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फेसबुक बन सकता है आपकी कमाई का जरिया

ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि फेसबुक जल्द ही एक नया फीचर लाने वाला है. यह नया फीचर 'टिप जार' हो सकता है. टिप जार फीचर में यूजर्स किसी फोटो को लाइक करने की बजाय उसमें 'कैश टिप' दे सकते हैं. इस नए फीचर के बारे में सबसे पहले द वर्ज को पता चला था. दरअसल द वर्ज ने फेसबुक का एक सर्वे देखा था. जिसमें पूछा गया था कि फेसबुक पर पैसे कैसे कमा सकते हैं. इसमें एक ऑप्शन टिप जार था.

लाइक बटन की तरह काम करेगा ये माइक्रोपेमेंट फीचर

यह फीचर भी लाइक बटन की ही तरह काम करेगा. इस फीचर में यूजर्स अच्छे पोस्ट पर क्लिक करके पैसे दे सकेंगे. टिप जार जैसे फीचर को माइक्रोपेमेंट कहा जाता है. फ्लैटर जैसी कंपनियां अपने यूजर्स को कुछ पैसे ऐड करने की इजाजत देती है ताकि यूजर्स किसी अच्छे कन्टेंट पर पैसा दे सके. अगर देखा जाए तो इस तरह के फीचर्स को ज्यादा लोग नहीं अपनाते हैं. लेकिन फेसबुक के जरिए इसके हिट होने की संभावना है.

यूट्यूब की ऐसी ही स्कीम से पैसे कमा रहे हैं लोग

इससे पहले फेसबुक की इस बात को लेकर आलोचना की गई थी कि वह ऐड का रेवेन्यू पोस्ट बनाने वाले लोगों के साथ शेयर नहीं करता है. इसलिए टिप जार इस शिकायत को दूर करने का एक कदम माना जा रहा है. यूट्यूब ने इससे पहले से ही इस तरह की स्कीम को चलाया है और लाखों लोग इस स्कीम के जरिए पैसे कमा रहे हैं.

…तो ये हैं बॉलीवुड के नये राम लखन

अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ की 1989 की सुपरहिट फिल्म 'राम लखन' कई लोगों की पसंदीदा फिल्मों में से एक है. अब निर्माता रोहित शेट्टी इस फिल्म का रीमेक बनाने जा रहे हैं. जब से इस फिल्म की घोषणा हुई है, तभी से इसकी कास्टिंग को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं. अब खबर आ रही है कि फ़िल्म की कास्टिंग पूरी हो चुकी है और राम-लखन की भूमिका में शाहिद कपूर व रणवीर सिंह नजर आ सकते हैं.

'राम-लखन' के रीमेक के लिए रणवीर सिंह का नाम कई महीनों से मीडिया में आ रहा था, मगर उनके भाई की भूमिका के लिए रोहित शेट्टी के दिमाग में कई नामों और विचार चल रहे थे. लेकिन उनकी खोज अब पूरी हो गई है और रणवीर सिंह व शाहिद कपूर का नाम तय माना जा रहा है.

सूत्रों के मुताबिक शाहिद इस रीमेक में राम की भूमिका निभाएंगे, जो जैकी श्रॉफ़ ने निभाई थी. अनिल कपूर द्वारा निभाई गई लखन की भूमिका की जिम्मेदारी रणवीर सिंह को दी गई है.

इससे पहले जिन नामों की चर्चा थी…

अर्जुन – रणवीर: हालांकि सिड और वरुण से पहले इस फिल्म में बॉलीवुड के सबसे हैपेनिंग कपल के होने की बात थी – अर्जुन कपूर और रणवीर सिंह. यहां तक कि फैन्स ने तो पोस्टर तक बना डाले थे.

अभिषेक – ऋतिक: इसी दौरान यह खबर आई कि किसी भी न्यूकमर की जगह करण जौहर दो सुपरस्टार्स को लेना चाहते हैं और अभिषेक बच्चन ऋतिक रोशन को इस फिल्म के लिए अप्रोच करने की बात सामने आई.

