60 साल के अमर सिंह की जिंदगी देख कर घर गृहस्थी की गाड़ी ढोते दूसरे लोगों को उस से कोफ्त होती थी. वजह, अमर सिंह अकेला था. उस पर ‘आगे नाथ न पीछे पगहा’ वाली कहावत लागू होती थी. उस के सिर पर कोई जिम्मेदारी नहीं, घर में कोई सवाल जवाब करने वाला नहीं और न ही कोई झंझट.

पेशे से मिस्त्री अमर सिंह निहायत ही मस्तमौला भी था. दिनभर मजदूरी कर के वह 5-6 सौ रुपए कमाता था. उन में से 2 सौ रुपए मुरगेदारू पर खर्च करता था और रात को टैलीविजन देखते देखते बेफिक्री से चादर तान कर सो जाता था.

अब से तकरीबन ढाई साल पहले अमर सिंह की बीवी की मौत हुई थी. तब से वह तनहा रह गया था. उस के 3 औलादें थीं. शादी कर के बेटी अपनी ससुराल में सुकून से रह रही थी, लेकिन एक बेटे ने 3 साल पहले खुदकुशी कर ली थी और दूसरा बेटा लव मैरिज कर के इंदौर जा बसा था, जिसे बाप से कोई खास मतलब नहीं था.

भोपाल के करोंद इलाके के पीपल चौराहा इलाके के मकान नंबर 2 में बीते 8 महीनों से अमर सिंह किराए पर रह रहा था. वजह यह नहीं थी कि उस का अपना कोई मकान नहीं था, बल्कि वह अपना खुद का मकान इसलाम नगर इलाके में बनवा रहा था.

दरअसल, कुछ महीने पहले ही उस ने अपनी जिंदगीभर की कमाई और बचत से शिव नगर इलाके में बनाया अपना मकान साढे़ 12 लाख रुपए में बेचा था और उसी पैसे से अकेले खुद के रहने लायक छोटा मकान बड़े चाव से बनवा रहा था.

मस्ती पर लगा ग्रहण

पीपल चौराहा इलाके के लोगों और अमर सिंह के पड़ोसियों को यह देखने की आदत सी पड़ गई थी कि अनजान औरतें कभी भी अमर सिंह के घर आती जाती रहती थीं. अंदर क्या होता होगा, इस का अंदाजा लगाने के लिए किसी को अपने दिमाग पर ज्यादा जोर नहीं डालना पड़ता था.

चूंकि अमर सिंह किसी से खास वास्ता नहीं रखता था और न ही किसी के लिए परेशानी का सबब बनता था, इसलिए कोई इस बात को उस का निजी मामला मानते हुए एतराज नहीं जताता था.

अमर सिंह का नया मकान तकरीबन तैयार हो गया था और उस ने गृह प्रवेश की तारीख 20 जनवरी तय भी कर ली थी. मकान बनवाई का काम आखिरी दौर में था, इसलिए अमर सिंह ने 3 मजदूर लगा लिए, जिस से कि वक्त पर गृह प्रवेश हो जाए.

ये 3 मजदूर थे विदिशा का रहने वाला जीतू उर्फ भरतलाल अहिरवार और बाकी 2 जवान लड़कियां थीं. इन में से 35 साला मंजू नट उडि़या बस्ती में रहती थी और उस की 25 साला सहेली टीना नट उस की पड़ोसन थी.

जीतू व अमर सिंह की जानपहचान पुरानी थी. जीतू की सिफारिश पर कुछ दिन पहले ही अमर सिंह ने उन दोनों लड़कियों को अपने मकान के काम में लगा लिया था.

जल्द ही मंजू और टीना की जवानी देख रंगीनमिजाज अमर सिंह का दिल डोलने लगा. शौकीन तो वह था ही और किस्मकिस्म की औरतों को भोग चुका था, लिहाजा उसे लगा कि थोड़ी कोशिश की जाए, तो इन में से कोई एक पट ही जाएगी. टीना ने तो घास नहीं डाली, लेकिन मंजू से हंसीमजाक शुरू हो गया.

मिस्त्री होने के चलते अमर सिंह का पाला कई मजदूर औरतों से पड़ा था. वह उन की पैसे की जरूरतों को खूब समझता था. धीरेधीरे उस ने मंजू से नजदीकियां बढ़ाईं और उसे लालच देना शुरू कर दिया.

मंजू ने थोड़ी घास डाली, तो अमर सिंह को लगा कि शिकार जाल में आ फंसा है. लिहाजा देर नहीं करनी चाहिए. मंजू को फंसाने के चक्कर में कुछ दिनों से उस ने किसी कालगर्ल को भी नहीं बुलाया था. इसलिए उस की जिस्मानी भूख और भड़कती जा रही थी.

जल्द ही अमर सिंह ने मंजू से छेड़छाड़ शुरू कर दी, जिस पर मंजू ने एतराज तो जताया, पर वह इतना सख्त नहीं था कि अमर सिंह उसे उस की न समझ लेता.

वैसे, अमर सिंह को यह नहीं मालूम था कि शादीशुदा मंजू जीतू की माशूका थी. जब मंजू ने अमर सिंह की हरकतों के बारे में जीतू को बताया, तो उस का खून खौल उठा और उस ने मंजू और टीना के साथ मिल कर अमर सिंह को ठिकाने लगाने की योजना बना डाली.

नए साल की शुरुआत में उस ने अमर सिंह को बताया, ‘‘मंजू और टीना चिकन बहुत जायकेदार बनाती हैं. क्यों न एक दिन की पार्टी तुम्हारे यहां रख ली जाए?’’

अमर सिंह ने तुरंत हामी भर दी और 14 जनवरी को पार्टी की रात तय हुई. इस दिन अमर सिंह के रसोईघर से चिकन की ऐसी खुशबू आ रही थी कि पूरा महल्ला उसे सूंघता रहा.

