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आप तो नहीं करते वाई-फाई संबंधी ये गलतियां?

इंटरनेट की धूम होने के बाद हर कोई अपने घर में स्‍ट्रांग इंटरनेट नेटवर्क रखना चाहता है ताकि वह सभी के साथ समय पर कम्‍यूनिकेट कर सके. आजकल हर जगह पर वाई-फाई नेटवर्क कर दिया गया है ताकि सभी लोगों की संचार प्रक्रिया बाधित न होने पाएं.

हम आपको कुछ ऐसी गलतियों के बारे में बताएंगे जो वायरलेस नेटवर्क की सेटिंग के दौरान लोगों द्वारा अक्‍सर की जाती हैं.

राउटर को मैनुअली डिस्‍कार्ड: प्‍लग एंड प्‍ले और ऑन-द-गो डिवाइस के आने से, यूजर गाइड और मैनुअल, बॉक्‍स के कम-से-कम उपयोगी सामग्री हो गए हैं. हालांकि, यह कबाड़ को दूर रखने का अच्‍छा तरीका है, राउटर्स एक जटिल उपकरण है इसे मैनुअल सेट करना आपको समस्‍या में डाल सकता है. बेहतर होगा आप ऑटो मोड पर ही इसे सेट करें.

राउटर को दीवार के पास रखना: राउटर को कभी भी कंक्रीट दीवार के पास न रखें, इससे उसकी नेटवर्क प्रदान करने की क्षमता पर असर पड़ता है और यूजर को सही फ्रिक्‍वेंसी का नेटवर्क नहीं मिल पाता है.

कॉमन एसएसआईडी नाम: एसएसआईडी एक विशेष प्रकार की आईडी होती है जिसे आपके वाई-फाई नेटवर्क को अलॉट किया जाता है. अगर आपके अपॉर्टमेंट या ऑफिस में कई वायरलेस नेटवर्क हैं तो एक ही एसएसआईडी नाम दीजिए ताकि किसी भी प्रकार के कन्‍फ्यूजन से बचा जा सकें.

डिफॉल्‍ट पासवर्ड का उपयोग: यह सबसे बड़ी समस्‍या है और कई लोग इसे अपनी गलती भी मानते हैं. कई बार इतने आसान से पासवर्ड का उपयोग किया जाता है कि कोई भी इन्‍हें क्रैक कर सकता है.

वाई-फाई इनक्रिप्‍शन ऑफ: वाई-फाई इनक्रिप्‍शन का अर्थ, आपके नेटवर्क पैकेट डेटा के सोर्स या डेस्‍टीनेशन की पहचान को गुप्‍त रखते हुए आपके नेटवर्क की सुरक्षा से होता है. यह आमतौर पर यूं ही ऑन रह जाता है लेकिन आप इसे डबल चेक करें और ऑन रखें.

गलत इनक्रिप्‍शन का चयन: टूग्‍गल करने के लिए आपके सामने कई वाई-फाई नेटवर्क होते हैं और आप सबसे सही और अपनी जरूरत के हिसाब से ही इनक्रिप्‍शन का चयन करें. साथ ही अपने नेटवर्क को सही प्रोटेक्‍शन प्रदान करने के लिए स्‍ट्रांग पासवर्ड डालें.

फायरवॉल सिक्‍योरिटी ऑप्‍शन को नकारना: फायरवॉल सिक्‍योरिटी ऑप्‍शन को नकारना किसी भी यूजर की सबसे बड़ी भूल हो सकती है. आप इसे कभी न नकारें और अपने सिस्‍टम को सेफ रखें.

फर्मवेयर अपडेट को नकारना: महत्‍वपूर्ण अपडेट को नकारना, नेटवर्क की सुरक्षा को कम करने के समान होता है. कई बार यूजर्स नेटवर्क लगने के बाद इन अपडेट को करना सही नहीं समझते हैं, ऐसे में नेटवर्क सुरक्षा में कमी आ जाती है.

गलत कॉन्‍फीग्रेशन इन्‍फॉर्मेशन का इस्‍तेमाल: एक आईपी एड्रेस, सबसे अलग वायरलेस नेटवर्क एड्रेस होता है. लेकिन कई लोग वायरलेस नेटवर्क में गलत जानकारी दे देते हैं जो कि सही नहीं है.

