Download App

पहलवान योगेश्वर दत्त को मिला रियो ओलंपिक का टिकट

पहलवान योगेश्वर दत्त को रियो ओलिंपिक का टिकट मिल गया है. योगेश्वर ने कजाकिस्तान के अस्ताना में चल रहे एशियाई-ओलिंपिक क्वालिफाइंग टूर्नामेंट में जीत हासिल कर रियो ओलिंपिक में जगह बना ली है. योगेश्वर ने फ्री-स्टाइल के 65 किलोग्राम वर्ग के फाइनल में पहुंचकर रियो के लिए क्लालिफाई किया. यहां गोल्ड मेडल के लिए उनकी टक्कर चीन के कताई यिरानबिएक के साथ होगी.

2012 लंदन ओलिंपिक में कांस्य पदक विजेता योगेश्वर ने क्वालिफाइंग राउंड में जू सोंग किम को 8-1 से हराया और फिर क्वार्टर-फाइनल में युआन दिंह को 12-2 से हराया. वहीं सेमीफाइनल में योगेश्वर ने कोरियाई पहलवान सियुंगचुल ली को 7-2 से हराकर फाइनल में पहुंचे और रियो का टिकट भी हासिल कर लिया. योगेश्वर से पहले भारत के नरसिंह यादव 74 किलोग्राम वर्ग के लिए रियो ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कर चुके हैं. भारत से 2012 लंदन ओलिंपिक के लिए 4 पुरुष और 1 महिला पहलवानों ने क्वालिफाई किया था.

एक दिन विराट तोड़ेगा क्रिकेट का हर बड़ा रिकॉर्ड: इमरान

पाकिस्तान के खिलाफ शनिवार को कोलकाता में खेले गए हाई वोल्टेज मुकाबले में नाबाद 55 रन की पारी खेल टीम इंडिया को जीत दिलाने वाले विराट कोहली भविष्य में क्रिकेट के हर बड़े रिकॉर्ड को तोड़ सकते हैं. ऐसा कहना है विश्व क्रिकेट के दिग्गज ऑल राउंडर इमरान खान का.

इमरान खान ने ईडन गार्डन्स में टीम इंडिया की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले विराट कोहली की एक बार फिर जमकर तारीफ की. खान ने कहा ''कोहली एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं और विपरीत परिस्थितियों में जिस तरह की बल्लेबाजी कर टीम को जीत दिलाते हैं, उनका यह प्रदर्शन उन्हें विश्व के महान खिलाड़ियों के समकक्ष ला कर खड़ा कर देता है.''

मैच के दौरान स्टेडियम में मौजूद रहे पूर्व पाकिस्तानी कप्तान ने कहा कि विराट की तकनीक बेहतरीन है और उनके पास कई शॉट मौजूद हैं. ऐसे में उन्हें आउट करना किसी भी गेंदबाज के लिए आसान नहीं रहने वाला. उन्होंने कहा कि मैच के दौरान ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान स्टीव वॉ भी स्टेडियम में मौजूद थे और हम दोनों (इमरान और स्टीव) कोहली की गलतियां ढूंढने की कोशिश करते रहे, लेकिन वो बेमिसाल निकले.

महान खिलाड़ी सचिन तेंदलकर से कोहली की तुलना को लेकर तो उन्होंने सीधे तौर पर तो कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन उन्हें भविष्य का सबसे बड़ा सितारा माना. उन्होंने कहा ''सचिन ने विश्व क्रिकेट में लंबा समय बिताया वह (सचिन) विश्व क्रिकेट के महान बल्लेबाज हैं लेकिन कोहली जिस तरह से बल्लेबाजी कर रहे हैं अगर आगे भी करते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब कोहली विश्व क्रिकेट के कई बड़े रिकॉर्ड को तोड़ दें. " 

VIDEO: पाक की हार पर लाइव शो में भड़के शोएब अख्तर

टी-20 विश्‍व कप में शनिवार को पाकिस्‍तान की हार के बाद पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्‍तर एक टीवी शो में अपना आपा खो बैठे. दरअसल, पाकिस्‍तान के पूर्व तेज गेंदबाज अख्‍तर पोस्‍ट मैच शो में एंकर द्वारा उनकी हंसी उड़ाने पर भड़क गए.

पोस्‍ट मैच शो की शुरुआत में एंकर को मुस्‍कुराते हुए देखा गया, जिस पर शोएब ने गुस्‍से से पूछ लिया कि आप हंस क्‍यों रहे हैं? होस्‍ट ने परिस्थिति को संभालने के लिए मौका-मौका विज्ञापन का हवाला दिया, जो उस समय टी-20 विश्‍व कप के आधिकारिक प्रसारणकर्ता दिखा रहे थे.

विज्ञापन में बताया गया कि एक पाकिस्‍तानी प्रशंसक अफरीदी से विश्‍व कप में भारत के खिलाफ कभी न जीतने वाले रिकॉर्ड को तोड़ने की गुजारिश करता है. होस्‍ट को मुस्‍कराता देख शोएब अख्‍तर गुस्‍साए और बोले- मुझे यहां मैच का विश्‍लेषण करने के लिए बुलाया गया है, इसलिए उसी पर बात कीजिए और मजाक नहीं बनाइए.

इस पर स्‍टूडियो में मौजूद महान भारतीय क्रिकेटर कपिल देव ने मामला शांत करने के लिए परिस्थिति संभाली और साथ ही कहा कि इस समय शोएब अख्‍तर बहुत गुस्‍से में है, उसे थोड़ा शांत होने दीजिए.

आपको बता दें कि भारत ने शनिवार को टी-20 विश्‍व कप में सुपर-10 राउंड के ग्रुप-2 में पाकिस्‍तान को 6 विकेट से हराया था. पाकिस्‍तान का भारत के खिलाफ विश्‍व कप में हारने का सिलसिला बरकरार रहा. भारत ने टी-20 विश्‍व कप में पाकिस्‍तान को पांचवी बार हराया. इसके अलावा विश्‍व कप (वन-डे और टी-20 को मिलाकर) में भारत ने 11-0 की बढ़त बना ली है.

कोलकाता के ईडन गार्डंस पर पाकिस्‍तान ने पहले बल्‍लेबाजी करते हुए भारत के सामने 119 रन का लक्ष्‍य रखा था. जवाब में विराट कोहली और युवराज सिंह की शानदार पारियों की बदौलत भारत ने 13 गेंद शेष रहते 6 विकेट से मैच अपने नाम कर लिया.