माधुरी दीक्षित और डिम्पल कपाड़िया द्वारा निभाई गई भूमिकाओं के लिए रोहित शेट्टी 2 नई लड़कियों को कास्ट करेंगे. फिल्म की शूटिंग इस साल के अंत तक शुरू हो सकती है. जैसे ही सारी चीजें तय हो जाएगी, फिल्म को लेकर आधिकारिक घोषणा भी कर दी जाएगी. वैसे जब डायरेक्टर रोहित शेट्टी से फिल्म लेकर बात की गई तो उन्होंने बताया कि अभी वो स्क्रिप्ट पर काम कर रहे हैं. अभी कुछ भी फाइनल नहीं हो पाया है.

साउथ के फिल्म निर्माता ने की खुदखुशी

अपनी फिल्म के प्रिव्यु से नाखुश फिल्म निर्माता ने अपने ही घर में आत्महत्या कर ली. केरल के मलयालम फिल्म निर्माता अजय कृष्णनन ने अपने घर पर शनिवार को आत्महत्या कर ली. फिल्म का प्रिव्यू उन्होंने हाल ही में देखा था. अजय कृष्णनन ने ‘अवारुद रवुकल‘ फिल्म का निर्माण किया था.

जानकारी मुताबिक उन्हें अपनी फिल्म की बॉक्स ऑफिस सफलता को लेकर संदेह था. यह चिंता उन्होंने अपने परिवार वालों को भी बताई थी. इस फिल्म पर वे करीब चार करोड़ रुपए खर्च कर चुके थे और आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे.

अजय ने इससे पहले कई टीवी सीरियलों और फिल्मों में छोटे किरदार कि हैं  इस फिल्म में आसिफ अली, उन्नी मुकुंदन, अजु वर्गिज, विनय फोर्ट, हनी रोज और लेना काम कर रहे थे. अखबार की खबर के मुताबिक उनकी आत्महत्या के वक्त उनके माता-पिता भी घर पर मौजूद थे.

 

7 दिन में बन जाएगा आपका पासपोर्ट, पूरी करनी होगी ये शर्त

महीनों तक चलने वाली प्रक्रिया और जांच के झंझट के लिए इंतजार अब बीते दिनों की बात होने वाली है. अगर आपके खिलाफ किसी तरह का आपराधिक रिकॉर्ड दर्ज नहीं है तो बस 7 दिनों में पासपोर्ट आपके हाथ में होगा. विदेश मंत्रालय ने पासपोर्ट को जल्द जारी करने के लिए नई प्रक्रिया शुरू की है. विदेश मंत्रालय के इस फैसले से पासपोर्ट के लिए होने वाले पुलिस वेरिफिकेशन में लगने वाले लंबे समय से बचा जा सकेगा.

आधार, आईडी प्रूफ और ऐफिडेविट देने भर से आपको पासपोर्ट जारी कर दिया जाएगा. पहले आपको पासपोर्ट मिलेगा और फिर पुलिस वेरिफिकेशन होगा. लेकिन अगर जांच में अगर किसी व्यक्ति द्वारा दी गई सूचना गलत निकली तो उसका पासपोर्ट तो रद्द होगा ही, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी. आधार और आईडी प्रूफ की जांच भी ऑनलाइन होगी.

पासपोर्ट जारी होने में कम से कम लगने वाला एक महीने का वक्त लोगों के लिए बेहद परेशानी भरा होता है. इसके पीछे बड़ी वजह अपॉइंटमेंट का न मिलना होता है. और तो और जांच के लिए पुलिस कार्रवाई भी लंबी होती है.

 

जलसों में उलझी बसपा

मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की जमीन अब सिमटने लगी है. यह कई लिहाज से चिंता की बात है. दलित वोट लगातार भाजपा खेमे में खिसक रहे हैं और बसपा के जलसों में उलझे नेता भाजपा की चालों को कतई संजीदगी से नहीं ले पा रहे हैं. एक जलसे में बसपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व सांसद राजाराम भोपाल आए, तो उम्मीद थी कि वे दलितों के हितों की बात करेंगे, पर वे बसपा के संस्थापक कांशीराम को ‘भारत रत्न’ दिए जाने की मांग कर चलते बने, तो साफ लगा कि राज्य में पार्टी सिर्फ नाम के लिए चल रही है. 14 अप्रैल को ‘अंबेडकर जयंती’ पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महू में एक खास मकसद से बुला रहे हैं कि प्रधानमंत्री दलितों के लिए ताबड़तोड़ ऐलान करें और दलित भाजपा के पाले में बने रहें.