गलत एडॉप्‍टर और राउटर्स को मिलाना: जी हां, गलत एडॉप्‍टर और राउटर्स को मिला देना भी एक गलती है. सही एडाप्‍टर को सही राउटर के साथ ही लगाना चाहिए वरना नेटवर्क की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

 

अब शॉपिंग के लिए होगा पूरा दिन

केंद्र सरकार एक केबिनेट बैठक में मॉडल शॉप्स एंड एस्टेबलिशमेंट कानून को मंजूरी दे दी है. अब देश के सभी शहरों में बैंक्स, मॉल्स, मूवी थिएटर्स, रेस्त्रां, लोकल मार्केट, दुकानें और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स 365 दिन 24 घंटे खुले रहेंगे. इसके तहत शहर की वही दुकानें 24 घंटे खुली रह सकेंगी, जो फैक्ट्री कानून के तहत नहीं आतीं. इसके तहत संस्थानों को 24 घंटे दुकानें खोलना जरूरी होगा. ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई होगी.

10 से कम कर्मचारियों वाले संस्थान पर नियम लागू नहीं होगा. सरकारी ऑफिस व आरबीआई इस नए मॉडल के दायरे में नहीं आएंगे. यह कानून अब राज्यों के पास जाएगा. उनसे चर्चा के बाद इसके लागू होने की तारीख तय होगी. यह मॉडल कानून है, इसे पास करने के लिए सरकार को संसद की मंजूरी नहीं चाहिए.

मिलेगी सुविधा

मॉल जल्द बंद होने से उन लोगों को परेशानी होती है जो नौकरी व व्यापार से समय नहीं निकाल पाते है. 24 घंटे खुले रहने की स्थिति तो अभी नहीं है, लेकिन 2-3 घंटे का समय आसानी से बढ़ा सकते है, ताकि लोगों को खरीदारी का मौका मिले.

शोरूम चालू रखेंगे

वहीं ज्वेलर्स का कहना है कि प्रशासन अगर सुरक्षा की व्यवस्था करता है तो सोने-चांदी के शोरूम व सराफा बाजार 24 घंटे चालू रखने में किसी तरह का परहेज नहीं है.

अब सिरदर्द नहीं आईफोन मेंटेनेंस

आईफोन और मैक, उनके यूजर्स के लिए बहुत जरूरी होते हैं. और अगर उनमें थोड़ी सी भी इंटरनल या एक्‍सटर्नल प्रॉब्‍लम आ जाती है तो उन्‍हें खटक जाता है. लेकिन हम आपको ऐसे टिप्‍स बताएंगे, जिनके माध्‍यम से आप घर पर ही आईफोन या मैक में होने वाली हल्‍की दिक्‍कतों को सही कर लेंगे.

चिपकती बटन: अगर आपके आईफोन या मैक की बटन चिपकने लगी है तो परेशान न हो. आप एल्‍कोहल को कॉटन पर लें और उससे हल्‍के हाथों से पोंछ लें.

धीमी चार्जिंग: अगर फोन में धीमी चार्जिंग होने लगी है तो इसका मतलब है कि चार्जिंग प्‍वाइंट में डस्‍ट आ गई है इसके लिए किसी ब्रश की मदद से धूल के उन कणों को साफ कर दें और आपका आईफोन फिर से तेजी से चार्ज होने लगेगा.

इयरपॉड्स को साफ करना: अगर आपके इयरपॉड्स गंदे हो जाएं तो उन्‍हें टूथपिक सा टूथब्रश की मदद से हल्‍के हाथों से साफ करें. जाली में भरने वाली धूल साफ हो जाएगी, पानी का इस्‍तेमाल वर्जित है.

अच्‍छी आवाज: अगर आपको आईफोन में कोई पसंदीदा गाना सुनना है और आपको मनमुताबिक तेज आवाज नहीं मिल रही है तो उसे किसी खाली बड़े कटोरे में रख दें, इससे जो आवाज आएगी वो आपको काफी अच्‍छी लगेगी.

