उड़द की खेती पश्चिम उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में की जाती है. इस की बोआई जायद व खरीफ दोनों मौसम में फरवरी के अंत से ले कर अगस्त के मध्य तक सफलतापूर्वक की जा सकती है.

खेत का चयन व तैयारी : समुचित जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी इस के लिए सब से सही होती है. वैसे दोमट से ले कर हलकी जमीन तक में इस की खेती की जा सकती है. खेत की तैयारी के लिए सब से पहले जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से कर के 2-3 जुताई देशी हल या हैरो से करें और उस के बाद ठीक से पाटा लगा दें. बोआई के समय खेत में पर्याप्त नमी रहना बहुत जरूरी है.

बीज की दर : बोआई के लिए उड़द के बीज की सही दर 12-15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है. खेत में अगर किसी वजह से नमी कम हो, तो 2-3 किलोग्राम बीज की मात्रा प्रति हेक्टेयर बढ़ाई जा सकती है.

बोआई का समय : खरीफ मौसम में उड़द की बोआई का सही समय जुलाई के पहले हफ्ते से ले कर 15-20 अगस्त तक है. हालांकि अगस्त महीने के अंत तक भी इस की बोआई की जा सकती है.

बीज शोधन : कवक जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए बीजों का कवकनाशी से शोधन करना जरूरी है. बीजशोधन के लिए 2.5 ग्राम कार्बंडाजिम या 2.5 ग्राम थीरम का प्रति किलोग्राम की दर से इस्तेमाल करना चाहिए. यह ध्यान रखें कि दवा बीज में सही तरह से चिपक जाएं.

राइजोबियम उपचार : दलहनी फसल होने के नाते अच्छे जमाव, पैदावार व जड़ों में जीवाणुधारी गांठों की सही बढ़ोतरी के लिए राइजोबियम कल्चर से बीजों को उपचारित करना जरूरी होता है. 1 पैकेट (200 ग्राम) कल्चर 10 किलोग्राम बीज के लिए सही रहता है. उपचारित करने से पहले आधा लीटर पानी का 50 ग्राम गुड़ या चीनी के साथ घोल बना लें. उस के बाद उस में कल्चर को मिला कर घोल तैयार कर लें. अब इस घोल को बीजों में अच्छी तरह से मिला कर सुखा दें. ऐसा बोआई से 7-8 घंटे पहले करें.

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