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मैं 19 वर्षीय युवती हूं. मेरी ठोड़ी पर बहुत बाल हैं. इन्हें हटाने का कोई उपाय बताएं.

सवाल

मैं 19 वर्षीय युवती हूं. मेरी ठोड़ी पर बहुत बाल हैं. इन्हें हटाने का कोई उपाय बताएं? मैं वैक्सिंग और लेजर ट्रीटमैंट नहीं करना चाहती. कोई घरेलू उपाय बताएं?

जवाब

कई बार हारमोनल बदलाव की वजह से भी ठोड़ी पर बाल उगने लगते हैं. अगर आप वैक्सिंग या लेजर ट्रीटमैंट नहीं करवाना चाहतीं तो घरेलू उपाय के तौर पर हलदी का गाढ़ा पेस्ट बनाएं और उसे चिन पर लगाएं. जब पेस्ट सूख जाए तो रगड़ कर धो लें. ऐसा 4-5 हफ्तों तक नियमित करें. धीरेधीरे बालों की ग्रोथ कम हो जाएगी. इस के अतिरिक्त नीबू व चीनी के घोल को भी आप चिन पर लगा सकती हैं. इस से भी चिन के बाल हटने में मदद मिलेगी. नीबू व चीनी के घोल को चिन पर लगाएं और फिर सूखने पर धो लें.

 

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मेरा बौयफ्रैंड मेरे साथ सोना चाहता है, पर मुझे पेट से होने का डर लगता है. क्या करूं.

सवाल

मेरा बौयफ्रैंड मेरे साथ सोना चाहता है, पर मुझे पेट से होने का डर लगता है. मुझे उसे मना करना अच्छा नहीं लगता. ऐसे में क्या ठीक है?

जवाब

बौयफ्रैंड को सोने का मौका कतई न दें. आप पेट से हो गईं, तो वह किनारा कर लेगा. सिर्फ बातचीत तक ही सीमित रहें. हमबिस्तरी शादी के बाद ही करें.

 

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मैं एक लड़की से प्यार करता हूं, पर लड़की के घर वाले नहीं मान रहे हैं. मुझे क्या करना चाहिए.

सवाल

मेरे ताऊजी ने मुझे गोद लिया है. मैं उन के दूर के साले की बेटी से प्यार करता हूं, पर लड़की के घर वाले शादी के लिए नहीं मान रहे हैं. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

इस मामले में आप को ताऊजी से खुल कर बात करनी चाहिए और उन्हीं की मदद से आप का काम हो सकता है. आप का प्यार का इरादा गलत नहीं है. ताऊजी साथ देंगे, तो काम आसान हो जाएगा, वरना कोर्टमैरिज ही की जा सकती है. अलबत्ता, आप की उम्र 21 व लड़की की 18 साल से कम नहीं होनी चाहिए.

 

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क्या अखिलेश में है आत्मविश्वास की कमी

लोकतंत्र में नेता सर्वोच्च माना जाता है. नौकरशाही उसके फैसलों का क्रियान्वयन करती है. जब नेता जरूरत से अधिक नौकरशाही पर निर्भर हो जाता है, तो जनता की नजरों में उसकी छवि प्रभावित होती है. यह संकट तब और बढ़ जाता है जब एक अफसर सरकार के लिये हर काम की कुंजी बन जाता है. उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन को रिटायर होने के बाद 3 माह का सेवा विस्तार दिया गया. इसके बाद 30 जून को वह रिटायर हो रहे है.

पहले यह कहा गया कि आलोक रंजन को 3 माह का दूसरा सेवा विस्तार दिया जा सकता है. अंदरखाने इस बात का पार्टी, सरकार और नौकरशाही में विरोध बढ़ गया तो इस फैसले को टाल दिया गया. मुख्यमंत्री ने घोषणा कर दी कि अब मुख्य सचिव आलोक रंजन को दूसरा सेवा विस्तार नहीं दिया जायेगा.आलोक रंजन ने खुद भी इस बात से इंकार किया. उत्तर प्रदेश की सरकार ने आलोक रंजन को दूसरा सेवा विस्तार देने की जगह पर उनको सरकार में सलाहकार जैसी अहम भूमिका देने का फैसला किया है.