केबल मुड़ना: अच्‍छे वॉयर अंदर से कभी खराब नहीं होते हैं लेकिन उनकी सिरे मुड़ जाते हैं और वहीं से वो टूट जाते हैं. अगर आपके इयरफोन या चार्जर में भी ऐसा ही हुआ है तो सिरे पर प्‍लास्टिक कोटिंग कर दें, आप चाहें तो सेलो टेप भी लगा सकते हैं.

सुगरू: आप चाहें तो टूटी हुई वॉयर पर सुगरू को लगा सकते हैं, भारत में आप इसे एमसिल आदि नाम से भी जानते हैं. इसे लगाकर छोड़ दें.

किनारों की रक्षा: अगर आपके आइफोन या आइपैड के किनारों पर खरोंच आ गई है या आप उन्‍हें हमेशा सुरक्षित रखना चाहते हैं तो इसके लिए भी सुगरू की मदद ले सकते हैं और उसे भी डिजाइन बनाकर किनारों पर सेट कर सकते हैं.

कॉर्ड की रक्षा: अगर आप अपने चार्जर और केबल को हमेशा सेफ रखना चाहते हैं तो उसमें पेन की पुरानी स्प्रिंग को डाल दें. इससे वह मुड़ने पर टूटेगा नहीं.

मोबाइल स्‍टैंड: कई बार आपको फोन को पॉकेट से निकालकर बाहर रखने की जरूरत पड़ जाती है. ऐसे में दो पेपर क्लिप की मदद से आप कभी भी फटाक से स्‍टैंड बना सकते हैं. पिक्‍चर को ध्‍यान से देखिए और इसी प्रकार स्‍टैंड बना लीजिए.

कार्डबोर्ड स्‍टैंड: आप पुराने क्रेडिट कार्ड या अन्‍य कार्ड की मदद से स्‍टैंउ बना सकते हैं.

आईपैड और एप्‍पल पेसिंल: घर पर ही इन्‍हें एंटरटेनमेंट के लिए बनाना आसान है. ज्‍यादा जानकारी के लिए इस लिंक को पढ़ें.

सिलिका जेल: अगर आपका आइपैड या मैक भीग गया है तो सिलिका जेल काम में आती है. यह किसी भी नए उत्‍पाद में पुड़िया के रूप में पड़ी रहती है. आप इसके साथ अपनी डिवाइस को रख दें. यह जेल, नमी सोख लेगी.

सिम निकालना: एप्‍पल के प्रोडक्‍ट से सिम निकालना मुश्किल काम है इसके लिए आप पेपर क्लिप को सीधा कर लें और उसकी मदद से सिम स्‍लॉट को दबाएं.

 

 

भारत को मिलने लगा ब्रेक्जिट का लाभ

भारतीय क्रूड बास्केट का दाम करीब दो डॉलर घटकर मंगलवार को 45.35 डॉलर पर आ गया. बीते गुरुवार को इस क्रूड बास्केट का मूल्य 47.26 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर था. सरकारी तेल कंपनियां इसका फायदा ग्राहकों को भी ईंधन कीमतों में कमी करके दे सकती हैं.

इसी महीने 16 तारीख को तेल कंपनियों ने पेट्रोल कीमत में पांच पैसे और डीजल में 1.26 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी. ब्रिटेन व यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्थाओं में अस्थिरता की आशंका में अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड के भाव लुढ़क गए थे. कच्चे तेल की कीमतों में अब सुधार का रुख है. बुधवार को न्यूयॉर्क के बाजार में ब्रेंट क्रूड 1.30 डॉलर भड़ककर 49.88 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. इसी तरह यूएस क्रूड भी बढ़कर 49.14 डॉलर प्रति बैरल पर जा पहुंचा.

WT20 में अब खेल सकती हैं 12 टीमें

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) 2018 में होने वाले विश्व टी20 के मुख्य ड्रॉ में दो और टीमों को जोड़ने के लिये तैयार है. आईसीसी के सालाना सम्मेलन के पहले दिन के दौरान एसोसिएट देशों की बैठक के बाद यह बात सामने आई. यानी अब सुपर 10 की जगह सुपर 12 राउंड होगा.

