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जल्दी चले आओ

तुम्हारे प्यार को पहचानता हूं मैं

अपना वजूद इसी से मानता हूं मैं

बहुत दिन हो गए जल्दी चले आओ

इस इंतजार को सजा मानता हूं मैं

तुम्हारे बिना मैं भटक सा गया हूं

कहांकहां की खाक छानता हूं मैं

ये अकेलापन मैं सह न पाऊंगा

जबकि तुम हो मेरी जानता हूं मैं

मुझे नहीं है चाह किसी और चीज की

तुम्हें जिंदगी का मकसद मानता हूं मैं

मेरी अंजुलि में फूल तुम्हारे लिए हैं

तुम्हें अपने दिल का दरवाजा मानता हूं मैं.

 

                                   – बालकृष्ण काबरा ‘एतेश’

जीवन की मुसकान

मैं और मेरी सहेली सुनयना स्कूल से ले कर कालेज में भी साथसाथ पढ़े हैं. सभी हमारी दोस्ती की मिसाल देते. एक साल पहले सुनयना के पापा ने नया घर बनवाया तो वह दूसरी कालोनी में चली गई. हम पहले एक ही स्कूटी से कालेज जाते थे. एक दिन के अंतराल से अपनीअपनी स्कूटी ले लेते थे. यह हमारा अघोषित नियम था. नई कालोनी में घर बन जाने के चलते मुझे घूम कर उसे लेने जाना पड़ता था. मैं ने उसे सलाह दी कि मेरा घर कालेज के रास्ते में है, वह रोज मेरे घर आ जाए और मैं ही अपनी गाड़ी से रोज उसे कालेज ले जाऊंगी. उसे यह बात बुरी लगी. उस ने मना कर दिया और अकेले ही, कभी बस, कभी टैक्सी से आनेजाने लगी. और फिर जल्दी ही उस ने नई ऐक्टिवा ले ली. अब तो हमारे बीच हायहैलो भी बंद हो गई. सभी हैरान थे ऐसा क्या हो गया. हम दोनों एकदूसरे को बहुत मिस करते थे. एक बार संयोग से पार्किंग में हम दोनों की गाड़ी फंस गई. हैंडिल लौक होने से हम हटा भी नहीं पा रहे थे. चौकीदार था नहीं. एकदूसरे की मदद के बिना गाड़ी निकालना आसान नहीं था. सो, हम फिर से दोस्त बन गए.

मोनाली हरीश जैन, गोंदिया (महा.)

*

हम लोग कानपुर में एक सरकारी कार्यालय में काम करते थे. हम लोगों के एक दोस्त की शादी तय हुई. लड़के ने पहले ही बता दिया कि उसे दानदहेज के नाम पर कुछ भी नहीं चाहिए. मगर लड़की वालों ने सोचा कि वर पक्ष के लोग ऐसे ही कहते हैं, अपनी इज्जत व उन की इज्जत तो देखनी ही पड़ती है. आज की इस दहेजलोलुप दुनिया में कौन ऐसा है जो दहेज लेना न चाहे.

बरात में हम अधिकांश लोग इटावा गए. लड़की वालों की तरफ से बहुत कोशिश हुई नकदी देने के लिए, मगर लड़के वालों ने मात्र एक रुपया ही स्वीकार किया. सुबह विदाई के समय बहुत सा सामान जैसे पलंग, अलमारी, रजाईगद्दा, अटैचियों में भरा सामान जो शादियों में दिया जाता है, सब छोड़ कर हमारा दोस्त लड़की विदा करा कर चल दिया. कोई कितना भी कहता रह गया, उस ने एक न सुनी. वह बोला, ‘‘ये सब सामान अपनी छोटी लड़की की शादी में दीजिएगा. मुझे कुछ नहीं चाहिए. जो बात आप को शुरू में कही थी, मैं अब भी उस पर कायम हूं.’’ क्या बराती क्या घराती, सभी लोग आश्चर्य से दूल्हे का मुंह देख रहे थे. सभी लोग कहने लगे, ‘यह रही जीवन की सब से बड़ी मुसकान.’

कैलाश राम गुप्ता, इलाहाबाद (उ.प्र.)

