कुछ दिन पहले सोनम कपूर ने रंगभेद का आरोप लगाया था. अब मशहूर अंतरराष्ट्रीय हेअर स्टाइलिस्ट व समाजसेवी सपना भवनानी ने फिल्म ‘‘फितूर’’ की मुख्य अदाकारा कटरीना कैफ और निर्देशक अभिषेक कपूर पर रंगभेदी/नस्लभेदी होने का आरोप लगाया है.

वास्तव में बौलीवुड में यह चर्चा काफी गर्म है कि फिल्म ‘‘फितूर’’ के किरदार को निभाने के लिए कटरीना कैफ ने अपने बालों को लाल रंग में रंगने के लिए पचपन लाख रूपए खर्च किए. सूत्रों के अनुसार फिल्म ‘‘फितूर’’ की कहानी कश्मीर पर आधारित है. कश्मीर में चिनार के पेड़ काफी होते हैं और चिनार के पत्ते लाल रंग के होते हैं. लाल रंग ही प्यार व पैशन का प्रतीक है. इसी के चलते फिल्म ‘‘फितूर’’ के निर्देशक अभिषेक कपूर ने कटरीना कैफ के बालों को लाल रंग में रंगने की सलाह दी. पर उनके विजन के अनुसार बालों को रंगत देने के लिए कटरीना कैफ को लंदन जाकर वहां की हेअर स्टाइलिस्ट से अपने बाल लाल रंग के कराने पड़े. इसके लिए कटरीना कैफ लगातार कई माह तक लंदन जाती रही. सूत्र बताते हैं कि निर्माता ने कटरीना के बालों को लाल रंगत देने के लिए 55 लाख रूपए खर्च किए.

कटरीना के लंदन जाकर बालों को लाल रंग देने की खबर फैलने के बाद कटरीना कैफ और फिल्म के निर्माता तथा निर्देशक पर सफेद चमड़ी का गुलाम होने तथा रंगभेदी/नस्लभेदी रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए मशहूर अंतरराष्ट्रीय स्तर की भारतीय हेअर स्टाइलिस्ट सपना भवनानी ने फेशबुक पर लिखकर हंगामा मचा दिया है. सपना भवनानी ने फेसबुक पर कटरीना कैफ को संबोधित करते हुए लिखा है-‘‘सफेद चमड़ी (ब्रिटिश) के लोग चले गए, पर हम अभी भी उनके द्वारा पिटना चाहते हैं. कोई भी भारतीय हेअर स्टाइलिश इससे बेहतर ढंग से काम कर सकता था, (शायद इससे अच्छा कर देता या ऐसा न करने की सलाह देता, क्योंकि वह बताता कि आपके उपर ठीक नहीं लगेगा.) लेकिन मुद्दा यह नही है. मुद्दा यह है कि कौन सा निर्माता यही काम करने के लिए एक भारतीय हेअर स्टाइलिश को 55 लाख रूपए देता? मुझे नहीं लगता कि मुझे इस सवाल के जवाब की जरुरत है...मुझे भारतीय हेअर उद्योग से प्यार है. मैं सभी भारतीय हेअर स्टाइलिश को उनके बेहतरीन काम के लिए सलाम करती हूं. और मैं इन सभी से कहना चाहती हूं कि हम भारतीय बहुत बेहतरीन हैं. इस तरह का रंगभेद/नस्लभेद हर क्षेत्र में है, चाहे वह माडलिंग हो, फोटोग्राफी हो या निर्देशन हो या वार्डरोब का मसला हो या हेअर/मेकअप आर्टिस्ट का मसला हो. पहले एक औरत,फिर एक भारतीय होने के नाते इसे बदला जाना चाहिए. समान वेतन को लेकर दोहरा मापदंड हास्यास्पद है.’’

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