सूत्रों के मुताबिक इस तरह के भी संकेत हैं कि एसोसिएट देशों के प्रतिनिधियों को आईसीसी बोर्ड में पूर्ण मतदान अधिकार भी दिया जा सकता है.

हांगकांग क्रिकेट संघ के मुख्य कार्यकारी टिम कटलर ने कहा, ‘मैंने जो सुना है उसके अनुसार दो टीमों को जोड़कर सुपर 12 तैयार किया जाएगा. ऐसा लगता है कि अभी इस फॉर्मेट पर सहमति है. यह सही दिशा में उठाया गया कदम है.’

रिपोर्ट के अनुसार आईसीसी चेयरमैन शशांक मनोहर ने घोषणा की है कि आईसीसी में एसोसिएट देशों के तीन प्रतिनिधियों को पूर्ण मतदान अधिकार देने का प्रस्ताव है और इसे इस सप्ताह के आखिर में मंजूरी मिल सकती है.

शाल पर न और चुंबन पर हां

कर्नाटक के चामराजनगर जिले का कस्बा कोल्लेगल काले जादू के लिए इतना कुख्यात है कि वहां अभी तक कोई मुख्यमंत्री मारे डर के गया ही नहीं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि काले जादूगर कुर्सी भी खिसका सकते हैं और मूठ मारनी नाम की तांत्रिक क्रिया भी कर सकते हैं, जो हो जाए तो आदमी जिंदा नहीं बचता. पहली दफा कोई सीएम यानि सिद्धारमैया वहां गए तो, पर काले जादू का भूत उनके सर उस वक्त सवार हो गया, जब चामराजनगर के एक किसान ने उन्हे भेंट मे लाल रंग की शाल देनी चाही. सिद्धारमैया लाल रंग की शाल देख भड़के तो नहीं, पर उन्होंने किसान की यह भेंट लेने से इस अंदाज मे इंकार किया कि मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उसे बाहर कर दिया. यह किसान भी सीएम को शाल देने की अपनी जिद पर अड़ गया था, इसलिए भी स्थिति असहज हो गई थी.

बहरहाल बला तो टल गई, पर सवाल यह छोड़ गई कि क्या सिद्धारमैया भी इतने अंधविश्वासी हो चले हैं कि एक लाल शाल से डर गए. जबाब हां में ही निकलता है, क्योंकि कुछ दिन पहले ही उनकी कार पर काला कौआ बैठ गया था, तो उन्होंने तुरंत नई कार का ऑर्डर दे दिया था और उस कार में सवार नहीं हुये थे, जिसका लिहाज कौए ने नहीं किया था कि यह सीएम की कार है, इस पर नहीं बैठना चाहिए.

दरअसल कर्नाटक में सब कुछ ठीक ठाक नहीं है. सिद्धारमैया को हटाये जाने की मांग कांग्रेस के अंदर ज़ोर पकड़ रही है. इसलिए कोई जोखिम ना उठाते हुए वे कौओं और लाल शालों से बिदकने लगे हैं, तो उन पर तरस ही खाया जा सकता है. इससे तो बेहतर होगा कि वे पद पर बने रहने के लिए काले जादूगरों का सहारा लेते और काग शांति के लिए कोई यज्ञ हवन करवा डालते.

असल मे भयभीत आदमी की मनोस्थिति क्या होती है यह सिद्धारमैया की हालत देख समझा जा सकता है. ज्यादा नहीं इससे 3 दिन पहले एक पंचायत कर्मी ने सार्वजनिक रूप से उनका चुंबन ले लिया था, तब वे कुछ नहीं बोले थे, उल्टे चुंबन देने वाली महिला को आशीर्वाद दे दिया था, क्योंकि उसने उन्हें पितातुल्य बताया था. मुमकिन है किसान भी उन्हे अग्रज मानता हो, पर बेचारा कह नहीं पाया होगा. अब कौओं और शाल से डरा एक सीएम कब तक इन कथित टोने टोटकों और अपशगुनों से खुद को बचाए रख पाता है, यह देखना कम दिलचस्पी की बात नहीं होगी. 

VIDEO: देखिए क्या हुआ जब वाघा बॉर्डर पर भिड़ गये भारत और पाकिस्तान के जवान

हर रोज़ सूर्यास्त के दौरान भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट दोनों देशों के बीच भाईचारे और सहयोग की भावना को बनाए रखने के लिए रिट्रीट समारोह का शांतिपूर्ण आयोजन किया जाता है.

