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सरकारी बैंकों में 38% बढ़ी डिफॉल्टरों की संख्या

सरकारी बैंकों से कर्ज लेकर चुकता नहीं करने वालों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है. पिछले तीन सालों में इनकी संख्या में 38% की वृद्धि देखी गई है. इसमें ऐसे लोग शामिल हैं जो ऋण चुकाने की हैसियत रखने के बाद भी ऋण नहीं चुकाने के लिए खुद को डिफॉल्टर घोषित कर देते हैं.

डिफॉल्टर घोषित करने वालों की संख्या दिसंबर 2015 तक 7686 पहुंच गई है. जबकि दिसंबर 2012 में ये संख्या 5554 थी. इस दौरान ऋण राशि भी तीन गुना बढ़ कर 66190 करोड़ पहुंच गई. जबकि तीन साल पहले यह राशि 27750 करोड़ रुपये थी.

हालांकि बैंकरों ने चेतावनी दी है कि कुछ बैंक अभी भी बाहर की कंपनियों और उनके प्रवर्तकों को नेट से दूर रख रहे हैं. बैंक्स अभी भी बकाएदारों की पहचान के लिए जान-बूझकर रिजर्व बैंक के पूर्ण दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं. अभी तक इस बात के कोई भी प्रमाण नहीं है कि किसी कर्जदार ने जानबूझकर खुद को डिफॉल्टर घोषित किया है.

यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के एक पूर्व कार्यकारी निदेशक ने बताया कि हाल के वर्षों में ऐसी घटनाओं में वृद्धि हुई है, लेकिन अभी भी सभी खातों की पहचान नहीं की गई है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि जब सिस्टम में एनपीए बढ़ रहा है और बैंक घाटे की बात कह रहे हैं. ऐसी स्थिति में यह कैसे संभव है.

आरबीआई के नियमों के मुताबिक बैंक किसी भी कर्जदार को डिफॉल्टर तब घोषित कर सकते हैं जब कर्जदार पुर्णभुगतान नहीं कर पाता है. ठीक उसी तरह कोई कर्जदार अपनी चल या अचल संपत्ति को कर्ज चुकाने के लिए बाजार में बेचने की इजाजत देता है तो उन्हें डिफॉल्टर घोषित किया जाता है.

 

आईटीसी ने बंद किए सिगरेट कारखाने

भारत की सबसे बड़ी सिगरेट बनाने वाली कंपनी आईटीसी ने अपनी सभी फैक्‍ट्रियों में उत्‍पादन फिर से बंद कर दिया है. कंपनी ने कहा है कि 85% चित्रात्मक चेतावनी के अनुपालन को पूरा करने तक उसके कारखाने बंद रहेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इसी हफ्ते तंबाकू कंपनियों को बड़ी चित्रात्मक चेतावनी के नियम को लागू करने का निर्देश देते हुए मैन्‍युफैक्‍चरर्स की इसके क्रियान्वयन पर रोक की अपील को ठुकरा दिया. नए सिगरेट पैकेजिंग नियम एक अप्रैल से लागू हुए हैं.

4 मई से बंद किए कारखाने

आईटीसी ने बंबई शेयर बाजार को भेजी सूचना में कहा कि इस बीच उसने 4 मई से सिगरेट कारखानों को बंद कर दिया है. कंपनी के ये कारखाने उस समय तक बंद रहेंगे जब तक कि वह इस नियम का अनुपालन नहीं कर लेती. पिछले महीने आईटीसी ने अपने कारखानों में सिगरेट का विनिर्माण फिर शुरू कर दिया था. बड़ी चित्रात्मक चेतावनी के आदेश के विरोध में कंपनी ने एक अप्रैल को उत्पादन बंद किया था.

क्या आदेश दिया था सुप्रीम कोर्ट ने?

