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यह बेहतर कदम होगा

कर्नाटक सरकार महिलाओं को रात की शिफ्ट में काम करने की इजाजत देने पर विचार कर रही है. फिलहाल यह अनुमति केवल आईटी इंडस्ट्री में है जहां अमेरिका की सुविधा के लिए रात को ही काम हो सकता है, क्योंकि बहुत सी भारतीय कंपनियां अमेरिका की कंपनियों का काम रीयल टाइम में भारत से कराती हैं. यह अमेरिकी कंपनियों को सस्ता पड़ता है, क्योंकि भारत में वेतन कम है. अब यह सुविधा चिकित्सा और आईटी के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी मिल सकती है. यह अच्छा कदम है, क्योंकि रात की शिफ्ट में काम करने के बहुत से फायदे हैं. सब से बड़ा फायदा तो यह है कि बच्चों को रातदिन माता या पिता में से एक का साथ मिलता रहेगा. मां दिन भर साथ रहेगी और पिता रात भर. साथ ही घर में कमाने वाले 2 हो जाएंगे.

पतिपत्नी अलगअलग समय पर काम पर जाएंगे तो उन के आपसी झगड़े भी कम होंगे. दोनों घर का भी पूरा काम करेंगे और बाहर का भी. साथ ही उन की बौंडिंग भी बढे़गी. औरतों को सुविधानुसार बाहर जाने का मौका मिलेगा तो वे निश्चिंत हो कर काम पर ध्यान लगा सकेंगी. आजकल जो औरतें दिन की शिफ्टों में काम करती हैं उन में से आधी मोबाइल पर बच्चों, सास, ननद और पड़ोसिनों से बातें करती रहती हैं. सरकारी नौकरियों में तो यह चल जाता है पर निजी क्षेत्र में कठिनाइयां पैदा हो जाती हैं. जब बहुत सारी औरतें बाहर होंगी तो रात का अंधेरा भयावह भी नहीं लगेगा और शहर ज्यादा सुरक्षित होने लगेंगे. रात को चोरों की जो बन आती है वह भी कम हो जाएगी, क्योंकि वे अकेलेपन का लाभ न उठा सकेंगे. वे दिन में भी घरों पर धावा न बोलसकेंगे, क्योंकि पति या पत्नी में से एक घर पर रहेगा.

जैसेजैसे घरों में रह कर काम करने वाली नौकरानियों की कमी हो रही है, पतिपत्नी को बारीबारी शिफ्टों में काम करना बहुत आरामदेय होगा. हां, उस का नुकसान यह जरूर होगा कि औरतों के दूसरों से संबंध ज्यादा बनेंगे. रात को सैक्स का आनंद कुछ और ही होता है. बिजली की रोशनी में जगमगाते दफ्तरों और कारखानों में भी ऐसे कोने मिल जाएंगे जहां मनमरजी के संबंध बन सकेंगे. यह अच्छा है या बुरा बाद में पता चलेगा.

जंगल बुक का ‘डार्क इफेक्ट’

जंगल-जंगल बात चली है, पता चला है,
चड्डी पहनकर फूल खिला है, फूल खिला है.

गुलजार ने अच्छा लिखा है, इसमें कोई शक नहीं. लेकिन यह गाना अगर शेर खान गाता तो तब शायद यह गाना इतना ‘क्यूट’ नहीं लगता! क्यों, है न! खैर, नौवें दशक में दूरदर्शन के मार्फत यह गाना जंगल बुक का ‘ऐन्थम’ बन गया. बच्चे तो बच्चे, बड़ों की जुबान पर यह चढ़ गया था. एक अजीब-सी गुदगुदाहट के साथ सब गुनगुनाया करते थे.

लेकिन जौन फैवरियू ने जंगल बुक का पूरा माहौल जिस तरह गढ़ा है, कम से कम उसे इस गाने की तरह ‘क्यूट’ तो नहीं कहा जा सकता. इस पूरे प्रकरण में रोंगटे खड़ी कर देनेवाला माहौल है. एक छोटी-सी जान मोगली को बार-बार मौत से बार-बार दो-दो हाथ करते हुए देखना – अपने आपमें सिहरन पैदा करता है. मोगली का जानी दुश्मन है काले-पीले धारीदार और भारी-भरकम डीलडौल वाला रॉयल बंगाल टाइगर शेर खान. बार-बार मोगली का सामना शेर खान से होता है. लेकिन जंगल में रह कर मोगली बखूबी जान चुका है कि जीने के लिए लड़ाई और संघर्ष को टाला नहीं जा सकता. यह उसके जीवन का हिस्सा बन चुका है.

