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मैडम तुसाद में जल्द ही नए अमिताभ

लंदन के मैडम तुसाद म्यूजियम में लगे अमिताभ बच्चन के वैक्स फिगर का जल्द ही मेकओवर किया जाएगा. खुद अमिताभ ने अपने ब्लॉग पर इसकी जानकारी दी है. बता दें कि अमिताभ बॉलीवुड के पहले कलाकार हैं जिनका वैक्स फिगर (2002) सबसे पहले मैडम तुसाद में म्यूजियम में लगाया गया था.

क्या कहा अमिताभ ने…

बिग बी ने ब्लॉग पर लिखा है कि मैडम तुसाद (एमटी) के लोगों ने मेरे साथ वक्त बिताया. कुछ मेजरमेंट किया और फोटोग्राफ्स लिए. वो मेरे वैक्स फिगर में कुछ बदलाव करना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि उनके पुराने कपड़ों और शूज, जैकेट्स और ग्लासेज का इस्तेमाल भी किया जाएगा जो अब वे यूज नहीं करते. ये देखकर बहुत खुश हूं कि वो वक्त के हिसाब से मॉर्डन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं.

अमिताभ पहले क्यों?

अमिताभ को बॉलीवुड का पहला एंग्री यंग मैन कहा जाता है. उन्होंने दीवार, अग्निपथ, शोले, डॉन और ब्लैक जैसी सुपरहिट फिल्में दीं. अक्सर उन्हें बॉलीवुड का शहंशाह भी कहा जाता है. मैडम तुसाद ने जब पहली बार अमिताभ का वैक्स फिगर लगाया था तब कहा था कि अमिताभ की इमेज और पॉपुलैरिटी की वजह से लोग उन्हें बहुत पसंद करते हैं.

कहां- कहां हैं मैडम तुसाद के वैक्स फिगर म्यूजियम

मैडम तुसाद के दुनियाभर में कई म्यूजियम हैं. इसकी ब्रांच एमस्टर्डम, लास वेगास, न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन, बैंकॉक, बीजिंग, हांगकांग, टोक्यो, शंघाई, सिंगापुर और वुहान में हैं.

मोदी का भी वैक्स फिगर

नरेंद्र मोदी भी दुनिया की उन चुनिंदा हस्तियों में शामिल हो गए हैं जिनके मोम के पुतले मैडम तुसाद म्यूजियम ने तैयार किए हैं. मोदी के तीन पुतले सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग और बैंकॉक में लगाए गए हैं. एक और पुतला लंदन के म्यूजियम में भी रखा गया है.

म्यूजियम के मुताबिक, मोदी के पुतले को बनाने में चार महीने का वक्त लगा. इसकी लागत करीब डेढ़ करोड़ रुपए आई. मोम के मोदी उनके ट्रेडमार्क क्रीम कलर के चूड़ीदार कुर्ते और हाफ जैकेट के साथ तैयार किए गए हैं.

लंदन का म्यूजियम क्यों है खास?

लंदन के जिस मैडम तुसाद म्यूजियम में मोदी का पुतला रखा गया है, वहां यूएस प्रेसिडेंट बराक ओबामा, ब्रिटेन के पीएम डेविड कैमरन, जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल और फ्रांस के प्रेसिडेंट फ्रांस्वा ओलांद के स्टैचू पहले से हैं.

लंदन की बेकर स्ट्रीट पर मौजूद इस म्यूजियम में महात्मा गांधी और विंस्टन चर्चिल जैसी हस्तियों के पुतले भी रखे गए हैं.

इन भारतीयों के वैक्स फिगर हैं लंदन के मैडम तुसाद म्यूजियम में

बॉलीवुड की 8 हस्तियों के वैक्स फिगर लंदन के म्यूजियम में हैं. अमिताभ के अलावा महात्मा गांधी, ऐश्वर्या राय बच्चन, शाहरुख खान, सलमान खान, कैटरीना कैफ, माधुरी दीक्षित, ऋतिक रोशन और करीना कपूर जैसी शख्सियतों के वैक्स फिगर मैडम तुसाद म्यूजियम में हैं.

महंगा क्यों लेना जब सस्ते में मिल सकता है आईफोन!

