महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार कोई विकल्प छोड़ना नहीं चाहती है. घरेलू प्रबंधन को अंजाम देने के साथ सरकार ने विदेश से दाल आयात करने पर तत्परता से कार्रवाई शुरू कर दी है. आयात से जुड़े विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारियों के दो दल मंगलवार को म्यांमार और मोजांबिक के दौरे पर पहुंचे.

दालों के मूल्य में लगातार तेजी पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने तात्कालिक व दीर्घकालिक उपाय किए हैं. इसके तहत दलहन उत्पादक देशों से सरकार सीधे दाल आयात करने के विकल्प पर कार्य कर रही है. घरेलू बाजारों में दालों के मूल्य 200 रुपये प्रति किलो की दर को छूने लगे हैं. घरेलू मांग व आपूर्ति में लाखों टन के अंतर को देखते हुए जमाखोर और कालाबाजारी करने वाले भी सक्रिय हो गए हैं.

लगातार दो साल के सूखे की विभीषिका के चलते दलहन की पैदावार में गिरावट आई है. दाल आयात और वहां कांट्रेक्ट खेती की संभावनाएं तलाशने के लिए मोजांबिक जाने वाले उच्च स्तरीय दल का नेतृत्व उपभोक्ता मामले मंत्रालय के सचिव हेम पांडे कर रहे हैं. यह जानकारी मंत्रालय के एक बयान में दी गई है. प्रतिनिधि मंडल में कृषि व वाणिज्य मंत्रालय और सरकारी कंपनी एमएमटीसी के उच्चाधिकारी शामिल हैं.

इसी तरह दूसरा दल म्यांमार पहुंचा है. यह दल वहां से दाल आयात करने पर सरकार से वार्ता करेगा. म्यांमार से निर्यात करने वाली कोई एजेंसी नहीं है. यहां से 50 हजार टन का सौदा हो चुका है. भारत दाल आयात करने के लिए अन्य अफ्रीकी देशों में भी संभावनाएं तलाश रहा है. मलावी में दलहन खेती करने का मसौदा तैयार कर लिया गया है. इसके लिए वहां की सरकार तैयार भी है.

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