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सि‍गरेट और तंबाकू कंपनि‍यों को बड़ा झटका दि‍या था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि‍ कंपनि‍यों को तत्‍काल प्रभाव से तंबाकू प्रोडक्‍ट पैकेट के 85 फीसदी हि‍स्‍से को ग्राफि‍क हेल्‍थ वॉर्निंग से कवर करना होगा.कंपनियों को इस मामले में केंद्र सरकार के इंस्ट्रक्शन को लागू करना होगा. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को कर्नाटक हाईकोर्ट के पास भेज दि‍या है. आईटीसी ने कहा कि जब तक कर्नाटक उच्च न्यायालय में सुनवाई पूरी नहीं हो जाती वह अपनी कंपनियों में उत्पादन बंद रखेगी.

स्वास्थय मंत्रालय ने जारी किया था नोटिफिकेशन 

 – सि‍गरेट और दूसरे तंबाकू प्रोडक्‍ट्स (पैकेजिंग और लेबलिंग) संशोधन नि‍यम, 2014 को लागू करने के लि‍ए हेल्‍थ मि‍नि‍स्‍ट्री ने नोटि‍फि‍केशन जारी किया था.

– कंपनियों को इसे 1 अप्रैल से लागू करना था. हालांकि, कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने इंटरिम इंस्ट्रक्शन में इस नि‍यम को लागू करने पर स्‍टे लगा दि‍या था.

– आईटीसी समेत कई बड़ी कंपनियों ने अपनी सभी यूनिट बंद करने का फैसला किया था.

 – इससे देश में सिगरेट का प्रोडक्शन काफी हद तक बंद हो गया है.

हर दि‍न 350 करोड़ का नुकसान

1 अप्रैल से चित्रात्मक चेतावनी के नए नियम आने से आईटीसी समेत तमाम बड़ी कंपनियों ने सिगरेट का उत्पादन बंद कर दिया था. माना जा रहा है कि इससे रोज 350 करोड़ रेवेन्यू का नुकसान हो रहा है. कंपनियों का कहना है कि वे चित्रात्मक चेतावनी पहले से ही छाप रहे हैं. नए नियम में स्पष्‍टता नहीं है.

 

प्रोफेशनल्स और एनबीएफसी को मिलेगा बैंक खोलने का मौका

फाइनेंस कंपनियों और प्रोफेशनल्स को बैंक खोलने का मौका मिल सकता है, लेकिन हो सकता है कि लंबे समय से ऐसा सपना देख रहे कई बड़े बिजनेस हाउसेज के हाथ ऐसा अवसर न आए. आरबीआई ने ड्राफ्ट रूल्स पेश किए हैं. इसमें नए 'यूनिवर्सल बैंकों' के लिए ऑन-टैप लाइसेंस की खातिर कम से कम 500 करोड़ रुपये की पूंजी की शर्त का प्रस्ताव है. ऐसे बैंक लोन देने वाले, डिपॉजिट स्वीकार करने वाले और फीस लेकर सेवाएं देने वाले बैंकों की तरह काम कर सकेंगे.

कम से कम 10 साल का अनुभव रखने वाले प्रोफेशनल्स के लिए दरवाजा खोलते हुए और बड़ी नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों को खुद को बैंकों में बदलने का मौका देते हुए आरबीआई ने कहा है कि ऐसे इंडस्ट्रियल हाउसेज को बैंकों को प्रमोट करने की इजाजत नहीं होगी, जिनके टोटल बिजनेस का 40% से ज्यादा हिस्सा नॉन-फाइनेंशियल एक्टिविटीज से आता हो.

नए नियमों के मुताबिक, 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की टोटल एसेट्स वाले और अपने बिजनेस का 60% से ज्यादा हिस्सा फाइनेंशियल सर्विसेज क्षेत्र में रखने वाले बिजनेस हाउसेज बैंकिंग लाइसेंस के लिए अप्लाई कर सकते हैं. एक तरह से आरबीआई ने यह भी कहा है कि कॉरपोरेट्स को किसी भी बैंक में 10% से ज्यादा स्टेक नहीं लेने दिया जाएगा.