वैसे जंगल के लगभग तमाम जीवों के साथ मोगली की एक अच्छी ‘ट्यूनिंग’ हो चुकी है. जीने के लिए संघर्ष का सबक उसे मिला है ब्लैक पैंथर बघिरा, भेडि़या के पूरे झुंड से. इनके बीच रह कर धीरे-धीरे मौत को गच्चा देना सीख जाता है मोगली. इसीलिए एक समय के बाद वह जंगल के माहौल में रच-बस गया.रूडयार्ड किपलिंग द्वारा मध्यप्रदेश के सिवनी के जंगल रचे गए इसी पूरे प्रकरण को पीढ़ी दर पीढ़ी हम ‘दि जंगल बुक’ एडवेंचर के रूप जानते हैं. डिजनी के सेकेंड जंगल बुक को रोमांचक और एक्शन से भरपूर सैलूलाइट पर्दे पर एक बार फिर से उतारा गया है. नौवें दशक में हम भारतीयों के बीच मोगली के जंगल एडवेंचर को लोकप्रिय बनाया था जापानी एनीमेशन ने. वहीं इसे इस तरह की कहा जा सकता है कि जापानी एनीमेशन से भारत का परिचय मोगली ने ही कराया था.

कहानी की शुरूआत जंगल में प्रचंड गर्मी के प्रकोप में पानी की किल्लत होती है. जंगल के तमाम जीव को पानी के लिए एक करार करना पड़ता है. पानी की ऐसी कमी जंगल में हो जाती है कि बाघ-गाय दोनों एक ही घाट में पानी पीने को मजबूर हो जाते हैं. इस करार के तहत पानी पीने के लिए आए अन्य किसी जीव का शिकार वर्जित हो गया. यह करार शेर खान भी मानने को मजबूर है.लेकिन मोगली के शरीर का ‘मानव गंध’ उसे उकसा देता है. मानव गंध उसे बर्दाश्त नहीं है. क्यों  मोगली जैसे एक वयस्क मानव ने एक बार उसे बुरी तरह घायल कर दिया था. जंगल के जीव जंगल में जगह-जगह गड्ढ़े में जमे पानी को पीने आए सभी पशुओं के सामने इसीलिए शेर खान मोगली को धमकाता है कि अपने ऊपर हुए इंसानी हमले का एक दिन बदला वह मोगली से जरूर लेगा. जाहिर है शेर खान के बदला लेने की इस धमकी में फिल्मकार ने ‘टेरर कोशेंट’ का माहौल बखूबी गढ़ा है. यह फिल्म मेकिंग की खासियत है.

इसीके साथ हरेक सिक्वेंस में कहानी की स्वाभाविक गति के साथ जंगल के माहौल से कम से कम एक बार यह जता दिया जाता है कि जंगल का एक अपना कानून होता है और जो इस कानून को नहीं मानता है, उसके अस्तित्व को लेकर संकट का गहराना तय है. वहीं यह भी दिखाया गया है कि जंगल में केवल उसका अपना कानून नहीं होता है, जंगल के पास एक दिल भी है. दिल का अपना कायदा है जो मैत्री, स्नेह बंधुत्व और ममता से बंधा हुआ है. दिल पर कानून का राज नहीं चलता. जंगल के जीवों के अस्तित्व के इन दो पहलुओं में एक तरफ मोगली है तो दूसरी तरफ शेर खान. और इन दोनों को लेकर जंगल के जीवों का अंतर्द्वंद्व बराबर चलता रहता है.

