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दाल के लिए ‘बाबू’ गए विदेश

महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार कोई विकल्प छोड़ना नहीं चाहती है. घरेलू प्रबंधन को अंजाम देने के साथ सरकार ने विदेश से दाल आयात करने पर तत्परता से कार्रवाई शुरू कर दी है. आयात से जुड़े विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारियों के दो दल मंगलवार को म्यांमार और मोजांबिक के दौरे पर पहुंचे.

दालों के मूल्य में लगातार तेजी पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने तात्कालिक व दीर्घकालिक उपाय किए हैं. इसके तहत दलहन उत्पादक देशों से सरकार सीधे दाल आयात करने के विकल्प पर कार्य कर रही है. घरेलू बाजारों में दालों के मूल्य 200 रुपये प्रति किलो की दर को छूने लगे हैं. घरेलू मांग व आपूर्ति में लाखों टन के अंतर को देखते हुए जमाखोर और कालाबाजारी करने वाले भी सक्रिय हो गए हैं.

लगातार दो साल के सूखे की विभीषिका के चलते दलहन की पैदावार में गिरावट आई है. दाल आयात और वहां कांट्रेक्ट खेती की संभावनाएं तलाशने के लिए मोजांबिक जाने वाले उच्च स्तरीय दल का नेतृत्व उपभोक्ता मामले मंत्रालय के सचिव हेम पांडे कर रहे हैं. यह जानकारी मंत्रालय के एक बयान में दी गई है. प्रतिनिधि मंडल में कृषि व वाणिज्य मंत्रालय और सरकारी कंपनी एमएमटीसी के उच्चाधिकारी शामिल हैं.

इसी तरह दूसरा दल म्यांमार पहुंचा है. यह दल वहां से दाल आयात करने पर सरकार से वार्ता करेगा. म्यांमार से निर्यात करने वाली कोई एजेंसी नहीं है. यहां से 50 हजार टन का सौदा हो चुका है. भारत दाल आयात करने के लिए अन्य अफ्रीकी देशों में भी संभावनाएं तलाश रहा है. मलावी में दलहन खेती करने का मसौदा तैयार कर लिया गया है. इसके लिए वहां की सरकार तैयार भी है.

महंगाई पर काबू पाने के लिये पिछले सप्ताह वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में तात्कालिक और दीर्घकालिक उपायों पर भी चर्चा हुई थी. पिछले साल देश में निजी क्षेत्र ने कुल 58 लाख टन दालों का आयात किया था, जबकि देश में इनकी पैदावार 170 लाख टन हुई थी. घटती पैदावार व बढ़ती मांग के बीच महंगाई तेजी से सिर उठा रही है. इस पर काबू पाने के सभी तरह के उपाय किए जा रहे हैं.

IT डिपार्टमेंट डिफॉल्टर्स पर बरतेगा सख्ती

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अब और सख्ती अपनाने जा रहा है. टैक्स ऑफिशियल्स अब विलफुल डिफॉल्टर्स को अरेस्ट करने या उनकी प्रॉपर्टी नीलाम करने से भी पीछे नहीं हटेंगे. हालांकि वित्त मंत्रालय ने इस पर सफाई देते हुए कहा है कि इस प्रावधान अति विशेष परिस्थितियों में ही किया जाता है.

टैक्‍स चोरी पर छिनेगी एलपीजी सब्सिडी, ब्‍लॉक होगा पैन

– हाल में हुई इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की कॉन्फ्रेंस में आईटी डिपार्टमेंट के सेंट्रल एक्शन प्लान तय हुआ है.

– जान-बूझकर टैक्‍स नहीं देने वालों पर लगाम कसने के लिए इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट ने नई तरकीब निकाली है.

– इसके त‍हत विलफुल टैक्‍स डिफॉल्टर्स का पैन नंबर ब्‍लॉक करने और एलपीजी सब्सिडी वापस लेने का फैसला किया गया है.

– इतना ही नहीं, डिपार्टमेंट की कोशिश यह भी होगी कि ऐसे लोगों को किसी भी सरकारी बैंक से लोन नहीं मिलने पाए.

– उन्हें हिरासत में लेने, गिरफ्तार कर जेल भेजने और यहां तक कि उनकी प्रॉपर्टी अटैच कर नीलाम करने से भी टैक्स ऑफिशियल्स नहीं हिचकेंगे.

ज्‍यादा टैक्‍स कलेक्‍शन के लिए स्‍ट्रैटजी तैयार

– इसके मुताबिक, टैक्‍स चोरी करने वालों की एलपीजी सब्सिडी वापस लेने की वित्त मंत्रालय से सिफारिश की जा सकती है.

– पेपर में दावा किया गया है कि इस कदम से टैक्‍स नहीं देने वाले लोग हतोत्‍साहित होंगे.

प्रॉपर्टी खरीदने पर भी लगेगी रोक

– इनकम टैक्‍स ऑफिशियल्स ने यह भी सुझाव दिया है कि टैक्‍स चोरी करने वालों के प्रॉपर्टी खरीदने पर भी रोक लगाई जाए.

– इसके तहत टैक्‍स डिफॉल्‍टर्स के जिन पैन नंबर्स को ब्‍लॉक किया जाए, उन नंबरों को रजिस्‍ट्रार ऑफ प्रॉपर्टीज के दफ्तर में भी भेजा जाए.

