सीबीडीटी ने पिछले दिनों लिखी एक विभागीय चिट्ठी में अधिकारियों से आयकरदाताओं की तरफ से दाखिल इनकम टैक्स रिटर्न के उन तथ्यों की जांच करने के लिए कहा है, जिस में कुछ लोगों ने कृषिगत आय सालाना 1 करोड़ रुपए से ज्यादा बताई है. उल्लेखनीय है कि खेती से होने वाली आय को टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है. ऐसे में सीबीडीटी ने पाया कि पिछले कुछ सालों में कई आयकरदाता खेती से होने वाली आय के तौर पर बड़ी रकम इनकम टैक्स रिटर्न में दिखा रहे हैं.

सीबीडीटी ने पटना हाईकोर्ट में दाखिल उस जनहित याचिका पर संज्ञान लिया है कि खेती से होने वाली आय को बड़े पैमाने पर मनी लांड्रिंग का जरीया बना लिया गया है. खेती से होने वाली आय के जिन दावों की जांच की जानी है वे 1 अपै्रल, 2010 से ले कर  31 मार्च, 2013 के दौरान के हैं. इन 3 सालों में ऐसे कुल 1080 मामले में आए हैं. अगर हर एक मामले में आय कम से कम 1 करोड़ रुपए भी मान ली जाए, तो यह राशि कुल मिला कर 1,080 करोड़ रुपए तक पहुंच जाती है. वहीं साल 2006-07 से साल 2014-15 यानी 9 सालों के दौरान 1 करोड़ रुपए से ज्यादा खेती से होने वाली आमदनी वाले कुल 2746 मामले हैं.

इस तरह के सब से ज्यादा मामले बेंगलूरू से हैं. यहां साल 2006-07 से साल 2014-15 के दौरान कुल 321 मामले सामने आए हैं. इस के बाद दिल्ली में 275, कोलकाता में 239, मुंबई में 212, पुणे में 192, चेन्नई में 181 और हैदराबाद में 162 मामले सामने आए हैं. पार्थसारथी सोम की अध्यक्षता वाली टैक्स एडमिनिस्टे्रटिव रिफार्म कमेटी ने नवंबर, 2014 में अपनी तीसरी रिपोर्ट में कहा था कि ऐसे लोग, जो खेती से जुड़े नहीं हैं, लेकिन उन की खेती से होने वाली आय बहुत ज्यादा है, वे टैक्स से बचने के लिए और फंड के दुरुपयोग के लिए खेती से होने वाली आय के प्रावधान का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं. 

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