मोगली को पाल-पोस कर बड़ा किया है जंगल में भेडि़या सरदार अकेला और भेडि़या मां के साथ उनका पूरा झुंड. बघिरा उसका अच्छा दोस्त व साथी बन जाता है. सीजीआई सौफ्टवेयर के माध्यम से जंगल के तमाम जीवों की अलग-अलग तरह की अनुभूतियों को बखूबी उभारा गया है. इसका श्रेय केवल सीजीआई एनीमेशन सौफ्टवेयर को नहीं जाता है, बल्कि इस तरह की बूखियों को उभारने में सफलता का बड़ी भागीदारी ‘लाइफ औफ पाई’ की तकनीकी टीम की भी है. इस बार के जंगल बुक को लेकर बहुत चर्चा है, इसे में ‘डार्क टोन’ का नाम दिया गया है और कहते हैं कि इसीके आधार पर फिल्म को यू/ए का सर्टिफिकेट दिया गया है. इस बारे में इतना जरूर कहा जा सकता है कि जंगल बुक के अच्छे-बुरे पक्ष को ब्लैक एंड ह्वाइट में पेश करने की गुरेज जौन फैवरियू को नहीं रही है. कहीं-कहीं ऐसा जरूर लगता है कि नौवें दशक में जिन बच्चों ने जंगल बुक देखा था, आज वे व्यस्क हो चुके हैं और इन्हीं वयस्कों को ध्यान में रख कर फैवरियू ने इसे बनाया है. इसीके साथ यह भी देखना जरूरी है कि आज के बच्चे नौवें दशक के बच्चों से जैसे नहीं है. इंटनेट की दुनिया से दूर नहीं है. और इंटरनेट सब कुछ  खोल कर रख देता है.

जाहिर है तब और अब के फर्क को देखा जाए तो इससे कोई इंकार नहीं कर सकता कि पिछले दो दशक में दुनिया बहुत बदल गयी है. मौत आज रोजमर्रा का सच है. क्रमिक विकास के दौर में इंसान और जंगल, खाद्य और खानेवाले के बीच के संबंध का ब्लू प्रिंट डीएनए का हिस्सा बन गया है. इसी के साथ सेक्स भी पहले की तरह दुराव-छिपाव की चीज नहीं रह गयी है. ऐसे में अगर इस ‘डार्क टोन’ को परे कर दिया जाए तो कहानी का दम एकदम से निकल जाएगा.

फिल्म में कहानी शुरू से ही अपनी पूरी रवानी के साथ चलती है. और इससे ताल मिला कर विजुअल भी अपने पूरे शबाब के साथ चलता है. बघिरा और अपने अन्य साथियों के साथ जंगल और जीवन के संघर्ष का पाठ मोगली पढ़ता है. बघिरा और भेडिया सरदार के प्रशिक्षण में मोगली को जो तूफानी गति हासिल हुई है, साउंड और मोशन ने पर्दे पर बड़े अद्भुत तरीके से उतारा गया है. और उस पर थ्री-डी का एफेक्ट, जो वास्तविकता से कहीं ज्यादा विशाल है. इतना विशाल कि दर्शक खुद भी उस माहौल का हिस्सा बन जाता है. इसीके साथ कहानी की रवानी के साथ स्क्रिप्ट में ठहराव नजर आता है. वहीं फिल्म से निर्देशक व फिल्मकार का नियंत्रण जरा भी ढीला नहीं पड़ा है. उस पर मोगली की भूमिका में नील शेट्टी का मासूम एक्टिंग दिल को छू जाता है. ग्राफिक्स की डिटेलिंग भी गजब की है.

कुल मिला कर लौस एंजिल्स का स्टुडियो हरेक मिली मीटर में मध्यप्रदेश के सिवन के जंगल में तब्दील हो जाता है. जंगली भैंस की पीठ पर सवार होकर शेर खान को गच्चा देने के दौरान मोगली पहाड़ी दर्रे व उबाड़-खाबड़ पगडंडी से किस तरह निपटता है- ग्राफिक्स में बहुत अच्छी तरह परोसा गया है. यह सब बड़ा जीवंत लगता है. इसे अगर और भी अधिक स्पष्टता से कहा जाए तो ‘लाइव एक्शन’ शब्द को अक्षरश: सैलूलाइड में बड़ी बारीकी के साथ उभारा गया है.

गोरिल्ला किंग लूई वाले प्रसंग में दर्शकों के हंसी और मस्ती क अच्छी खुराक है. सत्ता को लूई आग से जोड़ कर देखता है. वह आग का इस्तेमाल मगली से सीख लेना चाहता है. इस गुर को अपना कर वह अजेय हो जाना चाहता है. इसके अलावा फिल्म में और भी कुछ रोचक प्रसंग हैं. मसलन; ‘का’ (सांप) से मोगली की पहली मुलाकात, मंदिर के खंडहर में बंदरों और बबुनों का नाच वगैरह. वैसे ‘का’ से मोगली की दोस्ती अंत तक होते-होते रह ही गयी. भेडिया भाइयों का बड़ा होना और मोगली के जीवन में राधा का रोमांस इससे अंदाजा लग जाता है निर्माता इसका सिक्वेल जरूर बनाना चाहते है. और अगर एक वाक्य में फिल्म की समीक्षा करनी हो तो कहा जा सकता है कि बच्चों की कहानी होने के बावजूद वयस्कों को भी यह फिल्म अच्छा लगेगा.

