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मेकअप ट्रिक्स फौर औयली स्किन

गरमी का मौसम आते ही धूप, धूलमिट्टी और पसीने से त्वचा चिपचिपी होने लगती है. ऐसे मौसम में औयली स्किन और भी ज्यादा औयली और चिपचिपी होने लगती है. ऐसी त्वचा की खूबसूरती निखारने के लिए ब्यूटी टिप्स बता रही हैं मेकअप आर्टिस्ट पिंकी चावला:

औयली स्किन मेकअप: औयली स्किन वाली महिलाएं गरमी के मौसम को भी अन्य मौसमों की तरह ऐंजौय कर सकती हैं. स्किन चाहे कैसी भी हो अगर खूबसूरती को निखारने के लिए आप समर में कुछ स्पैशल ट्रिक्स का इस्तेमाल करेंगी, तो आप की त्वचा भी रहेगी फ्रै श और सुंदर.

स्किन क्लीनिंग पर दें ध्यान: मेकअप करने से पहले चेहरे को धोएं और स्क्रब करें. फिर उसे क्लींजर, क्लींजिंग मिल्क से साफ करें. क्लींजर त्वचा को गहराई से साफ तो करते ही हैं साथ ही अतिरिक्त औयल को भी औब्जर्ब कर लेते हैं. मेकअप करने से पहले अपने चेहरे को अलकोहल फ्री टोनर से साफ करें. इसे क्लींजर से चेहरा साफ करने के 5 मिनट बाद ही लगाएं.

फेस मेकअप: स्किन में ऐक्स्ट्रा शाइन लाने के लिए औयल फ्री, चिकनाई सोखने वाले फाउंडेशन और टिंटेड मौइश्चराइजर का प्रयोग करें. औयली स्किन पर मेकअप से पहले ऐंटीशाइन प्राइमर लगाएं. जरूरत के अनुसार इसे दोबारा भी लगा सकती हैं.

मौइश्चराइजर व फाउंडेशन: अगर आप अच्छी क्वालिटी का मौइश्चराइजर लगाएंगीतो मेकअप ज्यादा देर तक टिका रहेगा और आप का लुक भी बेहतर लगेगा. हमेशा औयल फ्री या वाटर बेस्ड मौइश्चराइजर का प्रयोग करें. औयल फ्री फाउंडेशन त्वचा के ओपन पोर्स को पूरी तरह ढक देता है. अच्छे रिजल्ट के लिए इसे थोड़े से मौइश्चराइजर के साथ मिला कर चेहरे पर ब्रश या उंगलियों की मदद से लगाएं.

ट्रांसल्यूशन पाउडर: फाउंडेशन लगाने के बाद ट्रांसल्यूशन पाउडर लगाएं. इसे फाउंडेशन लगाने के करीब 10 मिनट बाद लगाएं. ट्रांसल्यूशन पाउडर लाइट कलर का ही हो. इस से फोरहौड, चीक्स और नोज को हाईलाइट करें.

कंसीलर: औयली स्किन पर अधिकतर पिंपल्स व मार्क्स होते हैं. ऐसे में अपनी स्किनटोन से मिलताजुलता कंसीलर पिंपल्स व मार्क्स पर ब्रश या उंगलियों से थपथपाते हुए लगाएं ताकि वे छिप जाएं.

औयल ब्लौटिंग शीट: अपने पास हमेशा औयल ब्लौटिंग शीट रखें. इस से आप आराम से फेस पर आए ऐक्स्ट्रा औयल को औब्जर्ब कर सकती हैं.

आईज मेकअप: गरमी में पसीने की वजह से आईज मेकअप ज्यादा देर न टिक फैल जाता है. इस के लिए आप मोबिलीन न्यूयौर्क वौल्यूम ऐक्सप्रैस मसकारा और यार्डले ऐक्टिव लैश मसकारे का प्रयोग करें. यह आप की आईलैशेज को घना दिखाने के साथसाथ देर तक टिका भी रहेगा. आईब्रो पैंसिल से आंखों को सही आकार दें और आईशैडो लाइट ब्राउन या ग्रे ही लगाएं. इस में आईज अट्रैक्टिव लगेंगी.

चीक्स मेकअप: औयली स्किन के लिए लिक्विड ब्लशर का इस्तेमाल करें. यह चीक्स पर एकसार सा लगेगा और फैलेगा भी नहीं. इसे ब्रश की सहायता से चीक्सबोंस से ले कर कनपटियों तक फैला कर लगाएं. यह स्किन को अलग ही ग्लो देगा.

लिप्स मेकअप: गरमी के मौसम में अपने लिप्स पर लिपबाम और पैट्रोलियम जैली लगाना न भूलें. इन्हें लगाने से लिप्स स्मूद रहते हैं और लुक भी बेहतर रहता है.

औयली स्किन होने के कारण

अन्य स्किन की तुलना में औयली स्किन वाली महिलाएं अधिक उम्र तक जवां दिखती हैं. ऐसी स्किन पर रिंकल्स, फाइन लाइन आदि पड़ने की संभावना जल्दी नहीं रहती है. लेकिन औयली स्किन बहुत जल्दी शाइन करने लगती है, जिस से मेकअप बहुत ही जल्दी उतर जाता है. ऐसी स्किन पर पिंपल्स और ऐक्ने जल्दी होते हैं. औयली स्किन के कारणों को जान कर उन का समाधान करें.

जैनेटिक्स: त्वचा के प्रकार निर्धारण करने में जैनेटिक्स महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. अगर आप की फैमिली में किसी की स्किन औयली होगी तो वह आप की स्किन पर भी प्रभाव डालेगी. वह आप की स्किन के पोर्स से अधिक से अधिक औयल छोड़ेगी.