पिछले साल आरबीआई ने 20 नए संस्थान बनाने की मंजूरी दी थी. इनमें स्मॉल और पेमेंट्स बैंक शामिल थे. आईडीएफसी और बंधन को ही पूर्ण रूप से कमर्शियल बैंक खोलने की इजाजत दी गई थी. ड्राफ्ट रूल्स के मुताबिक, पहले 5 वर्षों में प्रमोटर का स्टेक 40% तक ही रहेगा और नए बैंक को 6 वर्षों में शेयर बाजार पर लिस्ट होना होगा. 5 साल के बाद प्रमोटर के अतिरिक्त हिस्से को घटाकर 40% पर लाना होगा, फिर कामकाज के 10 वर्षों में 30% और 15 वर्षों में 15% पर लाना होगा.

 

नाम की महिमा

नामों की अपनी महिमा होती है तभी तो बच्चों के दुनिया में आते ही मातापिता अपने बच्चों का बैस्ट व यूनीक नाम रखने की जुगत में लग जाते हैं. कभी इस के लिए पंडितों के चक्कर लगाते हैं तो कभी शब्दकोष खंगालते हैं. यहां तक कि अब वे नैट से भी नामो को खोजने में पीछे नहीं रहते बावजूद इस के वे कभीकभी पसंदीदा नाम नहीं रख पाते.

पुराने जमाने के दकियानूसी कट्टरपंथी लोग अपने बच्चों के नाम देवीदेवताओं के नाम पर यह सोच कर रखते थे कि मरते समय भी उन्हें बुलाने पर भगवान का नाम ले लिया जाएगा इसलिए राम, सीता, वैष्णो, पार्वती जैसे नाम रखने में भी नहीं शर्माते थे.
लेकिन बदलती धारणाओं और जागरूकता के बाद भी अब जहां चलन मौडर्न नामों का हो गया है वही अब अपने पेशे से जुड़े दिनों में से भी लोग नाम निकलवाने लगे हैं. इस की जीतीजागती मिसाल मुन्नालाल झा है, जो मध्यप्रदेश से जुड़े होने के साथसाथ समाजसेवा भी करते हैं. उन्होंने अपने जीवन में शुरू से ही संघर्ष किया है तभी तो उन्होंने अपने जीवन से मिले तजुरबे को देखकर अपने बच्चों का नाम क्रांति, आंदोलन, संघर्ष, भूख, हड़ताल और नेता रखा.

कहानी कुछ ऐसी है जब मुन्नालाल की शादी नहीं हुई थी तब उन्होंने अपने लहार कस्बे, किसे वे अपनी जान से भी ज्यादा चाहते और वहां की समस्याएं देखकर उन की आंखों से आंसू निकल जाते थे के लिए अनशन किया और लोगों में भी इस के प्रति जागरूकता पैदा की कि सिर्फ सहने से नहीं बल्कि समस्या का समाधान निकालने से निकलता है इसलिए तुम भी आगे आओ. भले ही कोई आगे आया या नहीं आया लेकिन फिर भी उन्होंने अपना अनशन जारी रखा.

कहते है न कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती. मुन्नालाल की मेहनत भी रंग लाई और उन्होंने अपनी इसी मेहनत में सफलता पाकर समाजसेवा की राह पकड़ ली समाजसेवा के रास्ते में भी कई अड़चनें थीं लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और बढ़ चले आगे की राह पर. जैसेजैसे समय बीतता गया समस्याएं भी बढ़ती गईं लेकिन हार मानना तो जैसे मुन्नालाल ने सीखा ही नहीं था ओर यही हिम्मत और जज्बा वे अपने बच्चों में भी पैदा करना चाहते थे तभी तो जब उन के घर पहला पु़त्र जन्मा तो उस का नाम क्रांति रखा, 2 साल बाद जन्मे बेटे का नाम आंदोलन, तीसरे का संघर्ष, चैथे का हड़ताल और पांचवें का नेता. और साथ ही बेटों को भी यही शिक्षा दी कि जिस तरह तुम्हारे नाम अनोखे है उसी तरह काम भी ऐसे करना कि दुनिया तुम्हें याद करें.