मुख्य सचिव आलोक रंजन सरकार के सबसे भरोसेमंद अफसरो में हैं. उत्तर प्रदेश सरकार के कई प्रोजेक्ट उनकी अगुवाई में चल रहे हैं. यह सही है कि नये अफसर के लिये इन कामों को संभालना मुश्किल काम होगा. इसके बाद भी किसी अफसर पर इतना निर्भर हो जाना प्रदेश सरकार के मुखिया में आत्मविश्वास की कमी को दिखाता है. नेता हमेशा जनता के नजदीक होता है जबकि अफसर जनता के लिये दूर की कौडी होता है. जनता हमेशा नेता को सबसे उपर देखना पंसद करती है.

इसके पहले समाजवादी पार्टी कई नौकरशाहों पर मेहरबान रही है. इनमें नवीन चन्द्र वाजपेई, नीरा यादव जैसे कई नाम उल्लेखनीय हैं. मुख्य सचिव के पद से रिटायर होने के बाद नवीन चन्द्र द्विवेदी को समाजवादी सरकार ने योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया. नवीन वाजपेई को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है. आलोक रंजन को भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने की तैयारी है.

केवल समाजवादी सरकार की बात नहीं है. बसपा की नेता मायावती जब मुख्यमंत्री थी तो शशांक शेखर सिंह को बहुत सारे अधिकार दे दिये थे. बसपा सरकार के कामकाज पर शशांक शेखर सिंह का प्रभाव होता था. ऐसे असफरों की कमी नही है. नौकरशाही में तमाम लोग ऐसे है जो सरकार के चहेते बनने की फिराक में रहते हैं. ऐसे अफसरों की काबिलियत पर किसी को शंका नहीं हो सकती पर एक अफसर पर निर्भरता से दूसरे अफसर का रास्ता रूकता है.

जनता को यह लगता है कि सरकार के मुखिया में आत्मविश्वास की कमी है, जिसकी वजह से वह अफसर को किसी भी तरह से कुर्सी पर बनाये रखना चाहता है. रिटायरमेंट के बाद भी अच्छी जगह और रूतबे की जुगाड में अफसर सरकार के हर काम को सही ठहराने की कोशिश में रहता है. यह संविधान की मूल मंशा के अनुरूप नहीं है. यह रिटायरमेट के नैसर्गिक सिद्वांत के भी खिलाफ है.

दिशा से टाइगर प्यार करते हैं, मगर…

जैकी श्राफ के बेटे और ‘हीरोपंती’ तथा ‘बागी’में अभिनय कर शोहरत बटोर चुके अभिनेता टाइगर श्राफ हमेशा दिशा पटनी को लेकर चर्चा में बने रहते हैं. टाइगर श्राफ और दिशा पटनी के रिश्ते जग जाहिर हैं. देश हो या विदेश हर जगह यह दोनो एक साथ घूमते हुए मिल जाते हैं. इतना ही नही टाइगर श्राफ और दिशा पटनी एक साथ टीसीरीज  के सिंगल गाने ‘‘बेफिक्रा’’ के वीडियो में भी नजर आए हैं. इस वीडियो में टाइगर श्राफ और दिशा पटनी की अंतरंग केमिस्ट्री की सभी तारीफ कर रहे हैं.

दिशा को लेकर टाइगर श्राफ कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि फिल्म निर्माता गौरंग दोषी ने जब फिल्म ‘‘आंखे’’ का सिक्वअल बनाने का निर्णय लिया, तो इसमें दिशा पटनी के साथ टाइगर श्राफ को भी साइन किया. उस वक्त टाइगर श्राफ दावा कर रहे थे कि उन्हे फिल्म की पटकथा और किरदार बहुत पसंद आया. मगर अचानक निर्माताओं ने इस फिल्म से दिशा पटनी को बाहर का रास्ता दिखा दिया. फिर क्या था, टाइगर श्राफ ने भी फिल्म ‘‘आंखे’’ का सिक्वअल करने से मना कर दिया.