धरना या इश्तिहार

हड़ताल, धरने और प्रदर्शन में भी मुलाजिम ऐसा तड़का लगाते हैं, जिस से सब का ध्यान उन की तरफ जाए. उघाड़े हो कर हायहाय करना इन का खास शौक है, जो एक बार फिर भोपाल में देखने में आया, मानो सरकार इन का धंसा सीना और पसलियां देख कर पिघल जाएगी. इस हायहाय से यह जरूर समझ आया कि राज्य के कई मुलाजिम बगल के बाल जरूर साफ रखते हैं. इस से तो बेहतर होता कि वे हेयर रिमूवर बनाने वाली किसी कंपनी से इश्तिहार का करार कर लेते. खासी फीस भी मिल जाती.

जीत के लिए हवन

मध्य प्रदेश में पूजापाठ का दौर अब शबाब पर है. भजभज मंडली के कर्ताधर्ता पूजापाठ, यज्ञ, हवन करने का कोई मौका नहीं छोड़ते, उन्हें बस बहाना चाहिए. इस दफा क्रिकेट के टी 20 वर्ल्ड कप में देश की जीत के लिए उन्होंने सरेराह सड़क पर गेंदबल्ला सामने रख हवन कर डाला, तो उन पर तरस आना कुदरती बात थी.

हिम्मत ने दिलाई वरदी वालों को सजा

बीकौम की छात्रा स्मिता भादुड़ी न तो कोई पेशेवर अपराधी थी और न ही किसी थाने में उस के खिलाफ कोई केस दर्ज था. उस का गुनाह महज इतना था कि वह अपने दोस्त के साथ कार में बैठ कर बातें कर रही थी. बदमाशों की सूचना पर वहां पहुंचे तथाकथित बहादुर पुलिस वालों ने जोश में आ कर सरकारी असलहे से गोलियां दाग दीं. एक गोली ने स्मिता का सीना चीर दिया. पुलिस वालों ने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि उन के सिर पर ऐनकाउंटर के बदले मैडल और प्रमोशन पाने का जुनून सवार था. बेगुनाह छात्रा की हत्या का मामला सीबीआई को दिया गया. आखिरकार 3 पुलिस वालों को कुसूरवार मान कर उन्हें माली जुर्माने के साथसाथ उम्रकैद की सजा सुनाई गई.

इसे लाचारी, इंसाफ की राह में कानूनी दांवपेंच की चाल कहें या कुछ और, अपनी होनहार बेटी स्मिता को खो चुके परिवार को इंसाफ के लिए 15 साल का लंबा, थकाऊ और पीड़ा देने वाला इंतजार करना पड़ा. ऐनकाउंटर में शामिल पुलिस वाले इस दौरान न केवल आजाद रहे, बल्कि बचने के लिए तरहतरह के हथकंडे अपनाते रहे. इतना ही नहीं, लंबे वक्त में मजे से नौकरी कर के वे अपने पदों से रिटायर भी हो गए.

पुलिस के डरावने चेहरे से रूबरू हुए स्मिता के परिवार के दर्द का हिसाब शायद कोई कानून नहीं दे सकता है. कुसूरवार पुलिस वाले अब सलाखों के पीछे हैं. इस मामले से सीख भी मिलती है कि किसी की जान की कीमत पर मैडल व प्रमोशन पाने की ख्वाहिश देरसवेर सलाखों के पीछे पहुंचा कर भविष्य अंधकारमय भी कर देती है.

यों मारी गई होनहार छात्रा

स्मिता ऐनकाउंटर मामला रोंगटे खड़े कर देता है. स्मिता भादुड़ी उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले की मोदी कालोनी में रहती थी. उस के पिता एसके भादुड़ी मोदी कंपनी में बतौर इंजीनियर थे. उन के परिवार में पत्नी प्रतिमा के अलावा 2 बेटियां थीं, बड़ी प्रीति और छोटी स्मिता. उन का एक बेटा सुप्रियो भी था. 21 साला स्मिता बीकौम के आखिरी साल की छात्रा थी. स्मिता की दोस्ती मोहित त्योगी से थी. दोनों के बीच मुलाकातें होती रहती थीं. साल 2000 में 14 जनवरी की सर्द शाम थी वह. स्मिता अपने घर से मोहित से मिलने के लिए निकली. वे दोनों कार नंबर यूपी15जे-0898 से घूमने निकल गए.

