य है जो हैदराबाद की कंप्यूटर सिटी के लिए जितना जाना जाता है उतना ही किसानों की आत्महत्याओं के लिए भी. यही वह राज्य है जहां माओवादी पनपते हैं, जिन्होंने आंध्र प्रदेश से ले कर असम तक पैर फैला रखे हैं. यह वही राज्य है जहां 1947 तक मुसलमानों का राज चला जबकि बहुमत हमेशा हिंदुओं का रहा और ऊंची जातियों के विशाल मंदिर चारों ओर बिखरे हैं. इस राज्य का मुखिया यह गलत संदेश दे कि आज भी शासन विधानसभा से नहीं, यज्ञसभा से होगा, देश के संविधान की आत्मा से खिलवाड़ है.

शायद स्वयं चंडी देवी भी प्रसन्न नहीं हुईं क्योंकि उक्त यज्ञशाला में आग लग गई. पंडाल का बड़ा हिस्सा जल कर नष्ट हो गया. वाह, इसे कहते हैं तुरंत डिलीवरी, पिज्जा हट के गरमागरम पिज्जा की तरह. स्वयं अग्निदेवता पधार कर यज्ञपंडाल को अपने साथ ले गए. क्या संदेश दिया इस सब ने आम गृहिणी को?

 

रिहायशी इलाकों में तेजी से पांव फैलाते चकलाघर

8 जनवरी को पटना के फ्रेजर रोड, रूपसपुर, बोरिंग रोड, मंदिरी आदि कई रिहायशी इलाकों में ताबड़तोड़ छापा मारा गया और एक लड़की समेत 2 दलालों को दबोच लिया. डाक बंगला चैराहे के आरपी टावर के तीसरे माले पर बने गेस्ट हाउस में बड़े पैमाने पर शराब की बोतलें, सेक्स ताकत को बढ़ाने वाली दवाएं, कंडोम आदि बरामद किए गए.

पटना के एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि गिरफ्तार किए गए लोग इंटरनेशनल लेवल पर सेक्स का धंधा चला रहे हैं और इसके मुख्य सरगना की तलाश की जा रही है. होटलों, रेस्ट हाउस, मसाज पार्लर में जब पुलिस ने सेक्स के धंधे को बंद करवाया, तो अब रिहायशी इलाकों में यह धंधा फलने-फूलने लगा है. रिहायशी इलाकों के लोगों को किसी घर में लड़कियों और मर्दो की आवाजाही बढ़ती दिखाई दे, तो तुरंत पुलिस को खबर करनी चाहिए.

पिछले साल ही पटना के कंकड़बाग मुहल्ले के इंदिरा नगर इलाके में एक किराए के मकान में जिस्म का धंधा चलाए जाने का खुलासा हुआ. उस मकान में आने-जाने वाले लोगों को तांता देख आस-पास के लोगों को शक हुआ और पुलिस को खबर किया गया. जब पुलिस ने छापा मारा तो वह 15 से 17 साल की लड़कियों के साथ कई मर्दो को पकड़ा गया.पुलिस को देखते ही लड़किया रोने लगी और बताया कि उनसे जर्बदस्ती गंदा काम कराया जा रहा है.

मकान की किरायदार महिला ने उन्हें नौकरी देने के लिए घर पर बुलाया था. वे लोग जब घर पर पहुंची तो कुछ लोगों नेउनके साथ गंदी हरकतें शुरू कर दी, जब हल्ला मचाने लगी तो महिला ने कहा कि उनकी फोटो खींच ली गई है. हल्ला मचाओगी तो सभी के मां-बाप को फोटो भेज दिया जाएगा. उस दिन से सभी को कैदी बनाकर घर में रखा गया है और रोज नए-नए लोग आकर उनकी इज्जत से खेलते हैं.