होम लोन का प्रीपेमेंट पड़ सकता है जेब पर भारी

घर खरीदना जीवन का सबसे बड़ा सौदा होता है. बैंक और फाइनेंशियल इंस्‍टीट्यूशंस के आसान होमलोन ने हमारे इस सपने को संभव तो बना दिया है. लेकिन इस कर्ज को चुकाने में हमारी पूरी जिंदगी निकल जाती है. आम तौर पर हमें 20 से 30 साल के लिए होम लोन मिलता है, यानि कि हम नौकरी की शुरुआत से लेकर रिटायरमेंट या उसके बाद तक भी कर्ज चुकाते हैं.

बैंक का होमलोन चुकाने का एक तरीका प्रीपेमेंट (Prepayment) भी है. लेकिन कई बार यह समझदारी भरा कदम नहीं होता. लेकिन यदि आप अपने होमलोन के प्रीपेमेंट की सही रणनीति बनाते हैं, तो यह आपके लिए कई मायनों में फायदेमंद हो सकता है.

सेविंग खत्‍म कर न करें प्रीपेमेंट

बहुत से लोग होम लोन की ईएमआई के बोझ से बचने के लिए अपनी सेविंग या इमरर्जेंसी फंड बलिदान कर देते हैं. लेकिन ऐसा करना एक खराब स्‍ट्रैटजी मानी जाएगी. बकाया लोन का भुगतान करने के लिए अपने सारे खर्चों को रोककर अपनी पूरी इनकम का उपयोग बहुत ही बुरा विकल्‍प है. आपात स्थिति में जब आपको तुरंत नकदी की आवश्‍यकता होगी, तब आप परेशानी में पड़ सकते हैं. ध्‍यान रखें कि होमलोन सभी प्रकार के कर्ज के मुकाबले सबसे सस्‍ता होता है. यदि आप बचत खत्‍म कर होमलोन प्रीपेमेंट करते हैं और आपात स्थिति में पर्सनल लोन लेते हैं, तो आप ब्‍याज भुगतान के जाल में और बुरी तरह उलझ जाएंगे. ऐसे में जब तक आपका इमर्जेंसी फंड प्रभावित न हो, प्रीपेमेंट के बारे में विचार न करें.

लोन टेकओवर के समय जान लें प्रोसेसिंग फीस

होमलोन के पूर्व-भुगतान की यह एक सामान्‍य रणनीति है. इसके तहत बैंक कई ऑफर देते हैं जैसे वह आपके मौजूदा लोन को कम रेट पर टेकओवर करते हैं, जो कि आपकी ईएमआई या लोन की समयावधि को कम कर सकते हैं. यह एक अच्‍छा विकल्‍प है, जो आपकी बचत पर बिना कोई असर डाले आपको लोन पर देय ब्‍याज की राशि भी कम करने में मदद करता है. हालांकि, यहां समस्‍या प्रोसेसिंग शुल्‍क और अन्‍य फीस (यदि पूर्व-भुगतान पेनाल्‍टी नहीं है) की है, जिसे बैंक रिफाइनेंसिंग के साथ ही साथ होमलोन को बंद करने के लिए वसूलते हैं. कई बार, वन टाइम चार्ज और ब्‍याज दर का अंतर इतना कम होता है कि कम ईएमआई के बावजूद आप ज्‍यादा बचत नहीं कर पाते हैं.

ज्‍यादा ईएमआई चुकाने से भी हो सकता है नुकसान

वेतनभोगी होमलोन उपभोक्‍ता इसे एक आसान विकल्‍प मानते हैं. वेतनभोगी अपने कॅरियर में आगे बढ़ते हैं, जिससे उन्‍हें प्रमोशन मिलता है और वेतन में भी वृद्धि होती है, जिसके परिणामस्‍वरूप उनके पास ज्‍यादा खर्चयोग्‍य रकम होती है. नए कपड़े, वाहन और गैजेट पर फालतू खर्च करने से बेहतर है कि आप अपनी ईएमआई को बढ़ाए और लोन को जल्‍द से जल्‍द चुकता करें. इस मामलें में, जब आप अपने भुगतान की रफ्तार बढ़ाते हैं, तो आगे नया लोन लेने की आपकी क्षमता प्रभावित होगी. सामान्‍य तौर पर बैंक लोन जारी करते वक्‍त आय अनुपात के आधार पर ईएमआई तय करते हैं. ऐसे में जाहिर है कि इस अनुपात सीमा से आप ज्‍यादा ईएमआई का भुगतान करते हैं तो भविष्‍य में आपके लिए नए लोन की सीमा सीमित हो जाएगी.

होम सेवर लोन या स्‍मार्ट लोन

बैंकों ने यह नया ऑफर पेश किया है, जिसमें वह होमलोन एकाउंट से संबंधित एक करेंट एकाउंट भी उपलब्‍ध कराते हैं. उस कुल रकम में से, जिसपर बैंक लोन इंटरेस्‍ट की गणना करते हैं, बकाया लोन को घटाते हैं और शेष राशि को आपके करेंट एकाउंट में रखते हैं, जिससे ईएमआई कम हो जाती है. इससे उपभोक्‍ता इमरजेंसी में इस राशि का उपयोग कर सकता है और कम ईएमआई का लाभ भी उठा सकता है. इससे आप अपने करेंट एकाउंट में जमा राशि पर अपने होम लोन रेट के बराबर ही ब्‍याज भी हासिल कर सकते हैं. लेकिन इसमें एक समस्‍या है, यदि आपके पास एक बेहतर निवेश विकल्‍प है, तो आप अच्‍छा संभावित रिटर्न खो सकते हैं. यदि आप ऐसे अवसर से हाथ धो बैठते हैं, जो आपको कही बेहतर रिटर्न दे सकता था, तो इसकी भरपाई आप समय बीतने के बाद कभी नहीं कर सकते हैं.

इंट्रेस्‍ट पेमेंट से जुड़ी बैंक की शर्तें जान लें

होमलोन ईएमआई के भुगतान अवधि के शुरुआत में ब्‍याज का हिस्‍सा अधिक होता है. यदि आप भुगतान जारी रखते हैं तो ब्‍याज का हिस्‍सा कम होना शुरू हो जाता है, जबकि मूल राशि का हिस्‍सा बढ़ता जाता है. ऐसे में, क्‍या पूर्व-भुगतान का मतलब बनता है. बाद में लोन का पूर्व-भुगतान करने से आप ब्‍याज भुगतान में कोई बचत नहीं कर सकते, बल्कि यह आपको गहरे नकदी संकट में डाल देगा. कुछ बैंक ईएमआई भुगतान के कुछ सालों के बाद पूर्व-भुगतान की अनुमति देते हैं. ऐसे में आप बैंकों से पता करें और उसके अनुसार अपना निर्णय लें.