अधिक मात्रा में प्रयोग: हम सभी अपनी स्किन को साफ, सौम्य और सुंदर बनाने के लिए ब्यूटी प्रोडक्ट्स का प्रयोग करते हैं. लेकिन अत्यधिक क्रीम, जैल, कैमिकल पील आदि से स्किन में औयल पैदा होता है जिस से स्किन औयली होती है.

मौसम का बदलाव: मौसम का बदलना भी औयली स्किन का कारण होता है. गरम और उमस वाला मौसम औयल के लैवल को बढ़ाता है. गरम और ठंडे मौसम में जब ज्यादा औयल निकलता है, तो स्किन को ड्राई होने से बचाता है और औयली स्किन को और ज्यादा औयली कर देता है.

हारमोनल बदलाव: यौवन, गर्भावस्था, रजोनिवृत्ति हारमोन की अस्थिरता को बढ़ावा देते हैं. ऐसे समय में महिलाओं के शरीर से अधिक औयल का उत्पादन होता है.

दवा: अत्यधिक औयली स्किन दवा के सेवन से भी होती है. जैसे हारमोनल बर्थ कंट्रोल पिल्स और हारमोनल रिप्लेसमैंट दवाओं से. सुंदर त्वचा और अच्छी सेहत के लिए ऐसी दवाओं का सेवन डाक्टर की सलाह से व कम से कम करें.

तनाव: तनाव शरीर पर बहुत प्रभाव डालता है. जब तनाव होता है उस समय भी औयल का उत्पादन ज्यादा होता है, जिस से स्किन औयली हो जाती है.

औयली स्किन की बेसिक देखभाल

  1. एक बोतल में एकतिहाई गुलाबजल, एकतिहाई विज हैजल और एकतिहाई डिस्टिल वाटर मिलाएं. फिर बोतल को फ्रिज में रख दें. जरूरत के अनुसार त्वचा पर लगा कर फ्रैश हो जाएं.
  2. औयली स्किन वाली महिलाएं हमेशा मुंह धोने के लिए कुनकुने पानी का इस्तेमाल करें. कुनकुना पानी चेहरे पर जमी गंदगी को बेहतर ढंग से साफ करता है.
  3. औयली स्किन वाली महिलाएं नियमित रूप से त्वचा की साफसफाई करें. दिन में 2 बार पूरे फेस को अच्छी तरह साफ करें ताकि औयल कम हो सके.
  4. चेहरे पर बहुत ज्यादा स्क्रब न करें. हफ्ते में 2-3 बार ही करें.
  5. समयसमय पर नैचुरल फेस मास्क का प्रयोग करेें. यह फेश से ऐक्स्ट्रा औयल को सोख लेता है और चेहरे से हार्मफुल बैक्टीरिया को भी हटाता है.

न करें ये फैशन मिस्टेक

दिल्ली शहर फैशनपरस्त महिलाओं का है. खासतौर पर दिल्ली मैट्रो का महिला कोच. रोजाना 20 मिनट के सफर में मैट्रो में कई नए फैशन से रूबरू हुआ जा सकता है. मार्केट में क्या लेटैस्ट है, मैट्रो में मौजूद लड़कियों के पहनावे को देख कर ही पता चल जा मैट्रो में एक लड़की को देख कर पता चला कि क्रौप टौप की तरह क्रौप जैकेट्स भी फैशन में हैं. लेकिन जैसे ही वह लड़की मैट्रो से उतरी तो लोगों की मुसकराहट का सबब बन गई. वजह जैकेट ही थी. दरअसल, उस लड़की की जैकेट इतनी छोटी थी कि जरा सा भी हाथ ऊपरनीचे करते ही जैकेट के नीचे पहना इनर दिखने लग जाता था. अब स्टाइलिश जैकेट की ही तरह स्टाइलिश इनरवियर भी ले लेती तो उसे फैशन डिजास्टर का शिकार न होना पड़ता.

एक छोटी सी फैशन मिस्टेक पूरे लुक की धज्जियां उड़ा देती है. फैशन डिजाइनर विनीता पाणिग्रही कहती हैं कि फैशन को आजमाने से पहले उसे समझने की जरूरत होती है. यदि ऐसा हो जाए तो फैशन ब्लंडर्स से बचा जा सकता है. वाकई, फैशनेबल बनने की होड़ में महिलाएं अकसर कौपी कैट बन जाती हैं. दूसरों की नकल कर वे खुद पर ऐसी चीजें आजमाने लगती हैं, जो उन्हें बिलकुल सूट नहीं करतीं. यहीं से शुरुआत होती है फैशन मिस्टेक्स की.

सैक्सी दिखने के लिए स्किन ऐक्सपोजर: सैक्सी लुक फैशन का एक हिस्सा है. विनीता बताती हैं कि ओवरऔल ड्रैसअप, हेयरस्टाइल, फुटवियर और परफैक्ट ऐटीट्यूड लुक को सैक्सी बनाता है न कि क्लीवेज, वेस्टलाइन और ओपन बैक का दिखावा. इस के अलावा किस अवसर पर सैक्सी दिखना चाहिए, इस बात को ले कर भी महिलाओं में काफी भ्रम है, जबकि घर से ले कर दफ्तर तक कहीं भी सैक्सी लुक अपनाया जा सकता है.