कुक का नया वर्ल्ड रिकॉर्ड

इंग्लैंड के कप्तान एलिएस्टर कुक ने टेस्ट क्रिकेट का एक और रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है.

क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड पर पाकिस्तान के खिलाफ अर्द्धशतकीय पारी खेलने के साथ ही कुक टेस्ट क्रिकेट में बतौर ओपनर सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज बन गए.

हाल ही में इंग्लैंड के लिए 10000 टेस्ट रन बनाने वाले कुक ने भारत के सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर के 9607 रन के रिकॉर्ड को तोड़ दिया.

कुक ने 123 मैच की 219 पारी में 46.68 के औसत से अब तक 9617 रन बना लिए हैं. जबकि गावस्कर ने 119 मैच की 203 पारी में 50.29 के बेहतरीन औसत से 9607 रन बनाए थे.

इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर साउथ अफ्रीका के पूर्व कप्तान ग्रीम स्मिथ हैं. उन्होंने 114 मैच की 196 पारी में 9030 रन बनाए थे.

लिस्ट में चौथे नंबर पर 103 मैच की 184 पारी में 8625 रन बनाने वाले ऑस्ट्रेलिया के मैथ्यू हेडन हैं तो पांचवे स्थान पर भारत के विरेन्द्र सहवाग हैं. सहवाग ने 99 मैच की 170 पारी में 8207 रन बनाए थे.

सवर्ण वोटों के लिये यूपी में घमासान

राजनीतिक दल कितना भी कहे कि वो जाति धर्म की राजनीति नहीं करते, पर वोट के लिये जाति धर्म का मोह छोड़ना मुश्किल काम है. उत्तर प्रदेश में पिछले 27 साल से राजनीति दलित और पिछड़ों के आसपास घूम रही है. मंडल कमीशन लागू होने के बाद से राजनीति और सत्ता में सवर्ण यानि ठाकुर, ब्राह्मण और बनिया हाशिये पर चले गये. सवर्णो की राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने जब 2014 के लोकसभा चुनावों में पिछड़ों की राजनीति शुरू की, तो सवर्ण वहां बेचैनी अनुभव करने लगा. ऐसे में अपनी साख खो चुकी कांग्रेस को लगा कि सवर्ण राजनीति से ही सत्ता में उसकी वापसी हो सकती है. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के पहले कांग्रेस ने जब गांव गांव जाकर यह देखने की कोशिश की तो पता चला कि सवर्ण आज के दौर में सबसे अधिक असमंजस में है. कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की राजनीतिक प्रयोगशाला में सवर्ण वोटों के लिये नया प्रयोग शुरू किया है.

उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस चौथे नम्बर की पार्टी है. उसे यह उम्मीद तो नहीं है कि वह बहुमत से सरकार बना लेगी. इसके बाद भी सवर्ण राजनीति की तरफ कदम बढ़ाकर नया संदेश देने की कोशिश की है. कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में शीला दीक्षित को अपना मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया है. प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर के साथ प्रदेश प्रभारी गुलाम नबीं आजाद भी इस श्रेणी में आते है.

कांग्रेस संजय सिंह और कुंवर आरपीएन सिंह को भी चुनावी जिम्मेदारी देने जा रही है. कांग्रेस अपनी राजनीति से भाजपा को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने की कोशिश में है. उत्तर प्रदेश में 18 से 20 फीसदी सवर्ण वोटर है. यह एकजुट नहीं है. ठाकुर, ब्राह्मण और बनिया के रूप में यह वोटर बंटा हुआ है. भाजपा की केन्द्र सरकार के फैसलों से सवर्ण परेशान है. ऐसे में कांग्रेस अपने लिये नये अवसर देख रही है.