भारत में ब्रांच खोलना चाहते हैं पाकिस्तान के बैंक

भारत में चार-पांच पाकिस्तानी बैंक अपनी ब्रांच खोलना चाहते हैं और सही वक्त का इंतजार कर रहे हैं. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के डिप्टी गवर्नर सईद अहमद ने कहा, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि दोनों देशों के बीच कारोबार और बैंकिंग के मामले में कोई गतिविधि नहीं हो रही है. मुझे भरोसा है कि माहौल और अनुकूल होने पर दोनों देश के पास इकट्ठा सीखने का मौका होगा. कई बैंक हैं जो भारत में आना चाहते हैं और काम करना चाहते हैं.

फिलहाल ब्रांच खोलने का कोई विकल्प नहीं

यह पूछने पर कि भारत में कितने बैंक परिचालन के लिए आना चाहेंगे, उन्होंने कहा, अनौपचारिक तौर पर हमसे चार-पांच प्रमुख बैंकों ने बात की है, लेकिन ऐसा कोई विकल्प नहीं है इसलिए कोई औपचारिक आवेदन नहीं आया है. अगस्त 2012 में दोनों पक्ष, दोनों देशों के दो बैंकों को पूर्ण बैंकिंग लाइसेंस देने के मुद्दे पर सहमत हुए थे. हालांकि उसके बाद से इस संबंध में कोई गतिविधि नहीं हुई है.

दो बैंक पहले ही कर चुके हैं आवेदन

हाल ही में वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने लोकसभा में कहा था कि भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया है कि पाकिस्तान के सिर्फ दो बैंकों – मुस्लिम कमर्शियल बैंक लिमिटेड और यूनाइटेड बैंक लिमिटेड – ने भारत में बैंकिंग क्षेत्र में उपस्थिति दर्ज कराने के लिए आवेदन किया है. अहमद ने कहा, मुझे भरोसा है कि भारतीय बैंक पाकिस्तान में काम करने के काफी इच्छुक होंगे.

विभाजन से पहले कई भारतीय बैंकों का पाकिस्तान में परिचालन था. पंजाब नेशनल बैंक का स्वतंत्रता से पहले लाहौर में पंजीकृत कार्यालय था. ओरियंटल बैंक आफ कामर्स की स्थापना 1943 में लाहौर में हुई थी. स्टेट बैंक आफ इंडिया और बैंक आफ इंडिया 1965 तक कराची और लाहौर में परिचालन करते थे जबकि दोनों देशों के बीच युद्ध के मद्देनजर इन बैंकों को परिचालन बंद करना पड़ा.

भारी भी पड़ती है बुढ़ापे में रंगीन मिजाजी

60 साल के अमर सिंह की जिंदगी देख कर घर गृहस्थी की गाड़ी ढोते दूसरे लोगों को उस से कोफ्त होती थी. वजह, अमर सिंह अकेला था. उस पर ‘आगे नाथ न पीछे पगहा’ वाली कहावत लागू होती थी. उस के सिर पर कोई जिम्मेदारी नहीं, घर में कोई सवाल जवाब करने वाला नहीं और न ही कोई झंझट.

पेशे से मिस्त्री अमर सिंह निहायत ही मस्तमौला भी था. दिनभर मजदूरी कर के वह 5-6 सौ रुपए कमाता था. उन में से 2 सौ रुपए मुरगेदारू पर खर्च करता था और रात को टैलीविजन देखते देखते बेफिक्री से चादर तान कर सो जाता था.

अब से तकरीबन ढाई साल पहले अमर सिंह की बीवी की मौत हुई थी. तब से वह तनहा रह गया था. उस के 3 औलादें थीं. शादी कर के बेटी अपनी ससुराल में सुकून से रह रही थी, लेकिन एक बेटे ने 3 साल पहले खुदकुशी कर ली थी और दूसरा बेटा लव मैरिज कर के इंदौर जा बसा था, जिसे बाप से कोई खास मतलब नहीं था.

भोपाल के करोंद इलाके के पीपल चौराहा इलाके के मकान नंबर 2 में बीते 8 महीनों से अमर सिंह किराए पर रह रहा था. वजह यह नहीं थी कि उस का अपना कोई मकान नहीं था, बल्कि वह अपना खुद का मकान इसलाम नगर इलाके में बनवा रहा था.

दरअसल, कुछ महीने पहले ही उस ने अपनी जिंदगीभर की कमाई और बचत से शिव नगर इलाके में बनाया अपना मकान साढे़ 12 लाख रुपए में बेचा था और उसी पैसे से अकेले खुद के रहने लायक छोटा मकान बड़े चाव से बनवा रहा था.

मस्ती पर लगा ग्रहण

पीपल चौराहा इलाके के लोगों और अमर सिंह के पड़ोसियों को यह देखने की आदत सी पड़ गई थी कि अनजान औरतें कभी भी अमर सिंह के घर आती जाती रहती थीं. अंदर क्या होता होगा, इस का अंदाजा लगाने के लिए किसी को अपने दिमाग पर ज्यादा जोर नहीं डालना पड़ता था.

चूंकि अमर सिंह किसी से खास वास्ता नहीं रखता था और न ही किसी के लिए परेशानी का सबब बनता था, इसलिए कोई इस बात को उस का निजी मामला मानते हुए एतराज नहीं जताता था.

अमर सिंह का नया मकान तकरीबन तैयार हो गया था और उस ने गृह प्रवेश की तारीख 20 जनवरी तय भी कर ली थी. मकान बनवाई का काम आखिरी दौर में था, इसलिए अमर सिंह ने 3 मजदूर लगा लिए, जिस से कि वक्त पर गृह प्रवेश हो जाए.

ये 3 मजदूर थे विदिशा का रहने वाला जीतू उर्फ भरतलाल अहिरवार और बाकी 2 जवान लड़कियां थीं. इन में से 35 साला मंजू नट उडि़या बस्ती में रहती थी और उस की 25 साला सहेली टीना नट उस की पड़ोसन थी.

जीतू व अमर सिंह की जानपहचान पुरानी थी. जीतू की सिफारिश पर कुछ दिन पहले ही अमर सिंह ने उन दोनों लड़कियों को अपने मकान के काम में लगा लिया था.

जल्द ही मंजू और टीना की जवानी देख रंगीनमिजाज अमर सिंह का दिल डोलने लगा. शौकीन तो वह था ही और किस्मकिस्म की औरतों को भोग चुका था, लिहाजा उसे लगा कि थोड़ी कोशिश की जाए, तो इन में से कोई एक पट ही जाएगी. टीना ने तो घास नहीं डाली, लेकिन मंजू से हंसीमजाक शुरू हो गया.

मिस्त्री होने के चलते अमर सिंह का पाला कई मजदूर औरतों से पड़ा था. वह उन की पैसे की जरूरतों को खूब समझता था. धीरेधीरे उस ने मंजू से नजदीकियां बढ़ाईं और उसे लालच देना शुरू कर दिया.