कपड़ों में न हों फिट तो कैसे होंगी हिट: कुछ महिलाओं पर फैशन का भूत इस कदर सवार रहता है कि उन के लिए शरीर का आकारप्रकार कोई माने नहीं रखता. ऐसे में कई बार आउटफिट साइज में छोटे आ जाते हैं और उन्हें पहनने से वे बौडी शेप को उभारने लगते हैं, जो भद्दा लगता है. साइज में बड़े कपड़े पहनना भी फैशन ब्लंडर्स में गिना जाता है.

ज्यादा चुस्त कपड़े हों या फिर ढीलेढाले, दोनों ही सूरत में आप की ही बौडी शेप बिगड़ती है. अत: अपने साइज के कपड़े पहनें. मोटी महिलाओं को ज्यादा टाइट कपड़े नहीं पहनने चाहिए. ज्यादा टाइट कपड़ों में न तो शरीर पतला दिखता है और न ही लुक अच्छा लगता है, उलटे इस से मांसपेशियों पर खराब प्रभाव पड़ता है. दुबलीपतली महिलाओं को बहुत स्किन टाइट कपड़े नहीं पहनने चाहिए वरना वे और भी पतली लग सकती हैं.

रंगों में फेरबदल है जरूरी: कुछ चुनिंदा रंग कुछ लोगों पर बहुत फबते हैं, लेकिन दूसरे रंगों से परहेज कर आप फैशनपरस्त लोगों की लिस्ट में खुद को शामिल नहीं कर पाएंगी.

गुलाबी रंग हर लड़की का फैवरेट होता है, लेकिन इस का मतलब यह नहीं कि हर अवसर पर आप गुलाबी रंग का आउटफिट ही पहनें. रंग बदल कर पहनने से पर्सनैलिटी में निखार आता है. अवसर और जगह के हिसाब से रंगों का चुनाव आप को फैशनेबल बनाएगा. फिर भी किसी विशेष रंग को पहनने से परहेज हो तो उस के अलग शेड्स से क्या दुश्मनी? उन्हें तो ट्राई किया ही जा सकता है. लेकिन रंग में फेरबदल करने के साथ रंगों के सही कौंबिनेशन का ज्ञान भी बहुत जरूरी है. कलर सैंस होना बहुत महत्त्वपूर्ण है जैसे 2 बोल्ड कलर्स का कौंबिनेशन फैशन एरर कहलाएगा. इतना ही नहीं हर रंग के लिए एक सही समय होता है. यदि लाल रंग तेज धूप में पहन लिया जाए तो वह उस समय के हिसाब से काफी चटक है, तो पीला रंग रात में भद्दा लगता है.

गरीबी की वजह

इस देश में गुलामी, गरीबी, जाति की ऊंचनीच रखने में भाषा का बड़ा हिस्सा रहा है. पंडों ने गरीबों को सदियों से पढ़ना पाप घोषित कर रखा था और राम ने शूद्र शंबूक को मारा भी इसीलिए था कि वह पढ़ रहा था. मुगलों ने अपने कामकाज के लिए थोड़े से लोगों को पढ़ाया, पर वह नाकाफी था और हिंदू नीची जातियों को तो छोडि़ए, मुसलमान भी ज्यादातर अनपढ़ हैं. अंगरेजों ने इस बारे में उदारता बरती, पर 1857 के बाद उन्होंने समाज सुधारों का काम हिंदुस्तानियों पर छोड़ दिया और हिंदुस्तानी नेताओं ने सिर्फ ऊंची जातियों को पढ़ाया. 1947 के बाद आजादी की कुछ शर्तों या वादों में से हरेक को पढ़ाना शामिल था और चाहे सरकारी स्कूल कहिए या आरक्षण, पढ़ने का मौका बहुतों को मिला.

अब एक नई भाषा थोपी जा रही है. अंगरेजी तो पहले से ही थी, अब कंप्यूटर की भाषा थोपी जा रही है, ताकि जानकारी थोड़े से लोगों के हाथों में रहे. हर चीज को कंप्यूटर पर औनलाइन करने का मतलब है कि देश की 98 फीसदी जनता को अब न अपने बारे में कुछ पता चलेगा, न दूसरों के बारे में. उलटे अगर उन्होंने सरकारी औनलाइन भाषा में अपनी बात नहीं की तो वे सरकार की निगाहों में आदमी ही नहीं रहेंगे, आधी सदी पहले तक अछूतों की तरह. आधार कानून बनवा कर सरकार ने, इस में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों शामिल हैं, एक आदमी की मौजूदगी उस का कंप्यूटर पर होना बना दिया है. कंप्यूटर से बात करने के लिए उसे खास पंडों की जरूरत होगी, जो पहले के विघ्न खत्म करने वाले पंडों की तरह दक्षिणा ले कर काम करेंगे. किसी की भी कंप्यूटर की पत्री में गलत जानकारी डाल देना अब आसान हो गया है और एक बार जानकारी गलत डल गई, तो हजारों रुपए खर्च किए बिना ठीक न होगी.

आम गरीब अधपढ़ों को अब न मकान मिलेगा, न स्कूल में दाखिला, न सस्ती खाद, न वोटर कार्ड. अगर उन के पास कंप्यूटर पत्री नहीं होगी या उस में गलती होगी. अब कंप्यूटरों से शिकायत भी नहीं की जा सकती. पहले हाकिम से लिखवा कर काम करवाया जा सकता था, पर जम कर बनती औनलाइन सरकार में हाकिम भी कंप्यूटर के आगे फेल रहेगा. कंप्यूटर एक तरह से पिछले जन्म के पापपुण्य का फल देने वाला हो जाएगा. आम आदमी की हर गलती कंप्यूटर में दर्ज रहेगी, चाहे उस ने कल की थी या 10 साल पहले. आधार कार्ड की सहायता से कंप्यूटर पूरा कच्चाचिट्ठा रखेगा. अब हर समय बिग बौस सिर पर सवार रहेगा. खबरदार, जो कोई गलती की. केवल कंप्यूटर की भाषा जानने वाले ही इस का तोड़ निकाल सकेंगे. कंप्यूटर हैक कर के पिछलीअगली जानकारी बदली जा सकती है, पर उस के लिए जन्म महापंडित की तरह लेना होगा या महापंडित को पैसे दे कर पिछले पापों से छुटकारा पाना होगा. आम जना तो फिर गुलाम होने जा रहा है.