बात केवल भाजपा-कांग्रेस की नहीं है. सपा और बसपा भी अपने बेस वोट दलित और पिछड़ों को छोड़कर सवर्ण वोट बैंक की तरफ फोकस करने लगी है. अखिलेश सरकार ने सवर्ण वोटरों को रिझाने के लिये समाजवादी श्रवण यात्रा शुरू की. ब्राहमण वोट के लिये बसपा ने पहले ही सोशल इंजीनियरिंग की शुरुआत कर रखी है. जैसे जैसे बसपा से दलित नेताओं का पलायन हो रहा है बसपा ब्राहमण वोट बैंक को मजबूती से पकड़ने लगी है. वह खुद को ब्राहमणों की सबसे बडी हितैषी साबित करने में जुटी है. कभी ‘ठाकुर, ब्राहमण बनिया चोर’ का नारा देने वाले सवर्णो को मनुवादी कहते थे. आज वह भी सवर्ण वोटों के लिये नये नये प्रयोग कर रहे हैं.

राजनीति समीक्षक योगेश श्रीवास्तव कहते है ‘सवर्ण वोटर अभी एक जुट नहीं है. ऐसे में कांग्रेस की चुनौती उसे एकजुट कर अपने बैनर के नीचे लाने की है. यह सही है कि सवर्ण वोटर पिछले 30 सालों से अपने को हाशिये पर मान बैठा था. उत्तर प्रदेश के चुनाव से पहले बिहार में सवर्ण गठजोड़ देखने को मिला था. सवर्ण वोटर के एकजुट होने से ही वोट प्रतिशत बढ़ता है. सवर्णो में भी तमाम तरह की परेशानियां है. 30 सालों में किसी दल ने चुनाव के पहले इतने बड़े पैमाने पर सवर्ण वोटर को अपनाने की कोशिश की है. कांग्रेस ने अपनी चाल चल दी है. अब भाजपा पर दबाव बढ़ गया है. उसे न केवल अपने चुनावी चेहरे को सामने लाना है, बल्कि उसके सामने अपने सवर्ण वोट के बनाये रखने की चुनौती भी है. कांग्रेस की कोशिश इस बहाने भाजपा को घेरने की है.’ 

पूजा और हृतिक की रोमांटिक केमिस्ट्री की चर्चाएं गर्म

आशुतोष गोवारीकर निर्देशित फिल्म ‘‘मोहन जोदाड़ो’’ के एक रोमांटिक पोस्टर के रिलीज होते ही फिल्म के अंदर पूजा हेगडे़ और हृतिक रोशन के बीच की रोमांटिक केमिस्ट्री की चर्चाएं शुरू हो गयी हैं. इस पोस्टर में दोनों जिस तरह से एक दूसरे की आंखों में आंख डाले नजर आ रहे हैं, उसी से फिल्म के अंदर उनकी रोमांटिक केमिस्ट्री की कल्पनाएं की जा रही हैं.

कुछ दिन फिल्म ‘‘मोहन जोदाड़ो’’ का ट्रेलर लांच हुआ था, जिसमें शरमन (हृतिक रोशन) और चानी (पूजा हेगडे़) की प्रेम कहानी उजागर हुई थी. अब पोस्टर से इनकी रोमांटिक केमिस्ट्री सामने आयी हैं. फिल्म ‘‘मोहन जोदाड़ो’’ एक विशेष काल खंड की रोमांटिक एक्शन फिल्म है.

3 लाख से अधिक कैश ट्रांजैक्शन पर लग सकता है बैन

ब्लैकमनी पर बनी विशेष जांच कमिटी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी पांचवी रिपोर्ट पेश कर दी. एसआईटी ने 3 लाख से अधिक के कैश ट्रांजैक्शन पर रोक की सिफारिश करने के साथ-साथ ऐसे ट्रांजैक्शन्स को गैरकानूनी और दंडनीय घोषित करने के लिए अलग कानून बनाने की भी बात कही.