– साथ ही उनसे अपील की जाए कि ऐसे लोगों को प्रॉपर्टी खरीदने की इजाजत नहीं दी जाए.

देश भर में सर्कुलेट होंगे पैन नंबर

– पेपर में की गई सिफारिशों के मुताबिक, टैक्‍स चोरी करने वालों के पैन नंबर्स को देश भर के टैक्‍स ऑफिशियल्स के बीच सर्कुलेट कर दिया जाए.

– इस टैक्‍स चोरी करने वालों की गतिविधियों और लोन और सब्सिडी पर पूरे देश में रोक लगाई जा सकेगी.

– इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट ने क्रेडिट इन्‍फॉर्मेशन ब्‍यूरो लिमिटेड (सिबिल) की डेटा सर्विस को भी स‍ब्‍सक्राइब करने का फैसला किया है.

– ताकि उनकी फाइनेंशियल एक्टिविटी पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सके और उनकी प्रॉपर्टी को फ्रीज करके टैक्‍स रिकवरी की जा सके.

-सरकारी एजेंसी क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो लिमिटेड (सिबिल) लोगों के लोन और क्रेडिटकार्ड बिल चुकाने की निगरानी करती है.

– उसी आधार पर उनका क्रेडिट स्‍कोर तैयार होता है. बैंक किसी भी शख्स को लोन देने समय इस क्रेडिट स्‍कोर को ध्‍यान में रखते हैं.

सरकार ने दी सफाई

वित्त मंत्रालय द्वारा देर शाम जारी बयान के अनुसार विलफुल डिफॉल्टर को अरेस्ट करने का प्रावधान किसी अति विशेष परिस्थिति के लिए होता है.फिलहाल सरकार ने इस तरह का कोई इंस्ट्रक्शन इनकम टैक्स ऑफीसर्स को नहीं दिया है.

पिछले साल अपनाई थी नेम एंड शेम पॉलिसी

– इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट ने इससे पहले पिछले साल नेम एंड शेम पॉलिसी की शुरुआत की थी.

– इसके तहत 20 करोड़ रुपए से बड़े टैक्‍स डिफॉल्‍टर्स का नाम पब्लिक करने का फैसला किया गया था.

– टैक्‍स डिपार्टमेंट के मुताबिक, अब तक उसकी ओर से 67 लोगों के नाम पब्लिक किए जा चुके हैं.

ऋतिक की फिल्म पर बने चुटकले, लोगों ने उड़ाया मजाक

निर्देशक आशुतोष गोवारिकर की बहुचर्चित फिल्म 'मोहनजोदाड़ो' का ट्रेलर हाल ही में रिलीज किया गया है. ट्विटर पर इस फिल्म को लेकर काफी चुटकले बनाए जा रहे हैं. ट्विटर पर इस फिल्म के ट्रेलर में फिल्माए गए दृश्यों को लेकर काफी मजाक उड़ाया जा रहा हैं.

फिल्म की कहानी भारत की सबसे पुरानी सभ्यता सिंधु सभ्यता के एक शहर 'मोहनजोदाड़ो' की पृष्ठभूमि पर आधारित है. फिल्म में सरनाम-चानी के प्यार की कहानी और 'मोहनजोदाड़ो' को मोहरा जैसे इस्तेमाल कर रहे राजा के साथ सरनाम के संघर्ष को दिखाया गया है. लगान और जोधा अकबर जैसी सुपरहिट फिल्में देने वाले आशुतोष गोवारिकर की इस फिल्म में भी भव्यता की कोई कमी नहीं है.

आपको बता दें कि फिल्म में ऋतिक रोशन, पूजा हेगड़े मुख्य भूमिका में हैं. मोहनजोदाड़ो' में पूजा अपने से 17 साल बड़े ऋतिक रोशन के अपोजिट नजर आएंगी. यह फिल्म 12 अगस्त को रिलीज होगी.  

आप भी देखिए फिल्म का ट्रेलर…

सौ कट के बाद पाकिस्तान में रिलीज होगी ‘उड़ता पंजाब’

अनुराग कश्यप की कंपनी ‘‘फैंटम फिल्मस’’ और एकता कपूर की ‘‘बालाजी मोशन पिक्चर्स’’ द्वारा निर्मित फिल्म अंततः सौ से अधिक कट के बाद ‘ए’ सर्टीफिकेट के साथ पाकिस्तान में रिलीज हो पाएगी. इससे पहले पाकिस्तान सेंसर बोर्ड की पांच सदस्यीय कमेटी ने फिल्म ‘‘उड़ता पंजाब’’ के पाकिस्तान में रिलीज होने पर बैन लगा दिया था. मगर जब फिल्म के वितरको ने दोबारा पाकिसतान के सेंसर बोर्ड का दरवाजा खटखटाया, तो पाकिस्तान फिल्म सेंसर बोर्ड की दस सदस्यीय कमेटी ने इस फिल्म को देखने के बाद फिल्म के कई आपत्तिजनक दृश्यों व संवादों को हटाने का आदेश जारी किया है.