मंजू ने थोड़ी घास डाली, तो अमर सिंह को लगा कि शिकार जाल में आ फंसा है. लिहाजा देर नहीं करनी चाहिए. मंजू को फंसाने के चक्कर में कुछ दिनों से उस ने किसी कालगर्ल को भी नहीं बुलाया था. इसलिए उस की जिस्मानी भूख और भड़कती जा रही थी.

जल्द ही अमर सिंह ने मंजू से छेड़छाड़ शुरू कर दी, जिस पर मंजू ने एतराज तो जताया, पर वह इतना सख्त नहीं था कि अमर सिंह उसे उस की न समझ लेता.

वैसे, अमर सिंह को यह नहीं मालूम था कि शादीशुदा मंजू जीतू की माशूका थी. जब मंजू ने अमर सिंह की हरकतों के बारे में जीतू को बताया, तो उस का खून खौल उठा और उस ने मंजू और टीना के साथ मिल कर अमर सिंह को ठिकाने लगाने की योजना बना डाली.

नए साल की शुरुआत में उस ने अमर सिंह को बताया, ‘‘मंजू और टीना चिकन बहुत जायकेदार बनाती हैं. क्यों न एक दिन की पार्टी तुम्हारे यहां रख ली जाए?’’

अमर सिंह ने तुरंत हामी भर दी और 14 जनवरी को पार्टी की रात तय हुई. इस दिन अमर सिंह के रसोईघर से चिकन की ऐसी खुशबू आ रही थी कि पूरा महल्ला उसे सूंघता रहा.

अंदर खाना तैयार होता रहा और कमरे में जीतू और अमर सिंह शराब पीते अपनी भूख बढ़ाते रहे. लेकिन अमर सिंह को एहसास भी न था कि थोड़ी देर बाद क्या होने वाला है.

ज्यादा शराब पीने से अमर सिंह लुढ़कने लगा, तो जीतू के बुलावे पर वे दोनों बाहर आईं. मंजू ने अमर सिंह के हाथ जकड़े और टीना ने पांव पकड़े. फिर जीतू ने गरदन पर कुल्हाड़ी से हमला कर के उस का काम तमाम कर दिया.

इस के बाद वे तीनों अमर सिंह का पर्स, मोबाइल फोन, घर की चाबी और स्कूटर ले कर फरार हो गए.

3 दिन बाद मकान से बदबू आने लगी, तो लोगों ने पुलिस को खबर दी. अमर सिंह की लाश सड़ चुकी थी. पूछताछ में जल्द ही उजागर हो गया कि हादसे की रात जीतू, मंजू और टीना उस के घर आए थे. निशातपुरा थाने की पुलिस ने शक की बिना पर उन्हें हिरासत में लिया, तो तीनों ने कत्ल की वारदात कबूल कर ली.

क्या करें अकेले बूढ़े

बुढ़ापे में रंगीनमिजाजी आम बात है, खासतौर से उन बूढ़ों की, जिन के आगेपीछे कोई नहीं होता है.

बूढ़े सैक्स की अपनी जरूरत पूरी करें, तो यह उन का हक है, लेकिन अमर सिंह जैसे बूढ़े अकसर गच्चा खा जाते हैं. देखा जाए, तो अमर सिंह बदले का नहीं, बल्कि साजिश का शिकार हुआ, नहीं तो इस से पहले वह कालगर्ल लाता था, तयशुदा रकम देता था और सुबह उन्हें चलता कर देता था.

अकेले रह रहे बूढ़ों का कालगर्ल के पास जाना या फिर घर ला कर सुख भोगना उतनी ही आम बात है, जितनी नौजवानों का ऐसा ही करना. फर्क इतना है कि बूढ़ों से कालगर्ल को ज्यादा पैसा मिल जाता है.

भोपाल के एमपी नगर इलाके की 26 साला एक कालगर्ल कामिनी (बदला नाम) की मानें, तो आजकल उन के ग्राहकों में बूढ़ों की तादाद तकरीबन 25 फीसदी होती है.

बकौल कामिनी, ‘‘जरूरतमंद बूढ़े दलालों के जरीए उन तक पहुंचते हैं, कभी सीधे भी सौदा हो जाता है. ये लोग जल्दबाजी में ज्यादा भावताव नहीं करते और थोड़ा डरते भी हैं.’’

कामिनी इस बाबत बूढ़ों को ज्यादा कुसूरवार नहीं मानती. वह कहती है कि ये बेचारे क्या करें और कहां जाएं. अगर मालदार हों तो हर किसी की नजर इन के माल पर रहती है, इसलिए खुद औरतें इन पर डोरे डालती हैं. लेकिन समझदार बूढ़े कालगर्ल्स को ज्यादा महफूज मानते हैं. कुछ बूढ़े जोश के लिए इश्तिहार पढ़ कर ताकत और मर्दानगी वाली दवाएं भी खरीदते हैं.

भोपाल के शाहपुरा इलाके के मनीषा मार्केट के एक कैमिस्ट अनिल ललवानी की मानें, तो बड़ी तादाद में बूढ़े इश्तिहारों वाली पलंगतोड़ दवाएं खरीद कर ले जाते हैं और कंडोम भी खरीदते हैं.

जाहिर है, बूढ़ों को भी हक है कि वे सैक्स का सुख उठाएं, लेकिन जरूरी यह है कि इस में एहतियात रखें, नहीं तो अंजाम अमर सिंह सरीखा भी हो सकता है, जो जल्दबाजी के चलते मारा गया.

ऐसे महफूज रह सकते हैं आशिकमिजाज बूढ़े

 

* सैक्स के लिए कालगर्ल्स जानपहचान वालियों से बेहतर साबित होती हैं.

 

* अगर औरतों या कालगर्ल्स के साथ कोई मर्द दिखे, तो उस से जल्द पल्ला झाड़ लेना चाहिए. ये लोग किसी गिरोह वाले भी हो सकते हैं.

 

* जब कालगर्ल लाएं, तो उस पर रोब डालने के लिए अपनी दौलत का जिक्र न करें, न ही घर में ज्यादा नकदी और कीमती सामान रखें.

 

* कालगर्ल का मोबाइल फोन बंद करवा दें, जिस से वह बातचीत टेप न कर सके और न ही वीडियो फिल्म बना कर बाद में ब्लैकमेल कर सके.

 

* सैक्स की लत इस उम्र में इतनी न लगाएं कि रोजरोज इस की जरूरत पड़ने लगे.

 

* कालगर्ल या कोई दूसरी औरत लाएं, तो नशा खासतौर से शराब का सेवन बिलकुल न करें. अमर सिंह की यही गलती उस की आसान मौत की वजह बनी.

 

* सैक्स में कमजोरी आजकल नौजवानों में भी आम बात है. वैसे भी सैक्स पर उम्र का कोई खास असर नहीं पड़ता. अगर इश्तिहार वाली दवाओं से खुद पर भरोसा बढ़ता है, तो उन्हें लेने में हर्ज नहीं है.

