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टी20 में 300 विकेट लेने वाले पहले खिलाड़ी बने ड्वेन ब्रावो

वेस्टइंडीज़ के ऑल-राउंडर ड्वेन ब्रावो का दुनिया के कई टी20 लीग में जलवा फ़ैन्स देख चुके हैं. ब्रावो टी20 के चैंपियन खिलाड़ी हैं. उन्होंने आईपीएल में गुजरात के लिए खेलते हुए अपने टी20 करियर में एक बड़ा मुकाम हासिल किया. ब्रावो-अंतरराष्ट्रीय और घरेलू टी20 क्रिकेट मिलाकर सबसे पहले 300 विकेट लेने वाल खिलाड़ी बने.

ब्रावो ने किंग्स XI पंजाब के खिलाफ खेलते हुए पहले खतरनाक ग्लेन मैक्सवेल को बोल्ड किया फिर पंजाब के कप्तान डेविड मिलर को 15 रन पर चलता किया. ब्रावो के बाद दूसरे नंबर पर श्रीलंका के लसिथ मलिंगा का नाम आता है.

मलिंगा ने अतरराष्ट्रीय और घरेलू टी20 क्रिकेट मिलाकर 299 विकेट लिए हैं. मलिंगा चोट की वजह से मुंबई के लिए पहले मैच में नहीं खेले. तीसरे नंबर पर पाकिस्तान के यासिर आराफात हैं जिनके नाम 277 विकेट हैं. चौथे नंबर पर दक्षिण अफ्रीका के अलफॉन्सों थॉमस के 263 विकेट हैं. पांचवे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड्स के लिए खेल चुके डर्क नैनस के 257 विकेट हैं.

ऐश्वर्या लोगों से बिना शर्त के प्यार करती हैं: अभिषेक बच्चन

अभिनेता अभिषेक बच्चन ने कहा कि उन्हें अपनी पत्नी ऐश्वर्या राय बच्चन के बारे में जो चीज सबसे अच्छी लगती है वह ऐश्वर्या का अपने करीबी लोगों से बिना किसी शर्त के प्यार करना है. 20 अप्रैल को अभिषेक और ऐश्वर्या की शादी के नौ साल पूरे हो जाएंगे. अभिनेता ने ट्विटर पर प्रशंसकों के साथ बातचीत में अपनी सुपरस्टार पत्नी की जमकर तारीफें कीं.

40 साल के अभिनेता से जब एक प्रशंसक ने पूछा कि उन्हें ऐश्वर्या की कौन की चीज सबसे अच्छी लगती है तो उन्होंने जवाब में लिखा, ‘‘वह (लोगों से) बिना किसी शर्त के प्यार करती हैं.’’ अभिषेक और ऐश्वर्या ने एक साथ कई फिल्मों में काम किया है जिनमें ‘ढाई अक्षर प्रेम के’, ‘कुछ ना कहो’, ‘गुरु’, ‘रावण’ शामिल हैं. अभिनेता ने कहा कि वह ऐश्वया के साथ फिर से पर्दे पर दिखना चाहेंगे.

अभिषेक से जब एक प्रशंसक ने ऐश्वर्या के साथ फिल्म में काम करने के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया, ‘‘मैं बिल्कुल करना चाहूंगा.’’ ऐश्वर्या आखिरी बार फिल्म ‘जज्बा’ में नजर आयी थीं और अब उमंग कुमार की नई फिल्म ‘सरबजीत’ में दिखायी देंगी. फिल्म का आधिकारिक ट्रेलर 14 अप्रैल को जारी किया जाएगा.

मैं हूं छुपा रुस्तम, मुश्किलों को मात देना है पसंद: अर्जुन

अपने अब तक के फिल्मी करियर में सफलता और असफलता दोनों का स्वाद चख चुके अभिनेता अर्जुन कपूर को लगता है कि वह छुपे रुस्तम हैं और उन्हें मुश्किलों को मात देना पसंद है.

हाल में जारी फिल्म ‘की एंड का’ से दर्शकों का मनोरजंन कर रहे अर्जुन ने कहा, मुझे छुपा रुस्तम होना पसंद है. (इश्कजादे) से पहले हर कोई कहता था कि यह निर्माता का बेटा है, वह क्या अभिनय करेगा. मैंने जब ‘2 स्टेट्स’ में काम किया, तो लोगों को लगा कि मैं रोमांटिक फिल्म कैसे कर सकता हूं और ऐसा ही तब हुआ जब मैंने ‘खतरों के खिलाड़ी’ (टीवी कार्यक्रम) में काम किया.. उन्हें लगा कि मैं मेजबानी कैसे कर सकता हूं. मुझे मुश्किलों को मात देना पसंद है.

उन्होंने कहा, सफलता कारोबार या मीडिया के हाथ में नहीं बल्कि दर्शकों के हाथ में है. दर्शक मुझे पसंद कर रहे हैं और कोई मुझे खारिज नहीं कर सकता. हमें दर्शकों का सम्मान करना होगा. अर्जुन ने कहा, यहां हरेक के लिए जगह है. मुझे काम के लिए लड़ने की जरूरत नहीं है. मुझे कभी जाकर काम की तलाश नहीं करनी पड़ी. मुझे हमेशा अच्छे प्रस्ताव मिले. मुझे अपनी पहली फिल्म (इश्कजादे) के अलावा कभी किसी प्रकार का संघर्ष नहीं करना पड़ा क्योंकि उसने अच्छा प्रदर्शन किया था.