पिछले कुछ महीनों के दौरान शहर के कई रिहायशी इलाको में कई जिस्मों के धंधे का भंडाफोड़ हुआ है. राजा-बाजार के चैरसियालौज में 3 लड़कियां और 3 मर्द गिरफ्तार किए गए. प्रफेजर रोड के रेस्टोरेंट में 4 युवती एवं 12 युवक दबोचे गए. एसके पुरी कौलनी के मौंटेसरी लेन के एक मकान में 3 लड़कियां और 3 युवक को पुलिस ने रंगे हाथों पकड़ा. पश्चिमी बोरिंग कैनाल रोड में एक औरत और 3 लड़के धरे गए. पटेल नगर मुहल्ले के एक मकान से 2 युवतियां और 2 मर्द पुलिस के हत्थे चढ़े. इन सभी पर मासूम लड़कियों को जबरन जिस्म के धंधे में धकेलने का आरोप लगाया था. पत्रकार नगर, आशियाना नगर, रूपसपुर आदि रिहायशी इलाकों के प्राइवेट मकानों में भी सेक्स रेकैट का भंडाफोड़ हो चुका है.

पुलिस अफसर मानते हैं कि पुलिस की आंखों में धूल झोंकने के लिए जिस्म के धंधेबाजों ने रिहायशी इलाकों को अपना सेफ जोन बना लिया है और बेरोक-टोक देह का धंधा चला रहे हैं. पिछले साल 12 जून को एसके पुरी कौलनी के फ्रेंडस अपार्टमेंट में छापा मार कर 3 लड़कियोंऔर 3 युवकों को गिरफ्तार किया तो अपार्टमेंट में रहने वाले बाकी लोग भी हक्के-बक्के रह गए. उन लोगों को इसकी भनक तक नहीं लगी कि उनके अपार्टमेंट में ही पिछले एक साल से चकलाघर चल रहा है. अपार्टमेंट में रहने वाले एक सरकारी अफसर बताते हैं कि धंधेबाज इतनी चालाकी और सफाई से धंधा चला रहे थे कि किसी को शक तक नहींहो पाया.

अशोक कुमार झा और उसकी बीबी प्रभा झा अपार्टमेंट में किराए पर फ्लैट लेकर देह का धंधा चला रहे थे. दोनों 3 लड़कियों को जबरन फ्लैट में रख कर उनसे जिस्म बेचने का कारोबार चला रहे थे. प्रभा झा तो पुलिस के हत्थे चढ़ गई पर अशोक अब भी रफरार है. इसी तरह पश्चिमी बोरिंग कैनाल रोड के माध्व विहार अपार्टमेंट से भी एक औरत और 3 लड़कों को दबोचा पर सरगना प्रशांत भारती भागने में कामयाब हो गया. भाड़े पर घर लेकर भारती पिछले 2 महीने से सेक्स का धंधा चला रहा था और आसपास के फ्लैटों को पता नहीं चल सका. पुलिस ने गुप्त सूचना के आधर पर छापा मार कर सेक्स रैकेट का भंडापफोड़ किया.

शहर के रिहायशी और पौश इलाकों में तेजी से फैलते देह के धंधे के बारे में समाज विज्ञानी हेमंत राव कहते हैं कि तरक्की और लोगों की माली हालत में सुधर होने के साथ चारित्रिक गिरावट का नतीजा है देह का बाजार. जब लोगों की माली हालत ठीक होने लगती है तो पहले वह खुद और परिवार के लेबल को दुरूस्त करता है. उसके बाद बचे रूपयों को वह ऐश-मौज में खर्च करने लगता है. कोई लड़की या औरत अपनी मर्जी से अपना देह बेचती है तो उसमें कुछ भी गलत नहीं है. जबरन धंधा करवाना या फिर उससे आसपास के लोगों को परेशानी होना गलत है. पहले घने बाजारों में देह व्यापार का काम चलाया जाता था और उसके लिए हर महीने पुलिस को ‘नजराना’ था. अब पुलिस की घौंस से बचने के लिए बड़ी ही सफाई और खामोशी से रिहायशी इलाकों में जिस्मों का धंधा चलाया जाने लगा है.