पाकिस्तान फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष मुबाशीर हसन ने मीडिया से कहा है-‘‘हमने फिल्म में मौजूद अपमानजनक टिप्पणियों, पाकिस्तान के खिलाफ कहे गए संवाद और गालियों को मिलाकर पूरे 100 से अधिक कट दिए है. इनमें से कुछ दृश्यों को हटाना पडे़गा. कुछ संवादों को हटाना पड़ेगा. कुछ शब्दों की जगह ‘बीप’ रखने का आदेश दिया गया है. सेंसर बोर्ड के हमारे आदेश के अनुरूप इस फिल्म की पुनः एडीटिंग करने के बाद हमारे पास फिल्म सबमिट की जाएगी, तब हम इसे प्रदर्शित करने के लिए ‘ए’ सर्टीफिकेट देंगे. उसके बाद ही फिल्म प्रदर्शित हो सकेगी.

अभिषेक चौबे निर्देशित फिल्म ‘‘उड़ता पंजाब’’ इससे पहले भारत में सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टीफिकेशन में भी फंस चुकी थी. भारत में सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टीफिकेशन ने इस फिल्म में मूल 13 कट बताए थे, जिसके खिलाफ निर्माता अदालत जाकर अपनी फिल्म को एक कट और तीन डिस्केलमर अलग से लगाकर 17 जून को रिलीज कर पाए. पर यह फिल्म पाकिस्तान में रिलीज नहीं हो पा रही थी.

सूत्रों के अनुसार अनुराग कश्यप और पाकिस्तान के फिल्म वितरकों ने पाकिस्तान के फिल्म सेंसर बोर्ड के आगे घुटने टेकते हुए फिल्म में आवश्यक एडीटिंग दुबई में करने वाले हैं. उसके बाद यह फिल्म पुनः पाकिस्तान फिल्म सेंसर बोर्ड के सामने पेश की जाएगी. तब इसे प्रमाणपत्र मिल पाएगा.

पाकिस्तानी फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष मुबाशिर हसन ने मीडिया से कहा है-‘‘हम कभी भी पाकिस्तान के खिलाफ या इस्लाम के खिलाफ या समाज के खिलाफ कहीं जाने वाली बातों पर समझौता नहीं कर सकते. जिन फिल्मों में इस तरह की बातें या दृश्य होते हैं, हम उन्हें बैन कर देते हैं. फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ के वितरकों की खास मांग पर हमारी कमेटी ने इस फिल्म को देखकर 100 से अधिक कट के साथ रिलीज करने का प्रमाणपत्र देने का निर्णय लिया है.’’ 

शेखर कपूर की बेटी कावेरी कपूर बनी गायिका

मशहूर फिल्मकार शेखर कपूर तथा गायक व अभिनेत्री सुचित्रा कृष्णमूति की नौंवी कक्षा में पढ़ रही पंद्रह वर्षीय बेटी कावेरी कपूर भी अब अपनी मां के पदचिन्हों पर चलने जा रही है. कावेरी कपूर का एक गाना ‘‘डिड यू नो’’ बहुत जल्द बाजार में आने वाला है. इस गीत को लिखने के साथ ही संगीत से कावेरी कपूर ने ही संवारा है. कावेरी को अपनी मां सुचित्रा कृष्णमूर्ति की ही तरह बचपन से ही संगीत में रूचि रही है. कावेरी ने छह साल की उम्र से ही हिंदुस्तानी क्लासिकल संगीत की ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया था.

वह बताती हैं-‘‘मैंने हिन्दुस्तानी क्लासिकल संगीत के अलावा वेस्टर्न क्लासिकल वोकल, पियानो व गिटार बजाना भी सीखा है. ग्यारह साल की उम्र में गीत लिखना और उन्हे संगीत से संवारना शुरू किया था. यॅूं तो मैं छह साल की उम्र से गाती आ रही हूं, मगर जब मैने खुद लिखना व संगीत निर्देशन करना शुरू किया, तब से मैंने अपने लिखे गीतों को संगीत से संवारने के साथ साथ गाती आ रही हूं. मेरे गीत मेरे आस पास के माहौल से प्रेरित होते हैं.’’

खुशखबरी: वेटिंग लिस्ट के झंझट से मुक्ति

वेटिंग लिस्ट के झंझट से परेशान यात्रियों के लिए भारतीय रेलवे ने एक उपहार दिया है. रेलवे अब ऑनलाइन रिजर्वेशन करने वाले यात्रियों को सिर्फ कन्फर्म या आरएसी टिकट ही जारी करेगा. ऑनलाइन यात्रियों को अब वेटिंग टिकट नहीं मिलेगा. इसके अलावा लोगों की मांग पर अब रेलवे अपने उपभोक्ताओं को क्षेत्रीय भाषाओं में भी टिकट उपलब्ध कराएगा.

भारतीय रेलवे 1 जुलाई से राजधानी, शताब्दी, दुरंतो और मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों की तरह ही सुविधा ट्रेन चलाएगा. इन ट्रेनों में यात्रियों को केवल कन्फर्म टिकट ही दी जाएगी. इनमें वेटिंग का सिस्टम नहीं रखा गया है. इसके साथ ही प्रीमियम ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया जाएगा. इसके अलावा राजधानी और शताब्दी ट्रेनों के लिए 1 जुलाई से पेपरलेस टिकट मिलेगी. इन ट्रेनों में मोबाइल टिकट वैध रहेगा.