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि एसआईटी को महसूस होता है कि बड़ी मात्रा में अघोषित धन को जमा करके उसे कैश के रूप में प्रयोग किया जाता है. रिपोर्ट में एसआईटी ने अधिकतम कैश रखने की सीमा को 15 लाख करने का सुझाव दिया है. उसने कहा है कि समय-समय पर विभिन्न एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाइयों में बड़ी मात्रा में नकदी बरामद होना इस बात की पुष्टि करता है कि नकदी के रूप में बड़ी मात्रा में अघोषित संपत्ति रखी जाती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति अथवा इंडस्ट्री को अधिक कैश रखने की अनिवार्यता है तो वह क्षेत्रीय आयकर आयुक्त की अनुमति के बाद उसे रख सकता है. वित्त मंत्रालय ने इन सिफारिशों पर आम लोगों समेत सभी संबद्ध पक्षों से प्रतिक्रिया मांगी है. गौरतलब है कि ब्लैक मनी पर जांच के लिए मई 2014 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एसआईटी का गठन किया गया था. न्यायमूर्ति (रिटायर्ड) एमबी शाह इसके अध्यक्ष हैं, जबकि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरिजित पसायत उपाध्यक्ष हैं तथा कुल 11 एजेंसियां इसके तहत काम कर रही हैं.

मणि रत्नम की हीरोईन बनी अदिति राव हैदरी

बौलीवुड में अदिति राव हैदरी का करियर कुछ खास नही चल रहा है. उनकी पिछली दो फिल्में ‘‘वजीर’’ और ‘‘फितूर’’ ने बाक्स आफिस पर पानी तक नहीं मांगा था. जबकि इन दोनों फिल्मों में बौलीवुड के दिग्गज कलाकारों ने उनके साथ अभिनय किया था. इसके बावजूद वह खुशनसीब हैं कि उन्हें मणि रत्नम की नई तमिल भाषा की रोमांटिक ड्रामा फिल्म ‘‘कत्रु वेलीईडी’’ में अभिनय करने का मौका मिल गया है.

सूत्रों के अनुसार इससे अदिति राव हैदरी काफी उत्साहित हैं. क्योंकि बौलीवुड की हर अदाकारा का सपना होता है कि उन्हें एक बार मणि रत्नम के निर्देशन में अभिनय करने का मौका मिल जाए. पर अभी तक अदित राव हैदरी बौलीवुड की तीसरी अदाकारा हैं, जिन्हें यह अवसर मिला है. अदिति राव हैदरी से पहले ‘दिल से’ तथा ‘बाम्बे’ फिल्मों में मनीषा कोईराला और ‘गुरू’ व ‘रावण’ फिल्मों में ऐश्वर्या राय बच्चन को मणि रत्नम के निर्देशन में अभिनय करने का अवसर मिला था.

सूत्रों के अनुसार अपनी इस तमिल फिल्म में मणि रत्नम ने अदिति राव हैदरी को इसलिए जोड़ा है, क्योंकि उन्हें अदिति राव हैदरी के लुक में मनीषा कोईराला की झलक नजर आयी. अदिति राव हैदरी आठ जुलाई से इस तमिल फिल्म की शूटिंग कर रही है. इस फिल्म के सेट से मिली जानकारी के अनुसार यूनिट के लोगो को लगता है कि फिल्म ‘दिल से’ की मनीषा कोईराला की वापसी हुई है.

वैसे इस तमिल फिल्म में  बंगलोर की खूबसूरत अदाकारा श्रृद्धा श्रीनाथ एक कैमियो करते हुए नजर आएंगी.

प्रशांत भट्ट: लौट के बुद्धू घर को आए

‘‘स्टार प्लस’’ पर प्रसारित हो रहे सीरियल ‘‘जाना ना दिल से दूर’’ में सुजाता (शिल्पा तुलस्कर) के पति और अथर्व (विक्रम सिंह चौहान) के पिता रमाकांत के किरदार में प्रशांत भट्ट नजर आने के साथ ही प्रशांत भट्ट पर ‘‘लौट के बुद्धू घर को आए’ की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं. जी हां! अभिनय के क्षेत्र में प्रशांत भट्ट ने लगभग 12 साल बाद वापसी की है. इतना ही नहीं पूरे 17 साल बाद प्रशांत भट्ट एक बार फिर शिल्पा तुलस्कर के साथ अभिनय कर रहे हैं. इससे पहले 1999 में दूरदर्शन पर प्रसारित सीरियल ‘‘बंधन’’ में प्रशांत भट्ट और शिल्पा तुलस्कर भाई बहन के किरदार में नजर आए थे और अब ‘‘जाना ना दिल से दूर’’ में यह दोनों पति पत्नी के किरदार में नजर आने वाले हैं.