उन्होंने कहा, मुझे अभिनेता के तौर पर स्वीकार किया गया. मेरी पहली फिल्म की सफलता के कारण मैं भाग्यशाली रहा, मुझे काम के लिए किसी के पास नहीं जाना पड़ा. मैंने जो किया है और मैं जो कर रहा हूं, मैं उससे संतुष्ट हूं. अच्छा काम पाना मुश्किल नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘तेवर’ के असफल रहने के बाद कई लोगों ने मुझे खारिज कर दिया था और ‘की एंड का’ पारंपरिक फिल्म नहीं है, जिसमें मैं एक होममेकर की भूमिका निभा रहा हूं. लोग कह रहे थे कि मुझे क्या हो गया है, लेकिन मुझे लगता है कि ‘का एंड की’ की सफलता के बाद वे चुप हो गए हैं.

VIDEO: देखिए ‘सुल्तान’ का पहला पोस्टर और टीजर

सलमान खान ने अपनी बहुप्रतीक्षित फिल्म सुल्तान का एक पोस्टर और टीजर जारी किया है. पोस्टर को फेसबुक पर उन्होंने सुल्तान का पहला दांव लिखकर जारी किया है. सलमान की इस फिल्म का उनके करोड़ों प्रशंसकों को बेसब्री से इंतजार है.

सोमवार को सलमान खान ने यह पोस्टर ट्विटर पर शेयर किया है. इस पोस्टर में सलमान अपने विरोधी को ललकारते हुए दिख रहे हैं. इसमें सलमान खान सिर्फ लंगोट में नजर आ रहे हैं. वहीं आज उन्होंने फिल्म का टीजर जारी किया है.

फिल्म में सलमान खान एक रेसलर की भूमिका निभा रहे हैं. फिल्म में सलमान खान के साथ अनुष्का शर्मा भी मुख्य किरदार में नजर आएंगी. यह फिल्म ईद पर रिलीज होगी.

इस पाकिस्तानी एक्टर ने मांगा अनुष्का शर्मा का हाथ

विराट कोहली और अनुष्का शर्मा के ब्रेकअप की खबरों के बीच अब पाकिस्तानी एक्टर फवाद खान आ गए हैं. कोहली के बाद अब फवाद खान अनुष्का शर्मा के साथ अपना घर बसाना चाहते है. अनुष्का का हाथ मांगने के लिए फवाद उनके घर भी जाने का प्लान कर रहे है. वहीं दूसरी तरफ, फवाद के इस एलान के 24 घंटे के भीतर ही अनुष्का को लेकर अपने रिश्तों पर विराट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है.

दरअसल, विराट और अनुष्का के बीच रिश्तों को लेकर पिछले कई दिनों से ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि दोनों में ब्रेक-अप हो गया है. इसी बीच वर्ल्ड कप के दौरान सोशल मीडिया पर अनुष्का का मजाक उड़ाया गया, तो विराट ने उनका सपोर्ट किया. इसके बाद दोनों को साथ भी देखा गया, तो लगा की दोनों के बीच सबकुछ ठीक चल रहा है. लेकिन, फवाद एंगल के बीच में आने के बाद कोहली ने अपने रिश्ते को लेकर बेहद अनूठे तरीके से एलान कर दिया.

विराट को एक दिन पहले 'We Are On Break' टी-शर्ट पहने हुए देखा गया. टी-शर्ट पर छपे इस मैसेज में एक लड़के और लड़की को झगड़ते ही बताया गया है. माना जा रहा है कि टी-शर्ट पर छपा यह मैसेज विराट और अनुष्का के बीच रिश्तों को बयां कर रहा हैं. दोनों के बीच रिश्तों पर 'ब्रेक' लग चुका है.

नैतिकता कहां गई नीतीश जी…?

बिहार में भाजपा को पटखनी देने के बाद नेशनल लेवल पर भाजपा को तगड़ी चुनौती देने और नया राजनीतिक विकल्प तैयार करने के मकसद से नीतीश कुमार ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान तो संभल ली है, पर इस कवायद में उन्होंने नैतिकता को ताक पर रख दिया है. वहीं भाजपा की तर्ज पर आडवाणी, जोशी जैसे बुजुर्ग नेताओं की तरह नीतीश ने शरद यादव को भी ‘मार्गदर्शक’ बना कर साइड लगा दिया है.

10 अप्रैल को जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार को सर्वसम्मिति से जदयू का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया. 23 अप्रैल को पटना में होने वाली पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में इस प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लग जाएगी. शरद यादव 3 बार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं. उन्हें तीसरी बार अध्यक्ष बनाने के लिए साल 2013 में पार्टी के संविधन में बदलाव किया गया था. शरद ने इस बार पिफर से अध्यक्ष बनने के लिए पार्टी के संविधन बदलाव करने से इंकार कर दिया.