हैरानी की बात ही है कि रिहायशी इलाकों में जिस्मफरोशी का धंधा चलता रहा और जिस्मों की गरमाहट, फुसफुसाहट, सरगोशियां, सिसकारियों से आसपास के लोग अनजान रहे. बड़े-बड़े एलसीडी स्क्रीन पर चल रहे पोर्न फिल्मों के एक-एक सीन को सामने हकीकत में बदला जाता. रोज नए नए चेहरे आते-जाते रहते पर अपार्टमेंट में रहनेवालों को कुछ गलत होने का शुबहा तक नहीं हुआ. इसकी मुख्य वजह अपार्टमेंट संस्कृति ही है, जिसमें लोग आमने-सामने के फ्लैट में रहने वालों को भी एक दूसरे की खबर नहीं होती है. कोई मतलबनहीं होता है.

क्या कहता है प्रिवेंशन ऑफ इममारल ट्रैफिक एक्ट?

संगठित जिस्म कारोबार या वेश्यावृति पर काबू पाने के लिए 1950 में अमेरिका में यह कानून वजूद में लाया गया था. भारत में प्रिवेंशन ऑफ इममारल ट्रैफिक एक्ट साल 1956 में वजूद में आया. इस कानून का मकसद जिस्मों के कारोबार पर अंकुश लगाना है. इस कानून के तहत जबरन जिस्म का धंधा कराने वाले गिरोहों से औरतों या लड़कियों को आजाद कराने का पावर प्रशासन और पुलिस को दिया गया है. इस कानून का ध्येय यही है कि जिस्म के धंधा करने और कराने वाले संगठित गिरोहों पर अंकुशा लगाना है जो औरतों को ‘माल’ के रूप में इस्तेमाल करते हैं याने खरीदने और बेचने का काम करते हैं. इस एक्ट का मकसद यौन आचरणों की पहरेदारी करना या पुलिसिंग नहीं है.

क्या आप कम खर्च में चाहते हैं ज्यादा मोबाइल डेटा

अगर आपके फ़ोन पर अनलिमिटेड मोबाइल डेटा प्लान नहीं है या आप वाई-फाई नेटवर्क से जुड़े हुए नहीं हैं तो आप डेटा को जरा ध्यान से इस्तेमाल कीजिए. डेटा प्लान के बाहर अगर अधिक डेटा ख़र्च हो तो यह आपको काफ़ी महंगा पड़ सकता है.

एंड्रॉयड पर आप मोबाइल डेटा के लिए सीमा तय कर सकते हैं कि कौन-सा ऐप महीने में कितना डेटा इस्तेमाल कर सकता है. सिर्फ वीडियो देखने या फेसबुक पर समय बिताने से डेटा का इस्तेमाल बढ़ता नहीं है. ऐसे कई प्रोग्राम हैं जो डेटा सर्विस ऑन रहने की वजह से बैकग्राउंड में चलते रहते हैं, जैसे जीपीएस या ईमेल. ऐप अपडेट करने के लिए भी बहुत डेटा इस्तेमाल होता है. आप चाहें तो सेटिंग्स में बदलाव कर सकते हैं ताकि सिर्फ़ वाई-फ़ाई से कनेक्टेड होने पर ही ऐप अपडेट होगा, मोबाइल डेटा पर नहीं.

गूगल प्ले में जाकर जो ऊपर में बाईं तरफ तीन लाइन का आइकॉन है उस पर टैप करें और उसके बाद सेटिंग्स पर क्लिक करें. उसके बाद 'ऑटो अपडेट ऑफ़ ऐप ऑन वाई-फ़ाई ओनली' को चुन लीजिए.

महीने भर के लिए कितना डेटा का इस्तेमाल करना है यह आप तय कर सकते हैं, इसके लिए अपने बिलिंग साइकिल का ध्यान रखें ताकि पूरे महीने में अगला बिल आने तक आप इस्तेमाल की सीमा के भीतर ही रहें. अगर आप ऐप्स में जाकर बैकग्राउंड डेटा विकल्प को बंद कर देंगे तो आपके डेटा का इस्तेमाल घट जाएगा.