दिल्लीदेहरादून हाईवे से सटे गांव सिवाया की कच्ची सड़क पर कार रोक कर वे बातें करने लगे. वहां कार खड़ी देख किसी ने बदमाश होने के शक में पुलिस को खबर दे दी. इसी बीच शाम के तकरीबन साढ़े 7 बजे इलाकाई थाना दौराला इंस्पैक्टर अरुण कौशिक, सिपाही भगवान सहाय व सुरेंद्र के साथ जीप ले कर वहां पहुंच गए. उन्होंने सोचा कि कोई बड़ा गैंग होगा. अपने पीछे पुलिस की गाड़ी देख मोहित ने कार आगे बढ़ा दी. इस पर पुलिस वालों ने पीछा करते हुए एकसाथ 11 गालियां दाग दीं. गोलियां कार पर भी लगीं और एक गोली ने स्मिता के सीने को चीर दिया. कुछ ही देर में उस की मौत हो गई.

बुरी तरह घबराया मोहित कार रोक कर सरैंडर करने की मुद्रा में फौरन बाहर आ गया. पुलिस वालों ने उसे पीटपीट कर दोहरा कर दिया. इस बीच इंस्पैक्टर अरुण कौशिक ने पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दे दी थी कि बदमाशों से मुठभेड़ हो गई है और दोनों तरफ से गोलीबारी हो रही है. मौके पर पहुंचे तब के एसएसपी आरपी सिंह को भी गुमराह करने की कोशिश की गई, लेकिन दहशतजदा मोहित की जबानी हकीकत खुलते ही सभी के होश उड़ गए. छींटदार सलवारसूट व सफेद रंग का कार्डिगन पहने खून से लथपथ स्मिता कार की सीट पर पड़ी थी. नासमझी का परिचय दे कर इंस्पैक्टर ने खून से अपने हाथ रंग लिए थे. बेगुनाह छात्रा की मौत पर तीनों पुलिस वालों को फौरन सस्पैंड कर दिया गया.

जिन दिनों यह ऐनकाउंटर हुआ था, उन दिनों पुलिस वालों के सिर पर जुनून सवार था कि ऐनकाउंटर करो और प्रमोशन पाओ. दरअसल, पुलिस की नौकरी में थोड़ी बहादुरी से प्रमोशन पा लिया जाता था. इंस्पैक्टर अरुण कौशिक भी इसी फोबिया के शिकार थे. पुलिस ने समझदारी दिखाई होती, तो स्मिता आज जिंदा होती. चश्मदीद गवाह मोहित की तरफ से इंस्पैक्टर अरुण कौशिक, सिपाही भगवान सहाय व सुरेंद्र के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया. खाकी पर खून के छींटे लगने का मामला तूल पकड़ गया. तीनों आरोपियों को जेल भेज दिया गया.

इंसाफ की लंबी लड़ाई

यह मामला उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तक पहुंचा, तो केस सीबीआई को चला गया. सीबीआई 3 साल तक जांच करती रही. इस बीच तीनों आरोपी जेल से छूट गए और बहाली पा कर नौकरी करने लगे. इतना ही नहीं, इंस्पैक्टर अरुण कौशिक सीओ भी बन गए. केस वापस लेने के लिए सीबीआई ने 26 फरवरी, 2004 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की. अदालत में सुनवाई कई साल चलती रही. आरोपी पुलिस वालों ने पीडि़त परिवार पर कई तरह से दबाव बनाया. मोहित को डरायाधमकाया गया, लेकिन इंसाफ की आस में उस ने हार नहीं मानी. तीनों आरोपियों ने मामले को खत्म करने के लिए हाईकोर्ट से स्टे ले लिया और मजे से नौकरी की. आरोपियों ने कानूनी हथकंडे अपना कर अदालत बदलने की मांग की और कई सुनवाई पर पेश नहीं हुए. नौकरी कर के तीनों रिटायर भी हो गए.