नीतीश ने अध्यक्ष बनने के बाद शरद की विरासत को आगे बढ़ाने की बात कही हैं, पर जगजाहिर है कि नीतीश और शरद की कभी भी पटी नहीं है. दोनों एक दूसरे की जड़े खोदने में ही लगे रहे हैं. पार्टी सूत्रों की मानें तो पिछले लोक सभा चुनाव में शरद यादव मधेपुरा सीट से पप्पू यादव के हाथों हार गए, इसके पीछे नीतीश की ही भीतरघात थी. नीतीश नहीं चाहते थे कि शरद सांसद बने क्योंकि इससे शरद पार्टी पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते.

राजनीति में हर बार विरोधी दलों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले नतीश ने अपने मामले में चुप्पी साध रखी है. ‘एक व्यक्ति, एक पद’ का उनका नारा पता नहीं कहां गुम हो गया है? जदयू के एक विधायक नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं कि हर राजनीतिक पार्टी के मुखिया ने अपने-अपने दलों को ‘पौकेट पार्टी’ बना रखा है. हर दल के सुप्रीमो ने कभी भी पार्टी में सकेंड लाइन के नेताओं की टीम ही नहीं तैयार की है. तेज-तर्रार नेताओं को साजिश के तहत आगे नहीं बढ़ने दिया जाता है. नीतीश ने पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेवारी लेते हुए यही जताया कि पार्टी में उनकी कद का कोई और नेता ही नहीं है? इससे तो वह खुद ही अपने उपर यह कलंक लगा लेते हैं कि उन्होंने कभी भी जदयू में सेकेंड लाइन की लीडरशिप तैयार नहीं की या तैयार नहीं होने दी.

भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी कहते हैं कि लालू यादव, ममता बनर्जी, मायावती की राह पर चलते हुए नीतीश कुमार ने भी पार्टी को अपनी जेब में रख लिया है. अध्यक्ष बन कर उन्होंने साफ कर दिया है कि उन्हें अपनी पार्टी के किसी भी बड़े नेता पर भरोसा नहीं है और न ही उनकी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्रा है. पहले उन्होंने राजनीति कर ककहरा सिखाने वाले जार्ज फर्नाडीस को किनारे लगाया और अब शरद यादव से किनारा कर लिया है.

बहरहाल, साल 2019 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी को कड़ी टक्कर देने की कवायद में नीतीश कुमार पूरी तरह से लग गए हैं. उनके करीबी नेताओं को मानना है कि नीतीश के पार्टी का अध्यक्ष बनने के बाद कई इलाकाई दलों को मिला कर एक मजबूत विकल्प बनाने का रास्ता खुल गया है. जदयू के विधन पार्षद रणवीर नंदन कहते हैं कि सभी इलाकाई दलों को एक मंच पर लाने की नीतीश की कोशिश पिछले आम चुनाव में परवान नहीं चढ़ सकी थी, पर अबकी बार उनकी कोशिश रंग लाएंगी और इससे भाजपा के चेहरे का रंग अभी से ही उड़ने लगा है.

ये भी बैठे हैं 2 पदों पर

फिलहाल एक व्यक्ति एक पद की नैतिकता की धज्जियां उड़ाने में नीतीश अकेले नहीं हैं. पश्चिम बंगान की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, ओडिसा में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता, कश्मीर की महबूबा मुफ्ती और पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल भी अपनी-अपनी पार्टी के राप्ट्रीय अध्यक्ष भी बने हुए है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी पार्टी के संयोजक और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का बोझ भी उठाए हुए हैं.

मोदी की सभा, भीड़ जुटाने में छूट रहा पसीना

14 अप्रेल को अंबेडकर जयंती के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंदौर के नजदीक महू मे दलितों की एक सभा को संबोधित करेंगे, जिसे भाजपा ने अनुसूचित महाकुंभ नाम दिया है. इस आयोजन के अपने अलग सियासी माने हैं लेकिन हाल फिलहाल भाजपाइयों को 5 लाख की तयशुदा भीड़ जुटाने में पसीने छूट रहे हैं. 9 अप्रेल को सभी जिलों में हुई कार्यकारिणी की मीटिंग्स में पदाधिकारियों के चेहरों पर मायूसी थी, ठीक यही हाल प्रदेश कार्यकारिणी की मीटिंग का था, जिसमे लटके मुंह लिए सभी भाजपाई एक दूसरे से पूछ रहे थे कि 5 लाख दलित कहाँ से और कैसे इकट्ठा कर महू तक ढो कर ले जाएँ, क्योंकि अब कोई आसानी से चलने को तैयार नहीं.