 

* सैक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल जरूर करें. इस से सैक्स संबंधी बीमारियां होने का खतरा नहीं रहता.

मृत्युभोज में भी पंडों की मौज

गांव वालों के उस समूह में चर्चा का मुद्दा ऐसा था, जो पंडेपुजारियों के धंधे पर सीधे चोट करने वाला था. वे लोग तय कर रहे थे कि मृत्युभोज की सामाजिक बुराई को खत्म किया जाए. इस से लोगों पर दोहरी मार पड़ती है. वे पंडों का तो पेट भरते ही हैं, उन्हें आडंबरों का शिकार भी होना पड़ता है. प्रियजनों को खोने वालों के लिए ऐसी प्रथा मृत्युभोज न हो कर ‘मृत्युदंड’ बन जाती है.

घंटों हुई चर्चा के बाद आखिर में यह तय किया गया कि इस बुराई के खिलाफ सामाजिक आंदोलन छेड़ा जाएगा. गांव में न तो कोई किसी पंडे के कहने पर मृत्युभोज देगा और न ही कोई उस में शामिल होगा. उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के विकासखंड धनीपुर इलाके में ऐसी बुराई के खिलाफ खड़ा हो रहा आंदोलन मौत के बाद परिजनों को तरहतरह के धार्मिक कर्मकांडों और डर दिखा कर जेबें भरने वाले पंडेपुजारियों को भले ही नागवार गुजरे, लेकिन सोचविचार के बाद 24 जनवरी को गांव वालों ने जो सामूहिक फैसला किया, उस की तारीफ भी हो रही है.

3 दर्जन से ज्यादा गांवों में इस प्रथा को लोग खुद ही खत्म कर देना चाहते हैं. वे शपथ ले रहे हैं कि न तेरहवीं में खाएंगे और न किसी को खिलाएंगे. दरअसल, किसी की मौत होने के बाद कर्मकांडी पंडेपुजारियों के कहने पर सामाजिक व धार्मिक परंपरा के नाम पर अनापशनाप पैसे खर्च होते हैं. दूसरे शब्दों में कहें, तो अंतिम संस्कार से ले कर तेरहवीं तक कमाई करने का कोई रास्ता नहीं छोड़ा जाता है. दुख की बात तो यह है कि लोगों को मुंह भरने के लिए ऐसी प्रथाओं को निभाना पड़ता है. कोढ़ में खाज तब और बढ़ जाती है, जब बीमारी से किसी की मौत हो. इलाज कराने के खर्चों से ही परिवार खोखला हो चुका होता है. इस के बाद कर्मकांडियों का पेट भी भरना पड़ता है. गरीब आदमी सामाजिक व धार्मिक परंपरा निभाने के चक्कर में और भी गरीब हो जाता है.

हजामत कर के पेट पालने वाले दीपक का सामना कुछ ऐसे ही हालात से हुआ. उस के परिवार में एक साल में एक के बाद एक 3 मौतें हुईं. मां बीमार थीं. इलाज के दौरान डाक्टरों ने भी अपनी कमाई करने का पूरा फर्ज निभाया. हालात ऐेसे हुए कि मकान भी बेचना पड़ा. किसी तरह इलाज तो कराया, लेकिन बचा नहीं सके. उस के एक भाई की मौत एक हादसे में हो गई, जबकि दूसरे ने जिंदगी से दुखी हो कर खुदकुशी करने जैसा कदम उठा लिया था. दीपक बताता है कि 3 मौतों के बाद में होने वाली प्रथाओं के खर्चों में वह इतना टूट गया कि किसी तरह अब जिंदगी को संभाले हुए है. परिवार के सदस्य दिनरात मेहनत कर के किसी तरह कर्ज चुका रहे हैं. ऐसे मौके पर खर्च के मामले में जब पैसे की जरूरत होती है, तो नातेरिश्तेदार भी हाथ खींच लेते हैं.

किसी की मौत के बाद जब उसे गंगा घाट पर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाता है, तो पंडों को जिमाने के साथ समूह में साथ जाने वाले लोगों को वहीं खाना खिलाया जाता है. इस के लिए होटल, ढाबे बने होते हैं, जो आमतौर पर पूरीकचौड़ी, 2 सब्जी बनाते हैं. एक थाली की कीमत 40 से 60 रुपए तक होती है. तैयार पूरीसब्जियों के रेट भी तय होते हैं. हजारों रुपए का खर्च तो वहां खाना खिलाने में हो चुका होता है. इस के बाद किसी अपने की मौत का दर्द झेल रहे परिवार द्वारा तेरहवीं की रस्म अदा की जाती है, उन्हें दक्षिणा और दान किया जाता है. कर्मकांडों को मरने वाले के परिवार वालों से दान के नाम पर फोल्डिंग, खाट, बिस्तर, तकिया, पहनने के कपड़े, जूताचप्पल, 5, 11 या 21 बरतन का सैट, नहाने की बालटी समेत गेहूंचावल वगैरह दान में चाहिए होता है. अगर कोई शराब का शौकीन रहा हो, तो उसे अच्छे किस्म की बोतल दान करने की सलाह दी जाती है. इस सामाजिक बुराई को खत्म करने की सलाह कोई नहीं देता.

इस के बाद सभी गांव, पड़ोस, महल्ले के लोगों, जानपहचान वालों व रिश्तेदारों को जिमाया जाता है. देहात व पिछड़े इलाकों में ऐसे मौकों पर तो मेहमानों को शराब पिलाने कीपरंपरा भी देखी गई है. मौत के बाद धार्मिक परंपराओं पर होने वाले खर्चों का दौर यहीं नहीं थमता. साल में पड़ने वाले कुछ मौकों पर भी दान की परंपरा है. साधारण परिवारों की माली हालत ऐसी होती है कि वह बेचारे कर्ज ही चुका रहे होते हैं. न वे मौत भूलते हैं, न उस की कर्जदार करने वाली परंपराएं. कर्मकांड करने वाले पंडितों को इन बातों से कोई मतलब नहीं होता है. पिछड़े इलाकों में तो गरीबों को साहूकारोंसूदखोरों से कर्ज ले कर यह सब करना पड़ता है. सामाजिक तौर पर भी उसे यह परंपरा निभाने के लिए मजबूर किया जाता है. यह माना जाता है कि अगर कोई तेरहवीं कर के लोगों को भोज नहीं कराएगा, तो समाज क्या कहेगा. पापपुण्य का कुचक्र चलाया जाता है.