आयकर विभाग की टेढ़ी नजर

सीबीडीटी ने पिछले दिनों लिखी एक विभागीय चिट्ठी में अधिकारियों से आयकरदाताओं की तरफ से दाखिल इनकम टैक्स रिटर्न के उन तथ्यों की जांच करने के लिए कहा है, जिस में कुछ लोगों ने कृषिगत आय सालाना 1 करोड़ रुपए से ज्यादा बताई है. उल्लेखनीय है कि खेती से होने वाली आय को टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है. ऐसे में सीबीडीटी ने पाया कि पिछले कुछ सालों में कई आयकरदाता खेती से होने वाली आय के तौर पर बड़ी रकम इनकम टैक्स रिटर्न में दिखा रहे हैं.

सीबीडीटी ने पटना हाईकोर्ट में दाखिल उस जनहित याचिका पर संज्ञान लिया है कि खेती से होने वाली आय को बड़े पैमाने पर मनी लांड्रिंग का जरीया बना लिया गया है. खेती से होने वाली आय के जिन दावों की जांच की जानी है वे 1 अपै्रल, 2010 से ले कर  31 मार्च, 2013 के दौरान के हैं. इन 3 सालों में ऐसे कुल 1080 मामले में आए हैं. अगर हर एक मामले में आय कम से कम 1 करोड़ रुपए भी मान ली जाए, तो यह राशि कुल मिला कर 1,080 करोड़ रुपए तक पहुंच जाती है. वहीं साल 2006-07 से साल 2014-15 यानी 9 सालों के दौरान 1 करोड़ रुपए से ज्यादा खेती से होने वाली आमदनी वाले कुल 2746 मामले हैं.

इस तरह के सब से ज्यादा मामले बेंगलूरू से हैं. यहां साल 2006-07 से साल 2014-15 के दौरान कुल 321 मामले सामने आए हैं. इस के बाद दिल्ली में 275, कोलकाता में 239, मुंबई में 212, पुणे में 192, चेन्नई में 181 और हैदराबाद में 162 मामले सामने आए हैं. पार्थसारथी सोम की अध्यक्षता वाली टैक्स एडमिनिस्टे्रटिव रिफार्म कमेटी ने नवंबर, 2014 में अपनी तीसरी रिपोर्ट में कहा था कि ऐसे लोग, जो खेती से जुड़े नहीं हैं, लेकिन उन की खेती से होने वाली आय बहुत ज्यादा है, वे टैक्स से बचने के लिए और फंड के दुरुपयोग के लिए खेती से होने वाली आय के प्रावधान का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं. 

साफ पानी मिलेगा महज 1 रुपए में

साफ पानी के लिए जहां काफी मारामारी मची है, वहीं गुड़गांव के कुछ इलाकों में महज 1 रुपए में साफ पानी मुहैया होगा. यह बात भले ही चौंकाती हो, पर यह सच है. साइबर सिटी के लोगों को साफ पानी मुहैया कराने और गंदे पानी के इस्तेमाल से होने वाली बीमारियों से नजात दिलाने की पहल की जा रही है. इस के लिए महज 1  रुपए प्रति लीटर साफ पानी मुहैया कराया जाएगा. शहर में एक एनजीओ की मदद से सौ अलगअलग जगहों पर साफ पानी मुहैया कराने वाली मशीनें लगाई जाएंगी. पानी की क्वालिटी के हिसाब से ही मशीन को डिजाइन किया जाएगा.

साफ पानी हासिल करने के लिए मशीन से पानी के लिए टोकन और स्मार्ट कार्ड का प्रयोग किया जाएगा. इस मशीन से साफ पानी तो मिलेगा ही, साथ ही आप के बरतन को भी ओजोन गैस से इंफैक्शन फ्री किया जाएगा. इस काम को जल्द से जल्द शुरू करने का दावा किया जा रहा है. शहर के विभिन्न इलाकों में सप्लाईर् होने वाले पानी की क्वालिटी भी अलगअलग है. जिस इलाके में मशीन लगाई जानी है, वहां सप्लाई हो रहे पानी का सैंपल ले कर जांच कराई जाएगी. जांच में पानी की जो क्वालिटी होगी, उसी के आधार पर मशीन में टेक्निकल सेटिंग की जाएगी, ताकि लोगों को साफ पानी मिल सके. सप्लाई वाटर की क्वालिटी खराब होने पर मशीन में लगे एक अलर्ट साफ्टवेयर को इस की जानकारी मिल जाएगी. अलर्ट मिलते ही मशीन को वक्त बरबाद किए बगैर तुरंत बंद कर दिया जाएगा.