प्रदेश मे फसल कटाई शबाब पर है और किसान मजदूरों के संकट से जूझ रहे हैं ऐसे में मजदूरों को मुंह मांगा दाम मिल रहा है, अधिकतर कटाई मजदूर दलित तबके के ही हैं, जिन्हे किसी मीटिंग मे आने जाने में 2-3 दिन जाया करने से बेहतर यह लग रहा है कि हम क्यों कमाई का सुनहरा मौका हाथ से जाने दें . पिछले महीने सीहोर के शेरपुर गाँव मे आयोजित किसान कुम्भ में भीड़ जुटाने में भाजपा कार्यकर्ताओं को इतनी परेशानी नहीं झेलनी पड़ी थी क्योंकि किसान तब फुर्सत में था और तब दलित सवर्ण का भी झंझट नहीं था, अलावा इसके लोग नरेंद्र मोदी को रूबरू देखना भी चाहते थे, इस सफलता से उत्साहित मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दलित महाकुंभ के आयोजन का एलान तो कर डाला और नरेंद्र मोदी को जल्द आने मना भी लिया, पर अब छन कर जो रिपोर्ट उन तक पहुँच रहीं हैं उनके मुताबिक अगर एक लाख दलित भी इकट्ठा हो जाएँ तो बहुत हैं.

चूंकि शिवराज भीड़ को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना चुके हैं इसलिए इन रिपोर्टों से ना खुश हैं. अब भाजपाई कोशिश यह कर रहे हैं कि दलित तैयार न हों तो पिछड़े अगड़ों को ही ले चलो, वहाँ कौन जाति प्रमाण पत्र देखने बैठा है. दूसरे एक नई चर्चा यह शुरू हो गई है कि जो ज्यादा भीड़ लाएगा उसे प्रदेश कार्यकारिणी मे ले लिया जाएगा. यह अफवाह हों या सच बातें हों पर इनसे यह सच भाजपा नहीं छुपा सकती कि मोदी की लोकप्रियता कम हुई है और बहुत कम दिनों के अंतर से प्रधानमंत्री की 2 बड़ी सभाएं रखना बुद्धिमानी का फैसला इतनी भीड़ जुटाने के लिहाज से नहीं है.

इस विषम परिस्थिति से जूझ रहे भोपाल के एक भाजपा कार्यकर्ता का कहना है कि दरअसल मे 14 अप्रैल को बसपा और कांग्रेस ने भी अंबेडकर जयंती पर कार्यक्रम जगह जगह रखे हैं इसलिए भी हमे अप्रेल का यह टारगेट पूरा करने मे परेशानी हो रही है. अब देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा कैसे 14 अप्रेल को 5 लाख दलित इकट्ठा करेगी और जैसे तैसे कर भी लिए तो इस सवाल या बवाल पर क्या कहेगी कि भीड़ वाकई दलितों की थी.

अलग अलग देश, अजब गजब कानून

अमेरिका के कैलीफोर्निया राज्य के हाईवे पर 1 हजार फुट के दायरे में महिलाओं के ऐसे वस्त्र जो ब्रैस्ट को दिखाते प्रतीत हों, बेचना कानूनन अपराध है. वहां एक और अजीबोगरीब कानून है कि कोई भी पुरुष महिलाओं के कपड़े पहन कर बाहर नहीं निकल सकता. अगर किसी कारणवश उसे ऐसा करना भी हो तो इस की पुलिस से लिखित में अनुमति लेनी पड़ेगी वरना जेल जाना तय समझिए.

है न हास्यास्पद कानून? कुछकुछ हमारी खाप पंचायतों की तरह, जहां आएदिन ऐसे तुगलकी फरमान जारी होते रहते हैं. अब तो यकीन ही नहीं होता कि हम 21वीं सदी में जी रहे हैं.

भारतीय समाज में खुलापन चाहे वह पहनावे को ले कर हो या फिर सैक्स संबंधों को ले कर, हमेशा चर्चा का विषय रहा है. भारतीय आमतौर पर यह मानते हैं कि विदेशों की तुलना में हमारी संस्कृति परंपराओं के बोझ तले दबी हुई है. मगर ऐसा नहीं है. यूरोप, अमेरिका और अरब के कई देशों में ऐसे कानून हैं, जिन के बारे में जान कर आप भी हैरान रह जाएंगे.

अगर आप इन देशों की आबोहवा से रूबरू होना चाहते हैं, तो जरा वहां के कानूनों व अपराधों की जानकारी जरूर ले लें वरना कहीं ऐसा न हो कि आप वहां मस्ती करने जाएं और रंग में भंग पड़ जाए यानी आप को जेल की हवा खानी पड़ जाए.

अमेरिका के अलगअलग राज्यों में कानून कई दशक पुराने हैं और कुछ तो 100-200 साल पुराने और उन्हें न के बराबर लागू किया जाता है. कानून की किताबों में ये जमे हुए हैं पर समाज बढ़ गया है. फिर भी कभीकभार धौंस जमाने के लिए इन का इस्तेमाल कर लिया जाता है.

जानिए कुछ ऐसे ही रोचक कानूनों व अपराधों के बारे में:

वादे हैं वादों का क्या

किसी लड़की से सैक्स संबंध बना लेने के बाद अगर शादी नहीं की तो जेल जाना तय समझिए. साउथ कैरोलिना का कानून इस के लिए सख्ती से पेश आता है. यहां फैसला भी जल्दी सुनाया जाता है.

हमारे देश में इस तरह के अपराधों में पीडि़ता को ही जलालत सहनी पड़ती है. कोर्टकचहरियों के चक्कर लगातेलगाते चप्पलें घिस जाती हैं, क्योंकि न्याय मिलने में सालों लग जाते हैं. तब तक पीडि़ता पलपल अपनों के तंज सहती है. कुछ तो तंग आ कर आत्महत्या तक कर लेती हैं.