सालों चले केस में गाजियाबाद स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने हत्या, जानलेवा हमले व मारपीट का कुसूरवार करार देते हुए आखिरकार 14 दिसंबर, 2015 को तीनों आरोपियों को उम्रकैद व डेढ़डेढ़ लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई. जज नवनीत कुमार ने अपनी टिप्पणी में कहा कि मामला विरल से विरलतम अपराध की श्रेणी में आता है. वरिष्ठ लोक अभियोजन अधिकारी कुलदीप पुष्कर की इस मामले में अदालत में दी गई यह दलील माने रखती है कि पुलिस का काम कानून का पालन करना और कराना है. अगर पुलिस ही कानून का पालन न करे और कानून का गलत इस्तेमाल कर किसी की हत्या कर दे, तो ऐसे हालात में समाज में दहशत फैलती है. कुसूरवार पुलिस वालों पर आरोप साबित होने में 15 साल, 9 महीने और 16 दिन लग गए. सजा होते ही तीनों को डासना जेल भेज दिया गया.

दर्द से गुजरा परिवार

बेटी की मौत से दुखी भादुड़ी परिवार जिस गम, दहशत और दर्द के दरिया से गुजरा, उस की भरपाई कानून की कोई धारा नहीं करती. पुलिस का घिनौना रूप आज भी उन्हें डराने का काम करता है. उन चंद लफ्जों ने इंजीनियर एसके भादुड़ी की दुनिया हिला दी थी, जब एक पुलिस अफसर ने उन से कहा, ‘आप की बेटी को पुलिस ने गलती से गोली मार दी है और उस की मौत हो गई है.’

उस रात की यादें कोई नहीं भुला पाता. सिरफिरे पुलिस वालों की करतूत से हंसतेखेलते परिवार पर स्मिता की मौत के साथ ही गम व मुसीबतों का पहाड़ टूट गया. बेटी स्मिता की मौत के गम में मां प्रतिमा भादुड़ी डिप्रैशन में आ गईं. लाख समझाने पर भी वे बेटी का दर्द नहीं भुला सकीं. ज्यादा दवाओं के सेवन से उन का लिवर खराब हो गया. वे बीमार हुईं, तो इलाज कराया गया. परिवार माली रूप से परेशान हो गया. बाद में साल 2011 में उन की मौत हो गई. स्मिता का भाई सुप्रियो ग्राफिक डिजाइनर है. दोनों बापबेटे अकेले रहते हैं. अदालत के फैसले से वे खुश तो हैं, लेकिन कहते हैं कि ऐसा करने वालों को फांसी होनी चाहिए थी.               

क्या सबक लेगी पुलिस

स्मिता का मामला उन पुलिस वालों के लिए एक सबक है, जो वरदी की हनक में बिना सोचेसमझे कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं. मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में अव्वल दर्जा हासिल कर रही उत्तर प्रदेश पुलिस में ऐसे पुलिस वालों की एक बड़ी जमात है, जो गंभीर आरोपों से दामन दागदार किए हुए है. उन के कारनामे जनता में डर पैदा करते हैं. पुलिस से आम आदमी कितना सुरक्षित महसूस करता है, इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोग आज भी थाने में आने से डरते हैं. पुलिस अगर बेगुनाहों के खून से हाथ रंगने लगे, तो बात सोचने वाली हो जाती है. स्मिता का मामला सबक जरूर देता है कि गलत कामों की सजा देरसवेर मिलती जरूर है. इस मामले में पुलिस वाकई सबक लेगी, इस में शक है.

साइज जीरो की देन ऐनोरैक्सिया

फैशन की दुनिया में फ्रांस पूरे विश्व की अगुआई करता है. लेकिन फ्रैंच सरकार ने हाल ही में एक ऐसा फैसला किया, जिस के कारण अब जल्द ही फैशन की दुनिया में खूबसूरती के पैमाने बदल जाएंगे. दरअसल, फ्रांस में साइज जीरो मौडल और मौडलिंग पर प्रतिबंध लग गया. फैशन और खूबसूरती को केंद्र में रख कर दुनिया में चलने वाले उद्योग के लिए अपनेआप में यह बहुत बड़ा फैसला है. हालांकि इस से पहले 2006 में इटली और स्पेन में और 2013 में इसराईल में भी साइज जीरो पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है. लंदन फैशन वीक में साइज जीरो ले कर जीरो टौलरैंस की चर्चा हुई थी. लेकिन इस पर चर्चा आम नहीं हुई. अब जब फ्रांस ने यह फैसला किया है तो हर तरफ चर्चा हो रही है. इस की वजह यह है कि फ्रांस या कहें पैरिस ही फैशन का पैमाना तय करता रहा है. इसी कारण दुनिया की फैशन इंडस्ट्री एक हद तक इस से स्तब्ध भी है.

