आगरा से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण फतेहपुर सीकरी का निर्माण मुगल बादशाह अकबर ने करवाया था. अकबर का यह वह सपना है जिसे उस ने अपने शासन के चरम काल में देखा था. दरअसल, अकबर ने सीकरी को अपनी राजधानी बनाने का निश्चय किया और इसी उद्देश्य से यहां उस ने भव्य किले का निर्माण भी कराया और 1573 में यहीं से उस ने गुजरात को फतह करने के लिए कूच किया था. गुजरात पर विजय पा कर लौटते समय उस ने सीकरी का नाम ‘फतहपुर’ (विजय नगरी) रख दिया. तब से यह स्थान फतेहपुर सीकरी कहलाता है.

दर्शनीय स्थल

बुलंद दरवाजा : बादशाह अकबर के शासन की बुलंदियों का प्रतीक यह दरवाजा एक दर्शनीय स्थल है, जिस का निर्माण बादशाह ने गुजरात विजय के उपलक्ष में करवाया था. यह 176 फुट ऊंचा दरवाजा एशिया का सब से ऊंचा दरवाजा है.

दीवान-ए-खास : यहां पर मुगल सम्राट अकबर अकसर अपने नवरत्नों से मंत्रणा किया करता था. यह इमारत बाहर से देखने में एक- मंजिला प्रतीत होती है मगर अंदर से दोमंजिला है. इस महल के बीचोंबीच एक नक्काशीदार खंभा है जिसे देख कर सैलानी अचंभित रह जाते हैं पर इस का राज उन्हें तब पता चलता है जब वे ऊपर की मंजिल पर जाते हैं.

दीवान-ए-आम : यह लाल पत्थर से बना एक विशाल अहाता है जहां बैठ कर अकबर जनता की परेशानियां, शिकायतें और झगड़े सुन कर उन की फरियाद पर न्याय करता था.

ख्वाब महल : यह कभी सम्राट अकबर का शयनागार था. इस महल में शाम को नृत्य व संगीत की महफिलें लगती थीं. महल में एक खूबसूरत मंच भी है. कहा जाता है कि इसी मंच पर ‘तानसेन’ और ‘बैजू बावरा’ के बीच संगीत कार्यक्रम का जोरदार मुकाबला हुआ करता था.

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