यहां मोशन और इमोशंस काबू में ही रखें

अगर आप को ओरेगन में राह चलते 1 अथवा 2 नंबर जाने की जल्दी है तो जरा ध्यान से. सार्वजनिक शौचालयों के किसी एक टौयलेट में एकसाथ 2 लोग गए तो खैर नहीं. यहां आप को मोशन पर काबू रखना होगा और इमोशंस पर भी.

मजे में सजा नहीं

सैक्स संबंध के दौरान ओरल सैक्स अथवा यौन उत्तेजना के लिए अंग में गहराई तक उंगलियों का प्रवेश कैंसास में कुछ हद तक ही करने की इजाजत है. अगर सैक्स पार्टनर को यह जरा सा भी यौन उत्पीड़न की तरह लगा और इस की शिकायत उस ने पुलिस में कर दी तो जेल जाना तय.

जुर्माना भी सजा भी

मिसीसिपी में ग्रुप सैक्स अपराध है. साथ ही अगर कोई जोड़ी सार्वजनिक जगह पर यौन प्रदर्शन में लिप्त पाई गई तो 500 डौलर जुर्माना या फिर 6 महीने जेल की सजा हो सकती है.

बार मालिक सावधान

ओकलाहोमा में बार चला रहे बार मालिकों को सख्त हिदायत है कि वे अपने बारों में सैक्स गतिविधियों को कतई न चलने दें. यहां के बारों में कपल्स द्वारा यौन गतिविधियों पर रोक है. बार में अगर कोई जोड़ी सैक्स क्रिया, हस्तमैथुन, मुखमैथुन आदि में लिप्त पाई गई तो उन पर तो कार्यवाही होगी ही, बार के मालिक को भी कानूनन सजा मिल सकती है.

सावधानी हटी दुर्घटना घटी

मिशिगन की सड़कों पर महिलाओं के छोटे, झीने परिधान जिन के अंदर से अंडरगारमैंट्स दिखते हों, पहनने पर पाबंदी है. यहां महिलाएं ऐसे कपड़े भी नहीं पहन सकती हैं जिन में उठनेबैठने, चलनेफिरने के दौरान नितंब दिखते हों. इस का उल्लंघन करने पर क्लास बी ओफैंस के तहत कानूनी कार्यवाही हो सकती है.

सही भी है, क्योंकि यातायात के नियमों का पालन करना भी जरूरी है. इधरउधर ध्यान भटका नहीं कि दुर्घटना घटी.

यहां खुले में लिंजरी टांगना मना है

न्यू हैंपशायर के एअरपोर्ट पर कपड़े टांगने की जगह पर लिंजरी तो भूल कर भी न टांगें वरना आप का कानून के शिकंजे में आना तय है. आप पर भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है. लिंजरी उस स्थिति में टांगी जा सकती है जब उस पर कोई झीना कपड़ा डाला गया हो.

वैसे हमारे यहां घर की छतों पर निकल जाइए. नजारा खुदबखुद दिख जाएगा. हमारे यहां तो पड़ोसियों को पड़ोसिनों के खूबसूरत अंडरगारमैंट्स के कलर व ब्रैंड तक की भी जानकारी होती है.

क्योंकि जमाना खराब है

न्यू मैक्सिको के एक अजबगजब कानून के बारे में आप भी जान कर चकरा जाएंगे. यहां महिलाएं ऐसे वस्त्र नहीं पहन सकतीं, जिन में स्तनाग्र दिखते हों.

गए काम से

वाशिंगटन में रहते हुए किसी अनजान को कार की चाबी देने से पहले सोचिएगा जरूर, क्योंकि आप ने जानेअनजाने किसी सैक्स वर्कर को कार की चाबी दे दी तो गए काम से. रास्ता चलते सैक्स वर्कर पकड़ी गई तो पुलिस साइरन बजाते हुए आप के घर तक दाखिल हो जाएगी. जुर्माना तो लगेगा ही, कार भी जब्त हो सकती है.

हमारे यहां तो रईसों के बिगड़ैलों को सड़कों पर सरपट कार दौड़ाते आम देखा जा सकता है. आप भले ही फुटपाथ पर चल रहे हों, फिर भी सुरक्षित नहीं हो सकते. कानून भी इन का कुछ नहीं बिगाड़ता. अभी तक सलमान खान का कुछ बिगड़ा क्या?

चुंबन बस 5 मिनट

विशेषज्ञों का मानना है कि होंठों के चुंबन से असंख्य ऐसे बैक्टीरिया का एकदूसरे के शरीर में प्रवेश होता है, जो शरीर को नुकसान नहीं फायदा पहुंचाते हैं. अगर आप भी इस फायदे का लाभ उठाना चाहते हैं तो जरा संभल कर, क्योंकि लोवा देश का कानून इस की इजाजत तय सीमा तक ही देता है. वहां सार्वजनिक जगहों पर आप अपने मन को काबू में रखें. अगर मन ज्यादा ही हिचकोले खा रहा हो तो बस 5 मिनट तक ही चुंबन का आनंद उठा सकते हैं. 5 मिनट से ज्यादा समय हो गया तो पुलिस वाला आ धमकेगा. अब यह न पूछें कि चुंबन लेते वक्त कोई पुलिस वाला वहां स्टौपवाच और डंडा ले कर खड़ा रहेगा क्या?