दरअसल, प्रतिबंध लगाते हुए फ्रांस की सरकार ने संसद में इस सिलसिले में एक बिल भी पास किया है, जिस में सरकार की ओर से कहा गया है कि जिन मौडल्स का बीएमआई यानी बौडी मास इंडैक्स एक तय पैमाने से कम है, उन के जरीए अपने उत्पाद का प्रचार नहीं किया जा सकेगा और न ही उन्हें फैशन शो का हिस्सा बनाया जा सकता. इस संबंध में हाल ही के दिनों में फ्रांस सरकार ने अपनी संसद में एक कानून भी पास किया है. इस कानून का उल्लंघन होने पर 6 महीने तक की सजा का प्रावधान किया गया है. इतना ही नहीं सजा के साथसाथ 75 हजार यूरो यानी लगभग क्व50 लाख तक जुर्माना भी हो सकता है.

मौडलों के लिए सरकारी निर्देश में साफ तौर पर कहा गया है कि मौडलिंग कैरियर शुरू करने से पहले सेहत के लिए सरकारी जांच से गुजरना होगा. जांच में मौडल की लंबाई और लंबाई के अनुपात में वजन और चेहरे के गठन की जांच करानी होगी. इस के बाद एक फिटनैस सर्टिफिकेट दिया जाएगा. इस के बगैर कैरियर की शुरुआत नहीं हो सकती. बगैर इस सर्टिफिकेट के किसी मौडल को असाइन नहीं किया जा सकता. अगर कोई मौडल इस सर्टिफिकेट के बगैर काम करती है तो उस पर लगभग क्व2 लाख 70 हजार का जुर्माना होगा. वहीं एजेंसी के लिए कहा गया है कि किसी विज्ञापन में अगर मौडल की फिगर को स्पैशल इफैक्ट के जरीए छरहरा दिखाया जा रहा है तो स्पष्ट शब्दों में यह लिखा होना चाहिए. इस का उल्लंघन करने पर विज्ञापन एजेंसी के खिलाफ काररवाई के तहत जेल या जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं. यहां तक कि इंटरनैट पर किसी वैबसाइट को साइज जीरो या ऐनोरैक्सिया का समर्थन करते पाया गया तो इसे भी कानूनन अपराध माना जाएगा.

साइज जीरो

मोटेतौर पर साइज जीरो का आशय सब जान चुके हैं. यह जीरो फिगर का पर्याय बन चुका है. लेकिन यह साइज जीरो आखिर है क्या? दरअसल, यह जीरो साइज महिलाओं की ड्रैस का साइज है. मोटे तौर परमहिलाओं की फिगर का माप छाती, कमर और नितंबों से लिया जाता है. एक आदर्श फिगर का मानदंड क्रमश:

30-22-32 इंच (76-56-81 सैंमी.) से ले कर 33-25-35 इंच (84-64-89 सैंमी.) के बीच माना जाता है.

बहरहाल, इस प्रतिबंध के बाद फ्रांस में इस का काफी विरोध किया जा रहा है. विरोध में तर्क दिया जा रहा है कि ऐनोरैक्सिया और छरहरी काया एक नहीं हैं. ऐनोरौक्सिया एक तरह की बीमारी है, तो छरहरी काया शारीरिक गठन है. जबकि एक संतुलित पैमाने के अनुसार 5 फुट 7 इंच की लंबाई के लिए आदर्श वजन 55 किलोग्राम माना गया है.

क्या है ऐनोरैक्सिया

गौरतलब है कि आजकल लड़कियां अपनी फिगर को ले कर अत्यधिक सचेत हैं. इन में से बहुत सारी ऐनोरैक्सिया से पीडि़त हो जाती हैं. ऐनोरैक्सिया वह मैडिकल स्थिति है, जिस में भूख बिलकुल मर जाती है. यह अपनेआप में पूरी तरह से कोई बीमारी नहीं है. इसे एक तरह का भावनात्मक विकार माना गया है, जिस में मोटा हो जाने के भय के कारण व्यक्ति खाना खाने से कतराता है. तब यह ऐनोरैक्सिया नर्वोसा कहलाता है. यह इटिंग डिसऔर्डर भी कहलाता है. इस तरह का डिसऔर्डर लड़कों के बजाय ज्यादातर लड़कियों में ही पाया जाता है. ऐसी लड़कियां खाना खाने के बाद उलटियां करने लगती हैं ताकि शरीर में फैट न जमा हो.