सुंदरता से मिलता है आत्मविश्वास: नरगिस फाखरी

फिल्म ‘रौकस्टार’ से बौलीवुड में डैब्यू करने वाली अभिनेत्री नरगिस फाखरी ने बौलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. नम्र स्वभाव और स्पष्टभाषी नरगिस ने अपने बोल्ड अंदाज के जरीए यह दिखा दिया है कि कैमरे के आगे भी वे किसी सीन को परफौर्म करने में जरा भी नहीं घबरातीं. उन्हें बोल्ड फोटोशूट से भी कोई परहेज नहीं है

आसान नहीं थी राह

अमेरिका की नरगिस फाखरी मुंबई में अकेली रहती हैं. वे अपनी मां से मिलने कभीकभी अमेरिका जाती रहती हैं, क्योंकि वे भी वहां अकेली रहती हैं. शुरू में नरगिस की मां को यहां की फिल्म इंडस्ट्री और नरगिस के काम को समझना थोड़ा मुश्किल हुआ था पर जब नरगिस ने अपनी फिल्में मां को दिखाईं, तो उन्होंने भी नरगिस का आगे बढ़ने में सहयोग किया. मुंबई आ कर खुद को सैटल करना नरगिस के लिए आसान नहीं था. 2009 के स्विमसूट कैलेंडर से उन्हें अच्छे पैसे मिले और फिर उन्होंने यहां रहने का निश्चय कर लिया. नरगिस को कैलेंडर में देख कर ही उन्हें फिल्म रौकस्टार मिली. नरगिस फाखरी अपनी सेहत का खास ध्यान रखती हैं. अपनी खूबसूरती को बनाए रखने के लिए संतुलित आहार लेती हैं और खूब पानी पीती हैं. वे कहती हैं कि ग्लैमर वर्ल्ड में हमेशा सुंदर दिखना आवश्यक है. सुंदरता से आत्मविश्वास बढ़ता है. ऐसे में अपनी सुंदरता को बनाए रखने के लिए वे फलोंसब्जियों का खूब सेवन करती हैं.

स्किन केयर जरूरी

त्वचा को चिकना और ग्लोइंग बनाए रखने के लिए नरगिस क्लींजिंग, फेशियल, स्क्रब आदि का प्रयोग करती हैं. वे कहती हैं कि त्वचा हमेशा सुंदर दिखे इस के लिए यह ध्यान रखना चाहिए कि आप की त्वचा नमीयुक्त रहे. सूखी त्वचा में रैशेज दिखाई देते हैं. जब नरगिस दिनरात बाहर शूटिंग में व्यस्त रहती हैं, तो वालनट स्क्रब के द्वारा मेकअप को हटाती हैं. इस से मेकअप रोमछिद्रों से पूरी तरह बाहर निकल जाता है. साथ ही चेहरे का रक्तसंचार भी सुचारु रहता है. रात को सोते समय वे मौइश्चराइजर जरूर लगाती हैं. मल्टी कल्चरल बैकग्राउंड से होने की वजह से नरगिस के घर में बचपन से ही नैचुरल स्टफ अधिक प्रयोग किया जाता था. जब वे भारत आईं तो उन्हें लगा कि वे मदर नेचर के पास आ गई हैं, क्योंकि यहां हर वह चीज उपलब्ध है, जिसे खा कर या लगा कर आप अपनी त्वचा को सुंदर रख सकती हैं. इस के अलावा नरगिस नियमित वर्कआउट भी करती हैं. अमेरिका के न्यूयौर्क में वे काफी दूर तक टहल सकती थीं, पर भारत में ऐसा संभव नहीं है. इसीलिए वे घर पर ही डीवीडी लगा कर जुंबा वर्कआउट करती हैं.

नरगिस चूंकि ठंडी जगह से आई हैं, इसलिए भारत जैसे गरम स्थान पर अपनी त्वचा का खास खयाल रखना पड़ता है. वे उन्हीं उत्पादों का इस्तेमाल अपनी त्वचा के लिए करती हैं, जो उन्हें सूट करते हैं. वे धूप में अधिक नहीं जातीं. उन्हें अधिक मेकअप का भी शौक नहीं है. वे अपनी आंखों और होंठों पर अधिक ध्यान देती हैं. उन्हें हेयर कलर पसंद नहीं. नरगिस फाखरी कहती हैं कि बालों को सुंदर बनाए रखने के लिए वे सप्ताह में 1 बार बालों की मसाज करवाती हैं. इस के अलावा अधिक मीठा नहीं खातीं और गहरी नींद सोती हैं. फिलहाल नरगिस फिल्म ‘बैंजो’ में अमेरिका की एक डीजे की भूमिका निभा रही हैं. इस फिल्म के लिए उन्होंने काफी तैयारी की है. इस में रितेश देखमुख उन के कोस्टार हैं. इस फिल्म में उन्हें महाराष्ट्रियन कल्चर को करीब से जानने का मौका मिला है. जिस से वे बहुत खुश हैं.