तो क्या टाइगर श्राफ ने अपनी प्रेमिका दिशा पटनी की वजह से ‘आंखे’ का सिक्वअल करने के लिए हामी भरी थी. पता नहीं..मगर अब टाइगर श्राफ का दावा है कि उन्हे फिल्म ‘‘आंखे’’ के सिक्वअल में अभिनय करने का कभी आफर ही नहीं मिला. इतना ही नही टाइगर श्राफ यह मानते है कि वह दिशा से प्यार करते हैं और दिशा के साथ घूमते हैं, पर वह यह यह नहीं मानते कि उनके बीच कोई रिश्ता है.

टाइगर श्राफ कहते हैं-‘‘दिशा पटनी के साथ सिनेमा के परदे पर और उसके बाहर निजी जिंदगी में बहुत सहज हूं. मैं दिशा से प्यार करता हूं, मगर एक दोस्त के रूप में. हम केवल अच्छे मित्र हैं. हमें एक साथ समय बिताना पसंद है. हम एक साथ नृत्य की रिहर्सल करने जाते हैं. हम दोनो को खाने का भी शौक है. मैं और दिशा दोस्तों के साथ फिल्म देखने भी जाते हैं.’’

दोस्त सुझाने के लिए आपकी जासूसी कर रहा है फेसबुक?

क्या आपने ध्यान दिया है कि आपको फेसबुक पर "People you may know" फीचर में ऐसी प्रोफाइल्स दिखती हैं, जिनका चेहरा तो आप पहचान जाते हैं, मगर नाम याद नहीं आता? शायद ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि फेसबुक यह नजर रखता है कि आप कहां-कहां गए थे. आपके फोन की लोकेशन के आधार पर वह आपको उन लोगों को ऐड करने का सुझाव देता है.

यह फीचर इतना सटीक है कि यूजर्स को इससे हैरानी भी होती है और चिंता भी. टेक वेबसाइट Fusion की रिपोर्ट कहती है, 'लोगों के स्मार्टफोन की लोकेशन ट्रैक करने के बाद फेसबुक उन लोगों को सजेस्ट करता है, जो उनकी वाली ही लोकेशन पर मौजूद रहे हों. इसीलिए आपको कई बार लोगों का चेहरा याद आ जाता है, मगर नाम नहीं. ऐसा इसलिए, क्योंकि आपने उन्हें किसी खास जगह पर देखा होता है, मगर उनसे आपका परिचय नहीं होता.'

फेसबुक हमेशा यूजर की लोकेशन की जानकारी रखता है. मगर फेसबुक का कहना है कि इस तरह के सजेशन मिलने के लिए जरूरी नहीं कि यही वजह है. फेसबुक का कहना है कि और भी वजहों से यूजर्स को यह सजेशन मिल रहे हैं. फेसबुक के प्रवक्ता ने कहा, 'अगर किसी को सजेशन मिलता है तो समझिए कि दोनों के बीच कोई न कोई चीज कॉमन होगी. उनका नेटवर्क भी एक हो सकता है. लोकेशन इन्फर्मेशन यह नहीं दिखाती कि दो लोग दोस्त हैं या नहीं. इसलिए यही एकमात्र फैक्टर नहीं हो सकता सजेशन देने के लिए.'

अगर आपको इस खबर से किसी तरह की शंका हो रही है तो आप फेसबुक को लोकेशन का ऐक्सेस रोक सकते हैं. इसके लिए फोन की प्रिवेसी सेटिंग्स में जाना होगा.

हार्ड डिस्क करप्ट होने से ऐसे रोकें

जब हम अपने लैपटॉप या पीसी पर काम करते हैं तो सबसे बेहतर रास्ता अपना डाटा सेव करने का हार्ड डिस्क ही होती है. वो इसलिए क्योंकि उसे कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है. इसके अलावा हार्ड डिस्क से ज्यादा बेहतर आज के समय में एसएसडी यानि सॉलिड स्टेट ड्राइवर्स माने जाते हैं. जाहिर सी बात है कि इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है तो खराब होने की संभावना भी बहुत होती है. लेकिन आपको पता कैसे चलेगा कि आपकी डिवाइस खराब होने की कगार पर है.