मशीन से पानी लेने के लिए टोकन डालना होगा. साथ ही, इसे स्मार्ट कार्ड से भी चलाया जा सकेगा. जिस इलाके में यह मशीन लगाई जाएगी, वहीं एक दुकानदार को इस के टोकन व स्मार्टकार्ड रीचार्ज करने के लिए नियुक्त किया जाएगा. अगर आप को ठंडा पानी चाहिए, तो उस के लिए 2 रुपए प्रति लीटर खर्च करने पडें़गे. मशीन को चलाने के लिए किसी तरह का बिजली का खर्र्च नहीं होगा. मशीन में पानी का कनेक्शन कराना होगा. इसे चलाने के लिए सोलर सिस्टम लगा होगा. पूरी मशीन सोलर सिस्टम से आपरेट होगी. मशीन से पानी भरने से पहले एक ओजोन गैस का बटन होगा, जो बरतन को इन्फैक्शन फ्री कर देगा. इस के बाद टोकन डालते ही साफ पानी आने लगेगा.

यह मशीन 1 घंटे में ढाई सौ लीटर पानी को साफ कर के पीने लायक बनाएगी. अब देखना है कि कितने लोग इस साफ पानी का इस्तेमाल कर पाते हैं या यह भी महज ढकोसला साबित होगा. जीवन के आधार पानी का मुनासिब बंदोबस्त किया जाना एक तारीफ वाला कदम कहा जा सकता है, क्योंकि पानी से ही सेहत के तमाम तार जुड़े रहते हैं. गंदा व खराब पानी पी कर आए दिन तमाम लोग बीमार पड़ते रहते हैं, फिर उन बीमार लोगों के इलाज पर अच्छाखास खर्चा आता है. गुड़गांव में एनजीओ की मदद से लगाई जाने वाली साफ पानी की मशीनों से यकीनन हजारों लोग फायदा उठा सकेंगे. इस अच्छे कदम से देश के दूसरे शहरों को भी नसीहत मिलेगी.

प्राइवेट पार्ट की रखें साफ सफाई

पूरे बदन की साफसफाई के प्रति लापरवाही न बरतने वाले मर्द भी अपने प्राइवेट पार्ट की सफाई पर खास ध्यान नहीं देते हैं, जिस की वजह से वे कई तरह के खतरनाक इंफैक्शन के शिकार हो जाते हैं. आइए जानते हैं कि प्राइवेट पार्ट की साफसफाई कैसे की जाती है और उस से होने वाले फायदों के बारे में :

बालों की छंटाई करें

प्राइवेट पार्ट के आसपास के अनचाहे बालों की समयसमय पर सफाई करनी चाहिए, वरना बाल बड़े हो जाते हैं. इस की वजह से ज्यादा गरमी पैदा होती है और इन बालों की वजह से ज्यादा पसीना निकलने लगता है. बदबू भी आने लगती है. बैक्टीरिया पैदा होने से इंफैक्शन फैल जाता है. इस वजह से चमड़ी खराब हो जाती है. खुजली, दाद वगैरह की समस्या पैदा हो जाती है. देखा गया है कि अनचाहे बाल लंबे व घने हो जाने से उन में जुएं भी हो जाती हैं, इसलिए उन्हें समयसमय पर साफ करते रहना चाहिए. प्राइवेट पार्ट के अनचाहे बालों की सफाई के लिए कैंची से छंटाई करना अच्छा उपाय है. इस के अलावा ब्लेड  या हेयर रिमूवर क्रीम का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

सावधानी

प्राइवेट पार्ट के अनचाहे बालों की सफाई जल्दबाजी, हड़बड़ी या डर कर न करें. छंटाई के लिए छोटी धारदार कैंची का इस्तेमाल करें. अनचाहे बालों को अगर रेजर से साफ करना चाहते हैं, तो नए ब्लेड का इस्तेमाल करें. पहले इस्तेमाल किए ब्लेड से बाल ठीक तरह से नहीं कटते हैं. उलटा ब्लेड कभी न चलाएं, इस से चमड़ी पर फोड़ेफुंसी होने का डर रहता है. हेयर रिमूवर क्रीम का इस्तेमाल करने से पहले एक बार टैस्ट जरूर कर लें. अगर उस से एलर्जी होती है, तो इस्तेमाल न करें.