अगर कभी लोगों को हक दिलवाने के लिए विरोध, आंदोलन, हड़ताल करनी पड़े और जाहिर सी बात है कि इस के लिए संघर्ष जो करना ही पड़ेगा तो कभी पीछे मत रहना बल्कि आगे बढ़ना. अगर कोई आगे आने को तैयार न हो जो खुद नेता की तरह सब की ढाल बन कर खड़े रहना. तुम्हारी हिम्मत देखकर लोग खुद तुम्हारा हाथ थामेंगे. लेकिन कभी भी अपने नामों के अर्थ को शर्मशार न करना.
नामों का इफैक्ट
जिस तरह मुन्नालाल ने अपने बच्चों का अनोखा नाम रखा ठीक उसी तरह आज अधिकांश लोग अपने बच्चों के नाम वैज्ञानिकों, साहित्याकारों, नेताओं आदि के नामों पर रखना पसंद करते हैं ताकि उन का बच्चा भी उस जैसा बने यानी उन का मानना है कि नामों का पर्सनैलिटी पर सीधा असर पड़ता है. भले ही लोगों की ऐसी धारणा है लेकिन हमेशा ऐसा हो जरूरी नहीं. अगर किसी ने अपने बच्चे का नाम होशियार सिंह रखा है जो जरूरी नहीं कि वो होशियार ही हो.
होशियार बनने के लिए आप को मन लगाकर पढ़ाई करनी होगी. इसलिए कोशिश करें कि अपने नाम के अर्थ को सार्थक बनाने की.

‘मनम’ का रीमेक बना सकते हैं संजय लीला भंसाली

बॉलीवुड फिल्मों में हिंदी रीमेक बनाने का चलन बीते कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है. ‘बाजीराव मस्तानी’ जैसी सफल फिल्म बनाने वाले फिल्मकार संजय लीला भंसाली ने भी अब साउथ की फिल्म ‘मनम’ का रीमेक बनाने की इच्छा जताई है.

गौरतलब है कि इससे पहले भी पोकरी(वांटेड), दृश्यम, अलाईपायुथेय (साथिया), थेवार मगन (विरासत), मोमन्टो (गजनी), मर्यादा रामन्ना (सन ऑफ सरदार) जैसी साउथ की फिल्मों का रीमेक बॉलीवुड में बनाया जा चुका हैं.  

हिंदी सिनेजगत को 'ब्लैक', 'गुजारिश' व 'बाजीराव मस्तानी' जैसी फिल्में दे चुके फिल्मकार संजय लीला भंसाली जल्द ही तेलुगू की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'मनम' का हिंदी रीमेक बना सकते हैं. इस फिल्म में अक्कीनेनी कुनबे की तीन पीढ़ियों के सितारों ने काम किया है.

'मनम' के निर्देशक विक्रम कुमार ने बताया, हाल ही में जब मैं मुंबई में शूटिंग कर रहा था, तो फिल्म के हिंदी रीमेक के संबंध में उनसे मुलाकात की थी. हम हालांकि फिलहाल किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं, लेकिन उनकी अपने प्रोडक्शन हाउस के तहत फिल्म का रीमेक बनाने में दिलचस्पी है.’

तेलुगू फिल्म 'मनम' में दक्षिण भारत के दिग्गज दिवंगत अभिनेता अक्कीनेनी नागेश्वर राव, उनके बेटे नागार्जुन और उनके पोते नागा चैतन्य और अखिल हैं. 'मनन' को दर्शकों व समीक्षकों दोनों से जबर्दस्त सराहना मिली थी, जो पुनर्जन्म की कहानी है.