आधी कीमत मिलेगी वापस

रेलवे ने 1 जुलाई से ही शताब्दी, राजधानी और कई अन्य ट्रेनों के कोचों की संख्या बढ़ाने का भी फैसला किया है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को कन्फर्म टिकट मिल सकें. टिकट रद्द कराने पर उसकी आधी कीमत यात्रियों को मिलेगी. टिकट रद्द कराने का चार्ज अलग-अलग कोच का अलग-अलग होगा. प्रथम और द्वितीय श्रेणी में एसी टिकट रद्द कराने पर 100 रुपए, एसी तीसरी श्रेणी के लिए 90 रुपए और स्लीपर के लिए 60 रुपए रखा जाएगा. तत्काल टिकट रद्द कराने पर भी आधी कीमत वापस की जाएगी.

9 लाख में बुक होगी पूरी ट्रेन

रेलवे में अब कोई भी व्यक्ति 50 हजार रुपए में सात दिनों के लिए एक कोच बुक करवा सकता है. नौ लाख रुपए देकर कोई भी व्यक्ति या संगठन सात दिनों के लिए 18 डिब्बों की पूरी ट्रेन बुक करवा सकता है. अगर उसे 18 डिब्बों से ज्यादा की जरूरत होगी, तो एक कोच के लिए 50 हजार रुपए अतिरिक्‍त जमा करवाकर कोच ले सकता है. इसके अलावा यदि सात दिन से ज्यादा कोच या रेलगाड़ी लेनी हो तो इसके लिए रोजाना के हिसाब से एक कोच के 10 हजार रुपए देने होंगे.

अब फेसबुक मैसेंजर में भी एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन

वॉट्सएप्प ने हाल ही में चैट्स में एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन शुरू किया है, जिसके बाद कई दूसरे चैट एप्प ने भी प्राइवेसी के लिए इस एन्क्रिप्शन का सहारा लिया है. आनेवाले दिनों में फेसबुक अपने मैसेंजर के लिए भी एंड टु एंड एन्क्रिप्शन का ऐलान कर सकता है.

ब्रिटिश अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट पर नजर रखनेवाले लोगों ने बताया है कि यूजर्स को एप्प में प्राइवेसी का ऑप्शन दिया जायेगा. यानी एंड टु एंड एन्क्रिप्शन डिफॉल्ट नहीं होगा, बल्कि यूजर को एन्क्रिप्शन चुनने के ऑप्शन मिलेंगे. पिछले दिनों रिपोर्ट आ रही थी कि फेसबुक मैसेंजर में एक सीक्रेट चैट का ऑप्शन दिया जायेगा. फिलहाल यह साफ नहीं है कि सीक्रेट चैट में ही एंड टु एंड एन्क्रिप्शन दिया जायेगा या फिर यह इससे अलग होगा.

गौरतलब है कि हाल ही में हुए I/O 2016 इवेंट के दौरान गूगल ने Allo एप्प का ऐलान किया है, जिसमें एंड टु एंड एन्क्रिप्शन फीचर को सेलेक्ट करने का ऑप्शन दिया जायेगा. हालांकि, गूगल के इस कदम की सीआइए के पूर्व कर्मचारी एडवर्ड स्नोडेन ने लोगों से Allo का विरोध करने की अपील की थी. उनके मुताबिक ज्यादातर लोगों को एन्क्रिप्शन की समझ नहीं होती, इसलिए वे इसे एनेबल नहीं कर सकते. गूगल को इसमें वॉट्सएप्प की तरह डिफॉल्ट एंड टु एंड एन्क्रिप्शन देना चाहिए.

इसके अलावा सोशल मीडिया की सबसे लोकप्रिय नेटवर्किंग साइट फेसबुक के मैसेंजर एप्प में और भी कई बड़े बदलाव दिखने वाले हैं. फेसबुक मैसेंजर में अब

नया होम टैब, बर्थडे और फेवरेट सेक्शन जोड़े जायेंगे. इस एप्प के नये वर्जन में दोस्तों के बर्थडे के बारे में रिमाइंडर भी दिखेगा. मैसेंजर में अब एक्टिव नाउ सेक्शन भी होगा जो उस वक्त ऑनलाइन उपलब्ध लोगों को दिखाएगा.

मैसेंजर में हुए इस बदलाव के बारे में फेसबुक की टीम ने एक ब्लाग में लिखा है कि हम ज्यादा बदलाव नहीं कर पाये थे लेकिन अब चाहते है कि यूजर्स मैसेंजर में आये तो चैट में ज्यादा देरी न हो फेसबुक यूजर्स की रूचि को बरकरार रखने के लिए बदलाव करते रहती है. कुछ दिनों पहले फेसबुक ने एसएमएस सपोर्ट को फिर से शुरू करने की जानकारी थी.

गौरतलब है कि फेसबुक सोशल नेटवर्किंग साइट का सबसे ज्यादा यूज किया जाने वाला नेटवर्किंग साइट है. दुनिया भर में करोड़ों लोग इससे जुड़े हुए है.

हॉकी प्लेयर की दिलचस्पी टेबल टेनिस में

भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान धनराज पिल्लै 7 से 10 जुलाई तक आयोजित होने वाली मुंबई सुपर टेबल टेनिस (TT) लीग में खेलने वाली ब्लेजिंग बैशर्स टीम से बतौर को-ओनर जुड़ गए हैं. 4 लाख रुपये की इनामी राशि वाली इस लीग के सेकंड एडिशन में 10 टीमें हिस्सा लेंगी जिन्हें 2 ग्रुपों में बांटा गया है. हर ग्रुप में पहले 2 स्थान पर रहने वाली टीमें सेमीफाइनल के लिए क्वॉलिफाइ करेंगी.