अपने स्क्रीन को नीचे की तरफ स्वाइप कीजिये, उसके बाद सेटिंग्स और फिर डेटा पर क्लिक कीजिए. उसके बाद आपको वो ऐप दिखाई देंगे जो आपके बैकग्राउंड डेटा का इस्तेमाल कर रहे हैं. 'डिज़ेबल बैकग्राउंड डेटा ऑन मोबाइल नेटवर्क' के विकल्प को चुन लीजिए.

एक मिनट में कपड़े सुखाएगी मशीन, लैपटॉप से हल्की

आप भी कहीं घूमने जाते हैं तो गंदे बदबूदार कपड़ों से परेशान हो जाते हैं न! अब हर जगह तो आपको न वॉशिंग मशीन मिलने वाली है न इतनी सुविधा कि कपड़े धुल कर सूखा सकें. लेकिन ये नई मशीन बिना आपका बोझा बढ़ाए ऐसा कर सकती है.

सिडनी के रहने वाले एक छात्र माथ्यू कॉरी ने ड्राई-गो नाम की 400 ग्राम की एक मशीन बनाई है जो सिर्फ एक मिनट में कपड़े सुखा देगी. इस मशीन में बने छेद गीले कपड़ों से पानी सोक कर उसे भाप में बदल देते हैं. इसके लिए कपड़ों को इस मशीन में लगी दो प्लेटों के बीच रखना होता है, बंद करना होता है और एक मिनट में सारे कपड़े सूख जाते हैं.

कॉरी को ये आईडिया अपनी एशिया की यात्रा के दौरान आया जहां उन्होंने लोगों को बसों की खिड़कियों पर अपने गीले मोजे, रुमाल सुखाते देखा. तभी उन्होंने तय किया कि ऐसी मशीन बनाई जाए जिसे आसानी से साथ भी ले जा पाएं और काम भी हो जाए.

कॉरी ने पिछले 10 महीनों में डिजाइनरों, इंजीनियरों के साथ मिल कर इसे तैयार किया है. इसे आगे बढ़ाने के लिए वे पैसे जुटा रहे हैं.

‘घायल वंस अगेन’ से पुराने अवतार में लौटेंगे सनी देओल

हिन्दी फिल्म अभिनेता सनी देओल का कहना है कि उन्होंने ‘घायल वंस अगेन' इसलिए बनायी क्योंकि वह उस तरह की फिल्मों से दर्शकों का मनोरंजन करना चाहते थे जैसी फिल्मों में वह पूर्व में काम कर चुके हैं. उनका कहना है कि वे पुरानी विधा को दोबारा वापस लाना चाहते हैं.

58 साल के अभिनेता ने माना कि उन्होंने ‘घायल वंस अगेन' इसलिए लिखी क्योंकि वह उन फिल्मों की विधा को दोबारा लाना चाहते थे जिनमें वे पूर्व में काम कर चुके हैं. उन्होंने कहा, ‘जब मैंने काम करना शुरु किया, ‘बेताब' (रोमांटिक) और ‘अर्जुन' (एक्शन ड्रामा) आयीं और वे अपने साथ बॉलीवुड में एक नई फिल्म विधा लेकर आयीं और मैं इस तरह की फिल्मों में विश्वास करता हू.'

सनी ने कहा, ‘‘पिछले कुछ सालों में मैं खुद को दिशाहीन महसूस करने लगा और फिर मैंने सोचा कि मुझे अपनी फिल्में की उसी विधा में वापसी करनी चाहिए जिसमें मुझे विश्वास है. इसलिए मैंने ‘घायल वन्स अगेन' लिखीं ताकि अपनी जडों की तरफ लौटूं.'