क्यों डोनेट किया गया WWE सुपरस्टार चायना का दिमाग

WWE सुपरस्टार चायना की मौत के बाद ये कंफर्म हो गया है कि उनका दिमाग सेंट्रल ट्रॉमैटिक एंसीफैलोपैथी की रिसर्च के लिए दान में दिया जाएगा. इस बात की जानकारी चायना के मैनेजर एंथॉनी एंजैल्डो ने दी है.

चायना के मैनेजर एंथनी ने कहा, "हम चायना का दिमाग दान में देना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि रिसर्च से जो भी जानकारी निकलकर सामने आए वो हमें पता चले ताकि हम उस टेस्टिंग को कैमरे में कैद कर लें और चायना की डॉक्यूमैंट्री में इस्तेमाल कर सकें”.

कौन कौन है डोनेशन लिस्ट में

इससे पहले केविन नैश, मिक फोले और रॉब वैन डैम जैसे सुपरस्टार्स भी अपना दिमाग रिसर्च के लिए डोनेट करने पर राजी हुए हैं. जॉन सीना ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि वो भी अपना दिमाग रिसर्च के लिए दान में दे सकते हैं. जॉन सीना अपने शरीर के काफी हिस्से पहले से ही डोनेट कर चुके हैं. जॉन सीना ने कहा था कि वो लोगों की मदद करने के लिए ये कर सकते हैं.

क्या है सीटाई?

सीटीई (क्रोनिक ट्रॉमैटिक एंसीफैलोपैथी) एक तरह की दिमाग की बीमारी है. इस दशक में सीटीई की रिसर्च नई ऊंचाइयों पर पहुंच रही है  जिस से कि एथलीट्स के सही सेहत के बारे में जानकारी मिल सके. साल 2013 में रिलीज हुई फिल्म कंकसन में इस बीमारी के बारे में दिखाया गया था.

भारत को मिला चौथा ओलंपिक टिकट

रियो ओलंपिक के लिए हरियाणा के एक और पहलवान संदीप तोमर ने भी अपना टिकट पक्का कर लिया है. हरियाणा के सोनीपत के फ्री स्टाइल पहलवान संदीप तोमर ने मंगोलिया में हुई विश्व क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में यूक्रेन के आंद्रे यात्सेनको को 11-0 से मात दे कांस्य पदक हासिल किया.  उन्होंने 57 किग्रा वर्ग में तीसरा स्थान हासिल कर भारत को एक और कोटा दिला दिया.  

मुकाबले में इकलौते भारतीय पहलवान सिलेक्ट…

– विश्व क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में रविवार को मुकाबले में एकमात्र संदीप ने ही जीत हासिल की, बाकी अन्य भारतीय पहलवानों को खाली हाथ लौटना पड़ा.

– बता दें कि रियो डी जेनेरियो में पांच से 21 अगस्त तक होने वाले ओलंपिक खेलों में हर वजन वर्ग के सिर्फ तीन शीर्ष पहलवान ही ओलिंपिक कोटा हासिल कर सकते थे, इसलिए संदीप को तीसरा स्थान प्राप्त करने के लिए अपने वर्ग के कांस्य पदकधारी से भिड़ना पड़ा.

– संदीप ने कांस्य पदक के क्वालीफिकेशन राउंड के दौरान खुद को संभाले रखा और दबदबा बनाते हुए यूक्रेन के पहलवान आंद्रिय यातसेंको को 11-0 से पराजित किया.

– ओलिंपिक क्वालीफिकेशन से पहले संदीप ने तुर्की के सेजान एकगुल को 11-0 और किर्गिस्तान के युलुकबेक झोलदोशबेकोव को 4-1 से शिकस्त देकर सेमीफाइनल राउंड में जगह बनाई.

– हालांकि वह सेमीफाइनल राउंड की बाधा पार नहीं कर सके और अजरबैजान के मिरजालाल हसन जादा से करीबी मुकाबले में 8-8 से हार गए.

– संदीप ने कांस्य पदक के मुकाबले में मोलदोवा के एलेक्साडरू चिरतोआका को 10-0 से शिकस्त देकर सुनिश्चित किया कि उन्हें ओलिंपिक में लड़ने का मौका मिले.

नरसिंह यादव (74 किग्रा) ने गत वर्ष लास वेगस में हुई विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने के साथ भारत को पहला ओलंपिक कोटा दिलाया था. इस वर्ष हाल में एशियाई क्वालिफिकेशन टूर्नामेंट में योगेश्वर दत्त ने 65 किग्रा में स्वर्ण पदक जीतकर और हरदीप ने ग्रीको रोमन वर्ग के 98 किग्रा में रजत पदक जीतकर भारत को ओलंपिक कोटा दिलाया था.

वजन वर्ग 57, 65 और 74 किग्रा हमारी ताकत: गुरु महाबली सतपाल

संदीप के क्वालीफाई करने पर खुशी व्यक्त करते हुए द्रोणाचार्य अवॉर्डी कुश्ती गुरु महाबली सतपाल ने कहा, यह बड़ी अच्छी बात है कि जिन तीन वजन वर्गों 57, 65 और 74 किग्रा में हमें ओलंपिक में सबसे ज्यादा पदक की उम्मीद है, उनमें भारत को ओलंपिक कोटा मिल चुके हैं. ये वजन वर्ग हमेशा हमारी ताकत रहे हैं और पिछले दो ओलंपिक में हमने ऐसे ही वजन वर्गों में पदक जीते हैं. मैं संदीप को ओलंपिक कोटा हासिल करने के लिए बधाई देता हूं जिन्होंने देश को चौथा ओलंपिक टिकट दिलाया है.