दूरदर्शन के सीरियल ‘‘बंधन’’ के अलावा प्रशांत भट्ट ने ‘‘स्टार प्लस’’ के ही सीरियलों ‘‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’’, ‘‘कसौटी जिंदगी की’’ सहित कई सीरियलों में अभिनय किया था. पर बतौर अभिनेता किसी भी सीरियल में उनका किरदार लोकप्रिय नहीं हुआ. इसी के चलते प्रशांत भट्ट ने अभिनय को तिलांजली दे एकता कपूर की कंपनी ‘‘बालाजी टेलीफिल्मस’’ में क्रिएटिव निर्देशक की हैसियत से काम करना शुरू किया था. उस वक्त प्रशांत भट्ट ने दावा किया था कि वह अभिनय से बोर हो गए हैं. अभिनय में उन्हे कोई चुनौती नजर नही आती.

फिर वह ‘कलर्स’ सहित कुछ चैनलों में प्रोग्रामिंग हेड के रूप में कार्यरत रहे. बाद में प्रशांत भट्ट ने संजय मेमने के साथ मिलकर प्रोडक्शन कंपनी ‘‘स्टूडियो बी एंड एम’’ खोली और इस कंपनी के तहत ‘मस्तांगी’ सहित कुछ सीरियलों का निर्माण किया. पर प्रशांत भट्ट निर्मित किसी भी सीरियल को अच्छी टीआरपी नहीं मिल सकी.

बहरहाल, हर जगह हाथ पैर मारने के बाद अब प्रशांत भट्ट वापस अभिनय की तरफ मुड़ गए हैं. यानी कि लौट के बुद्धू घर को आए. मजेदार बात यह है कि अभिनय को तिलांजली देने के बाद प्रशांत भट्ट ने दावा किया था कि वह अभिनय से बोर हो गए हैं. अभिनय में उन्हे कोई चुनौती नजर नहीं आती. जबकि अब अभिनय में वापसी की चर्चा करते हुए प्रशांत भट्ट कहते हैं-‘‘यह सच है कि मैं एक बार कैमरे के सामने काम करने वाला हूं. यह मेरा एक खास कैमियो किरदार है.’’

अब कोहरे के कहर से रेलवे को बचाएगा ‘त्रिनेत्र’

आने वाले दिनों में कोहरे की वजह से ट्रेन की लेट लतीफी खत्म हो सकती है. अब रेलवे की डिवलपमेंट सेल ने 'त्रिनेत्र' नामक ऐसा डिवाइस बनाया है, जिससे इंजन ड्राइवर अपने इंजन में ही एक मॉनीटर पर आगे की पटरी और सिग्नल को देख सकेंगे. इस तरह से उन्हें अब ट्रेन की रफ्तार धीमी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इस सिस्टम को लगाने के लिए इंडियन रेलवे ने कंपनियों की खोजबीन शुरु कर दी है. रेलवे की इस कवायद में कई विदेशी कंपनियों ने भी अपनी रुचि दिखाना शुरू कर दिया है.

इंडियन रेलवे के सूत्रों का कहना है कि इस सिस्टम में विडियो कैमरा और मैपिंग सिस्टम की अहम भूमिका है. दरअसल, मौजूदा हालात में कोहरे के कारण इंजन में बैठे ड्राइवर को सिग्नल देखने में दिक्कत होती है. सिग्नल रेड है या ग्रीन, इसे देखने के लिए ड्राइवर को ट्रेन की स्पीड कम करनी पड़ती है. जब कोहरा घना होता है तो स्थिति यह होती है कि ट्रेन बेहद धीमी रफ्तार से चलती है ताकि सिग्नल क्रॉस न हो जाए, क्योंकि अगर सिग्नल रेड है तो आगे एक्सीडेंट का खतरा होता है.