एसएसडी, पावर सप्लाई से संबंधित होता है जिसके चलते अगर बिजली मे कोई दिक्कत आती है तो आपका एसएसडी खराब हो सकता है. इसके तहत आपका सेव डाटा करप्ट हो सकता है. वहीं, हार्ड डिस्क्स में इंटरनल परेशानियां काफी देखने को मिल जाती है. ऐसे में हम आपको कुछ साइन्स बता रहे हैं जिनसे आपको पता चलेगा की आपकी हार्ड डिस्क खराब होने वाली है.

1- जब आप अपनी हार्ड डिस्क को कनेक्ट करेंगे तो आपके सामने एक एरर मैसेज आएगा. हार्ड डिस्क को स्कैन करने से आपके सामने आपकी फाइल्स ओपन होंगी जिन्हें आप न तो एडिट कर सकते हैं और न ही खोल सकते हैं. ऐसे में आप समझ जाइए कि आपकी हार्ड डिस्क खराब होने वाली है.

2- जब आप अपने लैपटॉप या पीसी पर काम कर रहे हों और आपकी कोई भी फाइल लोड न हो. तो समझ जाइए की आपकी हार्ड डिस्क में कोई परेशानी आ रही है और उसे ठीक करने की जरुरत है.

3- अगर आपका सिस्टम बार-बार रीबूट हो रहा हो और रीबूट होने के बाद फिर से एक ही स्क्रीन नजर आ रही हो तो समझ जाइए की आपका सिस्टम बेकार हालात की तरफ बढ़ा रहा है.

4- अगर आप अपने सिस्टम में कोई भी फाइल सेव नहीं कर पा रहे हैं तो आपको दूसरी हार्ड डिस्क खरीदने की जरुरुत पड़ सकती है.

तो इस मामले में भारत को मिला 105वां स्थान

भारत विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की ताजा मानव पूंजी सूचकांक में 130 देशों की सूची में नीचे 105वें स्थान पर है. इस सूची में फिनलैंड शीर्ष पर है. यह सूचकांक इस बात का संकेत है कि कौन सा देश अपने लोगों के पालन पोषण, शिक्षण-प्रशिक्षण और विकास तथा प्रतिभाओं के उपयोग में कितना आगे है.

जिनीवा के गैर सरकारी संगठन, वैश्विक आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) ने यहां ‘नये चैम्पियन’ नाम से कराए जाने वाले वार्षिक सम्मेलन में यह रपट जारी की. तियांजिन सम्मेलन को ग्रीष्मकालीन दावोस शिखर बैठक कहा जाता है. डब्ल्यूईएफ की इस बैठक में चीन 71वें स्थान और पाकिस्तान 118वें स्थान पर रखा गया है. बांग्लादेश, भूटान और श्रीलंका सूचकांक में काफी ऊपर हैं. चीन के इस शह में होने वाले सम्मेलन को ‘गर्मियों का दावोस’ सम्मेलन भी कहा जाता है.

पाकिस्तान 118वें स्थान पर है. मंच ने भारत को 105वें स्थान पर रखते हुए कहा है कि देश ने अपनी मानव पूंजी की संभावनाओं का सिर्फ 57 प्रतिशत ही इस्तेमाल कर पा रहा है. भारत पिछले साल इस सूचकांक में शामिल 124 देशों में 100वें स्थान पर था.

मंच ने कहा है कि विभिन्न आयु वर्गों में शिक्षा के क्षेत्र में भारत की ‘उपलब्धियां बढ़ी हैं’ पर इसकी युवा साक्षता दर अभी सिर्फ 90 प्रतिशत है. इस मामले में भारत का विश्व में 103वां स्थान है और अन्य प्रमुख उभरते बाजारों से नीचे है. रपट में कहा गया है, भारत श्रम बल में महिलाओं की भागीदार में काफी पीछे है और ऐसा आंशिक तौर पर विश्व में रोजगार के मामले में स्त्री-पुरूष असमानता के मामले में अंतर अधिक होने के कारण है.