ऐनोरैक्सिया की शिकार

इस डिसऔर्डर से मरने वाली मौडलों की सूची बहुत लंबी है. बताया जाता है कि अब तक इस बीमारी से लगभग 600 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. कुछ समय पहले इस तथाकथित साइज जीरो डाइट ने ब्राजीलियन मौडल अना कैरोलिना रेस्टन की जान ले ली थी. उन का कोई डाइट चार्ट नहीं था. वे केवल और केवल सेब और टमाटर खाती थीं.

इसी तरह ऐनोरैक्सिया की ताजा शिकार हैं कैलिफोर्निया की मशहूर मौडल रशैल फराक. वे लगातार मौत की ओर बढ़ रही हैं. लंबे समय से वे ऐनोरैक्सिया नर्वोसा से पीडि़त हैं. 37 साल की फराक का वजन महज 18 किलोग्राम है. इस वजन के साथ कोई अस्पताल भी उसे भरती करने को तैयार नहीं है. हालांकि इलाज चल रहा है. लेकिन यह काफी महंगा है. सोशल मीडिया में रशैल फराक के इलाज के लिए फंड इकट्ठा किया जा रहा है. रशैल को अपनी गलती का एहसास हो गया है और वे फिर से स्वस्थ होना चाहती हैं. लेकिन इलाज का खर्च उठाना उन के बस की बात नहीं है. इसीलिए विभिन्न सोशल मीडिया में रशैल फराक ने यह कहते हुए अपील की है कि मेरा नाम रशैल है. मेरी मदद कीजिए. मुझे आप की मदद की सख्त जरूरत है. रशैल और उस के पति ने एक ‘गो फंड मी’ नाम का एक पेज भी बनाया है. इस पेज के जरीए दुनिया भर से मदद की अपील की गई है. मगर कोलंबिया विश्वविद्यालय में इटिंग डिसऔर्डर पर शोध करने वाली विशेषज्ञों की एक टीम का कहना है कि भले ही इलाज के लिए फंड इकट्ठा हो जाए, पर रशैल की हालत इतनी बिगड़ चुकी है कि उस के ठीक होने में शक है.

डाइट के फेर में

वैसे छरहरा होने की चाह केवल लड़कियों में ही नहीं होती. एक ब्रिटिश रोमांटिक कवि लौर्ड बायरन को भी थी. छरहरी काया की चाह में ये ब्रिटिश कवि साल के हर मौसम में पसीना बहा कर दुबला होने की चाह में ऊनी कोट पहना करते थे. सुबह नाश्ते में वे ब्रैडस्लाइस का एक टुकड़ा और 1 कप चाय, शाम को 1 कप ग्रीन टी और डिनर में थोड़ी सी सब्जी लेते थे. 1806 में लौर्ड बायरन का वजन 88 किलोग्राम था, जो 1811 में घट कर 57 किलोग्राम रह गया.

आस्ट्रिया के सम्राट फ्रांत्स जोसेफ की प्रेमिका ऐलिजाबेथ बन विटेल्सबाथ ने कभी अपना वजन 48 किलोग्राम से अधिक नहीं होने दिया. बताया जाता है कि वे खाने में केवल संतरा और दूध लेती थी. रोज अपनी कमर का माप लिया करती थीं. वजन जरा भी अधिक हो तो खानापीना बंद कर देती थीं. इसी तरह लेडी डायना भी अपनी फिगर को ले कर बहुत सचेत थीं. बहुत नापतौल कर खाना खाती थीं. हालिया साइज जीरो कौन्सैप्ट की शुरुआत पश्चिम में हुई. हौलीवुड अभिनेत्रियां केटी मौस, जेडी किड, सारा जेसिका, केट बोसवर्थ, एलेक्सा चुंग, निकोल रित्शे अपने जीरो साइज के लिए जानी जाती हैं. लेकिन यही साइज जीरो आज पश्चिम फैशन दुनिया के गले की फांस बन चुका है. पर अब इस से पीछा छुड़ाने का जुगाड़ शुरू हो गया है. जहां एक तरफ एक के बाद एक देश साइज जीरो पर प्रतिबंध लगा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ अरमानी, विक्टोरिया बेकहैम जैसे नामीगिरामी फैशन हाउसों ने साइज जीरो मौडल से काम न कराने का फैसला कर लिया है.