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इस नए सिस्टम के तहत इंजन के आगे हाई रेज़ॉलूशन ऑप्टिकल विडियो कैमरा और इंफ्रा रेड कैमरा लगाया जाएगा. इसके अलावा ट्रेन में रेडार आधारित मैपिंग सिस्टम भी लगाया जाएगा. इस तरह से इन तीनों की मदद से सिस्टम इंजन के आगे के पटरी के हिस्से की एक विडियो इमेज इंजन में पायलट के सामने लगे कंप्यूटर मॉनीटर पर बन जाएगी. जिसे देखकर ड्राइवर उसे देखकर ही ट्रेन की स्पीड को बढ़ा या कम कर सकेगा.

रेलवे का कहना है कि सिर्फ कोहरे ही नहीं कई बार तेज अंधड़ और बारिश के बीच पेड़ और खम्भे आदि गिर जाते हैं. ऐसे में एक्सीडेंट का खतरा रहता है. लेकिन इस डिवाइस के लगने से इस तरह के खतरे से तो बचा जा ही सकेगा, साथ ही एहतियात के तौर पर ट्रेन को रोकने की जरूरत नहीं होगी. बल्कि जब पटरी पर किसी तरह का अवरोध होगा, तभी ट्रेन को रोका जाएगा. रेलवे अफसरों के मुताबिक रेडार मैपिंग सिस्टम की मदद से आगे के सिग्नल की जानकारी मिल जाएगी.

रेलवे के मुताबिक, इस डिवाइस को मकैनिकल बोर्ड की देखरेख में डिवलपमेंट सेल ने तैयार किया है. अब इसे बड़ी मात्रा में बनाने तथा लगाने के लिए इंडियन रेलवे ने प्राइवेट कंपनियों से प्रस्ताव मांगे हैं. रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए इजराइल, फिनलैंड, यूएसए और ऑस्ट्रिया सहित कई भारतीय कंपनियों ने रुचि दिखाई है.

इस्‍लाम के सामने क्रिकेट कुछ नहीं

इंग्‍लैंड के ऑल राउंडर मोईन अली का कहना है कि धर्म उनके लिए क्रिकेट से बढ़कर है और इस्‍लाम के लिए वे कॅरियर छोड़ सकते हैं. उन्‍होंने कहा कि इस्‍लाम से उन्‍हें आजादी मिलती है और यही उन्‍हें खुशी देता है.

उन्‍होंने कहा, ”मेरे दिमाग में हमेशा से यह चलता रहता है कि मैं इस्‍लाम, मुसलमानों और ब्रिटिश एशियाई लोगों को प्रतिनिधित्‍व करता हूं. यह अच्‍छी बात है. जब मैं छोटा था तब मैं इन सबसे दूर था. जब मैं 18-19 साल का हुआ मैंने फैसला किया कि मुझे ऐसे ही जीना है. यही वो चीज है जो मुझे खुशी देती है. क्रिकेट जरूरी है लेकिन इस्‍लाम के सामने कुछ नहीं. यदि कल को मुझे क्रिकेट छोड़ना होगा तो मेरे लिए आसानी होगी.”

मोईन अली ने इंग्‍लैंड की ओर से 26 टेस्‍ट और 39 वनडे मैच खेले हैं. दोनों फॉर्मेट में उनके नाम दो-दो शतक हैं. साथ ही टेस्‍ट में 66 और वनडे 39 विकेट भी लिए हैं. पिछले दो साल से वे इंग्‍लैंड टीम के नियमित सदस्‍य हैं. वे बाएं हाथ के बल्‍लेबाज और दाएं हाथ के ऑफ स्पिनर हैं.

इंग्‍लैंड में अल्‍पसंख्‍यकों के हालात के सवाल पर उन्‍होंने कहा, “यह काफी मुश्किल है. मेरे लिए यह जिंदगी का हिस्‍सा है. उम्‍मीद है एक दिन ऐसा नहीं होगा और मैं इससे जल्द ही बाहर निकलूंगा.”

कुछ महीनों पहले ही मोईन अली को बर्मिंघम एयरपोर्ट अधिकारियों ने 40 मिनट तक सुरक्षा जांच के लिए रोक के रखा था. इस घटना पर अली ने नाराजगी भी जाहिर की थी. उन्‍होंने कहा था कि अब वे इंग्‍लैंड टीम के साथ थे तब उनके साथ कभी ऐसा नहीं हुआ.

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