‘घायल वन्स अगेन' 1990 में आयी सनी और मीनाक्षी शेषाद्रि अभिनीत सुपरहिट फिल्म ‘घायल' का सीक्वल है. सनी फिल्म में काम करने के अलावा उसके लेखक और निर्देशक भी हैं.

‘वजीर’ की सफलता पर अमिताभ ने दर्शकों से कहा शुक्रिया

बिजय नांबियार के निर्देशन में निर्मित फिल्म 'वजीर' में व्हीलचेयर पर बैठे शतरंज ग्रैंडमास्टर के किरदार में दर्शकों की वाहवाही लूट रहे महानायक अमिताभ बच्चन ने अपने प्रशंसकों को प्यार और सराहना के लिए धन्यवाद दिया है.

फिल्म 'वजीर' ने अपने प्रथम सप्ताहांत में 21.01 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार किया. इसमें फरहान अख्तर, नील नितिन मुकेश, अदिति राव हैदरी और जॉन अब्राहम जैसे कलाकार हैं. अमिताभ ने ट्विटर पर लिखा, "फिल्म 'वजीर' की सफलता के लिए आपके प्यार, सराहना और संरक्षण के लिए धन्यवाद."

उन्होंने लिखा, "यह मुस्कान उपलब्धि है कि 'वजीर' बहुत खास है. दर्शकों का धन्यवाद." फिल्म 'पीकू' के अभिनेता ने कहा कि 'वजीर' की चाल सोमवार की तुलना में पहले दिन से अधिक है. फिल्म 'वजीर' की कहानी दो असामान्य मित्रों की कहानी पर आधारित है.

RBI को बताइये कर्ज देने के कुछ अनोखे तरीके

कुटीर, लघु और मध्यम उद्यमों को कर्ज देने के अनोखे तरीके तलाशने के लिए रिजर्व बैंक का पुणे स्थित कृषि बैंकिंग महाविद्यालय, बैंकों के लिए एक प्रतियोगिता आयोजित करेगा. इस प्रतियोगिता का विषय है- केस स्टडी: एक एमएसएमई को नए ढंग से कर्ज आबंटन.

आरबीआई ने एक सर्कुलर जारी कर कहा, प्रतियोगिता आयोजित करने का उद्देश्य बैंकों को ऐसे मामलों का अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित करना है जहां कुटीर, लघु और मझोले उद्यमों को अनोखे तरीके से कर्ज दिया गया हो और ऐसे मामलों को लेकर दूसरे बैंकों को भी संवेदनशील बनाया जा सके.

केन्द्रीय बैंक ने कहा कि बैंकों के कर्मचारी सदस्य जिसमें बैंकों के प्रशिक्षण प्रतिष्ठानों के फैकल्टी सदस्य, सिडबी, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, राज्य सहकारी बैंकों और शहरी सहकारी बैंकों के सदस्य शामिल हैं, इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकते हैं.

इनके अलावा, इन बैंकों के प्रशिक्षण प्रतिष्ठानों से फैकल्टी सदस्य और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के कर्मचारी सदस्य भी इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकते हैं. आरबीआई ने यह केस स्टडी अंग्रेजी या हिंदी भाषा में 31 जनवरी तक मांगे हैं.

औद्योगिक उत्पादन में गिरावट, खान-पान महंगा

नवंबर माह में देश के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में 3.2% की गिरावट आई है. यह इस क्षेत्र का चार साल का निम्नतम प्रदर्शन है और इससे गतिविधियों में सुधार की उम्मीद टूटी है.

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) के आंकड़ों के अनुसार विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन तथा पूंजीगत सामान के उत्पादन में भारी गिरावट से औद्योगिक उत्पादन घटा है. नवंबर, 2014 में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 5.2% रही थी. यह अक्टूबर, 2011 के बाद आईआईपी का सबसे खराब प्रदर्शन है. उस समय औद्योगिक उत्पादन 4.7% घटा था.