 

ISL: एफसी गोवा पर 11 करोड़ का जुर्माना

इंडियन सुपर लीग की टीम एफसी गोवा पर 11 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया जबकि इसके सह मालिकों को बैन कर दिया गया. आपको बता दें कि टूर्नामेंट की छवि खराब करने की एवज में श्रीनिवास डेम्पो पर 2 साल और दत्ताराज सलगांवकर पर 3 साल का बैन लगाया गया है. इस अवधि के दौरान वह स्टेडियम में भी दाखिल नहीं हो पाएंगे.

इंडियन सुपर लीग के रेग्यूलेटरी कमीशन ने 2015 आईएसएल फाइनल में हुए विवाद की सुनवाई पूरी करते हुए कड़ा फैसला लिया है. कमीशन ने एफसी गोवा पर 11 करोड़ रुपए का जुर्माना ठोक दिया है. 11 करोड़ रुपए के जुर्माने के साथ-साथ आयोग ने यह भी फैसला किया है कि एफसी गोवा की टीम अगले सीजन में -15 अंक के साथ शुरुआत करेगी. इसी के साथ कमीशन ने कहा कि टीम और टीम के मालिकों ने टूर्नामेंट की छवि को नुकसान पहुंचाया है.

मुंबई में सुनवाई पूरी होने के बाद कमीशन ने यह निर्णय सुनाया. रिटायर्ड जस्टिस डी.ए. मेहता की अध्यक्षता वाले पांच सदस्यीय आयोग ने सुनवाई में एफसी गोवा को आईएसएल के नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया. 20 दिसंबर को हुए विवाद के बाद कमीशन ने सभी पार्टियों को नोटिस दिया था. इसमें एफसी गोवा को नोटिस देकर पूछा गया था कि आप पर मैच के बाद पुरस्कार समारोह का बॉयकॉट करने के लिए एक्शन क्यों लिया जाए.

महासंघ पहले ही लगा चुका है 50 लाख का जुर्माना

अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ की अनुशासनात्मक कमेटी एफसी गोवा पर इसके लिए 50 लाख रुपए का जुर्माना पहले ही लगा चुकी है. एफसी गोवा का कहना है कि एक ही गलती के लिए उसे दो बार सजा नहीं दी जा सकती.

क्यों हुआ था विवाद

चेन्नईयन एफसी ने पिछले साल 20 दिसंबर को हुए फाइनल में एफसी गोवा को 3-2 से हरा दिया था. फाइनल हारने के बाद दत्ताराज सालगांवकर ने आरोप लगाया था कि चेन्नईयन के एलानो ब्लमर ने उनके साथ हाथापाई की है. इतना ही नहीं दत्ताराज ने एफआईआर दर्ज कराई. एलानो को गिरफ्तार कर लिया गया और एक दिन बाद छोड़ा गया. इतना ही नहीं एफसी गोवा को 11 और 12 अप्रैल को अपना केस आयोग के सामने रखने को कहा गया था लेकिन वह आयोग के सामने उपस्थित नहीं हुए.

वीडियो में निर्दोष साबित हुए थे एलानो

इस विवाद के वीडियो फुटेज का रिव्यू करने के बाद साफ हो गया था कि एलानो ने किसी के साथ हाथापाई नहीं की थी और वे पूरी तरह निर्दोष थे. फुटेज में उल्टा एफसी गोवा के अधिकारी एलानो के साथ धक्का-मुक्की करते नजर रहे थे. यहां तक कि एक अधिकारी ने ब्राजील के लिए वर्ल्ड कप खेल चुके फुटबॉलर एलानो को थप्पड़ जड़ दिया था जब वह खुद को बचाने की कोशिश कर रहे थे.