यह गरीबों के यहां ही होता हो, ऐसा नहीं है. समाज का कोई तबका इस से अछूता नहीं है, बल्कि तेरहवीं को भी अब बड़े आयोजनों के रूप में किया जाता है, जैसे कोई उत्सव हो. जिस की तेरहवीं में ज्यादा पकवान बनते हैं, ज्यादा लोग जुटते हैं, उसे ऊंचे दर्जे का आदमी समझा जाता है. कुप्रथा के खिलाफ आवाज उठाने वाले क्षत्रिय महासभा से जुड़े योगेंद्र पाल सिंह कहते हैं, ‘‘ऐसा आयोजन लोगों के लिए मृत्युदंड बन जाता है. इस कुप्रथा को लोगों को खत्म करना चाहिए. बहुत से लोग ऐसी सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए सामाजिक आंदोलन में शामिल हो रहे हैं.’’

सास अगाड़ी बहू पिछाड़ी

चिर परिचित सासबहू का झगड़ा युगों से चला आ रहा है. भले उस में दोनों के हाथ कुछ न लगे लेकिन एकदूसरे की काट करने में दोनों कोई कसर नहीं छोड़ते. इसी संदर्भ में जहां पहले दिनभर की लगाई बुझाई बहुएं अपने पति के आते ही करती थीं और उस के रिऐक्शन में बेटा और पति रूपी मर्द सैंडविच बन कर रह जाता था, वहीं अब बहुएं प्रशासन से भी सास की शिकायत करने से गुरेज नहीं करतीं. इस का ताजा मामला सामने आता है आयकर विभाग, जिस में बहू ने आईजी अधिकारियों के पास जा कर अपनी सांस के धन्नासेठ होने का राज खोला.

सूरत के सिटीलाइट क्षेत्र की निवासी इस बहू ने अपनी सास की पोल खोलते हुए आयकर विभाग को यह तक बताया कि उस की सास ने कहां कहां और कितना कितना पैसा रखा हुआ है. किस किस बैंक में अकाउंट है. अगर मेरी बात पर विश्वास नहीं होता तो आप घर आ कर जांच कीजिए, सारी बातों पर से खुद ब खुद परदा उठ जाएगा. वे मुझे भी बहुत तंग करती हैं.

ऐसी यह अकेली शिकायत नहीं बल्कि आयकर विभाग के पास ऐसी ढेरों शिकायतें आती हैं जिन से अब तो आयकर अधिकरी भी तंग आ चुके हैं, क्योंकि अधिकांश मामलों में साबित हुआ है कि सास बहू का आपसी झगड़ा होता है जिस के सिर के ऊपर से निकल जाने पर सास अगाड़ी बहू पिछाड़ी वाला रूख अपनाते हुए बहूएं सास को सबक सिखाने के लिए ऐसे हथकंडों का ही इस्तेमाल करती हैं. उन की सोच यही होती है कि अगर सास मुझे तंग करने से बाज नहीं आई तो इस की आगे पीछे की सारी पोल खोल कर उस की धज्जियां उड़ा दूंगी. भई जब जमाना बदल रहा है तो तरीके भी तो ऐडवांस ही होने चाहिए.

स्टडी की न्यू कैमिस्ट्री

परीक्षाओं के दिन चल रहे हैं. ऐसे में बच्चे के साथसाथ पैरेंट्स भी बच्चे की पढ़ाई को ले कर टेंशन में जी रहे हैं और अगर इन्हीं दिनों आप के बच्चे का बर्थडे आ जाए तो और मुसीबत…अब घबराने की नहीं बस आप एक ऐजुकेशनल थीम पार्टी और्गनाइज करने की जरूरत है. लखनऊ सिटी में ऐसी एजुकेशनल थीम पार्टीज पसंद की जा रही हैं. एग्जाम टाइम में जीके, मैथ्स और साइंस थीम बेस्ड पार्टीज की डिमांड रहती है. इस तरह की पार्टीज में बच्चों का पढ़ाई में इंट्रैस्ट बढ़ता है. साथ ही ऐसी पार्टीज बच्चों का स्ट्रैस भी कम करती हैं.

जनरल नौलेज थीम पार्टी

इस पार्टी में बच्चों के लिए क्विज और पजल्स जैसे गेम्स रखे जाते हैं. इस के जरिए बच्चों को फू्रट्स, एनिमल्स, नंबर्स के साथ मौन्यूमेंट्स के नाम वगैरा याद कराए जाते हैं. इस में बच्चों को पजल्स बनवाने के साथसाथ कार्ड्स के जरिए इन्हें चीजों को पहचानना सिखाया जाता है. एक कार्ड में मौन्यूमेंट्स की फोटो होती है और दूसरे में उन के शहर का नाम. बच्चों को उन्हें मैच करने को कहा जाता है. इस के अलावा पार्टी में क्विज भी रखी जाती है और सही जवाब देने वाले बच्चों को अट्रैक्टिव गिफ्ट भी दिया जाता है.

आर्ट एंड क्राफ्ट थीम पार्टी

यह पार्टी क्लास 5वीं तक के बच्चों के लिए और्गनाइज्ड की जाती है. इस में बच्चों की एक्टीविटीज के जरिए पेपर कटिंग से ले कर क्रिएटिव चीजें बनाना और उन्हें कलर करना सिखाया जाता है. इस में आइसक्रीम स्टिक फू्रट्स, वेजीटेबल्स और कार्टून करैक्टर्स को कलर करने से ले कर पेपर से भी बनाना सिखाया जाता है. इस के अलावा इस में कई बच्चों को कई मीनिंगफुल पोएट्रीज भी सुनने को मिलती हैं जिसे उन्हें याद करना बच्चों के लिए आसान हो जाता है.

साइंस थीम पार्टी

यह 5वीं कलास से 12वीं क्लास के बच्चों के लिए और्गनाइज की जाती है. इस पार्टी में आर्टिफिशयल ट्री की मदद से ग्रैविटी का कौंसेप्ट समझाया जाता है. वहीं अंगूर रसभरी, फालसे से मौलिक्यूल्स बना कर उस के बारे में बताया जाता है. वहीं लाइट्स औफ कर के 3डी इफैक्ट्स के जरिए प्लैनेट्स के बारे में समझाया जाता है. मैजिक क्रिस्टल बौल और जौइंट बाल की मदद से बच्चों को पौलिमर का कौंसेप्ट समझाया जाता है.

हिस्ट्री थीम पार्टी

इस हिस्ट्री थीम पार्टी में बच्चों को लाइट्स और मूवी के जरिए हिस्ट्री के बारे में स्टोरी टेलिंग स्टाइल में समझाया जाता है. अकबर बीरबल, सिकंदर जैसे करैक्टर्स की कहानी को कार्टून कैरैक्टर्स के जरिए भी समझाने की कोशिश की जाती है. इस से हिस्ट्री इंटरैस्टिंग लगती है.

आजकल सिटी में ऐसी थीम्स पार्टी की डिमांड बढ़ी है. जिस में बच्चे अलगअलग एक्टिविटीज और गेम्स कर सकें.