एप्‍पल कम्‍पनी द्वारा बनाए गए आईफोन नो डाउट, अब तक के सबसे बेहतरीन स्‍मार्टफोनों में से एक है. अगर आपके पास लिमिटेड बजट है लेकिन आप ब्रांड कॉन्शियस हैं तो रिफर्बिश्ड आईफोन आपके लिए एक अच्‍छा विकल्‍प साबित हो सकता है. ये कम लागत वाले और उपयोग करने के लिए कम्‍पनी द्वारा प्रमाणित होते हैं. आईफोन की बॉडी में थोड़ी सी खरोंच या निशान पड़ने पर ये प्रीमियम मार्केट में नहीं बेचे जाते हैं और इन्‍हें रिफर्बिश्ड आईफोन के नाम से मार्केट में उतारा जाता है. नए आईफोन को खरीदने के बजाय रिफर्बिश्ड आईफोन के कई लाभ होते हैं जिनके बारे में हम आपको इस यहां बताएंगें:

सस्‍ते मगर टिकाऊ-

आईफोन और कम दाम.. सुनने में अटपटा लगता है. लेकिन हां, रिफर्बिश्ड आईफोन में आपको यह फायदा होता है. ये, नए आईफोन के मुकाबले सस्‍ते होते हैं और मॉडल भी लगभग वैसा ही होता है. इन्‍हें खरीदने पर आपको क्‍वालिटी के साथ समझौता भी नहीं करना पड़ता है. बस बाहरी लुक में कभी-कभार फर्क पड़ सकता है वो भी बहुत ज्‍यादा नहीं.

पुराने सॉफ्टवेयर का अनुभव-

रिफर्बिस्‍ड आईफोन में कई बार यूजर को पुराने सॉफ्टवेयर प्रोवाइड करवाए जाते हैं. ऐसा होने से यूजर को मोबाइल चलाने में किसी प्रकार की कोई समस्‍या नहीं होती है. ये सॉफ्टवेयर, एप्‍पल कम्‍पनी के द्वारा प्रमाणित होते हैं. रिफर्बिश्ड आईफोन को इस्‍तेमाल करने पर आपको गांरटी रहती है कि यह फोन, ट्रायल, इरर और इम्‍प्रुवमेंट प्रक्रिया से गुजर चुका है और आप इसे लेकर फंसेंगे नहीं.

परफेक्‍ट हार्डवेयर मिलना-

कई बार, आईफोन लेने के बाद यूजर को उनमें बॉडी या सॉफ्टवेयर आदि में समस्‍या आती है तो वे उसे रिर्टन कर देते हैं. इन फोन को वापस मैनुफैक्‍चरिंग यूनिट में पहुँचा दिया जाता है और रिपेयर किया जाता है. बाद में क्‍वालिटी टेस्‍ट करने के बाद रिफर्बिश्ड आईफोन के नाम से मार्केट में यूजर के लिए उतारा जाता है. इन फोनों में हार्डवेयर का डबल क्रॉसचेक होता है इसलिए नए फोन की अपेक्षा इनके हार्डवेयर में दिक्‍कत होने का सवाल ही नहीं उठता है.

सेकेंड हैंड या ग्रे मार्केट लेने से अच्‍छा विकल्‍प-

कई लोग आईफोन को लेना चाहते हैं लेकिन बजट होता नहीं. ऐसे में वे, किसी दोस्‍त से सेकेंड हैंड ले लेते हैं या ग्रे मार्केट से खरीदने की कोशिश करते हैं. यकीन मानिए, रिफर्बिश्ड आईफोन इससे बेहतर विकल्‍प है. इन्‍हें खरीदना पूरी तरह से सुरक्षित होता है क्‍योंकि कम्‍पनी में रिफर्बिस्‍ड आईफोन को बेचने की पूरी प्रक्रिया होती है और रजिस्‍टर्ड विक्रेता होते हैं जो धोखा नहीं देते हैं.

ईको-फ्रैंडली-

नए आईफोन में कोई छोटी सी समस्‍या आने पर कोई यूजर पूरा भुगतान करने के बाद नहीं ही लेना चाहेगा. ऐसे में कम्‍पनी उसे दुबारा ठीक-ठाक करके रिफर्बिश्ड आईफोन बना देती है. कई बार, यूजर को कुछ विशेष मॉडल्‍स में कोई चीज पसंद नहीं आती है तो उन मॉडल्‍स को भी हटाकर उन्‍हें ठीक-ठाक करके मार्केट में उतारा जाता है. लगभग हर मॉडल के रिफर्बिश्ड आईफोन मार्केट में उपलब्‍ध होते हैं. ये एक ईको-फ्रैंडली तरीका है, जिसमें फोन बनाने वाली सामग्रियों को नष्‍ट न करें उनका उपयोग किया जाता है. अगर आप इन्‍हें खरीदते हैं तो आपको कम दाम में बेहतर गुणवत्‍ता वाला आईफोन मिलेगा और आप, ईको-फ्रैंडली भी हो जाएंगें.