अंग दिखेगा बड़ा

प्राइवेट पार्ट के एरिया में बाल बड़े हो जाने से अंग उन में छिप जाता है, जिस से उस का आकार छोटा दिखाई देने लगता है. अनचाहे बालों को साफ करने से अंग का आकार बड़ा दिखने लगता है. इसे देख कर आप की पार्टनर ज्यादा मोहित होती है. प्यार के पलों के समय वह ज्यादा सहज महसूस करती है.

सेहतमंद महसूस करेंगे

प्राइवेट पार्ट के एरिया को साफ रखने से अंग सेहतमंद दिखाई देता है. आप भी संतुष्ट महसूस करते हैं, क्योंकि आप निश्चिंत हो जाते हैं कि अब आप को किसी तरह का इंफैक्शन नहीं है.

यह भी करें

अंग की नियमित सफाई करें. अंग के ऊपर की त्वचा को सावधानी के साथ पीछे की ओर ले जाएं. वहां सफेदपीला क्रीमनुमा चीज जमा होती है. यह पूरी तरह से कुदरती होती है. इस की नियमित सफाई न करने से बदबू आने या इंफैक्शन फैलने का डर बना रहता है. रोजाना नहाते समय कुनकुने पानी से इसे साफ करना चाहिए. पेशाब करने के बाद अंग को अच्छी तरह से हिला कर अंदर रुके पेशाब को जरूर निकाल दें. इसे अपनी आदत में शुमार करें, क्योंकि अंग के अंदर रुका हुआ पेशाब बुढ़ापे में प्रोटैस्ट कैंसर के रूप में सामने आ सकता है. माहिर डाक्टरों का कहना है कि अगर अंग के अंदर का पेशाब अच्छी तरह से निकाल दिया जाए, तो प्रोटैस्ट कैंसर का डर खत्म हो जाता है.

अंडरगारमैंट्स पर ध्यान दें

रोजाना नहाने के तुरंत बाद ही अपने अंडरगारमैंट्स को  बदलें. कई दिनों तक इस्तेमाल किए गए अंडरगारमैंट्स पहनने से प्राइवेट पार्ट के एरिया में इंफैक्शन फैलने का डर बढ़ जाता है. दूसरों के अंडरगारमैंट्स, साबुन वगैरह इस्तेमाल न करें. इस से भी इंफैक्शन फैलने का डर रहता है. नहाने के बाद इस एरिया को तौलिए से अच्छी तरह से सुखा लें. हमेशा सूती अंडरगारमैंट्स पहनें. नायलौन के अंडरगारमैंट्स कतई न पहनें, क्योंकि उन में से हवा पास नहीं हो पाती है. इस वजह से प्राइवेट पार्ट के एरिया को भी अच्छी तरह से हवा नहीं मिल पाती है, जिस से कई तरह की बीमारियां पैदा हो सकती हैं.

सैक्स संबंध बनाने के बाद

सैक्स संबंध बनाने के बाद अंग को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए, क्योंकि सैक्स के समय व बाद में इस के अंदर कई तरह के स्राव बनते हैं. इन्हें साफ न करने पर इंफैक्शन हो सकता है. इस एरिया को पानी से साफ करें. सफाई करने के बाद अंग को अच्छी तरह से पोंछ कर सुखा लें.

सचिन तेंदुलकर पर बनी फिल्म का पोस्टर हुआ रिलीज

सचिन तेंदुलकर पर कई किताबें लिखी जा चुकी हैं तो कई बार टेलीविजन पर सचिन के महान क्रिकेटर बनने की गाथा डॉक्यूमेंट्री की सूरत में फ़ैन्स देख चुके हैं. अब एक फ़िल्म पर्दे पर जल्द आएगी जिसमें सचिन से जुड़ी कई ख़ास बाते होंगी. सचिन की ज़िंदगी पर बनी पहली फ़िल्म 'सचिन' का पोस्टर सामने आया है. फ़िल्म का पहला ट्रेलर 14 अप्रैल को दर्शकों के सामने आएगा.