ब्रेकअप फेस करें कौन्फिडैंटली

फिल्म ‘ओम शांति ओम’ का गीत ‘छन से जो टूटे कोई सपना, जग सूनासूना लागे, जग सूनासूना लागे, कोई रहे न जब अपना…’ को अकसर युवा तब गुनगुनाते नजर आते हैं जब उन का बे्रकअप हो जाता है. उन्हें लगता है जैसे उन की जिंदगी अब थम सी गई है और वे अपनी बीती यादों में ही खुद को समेट कर दुखी रहने लगते हैं, सब से कटने लगते हैं, किसी से बात नहीं करते. वे सोचते हैं कि अब उन की जिंदगी में कभी उजाला नहीं होगा. लेकिन उन की यह सोच बिलकुल गलत है.आज तो वैसे भी कई बौयफ्रैंड्स व गर्लफ्रैंड्स रखने का ट्रैंड है तो ऐसे में सिर्फ एक के गम में अपनी पूरी जिंदगी खराब करना या फिर उसी के गम में दुखी रहना अक्लमंदी नहीं बल्कि बोल्डली इस गम को फेस करें व इस से उबरें. इस से आप का कौन्फिडैंस भी बढ़ेगा.

कैसे उबरें ब्रेकअप के गम से

नया पार्टनर ढूंढ़ें

पहले पार्टनर को भुलाना आसान नहीं होता, लेकिन जिंदगी को आगे तो बढ़ाना ही है. ऐसे में एक के गम में पूरी जिंदगी का मजा खराब करना ठीक नहीं. इस दुख से खुद को बाहर निकालने के लिए नया पार्टनर ढूंढ़ें. यह पार्टनर आप को सोशल साइट्स या फिर अपने आसपास खास दोस्तों के बीच भी मिल सकता है.

हो सकता है कि इस दुख से उबारने में आप का कोई अन्य दोस्त आप की मदद करे और आप एकदूसरे के इतने करीब आ जाएं कि आप को भी इस बात का पता न चल पाए. फिर आप को एकदूसरे का साथ व बातें इतनी अच्छी लगने लगेंगी कि आप को अपने ऐक्स पार्टनर की कभी याद नहीं आएगी.

सोशल साइट्स पर रहें ऐक्टिव

ब्रेकअप के बाद अकसर हम उन सभी चीजों से कटने की कोशिश करते हैं जो हमें पार्टनर की याद दिलाती हैं जैसे ब्रेकअप से पहले हम फेसबुक पर डीपी खूब अपडेट करते रहते थे लेकिन बाद में इस से दूरी बनाने लगते हैं जिस से हमारी दुनिया सिर्फ  हम तक ही सीमित रह जाती है जबकि ऐसा करना सही नहीं है.

आप सोशल साइट्स पर ऐक्टिव रह कर दिखा दें कि उस के बिना आप की जिंदगी बेहतर हो गई है. डेली आप की न्यू डीपी देख कर वह जलन महसूस करेगा. हो सकता है वह भी डेली डीपी चेंज करे तो इस से आप बिलकुल जैलेस फील न करें बल्कि इसे एक चैलेंज की तरह ऐक्सैप्ट करें कि अब मैं खुद को कमजोर नहीं पड़ने दूंगी. इस से आप खुद में एक अलग कौन्फिडैंस पाएंगी.

ऐक्स बौयफ्रैंड से कटें नहीं

हो सकता है कि एक ही कालेज में पढ़ते हुए या फिर साथ जौब करते हुए आप की उस से फ्रैंडशिप हो गई हो और ब्रेकअप के बाद आप का रोज उस से सामना हो तो आप बिलकुल रिऐक्ट न करें बल्कि नौर्मल बिहेव करें.

अगर वह आप की बात का जवाब न दे तो भी मन छोटा न करें और सोचें कि अच्छा है कि समय रहते आप का उस से ब्रेकअप हो गया. जितना आप अपने प्रति उस का खराब रवैया देखेंगी उतनी ही आप को उसे भूलने में आसानी होगी.

एक बार कटें तो कट ही जाएं

एक बार अगर उस से दूरी बना ली है तो फिर कभी भी फेक नंबर्स से कौल कर के या फिर आवाज बदल कर बात करने की कोशिश न करें, क्योंकि इस से आप की हिम्मत टूटेगी. उस की आवाज सुन कर आप खुद को कमजोर महसूस करेंगी और चाह कर भी अपनी जिंदगी को आगे नहीं बढ़ा पाएंगी. साथ ही कभी भी उस के किसी फ्रैंड से इस बारे में कोई बात न करें और न ही किसी के सामने गिड़गिड़ाएं कि प्लीज मेरी बात उस से करवा दो. इस से आप की नैगेटिव इमेज बनेगी और जब यह बात उस तक पहुंचेगी तो उसे लगेगा कि आप उस के बिना नहीं रह पाएंगी.

अपने मन में ठान लें कि अब कभी पलट कर आप उस की तरफ नहीं देखेंगी. इस से आप स्ट्रौंग बनेंगी.

फ्रैंड्स के सामने दुखड़ा न रोएं

माना कि आप काफी कठिन परिस्थिति से गुजर रही हैं लेकिन यह दुख सिर्फ आप का है, जिसे सिर्फ आप ही महसूस कर पाएंगी.

आप जब भी कभी फ्रैंड्स से मिलें और उन के सामने यही दुखड़ा रोने लग जाएं कि यार, उस ने मुझे धोखा दिया है, मैं उस के बिना नहीं रह सकती, मेरी जिंदगी तो जैसे थम सी गई है तो आप की हर बार यही पकाऊ व उदासी भरी बात सुन कर वे आप से कटने लगेंगे.

आप अपने फ्रैंड्स के सामने कभी यह उजागर न करें कि आप बे्रकअप से कितनी दुखी हैं बल्कि इस दुख से बाहर निकलने के लिए उन के साथ हंसीमजाक करें, खुद को ऐनर्जैटिक दिखाएं, जिस से वे भी आप की मिसाल दें कि आप ने कितनी विपरीत परिस्थिति में खुद को संभाला है. आप का ऐसा व्यवहार आप को आगे भी अन्य समस्याओं को बोल्डली हैंडिल करने की ताकत देगा.

लोगों को फेस करें

अकसर ब्रेकअप के बाद हम लोगों को फेस करने में हिचकते हैं. हमें लगता है कि लोग हमारे बारे में तरहतरह की बातें करेंगे जबकि हमें बोल्डली ऐसे लोगों का सामना करना चाहिए.

भले ही लोग आप को गलत ठहराएं, लेकिन आप भी अपना पक्ष रखे बिना वहां से वापस न आएं. इस से आप को हर स्थिति को हैंडिल करना आएगा.