अब गमले में लगे पौधे से करें मोबाइल चार्ज

आज तक आपने अपने मोबाइल की बैटरी बिजली से चार्ज की है,लेकिन आगे ऐसा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. जल्द ही आप अपने फोन की बैटरी बिजली से नहीं बल्कि घर के गमले में लगे पौधे से चार्ज कर सकेंगे.

दरअसल स्पेन के तीन युवाओं ने एक ऐसी बैटरी बनाई है जो घर में रखे गमलों के पौधों से चार्ज हो सकेगी. इस बैटरी को बायो नाम दिया गया है जो कि एक बायोलॉजिकल बैटरी है और पौधों द्वारा फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया के दौरान पैदा हुई ऊर्जा को बिजली में कन्वर्ट कर देती है. इस प्रक्रिया से प्राकृतिक एनर्जी पाई जा सकती है.

इस तरह पौधों से चार्ज होती है बैटरी

1. पत्थर के एक छोटे टुकड़े में यूएसबी अडैप्टर डालकर उसे गमले में डाला जाता है.

2. ऐसा करके मिट्टी में उपलब्ध एनर्जी को इकट्ठा किया जाता है.

3. इस प्रोसेस के दौरान पैनल इंस्टॉल करके ऊपर से मिट्टी डाली जाती है और पौधा रख दिया जाता है.

4. एक वर्ग मीटर से तकरीबन 3 से 40 वॉट बिजली पैदा की जा सकती है. वैसे बिजली की कैपेसिटी पौधे के प्रकार और आकार पर निर्भर करती है.

5. इस डिवाइस को पाबलो मैनुएल ने अपने साथियों राफेल रेबोलो, शावेर और रोड्रिज के साथ मिलकर डिजाइन किया है. इन तीन युवाओं ने इस तरीके से इस बैटरी को चार्ज किया है.

इस बैटरी को बाजार में उताने की है तैयारी

इन तीनों नौजवानों ने इस अनोखी बैटरी को मार्केट में उतारने की तैयारी कर ली है. बकौल पाबलो इस प्रोटोटाइप से फोन चार्ज किए जा सकते है, इस अनोखी टेक्नोलॉजी को पेटेंट कराया जा चुका है और जल्द ही इसे बार्सिलोना में लगाकर टेस्ट किया जाएगा.

फीचर्स जो बनाते हैं इन ब्राउजर्स को खास

ब्राउजर को भले ही कुछ लोग नजरअंदाज करते हों मगर सभी के फोन, कंप्यूटर और लैपटॉप में इसकी एक खास भूमिका होती है. अगर यह फोन या कंप्यूटर में ये इंस्टॉल नहीं रहता है तो आप इंटरनेट नहीं चला सकते. हालांकि  इंटरनेट ब्राउजर्स की सही संख्या का पता लगाना मुश्किल है मगर कुछ ब्राउजर्स की अलग सेटिंग्स और फीचर्स उन्हें खास बनाते हैं. आइए  यूजर्स के लिए उपयोगी साबित होने वाले ऐसी ही कुछ ब्राउजर्स के बारे में जानते हैं…

गूगल क्रोम

लगभग 50 अपडेट वर्जन जारी होने के बावजूद गूगल का यह ब्राउजर अपने आसान यूजर इंटरफेस की वजह से काफी लोकप्रिय है. साथ ही इसके फीचर भी लोगों को खूब भाते हैं. इस ब्राउजर की स्पीड फायरफॉक्स और ओपेरा ब्राउजर से तेज मानी जाती है. इसके सिंक फीचर को भी सराहा जाता है, जिसकी वजह से एक डिवाइस में बनाए गए बुकमार्क और ब्राउजिंग हिस्ट्री को यूजर अपने सभी डिवाइस में देख सकते हैं. हालांकि इसके लिए उन डिवाइसों में उनका जीमेल आईडी के जरिए लॉग-इन करना जरूरी है. दरअसल, यह जीमेल अकाउंट का उपयोग करता है. जब यूजर किसी कंप्यूटर या लैपटॉप पर क्रोम ब्राउजर में जीमेल आईडी से लॉग-इन करने के बाद सर्च करते हैं तो यह सर्चिंग हिस्ट्री जीमेल से खुद ब-खुद जोड़ देता है. फोन पर ब्राउजर में लॉग-इन करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि फोन जीमेल अकाउंट में पहले से लॉग-इन रहता है.