आमतौर पर भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर रिट्रीटिंग सेरेमनी के दौरान दोनों देशों के रेंजर्स अपनी बॉडी लैंग्वेज से तो आक्रामकता दिखाते ही हैं, लेकिन इस बार बात मार-पीट तक भी जा पहुंची है. दरअसल, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें रिट्रीट सेरेमनी के दौरान भारत-पाकिस्तान रेंजर्स को आपस में मार-पीट करते हुए देखा जा सकता है.

रिपोर्ट के मुताबिक, पांच साल पहले ये आपस में बुरी तरह से झगड़ पड़े थे. घटना के दिन फिरोजपुर बॉर्डर पर जब रोज़ की तरह सेरेमनी पूरी हो रही थी. तभी भारतीय जवान की कोहनी पाकिस्तानी जवान को लगी. बस इस जरा सी बात पर उसे ऐसा गुस्सा आया कि अफरा-तफरी मच गई.

9 जून को Me Video द्वारा एक वीडियो अपलोड किया गया है. कुछ लोग ये दावा कर रहे हैं कि ये लड़ाई इस महीने की शुरुआत की है, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि यह वीडियो पांच साल पुराना है. हालांकि, इस बारे में सरकार की ओर से कोई बयान नहीं आया है.

आप भी देखें नीचे दिया गया ये वीडियो:

जून में रांची में हुई हर रोज एक हत्या

जून महीने के रांची में हुई हत्याओं का औसत देखें तो हर रोज एक हत्या हुई है. जी हां, चौंकाने वाला तथ्य है पर रांची जिले में 28 दिनों में 28 हत्या हो चुकी है. पिछले नौ दिनों के भीतर 22 लोग मारे जा चुके हैं. ज्यादातर मामलों में खुलासा नहीं हुआ है और जांच परिणाम शून्य पर अटका पड़ा है. आलम यह है कि हत्या दर हत्या से जहां आम लोग दहशत में हैं, वहीं अपराधी पुलिस को खुली चुनौती दे रहे हैं.

तारीख दर तारीख जून में हुई हत्याएं

2 जून – रातू थाना क्षेत्र में सुखदेव नगर निवासी गोवर्धन साहू की गोली मार कर हत्या.

7 जून – तुपुदाना के मंगल बाजार में दो लोगों की हत्या

9 जून – कांके में एक निजी कंपनी के एजेंट अभिषेक की गोली मार कर हत्या. सिकिदिरी थाना क्षेत्र में नवविवाहिता जयंति देवी की हत्या.

14 जून – चान्हों में मुनिया देवी की हत्या.

20 जून- मेसरा आपी क्षेत्र में नसीम अंसारी की हत्या.

21 जून- खलारी थाना क्षेत्र में दुखन गंझू और आफताब की हत्या.

21 जून- रातू में डायन बिसाही के आरोप में दंपत्ति की हत्या.

21 जून-नगरी में अज्ञात का शव मिला जिसकी हत्या की आशंका जाहिर की गई.

21 जून-सदर थाना क्षेत्र के एक अपार्टमेंट में छठी मंजिल से फेंक कर नवजात की हत्या.

22 जून- लापुंग थाना क्षेत्र में सगे भाइयों अमित लोहरा और किसुन लोहरा की गोली मार कर हत्या.

23 जून- लापुंग थाना क्षेत्र में दो नाबालिगों की गोली मार कर हत्या.

25 जून – सोनाहातू थाना क्षेत्र में प्रेमी मुकेश महतो ने की प्रेमिका की चाकू मार कर हत्या.

26 जून – ठाकुरगांव के इटेहे में डायन बिसाही के आरोप में भुखली देवी की भरी पंचायत में हत्या.

27 जून – नामकुम के हुवांगहातु पंचायत के ककड़ा जंगल में तीन युवकों की टांगी से मार कर हत्या.

28 जून – तुपुदाना ओपी क्षेत्र में छह युवकों की गोली मार कर हत्या.