लीग के लिए खिलाड़ियों की नीलामी हुई जिसमें कुल 60 खिलाड़ियों को खरीदा गया. 4 बार के ओलिंपियन धनराज पिल्लै ने अभी तक हॉकी टीम नहीं खरीदने के सवाल पर कहा कि मैं हॉकी टीम भी जल्द ही खरीदने वाला हूं. उन्हेंने कहा पूर्व ओलिंपियन गेविन फरेरा रिंक हॉकी टूर्नामेंट आयोजित करने वाले हैं और इसकी एक टीम मैं खरीदूंगा.

सानिल बिके सबसे महंगे

मुंबई सुपर लीग के पहले एडिशन में मेंस सिंगल्स में अपने चारों मैच जीतने वाले और लीग रैंकिंग में पहले स्थान पर काबिज सानिल शेट्टी को कूल स्मैशर्स ने 35,500 रुपये में खरीदा. वह नीलामी में सबसे ऊंची कीमत पर बिकने वाले खिलाड़ी रहे. विमेंस रैंकिंग में टॉप पोजिशन पर काबिज दिव्या देशपांडे सबसे ज्यादा कीमत पाने वालीं विमिंस प्लेयर रहीं जिन्हें फैंटम स्टार्स ने 23,500 रुपये में खरीदा.

कुछ इस तरह आपकी त्वचा बनेगी कोमल

त्वचा को खूबसूरत, कोमल और अनचाहे बालों से आजाद बनाने  के लिए वैक्सिंग से बेहतर कोई विकल्प नहीं. वैक्सिंग से न केवल अनचाहे बाल रिमूव होते हैं, वरन टैनिंग जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं. वैक्सिंग कराने के बाद सामान्यतः त्वचा कम से कम 2 सप्ताह तक मुलायम रहती है 1 जो बाल फिर से उगते हैं, वे भी बारीक और कोमल होते हैं. नियमित रूप से वैक्सिंग कराने से 3-4 सप्ताह तक बाल नहीं आते. समय के साथ बालों का विकास भी कम हो जाता है.

एल्प्स beauty क्लीनिक की डायरेक्टर भारती तनेजा बताती  हैं कि वैक्स कई तरह के होते हैं

1. सौफ्ट वैक्स यानि रेगुलर वैक्स: ये सब से ज्यादा कौमन और इस्तेमाल की जाने वाली वैक्स है. ये वैक्स शहद, ग्लूकोज या चीनी के घोल से तैयार की जाती है. हेयर रिमूव करने के साथसाथ ये टैनिंग को तो रिमूव करती ही है साथ ही स्किन को सौफ्ट और ग्लासी भी बनाती है.

2. चौकलेट वैक्सः इस वैक्स की मदद से स्किन पोर्स बड़े हो जाते हैं, जिस से बाल आसानी से निकल जाते हैं और ज्यादा दर्द भी नहीं होता. इस के अलावा चौकलेट के अंदर स्किन सूदिंग तत्त्व पाए जाते हं जो बौडी को रिलैक्स करते हैं. कोको पाउडर बेस्ड इस वैक्स से ग्रोथ पूरी तरह रिरमूव हो जाती है और स्किन सौफ्ट व स्मूथ नजर आती है. इस वैक्स को करवाने से रैशस या फिर रेड पैचेज पड़ जाने के आसान भी न के बराबर हो जाते हैं. ऐसे में ये वैक्स सेंसटिव स्किन के लिए भी अच्छी साबित होती है. इस के अलावा चौकलेट का अरोमा बहुत ही आकर्षक होता है जो आप को विशेष आनं की अनुभूति करवाता है.

3. एलोवेरा वैक्स: एलोवेरा के पल्प से बनी ये वैक्स आप की स्किन को नरिश करने के साथसाथ रीजेनुवेट भी करती है. ये वैक्स बौडी के सेंसटिव एरिया जैसे अंडरआर्म्स और बिकनी पार्ट के लिए काफी अच्छी होती है.

4. ब्राजीलियन वैक्स: ये भी हार्ड वैक्स का ही एक टाइप है जिसे विशेषतौर पर बिकनी एरिया के लिए ही बनाया गया है. इस प्रौसेस में अनचाहे बालों को सभी जगह जैसे आगे, साइड, पीछे और बीच में से रिमूव किया जाता है. वैक्सिंग के दर्द को कम करने के लिए इस वैक्स को जल्दी करना जरूरी होता है.

5. लिपोसाल्यूबल वैक्स: ये वैक्स आयल बेस्ड होती है. बालों की रूट पर तो इन की ग्रिप अच्छी होती ही है साथ ही ये स्किन पर भी डेलीकेट होती हैं. इस वैक्स को इस्तेमाल करने से पहले स्किन पर औयल लगाया जाता है और बालों को रिमूव करने के लिए छोटीछोटी स्ट्रिप्स यूज की जाती हैं. ये वैक्स बहुत गर्म भी हो जाए तो भी स्किन को कोई नुकसान नहीं होता है.