पश्चिम की फैशन दुनिया से भारत में भी साइज जीरो का चलन शुरू हुआ. करीना कपूर खान साइज जीरो की पर्याय बनीं. इस के बाद कैटरीना कैफ, प्रियंका चोपड़ा से ले कर दीपिका पादुकोण तक बहुत सारी अभिनेत्रियां इस राह पर चलीं. लेकिन हमारे यहां विद्या बालन, सोनाक्षी सिन्हा, परिणीति चोपड़ा, हुमा कुरैशी, सनी लियोनी ने साइज जीरो न होते हुए भी दर्शकों के दिलों में जगह बनाई है.

किचन टाइल्स साफ करें ऐसे

किचन को रोज पूरी तरह से साफ करना हर किसी के लिए मुश्किल होता है. ऐसे में किचन फ्लोर और किचन वाल टाइल्स पर गंदगी जमा होने लगती है और जब सफाई करने की बारी आती है तो समझ में नहीं आता कि इसे कैसे साफ करें.

जानिए, कुछ आसान उपाय जो टाइलों पर जमा गंदगी साफ करने में आप की सहायता करेंगे:

किचन फ्लोर की सफाई

  1. किचन फ्लोर पर रोज पोंछा लगाएं. पोंछे के पानी में डिटर्जैंट या कीटाणुनाशक का प्रयोग जरूर करें. यह ध्यान रखें कि जिस कपड़े से पोंछा लगा रही हैं, वह साफ हो और इस्तेमाल के बाद भी उसे अच्छी तरह धो लें.
  2. यदि आप के घर में चींटियां हों, तो पोंछे के पानी में 1 बड़ा चम्मच नमक डाल लें.
  3. यदि आप कुछ दिनों के बाद फर्श साफ कर रही हैं, तो पोंछा गरम पानी से लगाएं.
  4. पोंछा लगाने के बाद फर्श को दूसरे सूखे पोंछे से साफ करें. इस से फर्श चमक उठेगा और फर्श पर धूल भी नहीं जमेगी.
  5. यदि फर्श पर कुछ गिर जाए तो उसे तुरंत साफ करें. वहां दाग न बनने दें.

सफाई किचन की टाइलों की

किचन की टाइलों को आप निम्न घरेलू चीजों से भी साफ कर सकती हैं:

  1. सिरका: 2 कप सिरका और 2 कप पानी को मिला कर स्प्रे बोतल में भर लें. फिर इसे टाइलों पर स्पे्र कर माइक्रो फाइबर कपड़े से साफ करें. यह कपड़ा दूसरे किसी भी कपड़े की तुलना में गंदगी को ज्यादा अच्छी तरह अवशोषित कर लेता है और इस से सतह पर खरोंचें भी नहीं पड़तीं.
  2. बेकिंग सोडा: बेकिंग सोडे का इस्तेमाल कर आप टाइलों पर लगे दागों से आसानी से छुटकारा पा सकती हैं. बेकिंग सोडा और पानी का पेस्ट बना लें और फिर उसे दागों पर लगाएं. 10-15 मिनट तक सूखने दें. फिर गीले कपड़े से साफ करें. यदि दाग फिर भी साफ न हों तो किसी पुराने टूथब्रश से रगड़ कर साफ करें.
  3. ब्लीच या अमोनिया: यदि आप को अपनी टाइलों पर कीटाणु दिखाई दें, तो ब्लीच और पानी को समान मात्रा में मिला लें. इस मिश्रण को कीटाणु वाली सतह पर गोलाकार मुद्रा में लगाएं. अब टाइलों को गरम पानी से साफ करें. इस के बाद सूखे कपड़े से साफ कर लें. याद रखें ब्लीच का इस्तेमाल करने से पहले हाथों में दस्ताने जरूर पहन लें

ध्यान रखें

  1. टाइल्स को साफ करने के लिए कभी तेजाब या अन्य हार्ड लिक्विड क्लीनर का प्रयोग न करें.
  2. यदि रोज किचन वाल टाइल्स साफ करती हैं तो पानी में थोड़ा सा डिटर्जैंट मिला कर साफ करें.
  3. टाइल्स को लोहे की जाली से रगड़ कर साफ करने की कोशिश न करें.
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