जो दिखता है, वह बिकता है

‘जो दिखता है वह बिकता है’ का कॉन्सेप्ट मॉल कल्चर के लिए बहुत मायने रखता है. दुकानों के सामने सिर्फ डिस्प्ले लगाने का दौर अब नहीं रहा. शोरूम्स में हर चीज इतनी सलीके से रखी हुई मिलती हैं कि कस्टमर कोई वस्तु खरीदने जाता है, तो अन्य चीजें भी आकर्षित करने लगती हैं. सेल्समैन से कुछ भी पूछने की जरूरत नहीं पड़ती. दरअसल, यह सब विजुअल मर्चेंडाइजिंग का कमाल है, जो अपने आप में पूरी एक साइंस है यानी स्टोर में प्रोडक्ट को कैसे डिस्प्ले करना है? वॉल पर क्या कलर अच्छा लगेगा? कैसे टारगेट कस्टमर को दुकान या स्टोर के अंदर लाया जाए? … इत्यादि. इसीलिए विजुअल मर्चेंडाइजर को ‘साइलेंट सेलर’ भी कहा जाता है. रिटेल स्टोर और मल्टी स्टोर का चलन बढ़ने से इस प्रोफेशन की डिमांड बहुत बढ़ गई है.

प्रोफेशनल थीम का जमाना

विजुअल मर्चेंडाइजिंग प्रजेंटेशन का एक आर्ट है, जिससे किसी चीज की छवि बनाई जाती है. दरअसल, यह मार्केटिंग का ही दूसरा रूप है. एक विजुअल मर्चेंडाइजर का मुख्य ध्येय कस्टमर को प्रोडक्ट के प्रजेंटेशन के जरिये लुभाना और उन्हें खरीदारी के लिए प्रोत्साहित करना है, ताकि सेल्स में बढ़ोत्तरी हो.

ऐसा करने के लिए स्टोर में चीजों को क्रिएटिव ढंग से लगाना, विंडो डिस्प्ले, विजुअल डिस्प्ले, कलर ब्लॉकिंग, काउंटर तथा इन-काउंटर डिस्प्ले जैसे तमाम तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं. मॉल या स्टोर के लिए पिक्चर, ब्रॉसर और पोस्टर भी यही लोग तैयार करते हैं ताकि कस्टमर से बिना कुछ बोले कम्युनिकेट किया जा सके. ऐसे प्रोफेशनल थीम के अनुसार अपनी स्ट्रेटेजी बदलते रहते हैं. मसलन, किस मौसम में क्या विंडो थीम रखना है? होली, दीपावली जैसे त्योहारों पर या वैलेंटाइन जैसे मौकों पर स्टोर की विंडो थीम क्या होनी चाहिए?

करियर स्कोप

विजुअल मर्चेंडाइजर के लिए करियर स्कोप सिर्फ रिटेल सेक्टर में ही नहीं है. ऐसे प्रोफेशनल्स की वैल्यू ई-कामर्स कंपनियों में भी बहुत है, जहां ये स्नैपडील, अमेजन जैसी कंपनियों की वेबसाइट का लुक तैयार करते हैं. प्रोडक्ट डिस्प्ले पर काम करते हैं. इसी तरह, रेस्टोरेंट और कैफे में आजकल सीजनल थीम तय करने का काम यही प्रोफेशनल्स कर रहे हैं. इनके हिसाब से ही खाने-पीने की चीजें कस्टमर को परोसे जाते हैं. स्टोर्स में भी प्रोडक्ट डिस्प्ले के लिए इनकी सेवाएं ली जा रही हैं. अच्छी डिजाइनिंग और फैशन सेंस रखने की वजह से टेक्सटाइल इंडस्ट्री में भी इनके लिए स्कोप लगातार बढ़ रहे हैं.