भरोसे पर खरे उतरे संदीप

भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि उन्हें खुशी है कि संदीप उनके भरोसे पर खरे उतरे. उनकी इस साल एशियन चैंपियनशिप की स्वर्णिम सफलता और उनकी मौजूदा फॉर्म को देखते हुए उन्होंने उन्हें दल में शामिल करने की पहल की जिससे उन्हें विरोध का भी सामना करना पड़ा लेकिन उन्हें खुशी है कि संदीप ने न सिर्फ ओलंपिक कोटा दिलाया बल्कि एक चैम्पियन की तरह खेलते हुए मुकाबला जीते.

अब तक ये पहलवान हो चुके चयनित

इससे पहले लंदन ओलम्पिक के कांस्य पदक विजेता योगेश्वर दत्त (पुरुषों की 'फ्रीस्टाइल' 65 किलोग्राम), नरसिंह पंचाम यादव (पुरुषों की 'फ्रीस्टाइल' 74 किलोग्राम) और हरदीप सिंह (ग्रीको-रोमन 98 किलोग्राम) ने रियो डी जेनेरियो में 5 से 21 अगस्त तक होने वाले ओलंपिक खेलों में जगह बनाई है.

अगले 3 महीने बेहद अहम

कोटा हासिल करने के बाद संदीप तोमर बहुत खुश हैं. उन्हें लगता है कि इस क्वालीफायर से पहले उन्होंने जो कड़ी मेहनत की, यह उसी का फल है. उन्होंने कहा कि, “मैं फाइनल में चूकने के बाद वह थोड़ा निराश था, लेकिन मेरे लिए जहां तक संभव हो, अपने दिमाग से उस हार को निकालना महत्वपूर्ण था. अब मुझे अपना सारा ध्यान ओलिंपिक पर लगाना होगा और यह अगले तीन महीने काफी अहम होने वाले हैं”.

जीत से उत्साहित संदीप ने कहा कि इस जीत ने ओलंपिक के लिए टॉनिक का काम किया है और वह ओलंपिक में पदक जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.

 

सुल्तान के गुडविल एम्बैसडर बनने पर मचा बवाल

बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान की भारतीय ओलंपिक दल के गुडविल एम्बैसडर के तौर पर नियुक्ति पर हंगामा शुरू हो गया है जिसमें स्टार पहलवान योगेश्वर दत्त और महान स्प्रिंटर मिल्खा सिंह ने इस पर सवाल उठाए जबकि आईओए और कुछ अन्य एथलीटों ने इस फैसले का समर्थन किया.

सलमान अपनी आगामी फिल्म 'सुल्तान' में पहलवान की भूमिका निभा रहे हैं. उन्हें शनिवार को स्टार महिला मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम, हॉकी कप्तान सरदार सिंह और निशानेबाज अपूर्वी चंदेला और अन्य की मौजूदगी में भारतीय ओलंपिक संघ ने गुडविल एम्बैसडर चुना है.

यह पद काफी अहमियत रखता है और आईओए के इसके लिए सलमान को चुनने के फैसले पर खेल जगत विभाजित है, जिसमें लंदन ओलंपिक के कांस्य पदकधारी योगेश्वर और महान एथलीट मिल्खा ने इसकी आलोचना की है.

आईओए ने हालांकि सलमान का नाम चुनने के फैसले का समर्थन किया. आईओए के उपाध्यक्ष तरलोचन सिंह ने कहा कि जब जानी मानी हस्तियां लोगों से मदद करने की अपील करती हैं तो साधारण सी बात है कि हमें और प्रचार मिलता है जो खेल के लिये अच्छा है. युवाओं में प्रवति है कि वे इस तरह की फिल्मी हस्तियों से प्रेरणा लेते हैं. अगर हम इनका इस्तेमाल करते हैं तो इसमें कोई नुकसान नहीं है.

उन्होंने यह भी कहा कि हम इसके लिए सलमान खान की मदद ले रहे हैं और उन्हें कुछ दे नहीं रहे हैं. आईओए सलमान को एक कौड़ी भी नहीं दे रहा. योगेश्वर ने कहा कि इस तरह की नियुक्ति के लिए सलमान ने कुछ नहीं किया है.

योगेश्वर: किसी खिलाड़ी को चुना जाना चाहिए

योगेश्वर ने हिंदी में ट्वीट किया,  “हर किसी को भारत में अपनी फिल्म प्रोमोट करने का अधिकार है लेकिन ओलंपिक फिल्म प्रोमोट करने की जगह नहीं है” .

योगेश्वर को लगता है कि इस भूमिका के लिए किसी खिलाड़ी को ही चुना जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि उन्हें समझ नहीं आता कि एथलीटों को इस तरह की नियुक्ति से क्या फायदा होगा. उन्होंने कहा कि क्या कोई मुझे बताएगा कि गुडविल एम्बैसडर की भूमिका क्या है आप लोगों को मूर्ख क्यों बना रहे हैं.

इस 33 वर्षीय पहलवान को लगता है कि इस काम के लिए कोई खिलाड़ी ही सही रहता. उन्होंने लिखा, एथलीट जैसे पीटी उषा और मिल्खा सिंह ने मुश्किल समय में देश के लिये मेहनत की, लेकिन इस दूत (सलमान) ने खेल के क्षेत्र में क्या किया है.

योगेश्वर ने कहा कि सलमान की नियुक्ति से क्या होगा? क्या पदक ज्यादा आ जायेंगे? अगर आपको ये नाटक ही करना था तो किसी खिलाड़ी को दूत क्यों नहीं बना दिया. उन्होंने लिखा, देश को पदक की जरूरत है, प्रायोजकों की नहीं.