विवालदी

क्रोम ब्राउजर की तरह आसान यूजर इंटरफेस की ख्वाहिश रखने वाले इस ब्राउजर को डाउनलोड कर सकते हैं. इसमें हाइबरनेट टैब फीचर है, जो पेज को ऑटो रिफ्रेश होने से रोकता है. इससे फोन, कंप्यूटर और लैपटॉप की बैटरी लाइफ बढ़ जाती है. साथ ही इंटरनेट डाटा की भी बचत होती है. ब्राउजिंग के दौरान नोट्स बनाने वाले छात्रों के लिए इसमें ‘नोट्स पैनल’ दिया गया है, जिसकी मदद से टेक्स्ट को कॉपी कर इस पर पेस्ट किया जा सकता है. विवालदी में स्क्रीनशॉट और यूआरएल लिंक सेव करने की सुविधा भी उपलब्ध है.

माइक्रोसॉफ्ट एज

माइक्रोसॉफ्ट एज माइक्रोसॉफ्ट का नया ब्राउजर है. हालांकि यह सिर्फ विंडोज-10 और उससे ऊपर के वर्जन पर काम करता है. इसकी सेटिंग और फीचर को साइड पैनल पर क्लिक करके इस्तेमाल किया जा सकता है. यह फीचर टच कंप्यूटर या टैब का इस्तेमाल करने वाले लोगों के लिए खासा उपयोगी है. विवालदी जैसा नोट्स पैनल फीचर माइक्रोसॉफ्ट एज में भी दिया गया है. इस ब्राउजर पर बनाए गए नोट्स को दोस्तों के साथ शेयर भी किया जा सकता है. लॉन्च होने से पहले एज ब्राउजर का नाम प्रोजेक्ट स्पार्टन बताया जा रहा था.

ओपेरा

अगर आप गूगल क्रोम और माइक्रोसॉफ्ट एज का उपयोग कर चुके हैं तो ओपेरा ब्राउजर का डिजाइन आपको दोनों का मिश्रण लगेगा. ओपेरा की खूबी यह है कि इसमें क्रोम एक्सटेंशन चलाए जा सकते हैं. साथ ही गलती से बंद हुए टैब को इसमें बड़ी ही आसानी से दोबारा खोला जा सकता है. साथ ही सामाचार पढ़ने के लिए भी इसमें अलग से फीचर दिया गया है, जिसके लिए सेटिंग में बदलाव करना जरूरी है. ओपेरा दुनिया का पहला ऐसा ब्राउजर है, जो नेटिव वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) की सुविधा देता है. कंपनी को सुरक्षित कनेक्शन देने का वादा करने वाला वीपीएन उद्योमियो के लिए बेहद उपयोगी फीचर है.

मोजिला फायरफॉक्स

कंप्यूटर यूजर मोजिला फायरफॉक्स का काफी इस्तेमाल करते हैं. इस ब्राउजर पर पुराने टैब को आसानी से खोल सकते हैं, जो आपके ब्राउजर बंद करते समय खुले हुए थे. उदाहरण के तौर जब आपने शाम को सोते वक्त ब्राउजर को बंद किया था, उसमें जो टैब खुले हुए थे, उन सभी टैब को दोबारा उठने के बाद एक क्लिक से खोजा सकता है. इसका दूसरा मुख्य फीचर ‘सेव पॉकेट’ है, जिससे आप ब्राउजिंग करते समय किसी भी पसंदीदा वेब पेज को भविष्य के लिए सेव कर सकते हैं. क्रोम की तरह मोजिला फायरफॉक्स भी एक्सटेंशन की सुविधा देता है. साथ ही इसमें प्राइवेट ब्राउजिंग का फीचर भी मौजूद है.