सकारात्मक पक्ष यह है कि भारत को शैक्षणिक प्रणाली (39वां) की गुणवत्ता के लिहाज से बेहतर स्थान मिला है. इसके अलावा कर्मचारी प्रशिक्षण में 46वें और कुशल कर्मचारियों उपलब्धता से जुड़े संकेतक में 45वें स्थान पर है. रपट में यह भी स्पष्ट किया गया कि भारत में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में डिग्रीधारकों की संख्या करीब 7.8 करोड़ है जबकि चीन में इनकी संख्या करीब 25 लाख है.

डब्ल्यूईएफ ने कहा कि वैश्विक स्तर पर लोगों के जीवन काल में शैक्षणि, कौशल विकास और नियुक्ति के जरिए विश्व के सिर्फ 65 प्रतिशत प्रतिभा का सबसे अच्छे तरीके से इस्तेमाल हो पाता है. इस सूचकांक में फिनलैंड, नार्वे और स्विट्जरलैंड शीर्ष तीन स्थान पर हैं जो अपनी मानव पूंजी का 85 प्रतिशत तक उपयोग करते हैं. जहां तक 55 साल से इससे अधिक उम्र की प्रतिभाओं के इस्तेमाल का सवाल है जापान इसमें आगे है.

धोनी बना सकते हैं वर्ल्ड रिकॉर्ड

न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम चार साल बाद भारत दौरे पर आ रही है. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने इस दौरे का कार्यक्रम भी जारी कर दिया. भारत और न्यूजीलैंड के बीच 22 सितंबर से 12 अक्टूबर तक टेस्ट सीरीज खेली जाएगी और उसके बाद 16 अक्टूबर से शुरू होगी वनडे सीरीज. वनडे और टी-20 कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के लिए यह सीरीज कुछ ज्यादा ही खास हो सकती है.

धोनी के पास इस सीरीज के जरिए एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का मौका होगा. अगर 16 अक्टूबर को धर्मशाला में होने वाले वनडे मैच में धोनी ही टीम इंडिया की कमान संभालते हैं तो वो सबसे ज्यादा इंटरनेशनल मैचों में कप्तानी का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना डालेंगे. धोनी फिलहाल 324 इंटरनेशनल मैचों में कप्तानी कर चुके हैं और ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग के बराबरी पर खड़े हैं.

धोनी ने अपने कॅरियर में 60 टेस्ट मैचों में भारतीय टीम की अगुवाई की जबकि वह अब तक 194 वनडे और 70 टी-20 मैचों में कप्तानी कर चुके हैं.

कंफर्म तत्‍काल टिकट पाने के आसान तरीके

ऑनलाइन टिकट बुक करना बहुत आसान होता है. पर जब जरूरत ज्यादा हो तब सावधानी भी बरतनी पड़ती है. बात तत्‍काल टिकट की हो रही है. इसकी जरूरत उस समय पड़ती है जब यात्रा पहले से तय नहीं होती है और एक दो दिन में आपको कहीं जाना है.

बस 3-4 मिनट का खेल है

अगर आपके पास रिजर्वेशन नहीं हैं तो आप तत्‍काल बुकिंग के जरिए अपना टिकट बुक कर सकते हैं. लेकिन, यह इतना आसान काम नहीं है. क्यों कि सारा खेल कुछ ही मिनटों का होता है. यह बस 3-4 मिनट का खेल है और इसलिए आप तत्‍काल टिकट बुक करते समय कितने सजग सावधान और तैयार हैं इसमें आपकी सफलता का राज छिपा है.

तत्काल टिकट बुकिंग का नया समय

फिलहाल नए नियमों के मुताबिक एसी कोच के लिए तत्काल टिकटों की बुकिंग सुबह 10 से 11 बजे तक होती है और स्लीपर कोच की बुकिंग सुबह 11 बजे से 12 बजे तक होती है.

ऐसे करें तैयारी : नोटपैड की फाइल खोलें

ऑनलाइन टिकट बुक करने के लिए सबसे पहले अपने कंप्यूटर, लैपटॉप में टिकट बुक करने से पहले नोटपैड की फाइल खोल कर रखें. उसमें बुकिंग से संबधित सारी जानकारी भर लें ताकि बाद में आपको फार्म भरने में समय न लगे. आप कॉपी पेस्ट का सहारा लेकर चंद सेकेंड में यह प्रक्रिया पूर कर सकते हैं.