अंदर खाना तैयार होता रहा और कमरे में जीतू और अमर सिंह शराब पीते अपनी भूख बढ़ाते रहे. लेकिन अमर सिंह को एहसास भी न था कि थोड़ी देर बाद क्या होने वाला है.

ज्यादा शराब पीने से अमर सिंह लुढ़कने लगा, तो जीतू के बुलावे पर वे दोनों बाहर आईं. मंजू ने अमर सिंह के हाथ जकड़े और टीना ने पांव पकड़े. फिर जीतू ने गरदन पर कुल्हाड़ी से हमला कर के उस का काम तमाम कर दिया.

इस के बाद वे तीनों अमर सिंह का पर्स, मोबाइल फोन, घर की चाबी और स्कूटर ले कर फरार हो गए.

3 दिन बाद मकान से बदबू आने लगी, तो लोगों ने पुलिस को खबर दी. अमर सिंह की लाश सड़ चुकी थी. पूछताछ में जल्द ही उजागर हो गया कि हादसे की रात जीतू, मंजू और टीना उस के घर आए थे. निशातपुरा थाने की पुलिस ने शक की बिना पर उन्हें हिरासत में लिया, तो तीनों ने कत्ल की वारदात कबूल कर ली.

क्या करें अकेले बूढ़े

बुढ़ापे में रंगीनमिजाजी आम बात है, खासतौर से उन बूढ़ों की, जिन के आगेपीछे कोई नहीं होता है.

बूढ़े सैक्स की अपनी जरूरत पूरी करें, तो यह उन का हक है, लेकिन अमर सिंह जैसे बूढ़े अकसर गच्चा खा जाते हैं. देखा जाए, तो अमर सिंह बदले का नहीं, बल्कि साजिश का शिकार हुआ, नहीं तो इस से पहले वह कालगर्ल लाता था, तयशुदा रकम देता था और सुबह उन्हें चलता कर देता था.

अकेले रह रहे बूढ़ों का कालगर्ल के पास जाना या फिर घर ला कर सुख भोगना उतनी ही आम बात है, जितनी नौजवानों का ऐसा ही करना. फर्क इतना है कि बूढ़ों से कालगर्ल को ज्यादा पैसा मिल जाता है.

भोपाल के एमपी नगर इलाके की 26 साला एक कालगर्ल कामिनी (बदला नाम) की मानें, तो आजकल उन के ग्राहकों में बूढ़ों की तादाद तकरीबन 25 फीसदी होती है.

बकौल कामिनी, ‘‘जरूरतमंद बूढ़े दलालों के जरीए उन तक पहुंचते हैं, कभी सीधे भी सौदा हो जाता है. ये लोग जल्दबाजी में ज्यादा भावताव नहीं करते और थोड़ा डरते भी हैं.’’

कामिनी इस बाबत बूढ़ों को ज्यादा कुसूरवार नहीं मानती. वह कहती है कि ये बेचारे क्या करें और कहां जाएं. अगर मालदार हों तो हर किसी की नजर इन के माल पर रहती है, इसलिए खुद औरतें इन पर डोरे डालती हैं. लेकिन समझदार बूढ़े कालगर्ल्स को ज्यादा महफूज मानते हैं. कुछ बूढ़े जोश के लिए इश्तिहार पढ़ कर ताकत और मर्दानगी वाली दवाएं भी खरीदते हैं.

भोपाल के शाहपुरा इलाके के मनीषा मार्केट के एक कैमिस्ट अनिल ललवानी की मानें, तो बड़ी तादाद में बूढ़े इश्तिहारों वाली पलंगतोड़ दवाएं खरीद कर ले जाते हैं और कंडोम भी खरीदते हैं.

जाहिर है, बूढ़ों को भी हक है कि वे सैक्स का सुख उठाएं, लेकिन जरूरी यह है कि इस में एहतियात रखें, नहीं तो अंजाम अमर सिंह सरीखा भी हो सकता है, जो जल्दबाजी के चलते मारा गया.

ऐसे महफूज रह सकते हैं आशिकमिजाज बूढ़े

 

* सैक्स के लिए कालगर्ल्स जानपहचान वालियों से बेहतर साबित होती हैं.

 

* अगर औरतों या कालगर्ल्स के साथ कोई मर्द दिखे, तो उस से जल्द पल्ला झाड़ लेना चाहिए. ये लोग किसी गिरोह वाले भी हो सकते हैं.

 

* जब कालगर्ल लाएं, तो उस पर रोब डालने के लिए अपनी दौलत का जिक्र न करें, न ही घर में ज्यादा नकदी और कीमती सामान रखें.

 

* कालगर्ल का मोबाइल फोन बंद करवा दें, जिस से वह बातचीत टेप न कर सके और न ही वीडियो फिल्म बना कर बाद में ब्लैकमेल कर सके.

 

* सैक्स की लत इस उम्र में इतनी न लगाएं कि रोजरोज इस की जरूरत पड़ने लगे.

 

* कालगर्ल या कोई दूसरी औरत लाएं, तो नशा खासतौर से शराब का सेवन बिलकुल न करें. अमर सिंह की यही गलती उस की आसान मौत की वजह बनी.

 

* सैक्स में कमजोरी आजकल नौजवानों में भी आम बात है. वैसे भी सैक्स पर उम्र का कोई खास असर नहीं पड़ता. अगर इश्तिहार वाली दवाओं से खुद पर भरोसा बढ़ता है, तो उन्हें लेने में हर्ज नहीं है.

 

* सैक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल जरूर करें. इस से सैक्स संबंधी बीमारियां होने का खतरा नहीं रहता.

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