“दुनिया में ऐसा कोई ड्रग्स नहीं जो मैंने ना लिया हो”

संजय दत्त ने एक समाचार पत्र को एक इंटरव्यू दिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि वे 12 साल नशे के चंगुल में रहे. दुनिया में ऐसा कोई ड्रग्स नहीं है जो उन्होंने नहीं लिया हो.

जब इंटरव्यू में उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने अपनी मां नरगिस के गुजर जाने के बाद ड्रग्स लेना शुरू किया था. इस पर संजय दत्त ने कहा कि, ” ऐसा नहीं है कि मैंने ये मां के कारण शुरु किया था. मेरा कुत्ता मर गया तो पी रहा हूं, आज मेरा गधा मर गया तो पीउंगा, यह सब बहाने हैं. इन आदतों में आदमी तभी पड़ता है जब वो पड़ना चाहता है और एक बार जब आपको इसकी आदत पड़ जाए तो इससे निकलना बेहद मुश्किल होता है.

ड्रग्स दुनिया की सबसे बुरी चीज है. मुझे 12 साल यह आदत रही है. दुनिया में ऐसा कोई ड्रग्स नहीं जो मैंने ना लिया हो. जब मेरे पिता मुझे  रीहैबिलिटेशन (सुधार गृह) ले गए तो उन्होंने मुझे एक लिस्ट दी जिसमें ड्रग्स के नाम थे तो मैंने सारे ड्रग्स के आगे टिक किया था क्योंकि मैंने सारे लिए थे.

तब डॉक्टर ने पिताजी से था, ” भारत में तुम किस तरह का खाना खाते हो, इसने जिस मात्रा में ड्रग्स लिया है अब तक इसे मर जाना चाहिए था.” उन्होंने आगे कहा, मैंने इसलिए ड्रग्स लेना नहीं छोड़ा क्योकि मेरा परिवार चाहता था मैंने इसलिए छोड़ा क्योंकि मैं स्वयं इससे बाहर निकलता चाहता था.

ड्रग्स छोड़ते समय एक पार्ट होता है फिजिकल, आपका शरीर बिना ड्रग्स के टूटने लगता है आपको ठंड लगने लगती है. लेकिन सबसे मुश्किल पार्ट होता मानसिक जब आपका दिमाग कहता है अब तो तू ठीक हो गया एक बार मार लेते हैं, यही वो समय है जब आपको विलपावर दिखानी पड़ती है. मैं नौजवानों से कहता हूं अपने काम से प्यार करो, अपने परिवार से प्यार करो, यह कोकीन से ज्यादा बेहतर है.

टाटा ने कर्मचारियों के लिए विकसित की ‘सेफ्टी वॉच’

टाटा समूह ने अपने कारखाने के कर्मचारियों के लिए विशिष्ट रूप से सेफ्टी वॉच (सुरक्षा घड़ी) विकसित की है जो तत्काल सुरक्षा आंकड़े उपलब्ध कराएगी.

कंपनी ने कहा है कि वह भविष्य में प्रौद्योगिकी के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं को पहनने योग्य उपकरण बेचने की तैयारी कर रही है.समूह के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी गोपीचंद कतरागड्डा ने संवाददाताओं से कहा कि कारखाने के कर्मचारियों के लिए यह पहला सुरक्षा प्रदान करने वाला धारण करने योग्य उपकरण है.

उन्होंने कहा कि इस घड़ी को टाटा समूह की कई कंपनियों ने डिजाइन किया है. मूल विचार टाटा स्टील के कर्मचारियों का था, जो जल्द इसका इस्तेमाल शुरू करेंगे. अन्य कंपनियों ने भी इसे डिजाइन करने में सहयोग दिया.

हाल ही में टाटा समूह ने खाद्य सामग्री की बर्बादी रोकने के लिए एक नई पहल शुरू की है.

 

आयकर विभाग ने जारी किया रिफंड

आयकर विभाग ने 2015-16 में कुल 1.22 लाख करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया है. यह रिफंड कुल 2.10 करोड़ लोगों को जारी किया गया. इसमें 94 प्रतिशत रिटर्न ऑनलाइन दाखिल किये गये थे.

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘वित्त वर्ष 2015-16 में 2.10 करोड़ से अधिक रिफंड जारी किये गये जिनमें कुल मिलाकर 1,22,425 करोड़ रुपये करदाताओं को लौटाये गये. इससे पहले वित्त वर्ष 2014-15 में यह 1,12,188 करोड़ रुपये और 2013-14 में 89,664 करोड़ रुपये का रिफंड किया गया था.