लालच बुरी बला है

टैक्सास में एक बड़ा ही अजीबोगरीब कानून है. वहां अननैचुरल सैक्स संतुष्टि के लिए 5 डिल्डो (रबड़ के बने मुलायम लिंग) रखने की छूट है. अगर उन की संख्या 6 हो गई तो खैर नहीं. अब 1 हो या 5, संख्या बताना भी साहस का ही काम होगा.

होटल जा रहे हैं क्या

अगर नौर्थ कैरोलिना में होटल में समय बिताने जा रहे हैं, तो जरा ध्यान से. यहां के होटलों में विवाहपूर्व किसी महिला के साथ रंगरलियां मनाते पकड़े गए तो आप की खैर नहीं. हां, विवाहित जोड़ों पर कानून का डंडा नहीं चलता पर आफत उन का भी पीछा नहीं छोड़ेगी. पुलिस को शक होने पर आप को साबित करना पड़ेगा कि साथ की महिला आप की पत्नी ही है.

बेशर्मी दिन में नहीं

उत्तरी अमेरिका के डकोटा राज्य में स्थित रैड रिवर (लाल नदी) में नहाने को ले कर अजीबोगरीब नियम हैं. इस नदी में सुबह 8 बजे से ले कर रात के 8 बजे तक नंगे नहाते पकड़े गए तो कानूनी डंडा पड़ना तय समझिए. अगर आप न्यूड बाथ के शौकीन हैं और वह भी नदी के बहते पानी में तो इस नदी में रात के 8 बजे से सुबह के 8 बजे तक इस का आनंद उठा सकते हैं.

न्यूड बाथ के शौकीन यहां रात के अंधेरे में जम कर नहाते हैं. मगर, आप जरा बच कर ही नहाएं, क्योंकि रात के समय में कहीं पानी का कोई जंतु आप के शरीर के किसी नाजुक अंग को अपना खाना समझ कर उस पर हमला न कर दे.

गंदी गंदी गंदी बात

न्यूयौर्क, इंडियाना, फ्लोरिडा व अरकांसस में अपने जज्बातों को काबू में रखना होगा. यहां खुलेआम यौन व्यवहार पर जेल की हवा खानी पड़ सकती है. अगर अरकांसस में भूल से भी किसी महिला को इशारा करते, पुचकारते जैसी भावभंगिमाएं करते पकड़ा गया तो 30 दिनों की जेल तय समझिए.

पहचान कौन…? आइडेंटिटी थीफ…!

वर्चुअल दुनिया में आइडेंटिटी की चोरी की वारदातें दुनिया भर में आम हैं. जहाँ साइबर शातिर आपकी बैंकिंग ट्रांजेक्शन, मेल, पासवर्ड आदि जानकारियाँ हैक करके डिजिटल आइडेंटिटी ले उड़ते हैं. हालांकि वर्चुअल दुनिया में इस आइडेंटिटी थेफ़्ट पर लगाम कसने के लिए कई एंटीवायरस, सॉफ्टवेयर, एप्प्लिकेशन आदि हैं लेकिन जब असल ज़िन्दगी में पहचान की चोरियां होने लगें तो क्या हो. दक्षिण भारत की दो प्रमुख वारदातों में आइडेंटिटी थेफ़्ट के चौकाने वाले 2 अलग और दिलचस्प मामले सामने आये हैं.

तमिलनाडु की एक महिला पार्वती पहचान चुराकार 23 साल तक नौकरी करती रही और किसी को भनक भी नहीं लगी. दरअसल पार्वती ने अपने ही नाम वाली दूसरी महिला का फायदा उठाते हुए बड़े शातिर अंदाज में पिता का नाम, जन्म तिथि और शैक्षणिक योग्यताओं जैसी रेकॉर्ड में हेरफेर कर नगरपालिका में उसकी नौकरी हड़प ली. 23 साल तक वह किसी और की पहचान चुराकर आराम से वेतन उठाती रही.

7 अप्रैल को मद्रास उच्च न्यायालय ने पार्वती की नौकरी खत्म करने का आदेश दिया. साथ ही पार्वती के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल होने के लिए विभाग के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी अनुशंसा की. दरअसल 1990 में पोल्लाची नगरपालिका के एंप्लॉयमेंट एक्सचेंज रेकॉर्ड में असली पार्वती चयन हुआ लेकिन जब वह नौकरी के लिए गयी तो पता चला कि किसी और पार्वती को जॉब मिल गयी है. असली पार्वती ने इस बाबत सम्बंधित विभाग में आपत्ति दर्ज की लेकिन उसकी नहीं सुनी गयी. बाद में असली पार्वती ने उच्च न्यायालय में इस बारे में याचिका दायर की. अब 23 साल बाद पहचान चोरी के मामले कें न्याय देते हुए अदालत ने धोखाधड़ी द्वारा नौकरी कब्जाने के लिए फर्जी पार्वती पर 10,000 का जुर्माना लगाया है. हालाँकि इतने सालों बाद मिला न्याय पार्वती की पहचान वापस तो ला सकता है लेकिन उसके करियर को दोबारा स्थापित नहीं कर सकता.