फ़िल्म के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं मिली है लेकिन माना जा रहा है कि इससे पिछले 30 महीनों से बनाया जा रहा है. फ़िल्म का आख़िरी शूट मुंबई के मशहूर शिवाजी पार्क में फ़िल्माया गया जिसमें सचिन ख़ुद मौजूद थे.

सचिन फ़िल्म का पोस्टर रिलीज़ होने के कुछ ही समय में वीरेंद्र सहवाग, सुरेश रैना और रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों ने पोस्टर को ट्वीट किया. सचिन ने ख़ुद पोस्टर को ट्वीट कर अपने फ़ैन्स को जानकारी दी. सचिन ने सालों तक प्यार और समर्थन देने के लिए फ़ैन्स को शुक्रिया अदा किया.

उम्मीद करता हूं क्रिकेटरों ने शिकायत नहीं की: हर्षा भोगले

जाने-माने क्रिकेट कमेंटेटर हर्षा भोगले को अब भी नहीं पता कि आईपीएल के कमेंटरी पैनल से उनके बाहर होने का कारण क्या है, लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई कि खिलाड़ियों की शिकायत का उन्हें हटाए जाने से कोई लेना-देना नहीं होगा.

भोगले ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, 'मुझे अब भी नहीं पता कि मैं आईपीएल का हिस्सा क्यों नहीं हूं. मुझे नहीं बताया गया. मैं इस तथ्य को स्वीकार कर सकता हूं कि लोग मुझे पसंद नहीं करते. लेकिन उम्मीद करता हूं कि ऐसा इसलिए नहीं है कि मैंने जो कहा उसकी खिलाड़ियों ने शिकायत की.'

इस तरह की अटकलें हैं कि कुछ भारतीय क्रिकेटरों ने बीसीसीआई से भोगले के खिलाफ लाइव कमेंटरी के दौरान उनकी टिप्पणी को लेकर शिकायत की है, लेकिन आईपीएल कमेंटरी पैनल से उन्हें अंतिम समय में हटाए जाने का असल कारण अब तक पता नहीं चला है.

भोगले ने लिखा, 'मैं सभी युवा क्रिकेटरों से कहता हूं कि हम कभी सभी चीजों पर सहमत नहीं होते, लेकिन मेरी हमेशा इच्छा होती है कि वे अच्छा प्रदर्शन करें. मैं उन्हें रन बनाने या विकेट लेने या कैच पकड़ने से नहीं रोक सकता.' उन्होंने कहा, 'ऐसा करना उनका काम है. उन्होंने क्या किया या क्या नहीं किया, यह बताना मेरा काम है. हमारे रास्ते सराहना और असहमति से भरे हैं.'

टी20 में 300 विकेट लेने वाले पहले खिलाड़ी बने ड्वेन ब्रावो

वेस्टइंडीज़ के ऑल-राउंडर ड्वेन ब्रावो का दुनिया के कई टी20 लीग में जलवा फ़ैन्स देख चुके हैं. ब्रावो टी20 के चैंपियन खिलाड़ी हैं. उन्होंने आईपीएल में गुजरात के लिए खेलते हुए अपने टी20 करियर में एक बड़ा मुकाम हासिल किया. ब्रावो-अंतरराष्ट्रीय और घरेलू टी20 क्रिकेट मिलाकर सबसे पहले 300 विकेट लेने वाल खिलाड़ी बने.

ब्रावो ने किंग्स XI पंजाब के खिलाफ खेलते हुए पहले खतरनाक ग्लेन मैक्सवेल को बोल्ड किया फिर पंजाब के कप्तान डेविड मिलर को 15 रन पर चलता किया. ब्रावो के बाद दूसरे नंबर पर श्रीलंका के लसिथ मलिंगा का नाम आता है.

मलिंगा ने अतरराष्ट्रीय और घरेलू टी20 क्रिकेट मिलाकर 299 विकेट लिए हैं. मलिंगा चोट की वजह से मुंबई के लिए पहले मैच में नहीं खेले. तीसरे नंबर पर पाकिस्तान के यासिर आराफात हैं जिनके नाम 277 विकेट हैं. चौथे नंबर पर दक्षिण अफ्रीका के अलफॉन्सों थॉमस के 263 विकेट हैं. पांचवे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड्स के लिए खेल चुके डर्क नैनस के 257 विकेट हैं.