साइट पर है ये सुविधा

इसके अलावा आईआरसीटीसी की साइट पर पैसेंजर लिस्ट सेव करके रखने का ऑपशन भी उपलब्ध है. यह मास्टर लिस्ट, ट्रैवल लिस्ट के जरिए संभव है और आप इसे जरूरत के हिसाब से बदल भी सकते हैं. यदि उसका प्रयोग करना चाहें तो यह भी एक अच्छा तरीका साबित हो सकता है.

15 मिनट पहले लॉगिन करें

ध्यान रहे, ऑनलाइन तत्‍काल बुकिंग शुरू होने से करीब 15 मिनट पहले आप लॉगिन कर लें. उसके बाद सारी साइट में लॉग इन करने से पहले सर्वर में लॉगिन का समय नोट कर लें. ख्याल रहे, यह समय आपके पीसी के समय से अलग होता है. यह आप आईआरसीटीसी की साइट पर लॉगिन करते ही साइट के मेन नेविगेशन बार में देख सकते हैं. (नीले रंग की मोटी पट्टी पर समय और तारीख दोनों दिखाया जाता है)

सारी सूचनाएं भर कर तैयार हो जाएं

यह सब करने के बाद जरूरी स्थान पर सारी जानकारी भर कर तैयार हो जाएं. जैसे आईआरसीटीसी के फार्म में सोर्स, डेस्टीनेशन, यात्रा की तारीख, क्लास आदि जानकारी भर लें. यह सब करने के बाद परीक्षा की घड़ी आरंभ हो जाती है. अब आप बुक करने वाले ऑप्‍शन पर कई बार क्लिक करें ताकि जैसे ही तत्‍काल ऑप्‍शन खुले आपका टिकट बुक हो जाए.

पैसेंजर डिटेल पेज पर ज्यादा समय न बिताएं

कंप्यूटर के जानकार बताते हैं कि यह आप ध्यान रखें कि पैसेंजर डिटेल पेज पर आप ज्यादा समय न बिताएं, पहली बार समय बिताने वाले को आसान कैप्चा कोड मिलता जबकि कई बार समय बिता चुके लोगों को कठिन कोड मिलता है. कई बार इस समझने में समय खराब हो जाता है. और फिर कंफर्म टिकट की संभावना कम हो जाती है.

60 प्रतिशत लोग कैप्चा कोड लिखने में करते हैं गलती

जानकार बताते हैं कि करीब 60 प्रतिशत लोग, कैप्चा कोड पहली बार में सही नहीं भर पाते हैं और इसलिए कंफर्म टिकट पाने से वंचित रह जाते हैं क्योंकि दोबारा कैप्चा कोड आने और भरने में करीब 20-30 सेकेंड का समय बरबाद हो जाता है.

इंटरनेट स्पीड अच्छी रखें

एक अन्य बात जिसका विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वह आपके इंटरनेट की स्पीड अच्छी हो. पता चला कि आपने सारी प्रक्रिया तो बड़ी तेजी और तत्परता से पूरी की लेकिन आपके इंटरनेट की स्पीड सही नहीं है तब भी टिकट की चाहत, चाहत बनकर ही रह जाएगी. कहा जाता है कि अच्छी इंटरनेट स्पीड के साथ टिकट बुक करने में केवल 20 सेकेंड लगते हैं. सही तो यह माना जाता है कि कम से कम आप 2 एमबीपीएस स्पीड का इंटरनेट कनेक्शन रखें.

एक समय पर रेलवे की साइट पर ही रहें

इस बात का ख्याल रखें कि जब टिकट बुक कर रहे हैं तब केवल एक ही साइट पर काम हो रहा हो. यानि आप किसी सोशल साइट या अन्य साइट पर न हों. इससे स्पीड गिरने की संभावना बनी रहेगी.

सही ब्राउजर का करें चयन

तकनीक के जानकार बताते हैं कि फायरफॉक्स का ब्राउजर अच्छा है, लेकिन कंप्यूटर पर रैम को ज्यादा यूज करता है. लेकिन गूगल क्रोम भी एक अच्छा ऑपशन है.

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