इस से उलट बेंगलुरु में आइडेंटिटी की चोरी के एक मामले में 4 अप्रैल को दो बहनों ने अपनी हमशक्ली का फायदा उठाते हुए एसएसएलसी बोर्ड परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने की कोशिश की. हुआ यों कि बिल्कुल अपनी बहन अनुसुइया जैसी दिखने वाली उसकी 35 साल की जुड़वा बासवालिंगम्मा एसएसएलसी के गणित के पेपर को हल कर रही थी. जबकि वह पहले ही एसएसएलसी बोर्ड परीक्षा क्लियर कर चुकी थी. चूंकि दोनों हमशक्ल थी इसलिए एक बहन ने दूसरी बहन  को पास करने के लिए पहचान चोरी कर सबको धोखे में रखा और एग्जाम हाल पहुँच गयी. आइडेंटिटी थेफ़्ट का यह मामल तब पकड़ में आया जब पड़ोसी ने फोन पर उनका भांडा फोड़ा. ऐडमिशन टिकट पर मौजूद फोटो से लड़की के चेहरे मैच किया गया लेकिन फर्क करना मुश्किल था.

आइडेंटिटी थेफ़्ट के दोनों मामलों का मिजाज अलग हैं लेकिन दोनों की मामलों सरीखे न जाने कितने फर्जीवाड़े पहचान चोरी कर अंजाम दिए जाते हैं, और कई बार असलीनकली के इस खेल में नकली बाजी मार ले जाता है.

बड़ी उम्र में विवाह जरूरी या मजबूरी

तथाकथित सभ्य समाज में भी विवाह जैसे बेहद निजी मामले में लोगों की राय बिन बुलाए मेहमान की तरह तुरंत आ टपकती है. उस पर भी बात यदि बड़ी आयु में हो रहे विवाह की हो तो सभी की नजरें उस व्यक्तिविशेष पर यों उठ जाती हैं जैसे उस ने इस उम्र में शादी कर के कोई बड़ा गुनाह कर दिया हो. अपराधी न होते हुए भी उसे लोगों की घूरती निगाहों और व्यंग्य बाणों का सामना करना पड़ता है.

समाज में इस तरह के विवाह को रंगीलेपन की श्रेणी में ही रखा जाता है. उस व्यक्ति के चरित्र पर हर तरफ से उंगलियां उठने लगती हैं. सभी ऐसा जताते हैं जैसे बड़ी उम्र में उस के विवाह कर लेने से विवाह की पवित्रता के भंग हो जाने का पूरापूरा खतरा है. बड़ी उम्र में हुए इस विवाह के कारण लोगों का विवाह के इस बंधन से भरोसा ही उठ जाएगा. क्या बड़ी उम्र में की गई यह शादी टिक पाएगी या इस उम्र में शादी कर के उन्हें क्या हासिल होगा जैसे प्रश्नों की झड़ी सी लग जाती है, जिन के उत्तर में व्यक्ति घबरा जाता है. समाज के ठेकेदार कहे जाने वालों की यह सोच उन की संकीर्ण मानसिकता को दर्शाती है. उन के हिसाब से उम्र के इस आखिरी पड़ाव को बिताने का रामभजन ही सर्वोत्तम तरीका है. क्या जरूरत है कि शादी की ही जाए?

क्या है वास्तविकता

मगर वास्तविकता कुछ और है. जीवन की अनुभवजनित सचाई यही कहती है कि बढ़ती उम्र के इस दौर में इनसान का अकेलापन भी बढ़ता जाता है. विशेषकर उन हालात में जब कोई बुजुर्ग अपने जीवनसाथी को खो चुका हो या उस से अलग हो चुका हो. कुछ शारीरिक थकान और कुछ मानसिक तौर पर असुरक्षा का भाव इनसान को अंदर ही अंदर भयभीत कर देता है. उम्र के इस पड़ाव पर व्यक्ति को एक साथी की जरूरत होती है, जो उसे मानसिक व भावनात्मक संबल दे सके, उस के दुखदर्द या मनोदशा को समझ सके और यह काम एक जीवनसाथी ही कर सकता है.

यह वह समय होता है जब बुजुर्गों के पास अनुभवों का भंडार होता है और सुनने वाले सिर्फ गिनती के. अत: एक बार युवावस्था तो अकेले बिताई जा सकती है, परंतु बड़ी उम्र के इस दौर में व्यक्ति को एक अदद साथी की जरूरत होती ही है, जो न सिर्फ न्यायसंगत है, बल्कि सुरक्षित भी. तो क्या गलत है अगर कोई बुजुर्ग अकेले होने पर किसी का दामन थाम उस के साथ जिंदगी बिताना चाहे. क्या बड़ी उम्र में वह अपनी खुशी के लिए अपनी जिंदगी के फैसले नहीं कर सकता?