वित्त वर्ष 2015-16 में 94% आयकर रिटर्न ऑनलाइन जमा किये गये और बेंगलुरु स्थित केन्द्रीय प्रसंस्करण केन्द्र (सीपीसी) ने 4.14 करोड़ रिटर्न की जांच परख की.

अप्रत्यक्ष कर संग्रह के संदर्भ में पिछले वित्त वर्ष में अप्रत्यक्ष कर जीडीपी अनुपात करीब 5.17% रहा जो वित्त वर्ष 2014-15 में 4.36% था. मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के समक्ष अप्रत्यक्ष कर का अनुपात 5.20% रहने का अनुमान है.

 

पनामा पेपर्स: रिजर्व बैंक ने उठाया बड़ा कदम

पनामा पेपर्स लीक कांड को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक ने बड़ा कदम उठाया है. रिजर्व बैंक ने यह कदम सरकार द्वारा मल्टी जांच एजेंसियों से जांच कराने की घोषणा करने के बाद उठाया है.

पनामा पेपर्स लीक कांड में जिन भारतीयों का नाम उजागर हुआ है, रिजर्व बैंक ने उनके द्वारा विदेशों में भेजे गए धन की जानकारी बैंकों से मांगी है. केन्द्रीय बैंक से जुड़े सूत्रों के अनुसार रिजर्व बैंक यह जानना चाहता है कि किन लोगों ने रिजर्व बैंक के लिबरेलाइज्ड रेमिटांस स्कीम (एलआरएस) का लाभ उठाया है.

रिजर्व बैंक ने हर साल भेजे गए धन का ब्यौरा बैंकों से मांगा है. पनामा की लॉ फर्म मोसैक फोंसिका के दस्तावेजों के खुलासे में अभिनेता अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय, सुप्रीम कोर्ट के वकील हरीश सालवे, डीएलएफ के चेयरमैन के पी सिंह समेत लगभग 500 भारतीयों के नाम शामिल हैं.

सरकार ने घोषणा की थी कि जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उनके खातों के बारे में जांच की जाएगी. उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक की लिबरेलाइज्ड रेमिटांस स्कीम (एलआरएस) के तहत कोई भी भारतीय हर वित्तीय वर्ष में 2,50,000 डॉलर की राशि करेन्ट या कैपिटल एकाउंट्स में लेनदेन कर सकता है.

 

…तो ये बॉलीवुड हीरोइन नजर आयेंगी टॉम क्रूज के साथ

बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण पूरी तरह से हॉलीवुड में पैर जमाना चाहती हैं. एक ओर जहां दीपिका अपनी हॉलीवुड डेब्यू फिल्म एक्सएक्सएक्स: द जेंडर केज को लेकर सुर्खियों में हैं, वहीं दूसरी ओर एक और हॉलीवुड के सुपर स्टार टॉम क्रूज के साथ फिल्म करने की खबर सुर्खियों में है.

हालांकि उन्होंने अभी सिर्फ टॉम क्रूज की अगली फिल्म द ममी के लिए ऑडिशन ही दिया है. इसी फिल्म के बॉलीवुड अभिनेत्री हुमा कुरेशी ने भी ऑडिशन दिया है, लेकिन उन्होंने किस किरदार के लिए ऑडिशन दिया है, इसका खुलासा नहीं किया गया है.

जहां तक दीपिका के ऑडिशन की बात है, तो दीपिका ने फिल्म द ममी के लीड रोल के लिए ऑडिशन दिया है. अब गेंद कास्टिंग डायरेक्टर के पाले में है.वैसे दीपिका के फैंस के लिए खुशी की बात यह है कि उनका ऑडिशन सराहनीय था. इस प्रोजेक्ट से जुड़े सूत्रों की मानें, तो फिलहाल फिल्म के लिए और ऑप्शन भी देखे जा रहे हैं.

यदि दीपिका का नाम लीड रोल के लिए नहीं फाइनल होता है, तो उनका चुनाव फिल्म में किसी अहम किरदार के लिए भी किया जा सकता है. इसके बाद कहना सही होगा कि दीपिका यदि लीड रोल के लिए सलेक्ट नहीं होतीं, वाबजूद इसके वो इस फिल्म में चुनी जाएंगी यानी यह माना जा रहा है कि जल्द ही दीपिका हॉलीवुड की एक और फिल्म हॉलीवुड के दिग्गज एक्टर टॉम क्रूज के साथ फिल्म द ममी में काम करते हुए नजर आएंगी.