अक्तूबर माह के औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर के आंकड़े को संशोधित कर 9.9% किया गया है जबकि प्रारंभ में इसे 9.8% बताया गया था. आईआईपी में 75% का भारांश रखने वाले विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन नवंबर में 4.4% घट गया. एक साल पहले समान महीने में विनिर्माण क्षेत्र में 4.7% वृद्धि हुई थी. नवंबर, 2015 के दौरान विनिर्माण क्षेत्र के 22 उद्योग समूहों में से 17 में पिछले साल के समान महीने की तुलना में गिरावट दर्ज की गई.

निवेश का संकेतक देने वाले पूंजीगत सामान खंड का उत्पादन नवंबर में 24.4% घट गया. पिछले साल समान महीने में इस क्षेत्र का उत्पादन 7 प्रतिशत बढ़ा था. औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में 10% का हिस्सा रखने वाले बिजली क्षेत्र का प्रदर्शन भी समीक्षाधीन महीने में काफी खराब रहा. नवंबर, 2015 में इस क्षेत्र की वृद्धि दर 0.7% रही. इससे पिछले साल समान महीने में बिजली उत्पादन 10% बढ़ा था. नवंबर में खनन क्षेत्र का उत्पादन 2.3% बढ़ा.

नवंबर, 2014 में यह 4% बढ़ा था. इसी तरह उपभोक्ता सामान क्षेत्र के उत्पादन में 1.3% की बढ़ोतरी दर्ज हुई जबकि एक साल पहले समान महीने में इस क्षेत्र का उत्पादन 1.6% घटा था. समीक्षाधीन महीने में टिकाउ उपभोक्ता सामान क्षेत्र का उत्पादन 12.5% बढ़ा. वहीं नवंबर, 2014 में इस क्षेत्र का उत्पादन 14.5% घटा था. उपभोक्ता गैर टिकाउ सामान क्षेत्र के उत्पादन में नवंबर, 2015 में 4.7% की गिरावट दर्ज की गई, जबकि एक साल पहले समान अवधि में यह 7% बढ़ा था.

उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा, औद्योगिक उत्पादन की नकारात्मक वृद्धि से देश में मांग-आपूर्ति के मौजूदा असंतुलन की स्थिति और चिंताजनक हो गई है. पूंजीगत सामान तथा उपभोक्ता गैर टिकाउ सामान क्षेत्र के उत्पादन में गिरावट से पता चलता है कि उद्योग क्षेत्र की स्थिति में सुधार आने वाले दिनों की प्रमुख चुनौती होगी. इस कारण खाने-पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. दाम बढ़ने से दिसंबर माह की खुदरा महंगाई दर बढ़ोतरी के साथ 5.61 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई. नवंबर महीने में यह दर 5.41 फीसदी थी.

साल 2014 के दिसंबर महीने में खुदरा महंगाई दर 4.28 फीसदी थी. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर माह में खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर 6.40 फीसदी रही, जबकि पिछले साल नवंबर में यह दर 6.07 फीसदी थी. आंकड़ों के मुताबिक गत दिसंबर माह में दाल व दाल उत्पाद की कीमतों में 45.92 फीसदी की बढ़ोतरी रही. पीएचडी चैंबर्स आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष महेश गुप्ता ने कहा, आगे चलकर परिवारों की खर्च योग्य आय बढ़ाने के प्रयास होने चाहिए. इसके लिए कराधान प्रणाली को सरल करने और लोगों को कर प्रोत्साहन बढ़ाने की जरूरत है.

चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से नवंबर की अवधि में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 3.9% रही है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 2.5% रही थी. इस अवधि में खनन क्षेत्र का उत्पादन 2.1% बढ़ा, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 2.5% बढ़ा था. इसी तरह कुल उपभोक्ता सामान उत्पादन 4.1% बढ़ा, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की अप्रैल-नवंबर की अवधि में 5.7% बढ़ा था. अप्रैल-नवंबर के दौरान टिकाउ उपभोक्ता सामान क्षेत्र का उत्पादन 11.9% बढ़ा, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 15.9% घटा था.

 

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