इन बातों का रखें ध्यान

स्किन लेजर सेंटर के डर्मेटोलॉजिस्ट डॉक्टर मुनीष पॉल कहते हैं कि वैक्सिंग कराने से पहले और बाद में कुछ सावधानियां जरूरी हैं. वैक्सिंग कराते समय त्वचा जल सकती है, लाल हो सकती है, त्वचा का संक्रमण हो सकता है. जहां वैक्सिंग किया है वहां दर्द होना, त्वचा में जलन, त्वचा के रंग में बदलाव आना, फफोले पड़ जाना, त्वचा का टैक्सचर बदल जाना, खुजली होना जैसी समस्याएं भी हो जाती हैं.

वैक्सिंग के पहले

वैक्सिंग कराने से पहले इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है

वैक्सिंग करने वाले के हाथ बिलकुल साफ होने चाहिए.

जिस हिस्से की वैक्सिंग करना है वह भी पूरी तरह साफ होना चाहिए.

वैक्सिंग किसी अच्छे पार्लर में कराएं.

ध्यान रखें कि वैक्स और पट्टियां अच्छे ब्रांड की हों.

जब आप को वैक्सिंग करानी हो उस के एक दिन पहले स्क्रबिंग करें यह मृत त्वचा को बाहर निकाल देता है जो हेयर फालिकल्स को बंद कर देते हैं. जिस के कारण हेयर इनग्रोन की समस्या हो सकती है.

वैक्सिंग के बाद…

वैक्सिंग के बाद

वैक्सिंग कराने के तुरंत बाद त्वचा लाल हो सकती है और उस पर रैशेज दिखाई दे सकते हैं. ये कुछ घंटों बाद अपने आप ही गायब हो जाते हैं. यह सामान्यतया हिस्टामिन रिएक्शन के कारण होता है क्योंकि वैक्सिंग बालों को जड़ों से निकाल देता है. यह बहुत महत्त्वपूर्ण है कि उस क्षेत्र को साफ और बैक्टीरिया मुक्त रखा जाए.

वैक्सिंग कराने के 24 घंटे बाद तक धूप में न निकलें.

12 घंटे तक कोई सनबाथिंग नहीं.

24 घंटे तक क्लोरीन युक्त स्विमिंग पूल में स्विमिंग न करें.

स्पा और सोना बाथ भी न लें.

कोई भी खुशबू वाला क्रीम न लगाएं इस से जलन हो सकती है.

त्वचा पर बैक्टीरिया के विकास को रोकने के लिए टी ट्री युक्त उत्पाद लगाएं.

अगर वैक्सिंग के बाद त्वचा लाल हो गई हो तो आधी कटोरी वसा रहित दूध में आधी कटोरी ठंडा पानी मिलाएं. इस में पेपर टावेल भिगोएं और इसे त्वचा पर रखें और कुछकुछ घंटों में तब तक दोहराते रहें जब तक आराम न मिले. दूध में पाया जाने वाला लैक्टिक एसिड त्वचा को आराम पहुंचाता है.

गूमड़ और इनग्रोन हेयर ग्रोथ को रोकने के लिए वैक्स किए हुए क्षेत्र पर तुरंत बर्फ लगाएं, जिस से रोम छिद्र बंद हो जाएंगे और बैक्टीरिया का प्रवेश रुक जाएगा. कुछ देर बाद वैक्स किए हुए क्षेत्र को सैलिसिलिक एसिड युक्त क्लींजर से धो लें.

अगर वैक्सिंग के बाद जलन हो रही है तो एलोवेरा युक्त क्रीम लगाएं, ध्यान रहे कि इस में अल्कोहल नहीं होना चाहिए.

जलन को कम करने के लिए बर्फ का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.

वैक्सिंग कराने के तुरंत बाद जिम न जाएं क्योंकि इस से आप की चिकनी त्वचा पर बैक्टीरिया फैलने का खतरा अधिक होता है.

वैक्सिंग कराने के कुछ घंटों बाद तक टाइट कपड़े न पहनें क्योंकि इस से त्वचा पर रगड़ लग सकती है और उस में जलन हो सकती है.

चेहरे पर वैक्सिंग

चेहरे पर अत्यधिक बाल होना कुछ महिलाओं के लिए बहुत बड़ी समस्या हो जाती है. कुछ पार्लर इस से छुटकारा पाने के लिए वैक्सिंग कराने की सलाह देते हैं. विशेषज्ञों का मानना हे कि चेहरे पर वैक्सिंग कराना नुकसानदायक हो सकता है. चेहरे की त्वचा बहुत मुलायम होती है इसलिए समय से पहले झुर्रियां पड़ सकती हैं. अगर बाल मोटे हैं तो लेजर हेयर रिमुवल सर्वश्रेष्ठ विकल्प है. आप ब्लीचिंग का विकल्प भी चुन सकते हैं. वैक्सीन से हेयर फालिकल्स को बहुत नुकसान पहुंचता है जिस से संक्रमण और सूजन हो सकती है. इस के कारण दाग भी पड़ सकते हैं जिन का उपचार करना कठिन है.

जरूरी सावधानियां

किसी भी बड़े समारोह से ठीक पहले वैक्सीन न कराएं क्योंकि आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि आप की त्वचा वैक्सीन के प्रति क्या प्रतिक्रिया देगी.

अगर आप वैक्सिंग कराते हैं तो बीचबीच में शेव न करें इस से बाल कड़े हो जाते हैं और वैक्सिंग करने में समस्या आती है.