 

स्टाइल से कोई हीरो नहीं होता

युवा उम्र में हीरो जैसी स्टाइल रखने का शौक कुछ लडको को बहुत होता है.वह सोचते है कि हीरो जैसा स्टाइल रखने, स्पोट्स बाइक से सडको पर फर्राटा भरने से वह हीरो लगने लगते है.कई बार लडकियां इनको हीरो समझ लेती है.दरअसल पढने लिखने की उम्र में ऐसे भ्रम पाल कर लडके खुद को भी धोखा देते है और लडकियों को भी अपने झांसे में फंसा लेते है.सच्चाई पता चलने पर लडकियां भी खुद को ठगा अनुभव करती है.लडकियों को इंप्रेस करने का शौक ऐसे लडको पर भारी पडता है.अपने खर्चो को पूरा करने के लिये यह लडके लूट जैसी घटनाओं को अंजाम देने लगते है.लखनऊ पुलिस ने सिद्वार्थ मोहन, विशाल चैहान और आयुश आंनद को बाइक चोरी की घटना में पकडा.पुलिस को इनके पास से 2 बाइक, 10 मोबाइल और नकदी बरामद की.लखनऊ के एसएसपी राजेश पांडेय ने बताया कि विकासनगर थाने की पुलिस जांच कर रही थी.यह युवक कुछ सदिग्ध दिखे.3 युवक पक डमें आ गये और 1 आकाश राठौर भागने में सफल रहा.आकाश ही इनका सरगना था.आकाश ने फिल्म ‘किक’ और ‘ धूम’ देखकर 14 बाइकर्स का गैंग बनाया.

यह लोग रेस लगाने के साथसाथ नशे और शाहखर्ची का शिकार हो गये.जिसके लिये यह लूट करने लगे.पुलिस को इन लोगों से 23 लूट की घटनाओं का पता चला.यह लोग केवल महिलाओं का पर्स छीन लेते थे.पर्स में ही इनको कुछ नकद पैसे और मोबाइल के सेट मिल जाते थे.सिद्वार्थ के लंबे बाल देखकर महिलाये उसको लडकी समझ लेती थी.वह अपना चेहरा ढके रहता था.ऐसे में हर कोई लडकी समझ कर पुलिस से उसकी शिकायत करता था.पुलिस लूट करने वाली लडकी को खोजती रह जाती थी.इधर यह अपराधी आराम से पुलिस के सामने से ही निकल जाते थे.पुलिस ने लूट की शिकार 5 महिलाओं के सामने इनको पेश किया तो उन लोगों ने इनको पहचान लिया.यह सभी युवा अच्छे घरो से ताल्लुक रखते है.बाइक, मोबाइल,गर्लफ्रंैड के शौक ने इनमें शाहखर्ची बढा दी.अपने खर्चो को पूरा करने के लिये यह लोग लूटपाट की घटनाओं को अंजाम देने लगे.यह सभी अपना स्टाइल और लुक ऐसा रखते थे कि दूर से देखकर फैशनेबल युवा नजर आये.

इनकी स्टाइल और फैशन देखकर कोई भी इनको हीरो समझने की गलती कर बैठता था.जब इनके राजखुले तो लगा कि हर स्टाइल वाला युवा हीरो नहीं होता है.कई बार ऐसे लोग अपराध का शिकार हो जाते है.यह लोग खुद तो भम्र में रहते ही है अपने परिवार और दूसरे लोगों को भी भ्रम में रखते है.किशोर उम्र के बच्चों को लेकर उनके पैरेंटस को बहुत सचेत रहने की जरूरत होती है.ऐसे बच्चों को बाइक का शौक लग जाता है.जिन के पास बाइक होती है उनके कई दोस्त भी बन जाते है.यह मौजमस्ती करने के लिये पहले घर से पैसा लेते है जब घर से पैसा कम मिलता है या पैसा देने के समय तमाम तरह के सवाल जवाब होते है तो यह लोग चोरी, लूट और दूसरे अपराध करने लगते है.लडकियां भी ऐसे युवाओं को देखकर सचेत रहे.स्टाइल से कोई हीरो नहीं होता है.

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