जॉब अपॉच्र्युनिटी

देश में रिटेल सेक्टर तेजी से विकास कर रहा है. ऑनलाइन शॉपिंग कल्चर भी बढ़ रहा है. वॉलमार्ट, आइटीसी, शॉपर्स स्टॉप, पैंटालून, तनिष्क तथा टाइटन जैसे ग्रुप छोटे से लेकर बड़े शहरों में दिनोंदिन मल्टीस्टोर खोल रहे हैं. इसलिए विजुअल मर्चेंडाइजर्स के लिए यहां जॉब की संभावनाएं भी बहुत हैं. मॉल्स, फैशन बूटीक्स, फाइव स्टार होटल्स और रेस्टोरेंट में भी ऐसे प्रोफेशनल्स की भारी डिमांड है. विजुअल मर्चेंडाइजिंग के जानकारों के लिए एम्पोरिया, डिजाइन कंपनी, आर्किटेक्चर फर्म तथा थीम पार्टी ऑर्गेनाइजिंग कंपनीज में भी जॉब के तमाम अवसर हैं. युवा चाहें, तो पार्टटाइम के रूप में फ्रीलांसिंग भी कर सकते हैं.

जॉब ग्रोथ

इस फील्ड में ग्रोथ बहुत है. अपने काम के आधार पर आप असिस्टेंट लेवल से लेकर क्लस्टर मैनेजर और ब्रांच मैनेजर तक बन सकते हैं. कई बड़ी कंपनियों की डिस्प्ले टीम में ऐसे प्रोफेशनल शॉप फ्लोर मैनेजर, स्टोर विजुअल मर्चेंडाइजर, विजुअल मर्चेंडाइजिंग मैनेजर, विजुअल मर्चेंडाइजिंग को-आर्डिनेटर, फ्रीलांस विजुअल डिस्प्ले पर्सन, रिटेल विजुअल मर्चेंडाइजर तथा असिस्टेंट के तौर पर अपनी सेवाएं देते हैं.

क्वालिफिकेशन

विजुअल मर्चेंडाइजिंग फील्ड में प्रवेश के लिए रिटेल या फैशन मर्चेंडाइजिंग का बैकग्राउंड होना जरूरी है. ग्रॉफिक डिजाइनिंग के जानकार भी यहां करियर बना सकते हैं. वर्तमान में कई इंस्टीट्यूट विजुअल मर्चेंडाइजिंग या फैशन कम्युनिकेशन में डिग्री, डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स ऑफर कर रहे हैं. डिप्लोमा कोर्स युवा ग्रेजुएशन के बाद कर सकते हैं. वहीं, डिग्री प्रोग्राम के लिए किसी भी स्ट्रीम से 10+2 उत्तीर्ण होना अनिवार्य है. विजुअल मर्चेंडाइजिंग कोर्स के अंतर्गत स्टूडेंट को रिटेल स्टोर के लेआउट, डिजाइन स्टोर डिस्प्ले, प्रोडक्ट प्रजेंटेशन, इंटीरियर डेकोरेशन आदि की जानकारी दी जाती है.

स्मार्ट सेंस से बढ़ेंगे आगे

गुड़गांव स्थित एबीजी रिटेल में विजुअल मर्चेंडाइजर राहुल कुमार वर्मा कहते हैं कि इंडिया में रिटेल सेक्टर बूम पर है. इसकी मार्केट वैल्यू बढ़ रही है. इसलिए हर स्टोर में विजुअल मर्चेंडाइजर की जरूरत है, क्योंकि स्टोर का लुक ऐंड फील मेंटेन रखना इन्हीं के जिम्मे होता है. ये प्रोफेशनल स्टोर के लिए विंडो थीम तथा प्रमोशनल थीम भी तैयार करने में माहिर होते हैं. वॉलमार्ट जैसे बड़े ग्रुप इस फील्ड में आ रहे हैं, इसलिए स्कोप और बढ़ रहा है. ऐसे में जिन युवाओं का फैशन और प्रजेंटेबल सेंस अच्छा है, जो क्रिएटिव हैं, उनके लिए रिटेल या ई-कॉमर्स फील्ड में करियर बहुत है.