मिल्खा सिंह : आईओए ने किया गलत फैसला

मिल्खा सिंह को भी लगता है कि आईओए ने गलत फैसला किया है और उन्हें अपने इस कदम पर दोबारा विचार करना चाहिए.

उन्होंने पूछा, भारत ने इतने सारे खिलाड़ी पैदा किये हैं, जिन्होंने देश के लिए पसीना और खून बहाया है जैसे पीटी उषा, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, अजीत पाल और अन्य बहुत सारे. इनमें से किसी एक को गुडविल एम्बैसडर बनाना चाहिए था. बॉलीवुड से किसी को इसके लिए लाने की क्या जरूरत थी.

साल 1958 और 1962 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले मिल्खा ने कहा कि किसी भारतीय खिलाड़ी को इस पद के लिए नहीं चुने जाने की बात से उन्हें काफी दुख हुआ है.

मिल्खा ने कहा कि मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं सलमान खान के खिलाफ नहीं हूं लेकिन आईओए का फैसला गलत है और सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए. ऐसा पहली बार है जब मैं देख रहा हूं कि ओलंपिक के लिए किसी बॉलीवुड अभिनेता को गुडविल एम्बैसडर बनाया गया है.

मैं पूछना चाहता हूं कि क्या कभी बॉलीवुड ने किसी खिलाड़ी को अपने बड़े कार्यक्रम के लिए दूत बनाया है? उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि सलमान खान के दूत बनाने के फैसले को संशोधित किया जाना चाहिए.

धनराज पिल्लै: कोई खिलाड़ी ही बनें ब्रैंड एम्बैसडर

पूर्व हाकी स्टार धनराज पिल्लै ने भी उनकी भावनाओं का समर्थन किया. पिल्लै ने कहा, मैं किसी खिलाड़ी को ही ब्रैंड एम्बैसडर देखना चाहूंगा. हमारे पास मिल्खा सिंह, पीटी उषा, अभिनव बिंद्रा जैसे खिलाड़ी मौजूद हैं. इसमें कोई शक नहीं सलमान बॉलीवुड में सबसे अहम चेहरा हैं और जो भी वह कहता है, वह बिकता है. लेकिन खेलों में, मुझे लगता है कि खिलाड़ी को ही दूत बनाया जाना चाहिए.

सरदार और मैरीकॉम: जागरूक होंगे लोग

हालांकि सरदार और मैरीकॉम को लगता है कि अगस्त में रियो ओलंपिक से पहले बॉलीवुड हस्ती का आकर्षण ओलंपिक खेलों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करेगा.

सरदार ने कहा कि सलमान के अपार प्रशंसक हैं. उनके विचार खेलों के बारे में काफी अच्छे हैं और भारतीय खेलों के लिए उनका गुडविल एम्बैसडर बनना अच्छी चीज है. काफी लोग उनकी वजह से ओलंपिक खेलों से जुड़ रहे हैं. लेकिन लोग अपने विचार रखने के लिए स्वतंत्र हैं. मैं उनकी राय का सम्मान करता हूं.

लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली मैरीकॉम ने कहा, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, यह एथलीटों के लिए अच्छी चीज है. उनके जैसा ब्रैंड एम्बैसडर रखना हमारे लिए अच्छा है.

कृष्णा पूनिया: सलमान की लोकप्रियता नकारा नहीं  जा सकता

राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदकधारी चक्का फेंक एथलीट कृष्णा पूनिया ने कहा कि हालांकि कोई एथलीट इस पद के लिए अच्छा विकल्प होता लेकिन सलमान की लोकप्रियता को नकारा नहीं जा सकता.

पूनिया ने कहा कि हमारे देश में एथलीटों की कोई कमी नहीं है. पीटी उषा, सचिन तेंदुलकर और कई अन्य ने हमें गौरवान्वित किया है. लोग हालांकि फिल्मी सितारों को पंसद करते हैं और शायद यही सोच रही होगी कि इससे ओलंपिक खेलों को लोकप्रिय बनाने में मदद मिलेगी. मैं उन्हें इस भूमिका के लिए शुभकामनायें देती हूं.

क्या ‘सुलतान’ से डर गए हैं किंग खान…?

बॉलीवुड के लिए इस साल की शुरुआत अन्य वर्षों की तरह ही हुई थी कि कौन सी बड़ी फिल्म कब रिलीज हो रही है. और इसी के साथ चर्चा थी कि इस साल ईद पर शाहरुख और सलमान का आमाना सामना होगा.

जहां शाहरुख इस मौके पर 'रईस' रिलीज करना चाहते थे वहीं सलमान, जो हर साल ईद पर अपनी एक बड़ी फिल्म रिलीज करते हैं, 'सुल्तान' के साथ तैयारी में थे. बॉलीवुड में दोनों के क्लैश की जबर्दस्त चर्चा थी.

हालांकि फिल्मी पंडित इस क्लैश को दोनों ही स्टार्स के लिए फायदे का सौदा नहीं बता रहे थे. यहीं से उम्मीद जगी थी कि कोई एक अपनी फिल्म के साथ कदम पीछे लेगा.

कहते हैं कि दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है. लगता है शाहरुख भी कुछ इस तर्ज पर काम कर रहे हैं. उनकी फिल्म 'दिलवाले' ने दर्शकों को काफी निराश किया. हाल ही में रिलीज हुई 'फैन' भी कमाई के मामले में काफी पीछे चल रही है. ऐसे में शाहरुख 'रईस' के साथ कोई रिस्क लेने के मूड में बिल्कुल भी नहीं हैं.