जिन्हें त्वचा संबंधी कोई समस्या है जैसे एक्जिमा, कहीं से त्वचा कटी हुई है या घाव है उन्हें वैक्सीन से दूर रहना चाहिए.

वैक्सिंग के दौरान त्वचा कट सकती है और संक्रमण का खतरा हो सकता है इसलिए साफसफाई का ध्यान रखना बहुत जरूरी है.

अगर वैक्सिंग कराने के 24 घंटे बाद तक दर्द, जलन हो रही हो या सूजन आ गई हो या विचित्र सी गंध आ रही हो तो तुरंत किसी त्वचा रोग विशेषज्ञ को दिखाएं.

लेजर तकनीक से पाएं अनचाहे बालों से स्थायी छुटकारा

डॉक्टर मुनीष पॉल के मुताबिक अगर आप अपने चेहरे या शरीर के अनचाहे बालों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो वैक्सिंग या लेजर का विकल्प चुनें क्योंकि इन में त्वचा शेविंग की तुलना में अधिक समय तक मुलायम रहती है. लेजर से हमेशा के लिए बालों से छुटकारा मिल जाता है. जबकि अस्थायी विधियों में नियमित रूप से रखरखाव की आवश्यकता होती है.

लेजर के बाद कई लोगों में फिर से बालों का विकास होता है. लेकिन बालों के विकास का काल एक क्लाइंट से दूसरे क्लाइंट के लिए अलगअलग हो सकता है. लेकिन अधिकतर क्लाइंट्स को हर छह महीने से एक साल में टचअप कराना पड़ता है. लेजर ट्रीटमेंट के पश्चात जो बाल आते हैं वो पतले, मुलायम और हलके रंग के होते हैं. इसलिए लेजर को अनचाहे बालों से छुटकारा पाने का सब से अच्छा विकल्प माना जाता है. लेजर उपचार की कितनी सीटिंग लेनी होगी और कितना खर्च आएगा यह इस पर निर्भर करता है कि शरीर के किस भाग की त्वचा से बाल निकालना है और वहां बालों का विकास कितना है.

धार्मिक आतंकवाद: मुहरा बनते बच्चे

राजस्थान के डूंगरपुर जिले में कुआं तहसील है और इस तहसील के एक गांव के 10 वर्षीय बालक प्रशांत को महंत बना दिया गया. खेलनेकूदने की उम्र में 7वीं कक्षा के छात्र प्रशांत को इसलिए महंत बनाया गया क्योंकि यादव जाति के महंत ईश्वरदास के समाधि लेने के बाद महंत की गद्दी खाली हो गई थी और पुत्र होने के कारण प्रशांत को इस गद्दी का हकदार माना जाने लगा और नए महंत के रूप में उसे गद्दी सौंप दी गई. इस गद्दी को सौंपने के लिए सूरत के महंत आए थे जिन्होंने मंत्रोच्चार कर और दीक्षा दे कर प्रशांत को यह गद्दी सौंप दी.इस तरह धर्म और जाति की जंजीर से बांध कर एक बचपन का गला घोंट देना कोई पहली या नई बात नहीं बल्कि राजस्थान सहित देश के अलगअलग राज्यों में ऐसी घटनाएं होती रहती हैं और देशभर में आज लाखों बच्चों को धर्म के शिकंजों में बांध कर धर्म के वीभत्स स्वरूप को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसे रोकने के लिए न तो देश में कोई कानून है और न ही इस का विरोध करने की किसी में हिम्मत. राजस्थान के 28 और गुजरात के 45 गावों के लोग महंत बनाए गए इस मासूम को अब अपना गुरु मानेंगे और इस बच्चे द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलेंगे. गांव के लोगों का कहना है कि यह बालक समाज की उन्नति और विकास के लिए काम करेगा और उन की जाति में होने वाली किसी भी तरह की कुरीतियों और बुराइयों का विरोध कर उसे खत्म करने का प्रयास करेगा. सवाल उठता है कि वह बच्चा जिस की खुद की शिक्षा ही न पूरी हो पाई हो, जो अभी दूसरों से ज्ञान पाने का जरूरतमंद हो और भलेबुरे में भेद न जानता हो वह दूसरों को क्या शिक्षा देगा या कौन सी सही दिशा दिखाएगा.

दरअसल, इस तरह बालक को महंत की पदवी दे कर जाति विशेष का गुरु बना देना कोई समाज सुधार का काम नहीं बल्कि यह तो धर्म के ठेकेदारों की एक साजिश है जिस में इस मासूम बच्चे को देवता या महंत का स्वरूप बता कर इस के माध्यम से लोगों को ठगने का निशाना आसानी से साधा जा सकता है.

सस्ते मजदूर बच्चे

धर्म के ठेकेदारों द्वारा बच्चों को बड़ी संख्या में शिष्य बना कर अपने साथ रखने, धर्म की शिक्षा देने या बाल महंत बनाने का सब से बड़ा कारण यह है कि धर्म की शिक्षा प्राप्त ये बच्चे इन सब से वफादार होने के साथसाथ सस्ते मजदूर के रूप में काम करते हैं. इन धार्मिक बाल मजदूरों को दो वक्त की रोटी और पहनने के लिए कपड़े के अलावा किसी चीज से मतलब नहीं होता क्योंकि ये बड़े साधु, महंत या धर्म के ठेकेदार इन बच्चों को अपने अनुसार ढाल लेते हैं. वहीं इन के भोलेपन के कारण लोगों का इन पर भरोसा भी ज्यादा होता है और चढ़ावा भी ज्यादा चढ़ता है. लेकिन चढ़ावे की राशि में से बड़ा हिस्सा इन बड़े महंतों की झोली में ही चला जाता है तो आखिर क्यों न ये बड़े महंत शिक्षा के नाम पर इन धार्मिक बाल मजदूरों को अपने यहां पालें.