जैसेतैसे क्यों जीना

वृद्धावस्था उम्र का वह दौर होता है जब व्यक्ति अपने सभी कर्तव्यों से निवृत्त हो चुका होता है. जैसे बच्चों को पढ़ालिखा, योग्य बना कर उन की शादीब्याह कर चुका होता है. बच्चे भी शादीब्याह कर अपनीअपनी जिंदगी में व्यस्त हो जाते हैं. उन की प्राथमिकताएं भी बदल जाती हैं. वे चाह कर भी अपने बुजुर्गों के साथ अधिक समय नहीं बिता पाते. तो ऐसे में क्या उन को अपनी बढ़ती उम्र के चलते जिंदगी को बोझ समझ कर जैसेतैसे जीते रहना चाहिए, या उन्हें जिंदगी के एक नए दौर की शुरुआत करनी चाहिए? इस उम्र में शादी करने का फैसला एक अहम फैसला होता है, जिस का तहेदिल से स्वागत होना चाहिए.

यहां पर फिल्म इंडस्ट्री के जानेमाने कलाकार और फिल्म मेकर करीब बेदी द्वारा 70 साल की उम्र में 42 साल की परवीन दुसांज से की गई शादी इस का बेहतरीन उदाहरण है. यह कबीर बेदी की चौथी शादी है. उन की पिछली तीनों शादियां क्यों सफल नहीं हो पाईं या उन के टूटने के क्या कारण थे, उन का नितांत व्यक्तिगत मसला है. उन रिश्तों की हकीकत कुछ भी हो, उन पर सवाल उठाना बेमानी होगा, उन के निजी मामलों में दखल होगा. लोगों द्वारा ये कयास जरूर लगाए जा रहे होंगे कि क्या यह शादी सफल होगी या फिर पिछली तीनों शादियों की तरह यह भी बिखर जाएगी?

इस बारे में रोचिका अपनी बेबाक राय देते हुए कहती हैं कि कबीर बेदी की 3 शादियां नहीं टिकीं तो चौथी शादी के टिकने में भी बड़ा संशय है. आकांक्षा का भी यही कहना है कि क्या गारंटी है कि कबीर की चौथी शादी टिकेगी ही? ऐसे में यहां एक प्रश्न उठाना चाहूंगी कि माना कि करीब बेदी की चौथी शादी के टिकने की संभावना बहुत कम है, पर जिन नवविवाहित जोड़ों की शादी महीने भर में ही तलाक के कगार पर आ खड़ी होती है. क्या उन की शादी के टिकने की गारंटी आप ले सकते हैं? यदि नहीं तो बड़ी उम्र की शादी पर इतना बवाल क्यों? किशोर कुमार की 4 शादियों के बाद भी उन की लोकप्रियता में कहीं कोई कमी नहीं हुई. आज भी उन को एक महान गायक और कलाकार के रूप में जाना जाता है.

राय जुदाजुदा

समझ व अनुभव में काफी बड़ी सुधा का कहना है कि अगर किशोर कुमार 4 विवाह कर के भी लोगों में लोकप्रिय हैं, तो इसलिए कि आम जनता उन के कार्यक्षेत्र से प्रभावित है, उन की पर्सनल लाइफ से उसे कुछ लेनादेना नहीं है. लोग किशोर कुमार की आवाज के दीवाने हैं. तो यहां पर सुधा ने अनजाने में खुद ही मेरी बात का समर्थन कर दिया, जिसे मैं पहले ही उदाहरणस्वरूप पेश कर चुकी थी. हां, सुधा  की इस बात से अवश्य सहमत हुआ जा सकता कि है शादी के नाम पर इस संस्था का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए. फिल्म जगत में किया जाने वाला कोई भी कार्य हमारे समाज खासकर युवाओं पर गहरा असर डालने वाला होता है. फिल्म इंडस्ट्री के कलाकारों- दिलीप कुमार व अमिताभ बच्चन के आर्दश जीवन का नमूना भी पेश है.

पूनम अहमद इस बात से पूरा इत्तफाक रखते हुए कहती हैं कि हर किसी के हालात अलग होते हैं. यह जरूरी नहीं है कि अगर कुछ लोगों की शादी एक आर्दश बनी हो तो सभी उसी नक्शेकदम पर चल पाएं. पूनम ने एक और तर्क दिया कि वे दोनों जब तक लिव इन में रहे कोई नहीं बोला, लेकिन जैसे ही रिश्ते को नाम दिया तो हंगामा क्यों बरपा? यहां यह बात माने नहीं रखती कि किस कारण से व्यक्तिविशेष की शादी टूटी है, बल्कि बात यहां प्रौढ़ावस्था में अपनेपन व सहारे की जरूरत की है, जिसे चाहना हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार भी है क्योंकि इस उम्र में इनसान के लिए सिर्फ भावनाओं की अहमियत होती है न कि दैहिक सुख की. बड़ी आयु की शादी की सार्थकता और प्राथमिकता इसी में समाई है.

बढ़ती उम्र में भी व्यक्ति अपने जीवन से प्यार करे और उसे जिंदादिली से जीए. एकदूसरे का सच्चा साथी, हमदर्द बन कर एकदूसरे का सहारा बने. इस से अधिक खुशी की बात और क्या हो सकती है और धीरेधीरे ही सही समाज भी बदलाव को स्वीकार अवश्य करेगा.

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