शाहरुख खान के प्रशंसकों के लिए एक बुरी खबर है. किंग खान की अगली फिल्म के लिए फैन्स को ज्यादा इंतजार करना पड़ सकता है. फिल्म 'रईस' का इंतजार अब और लंबा होने वाला है. इस मामले में कहा यही जा रहा है कि शाहरुख ने अपनी फिल्म रिलीज टाल दी है.

अब यह 2017 में आएगी, क्योंकि अगस्त के बाद भी बड़ी तारीखें अन्य स्टार्स पहले ही बुक कर चुके हैं. बता दें कि 'रईस' में शाहरुख के साथ नवाजुद्दीन सिद्दीकी और पाकिस्तान की एक्ट्रेस माहिरा खान हैं.

वो 'रईस' को 26 जनवरी 2017 को रिलीज करना चाहते हैं, लेकिन इस मौके पर रितिक रोशन के होम प्रोडक्शन में बन रही फिल्म 'काबिल' के रिलीज होने की उम्मीद है. इस फिल्म का निर्देशन संजय गुप्ता कर रहे हैं. अब शाहरुख के पास बहुत विक्लप नहीं है. ऐसे में उन्होंने फिल्म को टालना ही बेहतर समझा. जल्द ही शाहरुख इस बात की पुष्टि करेंगे.'

उसके बाद दिवाली के मौके पर वो फिल्म रिलीज के लिए प्लान कर रहे थे, उसी समय अजय देवगन की फिल्म 'शिवाय' और करण जौहर की फिल्म 'बार बार देखो' रिलीज हो रही है. ऐसी खबरें भी आई थीं कि शाहरुख अपने दोस्त करण से अपनी फिल्म की रिलीज आगे ले जाने के लिए बात कर रहे हैं. लेकिन लगता है दोनों के बीच इस मसले पर बात नहीं बनी.

जुलाई के महीने में भी 'रईस' की रिलीज का कोई भी चान्स नहीं है, क्योंकि इस मौके पर वरुण धवन की फिल्म 'ढिशुम' रिलीज हो रही है, रोहित धवन निर्देशित ये फिल्म भी बड़े बजट की है. अब रही बात क्रिस्मस की तो उस मौके पर भी आमिर खान की फिल्म 'दंगल' सिनेमाघरों में दस्तक दे रही है. ऐसे में शाहरुख की 'रईस' के लिए तो साल 2017 ही अच्छा मुहूर्त हो सकता है. 

 

Unknown कॉल्स से हैं परेशान, अपनाएं स्मार्ट तरीका

आज के समय में शायद ही कोई हो जो अन्जान कॉल्स से परेशान न हो. ऐसे में लोग या तो परेशान करने वाले का नंबर सीधे पुलिस की हेल्पलाइन सर्विस को दे देते है या फिर खुद ही ऐसे नबंर्स को ब्लॉक कर देते है.

लेकिन अगर कोई अनजान नंबर्स से आपको बार-बार परेशान कर रहा है तो ऐसे में जरूरी है कि आप उसकी लोकेशन जानकर उसे पकड़वा सकें ताकि उसके खिलाफ सही कार्रवाई की जा सके. र्और तब जरूरत महसूस होती है कि उस परेशान करने वाले शख्स का मोबाइल नंबर ट्रेस करने की.

इसलिए आज आपको एक स्मार्ट तरीका बता रहे है जिससे आप किसी का भी मोबाइल नंबर बस कुछ मिनटों में ही ट्रेस कर सकते है:

– सबसे पहले trace.bharatiyamobile.com साइट पर जाएं- फिर 10 डिजिट मोबाइल नंबर बॉक्स में जिस नंबर को ट्रेस करना है उसका मोबाइल नंबर एंटर कर दें.

– अब मोबाइल नंबर एंटर करने के बाद ट्रेस यानि खोजने के विकल्प पर क्लिक कर दें.

– जैसे ही आप क्लिक आप्शन पर क्लिक करेंगे, उस मोबाइल नंबर की लोकेशन, स्टेट के अलावा और भी कई अन्य जानकारियां सामने आ जाएगी.

अब इससे मिली जानकारी पुलिस को सौंप कर आप उस शख्स को गिरफ्तार करा सकते है.

मॉलीकुलर मार्कर देगा स्तन कैंसर की पूर्व सूचना

अमेरिकी शोधार्थियों ने एक नए मॉलीकुलर मार्कर की खोज की है, जो सामान्य स्तन के ऊतकों में तेजी से बढ़ने वाली कोशिकाओं और स्तन कैंसर के विकास के जोखिम की पहचान कर सकता है. गौरतलब है, स्तन कैंसर पूरे विश्व में महिलाओं की मृत्यु का प्रमुख कारण है.

मॉलीकुलर (आणविक) मार्कर एक अणु है, जिसमें एक जीव (जैविक मार्कर) का नमूना होता है. यह संबंधित स्त्रोत के बारे में कुछ विशेषताओं को प्रकट करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

इस शोध के लिए स्तन रोग से पीड़ित 302 महिलाओं का बायोप्सी द्वारा परीक्षण किया गया था.

शोध के दौरान पता चला कि जिन महिलाओं में केआई67 मॉलीकुलर मार्कर का उच्च प्रतिशत होता है, उन्हें स्तन कैंसर होने का पांच गुना अधिक खतरा होता है.

हावर्ड युनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर रूला तामिमी ने बताया, "महिलाओं में स्तन कैंसर के उच्च जोखिम का पता लगाने के बाद हम उनका बेहतर इलाज कर सकते हैं."

यह शोध ‘कैंसर रिसर्च’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.

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