बच्चों का शोषण

देश भर में सैकड़ों नहीं हजारों ऐसे आश्रम हैं जहां बच्चों को धर्म की शिक्षा दी जा रही है. इन बच्चों को धर्म की शिक्षा सिर्फ इसलिए दी जाती है कि ये कम उम्र से ही धर्म के प्रति इतने कट्टर हो जाएं कि धार्मिक आतंकवादी का रूप ले लें और धार्मिक गतिविधियों के अलावा कुछ दूसरा सोच भी न सकें. यही नहीं इन आश्रमों में शिक्षा के लिए आए इन बच्चों के शारीरिक शोषण से भी इनकार नहीं किया जा सकता. लेकिन ये बच्चे खुल कर विरोध भी नहीं कर सकते और करते भी हैं तो इन की आवाज को बहुत आसानी से दबा दिया जाता है. पिछले दिनों एक बाबा के छिंदवाड़ा स्थित आश्रम के कुछ बच्चों की मौत आश्रम के परिसर में हो गई थी. इन बच्चों की मौत कोई स्वाभाविक मौत नहीं बल्कि यह किसी न किसी तरह के शोषण का ही नतीजा था. कहा जाता है कि इस तरह के आश्रमों के बच्चों से उलटेसीधे काम करवाने के साथसाथ उन का यौन शोषण भी किया जाता है. लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि इस तरह की दुर्घटनाओं के बाद भी जल्दी कोई जांच नहीं होती और होती भी है तो आखिरकार मामले की लीपापोती कर दी जाती है.

गेरुआ या सफेद वस्त्र पहन अपने को धन के लोभ या माया से दूर बताने वाले धर्म के ठेकेदार देखने में तो साधारण लगते हैं. इन के नाम से कोई संपत्ति भी नहीं होती है लेकिन अपनी संस्थाओं के नाम से दुनिया भर में ये अरबों की संपत्ति रखते हैं. अलगअलग धर्म के ठेकेदार आए- दिन एकदूसरे पर तरहतरह के आरोप लगाते रहते हैं. कभी ईसाइयों पर धर्म परिवर्तन की तोहमत हिंदू धर्म के ठेकेदार लगाते हैं तो कभी मुसलिम धर्म के ठेकेदार इसलाम को श्रेष्ठ साबित करने की कोशिश में लगे हैं. ये सभी धर्म के ठेकेदार एकदूसरे पर आरोप सिर्फ इसलिए लगाते हैं ताकि ये खुद को एकदूसरे से बेहतर बता कर अपना बचाव कर सकें. पर इन सभी धर्मों के ठेकेदारों का मकसद एक ही होता है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर ज्यादा से ज्यादा चंदा उगाही की जा सके और होता भी यही है. दुनिया भर में लाखों लोग अपनी मेहनत की कमाई में से हर साल धर्म के ठेकेदारों को अरबों का दान दे देते हैं और इस तरह इन पंडेपुजारियों और धर्म के ठेकेदारों की दुकानदारी चलती रहती है.

देश भर में तमाम ऐसे गैर सरकारी संगठन भी बने हैं, जो बच्चों के कल्याण एवं विकास के लिए काम करते रहें. ये गैर सरकारी संगठन फैक्टरियों, दुकानों व घरों में काम करने वाले बाल मजदूरों को पकड़वा कर उन्हें शोषण से मुक्त करवाते हैं. लेकिन देश भर के इन तमाम धार्मिक संस्थाओं के बंधुआ मजदूर की तरह काम कर रहे लाखों बच्चों को छुड़वाना तो दूर इन के खिलाफ आवाज उठाने की भी इन में हिम्मत नहीं होती. इस का एकमात्र कारण है कि धर्म के इन ठेकेदारों को बड़ी संख्या में जनता का समर्थन हासिल है और इस जन समर्थन के चलते ही राजनेता या प्रशासन इन का विरोध करने से डरते हैं ताकि जनता का विरोध न झेलना पड़े. छिंदवाड़ा के आश्रम में बच्चों की मौत के बाद देश भर में लोगों ने जिस तरह ऐसे बाबाओं या सफेदपोशों का विरोध किया एवं उन के पुतले फूंके  उस से यह तो लगा है कि लोगों में जागरुकता आ रही है.

यदि लोग इसी तरह जागरूक बनें और इन धर्म के अंधविश्वासी पचड़ों से बाहर निकल अपने जीवन में वैज्ञानिक सोच को विकसित करें तो वह दिन दूर नहीं जब किसी 10 साल के बच्चे को अपना महंत बना कर उस की पूजा करने के बजाय मांबाप अपने बच्चे को शिक्षित कर उस का आने वाला कल संवारेंगे ताकि पढ़लिख कर उन का बच्चा भी अपनी सोच से देश, समाज, घरपरिवार की सेवा कर सके.

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