वन नाइट स्टैंडः कमजोर कथा व पटकथा ले डूबी

जैस्मिन डिसूजा निर्देशत रोमांटिक थ्रिलर फिल्म‘‘वन नाइट स्टैंड’’ महज सनी लियोनी की वजह से देखी जा सकती है. वह फिल्म दर फिल्म अपनी अभिनय क्षमता निखारती जा रही है. मगर अभी भी खुद को एक बेहतरीन अदाकारा साबित करने के लिए सनी लियोनी को काफी मेहनत करने की जरुरत है. वह परदे पर सेक्सी व खूबसूरत ही नजर आती हैं. फिल्म की कहानी बासी और बोरिंग है. फिल्म मं मुद्दा उठाया गया है कि यदि एक लड़का मौजमस्ती करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है,तो फिर लड़की क्यों नहीं.. मगर इस मुद्दे को भी सही ढंग से उभारा न जा सका.   

फिल्म की कहानी के केंद्र में सलीना(सनी लियोनी)और शादीशुदा उर्विल (तनुज विरवानी) हैं. वैसे कहानी शुरू होती है उर्विल से.उर्विल अपने अतीत की घटनाओं का जिक्र करते हुए बताता है कि वह आज जो कुछ है,उसकी वजह उसका अतीत है.उर्विल की कंपनी मंबई में एक फैशन शो का आयोजन करती है. फैशन शो खत्म होने के बाद इसकी सफलता का जष्न मनाने के लिए उर्विल अपने कुछ दोस्त के संग पब में पहुॅचता है. जहाॅं उसके दोस्त उससे कुछ रूपयों के लिए शर्त लगाते हं कि वह अनजान लड़की सलीना से बात करके दिखाए. इस शर्त को जीतने के लिए उर्विल, सलीना से परिचय करता है. दोनों बहुत ही जल्द एक दूसरे के दोस्त बनकर एक दूसरे के करीब आ जाते हैं. फिर वन नाइट स्टैंड के बाद दोनो अलग हो जाते हैं. उर्विल अपने घर पुणे पहुॅचता है, जहाॅं उसकी पत्नी सिमरन (न्यारा बनर्जी) उसका स्वागत करती है. सलीना तो उर्विल को भूलकर अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ जाती है. मगर उर्विल, सलीना को नहीं भूल पाता. वन नाइट स्टैंड की घटना घटित होने के कुछ समय बाद एक माल में अपनी पत्नी सिमरन के साथ कुछ खरीददारी करने जाता है, तो वहां पर उर्विल व सलीना फिर मिलते हैं और यहीं से उर्विल और उसकी पत्नी सिमरन (न्यारा बनर्जी) की जिंदगी में तूफान आ जाता है. उसके बाद उर्विल, सलीना को दुबारा पाने का प्रयास करता है. उसके बाद कहानी कई मोड़ो से होकर गुजरती है.

फिल्म की कहानी मंबई, पुणे होते हुए बैंकाक तक पहुॅचती है .मगर भवानी अय्यर की इस कहानी में कहीं कुछ भी नयापन नहीं है. कहानीकार के तौर पर वह दर्शकों को बांधकर रखने में पूरी तरह से नाकाम नजर आते हैं. यदि ख्बसूरत लोकेशंस को भूल जाए तो पूरी फिल्म उबाउ लगती है. फिल्म का इंटरवल के बाद का हिस्सा तो कुछ ज्यादा ही बोर और उबाउ है. संगीत भी कुछ खास नही है. फिल्म में निनाद कामत को छोड़कर कोई भी कलाकार बेहतरीन परफार्मेस नहं दे पाया है. तनुज विरानी कई दृष्यों में अपने चेहरे पर सही हाव भाव नहीं ला पाए. यदि यह कहा जाए कि कमजोर कहानी व कमजोर पटकथा इस फिल्म को ले डूबी,तो कुछ भी गलत नहीं होगा.

‘‘स्विस इंटरटेनमंट प्रा.लिमिटेड’’ के बैनर तले बनी फिल्म ‘‘वन नाइट स्टैंड’’के निर्माता  फरक्वान खान व प्रदीप शर्मा, निर्देशन जस्मिन डिसूजा, कहानीकार भवानी अय्यर,संगीतकार जीत गांगुली, मीत ब्रदर्स, विवेक कर और टोनी कक्कड़ तथा कलाकार हैं- सनी लियोन,तुनज विरवानी,न्यारा बनर्जी,खालिद सिद्दकी, निनाद कामत.

नहीं आया कभी फिक्सिंग का ऑफर: कोहली

भारतीय टेस्ट कप्तान विराट कोहली की राय है कि 'चाहे आप कितने भी कड़े कदम उठा लें, चाहे कितना भी मजबूत सुरक्षा सिस्टम बना लें, लेकिन अगर क्रिकेट में मैच फिक्सिंग या स्पॉट फिक्सिंग को रोकना है, तो इसके लिए एक खिलाड़ी को खुद ही सही फैसले लेने होंगे'.

उन्होंने कहा कि मैच फिक्सिंग को हटाने के लिए आप कितना ही भरसक प्रयत्न करो लेकिन यह हमेशा ही व्यक्तिगत खिलाड़ी पर निर्भर करेगी कि वह कौन सा विकल्प चुनता है.

कोहली ने आगे कहा कि आप निश्चित रूप से किसी के कमरे में जाकर यह नहीं कह सकते कि आप किसी से इस तरह से बात मत कीजिए. उन्होंने कहा कि वे नियम बना सकते हैं और आप इतना ही कर सकते हैं. अंतत: यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह किस तरह के फैसले करना चाहता है.

यह पूछने पर कि क्या क्रिकेट अधिकारियों ने मैच फिक्सिंग को दूर करने के लिए काफी प्रयास किया है तो कोहली ने कहा कि मुझे लगता है कि अधिकारी उतना तो कर रहे हैं कि वे खेल को साफ सुथरा रख सकें. अगर कोई कुछ गलत करने का विकल्प चुनता है तो यह मायने नहीं रखता कि आप कितना नियंत्रण करते हो.

इसके खिलाफ खिलाड़ी हों सख्त

विराट कोहली ने कहा कि जो भी अधिकारी हैं और जो भी संस्थाएं हैं, वो पूरी कोशिश कर रही हैं कि खेल से फिक्सिंग को दूर किया जाए, लेकिन जब तक इस खेल को खेलने वाले खिलाड़ी ही सख्ती से इसके खिलाफ नहीं होगें तब तक इस पूरी तरह हटाना मुश्किल है. 

 नहीं आया ऐसा कोई प्रस्ताव

अगर कोई खिलाड़ी इतने नियम होने के बावजूद भी फिक्सिंग करना चाहता है, तो आप इसे नहीं रोक पाएंगे. हालांकि विराट कोहली ने यह भी कहा कि उनके क्रिकेट करियर में अभी तक उनके सामने मैच फिक्स या स्पॉट फिक्स करने का कभी कोई ऐसा प्रस्ताव नहीं आया और कोहली उम्मीद करते हैं कि आगे भी भगवान की कृपा से उन्हें ऐसा कुछ न देखना पड़े.

रिटायरमेंट के बाद क्या करेंगे कैप्टन कूल!

भारतीय क्रिकेट टीम के वनडे और टी20 कप्तान कूल महेंद्र सिंह धोनी ने क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद व्यवसाय में हाथ आजमाने का फैसला किया है क्योंकि वो अभी से ही कई व्यवसाय में जुड़ चुके हैं. धोनी रियल एस्टेट, सिक्यूरिटी साल्यूशंस, जिम्नेशियम चेन और स्पोर्ट्स वस्त्र निर्माण चेन 'सेवन' में निवेश कर चुके हैं

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 'सेवन' धोनी का पहला व्यापार उपक्रम नहीं है, वे रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्रायवेट लिमिटेड के साथ मिलकर स्पोर्ट्स फिट वर्ल्ड नामक फिटनेस सेंटर चेन के सहमालिक भी है. रिति स्पोर्ट्स ही उनके ब्रांड इंडोर्समेंट और कम्युनिकेशन्स का प्रबंधन देखती है.

रिति खेल प्रबंधन अध्यक्ष अरुण पांडेय ने कहा कि, धोनी खुद एक प्रमुख ब्रांड है उन्हें खुद के प्रचार के लिए किसी विज्ञापन अभियानों की जरूरत नहीं है.

जिम चेन में धोनी की 65 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इसके अलावा धोनी की हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) फ्रेंचाइजी ‘रांची रेज’ और इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) ‘चेन्नईयन एफसी’ तथा सुपरस्पोर्ट व्लर्ड चैंपियनशिप टीम ‘माही रेसिंग टीम इंडिया’ में भी हिस्सेदारी है.

स्पोर्ट्स और फिटनेस वर्ल्ड के अलावा धोनी ने आम्रपाली माही डेवलपर्स प्रा.लि. के जरिए रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश किया है. यह उनका आम्रपाली ग्रुप के साथ संयुक्त उपक्रम है. इसमें उनकी पत्नी साक्षी धोनी की 25 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. धोनी इसके अलावा ऑप्टिमम विलिजेंस साल्युशंस में सबसे बड़े पार्टनर है. वे इसके अलावा 'एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' में संयुक्त निर्माता भी है.

धोनी वर्तमान में 17 ब्रांड्स के साथ जुड़े हुए हैं और सबसे ज्यादा पैसा कमाने वाले क्रिकेटर हैं. फोर्ब्स ने 2014-15 में 31 मिलियन डॉलर की आमदनी के साथ उन्हें दुनिया का 23वां सबसे अमीर खिलाड़ी बताया था. इसमें 4 मिलियन डॉलर वेतन और अन्य राशि विज्ञापनों के जरिए प्राप्त हुई थी.

क्रिकेटर्स आमतौर पर सेवानिवृत्ति होने के बाद रेस्तरां खोल लेते हैं जिनमें सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह और जहीर खान के नाम शामिल हैं.

स्विट्जरलैंड में यश चोपड़ा की कांस्य प्रतिमा स्थापित

यश चोपड़ा के सम्मान में स्विट्जरलैंड सरकार ने उनकी प्रतिमा स्थापित की है. चोपड़ा के फिल्म बैनर यशराज फिल्म्स ने एक बयान में कहा कि दिवंगत फिल्मकार की पत्नी पामेला और बहू रानी मुखर्जी ने उनकी कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया. प्रतिमा का वजन करीब 250 किलोग्राम है.

चोपड़ा ने अपनी फिल्मों में जिस तरह स्विट्जरलैंड की खूबसूरती को दिखाया था, उसने देश में दक्षिण एशिया के पर्यटकों की संख्या बढ़ाने में मदद की. प्रतिमा इंटरलेकन नगर के मध्य में स्थित कुरसाल इलाके में कांग्रेस सेंटर के पास स्थापित की गई है. कांग्रेस सेंटर पर्यटकों का पसंदीदा गंतव्य स्थल है.

स्विट्जरलैंड के मंत्री और वरिष्ठ नौकरशाह अनावरण समारोह में मौजूद थे जिसका आयोजन इंटरलेकन टूरिज्म और जुंगफ्रो रेलवे ने किया था. इससे पहले इंटरलेकन प्रशासन ने 2011 में चोपड़ा को ‘एंबेसडर ऑफ इंटरलेकन’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया था और जुंगफ्रो रेलवे ने उनके नाम पर एक ट्रेन का नाम रखा था. इंटरलेकन में स्थित पांच सितारा होटल विक्टोरिया जुंगफ्रो ग्रैंड होटल एंड स्पा में यश चोपड़ा के नाम का एक सुईट भी है.

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