प्रजेंटेशन पर बढ़ता जोर

नई दिल्ली स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी में एसोसिएट प्रोफेसर-डिजाइन विजय कुमार दुआ का मानना है कि देश की जीडीपी बढ़ रही है. खाने- पीने की सुविधा अब बहुत हो गई है. लोगों की स्पेंडिंग कैपिसिटी भी बढ़ गई है. वीकेंड पर घूमने-फिरने का चलन बढ़ रहा है. स्टैंडर्ड लाइफस्टाइल मेंटेन किया जा रहा है. यही वजह है कि देश और विदेश के बड़े ग्रुप के रिटेल स्टोर तेजी से खुल रहे हैं और उनका विस्तार भी हो रहा है. इनमें प्रतिस्पर्धा भी बढ़ रही है. इसलिए बेहतरीन प्रजेंटेशन के जरिये प्रोडक्ट बेचने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. विजुअल मर्चेंडाइजर के लिए स्कोप रेस्टोरेंट और ब्रांडेड नाम वाले खाने-पीने के स्टोर्स में भी बढ़ रहा है. इसलिए युवाओं के लिए यहां बहुत अच्छा करियर है.

शक्ति मर्दों की बपौती नहीं

मई के विधान सभा चुनावों में जयललिता ने तमिलनाडु और ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल जीत कर दिखा दिया कि यदि मेहनत करने और सब कुछ बलिदान कर देने का जज्बा हो तो कोई भी जंग जीती जा सकती है और बारबार जीती जा सकती है वह भी अकेले, बिना पति, बेटों, रिश्तेदारों के. आमतौर पर औरतें इस बात से परेशान रहती हैं कि यदि पिता, पति या बेटा न रहा तो उन का क्या होगा. इन नेताओं ने साबित किया है कि अपनी जगह अपने बलबूते बनाई जा सकती है. राजनीति में ये 2 ही नहीं हैं, मायावती भी हैं, उमा भारती भी हैं, जिन के आगेपीछे कोई खास नहीं पर इन्होंने अपनी एक जगह बना रखी है, लाखों की चहेती हैं. जब ये अपना स्थान बना सकती हैं तो आम औरतें घर में हर समय मुहताज क्यों रहें?

असल में इस जाल को बुनने के लिए समाज ने सदियां लगाई हैं. हर मां को शिक्षा दी गई कि वह अपनी लड़की को संभाल कर रखे. उसे बिना परों की चिडि़या बना कर पिंजरे में रहने की आदत डाले. धर्म ने इस काम में बहुत योगदान दिया, क्योंकि पुरुषों की मनमानी धर्मभीरु औरतों पर ज्यादा चलती है. हर धर्म को ऐसे पुरुष चाहिए, जो आंख मूंद कर धर्मगुरु के आदेश पर जेब भी खाली कर दें और जान भी कुरबान कर दें. धर्मों ने औरतों को गऊ बना कर धर्म के गुलाम पुरुषों को दान में दे दीं पर ममता, मायावती और जयललिता ने इन परंपराओं को

पूरी तरह तोड़ा है. ये औरतें आत्मविश्वास की प्रतीक हैं और अगर आज की औरत को किसी को अपना आदर्श मानना चाहिए तो वे सीता, पार्वती, राधा, लक्ष्मी, वैष्णो या काली नहीं, बल्कि माया, ममता और जयललिता होनी चाहिए. यह जरूरी नहीं कि ये नेता जो कर रही हैं, उस का समर्थन करा जा रहा है. इन की नीतियां गलत भी हो सकती हैं, ये भ्रष्टाचार को पनपने देने वालों में भी हो सकती हैं, ये दलबदलू भी हो सकती हैं. ये जिद्दी भी हो सकती हैं पर जब भी जो भी करती हैं, इन्हें पिता, पति या बेटे से नहीं पूछना पड़ता. उन की इजाजत नहीं लेनी होती. ये अपने समर्थक खुद पैदा करती हैं, वे खुद पैसा जमा करती हैं, खुद अपने सहायकों को चुनती हैं और अकेले दम पर जोखिम लेती हैं. यदि 10 फीसदी औरतें भी इस तरह जुझारू हो जाएं तो समाज का स्वरूप बदल जाए. मंदिरों, चर्चों, मसजिदों के आगे लाइनें लगनी बंद हो जाएं. सड़कों पर लड़कियों को देखते ही सीटियां बजनी बंद हो जाएं. इन नेताओं ने बताया है कि शक्ति मर्दों की बपौती नहीं है. यह अपनेअपने व्यक्तित्व की देन है. इस पर अंकुश समाज, धर्म और परिवार लगाता है, प्रकृति नहीं.

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