ऐश्वर्या लोगों से बिना शर्त के प्यार करती हैं: अभिषेक बच्चन

अभिनेता अभिषेक बच्चन ने कहा कि उन्हें अपनी पत्नी ऐश्वर्या राय बच्चन के बारे में जो चीज सबसे अच्छी लगती है वह ऐश्वर्या का अपने करीबी लोगों से बिना किसी शर्त के प्यार करना है. 20 अप्रैल को अभिषेक और ऐश्वर्या की शादी के नौ साल पूरे हो जाएंगे. अभिनेता ने ट्विटर पर प्रशंसकों के साथ बातचीत में अपनी सुपरस्टार पत्नी की जमकर तारीफें कीं.

40 साल के अभिनेता से जब एक प्रशंसक ने पूछा कि उन्हें ऐश्वर्या की कौन की चीज सबसे अच्छी लगती है तो उन्होंने जवाब में लिखा, ‘‘वह (लोगों से) बिना किसी शर्त के प्यार करती हैं.’’ अभिषेक और ऐश्वर्या ने एक साथ कई फिल्मों में काम किया है जिनमें ‘ढाई अक्षर प्रेम के’, ‘कुछ ना कहो’, ‘गुरु’, ‘रावण’ शामिल हैं. अभिनेता ने कहा कि वह ऐश्वया के साथ फिर से पर्दे पर दिखना चाहेंगे.

अभिषेक से जब एक प्रशंसक ने ऐश्वर्या के साथ फिल्म में काम करने के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया, ‘‘मैं बिल्कुल करना चाहूंगा.’’ ऐश्वर्या आखिरी बार फिल्म ‘जज्बा’ में नजर आयी थीं और अब उमंग कुमार की नई फिल्म ‘सरबजीत’ में दिखायी देंगी. फिल्म का आधिकारिक ट्रेलर 14 अप्रैल को जारी किया जाएगा.

मैं हूं छुपा रुस्तम, मुश्किलों को मात देना है पसंद: अर्जुन

अपने अब तक के फिल्मी करियर में सफलता और असफलता दोनों का स्वाद चख चुके अभिनेता अर्जुन कपूर को लगता है कि वह छुपे रुस्तम हैं और उन्हें मुश्किलों को मात देना पसंद है.

हाल में जारी फिल्म ‘की एंड का’ से दर्शकों का मनोरजंन कर रहे अर्जुन ने कहा, मुझे छुपा रुस्तम होना पसंद है. (इश्कजादे) से पहले हर कोई कहता था कि यह निर्माता का बेटा है, वह क्या अभिनय करेगा. मैंने जब ‘2 स्टेट्स’ में काम किया, तो लोगों को लगा कि मैं रोमांटिक फिल्म कैसे कर सकता हूं और ऐसा ही तब हुआ जब मैंने ‘खतरों के खिलाड़ी’ (टीवी कार्यक्रम) में काम किया.. उन्हें लगा कि मैं मेजबानी कैसे कर सकता हूं. मुझे मुश्किलों को मात देना पसंद है.

उन्होंने कहा, सफलता कारोबार या मीडिया के हाथ में नहीं बल्कि दर्शकों के हाथ में है. दर्शक मुझे पसंद कर रहे हैं और कोई मुझे खारिज नहीं कर सकता. हमें दर्शकों का सम्मान करना होगा. अर्जुन ने कहा, यहां हरेक के लिए जगह है. मुझे काम के लिए लड़ने की जरूरत नहीं है. मुझे कभी जाकर काम की तलाश नहीं करनी पड़ी. मुझे हमेशा अच्छे प्रस्ताव मिले. मुझे अपनी पहली फिल्म (इश्कजादे) के अलावा कभी किसी प्रकार का संघर्ष नहीं करना पड़ा क्योंकि उसने अच्छा प्रदर्शन किया था.

उन्होंने कहा, मुझे अभिनेता के तौर पर स्वीकार किया गया. मेरी पहली फिल्म की सफलता के कारण मैं भाग्यशाली रहा, मुझे काम के लिए किसी के पास नहीं जाना पड़ा. मैंने जो किया है और मैं जो कर रहा हूं, मैं उससे संतुष्ट हूं. अच्छा काम पाना मुश्किल नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘तेवर’ के असफल रहने के बाद कई लोगों ने मुझे खारिज कर दिया था और ‘की एंड का’ पारंपरिक फिल्म नहीं है, जिसमें मैं एक होममेकर की भूमिका निभा रहा हूं. लोग कह रहे थे कि मुझे क्या हो गया है, लेकिन मुझे लगता है कि ‘का एंड की’ की सफलता के बाद वे चुप हो गए हैं.

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