क्लोज फ्रैंड से शेयर करें प्रौब्लम

अगर आप हर पल सिर्फ उस के बारे में ही सोचती रहती हैं, आप की नजर फोन पर ही टिकी रहती है और आप के मन में अभी भी एक आशा की किरण जगती है कि शायद आप दोनों फिर से एक हो जाएं तो आप ऐसी सोच पाल कर सिर्फ अपनेआप को ही दुखी करेंगी. ऐसे में अपनी प्रौब्लम अपने क्लोज फ्रैंड से डिस्कस करें.

फ्रैंड को बताएं कि आप चाह कर भी उस की यादों से बाहर नहीं निकल पा रही हैं. आप की स्थिति को जान कर वह निश्चय ही आप को ऐसी राय देगा/देगी जो आप को इस दुख से बाहर निकलने में मदद करेगी.

लेकिन आप को भी अपनी तरफ से प्रयास करना होगा कि आप उस के दिए सभी गिफ्ट्स अपनी नजरों से दूर कर दें, क्योंकि जब तक प्रेमी की दी चीजें आंखों के सामने रहेंगी, दुख तो पहुंचेगा ही. फोन से भी उस का नंबर डिलीट कर दें. आप की ऐसी कोशिश आप को स्ट्रौंग बनाने के साथसाथ उसे भूलने में भी मदद करेगी.

खुल कर जीएं जिंदगी

अकसर जब हम रिलेशनशिप में होते हैं तो हम पर बहुत सारी बंदिशें होती हैं जैसे यहां नहीं जाना, उस से बात नहीं करनी, ऐसे कपड़े नहीं पहनने, लेट नाइट पार्टीज में नहीं जाना वगैरावगैरा, जिस से हमारी लाइफ सिर्फ बौयफ्रैंड तक ही सिमट कर रह जाती है.

लड़ाईझगड़े के डर से हम अपनी ख्वाहिशें मन में ही दबा लेते हैं, लेकिन बे्रकअप के बाद वे सारी बंदिशें खत्म हो जाती हैं. अब आप जैसे मरजी अपनी लाइफ जीएं. तब जो काम आप के अधूरे रह गए थे अब उन्हें पूरा करें, बौयफ्रैंड के चक्कर में जिन फ्रैंड्स से आप ने दूरी बना ली थी उन से भी सौरी फील कर के मिलेंजुलें. इस से आप खुद को व्यस्त रख पाएंगी, जिस से आप में एक अलग आत्मविश्वास आएगा.

फन विद फैमिली

अगर आप खुद को तनावग्रस्त महसूस कर रही हैं तो फैमिली के साथ कहीं आउटिंग पर जाने का प्रोग्राम बनाएं, जिस से आप को उस से दूर रहने की आदत पड़ जाएगी. साथ ही चेंज मिलने से आप का मूड भी अच्छा होगा. इन दिनों आप अपना फोन भी घर पर ही छोड़ कर जाएं ताकि फोन की रिंग भी आप की खुशी को कम न करने पाए.

डांस सीखें

अगर आप की डांस सीखने में रुचि है तो आप डांस क्लासेज जौइन कर लें. वहां आप के नए फ्रैंड्स तो बनेंगे ही साथ ही आप में डांस सीखने का हुनर भी आएगा. गानों की धुनों पर जब आप थिरकेंगी तो यकीन मानिए आप सारे दुखों को भूल जाएंगी. डांस सीखने से कौन्फिडैंस भी बढ़ता है.     

सैलिब्रिटीज ने भी नहीं थमने दी ब्रेकअप के बाद जिंदगी

हर बात में हम बौलीवुड सैलिब्रिटीज का उदाहरण देते हैं, चाहे बात लुक्स की हो, फैशन में अपडेट रहने की या फिर पार्टनर के गम से जल्दी उबर कर काम में बैस्ट परफौर्मैंस दिखाने की.

कुछ सैलिब्रिटीज को भी जीवन में ब्रेकअप के गम से रूबरू होना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने जीवन की रफ्तार में बे्रक नहीं लगने दिया. इस बात से तो सभी परिचित हैं कि रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण रिलेशनशिप में रह चुके हैं, लेकिन ब्रेकअप के बाद दीपिका काफी मायूस रहने लगी थीं. जब उन्हें एहसास हुआ कि इस से उन का काम सफर कर रहा है, तो उन्होंने खुद को संभाला और फिर ऐसी स्पीड पकड़ी कि सब देखते रह गए.

ठीक इसी तरह फिरोज खान ने भी सिद्ध कर दिखाया कि कभी भी किसी एक के कारण जिंदगी नहीं थमती. ‘साथ निभाना साथिया’ सीरियल में किंजल का किरदार निभाने वाली फिरोज खान को दिल्ली निवासी शाकिर चौधरी से प्यार हो गया था. यहां तक कि इन की सगाई भी हो गई थी, लेकिन किसी कारणवश बे्रकअप हो गया, बावजूद इस के वे टूटी नहीं और उन्होंने अपने गम को भुलाने के लिए न केवल काम में मन लगाया बल्कि फेसबुक पर चैट भी जारी रखी. इस बीच उन की मुलाकात डाक्टर जीशान अली से हुई. दोस्ती कब प्यार में बदल गई उन्हें पता ही नहीं चला.

जीशान के जिंदगी में आने के बाद उन्हें शाकिर की कभी जरा भी याद नहीं आती, क्योंकि जीशान में उन्हें सच्चा प्यार दिखता है.

एक टीवी चैनल पर आने वाले सीरियल ‘ये हैं मोहब्बतें’ में इशिता भल्ला का किरदार निभा रहीं दिव्यंका त्रिपाठी का भी शरद मल्होत्रा से ब्रेकअप हो गया. वे शरद के साथ लिव इन रिलेशन में भी रह चुकी थीं. ब्रेकअप के बाद वे काफी तनाव महसूस करने लगीं तभी उन की मुलाकात विवेक दहिया से हुई जिस में न केवल उन्हें अच्छा दोस्त मिला बल्कि जीवनसाथी भी मिल गया.

इन बातों का ध्यान रखें

–               न्यू पार्टनर के सलैक्शन में जल्दबाजी न करें.

–               खुद की कमियों पर गौर करें. जैसे अगर आप बहुत जल्दी गुस्सा हो जाती हैं तो अपने व्यवहार में परिवर्तन लाएं.

–               अपने सीक्रेट किसी को न बताएं.

–               ऐक्स बौयफ्रैंड को जैलेस फील कराने के लिए फेसबुक पर अनजान युवकों से दोस्ती न करें, क्योंकि आप का ऐसा करना आप पर भारी पड़ सकता है.

–               ब्रेकअप के बाद सुसाइड जैसे कदम न उठाएं, क्योंकि इस से दाग आप पर लगने के साथसाथ आप के पेरैंट्स का भी नाम खराब होगा

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें